Skip to content

सूरा अल-मुमिनून - शब्द द्वारा शब्द

Al-Mu'minun

(आस्तिक)

bismillaahirrahmaanirrahiim

قَدْ اَفْلَحَ الْمُؤْمِنُوْنَ ۙ ١

qad
قَدْ
यक़ीनन
aflaḥa
أَفْلَحَ
फ़लाह पा गए
l-mu'minūna
ٱلْمُؤْمِنُونَ
ईमान लाने वाले
सफल हो गए ईमानवाले, ([२३] अल-मुमिनून: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

الَّذِيْنَ هُمْ فِيْ صَلٰو تِهِمْ خَاشِعُوْنَ ٢

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
hum
هُمْ
वो
فِى
अपनी नमाज़ में
ṣalātihim
صَلَاتِهِمْ
अपनी नमाज़ में
khāshiʿūna
خَٰشِعُونَ
ख़ुशूअ करने वाले
जो अपनी नमाज़ों में विनम्रता अपनाते है; ([२३] अल-मुमिनून: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

وَالَّذِيْنَ هُمْ عَنِ اللَّغْوِ مُعْرِضُوْنَ ۙ ٣

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
hum
هُمْ
वो
ʿani
عَنِ
लग़्व बात से
l-laghwi
ٱللَّغْوِ
लग़्व बात से
muʿ'riḍūna
مُعْرِضُونَ
ऐराज़ करने वाले हैं
और जो व्यर्थ बातों से पहलू बचाते है; ([२३] अल-मुमिनून: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

وَالَّذِيْنَ هُمْ لِلزَّكٰوةِ فَاعِلُوْنَ ۙ ٤

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
hum
هُمْ
वो
lilzzakati
لِلزَّكَوٰةِ
ज़कात को
fāʿilūna
فَٰعِلُونَ
(अदा) करने वाले हैं
और जो ज़कात अदा करते है; ([२३] अल-मुमिनून: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

وَالَّذِيْنَ هُمْ لِفُرُوْجِهِمْ حٰفِظُوْنَ ۙ ٥

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
hum
هُمْ
वो
lifurūjihim
لِفُرُوجِهِمْ
अपनी शर्मगाहों की
ḥāfiẓūna
حَٰفِظُونَ
हिफ़ाज़त करने वाले हैं
और जो अपने गुप्तांगों की रक्षा करते है- ([२३] अल-मुमिनून: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

اِلَّا عَلٰٓى اَزْوَاجِهِمْ اَوْ مَا مَلَكَتْ اَيْمَانُهُمْ فَاِنَّهُمْ غَيْرُ مَلُوْمِيْنَۚ ٦

illā
إِلَّا
मगर
ʿalā
عَلَىٰٓ
ऊपर
azwājihim
أَزْوَٰجِهِمْ
अपनी बीवियों के
aw
أَوْ
या
مَا
जिनके
malakat
مَلَكَتْ
मालिक हुए
aymānuhum
أَيْمَٰنُهُمْ
उनके दाऐं हाथ
fa-innahum
فَإِنَّهُمْ
तो बेशक वो
ghayru
غَيْرُ
नहीं
malūmīna
مَلُومِينَ
मलामत किए गए
सिवाय इस सूरत के कि अपनी पत्नि यों या लौंडियों के पास जाएँ कि इसपर वे निन्दनीय नहीं है ([२३] अल-मुमिनून: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

فَمَنِ ابْتَغٰى وَرَاۤءَ ذٰلِكَ فَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْعٰدُوْنَ ۚ ٧

famani
فَمَنِ
तो जो कोई
ib'taghā
ٱبْتَغَىٰ
चाहे
warāa
وَرَآءَ
अलावा
dhālika
ذَٰلِكَ
इसके
fa-ulāika
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
तो यही लोग हैं
humu
هُمُ
वो
l-ʿādūna
ٱلْعَادُونَ
जो हद से गुज़रने वाले हैं
परन्तु जो कोई इसके अतिरिक्त कुछ और चाहे तो ऐसे ही लोग सीमा उल्लंघन करनेवाले है।- ([२३] अल-मुमिनून: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

وَالَّذِيْنَ هُمْ لِاَمٰنٰتِهِمْ وَعَهْدِهِمْ رَاعُوْنَ ۙ ٨

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
hum
هُمْ
वो
li-amānātihim
لِأَمَٰنَٰتِهِمْ
अपनी अमानतों को
waʿahdihim
وَعَهْدِهِمْ
और अपने अहद की
rāʿūna
رَٰعُونَ
निगरानी करने वाले हैं
और जो अपनी अमानतों और अपनी प्रतिज्ञा का ध्यान रखते है; ([२३] अल-मुमिनून: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

وَالَّذِيْنَ هُمْ عَلٰى صَلَوٰتِهِمْ يُحَافِظُوْنَ ۘ ٩

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
hum
هُمْ
वो
ʿalā
عَلَىٰ
अपनी नमाज़ों पर
ṣalawātihim
صَلَوَٰتِهِمْ
अपनी नमाज़ों पर
yuḥāfiẓūna
يُحَافِظُونَ
वो हिफ़ाज़त करते हैं
और जो अपनी नमाज़ों की रक्षा करते हैं; ([२३] अल-मुमिनून: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

اُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْوَارِثُوْنَ ۙ ١٠

ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
humu
هُمُ
वो
l-wārithūna
ٱلْوَٰرِثُونَ
जो वारिस हैं
वही वारिस होने वाले है ([२३] अल-मुमिनून: 10)
Tafseer (तफ़सीर )