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सूरा अल-हज - Page: 4

Al-Hajj

(हज तीर्थयात्रा)

३१

حُنَفَاۤءَ لِلّٰهِ غَيْرَ مُشْرِكِيْنَ بِهٖۗ وَمَنْ يُّشْرِكْ بِاللّٰهِ فَكَاَنَّمَا خَرَّ مِنَ السَّمَاۤءِ فَتَخْطَفُهُ الطَّيْرُ اَوْ تَهْوِيْ بِهِ الرِّيْحُ فِيْ مَكَانٍ سَحِيْقٍ ٣١

ḥunafāa
حُنَفَآءَ
यक्सू हो कर
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
ghayra
غَيْرَ
ना
mush'rikīna
مُشْرِكِينَ
शरीक करने वाले
bihi
بِهِۦۚ
साथ उसके
waman
وَمَن
और जो
yush'rik
يُشْرِكْ
शिर्क करेगा
bil-lahi
بِٱللَّهِ
साथ अल्लाह के
faka-annamā
فَكَأَنَّمَا
तो गोया कि
kharra
خَرَّ
वो गिर पड़ा
mina
مِنَ
आसमान से
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान से
fatakhṭafuhu
فَتَخْطَفُهُ
फिर उचक लेते हैं उसे
l-ṭayru
ٱلطَّيْرُ
परिन्दे
aw
أَوْ
या
tahwī
تَهْوِى
गिरा देती है
bihi
بِهِ
उसे
l-rīḥu
ٱلرِّيحُ
हवा
فِى
किसी जगह में
makānin
مَكَانٍ
किसी जगह में
saḥīqin
سَحِيقٍ
दूर दराज़ की
इस तरह कि अल्लाह ही की ओर के होकर रहो। उसके साथ किसी को साझी न ठहराओ, क्योंकि जो कोई अल्लाह के साथ साझी ठहराता है तो मानो वह आकाश से गिर पड़ा। फिर चाहे उसे पक्षी उचक ले जाएँ या वायु उसे किसी दूरवर्ती स्थान पर फेंक दे ([२२] अल-हज: 31)
Tafseer (तफ़सीर )
३२

ذٰلِكَ وَمَنْ يُّعَظِّمْ شَعَاۤىِٕرَ اللّٰهِ فَاِنَّهَا مِنْ تَقْوَى الْقُلُوْبِ ٣٢

dhālika
ذَٰلِكَ
ये है (हुक्म)
waman
وَمَن
और जो
yuʿaẓẓim
يُعَظِّمْ
ताज़ीम करेगा
shaʿāira
شَعَٰٓئِرَ
अल्लाह की निशानियों की
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की निशानियों की
fa-innahā
فَإِنَّهَا
तो बेशक वो
min
مِن
तक़्वा में से है
taqwā
تَقْوَى
तक़्वा में से है
l-qulūbi
ٱلْقُلُوبِ
दिलों के
इन बातों का ख़याल रखो। और जो कोई अल्लाह के नाम लगी चीज़ों का आदर करे, तो निस्संदेह वे (चीज़ें) दिलों के तक़वा (धर्मपरायणता) से सम्बन्ध रखती है ([२२] अल-हज: 32)
Tafseer (तफ़सीर )
३३

لَكُمْ فِيْهَا مَنَافِعُ اِلٰٓى اَجَلٍ مُّسَمًّى ثُمَّ مَحِلُّهَآ اِلَى الْبَيْتِ الْعَتِيْقِ ࣖ ٣٣

lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
fīhā
فِيهَا
उसमें
manāfiʿu
مَنَٰفِعُ
कुछ फ़ायदे हैं
ilā
إِلَىٰٓ
एक वक़्त तक
ajalin
أَجَلٍ
एक वक़्त तक
musamman
مُّسَمًّى
जो मुक़र्रर है
thumma
ثُمَّ
फिर
maḥilluhā
مَحِلُّهَآ
हलाल होने की जगह उनकी
ilā
إِلَى
तरफ़ उस घर के है
l-bayti
ٱلْبَيْتِ
तरफ़ उस घर के है
l-ʿatīqi
ٱلْعَتِيقِ
जो क़दीम है
उनमें एक निश्चित समय तक तुम्हारे लिए फ़ायदे है। फिर उनको उस पुरातन घर तक (क़ुरबानी के लिए) पहुँचना है ([२२] अल-हज: 33)
Tafseer (तफ़सीर )
३४

