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सूरा अल-मुमिनून - Page: 3

Al-Mu'minun

(आस्तिक)

२१

وَاِنَّ لَكُمْ فِى الْاَنْعَامِ لَعِبْرَةًۗ نُسْقِيْكُمْ مِّمَّا فِيْ بُطُوْنِهَا وَلَكُمْ فِيْهَا مَنَافِعُ كَثِيْرَةٌ وَّمِنْهَا تَأْكُلُوْنَ ۙ ٢١

wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
فِى
मवेशियों में
l-anʿāmi
ٱلْأَنْعَٰمِ
मवेशियों में
laʿib'ratan
لَعِبْرَةًۖ
अलबत्ता इबरत/ सबक़ है
nus'qīkum
نُّسْقِيكُم
हम पिलाते हैं तुम्हें
mimmā
مِّمَّا
उस से जो
فِى
उनके पेटों में है
buṭūnihā
بُطُونِهَا
उनके पेटों में है
walakum
وَلَكُمْ
और तुम्हारे लिए
fīhā
فِيهَا
उन में
manāfiʿu
مَنَٰفِعُ
फ़ायदे हैं
kathīratun
كَثِيرَةٌ
बहुत से
wamin'hā
وَمِنْهَا
और उन में से
takulūna
تَأْكُلُونَ
तुम खाते हो
और निश्चय ही तुम्हारे लिए चौपायों में भी एक शिक्षा है। उनके पेटों में जो कुछ है उसमें से हम तुम्हें पिलाते है। औऱ तुम्हारे लिए उनमें बहुत-से फ़ायदे है और उन्हें तुम खाते भी हो ([२३] अल-मुमिनून: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

وَعَلَيْهَا وَعَلَى الْفُلْكِ تُحْمَلُوْنَ ࣖ ٢٢

waʿalayhā
وَعَلَيْهَا
और उन पर
waʿalā
وَعَلَى
और कश्तियों पर
l-ful'ki
ٱلْفُلْكِ
और कश्तियों पर
tuḥ'malūna
تُحْمَلُونَ
तुम सवार किए जाते हो
और उनपर और नौकाओं पर तुम सवार होते हो ([२३] अल-मुमिनून: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا نُوْحًا اِلٰى قَوْمِهٖ فَقَالَ يٰقَوْمِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَيْرُهٗۗ اَفَلَا تَتَّقُوْنَ ٢٣

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
arsalnā
أَرْسَلْنَا
भेजा हमने
nūḥan
نُوحًا
नूह को
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ उसकी क़ौम के
qawmihi
قَوْمِهِۦ
तरफ़ उसकी क़ौम के
faqāla
فَقَالَ
तो उसने कहा
yāqawmi
يَٰقَوْمِ
ऐ मेरी क़ौम
uʿ'budū
ٱعْبُدُوا۟
इबादत करो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
مَا
नहीं
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
min
مِّنْ
कोई इलाह ( बरहक़)
ilāhin
إِلَٰهٍ
कोई इलाह ( बरहक़)
ghayruhu
غَيْرُهُۥٓۖ
उसके सिवा
afalā
أَفَلَا
क्या फिर नहीं
tattaqūna
تَتَّقُونَ
तुम डरते
हमने नूह को उसकी क़ौम की ओर भेजा तो उसने कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगो! अल्लाह की बन्दगी करो। उसके सिवा तुम्हारा और कोई इष्ट-पूज्य नहीं है तो क्या तुम डर नहीं रखते?' ([२३] अल-मुमिनून: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

فَقَالَ الْمَلَؤُا الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْ قَوْمِهٖ مَا هٰذَآ اِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُكُمْۙ يُرِيْدُ اَنْ يَّتَفَضَّلَ عَلَيْكُمْۗ وَلَوْ شَاۤءَ اللّٰهُ لَاَنْزَلَ مَلٰۤىِٕكَةً ۖمَّا سَمِعْنَا بِهٰذَا فِيْٓ اٰبَاۤىِٕنَا الْاَوَّلِيْنَ ۚ ٢٤

