१०१
وَلَا صَدِيْقٍ حَمِيْمٍ ١٠١
- walā
- وَلَا
- और ना
- ṣadīqin
- صَدِيقٍ
- कोई दोस्त
- ḥamīmin
- حَمِيمٍ
- गहरा
और न घनिष्ट मित्र ([२६] अस-शुआरा: 101)Tafseer (तफ़सीर )
१०२
فَلَوْ اَنَّ لَنَا كَرَّةً فَنَكُوْنَ مِنَ الْمُؤْمِنِيْنَ ١٠٢
- falaw
- فَلَوْ
- पस काश
- anna
- أَنَّ
- ये कि (होता)
- lanā
- لَنَا
- हमारे लिए
- karratan
- كَرَّةً
- एक बार पलटना
- fanakūna
- فَنَكُونَ
- तो हम होते
- mina
- مِنَ
- ईमान लाने वालों में से
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- ईमान लाने वालों में से
क्या ही अच्छा होता कि हमें एक बार फिर पलटना होता, तो हम मोमिनों में से हो जाते!' ([२६] अस-शुआरा: 102)Tafseer (तफ़सीर )
१०३
اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيَةً ۗوَمَا كَانَ اَكْثَرُهُمْ مُّؤْمِنِيْنَ ١٠٣
- inna
- إِنَّ
- यक़ीनन
- fī
- فِى
- इसमें
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- इसमें
- laāyatan
- لَءَايَةًۖ
- अलबत्ता एक निशानी है
- wamā
- وَمَا
- और ना
- kāna
- كَانَ
- थे
- aktharuhum
- أَكْثَرُهُم
- अक्सर उनके
- mu'minīna
- مُّؤْمِنِينَ
- ईमान लाने वाले
निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकरतर माननेवाले नहीं ([२६] अस-शुआरा: 103)Tafseer (तफ़सीर )
१०४
وَاِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيْزُ الرَّحِيْمُ ࣖ ١٠٤
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- rabbaka
- رَبَّكَ
- रब आपका
- lahuwa
- لَهُوَ
- अलबत्ता वो
- l-ʿazīzu
- ٱلْعَزِيزُ
- बहुत ज़बरदस्त है
- l-raḥīmu
- ٱلرَّحِيمُ
- निहायत रहम करने वाला है
और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है ([२६] अस-शुआरा: 104)Tafseer (तफ़सीर )
१०५
كَذَّبَتْ قَوْمُ نُوْحِ ِۨالْمُرْسَلِيْنَ ۚ ١٠٥
- kadhabat
- كَذَّبَتْ
- झुठलाया
- qawmu
- قَوْمُ
- क़ौमे
- nūḥin
- نُوحٍ
- नूह ने
- l-mur'salīna
- ٱلْمُرْسَلِينَ
- रसूलों को
नूह की क़ौम ने रसूलों को झुठलाया; ([२६] अस-शुआरा: 105)Tafseer (तफ़सीर )
१०६
اِذْ قَالَ لَهُمْ اَخُوْهُمْ نُوْحٌ اَلَا تَتَّقُوْنَ ۚ ١٠٦
- idh
- إِذْ
- जब
- qāla
- قَالَ
- कहा
- lahum
- لَهُمْ
- उन्हें
- akhūhum
- أَخُوهُمْ
- उनके भाई
- nūḥun
- نُوحٌ
- नूह ने
- alā
- أَلَا
- क्या नहीं
- tattaqūna
- تَتَّقُونَ
- तुम डरते
जबकि उनसे उनके भाई नूह ने कहा, 'क्या तुम डर नहीं रखते? ([२६] अस-शुआरा: 106)Tafseer (तफ़सीर )
१०७
اِنِّيْ لَكُمْ رَسُوْلٌ اَمِيْنٌ ۙ ١٠٧
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- rasūlun
- رَسُولٌ
- रसूल हूँ
- amīnun
- أَمِينٌ
- अमानतदार
निस्संदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ ([२६] अस-शुआरा: 107)Tafseer (तफ़सीर )
१०८
فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَطِيْعُوْنِۚ ١٠٨
- fa-ittaqū
- فَٱتَّقُوا۟
- पस डरो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- wa-aṭīʿūni
- وَأَطِيعُونِ
- और इताअत करो मेरी
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरा कहा मानो ([२६] अस-शुआरा: 108)Tafseer (तफ़सीर )
१०९
وَمَآ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ اَجْرٍۚ اِنْ اَجْرِيَ اِلَّا عَلٰى رَبِّ الْعٰلَمِيْنَ ۚ ١٠٩
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- asalukum
- أَسْـَٔلُكُمْ
- मैं सवाल करता तुमसे
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- इस पर
- min
- مِنْ
- किसी अजर का
- ajrin
- أَجْرٍۖ
- किसी अजर का
- in
- إِنْ
- नहीं
- ajriya
- أَجْرِىَ
- अजर मेरा
- illā
- إِلَّا
- मगर
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- rabbi
- رَبِّ
- रब्बुल
- l-ʿālamīna
- ٱلْعَٰلَمِينَ
- आलमीन के
मैं इस काम के बदले तुमसे कोई बदला नहीं माँगता। मेरा बदला तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है ([२६] अस-शुआरा: 109)Tafseer (तफ़सीर )
११०
فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَطِيْعُوْنِ ١١٠
- fa-ittaqū
- فَٱتَّقُوا۟
- पस डरो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- wa-aṭīʿūni
- وَأَطِيعُونِ
- और इताअत करो मेरी
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो।' ([२६] अस-शुआरा: 110)Tafseer (तफ़सीर )