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सूरा अन-नूर - Page: 3

An-Nur

(प्रकाश)

२१

۞ يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَتَّبِعُوْا خُطُوٰتِ الشَّيْطٰنِۗ وَمَنْ يَّتَّبِعْ خُطُوٰتِ الشَّيْطٰنِ فَاِنَّهٗ يَأْمُرُ بِالْفَحْشَاۤءِ وَالْمُنْكَرِۗ وَلَوْلَا فَضْلُ اللّٰهِ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَتُهٗ مَا زَكٰى مِنْكُمْ مِّنْ اَحَدٍ اَبَدًاۙ وَّلٰكِنَّ اللّٰهَ يُزَكِّيْ مَنْ يَّشَاۤءُۗ وَاللّٰهُ سَمِيْعٌ عَلِيْمٌ ٢١

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
لَا
ना तुम पैरवी करो
tattabiʿū
تَتَّبِعُوا۟
ना तुम पैरवी करो
khuṭuwāti
خُطُوَٰتِ
क़दमों की
l-shayṭāni
ٱلشَّيْطَٰنِۚ
शैतान के
waman
وَمَن
और जो कोई
yattabiʿ
يَتَّبِعْ
पैरवी करेगा
khuṭuwāti
خُطُوَٰتِ
क़दमों की
l-shayṭāni
ٱلشَّيْطَٰنِ
शैतान के
fa-innahu
فَإِنَّهُۥ
तो बेशक वो
yamuru
يَأْمُرُ
वो हुक्म देता है
bil-faḥshāi
بِٱلْفَحْشَآءِ
बेहयाई का
wal-munkari
وَٱلْمُنكَرِۚ
और बुराई का
walawlā
وَلَوْلَا
और अगर ना होता
faḍlu
فَضْلُ
फ़ज़ल
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
waraḥmatuhu
وَرَحْمَتُهُۥ
और रहमत उसकी
مَا
ना
zakā
زَكَىٰ
पाक हो सकता
minkum
مِنكُم
तुम में से
min
مِّنْ
कोई एक
aḥadin
أَحَدٍ
कोई एक
abadan
أَبَدًا
कभी भी
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yuzakkī
يُزَكِّى
वो पाक करता है
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُۗ
वो चाहता है
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
samīʿun
سَمِيعٌ
ख़ूब सुनने वाला है
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब इल्म वाला है
ऐ ईमान लानेवालो! शैतान के पद-चिन्हों पर न चलो। जो कोई शैतान के पद-चिन्हों पर चलेगा तो वह तो उसे अश्लीलता औऱ बुराई का आदेश देगा। और यदि अल्लाह का उदार अनुग्रह और उसकी दयालुता तुमपर न होती तो तुममें से कोई भी आत्म-विश्वास को प्राप्त न कर सकता। किन्तु अल्लाह जिसे चाहता है, सँवारता-निखारता है। अल्लाह तो सब कुछ सुनता, जानता है ([२४] अन-नूर: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

وَلَا يَأْتَلِ اُولُو الْفَضْلِ مِنْكُمْ وَالسَّعَةِ اَنْ يُّؤْتُوْٓا اُولِى الْقُرْبٰى وَالْمَسٰكِيْنَ وَالْمُهٰجِرِيْنَ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ۖوَلْيَعْفُوْا وَلْيَصْفَحُوْاۗ اَلَا تُحِبُّوْنَ اَنْ يَّغْفِرَ اللّٰهُ لَكُمْ ۗوَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ٢٢

walā
وَلَا
और ना
yatali
يَأْتَلِ
क़सम खाऐं
ulū
أُو۟لُوا۟
साहिबे
l-faḍli
ٱلْفَضْلِ
फ़ज़ल
minkum
مِنكُمْ
तुम में से
wal-saʿati
وَٱلسَّعَةِ
और वुसअत वाले
an
أَن
कि
yu'tū
يُؤْتُوٓا۟
(ना) वो देंगे
ulī
أُو۟لِى
रिश्तेदारों
l-qur'bā
ٱلْقُرْبَىٰ
रिश्तेदारों
wal-masākīna
وَٱلْمَسَٰكِينَ
और मिस्कीनों
wal-muhājirīna
وَٱلْمُهَٰجِرِينَ
और मुहाजिरीन को
فِى
अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِۖ
अल्लाह के रास्ते में
walyaʿfū
وَلْيَعْفُوا۟
और चाहिए कि वो माफ़ कर दें
walyaṣfaḥū
وَلْيَصْفَحُوٓا۟ۗ
और चाहिए कि वो दरगुज़र करें
alā
أَلَا
क्या नहीं
tuḥibbūna
تُحِبُّونَ
तुम पसंद करते
an
أَن
कि
yaghfira
يَغْفِرَ
माफ़ कर दे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
lakum
لَكُمْۗ
तुम्हें
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
तुममें जो बड़ाईवाले और सामर्थ्यवान है, वे नातेदारों, मुहताजों और अल्लाह की राह में घरबार छोड़नेवालों को देने से बाज़ रहने की क़सम न खा बैठें। उन्हें चाहिए कि क्षमा कर दें और उनसे दरगुज़र करें। क्या तुम यह नहीं चाहते कि अल्लाह तुम्हें क्षमा करें? अल्लाह बहुत क्षमाशील,अत्यन्त दयावान है ([२४] अन-नूर: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

