ذٰلِكَ بِاَنَّ اللّٰهَ يُوْلِجُ الَّيْلَ فِى النَّهَارِ وَيُوْلِجُ النَّهَارَ فِى الَّيْلِ وَاَنَّ اللّٰهَ سَمِيْعٌۢ بَصِيْرٌ ٦١
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- bi-anna
- بِأَنَّ
- बवजह उसके कि
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yūliju
- يُولِجُ
- दाख़िल करता है
- al-layla
- ٱلَّيْلَ
- रात को
- fī
- فِى
- दिन में
- l-nahāri
- ٱلنَّهَارِ
- दिन में
- wayūliju
- وَيُولِجُ
- और वो दाख़िल करता है
- l-nahāra
- ٱلنَّهَارَ
- दिन को
- fī
- فِى
- रात में
- al-layli
- ٱلَّيْلِ
- रात में
- wa-anna
- وَأَنَّ
- और बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- samīʿun
- سَمِيعٌۢ
- ख़ूब सुनने वाला है
- baṣīrun
- بَصِيرٌ
- ख़ूब देखने वाला है
यह इसलिए कि अल्लाह ही है जो रात को दिन में पिरोता हुआ ले आता है और दिन को रात में पिरोता हुआ ले आता है। और यह कि अल्लाह सुनता, देखता है ([२२] अल-हज: 61)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكَ بِاَنَّ اللّٰهَ هُوَ الْحَقُّ وَاَنَّ مَا يَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِهٖ هُوَ الْبَاطِلُ وَاَنَّ اللّٰهَ هُوَ الْعَلِيُّ الْكَبِيْرُ ٦٢
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- bi-anna
- بِأَنَّ
- बवजह उसके कि
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- huwa
- هُوَ
- वो ही
- l-ḥaqu
- ٱلْحَقُّ
- हक़ है
- wa-anna
- وَأَنَّ
- और बेशक
- mā
- مَا
- जिसे
- yadʿūna
- يَدْعُونَ
- वो पुकारते हैं
- min
- مِن
- उसके सिवा
- dūnihi
- دُونِهِۦ
- उसके सिवा
- huwa
- هُوَ
- वो
- l-bāṭilu
- ٱلْبَٰطِلُ
- बातिल है
- wa-anna
- وَأَنَّ
- और बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- huwa
- هُوَ
- वो ही
- l-ʿaliyu
- ٱلْعَلِىُّ
- बहुत बुलन्द है
- l-kabīru
- ٱلْكَبِيرُ
- बहुत बड़ा है
यह इसलिए कि अल्लाह ही सत्य है और जिसे वे उसको छोड़कर पुकारते है, वे सब असत्य है, और यह कि अल्लाह ही सर्वोच्च, महान है ([२२] अल-हज: 62)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَمْ تَرَ اَنَّ اللّٰهَ اَنْزَلَ مِنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءًۖ فَتُصْبِحُ الْاَرْضُ مُخْضَرَّةًۗ اِنَّ اللّٰهَ لَطِيْفٌ خَبِيْرٌ ۚ ٦٣
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- tara
- تَرَ
- आपने देखा
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह ने
- anzala
- أَنزَلَ
- उतारा
- mina
- مِنَ
- आसमान से
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- आसमान से
- māan
- مَآءً
- पानी
- fatuṣ'biḥu
- فَتُصْبِحُ
- तो हो जाती है
- l-arḍu
- ٱلْأَرْضُ
- ज़मीन
- mukh'ḍarratan
- مُخْضَرَّةًۗ
- सरसब्ज़
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- laṭīfun
- لَطِيفٌ
- बहुत बारीक बीन है
- khabīrun
- خَبِيرٌ
- ख़ूब ख़बर रखने वाला है
क्या तुमने देखा नहीं कि अल्लाह आकाश से पानी बरसाता है, तो धरती हरी-भरी हो जाती है? निस्संदेह अल्लाह सूक्ष्मदर्शी, ख़बर रखनेवाला है ([२२] अल-हज: 63)Tafseer (तफ़सीर )
لَهٗ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِۗ وَاِنَّ اللّٰهَ لَهُوَ الْغَنِيُّ الْحَمِيْدُ ࣖ ٦٤
- lahu
- لَّهُۥ
- उसी के लिए है
- mā
- مَا
- जो कुछ
- fī
- فِى
- आसमानों में है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में है
