८१
بَلْ قَالُوْا مِثْلَ مَا قَالَ الْاَوَّلُوْنَ ٨١
- bal
- بَلْ
- बल्कि
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- mith'la
- مِثْلَ
- मानिन्द
- mā
- مَا
- उसके जो
- qāla
- قَالَ
- कहा था
- l-awalūna
- ٱلْأَوَّلُونَ
- पहलों ने
नहीं, बल्कि वे लोग वहीं कुछ करते है जो उनके पहले के लोग कह चुके है ([२३] अल-मुमिनून: 81)Tafseer (तफ़सीर )
८२
قَالُوْٓا ءَاِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَّعِظَامًا ءَاِنَّا لَمَبْعُوْثُوْنَ ٨٢
- qālū
- قَالُوٓا۟
- उन्होंने कहा
- a-idhā
- أَءِذَا
- क्या जब
- mit'nā
- مِتْنَا
- मर जाऐंगे हम
- wakunnā
- وَكُنَّا
- और हो जाऐंगे हम
- turāban
- تُرَابًا
- मिट्टी
- waʿiẓāman
- وَعِظَٰمًا
- और हड्डियाँ
- a-innā
- أَءِنَّا
- क्या वाक़ई हम
- lamabʿūthūna
- لَمَبْعُوثُونَ
- अलबत्ता उठाए जाने वाले हैं
उन्होंने कहा, 'क्या जब हम मरकर मिट्टी और हड्डियाँ होकर रह जाएँगे , तो क्या हमें दोबारा जीवित करके उठाया जाएगा? ([२३] अल-मुमिनून: 82)Tafseer (तफ़सीर )
८३
لَقَدْ وُعِدْنَا نَحْنُ وَاٰبَاۤؤُنَا هٰذَا مِنْ قَبْلُ اِنْ هٰذَآ اِلَّآ اَسَاطِيْرُ الْاَوَّلِيْنَ ٨٣
- laqad
- لَقَدْ
- अलबत्ता तहक़ीक़
- wuʿid'nā
- وُعِدْنَا
- वादा किए गए हम
- naḥnu
- نَحْنُ
- हम
- waābāunā
- وَءَابَآؤُنَا
- और आबा ओ अजदाद हमारे
- hādhā
- هَٰذَا
- इसका
- min
- مِن
- इससे क़ब्ल
- qablu
- قَبْلُ
- इससे क़ब्ल
- in
- إِنْ
- नहीं
- hādhā
- هَٰذَآ
- ये
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- asāṭīru
- أَسَٰطِيرُ
- कहानियाँ
- l-awalīna
- ٱلْأَوَّلِينَ
- पहलों की
यह वादा तो हमसे और इससे पहले हमारे बाप-दादा से होता आ रहा है। कुछ नहीं, यह तो बस अगलों की कहानियाँ है।' ([२३] अल-मुमिनून: 83)Tafseer (तफ़सीर )
८४
قُلْ لِّمَنِ الْاَرْضُ وَمَنْ فِيْهَآ اِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ٨٤
- qul
- قُل
- कह दीजिए
- limani
- لِّمَنِ
- किस के लिए है
- l-arḍu
- ٱلْأَرْضُ
- ज़मीन
- waman
- وَمَن
- और जो कुछ
- fīhā
- فِيهَآ
- इसमें है
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- taʿlamūna
- تَعْلَمُونَ
- तु जानते
कहो, 'यह धरती और जो भी इसमें आबाद है, वे किसके है, बताओ यदि तुम जानते हो?' ([२३] अल-मुमिनून: 84)Tafseer (तफ़सीर )
८५
سَيَقُوْلُوْنَ لِلّٰهِ ۗقُلْ اَفَلَا تَذَكَّرُوْنَ ٨٥
- sayaqūlūna
- سَيَقُولُونَ
- अनक़रीब वो कहेंगे
- lillahi
- لِلَّهِۚ
- अल्लाह ही के लिए
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- afalā
- أَفَلَا
- क्या फिर नहीं
- tadhakkarūna
- تَذَكَّرُونَ
- तुम नसीहत पकड़ते
वे बोल पड़ेगे, 'अल्लाह के!' कहो, 'फिर तुम होश में क्यों नहीं आते?' ([२३] अल-मुमिनून: 85)Tafseer (तफ़सीर )
८६