اِنَّ الَّذِيْنَ يَرْمُوْنَ الْمُحْصَنٰتِ الْغٰفِلٰتِ الْمُؤْمِنٰتِ لُعِنُوْا فِى الدُّنْيَا وَالْاٰخِرَةِۖ وَلَهُمْ عَذَابٌ عَظِيْمٌ ۙ ٢٣

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
yarmūna
يَرْمُونَ
तोहमत लगाते हैं
l-muḥ'ṣanāti
ٱلْمُحْصَنَٰتِ
पाकदामन
l-ghāfilāti
ٱلْغَٰفِلَٰتِ
बेख़बर/ भोली भाली
l-mu'mināti
ٱلْمُؤْمِنَٰتِ
मोमिन औरतों पर
luʿinū
لُعِنُوا۟
वो लानत किए गए
فِى
दुनिया में
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया में
wal-ākhirati
وَٱلْءَاخِرَةِ
और आख़िरत में
walahum
وَلَهُمْ
और उनके लिए
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
ʿaẓīmun
عَظِيمٌ
बहुत बड़ा
निस्संदेह जो लोग शरीफ़, पाकदामन, भोली-भाली बेख़बर ईमानवाली स्त्रियों पर तोहमत लगाते है उनपर दुनिया और आख़िरत में फिटकार है। और उनके लिए एक बड़ी यातना है ([२४] अन-नूर: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

يَّوْمَ تَشْهَدُ عَلَيْهِمْ اَلْسِنَتُهُمْ وَاَيْدِيْهِمْ وَاَرْجُلُهُمْ بِمَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ٢٤

yawma
يَوْمَ
जिस दिन
tashhadu
تَشْهَدُ
गवाही देंगी
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
alsinatuhum
أَلْسِنَتُهُمْ
ज़बानें उनकी
wa-aydīhim
وَأَيْدِيهِمْ
और हाथ उनके
wa-arjuluhum
وَأَرْجُلُهُم
और पाँव उनके
bimā
بِمَا
उसकी जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते
जिस दिन कि उनकी ज़बानें और उनके हाथ और उनके पाँव उनके विरुद्ध उसकी गवाही देंगे, जो कुछ वे करते रहे थे, ([२४] अन-नूर: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

يَوْمَىِٕذٍ يُّوَفِّيْهِمُ اللّٰهُ دِيْنَهُمُ الْحَقَّ وَيَعْلَمُوْنَ اَنَّ اللّٰهَ هُوَ الْحَقُّ الْمُبِيْنُ ٢٥

yawma-idhin
يَوْمَئِذٍ
उस दिन
yuwaffīhimu
يُوَفِّيهِمُ
पूरा-पूरा देगा उन्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
dīnahumu
دِينَهُمُ
बदला उनका
l-ḥaqa
ٱلْحَقَّ
दुरुस्त
wayaʿlamūna
وَيَعْلَمُونَ
और वो जान लेंगे
anna
أَنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
huwa
هُوَ
वो ही
l-ḥaqu
ٱلْحَقُّ
हक़ है
l-mubīnu
ٱلْمُبِينُ
ज़ाहिर करने वाला है
उस दिन अल्लाह उन्हें उनका ठीक बदला पूरी तरह दे देगा जिसके वे पात्र है। और वे जान लेंगे कि निस्संदेह अल्लाह ही सत्य है खुला हुआ, प्रकट कर देनेवाला ([२४] अन-नूर: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

