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सूरा अन-नूर - Page: 5

An-Nur

(प्रकाश)

४१

اَلَمْ تَرَ اَنَّ اللّٰهَ يُسَبِّحُ لَهٗ مَنْ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَالطَّيْرُ صٰۤفّٰتٍۗ كُلٌّ قَدْ عَلِمَ صَلَاتَهٗ وَتَسْبِيْحَهٗۗ وَاللّٰهُ عَلِيْمٌۢ بِمَا يَفْعَلُوْنَ ٤١

alam
أَلَمْ
क्या नहीं
tara
تَرَ
आपने देखा
anna
أَنَّ
कि बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yusabbiḥu
يُسَبِّحُ
तस्बीह करता है
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
man
مَن
जो कोई
فِى
आसमानों में
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन में है
wal-ṭayru
وَٱلطَّيْرُ
और परिन्दे (भी)
ṣāffātin
صَٰٓفَّٰتٍۖ
पर फैलाए
kullun
كُلٌّ
हर एक ने
qad
قَدْ
तहक़ीक़
ʿalima
عَلِمَ
जान ली है
ṣalātahu
صَلَاتَهُۥ
नमाज़ अपनी
watasbīḥahu
وَتَسْبِيحَهُۥۗ
और तस्बीह अपनी
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ʿalīmun
عَلِيمٌۢ
ख़ूब जानने वाला है
bimā
بِمَا
उसे जो
yafʿalūna
يَفْعَلُونَ
वो कर रहे हैं
क्या तुमने नहीं देखा कि जो कोई भी आकाशों और धरती में है, अल्लाह की तसबीह (गुणगान) कर रहा है और पंख पसारे हुए पक्षी भी? हर एक अपनी नमाज़ और तसबीह से परिचित है। अल्लाह भली-भाँति जाना है जो कुछ वे करते है ([२४] अन-नूर: 41)
Tafseer (तफ़सीर )
४२

وَلِلّٰهِ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۚ وَاِلَى اللّٰهِ الْمَصِيْرُ ٤٢

walillahi
وَلِلَّهِ
और अल्लाह ही के लिए है
mul'ku
مُلْكُ
बादशाहत
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِۖ
और ज़मीन की
wa-ilā
وَإِلَى
और अल्लाह ही की तरफ़
l-lahi
ٱللَّهِ
और अल्लाह ही की तरफ़
l-maṣīru
ٱلْمَصِيرُ
लौटना है
अल्लाह ही के लिए है आकाशों और धरती का राज्य। और अल्लाह ही की ओर लौटकर जाना है ([२४] अन-नूर: 42)
Tafseer (तफ़सीर )
४३

اَلَمْ تَرَ اَنَّ اللّٰهَ يُزْجِيْ سَحَابًا ثُمَّ يُؤَلِّفُ بَيْنَهٗ ثُمَّ يَجْعَلُهٗ رُكَامًا فَتَرَى الْوَدْقَ يَخْرُجُ مِنْ خِلٰلِهٖۚ وَيُنَزِّلُ مِنَ السَّمَاۤءِ مِنْ جِبَالٍ فِيْهَا مِنْۢ بَرَدٍ فَيُصِيْبُ بِهٖ مَنْ يَّشَاۤءُ وَيَصْرِفُهٗ عَنْ مَّنْ يَّشَاۤءُۗ يَكَادُ سَنَا بَرْقِهٖ يَذْهَبُ بِالْاَبْصَارِ ۗ ٤٣

