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सूरा अल-मुमिनून - Page: 2

Al-Mu'minun

(आस्तिक)

११

الَّذِيْنَ يَرِثُوْنَ الْفِرْدَوْسَۗ هُمْ فِيْهَا خٰلِدُوْنَ ١١

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
yarithūna
يَرِثُونَ
वारिस होंगे
l-fir'dawsa
ٱلْفِرْدَوْسَ
फ़िरदौस के
hum
هُمْ
वो
fīhā
فِيهَا
उस में
khālidūna
خَٰلِدُونَ
हमेशा रहने वाले हैं
जो फ़िरदौस की विरासत पाएँगे। वे उसमें सदैव रहेंगे ([२३] अल-मुमिनून: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

وَلَقَدْ خَلَقْنَا الْاِنْسَانَ مِنْ سُلٰلَةٍ مِّنْ طِيْنٍ ۚ ١٢

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
khalaqnā
خَلَقْنَا
पैदा किया हमनें
l-insāna
ٱلْإِنسَٰنَ
इन्सान को
min
مِن
सत्त / निचोड़ से
sulālatin
سُلَٰلَةٍ
सत्त / निचोड़ से
min
مِّن
मिट्टी के
ṭīnin
طِينٍ
मिट्टी के
हमने मनुष्य को मिट्टी के सत से बनाया ([२३] अल-मुमिनून: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

ثُمَّ جَعَلْنٰهُ نُطْفَةً فِيْ قَرَارٍ مَّكِيْنٍ ۖ ١٣

thumma
ثُمَّ
फ़िर
jaʿalnāhu
جَعَلْنَٰهُ
बनाया हमने उसे
nuṭ'fatan
نُطْفَةً
नुत्फ़ा
فِى
एक महफ़ूज़ ठिकाने में
qarārin
قَرَارٍ
एक महफ़ूज़ ठिकाने में
makīnin
مَّكِينٍ
एक महफ़ूज़ ठिकाने में
फिर हमने उसे एक सुरक्षित ठहरने की जगह टपकी हुई बूँद बनाकर रखा ([२३] अल-मुमिनून: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

ثُمَّ خَلَقْنَا النُّطْفَةَ عَلَقَةً فَخَلَقْنَا الْعَلَقَةَ مُضْغَةً فَخَلَقْنَا الْمُضْغَةَ عِظٰمًا فَكَسَوْنَا الْعِظٰمَ لَحْمًا ثُمَّ اَنْشَأْنٰهُ خَلْقًا اٰخَرَۗ فَتَبَارَكَ اللّٰهُ اَحْسَنُ الْخَالِقِيْنَۗ ١٤

thumma
ثُمَّ
फिर
khalaqnā
خَلَقْنَا
बनाया हम ने
l-nuṭ'fata
ٱلنُّطْفَةَ
नुत्फ़े को
ʿalaqatan
عَلَقَةً
अल्क़ा/ जमा हुआ ख़ून
fakhalaqnā
فَخَلَقْنَا
फ़िर बनाया हम ने
l-ʿalaqata
ٱلْعَلَقَةَ
जमे हुए ख़ून को
muḍ'ghatan
مُضْغَةً
मुदग़ा/ गोश्त की बेटी
fakhalaqnā
فَخَلَقْنَا
फिर बनाया हम ने
l-muḍ'ghata
ٱلْمُضْغَةَ
बोटी को
ʿiẓāman
عِظَٰمًا
हड्डियाँ
fakasawnā
فَكَسَوْنَا
फिर पहनाया हम ने
l-ʿiẓāma
ٱلْعِظَٰمَ
हड्डियों को
laḥman
لَحْمًا
गोश्त
thumma
ثُمَّ
फिर
anshanāhu
أَنشَأْنَٰهُ
उठाया हम ने उसे
khalqan
خَلْقًا
मख़्लूक़
ākhara
ءَاخَرَۚ
दूसरी
fatabāraka
فَتَبَارَكَ
तो बहुत बाबरकत है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
aḥsanu
أَحْسَنُ
जो सबसे अच्छा है
l-khāliqīna
ٱلْخَٰلِقِينَ
पैदा करने वालों में
फिर हमने उस बूँद को लोथड़े का रूप दिया; फिर हमने उस लोथड़े को बोटी का रूप दिया; फिर हमने उन हड्डियों पर मांस चढाया; फिर हमने उसे एक दूसरा ही सर्जन रूप देकर खड़ा किया। अतः बहुत ही बरकतवाला है अल्लाह, सबसे उत्तम स्रष्टा! ([२३] अल-मुमिनून: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

ثُمَّ اِنَّكُمْ بَعْدَ ذٰلِكَ لَمَيِّتُوْنَ ۗ ١٥

thumma
ثُمَّ
फिर
innakum
إِنَّكُم
बेशक तुम
baʿda
بَعْدَ
बाद इसके
dhālika
ذَٰلِكَ
बाद इसके
lamayyitūna
لَمَيِّتُونَ
ज़रूर मरने वाले हो
फिर तुम अवश्य मरनेवाले हो ([२३] अल-मुमिनून: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