faqāla
فَقَالَ
तो कहा
l-mala-u
ٱلْمَلَؤُا۟
सरदारों ने
alladhīna
ٱلَّذِينَ
जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
min
مِن
उसकी क़ौम में से
qawmihi
قَوْمِهِۦ
उसकी क़ौम में से
مَا
नहीं
hādhā
هَٰذَآ
ये
illā
إِلَّا
मगर
basharun
بَشَرٌ
एक इन्सान
mith'lukum
مِّثْلُكُمْ
तुम्हारे जैसा
yurīdu
يُرِيدُ
जो चाहता है
an
أَن
कि
yatafaḍḍala
يَتَفَضَّلَ
वो फ़ज़ीलत हासिल कर ले
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
walaw
وَلَوْ
और अगर
shāa
شَآءَ
चाहता
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
la-anzala
لَأَنزَلَ
अलबत्ता वो उतारता
malāikatan
مَلَٰٓئِكَةً
फ़रिश्ते
مَّا
नहीं
samiʿ'nā
سَمِعْنَا
सुना हमने
bihādhā
بِهَٰذَا
इस बात को
فِىٓ
अपने आबा ओ अजदाद में
ābāinā
ءَابَآئِنَا
अपने आबा ओ अजदाद में
l-awalīna
ٱلْأَوَّلِينَ
पहले
इसपर उनकी क़ौम के सरदार, जिन्होंने इनकार किया था, कहने लगे, 'यह तो बस तुम्हीं जैसा एक मनुष्य है। चाहता है कि तुमपर श्रेष्ठता प्राप्त करे।''अल्लाह यदि चाहता तो फ़रिश्ते उतार देता। यह बात तो हमने अपने अगले बाप-दादा के समयों से सुनी ही नहीं ([२३] अल-मुमिनून: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

اِنْ هُوَ اِلَّا رَجُلٌۢ بِهٖ جِنَّةٌ فَتَرَبَّصُوْا بِهٖ حَتّٰى حِيْنٍ ٢٥

in
إِنْ
नहीं
huwa
هُوَ
वो
illā
إِلَّا
मगर
rajulun
رَجُلٌۢ
एक शख़्स
bihi
بِهِۦ
जिस को
jinnatun
جِنَّةٌ
जुनून है
fatarabbaṣū
فَتَرَبَّصُوا۟
तो इन्तज़ार करो
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
ḥattā
حَتَّىٰ
एक वक़्त तक
ḥīnin
حِينٍ
एक वक़्त तक
यह तो बस एक उन्मादग्रस्त व्यक्ति है। अतः एक समय तक इसकी प्रतीक्षा कर लो।' ([२३] अल-मुमिनून: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

قَالَ رَبِّ انْصُرْنِيْ بِمَا كَذَّبُوْنِ ٢٦

qāla
قَالَ
कहा
rabbi
رَبِّ
ऐ मेरे रब
unṣur'nī
ٱنصُرْنِى
मदद फ़रमा मेरी
bimā
بِمَا
उस वजह से जो
kadhabūni
كَذَّبُونِ
उन्होंने झुठलाया मुझे
उसने कहा, 'ऐ मेरे रब! इन्होंने मुझे जो झुठलाया है, इसपर तू मेरी सहायता कर।' ([२३] अल-मुमिनून: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

فَاَوْحَيْنَآ اِلَيْهِ اَنِ اصْنَعِ الْفُلْكَ بِاَعْيُنِنَا وَوَحْيِنَا فَاِذَا جَاۤءَ اَمْرُنَا وَفَارَ التَّنُّوْرُۙ فَاسْلُكْ فِيْهَا مِنْ كُلٍّ زَوْجَيْنِ اثْنَيْنِ وَاَهْلَكَ اِلَّا مَنْ سَبَقَ عَلَيْهِ الْقَوْلُ مِنْهُمْۚ وَلَا تُخَاطِبْنِيْ فِى الَّذِيْنَ ظَلَمُوْاۚ اِنَّهُمْ مُّغْرَقُوْنَ ٢٧