وَلِكُلِّ اُمَّةٍ جَعَلْنَا مَنْسَكًا لِّيَذْكُرُوا اسْمَ اللّٰهِ عَلٰى مَا رَزَقَهُمْ مِّنْۢ بَهِيْمَةِ الْاَنْعَامِۗ فَاِلٰهُكُمْ اِلٰهٌ وَّاحِدٌ فَلَهٗٓ اَسْلِمُوْاۗ وَبَشِّرِ الْمُخْبِتِيْنَ ۙ ٣٤

walikulli
وَلِكُلِّ
और वास्ते हर
ummatin
أُمَّةٍ
उम्मत के
jaʿalnā
جَعَلْنَا
मुक़र्रर किया हमने
mansakan
مَنسَكًا
क़ुरबानी करना
liyadhkurū
لِّيَذْكُرُوا۟
ताकि वो ज़िक्र करें
is'ma
ٱسْمَ
नाम
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
ʿalā
عَلَىٰ
उस पर
مَا
जो
razaqahum
رَزَقَهُم
उसने रिज़्क़ दिया उन्हें
min
مِّنۢ
चौपायों में से
bahīmati
بَهِيمَةِ
चौपायों में से
l-anʿāmi
ٱلْأَنْعَٰمِۗ
मवेशियों के
fa-ilāhukum
فَإِلَٰهُكُمْ
तो इलाह तुम्हारा
ilāhun
إِلَٰهٌ
इलाह है
wāḥidun
وَٰحِدٌ
एक ही
falahu
فَلَهُۥٓ
तो उसी के लिए
aslimū
أَسْلِمُوا۟ۗ
फ़रमाबरदार हो जाओ
wabashiri
وَبَشِّرِ
और ख़ुशख़बरी दे दीजिए
l-mukh'bitīna
ٱلْمُخْبِتِينَ
आजिज़ी करने वालों को
और प्रत्येक समुदाय के लिए हमने क़ुरबानी का विधान किया, ताकि वे उन जानवरों अर्थात मवेशियों पर अल्लाह का नाम लें, जो उसने उन्हें प्रदान किए हैं। अतः तुम्हारा पूज्य-प्रभु अकेला पूज्य-प्रभु है। तो उसी के आज्ञाकारी बनकर रहो और विनम्रता अपनानेवालों को शुभ सूचना दे दो ([२२] अल-हज: 34)
Tafseer (तफ़सीर )
३५

الَّذِيْنَ اِذَا ذُكِرَ اللّٰهُ وَجِلَتْ قُلُوْبُهُمْ وَالصَّابِرِيْنَ عَلٰى مَآ اَصَابَهُمْ وَالْمُقِيْمِى الصَّلٰوةِۙ وَمِمَّا رَزَقْنٰهُمْ يُنْفِقُوْنَ ٣٥

