१९१
وَاِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيْزُ الرَّحِيْمُ ࣖ ١٩١
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- rabbaka
- رَبَّكَ
- रब आपका
- lahuwa
- لَهُوَ
- अलबत्ता वो
- l-ʿazīzu
- ٱلْعَزِيزُ
- बहुत ज़बरदस्त है
- l-raḥīmu
- ٱلرَّحِيمُ
- निहायत रहम करने वाला है
और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है, जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है ([२६] अस-शुआरा: 191)Tafseer (तफ़सीर )
१९२
وَاِنَّهٗ لَتَنْزِيْلُ رَبِّ الْعٰلَمِيْنَ ۗ ١٩٢
- wa-innahu
- وَإِنَّهُۥ
- और बेशक वो
- latanzīlu
- لَتَنزِيلُ
- अलबत्ता नाज़िल करदा है
- rabbi
- رَبِّ
- रब्बुल आलमीन की तरफ़ से
- l-ʿālamīna
- ٱلْعَٰلَمِينَ
- रब्बुल आलमीन की तरफ़ से
निश्चय ही यह (क़ुरआन) सारे संसार के रब की अवतरित की हुई चीज़ है ([२६] अस-शुआरा: 192)Tafseer (तफ़सीर )
१९३
نَزَلَ بِهِ الرُّوْحُ الْاَمِيْنُ ۙ ١٩٣
- nazala
- نَزَلَ
- उतरा
- bihi
- بِهِ
- उसे लेकर
- l-rūḥu
- ٱلرُّوحُ
- रूहुल अमीन
- l-amīnu
- ٱلْأَمِينُ
- रूहुल अमीन
इसको लेकर तुम्हारे हृदय पर एक विश्वसनीय आत्मा उतरी है, ([२६] अस-शुआरा: 193)Tafseer (तफ़सीर )
१९४
عَلٰى قَلْبِكَ لِتَكُوْنَ مِنَ الْمُنْذِرِيْنَ ۙ ١٩٤
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर आपके दिल के
- qalbika
- قَلْبِكَ
- ऊपर आपके दिल के
- litakūna
- لِتَكُونَ
- ताकि आप हों
- mina
- مِنَ
- डराने वालों में से
- l-mundhirīna
- ٱلْمُنذِرِينَ
- डराने वालों में से
ताकि तुम सावधान करनेवाले हो ([२६] अस-शुआरा: 194)Tafseer (तफ़सीर )
१९५
بِلِسَانٍ عَرَبِيٍّ مُّبِيْنٍ ۗ ١٩٥
- bilisānin
- بِلِسَانٍ
- साथ ज़बान
- ʿarabiyyin
- عَرَبِىٍّ
- अरबी
- mubīnin
- مُّبِينٍ
- वाज़ेह के
स्पष्ट अरबी भाषा में ([२६] अस-शुआरा: 195)Tafseer (तफ़सीर )
१९६
وَاِنَّهٗ لَفِيْ زُبُرِ الْاَوَّلِيْنَ ١٩٦
- wa-innahu
- وَإِنَّهُۥ
- और बेशक वो
- lafī
- لَفِى
- अलबत्ता सहीफ़ों में है
- zuburi
- زُبُرِ
- अलबत्ता सहीफ़ों में है
- l-awalīna
- ٱلْأَوَّلِينَ
- पहलों के
और निस्संदेह यह पिछले लोगों की किताबों में भी मौजूद है ([२६] अस-शुआरा: 196)Tafseer (तफ़सीर )
१९७
اَوَلَمْ يَكُنْ لَّهُمْ اٰيَةً اَنْ يَّعْلَمَهٗ عُلَمٰۤؤُا بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ ١٩٧
- awalam
- أَوَلَمْ
- क्या भला नहीं
- yakun
- يَكُن
- है
- lahum
- لَّهُمْ
- उनके लिए
- āyatan
- ءَايَةً
- कोई निशानी
- an
- أَن
- कि
- yaʿlamahu
- يَعْلَمَهُۥ
- जानते हों उसे
- ʿulamāu
- عُلَمَٰٓؤُا۟
- उलेमा
- banī
- بَنِىٓ
- बनी इस्राईल के
- is'rāīla
- إِسْرَٰٓءِيلَ
- बनी इस्राईल के
क्या यह उनके लिए कोई निशानी नहीं है कि इसे बनी इसराईल के विद्वान जानते है? ([२६] अस-शुआरा: 197)Tafseer (तफ़सीर )
१९८
وَلَوْ نَزَّلْنٰهُ عَلٰى بَعْضِ الْاَعْجَمِيْنَ ۙ ١٩٨
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- nazzalnāhu
- نَزَّلْنَٰهُ
- नाज़िल करते हम उसे
- ʿalā
- عَلَىٰ
- किसी पर
- baʿḍi
- بَعْضِ
- किसी पर
- l-aʿjamīna
- ٱلْأَعْجَمِينَ
- अजमियों में से
यदि हम इसे ग़ैर अरबी भाषी पर भी उतारते, ([२६] अस-शुआरा: 198)Tafseer (तफ़सीर )
१९९
فَقَرَاَهٗ عَلَيْهِمْ مَّا كَانُوْا بِهٖ مُؤْمِنِيْنَ ۗ ١٩٩
- faqara-ahu
- فَقَرَأَهُۥ
- फिर वो पढ़ता उसे
- ʿalayhim
- عَلَيْهِم
- उन पर
- mā
- مَّا
- ना
- kānū
- كَانُوا۟
- होते वो
- bihi
- بِهِۦ
- उस पर
- mu'minīna
- مُؤْمِنِينَ
- ईमान लाने वाले
और वह इसे उन्हें पढ़कर सुनाता तब भी वे इसे माननेवाले न होते ([२६] अस-शुआरा: 199)Tafseer (तफ़सीर )
२००
كَذٰلِكَ سَلَكْنٰهُ فِيْ قُلُوْبِ الْمُجْرِمِيْنَ ۗ ٢٠٠
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- salaknāhu
- سَلَكْنَٰهُ
- गुज़ारा हमने उसे
- fī
- فِى
- दिलों से
- qulūbi
- قُلُوبِ
- दिलों से
- l-muj'rimīna
- ٱلْمُجْرِمِينَ
- मुजरिमों के
इसी प्रकार हमने इसे अपराधियों के दिलों में पैठाया है ([२६] अस-शुआरा: 200)Tafseer (तफ़सीर )