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सूरा अस-शुआरा - शब्द द्वारा शब्द

Ash-Shu'ara

(कवि, शायर)

bismillaahirrahmaanirrahiim

طٰسۤمّۤ ١

tta-seen-meem
طسٓمٓ
ط س م
ता॰ सीन॰ मीम॰ ([२६] अस-शुआरा: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

تِلْكَ اٰيٰتُ الْكِتٰبِ الْمُبِيْنِ ٢

til'ka
تِلْكَ
ये
āyātu
ءَايَٰتُ
आयात हैं
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
वाज़ेह किताब की
l-mubīni
ٱلْمُبِينِ
वाज़ेह किताब की
ये स्पष्ट किताब की आयतें है ([२६] अस-शुआरा: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

لَعَلَّكَ بَاخِعٌ نَّفْسَكَ اَلَّا يَكُوْنُوْا مُؤْمِنِيْنَ ٣

laʿallaka
لَعَلَّكَ
शायद कि आप
bākhiʿun
بَٰخِعٌ
हलाक करने वाले हैं
nafsaka
نَّفْسَكَ
अपनी जान को
allā
أَلَّا
कि नहीं
yakūnū
يَكُونُوا۟
हैं वो
mu'minīna
مُؤْمِنِينَ
ईमान लाने वाले
शायद इसपर कि वे ईमान नहीं लाते, तुम अपने प्राण ही खो बैठोगे ([२६] अस-शुआरा: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

اِنْ نَّشَأْ نُنَزِّلْ عَلَيْهِمْ مِّنَ السَّمَاۤءِ اٰيَةً فَظَلَّتْ اَعْنَاقُهُمْ لَهَا خَاضِعِيْنَ ٤

in
إِن
अगर
nasha
نَّشَأْ
हम चाहें
nunazzil
نُنَزِّلْ
हम उतार दें
ʿalayhim
عَلَيْهِم
उन पर
mina
مِّنَ
आसमान से
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान से
āyatan
ءَايَةً
कोई निशानी
faẓallat
فَظَلَّتْ
तो हो जाऐं
aʿnāquhum
أَعْنَٰقُهُمْ
गर्दनें उनकी
lahā
لَهَا
उसके लिए
khāḍiʿīna
خَٰضِعِينَ
झुकने वाली
यदि हम चाहें तो उनपर आकाश से एक निशानी उतार दें। फिर उनकी गर्दनें उसके आगे झुकी रह जाएँ ([२६] अस-शुआरा: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

وَمَا يَأْتِيْهِمْ مِّنْ ذِكْرٍ مِّنَ الرَّحْمٰنِ مُحْدَثٍ اِلَّا كَانُوْا عَنْهُ مُعْرِضِيْنَ ٥

wamā
وَمَا
और नहीं
yatīhim
يَأْتِيهِم
आती उनके पास
min
مِّن
कोई नसीहत
dhik'rin
ذِكْرٍ
कोई नसीहत
mina
مِّنَ
रहमान की तरफ़ से
l-raḥmāni
ٱلرَّحْمَٰنِ
रहमान की तरफ़ से
muḥ'dathin
مُحْدَثٍ
नई
illā
إِلَّا
मगर
kānū
كَانُوا۟
वो होते हैं
ʿanhu
عَنْهُ
उससे
muʿ'riḍīna
مُعْرِضِينَ
ऐराज़ करने वाले
उनके पास रहमान की ओर से जो नवीन अनुस्मृति भी आती है, वे उससे मुँह फेर ही लेते है ([२६] अस-शुआरा: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

فَقَدْ كَذَّبُوْا فَسَيَأْتِيْهِمْ اَنْۢبـٰۤؤُا مَا كَانُوْا بِهٖ يَسْتَهْزِءُوْنَ ٦

faqad
فَقَدْ
पस तहक़ीक़
kadhabū
كَذَّبُوا۟
उन्होंने झुठला दिया
fasayatīhim
فَسَيَأْتِيهِمْ
तो अनक़रीब आऐंगी उनके पास
anbāu
أَنۢبَٰٓؤُا۟
ख़बरें
مَا
उसकी जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
bihi
بِهِۦ
उसका
yastahziūna
يَسْتَهْزِءُونَ
वो मज़ाक़ उड़ाते
अब जबकि वे झुठला चुके है, तो शीघ्र ही उन्हें उसकी हक़ीकत मालूम हो जाएगी, जिसका वे मज़ाक़ उड़ाते रहे है ([२६] अस-शुआरा: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

اَوَلَمْ يَرَوْا اِلَى الْاَرْضِ كَمْ اَنْۢبَتْنَا فِيْهَا مِنْ كُلِّ زَوْجٍ كَرِيْمٍ ٧

awalam
أَوَلَمْ
क्या भला नहीं
yaraw
يَرَوْا۟
उन्होंने देखा
ilā
إِلَى
तरफ़ ज़मीन के
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
तरफ़ ज़मीन के
kam
كَمْ
कितने ही
anbatnā
أَنۢبَتْنَا
उगाए हमने
fīhā
فِيهَا
उसमें
min
مِن
हर क़िस्म के
kulli
كُلِّ
हर क़िस्म के
zawjin
زَوْجٍ
जोड़े
karīmin
كَرِيمٍ
उमदा
क्या उन्होंने धरती को नहीं देखा कि हमने उसमें कितने ही प्रकार की उमदा चीज़ें पैदा की है? ([२६] अस-शुआरा: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيَةًۗ وَمَا كَانَ اَكْثَرُهُمْ مُّؤْمِنِيْنَ ٨

inna
إِنَّ
बेशक
فِى
इसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
इसमें
laāyatan
لَءَايَةًۖ
अलबत्ता एक निशानी है
wamā
وَمَا
और नहीं
kāna
كَانَ
हैं
aktharuhum
أَكْثَرُهُم
अक्सर उनके
mu'minīna
مُّؤْمِنِينَ
ईमान लाने वाले
निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है, इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं ([२६] अस-शुआरा: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

وَاِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيْزُ الرَّحِيْمُ ࣖ ٩

wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
rabbaka
رَبَّكَ
रब आपका
lahuwa
لَهُوَ
अलबत्ता वो
l-ʿazīzu
ٱلْعَزِيزُ
बहुत ज़बरदस्त है
l-raḥīmu
ٱلرَّحِيمُ
निहायत रहम करने वाला है
और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है ([२६] अस-शुआरा: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

وَاِذْ نَادٰى رَبُّكَ مُوْسٰٓى اَنِ ائْتِ الْقَوْمَ الظّٰلِمِيْنَ ۙ ١٠

wa-idh
وَإِذْ
और जब
nādā
نَادَىٰ
पुकारा
rabbuka
رَبُّكَ
आपके रब ने
mūsā
مُوسَىٰٓ
मूसा को
ani
أَنِ
कि
i'ti
ٱئْتِ
आओ
l-qawma
ٱلْقَوْمَ
उन लोगों की तरफ़
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
जो ज़ालिम हैं
और जबकि तुम्हारे रह ने मूसा को पुकारा कि 'ज़ालिम लोगों के पास जा - ([२६] अस-शुआरा: 10)
Tafseer (तफ़सीर )