alam
أَلَمْ
क्या नहीं
tara
تَرَ
आपने देखा
anna
أَنَّ
कि बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yuz'jī
يُزْجِى
वो चलाता है
saḥāban
سَحَابًا
बादल को
thumma
ثُمَّ
फिर
yu-allifu
يُؤَلِّفُ
वो मिला देता है (उन्हें)
baynahu
بَيْنَهُۥ
आपस में
thumma
ثُمَّ
फिर
yajʿaluhu
يَجْعَلُهُۥ
वो कर देता है उसे
rukāman
رُكَامًا
तह ब तह
fatarā
فَتَرَى
तो आप देखते हैं
l-wadqa
ٱلْوَدْقَ
बारिश
yakhruju
يَخْرُجُ
निकलती है
min
مِنْ
उसके दर्मियान से
khilālihi
خِلَٰلِهِۦ
उसके दर्मियान से
wayunazzilu
وَيُنَزِّلُ
और वो उतारता है
mina
مِنَ
आसमान से
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान से
min
مِن
पहाड़ों से
jibālin
جِبَالٍ
पहाड़ों से
fīhā
فِيهَا
उसमें
min
مِنۢ
कुछ ओले
baradin
بَرَدٍ
कुछ ओले
fayuṣību
فَيُصِيبُ
फिर वो पहुँचाता है
bihi
بِهِۦ
उसे
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता है
wayaṣrifuhu
وَيَصْرِفُهُۥ
और वो फेर देता है उसे
ʿan
عَن
जिस से
man
مَّن
जिस से
yashāu
يَشَآءُۖ
वो चाहता है
yakādu
يَكَادُ
क़रीब है कि
sanā
سَنَا
चमक
barqihi
بَرْقِهِۦ
उसकी बिजली की
yadhhabu
يَذْهَبُ
वो ले जाए
bil-abṣāri
بِٱلْأَبْصَٰرِ
निगाहों को
क्या तुमने देखा नहीं कि अल्लाह बादल को चलाता है। फिर उनको परस्पर मिलाता है। फिर उसे तह पर तह कर देता है। फिर तुम देखते हो कि उसके बीच से मेह बरसता है? और आकाश से- उसमें जो पहाड़ है (बादल जो पहाड़ जैसे प्रतीत होते है उनसे) - ओले बरसाता है। फिर जिस पर चाहता है, उसे हटा देता है। ऐसा प्रतीत होता है कि बिजली की चमक निगाहों को उचक ले जाएगी ([२४] अन-नूर: 43)
Tafseer (तफ़सीर )
४४

يُقَلِّبُ اللّٰهُ الَّيْلَ وَالنَّهَارَۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَعِبْرَةً لِّاُولِى الْاَبْصَارِ ٤٤

yuqallibu
يُقَلِّبُ
उलट-पलट करता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
al-layla
ٱلَّيْلَ
रात
wal-nahāra
وَٱلنَّهَارَۚ
और दिन को
inna
إِنَّ
यक़ीनन
فِى
इसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
इसमें
laʿib'ratan
لَعِبْرَةً
अलबत्ता इब्रत है
li-ulī
لِّأُو۟لِى
अहले बसीरत के लिए
l-abṣāri
ٱلْأَبْصَٰرِ
अहले बसीरत के लिए
अल्लाह ही रात और दिन का उलट-फेर करता है। निश्चय ही आँखें रखनेवालों के लिए इसमें एक शिक्षा है ([२४] अन-नूर: 44)
Tafseer (तफ़सीर )
४५

وَاللّٰهُ خَلَقَ كُلَّ دَاۤبَّةٍ مِّنْ مَّاۤءٍۚ فَمِنْهُمْ مَّنْ يَّمْشِيْ عَلٰى بَطْنِهٖۚ وَمِنْهُمْ مَّنْ يَّمْشِيْ عَلٰى رِجْلَيْنِۚ وَمِنْهُمْ مَّنْ يَّمْشِيْ عَلٰٓى اَرْبَعٍۗ يَخْلُقُ اللّٰهُ مَا يَشَاۤءُۗ اِنَّ اللّٰهَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ٤٥

wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह ने
khalaqa
خَلَقَ
पैदा किया
kulla
كُلَّ
हर
dābbatin
دَآبَّةٍ
जानदार को
min
مِّن
पानी से
māin
مَّآءٍۖ
पानी से
famin'hum
فَمِنْهُم
तो उनमें से कोई है
man
مَّن
जो
yamshī
يَمْشِى
चलता है
ʿalā
عَلَىٰ
अपने पेट पर
baṭnihi
بَطْنِهِۦ
अपने पेट पर
wamin'hum
وَمِنْهُم
और उनमें से कोई है
man
مَّن
जो
yamshī
يَمْشِى
चलता है
ʿalā
عَلَىٰ
दो पाँव पर
rij'layni
رِجْلَيْنِ
दो पाँव पर
wamin'hum
وَمِنْهُم
और उनमें से कोई है
man
مَّن
जो
yamshī
يَمْشِى
चलता है
ʿalā
عَلَىٰٓ
चार (पाँव) पर
arbaʿin
أَرْبَعٍۚ
चार (पाँव) पर
yakhluqu
يَخْلُقُ
पैदा करता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
مَا
जो
yashāu
يَشَآءُۚ
वो चाहता है
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
qadīrun
قَدِيرٌ
ख़ूब क़ुदरत रखने वाला है
अल्लाह ने हर जीवधारी को पानी से पैदा किया, तो उनमें से कोई अपने पेट के बल चलता है और कोई उनमें दो टाँगों पर चलता है और कोई चार (टाँगों) पर चलता है। अल्लाह जो चाहता है, पैदा करता है। निस्संदेह अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है ([२४] अन-नूर: 45)
Tafseer (तफ़सीर )
४६

لَقَدْ اَنْزَلْنَآ اٰيٰتٍ مُّبَيِّنٰتٍۗ وَاللّٰهُ يَهْدِيْ مَنْ يَّشَاۤءُ اِلٰى صِرَاطٍ مُّسْتَقِيْمٍ ٤٦

laqad
لَّقَدْ
अलबत्ता तहक़ीक़
anzalnā
أَنزَلْنَآ
नाज़िल कीं हमने
āyātin
ءَايَٰتٍ
आयात
mubayyinātin
مُّبَيِّنَٰتٍۚ
वाज़ेह
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yahdī
يَهْدِى
वो हिदायत देता है
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता है
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ रास्ते
ṣirāṭin
صِرَٰطٍ
तरफ़ रास्ते
mus'taqīmin
مُّسْتَقِيمٍ
सीधे के
हमने सत्य को प्रकट कर देनेवाली आयतें उतार दी है। आगे अल्लाह जिसे चाहता है सीधे मार्ग की ओर लगा देता है ([२४] अन-नूर: 46)
Tafseer (तफ़सीर )
४७

وَيَقُوْلُوْنَ اٰمَنَّا بِاللّٰهِ وَبِالرَّسُوْلِ وَاَطَعْنَا ثُمَّ يَتَوَلّٰى فَرِيْقٌ مِّنْهُمْ مِّنْۢ بَعْدِ ذٰلِكَۗ وَمَآ اُولٰۤىِٕكَ بِالْمُؤْمِنِيْنَ ٤٧

wayaqūlūna
وَيَقُولُونَ
और वो कहते हैं
āmannā
ءَامَنَّا
ईमान लाए हम
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
wabil-rasūli
وَبِٱلرَّسُولِ
और रसूल पर
wa-aṭaʿnā
وَأَطَعْنَا
और इताअत की हमने
thumma
ثُمَّ
फिर
yatawallā
يَتَوَلَّىٰ
मुँह फेर लेता है
farīqun
فَرِيقٌ
एक गिरोह
min'hum
مِّنْهُم
उनमें से
min
مِّنۢ
बाद
baʿdi
بَعْدِ
बाद
dhālika
ذَٰلِكَۚ
इसके
wamā
وَمَآ
और नहीं
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
ये लोग
bil-mu'minīna
بِٱلْمُؤْمِنِينَ
ईमान लाने वाले
वे मुनाफ़िक लोग कहते है कि 'हम अल्लाह और रसूल पर ईमान लाए और हमने आज्ञापालन स्वीकार किया।' फिर इसके पश्चात उनमें से एक गिरोह मुँह मोड़ जाता है। ऐसे लोग मोमिन नहीं है ([२४] अन-नूर: 47)
Tafseer (तफ़सीर )
४८