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग
idhā
إِذَا
जब
dhukira
ذُكِرَ
ज़िक्र किया जाता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह का
wajilat
وَجِلَتْ
डर जाते हैं
qulūbuhum
قُلُوبُهُمْ
दिल उनके
wal-ṣābirīna
وَٱلصَّٰبِرِينَ
और जो सब्र करने वाले हैं
ʿalā
عَلَىٰ
उस पर
مَآ
जो
aṣābahum
أَصَابَهُمْ
मुसीबत पहुँचे उन्हें
wal-muqīmī
وَٱلْمُقِيمِى
और क़ायम करने वाले हैं
l-ṣalati
ٱلصَّلَوٰةِ
नमाज़
wamimmā
وَمِمَّا
और उसमें से जो
razaqnāhum
رَزَقْنَٰهُمْ
रिज़्क़ दिया हमने उन्हें
yunfiqūna
يُنفِقُونَ
वो ख़र्च करते हैं
ये वे लोग है कि जब अल्लाह को याद किया जाता है तो उनके दिल दहल जाते है और जो मुसीबत उनपर आती है उसपर धैर्य से काम लेते है और नमाज़ को क़ायम करते है, और जो कुछ हमने उन्हें दिया है उसमें से ख़र्च करते है ([२२] अल-हज: 35)
Tafseer (तफ़सीर )
३६

وَالْبُدْنَ جَعَلْنٰهَا لَكُمْ مِّنْ شَعَاۤىِٕرِ اللّٰهِ لَكُمْ فِيْهَا خَيْرٌۖ فَاذْكُرُوا اسْمَ اللّٰهِ عَلَيْهَا صَوَاۤفَّۚ فَاِذَا وَجَبَتْ جُنُوْبُهَا فَكُلُوْا مِنْهَا وَاَطْعِمُوا الْقَانِعَ وَالْمُعْتَرَّۗ كَذٰلِكَ سَخَّرْنٰهَا لَكُمْ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ٣٦

wal-bud'na
وَٱلْبُدْنَ
और क़ुरबानी के ऊँट
jaʿalnāhā
جَعَلْنَٰهَا
बनाया हमने उन्हें
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
min
مِّن
निशानियों में से
shaʿāiri
شَعَٰٓئِرِ
निशानियों में से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
fīhā
فِيهَا
उनमें
khayrun
خَيْرٌۖ
भलाई है
fa-udh'kurū
فَٱذْكُرُوا۟
पस ज़िक्र करो
is'ma
ٱسْمَ
नाम
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
ʿalayhā
عَلَيْهَا
उन पर
ṣawāffa
صَوَآفَّۖ
सफ़ बस्ता खड़ा कर के
fa-idhā
فَإِذَا
फिर जब
wajabat
وَجَبَتْ
गिर पड़ें
junūbuhā
جُنُوبُهَا
पहलू उनके
fakulū
فَكُلُوا۟
पस खाओ
min'hā
مِنْهَا
उनमें से
wa-aṭʿimū
وَأَطْعِمُوا۟
और खिलाओ
l-qāniʿa
ٱلْقَانِعَ
क़नाअत करने वाले
wal-muʿ'tara
وَٱلْمُعْتَرَّۚ
और सवाल करने वाले को
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
sakharnāhā
سَخَّرْنَٰهَا
मुसख़्ख़र किया हमने उन्हें
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
laʿallakum
لَعَلَّكُمْ
ताकि तुम
tashkurūna
تَشْكُرُونَ
तुम शुक्र करो
(क़ुरबानी के) ऊँटों को हमने तुम्हारे लिए अल्लाह की निशानियों में से बनाया है। तुम्हारे लिए उनमें भलाई है। अतः खड़ा करके उनपर अल्लाह का नाम लो। फिर जब उनके पहलू भूमि से आ लगें तो उनमें से स्वयं भी खाओ औऱ संतोष से बैठनेवालों को भी खिलाओ और माँगनेवालों को भी। ऐसी ही करो। हमने उनको तुम्हारे लिए वशीभूत कर दिया है, ताकि तुम कृतज्ञता दिखाओ ([२२] अल-हज: 36)
Tafseer (तफ़सीर )
३७

