وَقُلْ لِّلْمُؤْمِنٰتِ يَغْضُضْنَ مِنْ اَبْصَارِهِنَّ وَيَحْفَظْنَ فُرُوْجَهُنَّ وَلَا يُبْدِيْنَ زِيْنَتَهُنَّ اِلَّا مَا ظَهَرَ مِنْهَا وَلْيَضْرِبْنَ بِخُمُرِهِنَّ عَلٰى جُيُوْبِهِنَّۖ وَلَا يُبْدِيْنَ زِيْنَتَهُنَّ اِلَّا لِبُعُوْلَتِهِنَّ اَوْ اٰبَاۤىِٕهِنَّ اَوْ اٰبَاۤءِ بُعُوْلَتِهِنَّ اَوْ اَبْنَاۤىِٕهِنَّ اَوْ اَبْنَاۤءِ بُعُوْلَتِهِنَّ اَوْ اِخْوَانِهِنَّ اَوْ بَنِيْٓ اِخْوَانِهِنَّ اَوْ بَنِيْٓ اَخَوٰتِهِنَّ اَوْ نِسَاۤىِٕهِنَّ اَوْ مَا مَلَكَتْ اَيْمَانُهُنَّ اَوِ التَّابِعِيْنَ غَيْرِ اُولِى الْاِرْبَةِ مِنَ الرِّجَالِ اَوِ الطِّفْلِ الَّذِيْنَ لَمْ يَظْهَرُوْا عَلٰى عَوْرٰتِ النِّسَاۤءِ ۖوَلَا يَضْرِبْنَ بِاَرْجُلِهِنَّ لِيُعْلَمَ مَا يُخْفِيْنَ مِنْ زِيْنَتِهِنَّۗ وَتُوْبُوْٓا اِلَى اللّٰهِ جَمِيْعًا اَيُّهَ الْمُؤْمِنُوْنَ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُوْنَ ٣١
- waqul
- وَقُل
- और कह दीजिए
- lil'mu'mināti
- لِّلْمُؤْمِنَٰتِ
- मोमिन औरतों से
- yaghḍuḍ'na
- يَغْضُضْنَ
- वो पस्त रखें
- min
- مِنْ
- अपनी निगाहों में से
- abṣārihinna
- أَبْصَٰرِهِنَّ
- अपनी निगाहों में से
- wayaḥfaẓna
- وَيَحْفَظْنَ
- और वो हिफ़ाज़त करें
- furūjahunna
- فُرُوجَهُنَّ
- अपनी शर्मगाहों की
- walā
- وَلَا
- और ना
- yub'dīna
- يُبْدِينَ
- वो ज़ाहिर करें
- zīnatahunna
- زِينَتَهُنَّ
- ज़ीनत अपनी
- illā
- إِلَّا
- मगर
- mā
- مَا
- जो
- ẓahara
- ظَهَرَ
- ज़हिर हो जाए
- min'hā
- مِنْهَاۖ
- उस में से
- walyaḍrib'na
- وَلْيَضْرِبْنَ
- और वो ज़रूर डालें
- bikhumurihinna
- بِخُمُرِهِنَّ
- ओढ़नियाँ अपनी
- ʿalā
- عَلَىٰ
- अपने गिरेबानों पर
- juyūbihinna
- جُيُوبِهِنَّۖ
- अपने गिरेबानों पर
- walā
- وَلَا
- और ना
- yub'dīna
- يُبْدِينَ
- वो ज़ाहिर करें
- zīnatahunna
- زِينَتَهُنَّ
- ज़ीनत अपनी
- illā
- إِلَّا
- मगर
- libuʿūlatihinna
- لِبُعُولَتِهِنَّ
- वास्ते अपने शौहरों को
- aw
- أَوْ
- या
- ābāihinna
- ءَابَآئِهِنَّ
- अपने बापों के
- aw
- أَوْ
- या
- ābāi
- ءَابَآءِ
- अपने शौहरों के बापों के
- buʿūlatihinna
- بُعُولَتِهِنَّ
- अपने शौहरों के बापों के
- aw
- أَوْ
- या
- abnāihinna
- أَبْنَآئِهِنَّ
- अपने बेटों के
- aw
- أَوْ
- या
- abnāi
- أَبْنَآءِ
- अपने शौहरों के बेटों के
- buʿūlatihinna
- بُعُولَتِهِنَّ
- अपने शौहरों के बेटों के
- aw
- أَوْ
- या
- ikh'wānihinna
- إِخْوَٰنِهِنَّ
- अपने भाईयों के
- aw
- أَوْ
- या
- banī
- بَنِىٓ
- अपने भाईयों के बेटों के
- ikh'wānihinna
- إِخْوَٰنِهِنَّ
- अपने भाईयों के बेटों के
- aw
- أَوْ