اَلْخَبِيْثٰتُ لِلْخَبِيْثِيْنَ وَالْخَبِيْثُوْنَ لِلْخَبِيْثٰتِۚ وَالطَّيِّبٰتُ لِلطَّيِّبِيْنَ وَالطَّيِّبُوْنَ لِلطَّيِّبٰتِۚ اُولٰۤىِٕكَ مُبَرَّءُوْنَ مِمَّا يَقُوْلُوْنَۗ لَهُمْ مَّغْفِرَةٌ وَّرِزْقٌ كَرِيْمٌ ࣖ ٢٦

al-khabīthātu
ٱلْخَبِيثَٰتُ
ख़बीस औरतें हैं
lil'khabīthīna
لِلْخَبِيثِينَ
ख़बीस मर्दों के लिए
wal-khabīthūna
وَٱلْخَبِيثُونَ
और ख़बीस मर्द हैं
lil'khabīthāti
لِلْخَبِيثَٰتِۖ
ख़बीस औरतों के लिए
wal-ṭayibātu
وَٱلطَّيِّبَٰتُ
और पाकीज़ा औरतें हैं
lilṭṭayyibīna
لِلطَّيِّبِينَ
पाकीज़ा मर्दों के लिए
wal-ṭayibūna
وَٱلطَّيِّبُونَ
और पाकीज़ा मर्द हैं
lilṭṭayyibāti
لِلطَّيِّبَٰتِۚ
पाकीज़ा औरतों के लिए
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
mubarraūna
مُبَرَّءُونَ
मुबर्रा/ पाक
mimmā
مِمَّا
उस से जो
yaqūlūna
يَقُولُونَۖ
वो कहते हैं
lahum
لَهُم
उनके लिए
maghfiratun
مَّغْفِرَةٌ
बख़्शिश है
wariz'qun
وَرِزْقٌ
और रिज़्क़ है
karīmun
كَرِيمٌ
इज़्ज़त वाला
गन्दी चीज़े गन्दें लोगों के लिए है और गन्दे लोग गन्दी चीज़ों के लिए, और अच्छी चीज़ें अच्छे लोगों के लिए है और अच्छे लोग अच्छी चीज़ों के लिए। वे लोग उन बातों से बरी है, जो वे कह रहे है। उनके लिए क्षमा और सम्मानित आजीविका है ([२४] अन-नूर: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَدْخُلُوْا بُيُوْتًا غَيْرَ بُيُوْتِكُمْ حَتّٰى تَسْتَأْنِسُوْا وَتُسَلِّمُوْا عَلٰٓى اَهْلِهَاۗ ذٰلِكُمْ خَيْرٌ لَّكُمْ لَعَلَّكُمْ تَذَكَّرُوْنَ ٢٧

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
لَا
ना तुम दाख़िल हो
tadkhulū
تَدْخُلُوا۟
ना तुम दाख़िल हो
buyūtan
بُيُوتًا
घरों में
ghayra
غَيْرَ
सिवाए
buyūtikum
بُيُوتِكُمْ
अपने घरों के
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
tastanisū
تَسْتَأْنِسُوا۟
तुम उनस हासिल कर लो
watusallimū
وَتُسَلِّمُوا۟
और तुम सलाम करो
ʿalā
عَلَىٰٓ
ऊपर
ahlihā
أَهْلِهَاۚ
उसके रहने वालों के
dhālikum
ذَٰلِكُمْ
ये बात
khayrun
خَيْرٌ
बेहतर है
lakum
لَّكُمْ
तुम्हारे लिए
laʿallakum
لَعَلَّكُمْ
ताकि तुम
tadhakkarūna
تَذَكَّرُونَ
तुम नसीहत पकड़ो
ऐ ईमान लानेवालो! अपने घरों के सिवा दूसरे घऱों में प्रवेश करो, जब तक कि रज़ामन्दी हासिल न कर लो और उन घरवालों को सलाम न कर लो। यही तुम्हारे लिए उत्तम है, कदाचित तुम ध्यान रखो ([२४] अन-नूर: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

فَاِنْ لَّمْ تَجِدُوْا فِيْهَآ اَحَدًا فَلَا تَدْخُلُوْهَا حَتّٰى يُؤْذَنَ لَكُمْ وَاِنْ قِيْلَ لَكُمُ ارْجِعُوْا فَارْجِعُوْا هُوَ اَزْكٰى لَكُمْ ۗوَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ عَلِيْمٌ ٢٨

