حُنَفَاۤءَ لِلّٰهِ غَيْرَ مُشْرِكِيْنَ بِهٖۗ وَمَنْ يُّشْرِكْ بِاللّٰهِ فَكَاَنَّمَا خَرَّ مِنَ السَّمَاۤءِ فَتَخْطَفُهُ الطَّيْرُ اَوْ تَهْوِيْ بِهِ الرِّيْحُ فِيْ مَكَانٍ سَحِيْقٍ ٣١
- ḥunafāa
- حُنَفَآءَ
- यक्सू हो कर
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए
- ghayra
- غَيْرَ
- ना
- mush'rikīna
- مُشْرِكِينَ
- शरीक करने वाले
- bihi
- بِهِۦۚ
- साथ उसके
- waman
- وَمَن
- और जो
- yush'rik
- يُشْرِكْ
- शिर्क करेगा
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- साथ अल्लाह के
- faka-annamā
- فَكَأَنَّمَا
- तो गोया कि
- kharra
- خَرَّ
- वो गिर पड़ा
- mina
- مِنَ
- आसमान से
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- आसमान से
- fatakhṭafuhu
- فَتَخْطَفُهُ
- फिर उचक लेते हैं उसे
- l-ṭayru
- ٱلطَّيْرُ
- परिन्दे
- aw
- أَوْ
- या
- tahwī
- تَهْوِى
- गिरा देती है
- bihi
- بِهِ
- उसे
- l-rīḥu
- ٱلرِّيحُ
- हवा
- fī
- فِى
- किसी जगह में
- makānin
- مَكَانٍ
- किसी जगह में
- saḥīqin
- سَحِيقٍ
- दूर दराज़ की
इस तरह कि अल्लाह ही की ओर के होकर रहो। उसके साथ किसी को साझी न ठहराओ, क्योंकि जो कोई अल्लाह के साथ साझी ठहराता है तो मानो वह आकाश से गिर पड़ा। फिर चाहे उसे पक्षी उचक ले जाएँ या वायु उसे किसी दूरवर्ती स्थान पर फेंक दे ([२२] अल-हज: 31)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكَ وَمَنْ يُّعَظِّمْ شَعَاۤىِٕرَ اللّٰهِ فَاِنَّهَا مِنْ تَقْوَى الْقُلُوْبِ ٣٢
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये है (हुक्म)
- waman
- وَمَن
- और जो
- yuʿaẓẓim
- يُعَظِّمْ
- ताज़ीम करेगा
- shaʿāira
- شَعَٰٓئِرَ
- अल्लाह की निशानियों की
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की निशानियों की
- fa-innahā
- فَإِنَّهَا
- तो बेशक वो
- min
- مِن
- तक़्वा में से है
- taqwā
- تَقْوَى
- तक़्वा में से है
- l-qulūbi
- ٱلْقُلُوبِ
- दिलों के
इन बातों का ख़याल रखो। और जो कोई अल्लाह के नाम लगी चीज़ों का आदर करे, तो निस्संदेह वे (चीज़ें) दिलों के तक़वा (धर्मपरायणता) से सम्बन्ध रखती है ([२२] अल-हज: 32)Tafseer (तफ़सीर )
لَكُمْ فِيْهَا مَنَافِعُ اِلٰٓى اَجَلٍ مُّسَمًّى ثُمَّ مَحِلُّهَآ اِلَى الْبَيْتِ الْعَتِيْقِ ࣖ ٣٣
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- manāfiʿu
- مَنَٰفِعُ
- कुछ फ़ायदे हैं
- ilā
- إِلَىٰٓ
- एक वक़्त तक
- ajalin
- أَجَلٍ
- एक वक़्त तक
- musamman
- مُّسَمًّى
- जो मुक़र्रर है
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- maḥilluhā
- مَحِلُّهَآ
- हलाल होने की जगह उनकी
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ उस घर के है
- l-bayti
- ٱلْبَيْتِ
- तरफ़ उस घर के है
- l-ʿatīqi
- ٱلْعَتِيقِ
- जो क़दीम है
