وَيَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَا لَمْ يُنَزِّلْ بِهٖ سُلْطٰنًا وَّمَا لَيْسَ لَهُمْ بِهٖ عِلْمٌ ۗوَمَا لِلظّٰلِمِيْنَ مِنْ نَّصِيْرٍ ٧١
- wayaʿbudūna
- وَيَعْبُدُونَ
- और वो इबादत करते हैं
- min
- مِن
- सिवाए
- dūni
- دُونِ
- सिवाए
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- mā
- مَا
- उसकी जो
- lam
- لَمْ
- नहीं
- yunazzil
- يُنَزِّلْ
- उसने नाज़िल की
- bihi
- بِهِۦ
- जिसकी
- sul'ṭānan
- سُلْطَٰنًا
- कोई दलील
- wamā
- وَمَا
- और उसकी जो
- laysa
- لَيْسَ
- नहीं है
- lahum
- لَهُم
- उनके लिए
- bihi
- بِهِۦ
- जिसका
- ʿil'mun
- عِلْمٌۗ
- कोई इल्म
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- lilẓẓālimīna
- لِلظَّٰلِمِينَ
- ज़ालिमों के लिए
- min
- مِن
- कोई मददगार
- naṣīrin
- نَّصِيرٍ
- कोई मददगार
और वे अल्लाह से इतर उनकी बन्दगी करते है जिनके लिए न तो उसने कोई प्रमाण उतारा और न उन्हें उनके विषय में कोई ज्ञान ही है। और इन ज़ालिमों को कोई सहायक नहीं ([२२] अल-हज: 71)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذَا تُتْلٰى عَلَيْهِمْ اٰيٰتُنَا بَيِّنٰتٍ تَعْرِفُ فِيْ وُجُوْهِ الَّذِيْنَ كَفَرُوا الْمُنْكَرَۗ يَكَادُوْنَ يَسْطُوْنَ بِالَّذِيْنَ يَتْلُوْنَ عَلَيْهِمْ اٰيٰتِنَاۗ قُلْ اَفَاُنَبِّئُكُمْ بِشَرٍّ مِّنْ ذٰلِكُمْۗ اَلنَّارُۗ وَعَدَهَا اللّٰهُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْاۗ وَبِئْسَ الْمَصِيْرُ ࣖ ٧٢
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- tut'lā
- تُتْلَىٰ
- पढ़ी जाती हैं
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- āyātunā
- ءَايَٰتُنَا
- आयात हमारी
- bayyinātin
- بَيِّنَٰتٍ
- वाज़ेह
- taʿrifu
- تَعْرِفُ
- आप पहचान सकते हैं
- fī
- فِى
- चेहरों में
- wujūhi
- وُجُوهِ
- चेहरों में
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनके जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- l-munkara
- ٱلْمُنكَرَۖ
- नागवारी को
- yakādūna
- يَكَادُونَ
- क़रीब हैं
- yasṭūna
- يَسْطُونَ
- कि वो हमला कर दें
- bi-alladhīna
- بِٱلَّذِينَ
- उन पर जो
- yatlūna
- يَتْلُونَ
- पढ़ते हैं
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- āyātinā
- ءَايَٰتِنَاۗ
- आयात हमारी
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- afa-unabbi-ukum
- أَفَأُنَبِّئُكُم
- क्या फिर मैं बताऊँ तुम्हें
- bisharrin
- بِشَرٍّ
- बुरी चीज़
- min
- مِّن
- इससे
- dhālikumu
- ذَٰلِكُمُۗ
- इससे
- l-nāru
- ٱلنَّارُ
- आग
- waʿadahā
- وَعَدَهَا
- वादा किया है उसका
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनसे जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟ۖ
- कुफ़्र किया
- wabi'sa
- وَبِئْسَ
- और कितना बुरा है
- l-maṣīru
- ٱلْمَصِيرُ
