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सूरा अल-मुमिनून - Page: 4

Al-Mu'minun

(आस्तिक)

३१

ثُمَّ اَنْشَأْنَا مِنْۢ بَعْدِهِمْ قَرْنًا اٰخَرِيْنَ ۚ ٣١

thumma
ثُمَّ
फिर
anshanā
أَنشَأْنَا
उठाए हमने
min
مِنۢ
बाद उनके
baʿdihim
بَعْدِهِمْ
बाद उनके
qarnan
قَرْنًا
लोग
ākharīna
ءَاخَرِينَ
दूसरे
फिर उनके पश्चात हमने एक दूसरी नस्ल को उठाया; ([२३] अल-मुमिनून: 31)
Tafseer (तफ़सीर )
३२

فَاَرْسَلْنَا فِيْهِمْ رَسُوْلًا مِّنْهُمْ اَنِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَيْرُهٗۗ اَفَلَا تَتَّقُوْنَ ࣖ ٣٢

fa-arsalnā
فَأَرْسَلْنَا
तो भेजा हमने
fīhim
فِيهِمْ
उन में
rasūlan
رَسُولًا
एक रसूल
min'hum
مِّنْهُمْ
उन्हीं में से
ani
أَنِ
कि
uʿ'budū
ٱعْبُدُوا۟
इबादत करो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
مَا
नहीं
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
min
مِّنْ
कोई इलाह( बरहक़)
ilāhin
إِلَٰهٍ
कोई इलाह( बरहक़)
ghayruhu
غَيْرُهُۥٓۖ
उसके सिवा
afalā
أَفَلَا
क्या फिर नहीं
tattaqūna
تَتَّقُونَ
तुम डरते
और उनमें हमने स्वयं उन्हीं में से एक रसूल भेजा कि 'अल्लाह की बन्दगी करो। उसके सिवा तुम्हारा कोई इष्ट-पूज्य नहीं। तो क्या तुम डर नहीं रखते?' ([२३] अल-मुमिनून: 32)
Tafseer (तफ़सीर )
३३

وَقَالَ الْمَلَاُ مِنْ قَوْمِهِ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَكَذَّبُوْا بِلِقَاۤءِ الْاٰخِرَةِ وَاَتْرَفْنٰهُمْ فِى الْحَيٰوةِ الدُّنْيَاۙ مَا هٰذَآ اِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُكُمْۙ يَأْكُلُ مِمَّا تَأْكُلُوْنَ مِنْهُ وَيَشْرَبُ مِمَّا تَشْرَبُوْنَ ٣٣

waqāla
وَقَالَ
और कहा
l-mala-u
ٱلْمَلَأُ
सरदारों ने
min
مِن
उस की क़ौम से
qawmihi
قَوْمِهِ
उस की क़ौम से
alladhīna
ٱلَّذِينَ
जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
wakadhabū
وَكَذَّبُوا۟
और झुठलाया
biliqāi
بِلِقَآءِ
मुलाक़ात को
l-ākhirati
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत की
wa-atrafnāhum
وَأَتْرَفْنَٰهُمْ
और ख़ुशहाली दी हमने उन्हें
فِى
ज़िन्दगी में
l-ḥayati
ٱلْحَيَوٰةِ
ज़िन्दगी में
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
مَا
नहीं
hādhā
هَٰذَآ
ये
illā
إِلَّا
मगर
basharun
بَشَرٌ
एक इन्सान
mith'lukum
مِّثْلُكُمْ
तुम्हारे जैसा
yakulu
يَأْكُلُ
वो खाता है
mimmā
مِمَّا
उस से जो
takulūna
تَأْكُلُونَ
तुम खाते हो
min'hu
مِنْهُ
जिससे
wayashrabu
وَيَشْرَبُ
और वो पीता है
mimmā
مِمَّا
उस से जो
tashrabūna
تَشْرَبُونَ
तुम पीते हो
उसकी क़ौम के सरदार, जिन्होंने इनकार किया और आख़िरत के मिलन को झूठलाया और जिन्हें हमने सांसारिक जीवन में सुख प्रदान किया था, कहने लगे, 'यह तो बस तुम्हीं जैसा एक मनुष्य है। जो कुछ तुम खाते हो, वही यह भी खाता है और जो कुछ तुम पीते हो, वही यह भी पीता है ([२३] अल-मुमिनून: 33)
Tafseer (तफ़सीर )
३४

وَلَىِٕنْ اَطَعْتُمْ بَشَرًا مِّثْلَكُمْ اِنَّكُمْ اِذًا لَّخٰسِرُوْنَ ۙ ٣٤

wala-in
وَلَئِنْ
और अलबत्ता अगर
aṭaʿtum
أَطَعْتُم
इताअत की तुम ने
basharan
بَشَرًا
एक इन्सान की
mith'lakum
مِّثْلَكُمْ
अपने जैसे
innakum
إِنَّكُمْ
यक़ीनन तुम
idhan
إِذًا
तब होगे
lakhāsirūna
لَّخَٰسِرُونَ
अलबत्ता ख़सारा पाने वाले
यदि तुम अपने ही जैसे एक मनुष्य के आज्ञाकारी हुए तो निश्चय ही तुम घाटे में पड़ गए ([२३] अल-मुमिनून: 34)
Tafseer (तफ़सीर )
३५

