Skip to content

सूरा अस-शुआरा - Page: 12

Ash-Shu'ara

(कवि, शायर)

१११

۞ قَالُوْٓا اَنُؤْمِنُ لَكَ وَاتَّبَعَكَ الْاَرْذَلُوْنَ ۗ ١١١

qālū
قَالُوٓا۟
उन्होंने कहा
anu'minu
أَنُؤْمِنُ
क्या हम ईमान लाऐं
laka
لَكَ
तुझ पर
wa-ittabaʿaka
وَٱتَّبَعَكَ
जबकि पैरवी की है तेरी
l-ardhalūna
ٱلْأَرْذَلُونَ
रज़ील / हक़ीर लोगों ने
उन्होंने कहा, 'क्या हम तेरी बात मान लें, जबकि तेरे पीछे तो अत्यन्त नीच लोग चल रहे है?' ([२६] अस-शुआरा: 111)
Tafseer (तफ़सीर )
११२

قَالَ وَمَا عِلْمِيْ بِمَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ۚ ١١٢

qāla
قَالَ
उसने कहा
wamā
وَمَا
और क्या है
ʿil'mī
عِلْمِى
इल्म मेरा
bimā
بِمَا
इसके बारे में जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते रहते
उसने कहा, 'मुझे क्या मालूम कि वे क्या करते रहे है? ([२६] अस-शुआरा: 112)
Tafseer (तफ़सीर )
११३

اِنْ حِسَابُهُمْ اِلَّا عَلٰى رَبِّيْ لَوْ تَشْعُرُوْنَ ۚ ١١٣

in
إِنْ
नहीं
ḥisābuhum
حِسَابُهُمْ
हिसाब उनका
illā
إِلَّا
मगर
ʿalā
عَلَىٰ
मेरे रब के ज़िम्मे
rabbī
رَبِّىۖ
मेरे रब के ज़िम्मे
law
لَوْ
काश
tashʿurūna
تَشْعُرُونَ
तुम शऊर रखते
उनका हिसाब तो बस मेरे रब के ज़िम्मे है। क्या ही अच्छा होता कि तुममें चेतना होती। ([२६] अस-शुआरा: 113)
Tafseer (तफ़सीर )
११४

وَمَآ اَنَا۠ بِطَارِدِ الْمُؤْمِنِيْنَ ۚ ١١٤

wamā
وَمَآ
और नहीं हूँ
anā
أَنَا۠
मैं
biṭāridi
بِطَارِدِ
धुतकारने वाला
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
ईमान वालों को
और मैं ईमानवालों को धुत्कारनेवाला नहीं हूँ। ([२६] अस-शुआरा: 114)
Tafseer (तफ़सीर )
११५

اِنْ اَنَا۠ اِلَّا نَذِيْرٌ مُّبِيْنٌ ۗ ١١٥

in
إِنْ
नहीं हूँ
anā
أَنَا۠
मैं
illā
إِلَّا
मगर
nadhīrun
نَذِيرٌ
डराने वाला
mubīnun
مُّبِينٌ
खुल्लम-खुल्ला
मैं तो बस स्पष्ट रूप से एक सावधान करनेवाला हूँ।' ([२६] अस-शुआरा: 115)
Tafseer (तफ़सीर )
११६

قَالُوْا لَىِٕنْ لَّمْ تَنْتَهِ يٰنُوْحُ لَتَكُوْنَنَّ مِنَ الْمَرْجُوْمِيْنَۗ ١١٦

qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
la-in
لَئِن
अलबत्ता अगर
lam
لَّمْ
ना
tantahi
تَنتَهِ
तू बाज़ आया
yānūḥu
يَٰنُوحُ
ऐ नूह
latakūnanna
لَتَكُونَنَّ
अलबत्ता तू ज़रूर होगा
mina
مِنَ
संगसार किए जाने वालों में से
l-marjūmīna
ٱلْمَرْجُومِينَ
संगसार किए जाने वालों में से
उन्होंने कहा, 'यदि तू बाज़ न आया ऐ नूह, तो तू संगसार होकर रहेगा।' ([२६] अस-शुआरा: 116)
Tafseer (तफ़सीर )
११७

قَالَ رَبِّ اِنَّ قَوْمِيْ كَذَّبُوْنِۖ ١١٧

qāla
قَالَ
कहा
rabbi
رَبِّ
ऐ मेरे रब
inna
إِنَّ
बेशक
qawmī
قَوْمِى
मेरी क़ौम ने
kadhabūni
كَذَّبُونِ
झुठलाया है मुझे
उसने कहा, 'ऐ मेरे रब! मेरी क़ौम के लोगों ने तो मुझे झुठला दिया ([२६] अस-शुआरा: 117)
Tafseer (तफ़सीर )
११८

فَافْتَحْ بَيْنِيْ وَبَيْنَهُمْ فَتْحًا وَّنَجِّنِيْ وَمَنْ مَّعِيَ مِنَ الْمُؤْمِنِيْنَ ١١٨

fa-if'taḥ
فَٱفْتَحْ
पस फ़ैसला कर दे
baynī
بَيْنِى
दर्मियान मेरे
wabaynahum
وَبَيْنَهُمْ
और दर्मियान उनके
fatḥan
فَتْحًا
(हतमी)फ़ैसला
wanajjinī
وَنَجِّنِى
और निजात दे मुझे
waman
وَمَن
और उनको जो
maʿiya
مَّعِىَ
मेरे साथ हैं
mina
مِنَ
ईमान लाने वालों में से
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
ईमान लाने वालों में से
अब मेरे और उनके बीच दो टूक फ़ैसला कर दे और मुझे और जो ईमानवाले मेरे साथ है, उन्हें बचा ले!' ([२६] अस-शुआरा: 118)
Tafseer (तफ़सीर )
११९

فَاَنْجَيْنٰهُ وَمَنْ مَّعَهٗ فِى الْفُلْكِ الْمَشْحُوْنِ ١١٩

fa-anjaynāhu
فَأَنجَيْنَٰهُ
तो निजात दी हमने उसे
waman
وَمَن
और उनको जो
maʿahu
مَّعَهُۥ
उसके साथ थे
فِى
कश्ती में
l-ful'ki
ٱلْفُلْكِ
कश्ती में
l-mashḥūni
ٱلْمَشْحُونِ
जो भरी हुई थी
अतः हमने उसे और जो उसके साथ भरी हुई नौका में थे बचा लिया ([२६] अस-शुआरा: 119)
Tafseer (तफ़सीर )
१२०

ثُمَّ اَغْرَقْنَا بَعْدُ الْبٰقِيْنَ ١٢٠

thumma
ثُمَّ
फिर
aghraqnā
أَغْرَقْنَا
ग़र्क़ कर दिया हमने
baʿdu
بَعْدُ
उसके बाद
l-bāqīna
ٱلْبَاقِينَ
बाक़ी रहने वालों को
और उसके पश्चात शेष लोगों को डूबो दिया ([२६] अस-शुआरा: 120)
Tafseer (तफ़सीर )