fa-in
فَإِن
फिर अगर
lam
لَّمْ
ना
tajidū
تَجِدُوا۟
तुम पाओ
fīhā
فِيهَآ
उनमें
aḥadan
أَحَدًا
किसी एक को
falā
فَلَا
तो ना
tadkhulūhā
تَدْخُلُوهَا
तुम दाख़िल हो उनमें
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
yu'dhana
يُؤْذَنَ
इजाज़त दे दी जाए
lakum
لَكُمْۖ
तुम्हें
wa-in
وَإِن
और अगर
qīla
قِيلَ
कहा जाए
lakumu
لَكُمُ
तुम्हें
ir'jiʿū
ٱرْجِعُوا۟
वापस जाओ
fa-ir'jiʿū
فَٱرْجِعُوا۟ۖ
तो वापस चले जाओ
huwa
هُوَ
वो
azkā
أَزْكَىٰ
ज़्यादा पाकीज़ा है
lakum
لَكُمْۚ
तुम्हारे लिए
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
bimā
بِمَا
उसे जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
फिर यदि उनमें किसी को न पाओ, तो उनमें प्रवेश न करो जब तक कि तुम्हें अनुमति प्राप्त न हो। और यदि तुमसे कहा जाए कि वापस हो जाओ तो वापस हो जाओ, यही तुम्हारे लिए अधिक अच्छी बात है। अल्लाह भली-भाँति जानता है जो कुछ तुम करते हो ([२४] अन-नूर: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

لَيْسَ عَلَيْكُمْ جُنَاحٌ اَنْ تَدْخُلُوْا بُيُوْتًا غَيْرَ مَسْكُوْنَةٍ فِيْهَا مَتَاعٌ لَّكُمْۗ وَاللّٰهُ يَعْلَمُ مَا تُبْدُوْنَ وَمَا تَكْتُمُوْنَ ٢٩

laysa
لَّيْسَ
नहीं है
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
junāḥun
جُنَاحٌ
कोई गुनाह
an
أَن
कि
tadkhulū
تَدْخُلُوا۟
तुम दाख़िल हो
buyūtan
بُيُوتًا
घरों में
ghayra
غَيْرَ
ग़ैर
maskūnatin
مَسْكُونَةٍ
रिहाइशी
fīhā
فِيهَا
जिन में
matāʿun
مَتَٰعٌ
फ़ायदा है
lakum
لَّكُمْۚ
तुम्हारे लिए
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yaʿlamu
يَعْلَمُ
वो जानता है
مَا
जो कुछ
tub'dūna
تُبْدُونَ
तुम ज़ाहिर करते हो
wamā
وَمَا
और जो कुछ
taktumūna
تَكْتُمُونَ
तुम छुपाते हो
इसमें तुम्हारे लिए कोई दोष नहीं है कि तुम ऐसे घरों में प्रवेश करो जिनमें कोई न रहता हो, जिनमें तुम्हारे फ़ायदे की कोई चीज़ हो। और अल्लाह जानता है जो कुछ तुम प्रकट करते हो और जो कुछ छिपाते हो ([२४] अन-नूर: 29)
Tafseer (तफ़सीर )
३०

قُلْ لِّلْمُؤْمِنِيْنَ يَغُضُّوْا مِنْ اَبْصَارِهِمْ وَيَحْفَظُوْا فُرُوْجَهُمْۗ ذٰلِكَ اَزْكٰى لَهُمْۗ اِنَّ اللّٰهَ خَبِيْرٌۢ بِمَا يَصْنَعُوْنَ ٣٠

qul
قُل
कह दीजिए
lil'mu'minīna
لِّلْمُؤْمِنِينَ
मोमिन मर्दों से
yaghuḍḍū
يَغُضُّوا۟
वो पस्त रखें
min
مِنْ
अपनी निगाहों में से
abṣārihim
أَبْصَٰرِهِمْ
अपनी निगाहों में से
wayaḥfaẓū
وَيَحْفَظُوا۟
और वो हिफ़ाज़त करें
furūjahum
فُرُوجَهُمْۚ
अपनी शर्मगाहों की
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
azkā
أَزْكَىٰ
ज़्यादा पाकीज़ा है
lahum
لَهُمْۗ
उनके लिए
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
khabīrun
خَبِيرٌۢ
ख़ूब ख़बर रखने वाला है
bimā
بِمَا
उसकी जो
yaṣnaʿūna
يَصْنَعُونَ
वो करते हैं
ईमानवाले पुरुषों से कह दो कि अपनी निगाहें बचाकर रखें और अपने गुप्तांगों की रक्षा करें। यही उनके लिए अधिक अच्छी बात है। अल्लाह को उसकी पूरी ख़बर रहती है, जो कुछ वे किया करते है ([२४] अन-नूर: 30)
Tafseer (तफ़सीर )