ثُمَّ اَنْشَأْنَا مِنْۢ بَعْدِهِمْ قَرْنًا اٰخَرِيْنَ ۚ ٣١
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- anshanā
- أَنشَأْنَا
- उठाए हमने
- min
- مِنۢ
- बाद उनके
- baʿdihim
- بَعْدِهِمْ
- बाद उनके
- qarnan
- قَرْنًا
- लोग
- ākharīna
- ءَاخَرِينَ
- दूसरे
फिर उनके पश्चात हमने एक दूसरी नस्ल को उठाया; ([२३] अल-मुमिनून: 31)Tafseer (तफ़सीर )
فَاَرْسَلْنَا فِيْهِمْ رَسُوْلًا مِّنْهُمْ اَنِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَيْرُهٗۗ اَفَلَا تَتَّقُوْنَ ࣖ ٣٢
- fa-arsalnā
- فَأَرْسَلْنَا
- तो भेजा हमने
- fīhim
- فِيهِمْ
- उन में
- rasūlan
- رَسُولًا
- एक रसूल
- min'hum
- مِّنْهُمْ
- उन्हीं में से
- ani
- أَنِ
- कि
- uʿ'budū
- ٱعْبُدُوا۟
- इबादत करो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- mā
- مَا
- नहीं
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- min
- مِّنْ
- कोई इलाह( बरहक़)
- ilāhin
- إِلَٰهٍ
- कोई इलाह( बरहक़)
- ghayruhu
- غَيْرُهُۥٓۖ
- उसके सिवा
- afalā
- أَفَلَا
- क्या फिर नहीं
- tattaqūna
- تَتَّقُونَ
- तुम डरते
और उनमें हमने स्वयं उन्हीं में से एक रसूल भेजा कि 'अल्लाह की बन्दगी करो। उसके सिवा तुम्हारा कोई इष्ट-पूज्य नहीं। तो क्या तुम डर नहीं रखते?' ([२३] अल-मुमिनून: 32)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَ الْمَلَاُ مِنْ قَوْمِهِ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَكَذَّبُوْا بِلِقَاۤءِ الْاٰخِرَةِ وَاَتْرَفْنٰهُمْ فِى الْحَيٰوةِ الدُّنْيَاۙ مَا هٰذَآ اِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُكُمْۙ يَأْكُلُ مِمَّا تَأْكُلُوْنَ مِنْهُ وَيَشْرَبُ مِمَّا تَشْرَبُوْنَ ٣٣
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- l-mala-u
- ٱلْمَلَأُ
- सरदारों ने
- min
- مِن
- उस की क़ौम से
- qawmihi
- قَوْمِهِ
- उस की क़ौम से
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- wakadhabū
- وَكَذَّبُوا۟
- और झुठलाया
- biliqāi
- بِلِقَآءِ
- मुलाक़ात को
- l-ākhirati
- ٱلْءَاخِرَةِ
- आख़िरत की
- wa-atrafnāhum
- وَأَتْرَفْنَٰهُمْ
- और ख़ुशहाली दी हमने उन्हें
- fī
- فِى
- ज़िन्दगी में
- l-ḥayati
- ٱلْحَيَوٰةِ
- ज़िन्दगी में
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया की
- mā
- مَا
- नहीं
- hādhā
- هَٰذَآ
- ये
- illā
- إِلَّا
- मगर
- basharun
- بَشَرٌ
- एक इन्सान
- mith'lukum
- مِّثْلُكُمْ
- तुम्हारे जैसा
- yakulu
- يَأْكُلُ
- वो खाता है
- mimmā
- مِمَّا
- उस से जो
- takulūna
- تَأْكُلُونَ
- तुम खाते हो
- min'hu
- مِنْهُ
- जिससे
- wayashrabu
- وَيَشْرَبُ
- और वो पीता है
- mimmā
- مِمَّا
- उस से जो
- tashrabūna
- تَشْرَبُونَ
- तुम पीते हो
उसकी क़ौम के सरदार, जिन्होंने इनकार किया और आख़िरत के मिलन को झूठलाया और जिन्हें हमने सांसारिक जीवन में सुख प्रदान किया था, कहने लगे, 'यह तो बस तुम्हीं जैसा एक मनुष्य है। जो कुछ तुम खाते हो, वही यह भी खाता है और जो कुछ तुम पीते हो, वही यह भी पीता है ([२३] अल-मुमिनून: 33)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَىِٕنْ اَطَعْتُمْ بَشَرًا مِّثْلَكُمْ اِنَّكُمْ اِذًا لَّخٰسِرُوْنَ ۙ ٣٤
- wala-in
- وَلَئِنْ
- और अलबत्ता अगर
- aṭaʿtum
- أَطَعْتُم
- इताअत की तुम ने
- basharan
- بَشَرًا
- एक इन्सान की
- mith'lakum
- مِّثْلَكُمْ
- अपने जैसे
- innakum
- إِنَّكُمْ
