१६१
اِذْ قَالَ لَهُمْ اَخُوْهُمْ لُوْطٌ اَلَا تَتَّقُوْنَ ۚ ١٦١
- idh
- إِذْ
- जब
- qāla
- قَالَ
- कहा
- lahum
- لَهُمْ
- उन्हें
- akhūhum
- أَخُوهُمْ
- उनके भाई
- lūṭun
- لُوطٌ
- लूत ने
- alā
- أَلَا
- क्या नहीं
- tattaqūna
- تَتَّقُونَ
- तुम डरते
जबकि उनके भाई लूत ने उनसे कहा, 'क्या तुम डर नहीं रखते? ([२६] अस-शुआरा: 161)Tafseer (तफ़सीर )
१६२
اِنِّيْ لَكُمْ رَسُوْلٌ اَمِيْنٌ ۙ ١٦٢
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- rasūlun
- رَسُولٌ
- एक रसूल हूँ
- amīnun
- أَمِينٌ
- अमानतदार
मैं तो तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ ([२६] अस-शुआरा: 162)Tafseer (तफ़सीर )
१६३
فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَطِيْعُوْنِ ۚ ١٦٣
- fa-ittaqū
- فَٱتَّقُوا۟
- पस डरो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- wa-aṭīʿūni
- وَأَطِيعُونِ
- और इताअत करो मेरी
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो ([२६] अस-शुआरा: 163)Tafseer (तफ़सीर )
१६४
وَمَآ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ اَجْرٍ اِنْ اَجْرِيَ اِلَّا عَلٰى رَبِّ الْعٰلَمِيْنَ ۗ ١٦٤
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- asalukum
- أَسْـَٔلُكُمْ
- मैं सवाल करता तुम से
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- इस पर
- min
- مِنْ
- किसी अजर का
- ajrin
- أَجْرٍۖ
- किसी अजर का
- in
- إِنْ
- नहीं
- ajriya
- أَجْرِىَ
- अजर मेरा
- illā
- إِلَّا
- मगर
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- rabbi
- رَبِّ
- रब्बुल
- l-ʿālamīna
- ٱلْعَٰلَمِينَ
- आलमीन के
मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता, मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है ([२६] अस-शुआरा: 164)Tafseer (तफ़सीर )
१६५
اَتَأْتُوْنَ الذُّكْرَانَ مِنَ الْعٰلَمِيْنَ ۙ ١٦٥
- atatūna
- أَتَأْتُونَ
- क्या तुम आते हो
- l-dhuk'rāna
- ٱلذُّكْرَانَ
- मर्दों के पास
- mina
- مِنَ
- तमाम जहान वालों में से
- l-ʿālamīna
- ٱلْعَٰلَمِينَ
- तमाम जहान वालों में से
क्या सारे संसारवालों में से तुम ही ऐसे हो जो पुरुषों के पास जाते हो, ([२६] अस-शुआरा: 165)Tafseer (तफ़सीर )
१६६
وَتَذَرُوْنَ مَا خَلَقَ لَكُمْ رَبُّكُمْ مِّنْ اَزْوَاجِكُمْۗ بَلْ اَنْتُمْ قَوْمٌ عٰدُوْنَ ١٦٦
- watadharūna
- وَتَذَرُونَ
- और तुम छोड़ देते हो
- mā
- مَا
- जो
- khalaqa
- خَلَقَ
- पैदा किया
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- rabbukum
- رَبُّكُم
- तुम्हारे रब ने
- min
- مِّنْ
- तुम्हारी बीवियों में से
- azwājikum
- أَزْوَٰجِكُمۚ
- तुम्हारी बीवियों में से
- bal
- بَلْ
- बल्कि
- antum
- أَنتُمْ
- तुम
- qawmun
- قَوْمٌ
- लोग हो
- ʿādūna
- عَادُونَ
- हद से गुज़रने वाले
और अपनी पत्नियों को, जिन्हें तुम्हारे रब ने तुम्हारे लिए पैदा किया, छोड़ देते हो? इतना ही नहीं, बल्कि तुम हद से आगे बढ़े हुए लोग हो।' ([२६] अस-शुआरा: 166)Tafseer (तफ़सीर )
१६७
قَالُوْا لَىِٕنْ لَّمْ تَنْتَهِ يٰلُوْطُ لَتَكُوْنَنَّ مِنَ الْمُخْرَجِيْنَ ١٦٧
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- la-in
- لَئِن
- अलबत्ता अगर
- lam
- لَّمْ
- ना
- tantahi
- تَنتَهِ
- तू बाज़ आया
- yālūṭu
- يَٰلُوطُ
- ऐ लूत
- latakūnanna
- لَتَكُونَنَّ
- अलबत्ता तू ज़रूर हो जाएगा
- mina
- مِنَ
- निकाले जाने वालों में से
- l-mukh'rajīna
- ٱلْمُخْرَجِينَ
- निकाले जाने वालों में से
उन्होंने कहा, 'यदि तू बाज़ न आया, ऐ लतू! तो तू अवश्य ही निकाल बाहर किया जाएगा।' ([२६] अस-शुआरा: 167)Tafseer (तफ़सीर )
१६८
قَالَ ِانِّيْ لِعَمَلِكُمْ مِّنَ الْقَالِيْنَ ۗ ١٦٨
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- liʿamalikum
- لِعَمَلِكُم
- तुम्हारे अमल से
- mina
- مِّنَ
- बेज़ार होने वालों में से हूँ
- l-qālīna
- ٱلْقَالِينَ
- बेज़ार होने वालों में से हूँ
उसने कहा, 'मैं तुम्हारे कर्म से अत्यन्त विरक्त हूँ। ([२६] अस-शुआरा: 168)Tafseer (तफ़सीर )
१६९
رَبِّ نَجِّنِيْ وَاَهْلِيْ مِمَّا يَعْمَلُوْنَ ١٦٩
- rabbi
- رَبِّ
- ऐ मेरे रब
- najjinī
- نَجِّنِى
- निजात दे मुझे
- wa-ahlī
- وَأَهْلِى
- और मेरे घर वालों को
- mimmā
- مِمَّا
- उससे जो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- वो अमल करते हैं
ऐ मेरे रब! मुझे और मेरे लोगों को, जो कुछ ये करते है उसके परिणाम से, बचा ले।' ([२६] अस-शुआरा: 169)Tafseer (तफ़सीर )
१७०
فَنَجَّيْنٰهُ وَاَهْلَهٗٓ اَجْمَعِيْنَ ۙ ١٧٠
- fanajjaynāhu
- فَنَجَّيْنَٰهُ
- तो निजात दी हमने उसे
- wa-ahlahu
- وَأَهْلَهُۥٓ
- और उसके घर वालों को
- ajmaʿīna
- أَجْمَعِينَ
- सब के सबको
अन्ततः हमने उसे और उसके सारे लोगों को बचा लिया; ([२६] अस-शुआरा: 170)Tafseer (तफ़सीर )