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सूरा अल-फुरकान - Page: 4

Al-Furqan

(मानक)

३१

وَكَذٰلِكَ جَعَلْنَا لِكُلِّ نَبِيٍّ عَدُوًّا مِّنَ الْمُجْرِمِيْنَۗ وَكَفٰى بِرَبِّكَ هَادِيًا وَّنَصِيْرًا ٣١

wakadhālika
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
jaʿalnā
جَعَلْنَا
बनाया हमने
likulli
لِكُلِّ
हर नबी के लिए
nabiyyin
نَبِىٍّ
हर नबी के लिए
ʿaduwwan
عَدُوًّا
दुश्मन
mina
مِّنَ
मुजरिमों में से
l-muj'rimīna
ٱلْمُجْرِمِينَۗ
मुजरिमों में से
wakafā
وَكَفَىٰ
और काफ़ी है
birabbika
بِرَبِّكَ
आपका रब
hādiyan
هَادِيًا
हिदायत देने वाला
wanaṣīran
وَنَصِيرًا
और मदद करने वाला
और इसी तरह हमने अपराधियों में से प्रत्यॆक नबी के लिये शत्रु बनाया। मार्गदर्शन और सहायता कॆ लिए तॊ तुम्हारा रब ही काफ़ी है। ([२५] अल-फुरकान: 31)
Tafseer (तफ़सीर )
३२

وَقَالَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا لَوْلَا نُزِّلَ عَلَيْهِ الْقُرْاٰنُ جُمْلَةً وَّاحِدَةً ۛ كَذٰلِكَ ۛ لِنُثَبِّتَ بِهٖ فُؤَادَكَ وَرَتَّلْنٰهُ تَرْتِيْلًا ٣٢

waqāla
وَقَالَ
और कहा
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
lawlā
لَوْلَا
क्यों नहीं
nuzzila
نُزِّلَ
नाज़िल किया गया
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर
l-qur'ānu
ٱلْقُرْءَانُ
क़ुरआन
jum'latan
جُمْلَةً
इकट्ठा
wāḥidatan
وَٰحِدَةًۚ
एक ही बार
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
linuthabbita
لِنُثَبِّتَ
ताकि हम मज़बूत कर दें
bihi
بِهِۦ
साथ इसके
fuādaka
فُؤَادَكَۖ
दिल आपका
warattalnāhu
وَرَتَّلْنَٰهُ
और ठहर-ठहर कर पढ़ा हमने उसे
tartīlan
تَرْتِيلًا
ठहर-ठहर कर पढ़ना
और जिन लोगों ने इनकार किया उनका कहना है कि 'उसपर पूरा क़ुरआन एक ही बार में क्यों नहीं उतारा?' ऐसा इसलिए किया गया ताकि हम इसके द्वारा तुम्हारे दिल को मज़बूत रखें और हमने इसे एक उचित क्रम में रखा ([२५] अल-फुरकान: 32)
Tafseer (तफ़सीर )
३३

وَلَا يَأْتُوْنَكَ بِمَثَلٍ اِلَّا جِئْنٰكَ بِالْحَقِّ وَاَحْسَنَ تَفْسِيْرًا ۗ ٣٣

walā
وَلَا
और नहीं
yatūnaka
يَأْتُونَكَ
वो लाते आपके पास
bimathalin
بِمَثَلٍ
कोई मिसाल
illā
إِلَّا
मगर
ji'nāka
جِئْنَٰكَ
लाते हैं हम आपके पास
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّ
हक़ को
wa-aḥsana
وَأَحْسَنَ
और बेहतरीन
tafsīran
تَفْسِيرًا
तफ़सीर/ वज़ाहत को
और जब कभी भी वे तुम्हारे पास कोई आक्षेप की बात लेकर आएँगे तो हम तुम्हारे पास पक्की-सच्ची चीज़ लेकर आएँगे! इस दशा में कि वह स्पष्टीतकरण की स्पष्ट से उत्तम है ([२५] अल-फुरकान: 33)
Tafseer (तफ़सीर )
३४