- ठिकाना
और जब उन्हें हमारी स्पष्ट आयतें सुनाई जाती है, तो इनकार करनेवालों के चेहरों पर तुम्हें नागवारी प्रतीत होती है। लगता है कि अभी वे उन लोगों पर टूट पड़ेगे जो उन्हें हमारी आयतें सुनाते है। कह दो, 'क्या मैं तुम्हे इससे बुरी चीज़ की ख़बर दूँ? आग है वह - अल्लाह ने इनकार करनेवालों से उसी का वादा कर रखा है - और वह बहुत ही बुरा ठिकाना है।' ([२२] अल-हज: 72)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا النَّاسُ ضُرِبَ مَثَلٌ فَاسْتَمِعُوْا لَهٗ ۗاِنَّ الَّذِيْنَ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ لَنْ يَّخْلُقُوْا ذُبَابًا وَّلَوِ اجْتَمَعُوْا لَهٗ ۗوَاِنْ يَّسْلُبْهُمُ الذُّبَابُ شَيْـًٔا لَّا يَسْتَنْقِذُوْهُ مِنْهُۗ ضَعُفَ الطَّالِبُ وَالْمَطْلُوْبُ ٧٣
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ
- l-nāsu
- ٱلنَّاسُ
- लोगो
- ḍuriba
- ضُرِبَ
- बयान की गई है
- mathalun
- مَثَلٌ
- मिसाल
- fa-is'tamiʿū
- فَٱسْتَمِعُوا۟
- पस ग़ौर से सुनो
- lahu
- لَهُۥٓۚ
- उसे
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्हें
- tadʿūna
- تَدْعُونَ
- तुम पुकारते हो
- min
- مِن
- अल्लाह के सिवा
- dūni
- دُونِ
- अल्लाह के सिवा
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के सिवा
- lan
- لَن
- हरगिज़ नहीं
- yakhluqū
- يَخْلُقُوا۟
- वो पैदा कर सकते
- dhubāban
- ذُبَابًا
- एक मक्खी
- walawi
- وَلَوِ
- और अगरचे
- ij'tamaʿū
- ٱجْتَمَعُوا۟
- वो जमा हो जाऐं
- lahu
- لَهُۥۖ
- उसके लिए
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yaslub'humu
- يَسْلُبْهُمُ
- छीन ले उनसे
- l-dhubābu
- ٱلذُّبَابُ
- मक्खी
- shayan
- شَيْـًٔا
- कोई चीज़
- lā
- لَّا
- नहीं वो छुड़ा सकते उसको
- yastanqidhūhu
- يَسْتَنقِذُوهُ
- नहीं वो छुड़ा सकते उसको
- min'hu
- مِنْهُۚ
- उससे
- ḍaʿufa
- ضَعُفَ
- कितना कमज़ोर है
- l-ṭālibu
- ٱلطَّالِبُ
- तलब करने वाला
- wal-maṭlūbu
- وَٱلْمَطْلُوبُ
- और वो जिससे तलब किया जाता है
ऐ लोगों! एक मिसाल पेश की जाती है। उसे ध्यान से सुनो, अल्लाह से हटकर तुम जिन्हें पुकारते हो वे एक मक्खी भी पैदा नहीं कर सकते। यद्यपि इसके लिए वे सब इकट्ठे हो जाएँ और यदि मक्खी उनसे कोई चीज़ छीन ले जाए तो उससे वे उसको छुड़ा भी नहीं सकते। बेबस और असहाय रहा चाहनेवाला भी (उपासक) और उसका अभीष्ट (उपास्य) भी ([२२] अल-हज: 73)Tafseer (तफ़सीर )
مَا قَدَرُوا اللّٰهَ حَقَّ قَدْرِهٖۗ اِنَّ اللّٰهَ لَقَوِيٌّ عَزِيْزٌ ٧٤
- mā
- مَا
- नहीं
- qadarū
- قَدَرُوا۟
- उन्होंने क़द्र की
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- ḥaqqa
- حَقَّ
- जैसे हक़ है
- qadrihi
- قَدْرِهِۦٓۗ
- उसकी क़द्र का
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- laqawiyyun
- لَقَوِىٌّ
- अलबत्ता बहुत क़ूव्वत वाला है
- ʿazīzun
- عَزِيزٌ