ثُمَّ اِنَّكُمْ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ تُبْعَثُوْنَ ١٦

thumma
ثُمَّ
फिर
innakum
إِنَّكُمْ
बेशक तुम
yawma
يَوْمَ
दिन
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِ
क़यामत के
tub'ʿathūna
تُبْعَثُونَ
तुम उठाए जाओगे
फिर क़ियामत के दिन तुम निश्चय ही उठाए जाओगे ([२३] अल-मुमिनून: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

وَلَقَدْ خَلَقْنَا فَوْقَكُمْ سَبْعَ طَرَاۤىِٕقَۖ وَمَا كُنَّا عَنِ الْخَلْقِ غٰفِلِيْنَ ١٧

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
khalaqnā
خَلَقْنَا
बनाए हम ने
fawqakum
فَوْقَكُمْ
तुम्हारे ऊपर
sabʿa
سَبْعَ
सात
ṭarāiqa
طَرَآئِقَ
रास्ते
wamā
وَمَا
और नहीं
kunnā
كُنَّا
हैं हम
ʿani
عَنِ
मख़्लूक़ से
l-khalqi
ٱلْخَلْقِ
मख़्लूक़ से
ghāfilīna
غَٰفِلِينَ
ग़ाफ़िल
और हमने तुम्हारे ऊपर सात रास्ते बनाए है। और हम सृष्टि-कार्य से ग़ाफ़िल नहीं ([२३] अल-मुमिनून: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

وَاَنْزَلْنَا مِنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءًۢ بِقَدَرٍ فَاَسْكَنّٰهُ فِى الْاَرْضِۖ وَاِنَّا عَلٰى ذَهَابٍۢ بِهٖ لَقٰدِرُوْنَ ۚ ١٨

wa-anzalnā
وَأَنزَلْنَا
और उतारा हम ने
mina
مِنَ
आसमान से
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान से
māan
مَآءًۢ
पानी
biqadarin
بِقَدَرٍ
साथ एक अन्दाज़े के
fa-askannāhu
فَأَسْكَنَّٰهُ
फिर ठहराया हम ने उसे
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِۖ
ज़मीन में
wa-innā
وَإِنَّا
और बेशक हम
ʿalā
عَلَىٰ
ले जाने पर
dhahābin
ذَهَابٍۭ
ले जाने पर
bihi
بِهِۦ
उसे
laqādirūna
لَقَٰدِرُونَ
अलबत्ता क़ादिर हैं
और हमने आकाश से एक अंदाज़े के साथ पानी उतारा। फिर हमने उसे धरती में ठहरा दिया, और उसे विलुप्त करने की सामर्थ्य भी हमें प्राप्त है ([२३] अल-मुमिनून: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

فَاَنْشَأْنَا لَكُمْ بِهٖ جَنّٰتٍ مِّنْ نَّخِيْلٍ وَّاَعْنَابٍۘ لَكُمْ فِيْهَا فَوَاكِهُ كَثِيْرَةٌ وَّمِنْهَا تَأْكُلُوْنَ ۙ ١٩

fa-anshanā
فَأَنشَأْنَا
फिर पैदा किया हम ने
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
jannātin
جَنَّٰتٍ
बाग़ात को
min
مِّن
खजूरों के
nakhīlin
نَّخِيلٍ
खजूरों के
wa-aʿnābin
وَأَعْنَٰبٍ
और अंगूरों के
lakum
لَّكُمْ
तुम्हारे लिए
fīhā
فِيهَا
इन में
fawākihu
فَوَٰكِهُ
फल हैं
kathīratun
كَثِيرَةٌ
बहुत से
wamin'hā
وَمِنْهَا
और इन में से
takulūna
تَأْكُلُونَ
तुम खाते हो
फिर हमने उसके द्वारा तुम्हारे लिए खजूरो और अंगूरों के बाग़ पैदा किए। तुम्हारे लिए उनमें बहुत-से फल है (जिनमें तुम्हारे लिए कितने ही लाभ है) और उनमें से तुम खाते हो ([२३] अल-मुमिनून: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

وَشَجَرَةً تَخْرُجُ مِنْ طُوْرِ سَيْنَاۤءَ تَنْۢبُتُ بِالدُّهْنِ وَصِبْغٍ لِّلْاٰكِلِيْنَ ٢٠

washajaratan
وَشَجَرَةً
और एक दरख़्त
takhruju
تَخْرُجُ
जो निकलता है
min
مِن
तूरे-सीना से
ṭūri
طُورِ
तूरे-सीना से
saynāa
سَيْنَآءَ
तूरे-सीना से
tanbutu
تَنۢبُتُ
वो उगता है
bil-duh'ni
بِٱلدُّهْنِ
साथ चिकनाई के
waṣib'ghin
وَصِبْغٍ
और सालन
lil'ākilīna
لِّلْءَاكِلِينَ
खाने वालों के लिए
और वह वृक्ष भी जो सैना पर्वत से निकलता है, जो तेल और खानेवालों के लिए सालन लिए हुए उगता है ([२३] अल-मुमिनून: 20)
Tafseer (तफ़सीर )