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सूरा अस-शुआरा - Page: 20

Ash-Shu'ara

(कवि, शायर)

१९१

وَاِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيْزُ الرَّحِيْمُ ࣖ ١٩١

wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
rabbaka
رَبَّكَ
रब आपका
lahuwa
لَهُوَ
अलबत्ता वो
l-ʿazīzu
ٱلْعَزِيزُ
बहुत ज़बरदस्त है
l-raḥīmu
ٱلرَّحِيمُ
निहायत रहम करने वाला है
और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है, जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है ([२६] अस-शुआरा: 191)
Tafseer (तफ़सीर )
१९२

وَاِنَّهٗ لَتَنْزِيْلُ رَبِّ الْعٰلَمِيْنَ ۗ ١٩٢

wa-innahu
وَإِنَّهُۥ
और बेशक वो
latanzīlu
لَتَنزِيلُ
अलबत्ता नाज़िल करदा है
rabbi
رَبِّ
रब्बुल आलमीन की तरफ़ से
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
रब्बुल आलमीन की तरफ़ से
निश्चय ही यह (क़ुरआन) सारे संसार के रब की अवतरित की हुई चीज़ है ([२६] अस-शुआरा: 192)
Tafseer (तफ़सीर )
१९३

نَزَلَ بِهِ الرُّوْحُ الْاَمِيْنُ ۙ ١٩٣

nazala
نَزَلَ
उतरा
bihi
بِهِ
उसे लेकर
l-rūḥu
ٱلرُّوحُ
रूहुल अमीन
l-amīnu
ٱلْأَمِينُ
रूहुल अमीन
इसको लेकर तुम्हारे हृदय पर एक विश्वसनीय आत्मा उतरी है, ([२६] अस-शुआरा: 193)
Tafseer (तफ़सीर )
१९४

عَلٰى قَلْبِكَ لِتَكُوْنَ مِنَ الْمُنْذِرِيْنَ ۙ ١٩٤

ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर आपके दिल के
qalbika
قَلْبِكَ
ऊपर आपके दिल के
litakūna
لِتَكُونَ
ताकि आप हों
mina
مِنَ
डराने वालों में से
l-mundhirīna
ٱلْمُنذِرِينَ
डराने वालों में से
ताकि तुम सावधान करनेवाले हो ([२६] अस-शुआरा: 194)
Tafseer (तफ़सीर )
१९५

بِلِسَانٍ عَرَبِيٍّ مُّبِيْنٍ ۗ ١٩٥

bilisānin
بِلِسَانٍ
साथ ज़बान
ʿarabiyyin
عَرَبِىٍّ
अरबी
mubīnin
مُّبِينٍ
वाज़ेह के
स्पष्ट अरबी भाषा में ([२६] अस-शुआरा: 195)
Tafseer (तफ़सीर )
१९६

وَاِنَّهٗ لَفِيْ زُبُرِ الْاَوَّلِيْنَ ١٩٦

wa-innahu
وَإِنَّهُۥ
और बेशक वो
lafī
لَفِى
अलबत्ता सहीफ़ों में है
zuburi
زُبُرِ
अलबत्ता सहीफ़ों में है
l-awalīna
ٱلْأَوَّلِينَ
पहलों के
और निस्संदेह यह पिछले लोगों की किताबों में भी मौजूद है ([२६] अस-शुआरा: 196)
Tafseer (तफ़सीर )
१९७

اَوَلَمْ يَكُنْ لَّهُمْ اٰيَةً اَنْ يَّعْلَمَهٗ عُلَمٰۤؤُا بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ ١٩٧

awalam
أَوَلَمْ
क्या भला नहीं
yakun
يَكُن
है
lahum
لَّهُمْ
उनके लिए
āyatan
ءَايَةً
कोई निशानी
an
أَن
कि
yaʿlamahu
يَعْلَمَهُۥ
जानते हों उसे
ʿulamāu
عُلَمَٰٓؤُا۟
उलेमा
banī
بَنِىٓ
बनी इस्राईल के
is'rāīla
إِسْرَٰٓءِيلَ
बनी इस्राईल के
क्या यह उनके लिए कोई निशानी नहीं है कि इसे बनी इसराईल के विद्वान जानते है? ([२६] अस-शुआरा: 197)
Tafseer (तफ़सीर )
१९८

وَلَوْ نَزَّلْنٰهُ عَلٰى بَعْضِ الْاَعْجَمِيْنَ ۙ ١٩٨

walaw
وَلَوْ
और अगर
nazzalnāhu
نَزَّلْنَٰهُ
नाज़िल करते हम उसे
ʿalā
عَلَىٰ
किसी पर
baʿḍi
بَعْضِ
किसी पर
l-aʿjamīna
ٱلْأَعْجَمِينَ
अजमियों में से
यदि हम इसे ग़ैर अरबी भाषी पर भी उतारते, ([२६] अस-शुआरा: 198)
Tafseer (तफ़सीर )
१९९

فَقَرَاَهٗ عَلَيْهِمْ مَّا كَانُوْا بِهٖ مُؤْمِنِيْنَ ۗ ١٩٩

faqara-ahu
فَقَرَأَهُۥ
फिर वो पढ़ता उसे
ʿalayhim
عَلَيْهِم
उन पर
مَّا
ना
kānū
كَانُوا۟
होते वो
bihi
بِهِۦ
उस पर
mu'minīna
مُؤْمِنِينَ
ईमान लाने वाले
और वह इसे उन्हें पढ़कर सुनाता तब भी वे इसे माननेवाले न होते ([२६] अस-शुआरा: 199)
Tafseer (तफ़सीर )
२००

كَذٰلِكَ سَلَكْنٰهُ فِيْ قُلُوْبِ الْمُجْرِمِيْنَ ۗ ٢٠٠

kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
salaknāhu
سَلَكْنَٰهُ
गुज़ारा हमने उसे
فِى
दिलों से
qulūbi
قُلُوبِ
दिलों से
l-muj'rimīna
ٱلْمُجْرِمِينَ
मुजरिमों के
इसी प्रकार हमने इसे अपराधियों के दिलों में पैठाया है ([२६] अस-शुआरा: 200)
Tafseer (तफ़सीर )