- बहुत ज़बरदस्त है
उन्होंने अल्लाह की क़द्र ही नहीं पहचानी जैसी कि उसकी क़द्र पहचाननी चाहिए थी। निश्चय ही अल्लाह अत्यन्त बलवान, प्रभुत्वशाली है ([२२] अल-हज: 74)Tafseer (तफ़सीर )
اَللّٰهُ يَصْطَفِيْ مِنَ الْمَلٰۤىِٕكَةِ رُسُلًا وَّمِنَ النَّاسِۗ اِنَّ اللّٰهَ سَمِيْعٌۢ بَصِيْرٌ ۚ ٧٥
- al-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- yaṣṭafī
- يَصْطَفِى
- चुन लेता है
- mina
- مِنَ
- फ़रिश्तों में से
- l-malāikati
- ٱلْمَلَٰٓئِكَةِ
- फ़रिश्तों में से
- rusulan
- رُسُلًا
- पैग़ाम पहुँचाने वाले
- wamina
- وَمِنَ
- और इन्सानों में से भी
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِۚ
- और इन्सानों में से भी
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- samīʿun
- سَمِيعٌۢ
- ख़ूब सुनने वाला है
- baṣīrun
- بَصِيرٌ
- ख़ूब देखने वाला है
अल्लाह फ़रिश्तों में से संदेशवाहक चुनता और मनुष्यों में से भी। निश्चय ही अल्लाह सब कुछ सुनता, देखता है ([२२] अल-हज: 75)Tafseer (तफ़सीर )
يَعْلَمُ مَا بَيْنَ اَيْدِيْهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْۗ وَاِلَى اللّٰهِ تُرْجَعُ الْاُمُوْرُ ٧٦
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- वो जानता है
- mā
- مَا
- जो कुछ
- bayna
- بَيْنَ
- उनके आगे है
- aydīhim
- أَيْدِيهِمْ
- उनके आगे है
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- khalfahum
- خَلْفَهُمْۗ
- उनके पीछे है
- wa-ilā
- وَإِلَى
- और तरफ़ अल्लाह ही के
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- और तरफ़ अल्लाह ही के
- tur'jaʿu
- تُرْجَعُ
- लौटाए जाते हैं
- l-umūru
- ٱلْأُمُورُ
- सब काम
वह जानता है जो कुछ उनके आगे है और जो कुछ उनके पीछे है। और सारे मामले अल्लाह ही की ओर पलटते है ([२२] अल-हज: 76)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوا ارْكَعُوْا وَاسْجُدُوْا وَاعْبُدُوْا رَبَّكُمْ وَافْعَلُوا الْخَيْرَ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُوْنَ ۚ۩ ٧٧
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- ir'kaʿū
- ٱرْكَعُوا۟
- रुकूअ करो
- wa-us'judū
- وَٱسْجُدُوا۟
- और सजदा करो
- wa-uʿ'budū
- وَٱعْبُدُوا۟
- और इबादत करो
- rabbakum
- رَبَّكُمْ
- अपने रब की
- wa-if'ʿalū
- وَٱفْعَلُوا۟
- और करो
- l-khayra
- ٱلْخَيْرَ
- भलाई
- laʿallakum
- لَعَلَّكُمْ
- ताकि तुम
- tuf'liḥūna
- تُفْلِحُونَ۩
- तुम फ़लाह पा जाओ
ऐ ईमान लानेवालो! झुको और सजदा करो और अपने रब की बन्दही करो और भलाई करो, ताकि तुम्हें सफलता प्राप्त हो ([२२] अल-हज: 77)Tafseer (तफ़सीर )
