۞ يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَتَّبِعُوْا خُطُوٰتِ الشَّيْطٰنِۗ وَمَنْ يَّتَّبِعْ خُطُوٰتِ الشَّيْطٰنِ فَاِنَّهٗ يَأْمُرُ بِالْفَحْشَاۤءِ وَالْمُنْكَرِۗ وَلَوْلَا فَضْلُ اللّٰهِ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَتُهٗ مَا زَكٰى مِنْكُمْ مِّنْ اَحَدٍ اَبَدًاۙ وَّلٰكِنَّ اللّٰهَ يُزَكِّيْ مَنْ يَّشَاۤءُۗ وَاللّٰهُ سَمِيْعٌ عَلِيْمٌ ٢١
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- lā
- لَا
- ना तुम पैरवी करो
- tattabiʿū
- تَتَّبِعُوا۟
- ना तुम पैरवी करो
- khuṭuwāti
- خُطُوَٰتِ
- क़दमों की
- l-shayṭāni
- ٱلشَّيْطَٰنِۚ
- शैतान के
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yattabiʿ
- يَتَّبِعْ
- पैरवी करेगा
- khuṭuwāti
- خُطُوَٰتِ
- क़दमों की
- l-shayṭāni
- ٱلشَّيْطَٰنِ
- शैतान के
- fa-innahu
- فَإِنَّهُۥ
- तो बेशक वो
- yamuru
- يَأْمُرُ
- वो हुक्म देता है
- bil-faḥshāi
- بِٱلْفَحْشَآءِ
- बेहयाई का
- wal-munkari
- وَٱلْمُنكَرِۚ
- और बुराई का
- walawlā
- وَلَوْلَا
- और अगर ना होता
- faḍlu
- فَضْلُ
- फ़ज़ल
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- waraḥmatuhu
- وَرَحْمَتُهُۥ
- और रहमत उसकी
- mā
- مَا
- ना
- zakā
- زَكَىٰ
- पाक हो सकता
- minkum
- مِنكُم
- तुम में से
- min
- مِّنْ
- कोई एक
- aḥadin
- أَحَدٍ
- कोई एक
- abadan
- أَبَدًا
- कभी भी
- walākinna
- وَلَٰكِنَّ
- और लेकिन
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yuzakkī
- يُزَكِّى
- वो पाक करता है
- man
- مَن
- जिसे
- yashāu
- يَشَآءُۗ
- वो चाहता है
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- samīʿun
- سَمِيعٌ
- ख़ूब सुनने वाला है
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब इल्म वाला है
ऐ ईमान लानेवालो! शैतान के पद-चिन्हों पर न चलो। जो कोई शैतान के पद-चिन्हों पर चलेगा तो वह तो उसे अश्लीलता औऱ बुराई का आदेश देगा। और यदि अल्लाह का उदार अनुग्रह और उसकी दयालुता तुमपर न होती तो तुममें से कोई भी आत्म-विश्वास को प्राप्त न कर सकता। किन्तु अल्लाह जिसे चाहता है, सँवारता-निखारता है। अल्लाह तो सब कुछ सुनता, जानता है ([२४] अन-नूर: 21)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا يَأْتَلِ اُولُو الْفَضْلِ مِنْكُمْ وَالسَّعَةِ اَنْ يُّؤْتُوْٓا اُولِى الْقُرْبٰى وَالْمَسٰكِيْنَ وَالْمُهٰجِرِيْنَ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ۖوَلْيَعْفُوْا وَلْيَصْفَحُوْاۗ اَلَا تُحِبُّوْنَ اَنْ يَّغْفِرَ اللّٰهُ لَكُمْ ۗوَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ٢٢
- walā
- وَلَا
- और ना
- yatali
- يَأْتَلِ
- क़सम खाऐं
- ulū
- أُو۟لُوا۟
- साहिबे
- l-faḍli
- ٱلْفَضْلِ
- फ़ज़ल
- minkum
- مِنكُمْ
- तुम में से
- wal-saʿati
- وَٱلسَّعَةِ
- और वुसअत वाले
- an
- أَن
- कि
- yu'tū
- يُؤْتُوٓا۟
- (ना) वो देंगे
- ulī
- أُو۟لِى
- रिश्तेदारों
- l-qur'bā
- ٱلْقُرْبَىٰ
- रिश्तेदारों
- wal-masākīna
- وَٱلْمَسَٰكِينَ
- और मिस्कीनों
- wal-muhājirīna
- وَٱلْمُهَٰجِرِينَ
- और मुहाजिरीन को
- fī
- فِى
- अल्लाह के रास्ते में
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते में
- l-lahi
- ٱللَّهِۖ
- अल्लाह के रास्ते में
- walyaʿfū
