تَبٰرَكَ الَّذِيْ نَزَّلَ الْفُرْقَانَ عَلٰى عَبْدِهٖ لِيَكُوْنَ لِلْعٰلَمِيْنَ نَذِيْرًا ۙ ١
- tabāraka
- تَبَارَكَ
- बहुत बाबरकत है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जिसने
- nazzala
- نَزَّلَ
- नाज़िल किया
- l-fur'qāna
- ٱلْفُرْقَانَ
- फ़ुरक़ान
- ʿalā
- عَلَىٰ
- अपने बन्दे पर
- ʿabdihi
- عَبْدِهِۦ
- अपने बन्दे पर
- liyakūna
- لِيَكُونَ
- ताकि वो हो जाए
- lil'ʿālamīna
- لِلْعَٰلَمِينَ
- तमाम जहान वालों के लिए
- nadhīran
- نَذِيرًا
- डराने वाला
बड़ी बरकतवाला है वह जिसने यह फ़ुरक़ान अपने बन्दे पर अवतरित किया, ताकि वह सारे संसार के लिए सावधान करनेवाला हो ([२५] अल-फुरकान: 1)Tafseer (तफ़सीर )
ۨالَّذِيْ لَهٗ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَلَمْ يَتَّخِذْ وَلَدًا وَّلَمْ يَكُنْ لَّهٗ شَرِيْكٌ فِى الْمُلْكِ وَخَلَقَ كُلَّ شَيْءٍ فَقَدَّرَهٗ تَقْدِيْرًا ٢
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जो
- lahu
- لَهُۥ
- उसी के लिए है
- mul'ku
- مُلْكُ
- बादशाहत
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन की
- walam
- وَلَمْ
- और नहीं
- yattakhidh
- يَتَّخِذْ
- उसने बनाई
- waladan
- وَلَدًا
- कोई औलाद
- walam
- وَلَمْ
- और नहीं
- yakun
- يَكُن
- है
- lahu
- لَّهُۥ
- उसके लिए
- sharīkun
- شَرِيكٌ
- कोई शरीक
- fī
- فِى
- बादशाहत में
- l-mul'ki
- ٱلْمُلْكِ
- बादशाहत में
- wakhalaqa
- وَخَلَقَ
- और उसने पैदा किया
- kulla
- كُلَّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ को
- faqaddarahu
- فَقَدَّرَهُۥ
- पस उसने अन्दाज़ा किया उसका
- taqdīran
- تَقْدِيرًا
- अन्दाज़ा करना
वह जिसका राज्य है आकाशों और धरती पर, और उसने न तो किसी को अपना बेटा बनाया और न राज्य में उसका कोई साझी है। उसने हर चीज़ को पैदा किया; फिर उसे ठीक अन्दाजें पर रखा ([२५] अल-फुरकान: 2)Tafseer (तफ़सीर )
وَاتَّخَذُوْا مِنْ دُوْنِهٖٓ اٰلِهَةً لَّا يَخْلُقُوْنَ شَيْـًٔا وَّهُمْ يُخْلَقُوْنَ وَلَا يَمْلِكُوْنَ لِاَنْفُسِهِمْ ضَرًّا وَّلَا نَفْعًا وَّلَا يَمْلِكُوْنَ مَوْتًا وَّلَا حَيٰوةً وَّلَا نُشُوْرًا ٣
- wa-ittakhadhū
- وَٱتَّخَذُوا۟
- और उन्होंने बना लिए
- min
- مِن
- उसके सिवा
- dūnihi
- دُونِهِۦٓ
- उसके सिवा
- ālihatan
- ءَالِهَةً
- कुछ इलाह
- lā
- لَّا
- नहीं वो पैदा करते
- yakhluqūna
- يَخْلُقُونَ
- नहीं वो पैदा करते
- shayan
- شَيْـًٔا
- कोई चीज़
- wahum
- وَهُمْ
- और वो
- yukh'laqūna
- يُخْلَقُونَ
- वो पैदा किए जाते हैं
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yamlikūna
- يَمْلِكُونَ
- वो इख़्तियार रखते
- li-anfusihim
- لِأَنفُسِهِمْ
- अपने नफ़्सों के लिए
- ḍarran
- ضَرًّا
- किसी नुक़्सान का
- walā
- وَلَا
- और ना
- nafʿan
- نَفْعًا
- किसी नफ़ा का
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yamlikūna
- يَمْلِكُونَ
- वो इख़्तियार रखते
- mawtan
- مَوْتًا
- मौत का
- walā
- وَلَا
- और ना
- ḥayatan
- حَيَوٰةً
- ज़िन्दगी का
- walā
- وَلَا
- और ना
- nushūran
- نُشُورًا
- दोबारा जी उठने का