لَنْ يَّنَالَ اللّٰهَ لُحُوْمُهَا وَلَا دِمَاۤؤُهَا وَلٰكِنْ يَّنَالُهُ التَّقْوٰى مِنْكُمْۗ كَذٰلِكَ سَخَّرَهَا لَكُمْ لِتُكَبِّرُوا اللّٰهَ عَلٰى مَا هَدٰىكُمْ ۗ وَبَشِّرِ الْمُحْسِنِيْنَ ٣٧

lan
لَن
हरगिज़ नहीं
yanāla
يَنَالَ
पहुँचते
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह को
luḥūmuhā
لُحُومُهَا
गोश्त उनके
walā
وَلَا
और ना
dimāuhā
دِمَآؤُهَا
ख़ून उनके
walākin
وَلَٰكِن
और लेकिन
yanāluhu
يَنَالُهُ
पहुँचता है उसे
l-taqwā
ٱلتَّقْوَىٰ
तक़्वा
minkum
مِنكُمْۚ
तुम्हारा
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
sakharahā
سَخَّرَهَا
उसने मुसख़्ख़र किया उन्हें
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
litukabbirū
لِتُكَبِّرُوا۟
ताकि तुम बड़ाई बयान करो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
ʿalā
عَلَىٰ
उस पर
مَا
जो
hadākum
هَدَىٰكُمْۗ
उसने हिदायत दी तुम्हें
wabashiri
وَبَشِّرِ
और ख़ुशख़बरी दे दीजिए
l-muḥ'sinīna
ٱلْمُحْسِنِينَ
नेकी करने वालों को
न उनके माँस अल्लाह को पहुँचते है और न उनके रक्त। किन्तु उसे तुम्हारा तक़वा (धर्मपरायणता) पहुँचता है। इस प्रकार उसने उन्हें तुम्हारे लिए वशीभूत किया है, ताकि तुम अल्लाह की बड़ाई बयान करो, इसपर कि उसने तुम्हारा मार्गदर्शन किया और सुकर्मियों को शुभ सूचना दे दो ([२२] अल-हज: 37)
Tafseer (तफ़सीर )
३८

۞ اِنَّ اللّٰهَ يُدَافِعُ عَنِ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْاۗ اِنَّ اللّٰهَ لَا يُحِبُّ كُلَّ خَوَّانٍ كَفُوْرٍ ࣖ ٣٨

inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yudāfiʿu
يُدَٰفِعُ
दफ़ा करता है
ʿani
عَنِ
उन लोगों की तरफ़ से जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों की तरफ़ से जो
āmanū
ءَامَنُوٓا۟ۗ
ईमान लाए
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
لَا
नहीं वो पसन्द करता
yuḥibbu
يُحِبُّ
नहीं वो पसन्द करता
kulla
كُلَّ
हर
khawwānin
خَوَّانٍ
बहुत ख़ियानत करने वाले
kafūrin
كَفُورٍ
बहुत नाशुक्रे को
निश्चय ही अल्लाह उन लोगों की ओर से प्रतिरक्षा करता है, जो ईमान लाए। निस्संदेह अल्लाह किसी विश्वासघाती, अकृतज्ञ को पसन्द नहीं करता ([२२] अल-हज: 38)
Tafseer (तफ़सीर )
३९

اُذِنَ لِلَّذِيْنَ يُقَاتَلُوْنَ بِاَنَّهُمْ ظُلِمُوْاۗ وَاِنَّ اللّٰهَ عَلٰى نَصْرِهِمْ لَقَدِيْرٌ ۙ ٣٩

udhina
أُذِنَ
इजाज़त दे दी गई (जंग की)
lilladhīna
لِلَّذِينَ
उनको जो
yuqātalūna
يُقَٰتَلُونَ
जंग किए जाते हैं
bi-annahum
بِأَنَّهُمْ
क्योंकि वो
ẓulimū
ظُلِمُوا۟ۚ
ज़ुल्म किए गए हैं
wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ʿalā
عَلَىٰ
उनकी मदद पर
naṣrihim
نَصْرِهِمْ
उनकी मदद पर
laqadīrun
لَقَدِيرٌ
अलबत्ता ख़ूब क़ुदरत रखने वाला है
अनुमति दी गई उन लोगों को जिनके विरुद्ध युद्ध किया जा रहा है, क्योंकि उनपर ज़ुल्म किया गया - और निश्चय ही अल्लाह उनकी सहायता की पूरी सामर्थ्य रखता है। - ([२२] अल-हज: 39)
Tafseer (तफ़सीर )
४०