- وَلْيَعْفُوا۟
- और चाहिए कि वो माफ़ कर दें
- walyaṣfaḥū
- وَلْيَصْفَحُوٓا۟ۗ
- और चाहिए कि वो दरगुज़र करें
- alā
- أَلَا
- क्या नहीं
- tuḥibbūna
- تُحِبُّونَ
- तुम पसंद करते
- an
- أَن
- कि
- yaghfira
- يَغْفِرَ
- माफ़ कर दे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- lakum
- لَكُمْۗ
- तुम्हें
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ghafūrun
- غَفُورٌ
- बहुत बख़्शने वाला है
- raḥīmun
- رَّحِيمٌ
- निहायत रहम करने वाला है
तुममें जो बड़ाईवाले और सामर्थ्यवान है, वे नातेदारों, मुहताजों और अल्लाह की राह में घरबार छोड़नेवालों को देने से बाज़ रहने की क़सम न खा बैठें। उन्हें चाहिए कि क्षमा कर दें और उनसे दरगुज़र करें। क्या तुम यह नहीं चाहते कि अल्लाह तुम्हें क्षमा करें? अल्लाह बहुत क्षमाशील,अत्यन्त दयावान है ([२४] अन-नूर: 22)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الَّذِيْنَ يَرْمُوْنَ الْمُحْصَنٰتِ الْغٰفِلٰتِ الْمُؤْمِنٰتِ لُعِنُوْا فِى الدُّنْيَا وَالْاٰخِرَةِۖ وَلَهُمْ عَذَابٌ عَظِيْمٌ ۙ ٢٣
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- yarmūna
- يَرْمُونَ
- तोहमत लगाते हैं
- l-muḥ'ṣanāti
- ٱلْمُحْصَنَٰتِ
- पाकदामन
- l-ghāfilāti
- ٱلْغَٰفِلَٰتِ
- बेख़बर/ भोली भाली
- l-mu'mināti
- ٱلْمُؤْمِنَٰتِ
- मोमिन औरतों पर
- luʿinū
- لُعِنُوا۟
- वो लानत किए गए
- fī
- فِى
- दुनिया में
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया में
- wal-ākhirati
- وَٱلْءَاخِرَةِ
- और आख़िरत में
- walahum
- وَلَهُمْ
- और उनके लिए
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब है
- ʿaẓīmun
- عَظِيمٌ
- बहुत बड़ा
निस्संदेह जो लोग शरीफ़, पाकदामन, भोली-भाली बेख़बर ईमानवाली स्त्रियों पर तोहमत लगाते है उनपर दुनिया और आख़िरत में फिटकार है। और उनके लिए एक बड़ी यातना है ([२४] अन-नूर: 23)Tafseer (तफ़सीर )
يَّوْمَ تَشْهَدُ عَلَيْهِمْ اَلْسِنَتُهُمْ وَاَيْدِيْهِمْ وَاَرْجُلُهُمْ بِمَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ٢٤
- yawma
- يَوْمَ
- जिस दिन
- tashhadu
- تَشْهَدُ
- गवाही देंगी
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- alsinatuhum
- أَلْسِنَتُهُمْ
- ज़बानें उनकी
- wa-aydīhim
- وَأَيْدِيهِمْ
- और हाथ उनके
- wa-arjuluhum
- وَأَرْجُلُهُم
- और पाँव उनके
- bimā
- بِمَا
- उसकी जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- वो अमल करते
जिस दिन कि उनकी ज़बानें और उनके हाथ और उनके पाँव उनके विरुद्ध उसकी गवाही देंगे, जो कुछ वे करते रहे थे, ([२४] अन-नूर: 24)Tafseer (तफ़सीर )
يَوْمَىِٕذٍ يُّوَفِّيْهِمُ اللّٰهُ دِيْنَهُمُ الْحَقَّ وَيَعْلَمُوْنَ اَنَّ اللّٰهَ هُوَ الْحَقُّ الْمُبِيْنُ ٢٥
- yawma-idhin
- يَوْمَئِذٍ
- उस दिन
- yuwaffīhimu
- يُوَفِّيهِمُ
- पूरा-पूरा देगा उन्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- dīnahumu
- دِينَهُمُ
- बदला उनका
- l-ḥaqa
- ٱلْحَقَّ
- दुरुस्त
- wayaʿlamūna
- وَيَعْلَمُونَ
- और वो जान लेंगे
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- huwa
- هُوَ
- वो ही
- l-ḥaqu
- ٱلْحَقُّ
- हक़ है
- l-mubīnu
- ٱلْمُبِينُ
- ज़ाहिर करने वाला है