- या
- banī
- بَنِىٓ
- अपनी बहनों के बेटों के
- akhawātihinna
- أَخَوَٰتِهِنَّ
- अपनी बहनों के बेटों के
- aw
- أَوْ
- या
- nisāihinna
- نِسَآئِهِنَّ
- अपनी औरतों के
- aw
- أَوْ
- या
- mā
- مَا
- जिनके
- malakat
- مَلَكَتْ
- मालिक हुए
- aymānuhunna
- أَيْمَٰنُهُنَّ
- उनके दाऐं हाथ
- awi
- أَوِ
- या
- l-tābiʿīna
- ٱلتَّٰبِعِينَ
- ज़ेरदस्त
- ghayri
- غَيْرِ
- ना
- ulī
- أُو۟لِى
- रखने वाले
- l-ir'bati
- ٱلْإِرْبَةِ
- हाजत/ ख़्वाहिश
- mina
- مِنَ
- मर्दों में से
- l-rijāli
- ٱلرِّجَالِ
- मर्दों में से
- awi
- أَوِ
- या
- l-ṭif'li
- ٱلطِّفْلِ
- लड़के
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- lam
- لَمْ
- नहीं
- yaẓharū
- يَظْهَرُوا۟
- वो वाक़िफ़ हुए
- ʿalā
- عَلَىٰ
- छुपी बातों पर
- ʿawrāti
- عَوْرَٰتِ
- छुपी बातों पर
- l-nisāi
- ٱلنِّسَآءِۖ
- औरतों की
- walā
- وَلَا
- और ना
- yaḍrib'na
- يَضْرِبْنَ
- वो मारें
- bi-arjulihinna
- بِأَرْجُلِهِنَّ
- पाँव अपने
- liyuʿ'lama
- لِيُعْلَمَ
- कि जान लिया जाए
- mā
- مَا
- जो
- yukh'fīna
- يُخْفِينَ
- वो छुपाती हैं
- min
- مِن
- अपनी ज़ीनत में से
- zīnatihinna
- زِينَتِهِنَّۚ
- अपनी ज़ीनत में से
- watūbū
- وَتُوبُوٓا۟
- और तौबा करो
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ अल्लाह के
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- तरफ़ अल्लाह के
- jamīʿan
- جَمِيعًا
- सब के सब
- ayyuha
- أَيُّهَ
- ऐ
- l-mu'minūna
- ٱلْمُؤْمِنُونَ
- मोमिनो
- laʿallakum
- لَعَلَّكُمْ
- ताकि तुम
- tuf'liḥūna
- تُفْلِحُونَ
- तुम फ़लाह पाओ
और ईमानवाली स्त्रियों से कह दो कि वे भी अपनी निगाहें बचाकर रखें और अपने गुप्तांगों की रक्षा करें। और अपने शृंगार प्रकट न करें, सिवाय उसके जो उनमें खुला रहता है। और अपने सीनों (वक्षस्थल) पर अपने दुपट्टे डाल रहें और अपना शृंगार किसी पर ज़ाहिर न करें सिवाय अपने पतियों के या अपने बापों के या अपने पतियों के बापों के या अपने बेटों के या अपने पतियों के बेटों के या अपने भाइयों के या अपने भतीजों के या अपने भांजों के या मेल-जोल की स्त्रियों के या जो उनकी अपनी मिल्कियत में हो उनके, या उन अधीनस्थ पुरुषों के जो उस अवस्था को पार कर चुके हों जिससें स्त्री की ज़रूरत होती है, या उन बच्चों के जो स्त्रियों के परदे की बातों से परिचित न हों। और स्त्रियाँ अपने पाँव धरती पर मारकर न चलें कि अपना जो शृंगार छिपा रखा हो, वह मालूम हो जाए। ऐ ईमानवालो! तुम सब मिलकर अल्लाह से तौबा करो, ताकि तुम्हें सफलता प्राप्त हो ([२४] अन-नूर: 31)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَنْكِحُوا الْاَيَامٰى مِنْكُمْ وَالصّٰلِحِيْنَ مِنْ عِبَادِكُمْ وَاِمَاۤىِٕكُمْۗ اِنْ يَّكُوْنُوْا فُقَرَاۤءَ يُغْنِهِمُ اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖۗ وَاللّٰهُ وَاسِعٌ عَلِيْمٌ ٣٢
