१३१
فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَطِيْعُوْنِۚ ١٣١
- fa-ittaqū
- فَٱتَّقُوا۟
- पस डरो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- wa-aṭīʿūni
- وَأَطِيعُونِ
- और इताअत करो मेरी
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो ([२६] अस-शुआरा: 131)Tafseer (तफ़सीर )
१३२
وَاتَّقُوا الَّذِيْٓ اَمَدَّكُمْ بِمَا تَعْلَمُوْنَ ۚ ١٣٢
- wa-ittaqū
- وَٱتَّقُوا۟
- और डरो
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- उससे जिस ने
- amaddakum
- أَمَدَّكُم
- मदद की तुम्हारी
- bimā
- بِمَا
- साथ उसके जो
- taʿlamūna
- تَعْلَمُونَ
- तुम जानते हो
उसका डर रखो जिसने तुम्हें वे चीज़े पहुँचाई जिनको तुम जानते हो ([२६] अस-शुआरा: 132)Tafseer (तफ़सीर )
१३३
اَمَدَّكُمْ بِاَنْعَامٍ وَّبَنِيْنَۙ ١٣٣
- amaddakum
- أَمَدَّكُم
- उसने मदद की तुम्हारी
- bi-anʿāmin
- بِأَنْعَٰمٍ
- साथ मवेशियों
- wabanīna
- وَبَنِينَ
- और बेटों के
उसने तुम्हारी सहायता की चौपायों और बेटों से, ([२६] अस-शुआरा: 133)Tafseer (तफ़सीर )
१३४
وَجَنّٰتٍ وَّعُيُوْنٍۚ ١٣٤
- wajannātin
- وَجَنَّٰتٍ
- और बाग़ों
- waʿuyūnin
- وَعُيُونٍ
- और चश्मों के
और बाग़ो और स्रोतो से ([२६] अस-शुआरा: 134)Tafseer (तफ़सीर )
१३५
اِنِّيْٓ اَخَافُ عَلَيْكُمْ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيْمٍ ۗ ١٣٥
- innī
- إِنِّىٓ
- बेशक मैं
- akhāfu
- أَخَافُ
- मैं डरता हूँ
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- ʿadhāba
- عَذَابَ
- अज़ाब से
- yawmin
- يَوْمٍ
- बड़े दिन के
- ʿaẓīmin
- عَظِيمٍ
- बड़े दिन के
निश्चय ही मुझे तुम्हारे बारे में एक बड़े दिन की यातना का भय है।' ([२६] अस-शुआरा: 135)Tafseer (तफ़सीर )
१३६
قَالُوْا سَوَاۤءٌ عَلَيْنَآ اَوَعَظْتَ اَمْ لَمْ تَكُنْ مِّنَ الْوَاعِظِيْنَ ۙ ١٣٦
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- sawāon
- سَوَآءٌ
- बराबर है
- ʿalaynā
- عَلَيْنَآ
- हम पर
- awaʿaẓta
- أَوَعَظْتَ
- ख़्वाह नसीहत करे तू
- am
- أَمْ
- या
- lam
- لَمْ
- ना
- takun
- تَكُن
- तू हो
- mina
- مِّنَ
- नसीहत करने वालों में से
- l-wāʿiẓīna
- ٱلْوَٰعِظِينَ
- नसीहत करने वालों में से
उन्होंने कहा, 'हमारे लिए बराबर है चाहे तुम नसीहत करो या नसीहत करने वाले न बनो। ([२६] अस-शुआरा: 136)Tafseer (तफ़सीर )
१३७
اِنْ هٰذَآ اِلَّا خُلُقُ الْاَوَّلِيْنَ ۙ ١٣٧
- in
- إِنْ
- नहीं है
- hādhā
- هَٰذَآ
- ये
- illā
- إِلَّا
- मगर
- khuluqu
- خُلُقُ
- आदत
- l-awalīna
- ٱلْأَوَّلِينَ
- पहलों की
यह तो बस पहले लोगों की पुरानी आदत है ([२६] अस-शुआरा: 137)Tafseer (तफ़सीर )
१३८
وَمَا نَحْنُ بِمُعَذَّبِيْنَ ۚ ١٣٨
- wamā
- وَمَا
- और नहीं हैं
- naḥnu
- نَحْنُ
- हम
- bimuʿadhabīna
- بِمُعَذَّبِينَ
- अज़ाब दिए जाने वाले
और हमें कदापि यातना न दी जाएगी।' ([२६] अस-शुआरा: 138)Tafseer (तफ़सीर )
१३९
فَكَذَّبُوْهُ فَاَهْلَكْنٰهُمْۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيَةً ۗوَمَا كَانَ اَكْثَرُهُمْ مُّؤْمِنِيْنَ ١٣٩
- fakadhabūhu
- فَكَذَّبُوهُ
- तो उन्होंने झुठलाया उसे
- fa-ahlaknāhum
- فَأَهْلَكْنَٰهُمْۗ
- फिर हलाक कर दिया हमने उन्हें
- inna
- إِنَّ
- यक़ीनन
- fī
- فِى
- इस में
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- इस में
- laāyatan
- لَءَايَةًۖ
- अलबत्ता एक निशानी है
- wamā
- وَمَا
- और ना
- kāna
- كَانَ
- थे
- aktharuhum
- أَكْثَرُهُم
- अक्सर उनके
- mu'minīna
- مُّؤْمِنِينَ
- ईमान लाने वाले
अन्ततः उन्होंने उन्हें झुठला दिया जो हमने उनको विनष्ट कर दिया। बेशक इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं ([२६] अस-शुआरा: 139)Tafseer (तफ़सीर )
१४०
وَاِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيْزُ الرَّحِيْمُ ࣖ ١٤٠
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- rabbaka
- رَبَّكَ
- रब आपका
- lahuwa
- لَهُوَ
- अलबत्ता वो
- l-ʿazīzu
- ٱلْعَزِيزُ
- बहुत ज़बरदस्त है
- l-raḥīmu
- ٱلرَّحِيمُ
- निहायत रहम करने वाला है
और बेशक तुम्हारा रब ही है, जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है ([२६] अस-शुआरा: 140)Tafseer (तफ़सीर )