Skip to content

सूरा अल-मुमिनून - Page: 12

Al-Mu'minun

(आस्तिक)

१११

اِنِّيْ جَزَيْتُهُمُ الْيَوْمَ بِمَا صَبَرُوْٓاۙ اَنَّهُمْ هُمُ الْفَاۤىِٕزُوْنَ ١١١

innī
إِنِّى
बेशक मैं
jazaytuhumu
جَزَيْتُهُمُ
बदला दिया मैंने उन्हें
l-yawma
ٱلْيَوْمَ
आज
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
ṣabarū
صَبَرُوٓا۟
उन्होंने सब्र किया
annahum
أَنَّهُمْ
बेशक वो
humu
هُمُ
वो ही
l-fāizūna
ٱلْفَآئِزُونَ
कामयाब होने वाले हैं
आज मैंने उनके धैर्य का यह बदला प्रदान किया कि वही है जो सफलता को प्राप्त हुए।' ([२३] अल-मुमिनून: 111)
Tafseer (तफ़सीर )
११२

قٰلَ كَمْ لَبِثْتُمْ فِى الْاَرْضِ عَدَدَ سِنِيْنَ ١١٢

qāla
قَٰلَ
वो फ़रमाएगा
kam
كَمْ
कितना
labith'tum
لَبِثْتُمْ
ठहरे तुम
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
ʿadada
عَدَدَ
गिनती में
sinīna
سِنِينَ
सालों की
वह कहेगाः “तुम धरती में कितने वर्ष रहे”? ([२३] अल-मुमिनून: 112)
Tafseer (तफ़सीर )
११३

قَالُوْا لَبِثْنَا يَوْمًا اَوْ بَعْضَ يَوْمٍ فَسْـَٔلِ الْعَاۤدِّيْنَ ١١٣

qālū
قَالُوا۟
वो कहेंगे
labith'nā
لَبِثْنَا
ठहरे हम
yawman
يَوْمًا
एक दिन
aw
أَوْ
या
baʿḍa
بَعْضَ
कुछ हिस्सा
yawmin
يَوْمٍ
दिन का
fasali
فَسْـَٔلِ
पूछ लीजिए
l-ʿādīna
ٱلْعَآدِّينَ
गिनने वालों से
वॆ कहेंगेः , 'एक दिन या एक दिन का कुछ भाग। गणना करनेवालों से पूछ लीजिए।?' ([२३] अल-मुमिनून: 113)
Tafseer (तफ़सीर )
११४

قٰلَ اِنْ لَّبِثْتُمْ اِلَّا قَلِيْلًا لَّوْ اَنَّكُمْ كُنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ١١٤

qāla
قَٰلَ
वो फ़रमाएगा
in
إِن
नहीं
labith'tum
لَّبِثْتُمْ
ठहरे तुम
illā
إِلَّا
मगर
qalīlan
قَلِيلًاۖ
बहुत थोड़ा
law
لَّوْ
काश
annakum
أَنَّكُمْ
कि बेशक तुम
kuntum
كُنتُمْ
होते तुम
taʿlamūna
تَعْلَمُونَ
तुम जानते
वह कहेगा, 'तुम ठहरे थोड़े ही, क्या अच्छा होता तुम जानते होते! ([२३] अल-मुमिनून: 114)
Tafseer (तफ़सीर )
११५

اَفَحَسِبْتُمْ اَنَّمَا خَلَقْنٰكُمْ عَبَثًا وَّاَنَّكُمْ اِلَيْنَا لَا تُرْجَعُوْنَ ١١٥

afaḥasib'tum
أَفَحَسِبْتُمْ
क्या भला समझा था तुमने
annamā
أَنَّمَا
कि बेशक
khalaqnākum
خَلَقْنَٰكُمْ
पैदा किया हमने तुम्हें
ʿabathan
عَبَثًا
बेकार
wa-annakum
وَأَنَّكُمْ
और बेशक तुम
ilaynā
إِلَيْنَا
तरफ़ हमारे
لَا
ना तुम लौटाए जाओगे
tur'jaʿūna
تُرْجَعُونَ
ना तुम लौटाए जाओगे
तो क्या तुमने यह समझा था कि हमने तुम्हें व्यर्थ पैदा किया है और यह कि तुम्हें हमारी और लौटना नहीं है?' ([२३] अल-मुमिनून: 115)
Tafseer (तफ़सीर )
११६

