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सूरा अस-शुआरा - Page: 17

Ash-Shu'ara

(कवि, शायर)

१६१

اِذْ قَالَ لَهُمْ اَخُوْهُمْ لُوْطٌ اَلَا تَتَّقُوْنَ ۚ ١٦١

idh
إِذْ
जब
qāla
قَالَ
कहा
lahum
لَهُمْ
उन्हें
akhūhum
أَخُوهُمْ
उनके भाई
lūṭun
لُوطٌ
लूत ने
alā
أَلَا
क्या नहीं
tattaqūna
تَتَّقُونَ
तुम डरते
जबकि उनके भाई लूत ने उनसे कहा, 'क्या तुम डर नहीं रखते? ([२६] अस-शुआरा: 161)
Tafseer (तफ़सीर )
१६२

اِنِّيْ لَكُمْ رَسُوْلٌ اَمِيْنٌ ۙ ١٦٢

innī
إِنِّى
बेशक मैं
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
rasūlun
رَسُولٌ
एक रसूल हूँ
amīnun
أَمِينٌ
अमानतदार
मैं तो तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ ([२६] अस-शुआरा: 162)
Tafseer (तफ़सीर )
१६३

فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَطِيْعُوْنِ ۚ ١٦٣

fa-ittaqū
فَٱتَّقُوا۟
पस डरो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
wa-aṭīʿūni
وَأَطِيعُونِ
और इताअत करो मेरी
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो ([२६] अस-शुआरा: 163)
Tafseer (तफ़सीर )
१६४

وَمَآ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ اَجْرٍ اِنْ اَجْرِيَ اِلَّا عَلٰى رَبِّ الْعٰلَمِيْنَ ۗ ١٦٤

wamā
وَمَآ
और नहीं
asalukum
أَسْـَٔلُكُمْ
मैं सवाल करता तुम से
ʿalayhi
عَلَيْهِ
इस पर
min
مِنْ
किसी अजर का
ajrin
أَجْرٍۖ
किसी अजर का
in
إِنْ
नहीं
ajriya
أَجْرِىَ
अजर मेरा
illā
إِلَّا
मगर
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
rabbi
رَبِّ
रब्बुल
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
आलमीन के
मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता, मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है ([२६] अस-शुआरा: 164)
Tafseer (तफ़सीर )
१६५

اَتَأْتُوْنَ الذُّكْرَانَ مِنَ الْعٰلَمِيْنَ ۙ ١٦٥

atatūna
أَتَأْتُونَ
क्या तुम आते हो
l-dhuk'rāna
ٱلذُّكْرَانَ
मर्दों के पास
mina
مِنَ
तमाम जहान वालों में से
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहान वालों में से
क्या सारे संसारवालों में से तुम ही ऐसे हो जो पुरुषों के पास जाते हो, ([२६] अस-शुआरा: 165)
Tafseer (तफ़सीर )
१६६

وَتَذَرُوْنَ مَا خَلَقَ لَكُمْ رَبُّكُمْ مِّنْ اَزْوَاجِكُمْۗ بَلْ اَنْتُمْ قَوْمٌ عٰدُوْنَ ١٦٦

watadharūna
وَتَذَرُونَ
और तुम छोड़ देते हो
مَا
जो
khalaqa
خَلَقَ
पैदा किया
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
rabbukum
رَبُّكُم
तुम्हारे रब ने
min
مِّنْ
तुम्हारी बीवियों में से
azwājikum
أَزْوَٰجِكُمۚ
तुम्हारी बीवियों में से
bal
بَلْ
बल्कि
antum
أَنتُمْ
तुम
qawmun
قَوْمٌ
लोग हो
ʿādūna
عَادُونَ
हद से गुज़रने वाले
और अपनी पत्नियों को, जिन्हें तुम्हारे रब ने तुम्हारे लिए पैदा किया, छोड़ देते हो? इतना ही नहीं, बल्कि तुम हद से आगे बढ़े हुए लोग हो।' ([२६] अस-शुआरा: 166)
Tafseer (तफ़सीर )
१६७

قَالُوْا لَىِٕنْ لَّمْ تَنْتَهِ يٰلُوْطُ لَتَكُوْنَنَّ مِنَ الْمُخْرَجِيْنَ ١٦٧

qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
la-in
لَئِن
अलबत्ता अगर
lam
لَّمْ
ना
tantahi
تَنتَهِ
तू बाज़ आया
yālūṭu
يَٰلُوطُ
ऐ लूत
latakūnanna
لَتَكُونَنَّ
अलबत्ता तू ज़रूर हो जाएगा
mina
مِنَ
निकाले जाने वालों में से
l-mukh'rajīna
ٱلْمُخْرَجِينَ
निकाले जाने वालों में से
उन्होंने कहा, 'यदि तू बाज़ न आया, ऐ लतू! तो तू अवश्य ही निकाल बाहर किया जाएगा।' ([२६] अस-शुआरा: 167)
Tafseer (तफ़सीर )
१६८

قَالَ ِانِّيْ لِعَمَلِكُمْ مِّنَ الْقَالِيْنَ ۗ ١٦٨

qāla
قَالَ
उसने कहा
innī
إِنِّى
बेशक मैं
liʿamalikum
لِعَمَلِكُم
तुम्हारे अमल से
mina
مِّنَ
बेज़ार होने वालों में से हूँ
l-qālīna
ٱلْقَالِينَ
बेज़ार होने वालों में से हूँ
उसने कहा, 'मैं तुम्हारे कर्म से अत्यन्त विरक्त हूँ। ([२६] अस-शुआरा: 168)
Tafseer (तफ़सीर )
१६९

رَبِّ نَجِّنِيْ وَاَهْلِيْ مِمَّا يَعْمَلُوْنَ ١٦٩

rabbi
رَبِّ
ऐ मेरे रब
najjinī
نَجِّنِى
निजात दे मुझे
wa-ahlī
وَأَهْلِى
और मेरे घर वालों को
mimmā
مِمَّا
उससे जो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते हैं
ऐ मेरे रब! मुझे और मेरे लोगों को, जो कुछ ये करते है उसके परिणाम से, बचा ले।' ([२६] अस-शुआरा: 169)
Tafseer (तफ़सीर )
१७०

فَنَجَّيْنٰهُ وَاَهْلَهٗٓ اَجْمَعِيْنَ ۙ ١٧٠

fanajjaynāhu
فَنَجَّيْنَٰهُ
तो निजात दी हमने उसे
wa-ahlahu
وَأَهْلَهُۥٓ
और उसके घर वालों को
ajmaʿīna
أَجْمَعِينَ
सब के सबको
अन्ततः हमने उसे और उसके सारे लोगों को बचा लिया; ([२६] अस-शुआरा: 170)
Tafseer (तफ़सीर )