१११
۞ قَالُوْٓا اَنُؤْمِنُ لَكَ وَاتَّبَعَكَ الْاَرْذَلُوْنَ ۗ ١١١
- qālū
- قَالُوٓا۟
- उन्होंने कहा
- anu'minu
- أَنُؤْمِنُ
- क्या हम ईमान लाऐं
- laka
- لَكَ
- तुझ पर
- wa-ittabaʿaka
- وَٱتَّبَعَكَ
- जबकि पैरवी की है तेरी
- l-ardhalūna
- ٱلْأَرْذَلُونَ
- रज़ील / हक़ीर लोगों ने
उन्होंने कहा, 'क्या हम तेरी बात मान लें, जबकि तेरे पीछे तो अत्यन्त नीच लोग चल रहे है?' ([२६] अस-शुआरा: 111)Tafseer (तफ़सीर )
११२
قَالَ وَمَا عِلْمِيْ بِمَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ۚ ١١٢
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- wamā
- وَمَا
- और क्या है
- ʿil'mī
- عِلْمِى
- इल्म मेरा
- bimā
- بِمَا
- इसके बारे में जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- वो अमल करते रहते
उसने कहा, 'मुझे क्या मालूम कि वे क्या करते रहे है? ([२६] अस-शुआरा: 112)Tafseer (तफ़सीर )
११३
اِنْ حِسَابُهُمْ اِلَّا عَلٰى رَبِّيْ لَوْ تَشْعُرُوْنَ ۚ ١١٣
- in
- إِنْ
- नहीं
- ḥisābuhum
- حِسَابُهُمْ
- हिसाब उनका
- illā
- إِلَّا
- मगर
- ʿalā
- عَلَىٰ
- मेरे रब के ज़िम्मे
- rabbī
- رَبِّىۖ
- मेरे रब के ज़िम्मे
- law
- لَوْ
- काश
- tashʿurūna
- تَشْعُرُونَ
- तुम शऊर रखते
उनका हिसाब तो बस मेरे रब के ज़िम्मे है। क्या ही अच्छा होता कि तुममें चेतना होती। ([२६] अस-शुआरा: 113)Tafseer (तफ़सीर )
११४
وَمَآ اَنَا۠ بِطَارِدِ الْمُؤْمِنِيْنَ ۚ ١١٤
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं हूँ
- anā
- أَنَا۠
- मैं
- biṭāridi
- بِطَارِدِ
- धुतकारने वाला
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- ईमान वालों को
और मैं ईमानवालों को धुत्कारनेवाला नहीं हूँ। ([२६] अस-शुआरा: 114)Tafseer (तफ़सीर )
११५
اِنْ اَنَا۠ اِلَّا نَذِيْرٌ مُّبِيْنٌ ۗ ١١٥
- in
- إِنْ
- नहीं हूँ
- anā
- أَنَا۠
- मैं
- illā
- إِلَّا
- मगर
- nadhīrun
- نَذِيرٌ
- डराने वाला
- mubīnun
- مُّبِينٌ
- खुल्लम-खुल्ला
मैं तो बस स्पष्ट रूप से एक सावधान करनेवाला हूँ।' ([२६] अस-शुआरा: 115)Tafseer (तफ़सीर )
११६
قَالُوْا لَىِٕنْ لَّمْ تَنْتَهِ يٰنُوْحُ لَتَكُوْنَنَّ مِنَ الْمَرْجُوْمِيْنَۗ ١١٦
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- la-in
- لَئِن
- अलबत्ता अगर
- lam
- لَّمْ
- ना
- tantahi
- تَنتَهِ
- तू बाज़ आया
- yānūḥu
- يَٰنُوحُ
- ऐ नूह
- latakūnanna
- لَتَكُونَنَّ
- अलबत्ता तू ज़रूर होगा
- mina
- مِنَ
- संगसार किए जाने वालों में से
- l-marjūmīna
- ٱلْمَرْجُومِينَ
- संगसार किए जाने वालों में से
उन्होंने कहा, 'यदि तू बाज़ न आया ऐ नूह, तो तू संगसार होकर रहेगा।' ([२६] अस-शुआरा: 116)Tafseer (तफ़सीर )
११७
قَالَ رَبِّ اِنَّ قَوْمِيْ كَذَّبُوْنِۖ ١١٧
- qāla
- قَالَ
- कहा
- rabbi
- رَبِّ
- ऐ मेरे रब
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- qawmī
- قَوْمِى
- मेरी क़ौम ने
- kadhabūni
- كَذَّبُونِ
- झुठलाया है मुझे
उसने कहा, 'ऐ मेरे रब! मेरी क़ौम के लोगों ने तो मुझे झुठला दिया ([२६] अस-शुआरा: 117)Tafseer (तफ़सीर )
११८
فَافْتَحْ بَيْنِيْ وَبَيْنَهُمْ فَتْحًا وَّنَجِّنِيْ وَمَنْ مَّعِيَ مِنَ الْمُؤْمِنِيْنَ ١١٨
- fa-if'taḥ
- فَٱفْتَحْ
- पस फ़ैसला कर दे
- baynī
- بَيْنِى
- दर्मियान मेरे
- wabaynahum
- وَبَيْنَهُمْ
- और दर्मियान उनके
- fatḥan
- فَتْحًا
- (हतमी)फ़ैसला
- wanajjinī
- وَنَجِّنِى
- और निजात दे मुझे
- waman
- وَمَن
- और उनको जो
- maʿiya
- مَّعِىَ
- मेरे साथ हैं
- mina
- مِنَ
- ईमान लाने वालों में से
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- ईमान लाने वालों में से
अब मेरे और उनके बीच दो टूक फ़ैसला कर दे और मुझे और जो ईमानवाले मेरे साथ है, उन्हें बचा ले!' ([२६] अस-शुआरा: 118)Tafseer (तफ़सीर )
११९
فَاَنْجَيْنٰهُ وَمَنْ مَّعَهٗ فِى الْفُلْكِ الْمَشْحُوْنِ ١١٩
- fa-anjaynāhu
- فَأَنجَيْنَٰهُ
- तो निजात दी हमने उसे
- waman
- وَمَن
- और उनको जो
- maʿahu
- مَّعَهُۥ
- उसके साथ थे
- fī
- فِى
- कश्ती में
- l-ful'ki
- ٱلْفُلْكِ
- कश्ती में
- l-mashḥūni
- ٱلْمَشْحُونِ
- जो भरी हुई थी
अतः हमने उसे और जो उसके साथ भरी हुई नौका में थे बचा लिया ([२६] अस-शुआरा: 119)Tafseer (तफ़सीर )
१२०
ثُمَّ اَغْرَقْنَا بَعْدُ الْبٰقِيْنَ ١٢٠
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- aghraqnā
- أَغْرَقْنَا
- ग़र्क़ कर दिया हमने
- baʿdu
- بَعْدُ
- उसके बाद
- l-bāqīna
- ٱلْبَاقِينَ
- बाक़ी रहने वालों को
और उसके पश्चात शेष लोगों को डूबो दिया ([२६] अस-शुआरा: 120)Tafseer (तफ़सीर )