فَتَعٰلَى اللّٰهُ الْمَلِكُ الْحَقُّۚ لَآ اِلٰهَ اِلَّا هُوَۚ رَبُّ الْعَرْشِ الْكَرِيْمِ ١١٦

fataʿālā
فَتَعَٰلَى
तो बहुत बुलन्द है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
l-maliku
ٱلْمَلِكُ
बादशाह
l-ḥaqu
ٱلْحَقُّۖ
हक़ीक़ी
لَآ
नहीं
ilāha
إِلَٰهَ
कोई इलाह( बरहक़)
illā
إِلَّا
मगर
huwa
هُوَ
वो ही
rabbu
رَبُّ
रब है
l-ʿarshi
ٱلْعَرْشِ
अर्शे
l-karīmi
ٱلْكَرِيمِ
करीम का
तो सर्वोच्च है अल्लाह, सच्चा सम्राट! उसके सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं, स्वामी है महिमाशाली सिंहासन का ([२३] अल-मुमिनून: 116)
Tafseer (तफ़सीर )
११७

وَمَنْ يَّدْعُ مَعَ اللّٰهِ اِلٰهًا اٰخَرَ لَا بُرْهَانَ لَهٗ بِهٖۙ فَاِنَّمَا حِسَابُهٗ عِنْدَ رَبِّهٖۗ اِنَّهٗ لَا يُفْلِحُ الْكٰفِرُوْنَ ١١٧

waman
وَمَن
और जो
yadʿu
يَدْعُ
पुकारे
maʿa
مَعَ
साथ
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
ilāhan
إِلَٰهًا
इलाह
ākhara
ءَاخَرَ
दूसरा
لَا
नहीं दलील
bur'hāna
بُرْهَٰنَ
नहीं दलील
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
bihi
بِهِۦ
उसकी
fa-innamā
فَإِنَّمَا
तो बेशक
ḥisābuhu
حِسَابُهُۥ
हिसाब है उसका
ʿinda
عِندَ
पास
rabbihi
رَبِّهِۦٓۚ
उसके रब के
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
لَا
नहीं वो फ़लाह पाऐंगे
yuf'liḥu
يُفْلِحُ
नहीं वो फ़लाह पाऐंगे
l-kāfirūna
ٱلْكَٰفِرُونَ
जो काफ़िर हैं
और जो कोई अल्लाह के साथ किसी दूसरे पूज्य को पुकारे, जिसके लिए उसके पास कोई प्रमाम नहीं, तो बस उसका हिसाब उसके रब के पास है। निश्चय ही इनकार करनेवाले कभी सफल नहीं होगे ([२३] अल-मुमिनून: 117)
Tafseer (तफ़सीर )
११८

وَقُلْ رَّبِّ اغْفِرْ وَارْحَمْ وَاَنْتَ خَيْرُ الرّٰحِمِيْنَ ࣖ ١١٨

waqul
وَقُل
और कह दीजिए
rabbi
رَّبِّ
ऐ मेरे रब
igh'fir
ٱغْفِرْ
बख़्श दे
wa-ir'ḥam
وَٱرْحَمْ
और रहम फ़रमा
wa-anta
وَأَنتَ
और तू
khayru
خَيْرُ
बेहतर है
l-rāḥimīna
ٱلرَّٰحِمِينَ
सब रहम करने वालों से
और कहो, 'मेरे रब! मुझे क्षमा कर दे और दया कर। तू तो सबसे अच्छा दया करनेवाला है।' ([२३] अल-मुमिनून: 118)
Tafseer (तफ़सीर )