उस दिन अल्लाह उन्हें उनका ठीक बदला पूरी तरह दे देगा जिसके वे पात्र है। और वे जान लेंगे कि निस्संदेह अल्लाह ही सत्य है खुला हुआ, प्रकट कर देनेवाला ([२४] अन-नूर: 25)Tafseer (तफ़सीर )
اَلْخَبِيْثٰتُ لِلْخَبِيْثِيْنَ وَالْخَبِيْثُوْنَ لِلْخَبِيْثٰتِۚ وَالطَّيِّبٰتُ لِلطَّيِّبِيْنَ وَالطَّيِّبُوْنَ لِلطَّيِّبٰتِۚ اُولٰۤىِٕكَ مُبَرَّءُوْنَ مِمَّا يَقُوْلُوْنَۗ لَهُمْ مَّغْفِرَةٌ وَّرِزْقٌ كَرِيْمٌ ࣖ ٢٦
- al-khabīthātu
- ٱلْخَبِيثَٰتُ
- ख़बीस औरतें हैं
- lil'khabīthīna
- لِلْخَبِيثِينَ
- ख़बीस मर्दों के लिए
- wal-khabīthūna
- وَٱلْخَبِيثُونَ
- और ख़बीस मर्द हैं
- lil'khabīthāti
- لِلْخَبِيثَٰتِۖ
- ख़बीस औरतों के लिए
- wal-ṭayibātu
- وَٱلطَّيِّبَٰتُ
- और पाकीज़ा औरतें हैं
- lilṭṭayyibīna
- لِلطَّيِّبِينَ
- पाकीज़ा मर्दों के लिए
- wal-ṭayibūna
- وَٱلطَّيِّبُونَ
- और पाकीज़ा मर्द हैं
- lilṭṭayyibāti
- لِلطَّيِّبَٰتِۚ
- पाकीज़ा औरतों के लिए
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- mubarraūna
- مُبَرَّءُونَ
- मुबर्रा/ पाक
- mimmā
- مِمَّا
- उस से जो
- yaqūlūna
- يَقُولُونَۖ
- वो कहते हैं
- lahum
- لَهُم
- उनके लिए
- maghfiratun
- مَّغْفِرَةٌ
- बख़्शिश है
- wariz'qun
- وَرِزْقٌ
- और रिज़्क़ है
- karīmun
- كَرِيمٌ
- इज़्ज़त वाला
गन्दी चीज़े गन्दें लोगों के लिए है और गन्दे लोग गन्दी चीज़ों के लिए, और अच्छी चीज़ें अच्छे लोगों के लिए है और अच्छे लोग अच्छी चीज़ों के लिए। वे लोग उन बातों से बरी है, जो वे कह रहे है। उनके लिए क्षमा और सम्मानित आजीविका है ([२४] अन-नूर: 26)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَدْخُلُوْا بُيُوْتًا غَيْرَ بُيُوْتِكُمْ حَتّٰى تَسْتَأْنِسُوْا وَتُسَلِّمُوْا عَلٰٓى اَهْلِهَاۗ ذٰلِكُمْ خَيْرٌ لَّكُمْ لَعَلَّكُمْ تَذَكَّرُوْنَ ٢٧
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- lā
- لَا
- ना तुम दाख़िल हो
- tadkhulū
- تَدْخُلُوا۟
- ना तुम दाख़िल हो
- buyūtan
- بُيُوتًا
- घरों में
- ghayra
- غَيْرَ
- सिवाए
- buyūtikum
- بُيُوتِكُمْ
- अपने घरों के
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- tastanisū
- تَسْتَأْنِسُوا۟
- तुम उनस हासिल कर लो
- watusallimū
- وَتُسَلِّمُوا۟
- और तुम सलाम करो
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- ऊपर
- ahlihā
- أَهْلِهَاۚ
- उसके रहने वालों के
- dhālikum
- ذَٰلِكُمْ
- ये बात
- khayrun
- خَيْرٌ
- बेहतर है
- lakum
- لَّكُمْ
- तुम्हारे लिए
- laʿallakum
- لَعَلَّكُمْ
- ताकि तुम
- tadhakkarūna
- تَذَكَّرُونَ
- तुम नसीहत पकड़ो
ऐ ईमान लानेवालो! अपने घरों के सिवा दूसरे घऱों में प्रवेश करो, जब तक कि रज़ामन्दी हासिल न कर लो और उन घरवालों को सलाम न कर लो। यही तुम्हारे लिए उत्तम है, कदाचित तुम ध्यान रखो ([२४] अन-नूर: 27)Tafseer (तफ़सीर )
فَاِنْ لَّمْ تَجِدُوْا فِيْهَآ اَحَدًا فَلَا تَدْخُلُوْهَا حَتّٰى يُؤْذَنَ لَكُمْ وَاِنْ قِيْلَ لَكُمُ ارْجِعُوْا فَارْجِعُوْا هُوَ اَزْكٰى لَكُمْ ۗوَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ عَلِيْمٌ ٢٨
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- lam
- لَّمْ
- ना
- tajidū
- تَجِدُوا۟
- तुम पाओ
- fīhā
- فِيهَآ
- उनमें
- aḥadan
- أَحَدًا
- किसी एक को
- falā
- فَلَا
- तो ना
- tadkhulūhā
- تَدْخُلُوهَا
- तुम दाख़िल हो उनमें
