१७१
اِلَّا عَجُوْزًا فِى الْغٰبِرِيْنَ ۚ ١٧١
- illā
- إِلَّا
- सिवाए
- ʿajūzan
- عَجُوزًا
- एक बुढ़िया के
- fī
- فِى
- जो पीछे रह जाने वालों में थी
- l-ghābirīna
- ٱلْغَٰبِرِينَ
- जो पीछे रह जाने वालों में थी
सिवाय एक बुढ़िया के जो पीछे रह जानेवालों में थी ([२६] अस-शुआरा: 171)Tafseer (तफ़सीर )
१७२
ثُمَّ دَمَّرْنَا الْاٰخَرِيْنَ ۚ ١٧٢
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- dammarnā
- دَمَّرْنَا
- तबाह कर दिया हमने
- l-ākharīna
- ٱلْءَاخَرِينَ
- दूसरों को
फिर शेष दूसरे लोगों को हमने विनष्ट कर दिया। ([२६] अस-शुआरा: 172)Tafseer (तफ़सीर )
१७३
وَاَمْطَرْنَا عَلَيْهِمْ مَّطَرًاۚ فَسَاۤءَ مَطَرُ الْمُنْذَرِيْنَ ١٧٣
- wa-amṭarnā
- وَأَمْطَرْنَا
- और बरसाई हमने
- ʿalayhim
- عَلَيْهِم
- उन पर
- maṭaran
- مَّطَرًاۖ
- एक बारिश
- fasāa
- فَسَآءَ
- तो बहुत बुरी थी
- maṭaru
- مَطَرُ
- बारिश
- l-mundharīna
- ٱلْمُنذَرِينَ
- डराए जाने वालों की
और हमने उनपर एक बरसात बरसाई। और यह चेताए हुए लोगों की बहुत ही बुरी वर्षा थी ([२६] अस-शुआरा: 173)Tafseer (तफ़सीर )
१७४
اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيَةً ۗوَمَا كَانَ اَكْثَرُهُمْ مُّؤْمِنِيْنَ ١٧٤
- inna
- إِنَّ
- यक़ीनन
- fī
- فِى
- इसमें
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- इसमें
- laāyatan
- لَءَايَةًۖ
- अलबत्ता एक निशानी है
- wamā
- وَمَا
- और ना
- kāna
- كَانَ
- थे
- aktharuhum
- أَكْثَرُهُم
- अक्सर उनके
- mu'minīna
- مُّؤْمِنِينَ
- ईमान लाने वाले
निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं ([२६] अस-शुआरा: 174)Tafseer (तफ़सीर )
१७५
وَاِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيْزُ الرَّحِيْمُ ࣖ ١٧٥
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- rabbaka
- رَبَّكَ
- रब आपका
- lahuwa
- لَهُوَ
- अलबत्ता वो
- l-ʿazīzu
- ٱلْعَزِيزُ
- बहुत ज़बरदस्त है
- l-raḥīmu
- ٱلرَّحِيمُ
- निहायत रहम करने वाला है
और निश्चय ही तुम्हारा रब बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है ([२६] अस-शुआरा: 175)Tafseer (तफ़सीर )
१७६
كَذَّبَ اَصْحٰبُ لْـَٔيْكَةِ الْمُرْسَلِيْنَ ۖ ١٧٦
- kadhaba
- كَذَّبَ
- झुठलाया
- aṣḥābu
- أَصْحَٰبُ
- ऐका (जंगल) वालों ने
- al'aykati
- لْـَٔيْكَةِ
- ऐका (जंगल) वालों ने
- l-mur'salīna
- ٱلْمُرْسَلِينَ
- रसूलों को
अल-ऐकावालों ने रसूलों को झुठलाया ([२६] अस-शुआरा: 176)Tafseer (तफ़सीर )
१७७
اِذْ قَالَ لَهُمْ شُعَيْبٌ اَلَا تَتَّقُوْنَ ۚ ١٧٧
- idh
- إِذْ
- जब
- qāla
- قَالَ
- कहा
- lahum
- لَهُمْ
- उन्हें
- shuʿaybun
- شُعَيْبٌ
- शुऐब ने
- alā
- أَلَا
- क्या नहीं
- tattaqūna
- تَتَّقُونَ
- तुम डरते
जबकि शुऐब ने उनसे कहा, 'क्या तुम डर नहीं रखते? ([२६] अस-शुआरा: 177)Tafseer (तफ़सीर )
१७८
اِنِّيْ لَكُمْ رَسُوْلٌ اَمِيْنٌ ۙ ١٧٨
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- rasūlun
- رَسُولٌ
- एक रसूल हूँ
- amīnun
- أَمِينٌ
- अमानतदार
मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ ([२६] अस-शुआरा: 178)Tafseer (तफ़सीर )
१७९
فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَطِيْعُوْنِ ۚ ١٧٩
- fa-ittaqū
- فَٱتَّقُوا۟
- पस डरो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- wa-aṭīʿūni
- وَأَطِيعُونِ
- और इताअत करो मेरी
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो ([२६] अस-शुआरा: 179)Tafseer (तफ़सीर )
१८०
وَمَآ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ اَجْرٍ اِنْ اَجْرِيَ اِلَّا عَلٰى رَبِّ الْعٰلَمِيْنَ ۗ ١٨٠
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- asalukum
- أَسْـَٔلُكُمْ
- मैं सवाल करता तुम से
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- इस पर
- min
- مِنْ
- किसी अजर का
- ajrin
- أَجْرٍۖ
- किसी अजर का
- in
- إِنْ
- नहीं
- ajriya
- أَجْرِىَ
- अजर मेरा
- illā
- إِلَّا
- मगर
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- rabbi
- رَبِّ
- रब्बुल
- l-ʿālamīna
- ٱلْعَٰلَمِينَ
- आलमीन के
मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता। मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है ([२६] अस-शुआरा: 180)Tafseer (तफ़सीर )