وَجَاهِدُوْا فِى اللّٰهِ حَقَّ جِهَادِهٖۗ هُوَ اجْتَبٰىكُمْ وَمَا جَعَلَ عَلَيْكُمْ فِى الدِّيْنِ مِنْ حَرَجٍۗ مِلَّةَ اَبِيْكُمْ اِبْرٰهِيْمَۗ هُوَ سَمّٰىكُمُ الْمُسْلِمِيْنَ ەۙ مِنْ قَبْلُ وَفِيْ هٰذَا لِيَكُوْنَ الرَّسُوْلُ شَهِيْدًا عَلَيْكُمْ وَتَكُوْنُوْا شُهَدَاۤءَ عَلَى النَّاسِۖ فَاَقِيْمُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتُوا الزَّكٰوةَ وَاعْتَصِمُوْا بِاللّٰهِ ۗهُوَ مَوْلٰىكُمْۚ فَنِعْمَ الْمَوْلٰى وَنِعْمَ النَّصِيْرُ ࣖ ۔ ٧٨
- wajāhidū
- وَجَٰهِدُوا۟
- और जिहाद करो
- fī
- فِى
- अल्लाह (के रास्ते) में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह (के रास्ते) में
- ḥaqqa
- حَقَّ
- जैसा कि (हक़ है)
- jihādihi
- جِهَادِهِۦۚ
- उसके जिहाद का
- huwa
- هُوَ
- उसने
- ij'tabākum
- ٱجْتَبَىٰكُمْ
- चुन लिया है तुम्हें
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- jaʿala
- جَعَلَ
- उसने बनाई
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- fī
- فِى
- दीन के मामले में
- l-dīni
- ٱلدِّينِ
- दीन के मामले में
- min
- مِنْ
- कोई तंगी
- ḥarajin
- حَرَجٍۚ
- कोई तंगी
- millata
- مِّلَّةَ
- ये दीन है
- abīkum
- أَبِيكُمْ
- तुम्हारे बाप
- ib'rāhīma
- إِبْرَٰهِيمَۚ
- इब्राहीम का
- huwa
- هُوَ
- उस (अल्लाह) ने
- sammākumu
- سَمَّىٰكُمُ
- नाम रखा है तुम्हारा
- l-mus'limīna
- ٱلْمُسْلِمِينَ
- मुसलमान
- min
- مِن
- इससे पहले (भी)
- qablu
- قَبْلُ
- इससे पहले (भी)
- wafī
- وَفِى
- और इसमें (भी)
- hādhā
- هَٰذَا
- और इसमें (भी)
- liyakūna
- لِيَكُونَ
- ताकि हों
- l-rasūlu
- ٱلرَّسُولُ
- रसूल
- shahīdan
- شَهِيدًا
- गवाह
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- watakūnū
- وَتَكُونُوا۟
- और तुम हो जाओ
- shuhadāa
- شُهَدَآءَ
- गवाह
- ʿalā
- عَلَى
- तमाम इन्सानों पर
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِۚ
- तमाम इन्सानों पर
- fa-aqīmū
- فَأَقِيمُوا۟
- पस क़ायम करो
- l-ṣalata
- ٱلصَّلَوٰةَ
- नमाज़
- waātū
- وَءَاتُوا۟
- और अदा करो
- l-zakata
- ٱلزَّكَوٰةَ
- ज़कात
- wa-iʿ'taṣimū
- وَٱعْتَصِمُوا۟
- और मज़बूत थाम लो
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह को
- huwa
- هُوَ
- वो ही
- mawlākum
- مَوْلَىٰكُمْۖ
- मौला है तुम्हारा
- faniʿ'ma
- فَنِعْمَ
- पस कितना अच्छा है
- l-mawlā
- ٱلْمَوْلَىٰ
- मौला / दोस्त
- waniʿ'ma
- وَنِعْمَ
- और कितना अच्छा है
- l-naṣīru
- ٱلنَّصِيرُ
- मददगार
और परस्पर मिलकर जिहाद करो अल्लाह के मार्ग में, जैसा कि जिहाद का हक़ है। उसने तुम्हें चुन लिया है - और धर्म के मामले में तुमपर कोई तंगी और कठिनाई नहीं रखी। तुम्हारे बाप इबराहीम के पंथ को तुम्हारे लिए पसन्द किया। उसने इससे पहले तुम्हारा नाम मुस्लिम (आज्ञाकारी) रखा था और इस ध्येय से - ताकि रसूल तुमपर गवाह हो और तुम लोगों पर गवाह हो। अतः नमाज़ का आयोजन करो और ज़कात दो और अल्लाह को मज़बूती से पकड़े रहो। वही तुम्हारा संरक्षक है। तो क्या ही अच्छा संरक्षक है और क्या ही अच्छा सहायक! ([२२] अल-हज: 78)Tafseer (तफ़सीर )