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yu'dhana
- يُؤْذَنَ
- इजाज़त दे दी जाए
- lakum
- لَكُمْۖ
- तुम्हें
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- qīla
- قِيلَ
- कहा जाए
- lakumu
- لَكُمُ
- तुम्हें
- ir'jiʿū
- ٱرْجِعُوا۟
- वापस जाओ
- fa-ir'jiʿū
- فَٱرْجِعُوا۟ۖ
- तो वापस चले जाओ
- huwa
- هُوَ
- वो
- azkā
- أَزْكَىٰ
- ज़्यादा पाकीज़ा है
- lakum
- لَكُمْۚ
- तुम्हारे लिए
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- bimā
- بِمَا
- उसे जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते हो
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब जानने वाला है
फिर यदि उनमें किसी को न पाओ, तो उनमें प्रवेश न करो जब तक कि तुम्हें अनुमति प्राप्त न हो। और यदि तुमसे कहा जाए कि वापस हो जाओ तो वापस हो जाओ, यही तुम्हारे लिए अधिक अच्छी बात है। अल्लाह भली-भाँति जानता है जो कुछ तुम करते हो ([२४] अन-नूर: 28)Tafseer (तफ़सीर )
لَيْسَ عَلَيْكُمْ جُنَاحٌ اَنْ تَدْخُلُوْا بُيُوْتًا غَيْرَ مَسْكُوْنَةٍ فِيْهَا مَتَاعٌ لَّكُمْۗ وَاللّٰهُ يَعْلَمُ مَا تُبْدُوْنَ وَمَا تَكْتُمُوْنَ ٢٩
- laysa
- لَّيْسَ
- नहीं है
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- junāḥun
- جُنَاحٌ
- कोई गुनाह
- an
- أَن
- कि
- tadkhulū
- تَدْخُلُوا۟
- तुम दाख़िल हो
- buyūtan
- بُيُوتًا
- घरों में
- ghayra
- غَيْرَ
- ग़ैर
- maskūnatin
- مَسْكُونَةٍ
- रिहाइशी
- fīhā
- فِيهَا
- जिन में
- matāʿun
- مَتَٰعٌ
- फ़ायदा है
- lakum
- لَّكُمْۚ
- तुम्हारे लिए
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- वो जानता है
- mā
- مَا
- जो कुछ
- tub'dūna
- تُبْدُونَ
- तुम ज़ाहिर करते हो
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- taktumūna
- تَكْتُمُونَ
- तुम छुपाते हो
इसमें तुम्हारे लिए कोई दोष नहीं है कि तुम ऐसे घरों में प्रवेश करो जिनमें कोई न रहता हो, जिनमें तुम्हारे फ़ायदे की कोई चीज़ हो। और अल्लाह जानता है जो कुछ तुम प्रकट करते हो और जो कुछ छिपाते हो ([२४] अन-नूर: 29)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ لِّلْمُؤْمِنِيْنَ يَغُضُّوْا مِنْ اَبْصَارِهِمْ وَيَحْفَظُوْا فُرُوْجَهُمْۗ ذٰلِكَ اَزْكٰى لَهُمْۗ اِنَّ اللّٰهَ خَبِيْرٌۢ بِمَا يَصْنَعُوْنَ ٣٠
- qul
- قُل
- कह दीजिए
- lil'mu'minīna
- لِّلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिन मर्दों से
- yaghuḍḍū
- يَغُضُّوا۟
- वो पस्त रखें
- min
- مِنْ
- अपनी निगाहों में से
- abṣārihim
- أَبْصَٰرِهِمْ
- अपनी निगाहों में से
- wayaḥfaẓū
- وَيَحْفَظُوا۟
- और वो हिफ़ाज़त करें
- furūjahum
- فُرُوجَهُمْۚ
- अपनी शर्मगाहों की
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- azkā
- أَزْكَىٰ
- ज़्यादा पाकीज़ा है
- lahum
- لَهُمْۗ
- उनके लिए
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- khabīrun
- خَبِيرٌۢ
- ख़ूब ख़बर रखने वाला है
- bimā
- بِمَا
- उसकी जो
- yaṣnaʿūna
- يَصْنَعُونَ
- वो करते हैं
ईमानवाले पुरुषों से कह दो कि अपनी निगाहें बचाकर रखें और अपने गुप्तांगों की रक्षा करें। यही उनके लिए अधिक अच्छी बात है। अल्लाह को उसकी पूरी ख़बर रहती है, जो कुछ वे किया करते है ([२४] अन-नूर: 30)Tafseer (तफ़सीर )