- wa-ankiḥū
- وَأَنكِحُوا۟
- और निकाह कर दो
- l-ayāmā
- ٱلْأَيَٰمَىٰ
- बेनिकाहों का
- minkum
- مِنكُمْ
- तुम में से
- wal-ṣāliḥīna
- وَٱلصَّٰلِحِينَ
- और जो नेक हों
- min
- مِنْ
- तुम्हारे ग़ुलामों में से
- ʿibādikum
- عِبَادِكُمْ
- तुम्हारे ग़ुलामों में से
- wa-imāikum
- وَإِمَآئِكُمْۚ
- और तुम्हारी लौंडियों में से
- in
- إِن
- अगर
- yakūnū
- يَكُونُوا۟
- होंगे वो
- fuqarāa
- فُقَرَآءَ
- मोहताज
- yugh'nihimu
- يُغْنِهِمُ
- ग़नी कर देगा उन्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- min
- مِن
- अपने फ़ज़ल से
- faḍlihi
- فَضْلِهِۦۗ
- अपने फ़ज़ल से
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- wāsiʿun
- وَٰسِعٌ
- ख़ूब वुसअत वाला है
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब इल्म वाला है
तुममें जो बेजोड़े के हों और तुम्हारे ग़ुलामों और तुम्हारी लौंडियों मे जो नेक और योग्य हों, उनका विवाह कर दो। यदि वे ग़रीब होंगे तो अल्लाह अपने उदार अनुग्रह से उन्हें समृद्ध कर देगा। अल्लाह बड़ी समाईवाला, सर्वज्ञ है ([२४] अन-नूर: 32)Tafseer (तफ़सीर )
وَلْيَسْتَعْفِفِ الَّذِيْنَ لَا يَجِدُوْنَ نِكَاحًا حَتّٰى يُغْنِيَهُمُ اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖ ۗوَالَّذِيْنَ يَبْتَغُوْنَ الْكِتٰبَ مِمَّا مَلَكَتْ اَيْمَانُكُمْ فَكَاتِبُوْهُمْ اِنْ عَلِمْتُمْ فِيْهِمْ خَيْرًا وَّاٰتُوْهُمْ مِّنْ مَّالِ اللّٰهِ الَّذِيْٓ اٰتٰىكُمْ ۗوَلَا تُكْرِهُوْا فَتَيٰتِكُمْ عَلَى الْبِغَاۤءِ اِنْ اَرَدْنَ تَحَصُّنًا لِّتَبْتَغُوْا عَرَضَ الْحَيٰوةِ الدُّنْيَا ۗوَمَنْ يُّكْرِهْهُّنَّ فَاِنَّ اللّٰهَ مِنْۢ بَعْدِ اِكْرَاهِهِنَّ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ٣٣
- walyastaʿfifi
- وَلْيَسْتَعْفِفِ
- और ज़रूर पाकदामनी इख़्तियार करें
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- lā
- لَا
- नहीं वो पाते(वुसअत)
- yajidūna
- يَجِدُونَ
- नहीं वो पाते(वुसअत)
- nikāḥan
- نِكَاحًا
- निकाह की
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yugh'niyahumu
- يُغْنِيَهُمُ
- ग़नी कर दे उन्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- min
- مِن
- अपने फ़ज़ल से
- faḍlihi
- فَضْلِهِۦۗ
- अपने फ़ज़ल से
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जो
- yabtaghūna
- يَبْتَغُونَ