fa-awḥaynā
فَأَوْحَيْنَآ
पस वही की हम ने
ilayhi
إِلَيْهِ
तरफ़ उसके
ani
أَنِ
कि
iṣ'naʿi
ٱصْنَعِ
बना
l-ful'ka
ٱلْفُلْكَ
कश्ती
bi-aʿyuninā
بِأَعْيُنِنَا
हमारी निगाहों के सामने
wawaḥyinā
وَوَحْيِنَا
और हमारी वही के मुताबिक़
fa-idhā
فَإِذَا
फिर जब
jāa
جَآءَ
आ जाए
amrunā
أَمْرُنَا
हुक्म हमारा
wafāra
وَفَارَ
और जोश मारे
l-tanūru
ٱلتَّنُّورُۙ
तन्नूर
fa-us'luk
فَٱسْلُكْ
तो दाख़िल कर ले
fīhā
فِيهَا
उस में
min
مِن
हर क़िस्म के
kullin
كُلٍّ
हर क़िस्म के
zawjayni
زَوْجَيْنِ
जोड़े (नर व मादा)
ith'nayni
ٱثْنَيْنِ
दोनों
wa-ahlaka
وَأَهْلَكَ
और अपने अहलो अयाल को
illā
إِلَّا
मगर
man
مَن
जो
sabaqa
سَبَقَ
पहले हो चुकी
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर
l-qawlu
ٱلْقَوْلُ
बात
min'hum
مِنْهُمْۖ
उनमें से
walā
وَلَا
और ना
tukhāṭib'nī
تُخَٰطِبْنِى
तुम बात करना मुझसे
فِى
उनके मामले में जिन्होंने
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनके मामले में जिन्होंने
ẓalamū
ظَلَمُوٓا۟ۖ
ज़ुल्म किया
innahum
إِنَّهُم
बेशक वो
mugh'raqūna
مُّغْرَقُونَ
ग़र्क़ किए जाने वाले हैं
तब हमने उसकी ओर प्रकाशना की कि 'हमारी आँखों के सामने और हमारी प्रकाशना के अनुसार नौका बना और फिर जब हमारा आदेश आ जाए और तूफ़ान उमड़ पड़े तो प्रत्येक प्रजाति में से एक-एक जोड़ा उसमें रख ले और अपने लोगों को भी, सिवाय उनके जिनके विरुद्ध पहले फ़ैसला हो चुका है। और अत्याचारियों के विषय में मुझसे बात न करना। वे तो डूबकर रहेंगे ([२३] अल-मुमिनून: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

فَاِذَا اسْتَوَيْتَ اَنْتَ وَمَنْ مَّعَكَ عَلَى الْفُلْكِ فَقُلِ الْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِيْ نَجّٰىنَا مِنَ الْقَوْمِ الظّٰلِمِيْنَ ٢٨

fa-idhā
فَإِذَا
फिर जब
is'tawayta
ٱسْتَوَيْتَ
सवार हो जाओ तुम
anta
أَنتَ
तुम
waman
وَمَن
और जो
maʿaka
مَّعَكَ
तुम्हारे साथ हैं
ʿalā
عَلَى
कश्ती पर
l-ful'ki
ٱلْفُلْكِ
कश्ती पर
faquli
فَقُلِ
तो कहना
l-ḥamdu
ٱلْحَمْدُ
सब तारीफ़
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए है
alladhī
ٱلَّذِى
जिस ने
najjānā
نَجَّىٰنَا
निजात दी हमें
mina
مِنَ
उन लोगों से
l-qawmi
ٱلْقَوْمِ
उन लोगों से
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
जो ज़ालिम हैं
फिर जब तू नौका पर सवार हो जाए और तेरे साथी भी तो कह, प्रशंसा है अल्लाह की, जिसने हमें ज़ालिम लोगों से छुटकारा दिया ([२३] अल-मुमिनून: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

وَقُلْ رَّبِّ اَنْزِلْنِيْ مُنْزَلًا مُّبٰرَكًا وَّاَنْتَ خَيْرُ الْمُنْزِلِيْنَ ٢٩

waqul
وَقُل
और कहना
rabbi
رَّبِّ
ऐ मेरे रब
anzil'nī
أَنزِلْنِى
उतार मुझे
munzalan
مُنزَلًا
उतारने की जगह
mubārakan
مُّبَارَكًا
बाबरकत
wa-anta
وَأَنتَ
और तू
khayru
خَيْرُ
बेहतर है
l-munzilīna
ٱلْمُنزِلِينَ
सब उतारने वालों से
और कह, ऐ मेरे रब! मुझे बरकतवाली जगह उतार। और तू सबसे अच्छा मेज़बान है।' ([२३] अल-मुमिनून: 29)
Tafseer (तफ़सीर )
३०

اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ وَّاِنْ كُنَّا لَمُبْتَلِيْنَ ٣٠

inna
إِنَّ
बेशक
فِى
इस में
dhālika
ذَٰلِكَ
इस में
laāyātin
لَءَايَٰتٍ
अलबत्ता निशानियाँ हैं
wa-in
وَإِن
और बेशक
kunnā
كُنَّا
हैं हम
lamub'talīna
لَمُبْتَلِينَ
अलबत्ता आज़माने वाले
निस्संदेह इसमें कितनी ही निशानियाँ हैं और परीक्षा तो हम करते ही है ([२३] अल-मुमिनून: 30)
Tafseer (तफ़सीर )