- यक़ीनन तुम
- idhan
- إِذًا
- तब होगे
- lakhāsirūna
- لَّخَٰسِرُونَ
- अलबत्ता ख़सारा पाने वाले
यदि तुम अपने ही जैसे एक मनुष्य के आज्ञाकारी हुए तो निश्चय ही तुम घाटे में पड़ गए ([२३] अल-मुमिनून: 34)Tafseer (तफ़सीर )
اَيَعِدُكُمْ اَنَّكُمْ اِذَا مِتُّمْ وَكُنْتُمْ تُرَابًا وَّعِظَامًا اَنَّكُمْ مُّخْرَجُوْنَ ۖ ٣٥
- ayaʿidukum
- أَيَعِدُكُمْ
- क्या वो वादा देता है तुम्हें
- annakum
- أَنَّكُمْ
- कि बेशक तुम
- idhā
- إِذَا
- जब
- mittum
- مِتُّمْ
- मर जाओगे तुम
- wakuntum
- وَكُنتُمْ
- और हो जाओगे तुम
- turāban
- تُرَابًا
- मिट्टी
- waʿiẓāman
- وَعِظَٰمًا
- और हड्डियाँ
- annakum
- أَنَّكُم
- बेशक तुम
- mukh'rajūna
- مُّخْرَجُونَ
- निकाले जाने वाले हो
क्या यह तुमसे वादा करता है कि जब तुम मरकर मिट्टी और हड़्डियाँ होकर रह जाओगे तो तुम निकाले जाओगे? ([२३] अल-मुमिनून: 35)Tafseer (तफ़सीर )
۞ هَيْهَاتَ هَيْهَاتَ لِمَا تُوْعَدُوْنَ ۖ ٣٦
- hayhāta
- هَيْهَاتَ
- बहुत दूर है
- hayhāta
- هَيْهَاتَ
- बहुत दूर है
- limā
- لِمَا
- वो जो
- tūʿadūna
- تُوعَدُونَ
- तुम वादा दिए जा रहे हो
दूर की बात है, बहुत दूर की, जिसका तुमसे वादा किया जा रहा है! ([२३] अल-मुमिनून: 36)Tafseer (तफ़सीर )
اِنْ هِيَ اِلَّا حَيَاتُنَا الدُّنْيَا نَمُوْتُ وَنَحْيَا وَمَا نَحْنُ بِمَبْعُوْثِيْنَ ۖ ٣٧
- in
- إِنْ
- नहीं
- hiya
- هِىَ
- ये
- illā
- إِلَّا
- मगर
- ḥayātunā
- حَيَاتُنَا
- ज़िन्दगी हमारी
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया की
- namūtu
- نَمُوتُ
- हम मरते हैं
- wanaḥyā
- وَنَحْيَا
- और हम जीते हैं
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- naḥnu
- نَحْنُ
- हम
- bimabʿūthīna
- بِمَبْعُوثِينَ
- उठाए जाने वाले
वह तो बस हमारा सांसारिक जीवन ही है। (यहीं) हम मरते और जीते है। हम कोई दोबारा उठाए जानेवाले नहीं है ([२३] अल-मुमिनून: 37)Tafseer (तफ़सीर )
اِنْ هُوَ اِلَّا رَجُلُ ِۨافْتَرٰى عَلَى اللّٰهِ كَذِبًا وَّمَا نَحْنُ لَهٗ بِمُؤْمِنِيْنَ ٣٨
- in
- إِنْ
- नहीं
- huwa
- هُوَ
- वो
- illā
- إِلَّا
- मगर
- rajulun
- رَجُلٌ
- एक मर्द
- if'tarā
- ٱفْتَرَىٰ
- उसने गढ़ लिया
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- kadhiban
- كَذِبًا
- झूठ
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- naḥnu
- نَحْنُ
- हम
- lahu
- لَهُۥ
- उसे
- bimu'minīna
- بِمُؤْمِنِينَ
- मानने वाले
वह तो बस एक ऐसा व्यक्ति है जिसने अल्लाह पर झूठ घड़ा है। हम उसे कदापि माननेवाले नहीं।' ([२३] अल-मुमिनून: 38)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ رَبِّ انْصُرْنِيْ بِمَا كَذَّبُوْنِ ٣٩
- qāla
- قَالَ
- कहा
- rabbi
- رَبِّ
- ऐ मेरे रब
- unṣur'nī
- ٱنصُرْنِى
- मदद कर मेरी
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- kadhabūni
- كَذَّبُونِ
- उन्होंने झुठलाया मुझे
उसने कहा, 'ऐ मेरे रब! उन्होंने जो मुझे झुठलाया, उसपर तू मेरी सहायता कर।' ([२३] अल-मुमिनून: 39)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ عَمَّا قَلِيْلٍ لَّيُصْبِحُنَّ نٰدِمِيْنَ ۚ ٤٠
- qāla
- قَالَ
- कहा
- ʿammā
- عَمَّا
- इस(मुद्दत) में जो
- qalīlin
- قَلِيلٍ
- थोड़ी है
- layuṣ'biḥunna
- لَّيُصْبِحُنَّ
- अलबत्ता वो ज़रूर हो जाऐंगे
- nādimīna
- نَٰدِمِينَ
- नादिम
कहा, 'शीघ्र ही वे पछताकर रहेंगे।' ([२३] अल-मुमिनून: 40)Tafseer (तफ़सीर )