- चाहते हों
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- मुकातबत/आज़ादी की तहरीर
- mimmā
- مِمَّا
- उनमें से जिनके
- malakat
- مَلَكَتْ
- मालिक हैं
- aymānukum
- أَيْمَٰنُكُمْ
- दाऐं हाथ तुम्हारे
- fakātibūhum
- فَكَاتِبُوهُمْ
- तो मुकातबत कर लो उनसे
- in
- إِنْ
- अगर
- ʿalim'tum
- عَلِمْتُمْ
- जानो तुम
- fīhim
- فِيهِمْ
- उनमें
- khayran
- خَيْرًاۖ
- कोई भलाई
- waātūhum
- وَءَاتُوهُم
- और दो उन्हें
- min
- مِّن
- माल से
- māli
- مَّالِ
- माल से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- वो जो
- ātākum
- ءَاتَىٰكُمْۚ
- उसने दिया है तुम्हें
- walā
- وَلَا
- और ना
- tuk'rihū
- تُكْرِهُوا۟
- तुम मजबूर करो
- fatayātikum
- فَتَيَٰتِكُمْ
- अपना बाँदियों को
- ʿalā
- عَلَى
- बदकारी पर
- l-bighāi
- ٱلْبِغَآءِ
- बदकारी पर
- in
- إِنْ
- अगर
- aradna
- أَرَدْنَ
- वो चाहें
- taḥaṣṣunan
- تَحَصُّنًا
- पाकदामनी
- litabtaghū
- لِّتَبْتَغُوا۟
- ताकि तुम तलाश करो
- ʿaraḍa
- عَرَضَ
- सामान
- l-ḥayati
- ٱلْحَيَوٰةِ
- ज़िन्दगी का
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَاۚ
- दुनिया की
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yuk'rihhunna
- يُكْرِههُّنَّ
- मजबूर करेगा उन्हें
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- min
- مِنۢ
- बाद
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद
- ik'rāhihinna
- إِكْرَٰهِهِنَّ
- उनको मजबूर करने के
- ghafūrun
- غَفُورٌ
- बहुत बख़्शने वाला है
- raḥīmun
- رَّحِيمٌ
- निहायत रहम करने वाला है
और जो विवाह का अवसर न पा रहे हो उन्हें चाहिए कि पाकदामनी अपनाए रहें, यहाँ तक कि अल्लाह अपने उदार अनुग्रह से उन्हें समृद्ध कर दे। और जिन लोगों पर तुम्हें स्वामित्व का अधिकार प्राप्त हो उनमें से जो लोग लिखा-पढ़ी के इच्छुक हो उनसे लिखा-पढ़ी कर लो, यदि तुम्हें मालूम हो कि उनमें भलाई है। और उन्हें अल्लाह के माल में से दो, जो उसने तुम्हें प्रदान किया है। और अपनी लौंडियों को सांसारिक जीवन-सामग्री की चाह में व्यविचार के लिए बाध्य न करो, जबकि वे पाकदामन रहना भी चाहती हों। औऱ इसके लिए जो कोई उन्हें बाध्य करेगा, तो निश्चय ही अल्लाह उनके बाध्य किए जाने के पश्चात अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है ([२४] अन-नूर: 33)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ اَنْزَلْنَآ اِلَيْكُمْ اٰيٰتٍ مُّبَيِّنٰتٍ وَّمَثَلًا مِّنَ الَّذِيْنَ خَلَوْا مِنْ قَبْلِكُمْ وَمَوْعِظَةً لِّلْمُتَّقِيْنَ ࣖ ٣٤
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- anzalnā
