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सूरा अस-शुआरा - Page: 18

Ash-Shu'ara

(कवि, शायर)

१७१

اِلَّا عَجُوْزًا فِى الْغٰبِرِيْنَ ۚ ١٧١

illā
إِلَّا
सिवाए
ʿajūzan
عَجُوزًا
एक बुढ़िया के
فِى
जो पीछे रह जाने वालों में थी
l-ghābirīna
ٱلْغَٰبِرِينَ
जो पीछे रह जाने वालों में थी
सिवाय एक बुढ़िया के जो पीछे रह जानेवालों में थी ([२६] अस-शुआरा: 171)
Tafseer (तफ़सीर )
१७२

ثُمَّ دَمَّرْنَا الْاٰخَرِيْنَ ۚ ١٧٢

thumma
ثُمَّ
फिर
dammarnā
دَمَّرْنَا
तबाह कर दिया हमने
l-ākharīna
ٱلْءَاخَرِينَ
दूसरों को
फिर शेष दूसरे लोगों को हमने विनष्ट कर दिया। ([२६] अस-शुआरा: 172)
Tafseer (तफ़सीर )
१७३

وَاَمْطَرْنَا عَلَيْهِمْ مَّطَرًاۚ فَسَاۤءَ مَطَرُ الْمُنْذَرِيْنَ ١٧٣

wa-amṭarnā
وَأَمْطَرْنَا
और बरसाई हमने
ʿalayhim
عَلَيْهِم
उन पर
maṭaran
مَّطَرًاۖ
एक बारिश
fasāa
فَسَآءَ
तो बहुत बुरी थी
maṭaru
مَطَرُ
बारिश
l-mundharīna
ٱلْمُنذَرِينَ
डराए जाने वालों की
और हमने उनपर एक बरसात बरसाई। और यह चेताए हुए लोगों की बहुत ही बुरी वर्षा थी ([२६] अस-शुआरा: 173)
Tafseer (तफ़सीर )
१७४

اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيَةً ۗوَمَا كَانَ اَكْثَرُهُمْ مُّؤْمِنِيْنَ ١٧٤

inna
إِنَّ
यक़ीनन
فِى
इसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
इसमें
laāyatan
لَءَايَةًۖ
अलबत्ता एक निशानी है
wamā
وَمَا
और ना
kāna
كَانَ
थे
aktharuhum
أَكْثَرُهُم
अक्सर उनके
mu'minīna
مُّؤْمِنِينَ
ईमान लाने वाले
निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं ([२६] अस-शुआरा: 174)
Tafseer (तफ़सीर )
१७५

وَاِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيْزُ الرَّحِيْمُ ࣖ ١٧٥

wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
rabbaka
رَبَّكَ
रब आपका
lahuwa
لَهُوَ
अलबत्ता वो
l-ʿazīzu
ٱلْعَزِيزُ
बहुत ज़बरदस्त है
l-raḥīmu
ٱلرَّحِيمُ
निहायत रहम करने वाला है
और निश्चय ही तुम्हारा रब बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है ([२६] अस-शुआरा: 175)
Tafseer (तफ़सीर )
१७६

كَذَّبَ اَصْحٰبُ لْـَٔيْكَةِ الْمُرْسَلِيْنَ ۖ ١٧٦

kadhaba
كَذَّبَ
झुठलाया
aṣḥābu
أَصْحَٰبُ
ऐका (जंगल) वालों ने
al'aykati
لْـَٔيْكَةِ
ऐका (जंगल) वालों ने
l-mur'salīna
ٱلْمُرْسَلِينَ
रसूलों को
अल-ऐकावालों ने रसूलों को झुठलाया ([२६] अस-शुआरा: 176)
Tafseer (तफ़सीर )
१७७

اِذْ قَالَ لَهُمْ شُعَيْبٌ اَلَا تَتَّقُوْنَ ۚ ١٧٧

idh
إِذْ
जब
qāla
قَالَ
कहा
lahum
لَهُمْ
उन्हें
shuʿaybun
شُعَيْبٌ
शुऐब ने
alā
أَلَا
क्या नहीं
tattaqūna
تَتَّقُونَ
तुम डरते
जबकि शुऐब ने उनसे कहा, 'क्या तुम डर नहीं रखते? ([२६] अस-शुआरा: 177)
Tafseer (तफ़सीर )
१७८

اِنِّيْ لَكُمْ رَسُوْلٌ اَمِيْنٌ ۙ ١٧٨

innī
إِنِّى
बेशक मैं
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
rasūlun
رَسُولٌ
एक रसूल हूँ
amīnun
أَمِينٌ
अमानतदार
मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ ([२६] अस-शुआरा: 178)
Tafseer (तफ़सीर )
१७९

فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَطِيْعُوْنِ ۚ ١٧٩

fa-ittaqū
فَٱتَّقُوا۟
पस डरो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
wa-aṭīʿūni
وَأَطِيعُونِ
और इताअत करो मेरी
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो ([२६] अस-शुआरा: 179)
Tafseer (तफ़सीर )
१८०

وَمَآ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ اَجْرٍ اِنْ اَجْرِيَ اِلَّا عَلٰى رَبِّ الْعٰلَمِيْنَ ۗ ١٨٠

wamā
وَمَآ
और नहीं
asalukum
أَسْـَٔلُكُمْ
मैं सवाल करता तुम से
ʿalayhi
عَلَيْهِ
इस पर
min
مِنْ
किसी अजर का
ajrin
أَجْرٍۖ
किसी अजर का
in
إِنْ
नहीं
ajriya
أَجْرِىَ
अजर मेरा
illā
إِلَّا
मगर
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
rabbi
رَبِّ
रब्बुल
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
आलमीन के
मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता। मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है ([२६] अस-शुआरा: 180)
Tafseer (तफ़सीर )