اَلَّذِيْنَ يُحْشَرُوْنَ عَلٰى وُجُوْهِهِمْ اِلٰى جَهَنَّمَۙ اُولٰۤىِٕكَ شَرٌّ مَّكَانًا وَّاَضَلُّ سَبِيْلًا ࣖ ٣٤

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
yuḥ'sharūna
يُحْشَرُونَ
इकट्ठे किए जाऐंगे
ʿalā
عَلَىٰ
अपने चेहरों के बल
wujūhihim
وُجُوهِهِمْ
अपने चेहरों के बल
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ जहन्नम के
jahannama
جَهَنَّمَ
तरफ़ जहन्नम के
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग
sharrun
شَرٌّ
बदतरीन हैं
makānan
مَّكَانًا
मक़ाम के ऐतबार से
wa-aḍallu
وَأَضَلُّ
और ज़्यादा भटके हुए
sabīlan
سَبِيلًا
रास्ते के ऐतबार से
जो लोग औंधे मुँह जहन्नम की ओर ले जाए जाएँगे वही स्थान की दृष्टि से बहुत बुरे है, और मार्ग की दृष्टि से भी बहुत भटके हुए है ([२५] अल-फुरकान: 34)
Tafseer (तफ़सीर )
३५

وَلَقَدْ اٰتَيْنَا مُوْسَى الْكِتٰبَ وَجَعَلْنَا مَعَهٗٓ اَخَاهُ هٰرُوْنَ وَزِيْرًا ۚ ٣٥

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
ātaynā
ءَاتَيْنَا
दी हमने
mūsā
مُوسَى
मूसा को
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
wajaʿalnā
وَجَعَلْنَا
और बनाया हमने
maʿahu
مَعَهُۥٓ
साथ उसके
akhāhu
أَخَاهُ
उसके भाई
hārūna
هَٰرُونَ
हारून को
wazīran
وَزِيرًا
मददगार
हमने मूसा को किताब प्रदान की और उसके भाई हारून को सहायक के रूप में उसके साथ किया ([२५] अल-फुरकान: 35)
Tafseer (तफ़सीर )
३६

فَقُلْنَا اذْهَبَآ اِلَى الْقَوْمِ الَّذِيْنَ كَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَاۗ فَدَمَّرْنٰهُمْ تَدْمِيْرًا ۗ ٣٦

faqul'nā
فَقُلْنَا
फिर कहा हमने
idh'habā
ٱذْهَبَآ
दोनों जाओ
ilā
إِلَى
तरफ़ उस क़ौम के
l-qawmi
ٱلْقَوْمِ
तरफ़ उस क़ौम के
alladhīna
ٱلَّذِينَ
जिन्होंने
kadhabū
كَذَّبُوا۟
झुठलाया
biāyātinā
بِـَٔايَٰتِنَا
हमारी आयात को
fadammarnāhum
فَدَمَّرْنَٰهُمْ
तो हलाक कर दिया हमने उन्हें
tadmīran
تَدْمِيرًا
हलाक करना
और कहा कि 'तुम दोनों उन लोगों के पास जाओ जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया है।' अन्ततः हमने उन लोगों को विनष्ट करके रख दिया ([२५] अल-फुरकान: 36)
Tafseer (तफ़सीर )
३७

وَقَوْمَ نُوْحٍ لَّمَّا كَذَّبُوا الرُّسُلَ اَغْرَقْنٰهُمْ وَجَعَلْنٰهُمْ لِلنَّاسِ اٰيَةًۗ وَاَعْتَدْنَا لِلظّٰلِمِيْنَ عَذَابًا اَلِيْمًا ۚ ٣٧

