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सूरा अस-शुआरा - Page: 15

Ash-Shu'ara

(कवि, शायर)

१४१

كَذَّبَتْ ثَمُوْدُ الْمُرْسَلِيْنَ ۖ ١٤١

kadhabat
كَذَّبَتْ
झुठलाया
thamūdu
ثَمُودُ
समूद ने
l-mur'salīna
ٱلْمُرْسَلِينَ
रसूलों को
समूद ने रसूलों को झुठलाया, ([२६] अस-शुआरा: 141)
Tafseer (तफ़सीर )
१४२

اِذْ قَالَ لَهُمْ اَخُوْهُمْ صٰلِحٌ اَلَا تَتَّقُوْنَ ۚ ١٤٢

idh
إِذْ
जब
qāla
قَالَ
कहा था
lahum
لَهُمْ
उनसे
akhūhum
أَخُوهُمْ
उनके भाई
ṣāliḥun
صَٰلِحٌ
सालेह ने
alā
أَلَا
क्या नहीं
tattaqūna
تَتَّقُونَ
तुम डरते
जबकि उसके भाई सालेह ने उससे कहा, 'क्या तुम डर नहीं रखते? ([२६] अस-शुआरा: 142)
Tafseer (तफ़सीर )
१४३

اِنِّيْ لَكُمْ رَسُوْلٌ اَمِيْنٌ ۙ ١٤٣

innī
إِنِّى
बेशक मैं
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
rasūlun
رَسُولٌ
रसूल हूँ
amīnun
أَمِينٌ
अमानतदार
निस्संदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ ([२६] अस-शुआरा: 143)
Tafseer (तफ़सीर )
१४४

فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَطِيْعُوْنِ ۚ ١٤٤

fa-ittaqū
فَٱتَّقُوا۟
पस डरो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
wa-aṭīʿūni
وَأَطِيعُونِ
और इताअत करो मेरी
अतः तुम अल्लाह का डर रखो और मेरी बात मानो ([२६] अस-शुआरा: 144)
Tafseer (तफ़सीर )
१४५

وَمَآ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ اَجْرٍۚ اِنْ اَجْرِيَ اِلَّا عَلٰى رَبِّ الْعٰلَمِيْنَ ۗ ١٤٥

wamā
وَمَآ
और नहीं
asalukum
أَسْـَٔلُكُمْ
मैं सवाल करता तुम से
ʿalayhi
عَلَيْهِ
इस पर
min
مِنْ
किसी अजर का
ajrin
أَجْرٍۖ
किसी अजर का
in
إِنْ
नहीं
ajriya
أَجْرِىَ
अजर मेरा
illā
إِلَّا
मगर
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
rabbi
رَبِّ
रब्बुल
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
आलमीन के
मैं इस काम पर तुमसे कोई बदला नहीं माँगता। मेरा बदला तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है ([२६] अस-शुआरा: 145)
Tafseer (तफ़सीर )
१४६

اَتُتْرَكُوْنَ فِيْ مَا هٰهُنَآ اٰمِنِيْنَ ۙ ١٤٦

atut'rakūna
أَتُتْرَكُونَ
क्या तुम छोड़ दिए जाओगे
فِى
उनमें जो
مَا
उनमें जो
hāhunā
هَٰهُنَآ
यहाँ हैं
āminīna
ءَامِنِينَ
अमन से रहने वाले
क्या तुम यहाँ जो कुछ है उसके बीच, निश्चिन्त छोड़ दिए जाओगे, ([२६] अस-शुआरा: 146)
Tafseer (तफ़सीर )
१४७

فِيْ جَنّٰتٍ وَّعُيُوْنٍ ۙ ١٤٧

فِى
बाग़ों में
jannātin
جَنَّٰتٍ
बाग़ों में
waʿuyūnin
وَعُيُونٍ
और चश्मों
बाग़ों और स्रोतों ([२६] अस-शुआरा: 147)
Tafseer (तफ़सीर )
१४८

وَّزُرُوْعٍ وَّنَخْلٍ طَلْعُهَا هَضِيْمٌ ۚ ١٤٨

wazurūʿin
وَزُرُوعٍ
और खेतों में
wanakhlin
وَنَخْلٍ
और खजूर के दरख़्त
ṭalʿuhā
طَلْعُهَا
ख़ोशे उनके
haḍīmun
هَضِيمٌ
नर्म व नाज़ुक
और खेतों और उन खजूरों में जिनके गुच्छे तरो ताज़ा और गुँथे हुए है? ([२६] अस-शुआरा: 148)
Tafseer (तफ़सीर )
१४९

وَتَنْحِتُوْنَ مِنَ الْجِبَالِ بُيُوْتًا فٰرِهِيْنَ ١٤٩

watanḥitūna
وَتَنْحِتُونَ
और तुम तराश्ते हो
mina
مِنَ
पहाड़ों में से
l-jibāli
ٱلْجِبَالِ
पहाड़ों में से
buyūtan
بُيُوتًا
घरों को
fārihīna
فَٰرِهِينَ
ख़ूब माहिर बनकर
तुम पहाड़ों को काट-काटकर इतराते हुए घर बनाते हो? ([२६] अस-शुआरा: 149)
Tafseer (तफ़सीर )
१५०

فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَطِيْعُوْنِ ۚ ١٥٠

fa-ittaqū
فَٱتَّقُوا۟
पस डरो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
wa-aṭīʿūni
وَأَطِيعُونِ
और इताअत करो मेरी
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो ([२६] अस-शुआरा: 150)
Tafseer (तफ़सीर )