- أَنزَلْنَآ
- नाज़िल कीं हमने
- ilaykum
- إِلَيْكُمْ
- तरफ़ तुम्हारे
- āyātin
- ءَايَٰتٍ
- आयात
- mubayyinātin
- مُّبَيِّنَٰتٍ
- वाज़ेह
- wamathalan
- وَمَثَلًا
- और मिसाल
- mina
- مِّنَ
- उन लोगों की जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों की जो
- khalaw
- خَلَوْا۟
- गुज़र चुके
- min
- مِن
- तुम से पहले
- qablikum
- قَبْلِكُمْ
- तुम से पहले
- wamawʿiẓatan
- وَمَوْعِظَةً
- और नसीहत
- lil'muttaqīna
- لِّلْمُتَّقِينَ
- मुत्तक़ी लोगों के लिए
हमने तुम्हारी ओर खुली हुई आयतें उतार दी है और उन लोगों की मिशालें भी पेश कर दी हैं, जो तुमसे पहले गुज़रे है, और डर रखनेवालों के लिए नसीहत भी ([२४] अन-नूर: 34)Tafseer (तफ़सीर )
۞ اَللّٰهُ نُوْرُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ مَثَلُ نُوْرِهٖ كَمِشْكٰوةٍ فِيْهَا مِصْبَاحٌۗ اَلْمِصْبَاحُ فِيْ زُجَاجَةٍۗ اَلزُّجَاجَةُ كَاَنَّهَا كَوْكَبٌ دُرِّيٌّ يُّوْقَدُ مِنْ شَجَرَةٍ مُّبٰرَكَةٍ زَيْتُوْنَةٍ لَّا شَرْقِيَّةٍ وَّلَا غَرْبِيَّةٍۙ يَّكَادُ زَيْتُهَا يُضِيْۤءُ وَلَوْ لَمْ تَمْسَسْهُ نَارٌۗ نُوْرٌ عَلٰى نُوْرٍۗ يَهْدِى اللّٰهُ لِنُوْرِهٖ مَنْ يَّشَاۤءُۗ وَيَضْرِبُ اللّٰهُ الْاَمْثَالَ لِلنَّاسِۗ وَاللّٰهُ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيْمٌ ۙ ٣٥
- al-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- nūru
- نُورُ
- नूर है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۚ
- और ज़मीन का
- mathalu
- مَثَلُ
- मिसाल
- nūrihi
- نُورِهِۦ
- उसके नूर की
- kamish'katin
- كَمِشْكَوٰةٍ
- मानिन्द ताक़ के
- fīhā
- فِيهَا
- जिसमें
- miṣ'bāḥun
- مِصْبَاحٌۖ
- एक चिराग़ है
- l-miṣ'bāḥu
- ٱلْمِصْبَاحُ
- वो चिराग़
- fī
- فِى
- शीशे में है
- zujājatin
- زُجَاجَةٍۖ
- शीशे में है
- l-zujājatu
- ٱلزُّجَاجَةُ
- वो शीशा
- ka-annahā
- كَأَنَّهَا
- गोया कि वो
- kawkabun
- كَوْكَبٌ
- तारा है
- durriyyun
- دُرِّىٌّ
- चमकता हुआ
- yūqadu
- يُوقَدُ
- जो रौशन किया जाता है
- min
- مِن
- एक दरख़्त से
- shajaratin
- شَجَرَةٍ
- एक दरख़्त से
- mubārakatin
- مُّبَٰرَكَةٍ
- बाबरकत
- zaytūnatin
- زَيْتُونَةٍ
- ज़ैतून के
- lā
- لَّا
- ना मशरिक़ी है
- sharqiyyatin
- شَرْقِيَّةٍ
- ना मशरिक़ी है
- walā
- وَلَا
- और ना
- gharbiyyatin
- غَرْبِيَّةٍ
- मग़रिबी
- yakādu
- يَكَادُ
- क़रीब है कि
- zaytuhā
- زَيْتُهَا
- तेल उसका
- yuḍīu
- يُضِىٓءُ
- वो रौशन हो जाए
- walaw
- وَلَوْ
- और अगरचे
- lam
- لَمْ
- ना
- tamsashu
- تَمْسَسْهُ
- छुए उसे
- nārun
- نَارٌۚ
- कोई आग
- nūrun