اَيَعِدُكُمْ اَنَّكُمْ اِذَا مِتُّمْ وَكُنْتُمْ تُرَابًا وَّعِظَامًا اَنَّكُمْ مُّخْرَجُوْنَ ۖ ٣٥

ayaʿidukum
أَيَعِدُكُمْ
क्या वो वादा देता है तुम्हें
annakum
أَنَّكُمْ
कि बेशक तुम
idhā
إِذَا
जब
mittum
مِتُّمْ
मर जाओगे तुम
wakuntum
وَكُنتُمْ
और हो जाओगे तुम
turāban
تُرَابًا
मिट्टी
waʿiẓāman
وَعِظَٰمًا
और हड्डियाँ
annakum
أَنَّكُم
बेशक तुम
mukh'rajūna
مُّخْرَجُونَ
निकाले जाने वाले हो
क्या यह तुमसे वादा करता है कि जब तुम मरकर मिट्टी और हड़्डियाँ होकर रह जाओगे तो तुम निकाले जाओगे? ([२३] अल-मुमिनून: 35)
Tafseer (तफ़सीर )
३६

۞ هَيْهَاتَ هَيْهَاتَ لِمَا تُوْعَدُوْنَ ۖ ٣٦

hayhāta
هَيْهَاتَ
बहुत दूर है
hayhāta
هَيْهَاتَ
बहुत दूर है
limā
لِمَا
वो जो
tūʿadūna
تُوعَدُونَ
तुम वादा दिए जा रहे हो
दूर की बात है, बहुत दूर की, जिसका तुमसे वादा किया जा रहा है! ([२३] अल-मुमिनून: 36)
Tafseer (तफ़सीर )
३७

اِنْ هِيَ اِلَّا حَيَاتُنَا الدُّنْيَا نَمُوْتُ وَنَحْيَا وَمَا نَحْنُ بِمَبْعُوْثِيْنَ ۖ ٣٧

in
إِنْ
नहीं
hiya
هِىَ
ये
illā
إِلَّا
मगर
ḥayātunā
حَيَاتُنَا
ज़िन्दगी हमारी
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
namūtu
نَمُوتُ
हम मरते हैं
wanaḥyā
وَنَحْيَا
और हम जीते हैं
wamā
وَمَا
और नहीं
naḥnu
نَحْنُ
हम
bimabʿūthīna
بِمَبْعُوثِينَ
उठाए जाने वाले
वह तो बस हमारा सांसारिक जीवन ही है। (यहीं) हम मरते और जीते है। हम कोई दोबारा उठाए जानेवाले नहीं है ([२३] अल-मुमिनून: 37)
Tafseer (तफ़सीर )
३८

اِنْ هُوَ اِلَّا رَجُلُ ِۨافْتَرٰى عَلَى اللّٰهِ كَذِبًا وَّمَا نَحْنُ لَهٗ بِمُؤْمِنِيْنَ ٣٨

in
إِنْ
नहीं
huwa
هُوَ
वो
illā
إِلَّا
मगर
rajulun
رَجُلٌ
एक मर्द
if'tarā
ٱفْتَرَىٰ
उसने गढ़ लिया
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
kadhiban
كَذِبًا
झूठ
wamā
وَمَا
और नहीं
naḥnu
نَحْنُ
हम
lahu
لَهُۥ
उसे
bimu'minīna
بِمُؤْمِنِينَ
मानने वाले
वह तो बस एक ऐसा व्यक्ति है जिसने अल्लाह पर झूठ घड़ा है। हम उसे कदापि माननेवाले नहीं।' ([२३] अल-मुमिनून: 38)
Tafseer (तफ़सीर )
३९

قَالَ رَبِّ انْصُرْنِيْ بِمَا كَذَّبُوْنِ ٣٩

qāla
قَالَ
कहा
rabbi
رَبِّ
ऐ मेरे रब
unṣur'nī
ٱنصُرْنِى
मदद कर मेरी
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
kadhabūni
كَذَّبُونِ
उन्होंने झुठलाया मुझे
उसने कहा, 'ऐ मेरे रब! उन्होंने जो मुझे झुठलाया, उसपर तू मेरी सहायता कर।' ([२३] अल-मुमिनून: 39)
Tafseer (तफ़सीर )
४०

قَالَ عَمَّا قَلِيْلٍ لَّيُصْبِحُنَّ نٰدِمِيْنَ ۚ ٤٠

qāla
قَالَ
कहा
ʿammā
عَمَّا
इस(मुद्दत) में जो
qalīlin
قَلِيلٍ
थोड़ी है
layuṣ'biḥunna
لَّيُصْبِحُنَّ
अलबत्ता वो ज़रूर हो जाऐंगे
nādimīna
نَٰدِمِينَ
नादिम
कहा, 'शीघ्र ही वे पछताकर रहेंगे।' ([२३] अल-मुमिनून: 40)
Tafseer (तफ़सीर )