waqawma
وَقَوْمَ
और क़ौमे
nūḥin
نُوحٍ
नूह
lammā
لَّمَّا
जब
kadhabū
كَذَّبُوا۟
उन्होंने झुठलाया
l-rusula
ٱلرُّسُلَ
रसूलों को
aghraqnāhum
أَغْرَقْنَٰهُمْ
ग़र्क़ कर दिया हमने उन्हें
wajaʿalnāhum
وَجَعَلْنَٰهُمْ
और बना दिया हमने उन्हें
lilnnāsi
لِلنَّاسِ
लोगों के लिए
āyatan
ءَايَةًۖ
एक निशानी
wa-aʿtadnā
وَأَعْتَدْنَا
और तैयार कर रखा है हमने
lilẓẓālimīna
لِلظَّٰلِمِينَ
ज़लिमों के लिए
ʿadhāban
عَذَابًا
अज़ाब
alīman
أَلِيمًا
दर्दनाक
और नूह की क़ौम को भी, जब उन्होंने रसूलों को झुठलाया तो हमने उन्हें डुबा दिया और लोगों के लिए उन्हें एक निशानी बना दिया, और उन ज़ालिमों के लिए हमने एक दुखद यातना तैयार कर रखी है ([२५] अल-फुरकान: 37)
Tafseer (तफ़सीर )
३८

وَعَادًا وَّثَمُوْدَا۟ وَاَصْحٰبَ الرَّسِّ وَقُرُوْنًاۢ بَيْنَ ذٰلِكَ كَثِيْرًا ٣٨

waʿādan
وَعَادًا
और आद
wathamūdā
وَثَمُودَا۟
और समूद
wa-aṣḥāba
وَأَصْحَٰبَ
और कुएँ वाले
l-rasi
ٱلرَّسِّ
और कुएँ वाले
waqurūnan
وَقُرُونًۢا
और क़ौमें
bayna
بَيْنَ
दर्मियान उनके
dhālika
ذَٰلِكَ
दर्मियान उनके
kathīran
كَثِيرًا
बहुत सी
और आद और समूद और अर-रस्सवालों और उस बीच की बहुत-सी नस्लों को भी विनष्ट किया। ([२५] अल-फुरकान: 38)
Tafseer (तफ़सीर )
३९

وَكُلًّا ضَرَبْنَا لَهُ الْاَمْثَالَۖ وَكُلًّا تَبَّرْنَا تَتْبِيْرًا ٣٩

wakullan
وَكُلًّا
और हर एक को
ḍarabnā
ضَرَبْنَا
बयान कीं हमने
lahu
لَهُ
उसके लिए
l-amthāla
ٱلْأَمْثَٰلَۖ
मिसालें
wakullan
وَكُلًّا
और हर एक को
tabbarnā
تَبَّرْنَا
हलाक किया हमने
tatbīran
تَتْبِيرًا
हलाक करना
प्रत्येक के लिए हमने मिसालें बयान कीं। अन्ततः प्रत्येक को हमने पूरी तरह विध्वस्त कर दिया ([२५] अल-फुरकान: 39)
Tafseer (तफ़सीर )
४०

وَلَقَدْ اَتَوْا عَلَى الْقَرْيَةِ الَّتِيْٓ اُمْطِرَتْ مَطَرَ السَّوْءِۗ اَفَلَمْ يَكُوْنُوْا يَرَوْنَهَاۚ بَلْ كَانُوْا لَا يَرْجُوْنَ نُشُوْرًا ٤٠

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
ataw
أَتَوْا۟
वो आ चुके
ʿalā
عَلَى
उस बस्ती पर
l-qaryati
ٱلْقَرْيَةِ
उस बस्ती पर
allatī
ٱلَّتِىٓ
जिस पर
um'ṭirat
أُمْطِرَتْ
बरसाई गई थी
maṭara
مَطَرَ
बारिश
l-sawi
ٱلسَّوْءِۚ
बुरी
afalam
أَفَلَمْ
क्या भला नहीं
yakūnū
يَكُونُوا۟
थे वो
yarawnahā
يَرَوْنَهَاۚ
वो देखते उसे
bal
بَلْ
बल्कि
kānū
كَانُوا۟
थे वो
لَا
ना वो उम्मीद रखते
yarjūna
يَرْجُونَ
ना वो उम्मीद रखते
nushūran
نُشُورًا
जी उठने की
और उस बस्ती पर से तो वे हो आए है जिसपर बुरी वर्षा बरसी; तो क्या वे उसे देखते नहीं रहे हैं? नहीं, बल्कि वे दोबारा जीवित होकर उठने की आशा ही नहीं रखते रहे है ([२५] अल-फुरकान: 40)
Tafseer (तफ़सीर )