फिर भी उन्होंने उससे हटकर ऐसे इष्ट -पूज्य बना लिए जो किसी चीज़ को पैदा नहीं करते, बल्कि वे स्वयं पैदा किए जाते है। उन्हें न तो अपनी हानि का अधिकार प्राप्त है और न लाभ का। और न उन्हें मृत्यु का अधिकार प्राप्त है और न जीवन का और न दोबारा जीवित होकर उठने का ([२५] अल-फुरकान: 3)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْٓا اِنْ هٰذَآ اِلَّآ اِفْكُ ِۨافْتَرٰىهُ وَاَعَانَهٗ عَلَيْهِ قَوْمٌ اٰخَرُوْنَۚ فَقَدْ جَاۤءُوْ ظُلْمًا وَّزُوْرًا ۚ ٤
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों ने जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوٓا۟
- कुफ़्र किया
- in
- إِنْ
- नहीं
- hādhā
- هَٰذَآ
- ये (क़ुरआन)
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- if'kun
- إِفْكٌ
- एक झूठ
- if'tarāhu
- ٱفْتَرَىٰهُ
- उसने गढ़ लिया उसे
- wa-aʿānahu
- وَأَعَانَهُۥ
- और मदद की उसकी
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- qawmun
- قَوْمٌ
- एक दूसरी क़ौम ने
- ākharūna
- ءَاخَرُونَۖ
- एक दूसरी क़ौम ने
- faqad
- فَقَدْ
- पस तहक़ीक़
- jāū
- جَآءُو
- वो लाए
- ẓul'man
- ظُلْمًا
- ज़ुल्म
- wazūran
- وَزُورًا
- और झूठ
जिन लोगों ने इनकार किया उनका कहना है, 'यह तो बस मनघड़ंत है जो उसने स्वयं ही घड़ लिया है। और कुछ दूसरे लोगों ने इस काम में उसकी सहायता की है।' वे तो ज़ुल्म और झूठ ही के ध्येय से आए ([२५] अल-फुरकान: 4)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالُوْٓا اَسَاطِيْرُ الْاَوَّلِيْنَ اكْتَتَبَهَا فَهِيَ تُمْلٰى عَلَيْهِ بُكْرَةً وَّاَصِيْلًا ٥
- waqālū
- وَقَالُوٓا۟
- और उन्होंने कहा
- asāṭīru
- أَسَٰطِيرُ
- कहानियाँ हैं
- l-awalīna
- ٱلْأَوَّلِينَ
- पहलों की
- ik'tatabahā
- ٱكْتَتَبَهَا
- उसने लिखवा लिया है उन्हें
- fahiya
- فَهِىَ
- तो वो
- tum'lā
- تُمْلَىٰ
- वो इमला की जाती हैं
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- buk'ratan
- بُكْرَةً
- सुबह
- wa-aṣīlan
- وَأَصِيلًا
- और शाम
कहते है, 'ये अगलों की कहानियाँ है, जिनको उसने लिख लिया है तो वही उसके पास प्रभात काल और सन्ध्या समय लिखाई जाती है।' ([२५] अल-फुरकान: 5)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ اَنْزَلَهُ الَّذِيْ يَعْلَمُ السِّرَّ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ اِنَّهٗ كَانَ غَفُوْرًا رَّحِيْمًا ٦
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- anzalahu
- أَنزَلَهُ
- नाज़िल किया है उसे
- alladhī
- ٱلَّذِى
- उसने जो
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- जानता है
- l-sira
- ٱلسِّرَّ
- छुपी बात को
- fī
- فِى
- आसमानों में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۚ
- और ज़मीन में
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- kāna
- كَانَ
- है वो
- ghafūran
- غَفُورًا
- बहुत बख़्शने वाला
- raḥīman
- رَّحِيمًا
- निहायत रहम करने वाला
कहो, 'उसे अवतरित किया है उसने, जो आकाशों और धरती के रहस्य जानता है। निश्चय ही वह बहुत क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है।' ([२५] अल-फुरकान: 6)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالُوْا مَالِ هٰذَا الرَّسُوْلِ يَأْكُلُ الطَّعَامَ وَيَمْشِيْ فِى الْاَسْوَاقِۗ لَوْلَآ اُنْزِلَ اِلَيْهِ مَلَكٌ فَيَكُوْنَ مَعَهٗ نَذِيْرًا ۙ ٧
- waqālū
- وَقَالُوا۟
- और उन्होंने कहा
- māli
- مَالِ
- क्या है
- hādhā
- هَٰذَا
- इस
- l-rasūli
- ٱلرَّسُولِ
- रसूल को
- yakulu
- يَأْكُلُ
- कि वो खाता है
- l-ṭaʿāma
- ٱلطَّعَامَ
- खाना
- wayamshī