- نُّورٌ
- नूर है
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर नूर के
- nūrin
- نُورٍۗ
- ऊपर नूर के
- yahdī
- يَهْدِى
- रहनुमाई करता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- linūrihi
- لِنُورِهِۦ
- अपने नूर के लिए
- man
- مَن
- जिसकी
- yashāu
- يَشَآءُۚ
- वो चाहता है
- wayaḍribu
- وَيَضْرِبُ
- और बयान करता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- l-amthāla
- ٱلْأَمْثَٰلَ
- मिसालें
- lilnnāsi
- لِلنَّاسِۗ
- लोगों के लिए
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- bikulli
- بِكُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ को
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब जानने वाला है
अल्लाह आकाशों और धरती का प्रकाश है। (मोमिनों के दिल में) उसके प्रकाश की मिसाल ऐसी है जैसे एक ताक़ है, जिसमें एक चिराग़ है - वह चिराग़ एक फ़ानूस में है। वह फ़ानूस ऐसा है मानो चमकता हुआ कोई तारा है। - वह चिराग़ ज़ैतून के एक बरकतवाले वृक्ष के तेल से जलाया जाता है, जो न पूर्वी है न पश्चिमी। उसका तेल आप है आप भड़का पड़ता है, यद्यपि आग उसे न भी छुए। प्रकाश पर प्रकाश! - अल्लाह जिसे चाहता है अपने प्रकाश के प्राप्त होने का मार्ग दिखा देता है। अल्लाह लोगों के लिए मिशालें प्रस्तुत करता है। अल्लाह तो हर चीज़ जानता है। ([२४] अन-नूर: 35)Tafseer (तफ़सीर )
فِيْ بُيُوْتٍ اَذِنَ اللّٰهُ اَنْ تُرْفَعَ وَيُذْكَرَ فِيْهَا اسْمُهٗۙ يُسَبِّحُ لَهٗ فِيْهَا بِالْغُدُوِّ وَالْاٰصَالِ ۙ ٣٦
- fī
- فِى
- घरों में
- buyūtin
- بُيُوتٍ
- घरों में
- adhina
- أَذِنَ
- हुक्म दिया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- an
- أَن
- कि
- tur'faʿa
- تُرْفَعَ
- बुलन्द किया जाए
- wayudh'kara
- وَيُذْكَرَ
- और ज़िक्र किया जाए
- fīhā
- فِيهَا
- उनमें
- us'muhu
- ٱسْمُهُۥ
- नाम उसका
- yusabbiḥu
- يُسَبِّحُ
- वो तस्बीह करते हैं
- lahu
- لَهُۥ
- उसकी
- fīhā
- فِيهَا
- उनमें
- bil-ghuduwi
- بِٱلْغُدُوِّ
- सुबह
- wal-āṣāli
- وَٱلْءَاصَالِ
- और शाम
उन घरों में जिनको ऊँचा करने और जिनमें अपने नाम के याद करने का अल्लाह ने हुक्म दिया है, ([२४] अन-नूर: 36)Tafseer (तफ़सीर )
رِجَالٌ لَّا تُلْهِيْهِمْ تِجَارَةٌ وَّلَا بَيْعٌ عَنْ ذِكْرِ اللّٰهِ وَاِقَامِ الصَّلٰوةِ وَاِيْتَاۤءِ الزَّكٰوةِ ۙيَخَافُوْنَ يَوْمًا تَتَقَلَّبُ فِيْهِ الْقُلُوْبُ وَالْاَبْصَارُ ۙ ٣٧
- rijālun
- رِجَالٌ
- वो मर्द
- lā
- لَّا
- नहीं ग़ाफ़िल करती उन्हें
- tul'hīhim
- تُلْهِيهِمْ
- नहीं ग़ाफ़िल करती उन्हें
- tijāratun
- تِجَٰرَةٌ
- तिजारत
- walā
- وَلَا
