२०१
لَا يُؤْمِنُوْنَ بِهٖ حَتّٰى يَرَوُا الْعَذَابَ الْاَلِيْمَ ٢٠١
- lā
- لَا
- नहीं वो ईमान लाऐंगे
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- नहीं वो ईमान लाऐंगे
- bihi
- بِهِۦ
- उस पर
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yarawū
- يَرَوُا۟
- वो देख लें
- l-ʿadhāba
- ٱلْعَذَابَ
- अज़ाब
- l-alīma
- ٱلْأَلِيمَ
- दर्दनाक
वे इसपर ईमान लाने को नहीं, जब तक कि दुखद यातना न देख लें ([२६] अस-शुआरा: 201)Tafseer (तफ़सीर )
२०२
فَيَأْتِيَهُمْ بَغْتَةً وَّهُمْ لَا يَشْعُرُوْنَ ۙ ٢٠٢
- fayatiyahum
- فَيَأْتِيَهُم
- तो वो आ जाएगा उन पर
- baghtatan
- بَغْتَةً
- अचानक
- wahum
- وَهُمْ
- और वो
- lā
- لَا
- ना वो शऊर रखते होंगे
- yashʿurūna
- يَشْعُرُونَ
- ना वो शऊर रखते होंगे
फिर जब वह अचानक उनपर आ जाएगी और उन्हें ख़बर भी न होगी, ([२६] अस-शुआरा: 202)Tafseer (तफ़सीर )
२०३
فَيَقُوْلُوْا هَلْ نَحْنُ مُنْظَرُوْنَ ۗ ٢٠٣
- fayaqūlū
- فَيَقُولُوا۟
- फिर वो कहेंगे
- hal
- هَلْ
- क्या
- naḥnu
- نَحْنُ
- हम
- munẓarūna
- مُنظَرُونَ
- मोहलत दिए जाने वाले हैं
तब वे कहेंगे, 'क्या हमें कुछ मुहलत मिल सकती है?' ([२६] अस-शुआरा: 203)Tafseer (तफ़सीर )
२०४
اَفَبِعَذَابِنَا يَسْتَعْجِلُوْنَ ٢٠٤
- afabiʿadhābinā
- أَفَبِعَذَابِنَا
- क्या फिर हमारे अज़ाब को
- yastaʿjilūna
- يَسْتَعْجِلُونَ
- वो जल्दी माँगते हैं
तो क्या वे लोग हमारी यातना के लिए जल्दी मचा रहे है? ([२६] अस-शुआरा: 204)Tafseer (तफ़सीर )
२०५
اَفَرَءَيْتَ اِنْ مَّتَّعْنٰهُمْ سِنِيْنَ ۙ ٢٠٥
- afara-ayta
- أَفَرَءَيْتَ
- क्या भला देखा आपने
- in
- إِن
- अगर
- mattaʿnāhum
- مَّتَّعْنَٰهُمْ
- फ़ायदा दें हम उन्हें
- sinīna
- سِنِينَ
- कई साल
क्या तुमने कुछ विचार किया? यदि हम उन्हें कुछ वर्षों तक सुख भोगने दें; ([२६] अस-शुआरा: 205)Tafseer (तफ़सीर )
२०६
ثُمَّ جَاۤءَهُمْ مَّا كَانُوْا يُوْعَدُوْنَ ۙ ٢٠٦
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- jāahum
- جَآءَهُم
- आ जाए उनके पास
- mā
- مَّا
- जिसका
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yūʿadūna
- يُوعَدُونَ
- वो वादा दिए जाते
फिर उनपर वह चीज़ आ जाए, जिससे उन्हें डराया जाता रहा है; ([२६] अस-शुआरा: 206)Tafseer (तफ़सीर )
२०७
مَآ اَغْنٰى عَنْهُمْ مَّا كَانُوْا يُمَتَّعُوْنَ ۗ ٢٠٧
- mā
- مَآ
- ना
- aghnā
- أَغْنَىٰ
- काम आएगा
- ʿanhum
- عَنْهُم
- उन्हें
- mā
- مَّا
- जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yumattaʿūna
- يُمَتَّعُونَ
- वो फ़ायदा दिए जाते
तो जो सुख उन्हें मिला होगा वह उनके कुछ काम न आएगा ([२६] अस-शुआरा: 207)Tafseer (तफ़सीर )
२०८
وَمَآ اَهْلَكْنَا مِنْ قَرْيَةٍ اِلَّا لَهَا مُنْذِرُوْنَ ۖ ٢٠٨
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- ahlaknā
- أَهْلَكْنَا
- हलाक किया हमने
- min
- مِن
- किसी बस्ती को
- qaryatin
- قَرْيَةٍ
- किसी बस्ती को
- illā
- إِلَّا
- मगर
- lahā
- لَهَا
- उसके लिए
- mundhirūna
- مُنذِرُونَ
- डराने वाले थे
हमने किसी बस्ती को भी इसके बिना विनष्ट नहीं किया कि उसके लिए सचेत करनेवाले याददिहानी के लिए मौजूद रहे हैं। ([२६] अस-शुआरा: 208)Tafseer (तफ़सीर )
२०९
ذِكْرٰىۚ وَمَا كُنَّا ظٰلِمِيْنَ ٢٠٩
- dhik'rā
- ذِكْرَىٰ
- नसीहत के तौर पर
- wamā
- وَمَا
- और ना
- kunnā
- كُنَّا
- थे हम
- ẓālimīna
- ظَٰلِمِينَ
- ज़ालिम
हम कोई ज़ालिम नहीं है ([२६] अस-शुआरा: 209)Tafseer (तफ़सीर )
२१०
وَمَا تَنَزَّلَتْ بِهِ الشَّيٰطِيْنُ ٢١٠
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- tanazzalat
- تَنَزَّلَتْ
- उतरे
- bihi
- بِهِ
- उसे लेकर
- l-shayāṭīnu
- ٱلشَّيَٰطِينُ
- शयातीन
इसे शैतान लेकर नहीं उतरे हैं। ([२६] अस-शुआरा: 210)Tafseer (तफ़सीर )