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- fī
- فِى
- ज़मीन में है
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِۗ
- ज़मीन में है
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- lahuwa
- لَهُوَ
- अलबत्ता वो
- l-ghaniyu
- ٱلْغَنِىُّ
- बहुत बेनियाज़ है
- l-ḥamīdu
- ٱلْحَمِيدُ
- बहुत तारीफ़ वाला है
उसी का है जो कुछ आकाशों में और जो कुछ धरती में है। निस्संदेह अल्लाह ही निस्पृह प्रशंसनीय है ([२२] अल-हज: 64)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَمْ تَرَ اَنَّ اللّٰهَ سَخَّرَ لَكُمْ مَّا فِى الْاَرْضِ وَالْفُلْكَ تَجْرِيْ فِى الْبَحْرِ بِاَمْرِهٖۗ وَيُمْسِكُ السَّمَاۤءَ اَنْ تَقَعَ عَلَى الْاَرْضِ اِلَّا بِاِذْنِهٖۗ اِنَّ اللّٰهَ بِالنَّاسِ لَرَءُوْفٌ رَّحِيْمٌ ٦٥
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- tara
- تَرَ
- आपने देखा
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह ने
- sakhara
- سَخَّرَ
- मुसख़्ख़र किया
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- mā
- مَّا
- जो कुछ
- fī
- فِى
- ज़मीन में है
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में है
- wal-ful'ka
- وَٱلْفُلْكَ
- और कश्तियों को
- tajrī
- تَجْرِى
- जो चलती हैं
- fī
- فِى
- समुन्दर में
- l-baḥri
- ٱلْبَحْرِ
- समुन्दर में
- bi-amrihi
- بِأَمْرِهِۦ
- उसके हुक्म से
- wayum'siku
- وَيُمْسِكُ
- और वो थामे रखता है
- l-samāa
- ٱلسَّمَآءَ
- आसमान को
- an
- أَن
- इससे कि
- taqaʿa
- تَقَعَ
- वो गिर पड़े
- ʿalā
- عَلَى
- ज़मीन पर
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन पर
- illā
- إِلَّا
- मगर
- bi-idh'nihi
- بِإِذْنِهِۦٓۗ
- उसके इज़न से
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- bil-nāsi
- بِٱلنَّاسِ
- साथ लोगों के
- laraūfun
- لَرَءُوفٌ
- अलबत्ता बहुत शफ़्क़त करने वाला है
- raḥīmun
- رَّحِيمٌ
- निहायत रहम करने वाला है
क्या तुमने देखा नहीं कि धरती में जो कुछ भी है उसे अल्लाह ने तुम्हारे लिए वशीभूत कर रखा है और नौका को भी कि उसके आदेश से दरिया में चलती है, और उसने आकाश को धरती पर गिरने से रोक रखा है। उसकी अनुज्ञा हो तो बात दूसरी है। निस्संदेह अल्लाह लोगों के हक़ में बड़ा करुणाशील, दयावान है ([२२] अल-हज: 65)Tafseer (तफ़सीर )
وَهُوَ الَّذِيْٓ اَحْيَاكُمْ ۖ ثُمَّ يُمِيْتُكُمْ ثُمَّ يُحْيِيْكُمْۗ اِنَّ الْاِنْسَانَ لَكَفُوْرٌ ٦٦
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- जिसने
- aḥyākum
- أَحْيَاكُمْ
- ज़िन्दा किया तुम्हें
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- yumītukum
- يُمِيتُكُمْ
- वो मौत देगा तुम्हें
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- yuḥ'yīkum
- يُحْيِيكُمْۗ
- वो ज़िन्दा करेगा तुम्हें
- inna
- إِنَّ
- यक़ीनन
- l-insāna
- ٱلْإِنسَٰنَ
- इन्सान
- lakafūrun
- لَكَفُورٌ
- अलबत्ता बहुत नाशुक्रा है
और वही है जिसने तुम्हें जीवन प्रदान किया। फिर वही तुम्हें मृत्यु देता है और फिर वही तुम्हें जीवित करनेवाला है। निस्संदेह मानव बड़ा ही अकृतज्ञ है ([२२] अल-हज: 66)Tafseer (तफ़सीर )
لِكُلِّ اُمَّةٍ جَعَلْنَا مَنْسَكًا هُمْ نَاسِكُوْهُ فَلَا يُنَازِعُنَّكَ فِى الْاَمْرِ وَادْعُ اِلٰى رَبِّكَۗ اِنَّكَ لَعَلٰى هُدًى مُّسْتَقِيْمٍ ٦٧
- likulli
- لِّكُلِّ
- वास्ते हर
- ummatin
- أُمَّةٍ
- उम्मत के
- jaʿalnā
- جَعَلْنَا