- और ना
- bayʿun
- بَيْعٌ
- ख़रीदो फ़रोख़्त
- ʿan
- عَن
- ज़िक्र से
- dhik'ri
- ذِكْرِ
- ज़िक्र से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- wa-iqāmi
- وَإِقَامِ
- और क़ायम करने से
- l-ṣalati
- ٱلصَّلَوٰةِ
- नमाज़ के
- waītāi
- وَإِيتَآءِ
- और अदा करने से
- l-zakati
- ٱلزَّكَوٰةِۙ
- ज़कात के
- yakhāfūna
- يَخَافُونَ
- वो डरते हैं
- yawman
- يَوْمًا
- उस दिन से
- tataqallabu
- تَتَقَلَّبُ
- उलट-पलट हो जाऐंगे
- fīhi
- فِيهِ
- जिसमें
- l-qulūbu
- ٱلْقُلُوبُ
- दिल
- wal-abṣāru
- وَٱلْأَبْصَٰرُ
- और निगाहें
उनमें ऐसे लोग प्रभात काल और संध्या समय उसकी तसबीह करते है जिन्हें अल्लाह की याद और नमाज क़ायम करने और ज़कात देने से न तो व्यापार ग़ाफ़िल करता है और न क्रय-विक्रय। वे उस दिन से डरते रहते है जिसमें दिल और आँखें विकल हो जाएँगी ([२४] अन-नूर: 37)Tafseer (तफ़सीर )
لِيَجْزِيَهُمُ اللّٰهُ اَحْسَنَ مَا عَمِلُوْا وَيَزِيْدَهُمْ مِّنْ فَضْلِهٖۗ وَاللّٰهُ يَرْزُقُ مَنْ يَّشَاۤءُ بِغَيْرِ حِسَابٍ ٣٨
- liyajziyahumu
- لِيَجْزِيَهُمُ
- ताकि बदला दे उन्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- aḥsana
- أَحْسَنَ
- बेहतरीन
- mā
- مَا
- उसका जो
- ʿamilū
- عَمِلُوا۟
- उन्होंने अमल किए
- wayazīdahum
- وَيَزِيدَهُم
- और ज़्यादा दे उन्हें
- min
- مِّن
- अपने फ़ज़ल से
- faḍlihi
- فَضْلِهِۦۗ
- अपने फ़ज़ल से
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- yarzuqu
- يَرْزُقُ
- वो रिज़्क़ देता है
- man
- مَن
- जिसे
- yashāu
- يَشَآءُ
- वो चाहता है
- bighayri
- بِغَيْرِ
- बग़ैर
- ḥisābin
- حِسَابٍ
- हिसाब के
ताकि अल्लाह उन्हें बदला प्रदान करे। उनके अच्छे से अच्छे कामों का, और अपने उदार अनुग्रह से उन्हें और अधिक प्रदान करें। अल्लाह जिसे चाहता है बेहिसाब देता है ([२४] अन-नूर: 38)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ كَفَرُوْٓا اَعْمَالُهُمْ كَسَرَابٍۢ بِقِيْعَةٍ يَّحْسَبُهُ الظَّمْاٰنُ مَاۤءًۗ حَتّٰٓى اِذَا جَاۤءَهٗ لَمْ يَجِدْهُ شَيْـًٔا وَّوَجَدَ اللّٰهَ عِنْدَهٗ فَوَفّٰىهُ حِسَابَهٗ ۗ وَاللّٰهُ سَرِيْعُ الْحِسَابِ ۙ ٣٩
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوٓا۟
- कुफ़्र किया
- aʿmāluhum
- أَعْمَٰلُهُمْ
- आमाल उनके
- kasarābin
- كَسَرَابٍۭ
- मानिन्द सराब के हैं
- biqīʿatin
- بِقِيعَةٍ
- चटियल मैदान में
- yaḥsabuhu
- يَحْسَبُهُ
- समझता है उसे
- l-ẓamānu
- ٱلظَّمْـَٔانُ
- सख़्त प्यासा
- māan
- مَآءً
- पानी
- ḥattā
- حَتَّىٰٓ
- यहाँ तक कि
- idhā
- إِذَا
- जब
- jāahu
- جَآءَهُۥ
- वो आता है उसके पास