ۨالَّذِيْنَ اُخْرِجُوْا مِنْ دِيَارِهِمْ بِغَيْرِ حَقٍّ اِلَّآ اَنْ يَّقُوْلُوْا رَبُّنَا اللّٰهُ ۗوَلَوْلَا دَفْعُ اللّٰهِ النَّاسَ بَعْضَهُمْ بِبَعْضٍ لَّهُدِّمَتْ صَوَامِعُ وَبِيَعٌ وَّصَلَوٰتٌ وَّمَسٰجِدُ يُذْكَرُ فِيْهَا اسْمُ اللّٰهِ كَثِيْرًاۗ وَلَيَنْصُرَنَّ اللّٰهُ مَنْ يَّنْصُرُهٗۗ اِنَّ اللّٰهَ لَقَوِيٌّ عَزِيْزٌ ٤٠

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
ukh'rijū
أُخْرِجُوا۟
निकाले गए
min
مِن
अपने घरों से
diyārihim
دِيَٰرِهِم
अपने घरों से
bighayri
بِغَيْرِ
बग़ैर
ḥaqqin
حَقٍّ
हक़ के
illā
إِلَّآ
मगर
an
أَن
ये कि
yaqūlū
يَقُولُوا۟
वो कहते हैं
rabbunā
رَبُّنَا
रब हमारा
l-lahu
ٱللَّهُۗ
अल्लाह है
walawlā
وَلَوْلَا
और अगर ना होता
dafʿu
دَفْعُ
दूर करना
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
l-nāsa
ٱلنَّاسَ
लोगों को
baʿḍahum
بَعْضَهُم
उनके बाज़ को
bibaʿḍin
بِبَعْضٍ
साथ बाज़ के
lahuddimat
لَّهُدِّمَتْ
अलबत्ता मुनहदिम कर दी जातीं
ṣawāmiʿu
صَوَٰمِعُ
ख़ानक़ाहें
wabiyaʿun
وَبِيَعٌ
और गिरजे
waṣalawātun
وَصَلَوَٰتٌ
और इबादत ख़ाने
wamasājidu
وَمَسَٰجِدُ
और मस्जिदें
yudh'karu
يُذْكَرُ
ज़िक्र किया जाता है
fīhā
فِيهَا
जिन में
us'mu
ٱسْمُ
नाम
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
kathīran
كَثِيرًاۗ
बहुत /बकसरत
walayanṣuranna
وَلَيَنصُرَنَّ
और अलबत्ता ज़रूर मदद करेगा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
man
مَن
उसकी जो
yanṣuruhu
يَنصُرُهُۥٓۗ
मदद करता है उसकी
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
laqawiyyun
لَقَوِىٌّ
अलबत्ता बहुत क़ुव्वत वाला है
ʿazīzun
عَزِيزٌ
बहुत ज़बरदस्त है
ये वे लोग है जो अपने घरों से नाहक़ निकाले गए, केवल इसलिए कि वे कहते है कि 'हमारा रब अल्लाह है।' यदि अल्लाह लोगों को एक-दूसरे के द्वारा हटाता न रहता तो मठ और गिरजा और यहूदी प्रार्थना भवन और मस्जिदें, जिनमें अल्लाह का अधिक नाम लिया जाता है, सब ढा दी जातीं। अल्लाह अवश्य उसकी सहायता करेगा, जो उसकी सहायता करेगा - निश्चय ही अल्लाह बड़ा बलवान, प्रभुत्वशाली है ([२२] अल-हज: 40)
Tafseer (तफ़सीर )