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सूरा अस-शुआरा - Page: 10

Ash-Shu'ara

(कवि, शायर)

९१

وَبُرِّزَتِ الْجَحِيْمُ لِلْغٰوِيْنَ ۙ ٩١

waburrizati
وَبُرِّزَتِ
और ज़ाहिर कर दी जाएगी
l-jaḥīmu
ٱلْجَحِيمُ
जहन्नम
lil'ghāwīna
لِلْغَاوِينَ
गुमराहों के लिए
और भडकती आग पथभ्रष्टि लोगों के लिए प्रकट कर दी जाएगी ([२६] अस-शुआरा: 91)
Tafseer (तफ़सीर )
९२

وَقِيْلَ لَهُمْ اَيْنَ مَا كُنْتُمْ تَعْبُدُوْنَ ۙ ٩٢

waqīla
وَقِيلَ
और कहा जाएगा
lahum
لَهُمْ
उन्हें
ayna
أَيْنَ
कहाँ हैं जिनकी
مَا
कहाँ हैं जिनकी
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
taʿbudūna
تَعْبُدُونَ
तुम इबादत करते
और उनसे कहा जाएगा, 'कहाँ है वे जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पूजते रहे हो? ([२६] अस-शुआरा: 92)
Tafseer (तफ़सीर )
९३

مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ ۗهَلْ يَنْصُرُوْنَكُمْ اَوْ يَنْتَصِرُوْنَ ۗ ٩٣

min
مِن
सिवाए
dūni
دُونِ
सिवाए
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
hal
هَلْ
क्या
yanṣurūnakum
يَنصُرُونَكُمْ
वो मदद कर सकते हैं तुम्हारी
aw
أَوْ
या
yantaṣirūna
يَنتَصِرُونَ
वो बदला ले सकते हैं
क्या वे तुम्हारी कुछ सहायता कर रहे है या अपना ही बचाव कर सकते है?' ([२६] अस-शुआरा: 93)
Tafseer (तफ़सीर )
९४

فَكُبْكِبُوْا فِيْهَا هُمْ وَالْغَاوٗنَ ۙ ٩٤

fakub'kibū
فَكُبْكِبُوا۟
तो वो औंधे मुँह गिराए जाऐंगे
fīhā
فِيهَا
उसमें
hum
هُمْ
वो
wal-ghāwūna
وَٱلْغَاوُۥنَ
और बहके हुए लोग
फिर वे उसमें औंधे झोक दिए जाएँगे, वे और बहके हुए लोग ([२६] अस-शुआरा: 94)
Tafseer (तफ़सीर )
९५

وَجُنُوْدُ اِبْلِيْسَ اَجْمَعُوْنَ ۗ ٩٥

wajunūdu
وَجُنُودُ
और लश्कर
ib'līsa
إِبْلِيسَ
इब्लीस के
ajmaʿūna
أَجْمَعُونَ
सब के सब
और इबलीस की सेनाएँ, सबके सब। ([२६] अस-शुआरा: 95)
Tafseer (तफ़सीर )
९६

قَالُوْا وَهُمْ فِيْهَا يَخْتَصِمُوْنَ ٩٦

qālū
قَالُوا۟
वो कहेंगे
wahum
وَهُمْ
जबकि वो
fīhā
فِيهَا
उसमें
yakhtaṣimūna
يَخْتَصِمُونَ
वो झगड़ रहे होंगे
वे वहाँ आपस में झगड़ते हुए कहेंगे, ([२६] अस-शुआरा: 96)
Tafseer (तफ़सीर )
९७

تَاللّٰهِ اِنْ كُنَّا لَفِيْ ضَلٰلٍ مُّبِيْنٍ ۙ ٩٧

tal-lahi
تَٱللَّهِ
क़सम अल्लाह की
in
إِن
बेशक
kunnā
كُنَّا
थे हम
lafī
لَفِى
अलबत्ता गुमराही में
ḍalālin
ضَلَٰلٍ
अलबत्ता गुमराही में
mubīnin
مُّبِينٍ
खुली-खुली
'अल्लाह की क़सम! निश्चय ही हम खुली गुमराही में थे ([२६] अस-शुआरा: 97)
Tafseer (तफ़सीर )
९८

اِذْ نُسَوِّيْكُمْ بِرَبِّ الْعٰلَمِيْنَ ٩٨

idh
إِذْ
जब
nusawwīkum
نُسَوِّيكُم
हम बराबर ठहरा रहे थे तुम्हें
birabbi
بِرَبِّ
साथ रब्बुल
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
आलमीन के
जबकि हम तुम्हें सारे संसार के रब के बराबर ठहरा रहे थे ([२६] अस-शुआरा: 98)
Tafseer (तफ़सीर )
९९

وَمَآ اَضَلَّنَآ اِلَّا الْمُجْرِمُوْنَ ٩٩

wamā
وَمَآ
और नहीं
aḍallanā
أَضَلَّنَآ
गुमराह किया हमें
illā
إِلَّا
मगर
l-muj'rimūna
ٱلْمُجْرِمُونَ
मुजरिमों ने
और हमें तो बस उन अपराधियों ने ही पथभ्रष्ट किया ([२६] अस-शुआरा: 99)
Tafseer (तफ़सीर )
१००

فَمَا لَنَا مِنْ شَافِعِيْنَ ۙ ١٠٠

famā
فَمَا
तो नहीं
lanā
لَنَا
हमारे लिए
min
مِن
कोई सिफ़ारिशियों में से
shāfiʿīna
شَٰفِعِينَ
कोई सिफ़ारिशियों में से
अब न हमारा कोई सिफ़ारिशी है, ([२६] अस-शुआरा: 100)
Tafseer (तफ़सीर )