قُلْ مَنْ رَّبُّ السَّمٰوٰتِ السَّبْعِ وَرَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِيْمِ ٨٦
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- man
- مَن
- कौन
- rabbu
- رَّبُّ
- रब है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- सात आसमानों का
- l-sabʿi
- ٱلسَّبْعِ
- सात आसमानों का
- warabbu
- وَرَبُّ
- और रब है
- l-ʿarshi
- ٱلْعَرْشِ
- अर्शे
- l-ʿaẓīmi
- ٱلْعَظِيمِ
- अज़ीम का
कहो, 'सातों आकाशों का मालिक और महान राजासन का स्वामीकौन है?' ([२३] अल-मुमिनून: 86)Tafseer (तफ़सीर )
८७
سَيَقُوْلُوْنَ لِلّٰهِ ۗقُلْ اَفَلَا تَتَّقُوْنَ ٨٧
- sayaqūlūna
- سَيَقُولُونَ
- अनक़रीब वो कहेंगे
- lillahi
- لِلَّهِۚ
- अल्लाह ही के लिए
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- afalā
- أَفَلَا
- क्या भला नहीं
- tattaqūna
- تَتَّقُونَ
- तुम डरते
वे कहेंगे, 'सब अल्लाह के है।' कहो, 'फिर डर क्यों नहीं रखते?' ([२३] अल-मुमिनून: 87)Tafseer (तफ़सीर )
८८
قُلْ مَنْۢ بِيَدِهٖ مَلَكُوْتُ كُلِّ شَيْءٍ وَّهُوَ يُجِيْرُ وَلَا يُجَارُ عَلَيْهِ اِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ٨٨
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- man
- مَنۢ
- कौन है
- biyadihi
- بِيَدِهِۦ
- जिसके हाथ में है
- malakūtu
- مَلَكُوتُ
- बादशाहत
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ की
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- yujīru
- يُجِيرُ
- वो पनाह देता है
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yujāru
- يُجَارُ
- पनाह दी जा सकती
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उसके ख़िलाफ़
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- taʿlamūna
- تَعْلَمُونَ
- तुम इल्म रखते
कहो, 'हर चीज़ की बादशाही किसके हाथ में है, वह जो शरण देता है औऱ जिसके मुक़ाबले में कोई शरण नहीं मिल सकती, बताओ यजि तुम जानते हो?' ([२३] अल-मुमिनून: 88)Tafseer (तफ़सीर )
८९
سَيَقُوْلُوْنَ لِلّٰهِ ۗقُلْ فَاَنّٰى تُسْحَرُوْنَ ٨٩
- sayaqūlūna
- سَيَقُولُونَ
- अनक़रीब वो कहेंगे
- lillahi
- لِلَّهِۚ
- अल्लाह ही के लिए
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- fa-annā
- فَأَنَّىٰ
- तो कहाँ से
- tus'ḥarūna
- تُسْحَرُونَ
- तुम मसहूर किए जाते हो
वे बोल पड़ेगे, 'अल्लाह की।' कहो, 'फिर कहाँ से तुमपर जादू चल जाता है?' ([२३] अल-मुमिनून: 89)Tafseer (तफ़सीर )
९०
بَلْ اَتَيْنٰهُمْ بِالْحَقِّ وَاِنَّهُمْ لَكٰذِبُوْنَ ٩٠
- bal
- بَلْ
- बल्कि
- ataynāhum
- أَتَيْنَٰهُم
- हम लाए हैं उनके पास
- bil-ḥaqi
- بِٱلْحَقِّ
- हक़ को
- wa-innahum
- وَإِنَّهُمْ
- और बेशक वो
- lakādhibūna
- لَكَٰذِبُونَ
- अलबत्ता झूठे हैं
नहीं, बल्कि हम उनके पास सत्य लेकर आए है और निश्चय ही वे झूठे है ([२३] अल-मुमिनून: 90)Tafseer (तफ़सीर )