- lam
- لَمْ
- नहीं
- yajid'hu
- يَجِدْهُ
- वो पाता उसे
- shayan
- شَيْـًٔا
- कुछ भी
- wawajada
- وَوَجَدَ
- और पाता है
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह को
- ʿindahu
- عِندَهُۥ
- अपने पास
- fawaffāhu
- فَوَفَّىٰهُ
- फिर वो पूरा-पूरा देता है उसे
- ḥisābahu
- حِسَابَهُۥۗ
- हिसाब उसका
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- sarīʿu
- سَرِيعُ
- जल्द लेने वाला है
- l-ḥisābi
- ٱلْحِسَابِ
- हिसाब
रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया उनके कर्म चटियल मैदान में मरीचिका की तरह है कि प्यासा उसे पानी समझता है, यहाँ तक कि जब वह उसके पास पहुँचा तो उसे कुछ भी न पाया। अलबत्ता अल्लाह ही को उसके पास पाया, जिसने उसका हिसाब पूरा-पूरा चुका दिया। और अल्लाह बहुत जल्द हिसाब करता है ([२४] अन-नूर: 39)Tafseer (तफ़सीर )
اَوْ كَظُلُمٰتٍ فِيْ بَحْرٍ لُّجِّيٍّ يَّغْشٰىهُ مَوْجٌ مِّنْ فَوْقِهٖ مَوْجٌ مِّنْ فَوْقِهٖ سَحَابٌۗ ظُلُمٰتٌۢ بَعْضُهَا فَوْقَ بَعْضٍۗ اِذَآ اَخْرَجَ يَدَهٗ لَمْ يَكَدْ يَرٰىهَاۗ وَمَنْ لَّمْ يَجْعَلِ اللّٰهُ لَهٗ نُوْرًا فَمَا لَهٗ مِنْ نُّوْرٍ ࣖ ٤٠
- aw
- أَوْ
- या
- kaẓulumātin
- كَظُلُمَٰتٍ
- मानिन्द अंधेरों के
- fī
- فِى
- समुन्दर में
- baḥrin
- بَحْرٍ
- समुन्दर में
- lujjiyyin
- لُّجِّىٍّ
- निहायत गहरे
- yaghshāhu
- يَغْشَىٰهُ
- ढाँप लेती है उसे
- mawjun
- مَوْجٌ
- मौज
- min
- مِّن
- उसके ऊपर से
- fawqihi
- فَوْقِهِۦ
- उसके ऊपर से
- mawjun
- مَوْجٌ
- एक( और) मौज
- min
- مِّن
- उसके ऊपर से
- fawqihi
- فَوْقِهِۦ
- उसके ऊपर से
- saḥābun
- سَحَابٌۚ
- बादल
- ẓulumātun
- ظُلُمَٰتٌۢ
- अंधेरे हैं
- baʿḍuhā
- بَعْضُهَا
- बाज़ उनके
- fawqa
- فَوْقَ
- ऊपर हैं
- baʿḍin
- بَعْضٍ
- बाज़ के
- idhā
- إِذَآ
- जब
- akhraja
- أَخْرَجَ
- वो निकाले
- yadahu
- يَدَهُۥ
- हाथ अपना
- lam
- لَمْ
- नहीं
- yakad
- يَكَدْ
- वो क़रीब कि
- yarāhā
- يَرَىٰهَاۗ
- वो देख सके उसे
- waman
- وَمَن
- और वो जो
- lam
- لَّمْ
- नहीं
- yajʿali
- يَجْعَلِ
- बनाया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- nūran
- نُورًا
- कोई नूर
- famā
- فَمَا
- तो नहीं
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- min
- مِن
- कोई नूर
- nūrin
- نُّورٍ
- कोई नूर
या फिर जैसे एक गहरे समुद्र में अँधेरे, लहर के ऊपर लहर छा रही हैं; उसके ऊपर बादल है, अँधेरे है एक पर एक। जब वह अपना हाथ निकाले तो उसे वह सुझाई देता प्रतीत न हो। जिसे अल्लाह ही प्रकाश न दे फिर उसके लिए कोई प्रकाश नहीं ([२४] अन-नूर: 40)Tafseer (तफ़सीर )