وَاِذَا دُعُوْٓا اِلَى اللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ لِيَحْكُمَ بَيْنَهُمْ اِذَا فَرِيْقٌ مِّنْهُمْ مُّعْرِضُوْنَ ٤٨

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
duʿū
دُعُوٓا۟
वो बुलाए जाते हैं
ilā
إِلَى
तरफ़ अल्लाह के
l-lahi
ٱللَّهِ
तरफ़ अल्लाह के
warasūlihi
وَرَسُولِهِۦ
और उसके रसूल के
liyaḥkuma
لِيَحْكُمَ
ताकि वो फ़ैसला करे
baynahum
بَيْنَهُمْ
दर्मियान उनके
idhā
إِذَا
तब
farīqun
فَرِيقٌ
एक गिरोह (के लोग)
min'hum
مِّنْهُم
उनमें से
muʿ'riḍūna
مُّعْرِضُونَ
ऐराज़ करने वाले होते हैं
जब उन्हें अल्लाह और उसके रसूल की ओर बुलाया जाता है, ताकि वह उनके बीच फ़ैसला करें तो क्या देखते है कि उनमें से एक गिरोह कतरा जाता है; ([२४] अन-नूर: 48)
Tafseer (तफ़सीर )
४९

وَاِنْ يَّكُنْ لَّهُمُ الْحَقُّ يَأْتُوْٓا اِلَيْهِ مُذْعِنِيْنَ ٤٩

wa-in
وَإِن
और अगर
yakun
يَكُن
हो
lahumu
لَّهُمُ
उनके लिए
l-ḥaqu
ٱلْحَقُّ
हक़
yatū
يَأْتُوٓا۟
वो आते हैं
ilayhi
إِلَيْهِ
तरफ़ उसके
mudh'ʿinīna
مُذْعِنِينَ
मुतीअ हो कर
किन्तु यदि हक़ उन्हें मिलनेवाला हो तो उसकी ओर बड़े आज्ञाकारी बनकर चले आएँ ([२४] अन-नूर: 49)
Tafseer (तफ़सीर )
५०

اَفِيْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ اَمِ ارْتَابُوْٓا اَمْ يَخَافُوْنَ اَنْ يَّحِيْفَ اللّٰهُ عَلَيْهِمْ وَرَسُوْلُهٗ ۗبَلْ اُولٰۤىِٕكَ هُمُ الظّٰلِمُوْنَ ࣖ ٥٠

afī
أَفِى
क्या उनके दिलों में
qulūbihim
قُلُوبِهِم
क्या उनके दिलों में
maraḍun
مَّرَضٌ
कोई बीमारी है
ami
أَمِ
या
ir'tābū
ٱرْتَابُوٓا۟
वो शक में पड़ गए हैं
am
أَمْ
या
yakhāfūna
يَخَافُونَ
वो डरते हैं
an
أَن
कि
yaḥīfa
يَحِيفَ
ज़ुल्म करेगा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
warasūluhu
وَرَسُولُهُۥۚ
और उसका रसूल
bal
بَلْ
बल्कि
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
humu
هُمُ
वो
l-ẓālimūna
ٱلظَّٰلِمُونَ
जो ज़ालिम हैं
क्या उनके दिलों में रोग है या वे सन्देह में पड़े हुए है या उनको यह डर है कि अल्लाह औऱ उसका रसूल उनके साथ अन्याय करेंगे? नहीं, बल्कि बात यह है कि वही लोग अत्याचारी हैं ([२४] अन-नूर: 50)
Tafseer (तफ़सीर )