- मुक़र्रर किया हमने
- mansakan
- مَنسَكًا
- इबादत का तरीक़ा
- hum
- هُمْ
- वो
- nāsikūhu
- نَاسِكُوهُۖ
- चलने वाले हैं उस पर
- falā
- فَلَا
- तो ना
- yunāziʿunnaka
- يُنَٰزِعُنَّكَ
- वो हरगिज़ झगड़ा करें आपसे
- fī
- فِى
- इस मामले में
- l-amri
- ٱلْأَمْرِۚ
- इस मामले में
- wa-ud'ʿu
- وَٱدْعُ
- और दावत दीजिए
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ अपने रब के
- rabbika
- رَبِّكَۖ
- तरफ़ अपने रब के
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक आप
- laʿalā
- لَعَلَىٰ
- अलबत्ता ऊपर
- hudan
- هُدًى
- हिदायत
- mus'taqīmin
- مُّسْتَقِيمٍ
- सीधी के हैं
प्रत्येक समुदाय के लिए हमने बन्दगी की एक रीति निर्धारित कर दी है, जिसका पालन उसके लोग करते है। अतः इस मामले में वे तुमसे झगड़ने की राह न पाएँ। तुम तो अपने रब की ओर बुलाए जाओ। निस्संदेह तुम सीधे मार्ग पर हो ([२२] अल-हज: 67)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنْ جَادَلُوْكَ فَقُلِ اللّٰهُ اَعْلَمُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ ٦٨
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- jādalūka
- جَٰدَلُوكَ
- वो झगड़ा करें आपसे
- faquli
- فَقُلِ
- तो कह दीजिए
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- aʿlamu
- أَعْلَمُ
- ज़्यादा जानता है
- bimā
- بِمَا
- उसे जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते हो
और यदि वे तुमसे झगड़ा करें तो कह दो कि 'तुम जो कुछ करते हो अल्लाह उसे भली-भाँति जानता है ([२२] अल-हज: 68)Tafseer (तफ़सीर )
اَللّٰهُ يَحْكُمُ بَيْنَكُمْ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ فِيْمَا كُنْتُمْ فِيْهِ تَخْتَلِفُوْنَ ٦٩
- al-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- yaḥkumu
- يَحْكُمُ
- वो फ़ैसला करेगा
- baynakum
- بَيْنَكُمْ
- दर्मियान तुम्हारे
- yawma
- يَوْمَ
- दिन
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِ
- क़यामत के
- fīmā
- فِيمَا
- उस मामले में जो
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- fīhi
- فِيهِ
- उसमें
- takhtalifūna
- تَخْتَلِفُونَ
- तुम इख़्तिलाफ़ करते
अल्लाह क़ियामत के दिन तुम्हारे बीच उस चीज़ का फ़ैसला कर देगा, जिसमें तुम विभेद करते हो।' ([२२] अल-हज: 69)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَمْ تَعْلَمْ اَنَّ اللّٰهَ يَعْلَمُ مَا فِى السَّمَاۤءِ وَالْاَرْضِۗ اِنَّ ذٰلِكَ فِيْ كِتٰبٍۗ اِنَّ ذٰلِكَ عَلَى اللّٰهِ يَسِيْرٌ ٧٠
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- taʿlam
- تَعْلَمْ
- आप जानते
- anna
- أَنَّ
- कि बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- जानता है
- mā
- مَا
- जो कुछ
- fī
- فِى
- आसमान में
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- आसमान में
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۗ
- और ज़मीन में है
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- fī
- فِى
- एक किताब में है
- kitābin
- كِتَٰبٍۚ
- एक किताब में है
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- yasīrun
- يَسِيرٌ
- बहुत आसान है
क्या तुम्हें नहीं मालूम कि अल्लाह जानता है जो कुछ आकाश और धरती मैं हैं? निश्चय ही वह (लोगों का कर्म) एक किताब में अंकित है। निस्संदेह वह (फ़ैसला करना) अल्लाह के लिए अत्यन्त सरल है ([२२] अल-हज: 70)Tafseer (तफ़सीर )