- وَيَمْشِى
- और वो चलता है
- fī
- فِى
- बाज़ारों में
- l-aswāqi
- ٱلْأَسْوَاقِۙ
- बाज़ारों में
- lawlā
- لَوْلَآ
- क्यों नहीं
- unzila
- أُنزِلَ
- उतारा गया
- ilayhi
- إِلَيْهِ
- इस पर
- malakun
- مَلَكٌ
- कोई फ़रिश्ता
- fayakūna
- فَيَكُونَ
- तो वो होता
- maʿahu
- مَعَهُۥ
- साथ उसके
- nadhīran
- نَذِيرًا
- डराने वाला
उनका यह भी कहना है, 'इस रसूल को क्या हुआ कि यह खाना खाता है और बाज़ारों में चलता-फिरता है? क्यों न इसकी ओर कोई फ़रिश्ता उतरा कि वह इसके साथ रहकर सावधान करता? ([२५] अल-फुरकान: 7)Tafseer (तफ़सीर )
اَوْ يُلْقٰىٓ اِلَيْهِ كَنْزٌ اَوْ تَكُوْنُ لَهٗ جَنَّةٌ يَّأْكُلُ مِنْهَاۗ وَقَالَ الظّٰلِمُوْنَ اِنْ تَتَّبِعُوْنَ اِلَّا رَجُلًا مَّسْحُوْرًا ٨
- aw
- أَوْ
- या
- yul'qā
- يُلْقَىٰٓ
- डाला जाता
- ilayhi
- إِلَيْهِ
- तरफ़ उसके
- kanzun
- كَنزٌ
- कोई ख़ज़ाना
- aw
- أَوْ
- या
- takūnu
- تَكُونُ
- होता
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- jannatun
- جَنَّةٌ
- कोई बाग़
- yakulu
- يَأْكُلُ
- वो खाता
- min'hā
- مِنْهَاۚ
- उसमें से
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- l-ẓālimūna
- ٱلظَّٰلِمُونَ
- ज़लिमों ने
- in
- إِن
- नहीं
- tattabiʿūna
- تَتَّبِعُونَ
- तुम पैरवी करते
- illā
- إِلَّا
- मगर
- rajulan
- رَجُلًا
- एक मर्द की
- masḥūran
- مَّسْحُورًا
- जो सहरज़दा है
या इसकी ओर कोई ख़ज़ाना ही डाल दिया जाता या इसके पास कोई बाग़ होता, जिससे यह खाता।' और इन ज़ालिमों का कहना है, 'तुम लोग तो बस एक ऐसे व्यक्ति के पीछे चल रहे हो जो जादू का मारा हुआ है!' ([२५] अल-फुरकान: 8)Tafseer (तफ़सीर )
اُنْظُرْ كَيْفَ ضَرَبُوْا لَكَ الْاَمْثَالَ فَضَلُّوْا فَلَا يَسْتَطِيْعُوْنَ سَبِيْلًا ࣖ ٩
- unẓur
- ٱنظُرْ
- देखो
- kayfa
- كَيْفَ
- किस तरह
- ḍarabū
- ضَرَبُوا۟
- उन्होंने बयान कीं
- laka
- لَكَ
- आपके लिए
- l-amthāla
- ٱلْأَمْثَٰلَ
- मिसालें
- faḍallū
- فَضَلُّوا۟
- तो वो भटक गए
- falā
- فَلَا
- पस नहीं
- yastaṭīʿūna
- يَسْتَطِيعُونَ
- वो इस्तिताअत रखते
- sabīlan
- سَبِيلًا
- रास्ते की
देखों, उन्होंने तुमपर कैसी-कैसी फब्तियाँ कसीं। तो वे बहक गए है। अब उनमें इसकी सामर्थ्य नहीं कि कोई मार्ग पा सकें! ([२५] अल-फुरकान: 9)Tafseer (तफ़सीर )
تَبٰرَكَ الَّذِيْٓ اِنْ شَاۤءَ جَعَلَ لَكَ خَيْرًا مِّنْ ذٰلِكَ جَنّٰتٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُۙ وَيَجْعَلْ لَّكَ قُصُوْرًا ١٠
- tabāraka
- تَبَارَكَ
- बहुत बाबरकत है
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- वो जो
- in
- إِن
- अगर
- shāa
- شَآءَ
- वो चाहे
- jaʿala
- جَعَلَ
- वो बना दे
- laka
- لَكَ
- आपके लिए
- khayran
- خَيْرًا
- बेहतर
- min
- مِّن
- उस से
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- उस से
- jannātin
- جَنَّٰتٍ
- बाग़ात
- tajrī
- تَجْرِى
- बहती हों
- min
- مِن
- उनके नीचे से
- taḥtihā
- تَحْتِهَا
- उनके नीचे से
- l-anhāru
- ٱلْأَنْهَٰرُ
- नहरें
- wayajʿal
- وَيَجْعَل
- और वो बना दे
- laka
- لَّكَ
- आपके लिए
- quṣūran
- قُصُورًۢا
- महल्लात
बरकतवाला है वह जो यदि चाहे तो तुम्हारे लिए इससे भी उत्तम प्रदान करे, बहत-से बाग़ जिनके नीचे नहरें बह रही हों, और तुम्हारे लिए बहुत-से महल तैया कर दे ([२५] अल-फुरकान: 10)Tafseer (तफ़सीर )