उनमें एक निश्चित समय तक तुम्हारे लिए फ़ायदे है। फिर उनको उस पुरातन घर तक (क़ुरबानी के लिए) पहुँचना है ([२२] अल-हज: 33)Tafseer (तफ़सीर )
وَلِكُلِّ اُمَّةٍ جَعَلْنَا مَنْسَكًا لِّيَذْكُرُوا اسْمَ اللّٰهِ عَلٰى مَا رَزَقَهُمْ مِّنْۢ بَهِيْمَةِ الْاَنْعَامِۗ فَاِلٰهُكُمْ اِلٰهٌ وَّاحِدٌ فَلَهٗٓ اَسْلِمُوْاۗ وَبَشِّرِ الْمُخْبِتِيْنَ ۙ ٣٤
- walikulli
- وَلِكُلِّ
- और वास्ते हर
- ummatin
- أُمَّةٍ
- उम्मत के
- jaʿalnā
- جَعَلْنَا
- मुक़र्रर किया हमने
- mansakan
- مَنسَكًا
- क़ुरबानी करना
- liyadhkurū
- لِّيَذْكُرُوا۟
- ताकि वो ज़िक्र करें
- is'ma
- ٱسْمَ
- नाम
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- ʿalā
- عَلَىٰ
- उस पर
- mā
- مَا
- जो
- razaqahum
- رَزَقَهُم
- उसने रिज़्क़ दिया उन्हें
- min
- مِّنۢ
- चौपायों में से
- bahīmati
- بَهِيمَةِ
- चौपायों में से
- l-anʿāmi
- ٱلْأَنْعَٰمِۗ
- मवेशियों के
- fa-ilāhukum
- فَإِلَٰهُكُمْ
- तो इलाह तुम्हारा
- ilāhun
- إِلَٰهٌ
- इलाह है
- wāḥidun
- وَٰحِدٌ
- एक ही
- falahu
- فَلَهُۥٓ
- तो उसी के लिए
- aslimū
- أَسْلِمُوا۟ۗ
- फ़रमाबरदार हो जाओ
- wabashiri
- وَبَشِّرِ
- और ख़ुशख़बरी दे दीजिए
- l-mukh'bitīna
- ٱلْمُخْبِتِينَ
- आजिज़ी करने वालों को
और प्रत्येक समुदाय के लिए हमने क़ुरबानी का विधान किया, ताकि वे उन जानवरों अर्थात मवेशियों पर अल्लाह का नाम लें, जो उसने उन्हें प्रदान किए हैं। अतः तुम्हारा पूज्य-प्रभु अकेला पूज्य-प्रभु है। तो उसी के आज्ञाकारी बनकर रहो और विनम्रता अपनानेवालों को शुभ सूचना दे दो ([२२] अल-हज: 34)Tafseer (तफ़सीर )
الَّذِيْنَ اِذَا ذُكِرَ اللّٰهُ وَجِلَتْ قُلُوْبُهُمْ وَالصَّابِرِيْنَ عَلٰى مَآ اَصَابَهُمْ وَالْمُقِيْمِى الصَّلٰوةِۙ وَمِمَّا رَزَقْنٰهُمْ يُنْفِقُوْنَ ٣٥
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग
- idhā
- إِذَا
- जब
- dhukira
- ذُكِرَ
- ज़िक्र किया जाता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह का
- wajilat
- وَجِلَتْ
- डर जाते हैं
- qulūbuhum
- قُلُوبُهُمْ
- दिल उनके
- wal-ṣābirīna
- وَٱلصَّٰبِرِينَ
- और जो सब्र करने वाले हैं
- ʿalā
- عَلَىٰ
- उस पर
- mā
- مَآ
- जो
- aṣābahum
- أَصَابَهُمْ
- मुसीबत पहुँचे उन्हें
- wal-muqīmī
- وَٱلْمُقِيمِى
- और क़ायम करने वाले हैं
- l-ṣalati
- ٱلصَّلَوٰةِ
- नमाज़
- wamimmā
- وَمِمَّا
- और उसमें से जो
- razaqnāhum
- رَزَقْنَٰهُمْ
- रिज़्क़ दिया हमने उन्हें
- yunfiqūna
- يُنفِقُونَ
- वो ख़र्च करते हैं
ये वे लोग है कि जब अल्लाह को याद किया जाता है तो उनके दिल दहल जाते है और जो मुसीबत उनपर आती है उसपर धैर्य से काम लेते है और नमाज़ को क़ायम करते है, और जो कुछ हमने उन्हें दिया है उसमें से ख़र्च करते है ([२२] अल-हज: 35)Tafseer (तफ़सीर )
وَالْبُدْنَ جَعَلْنٰهَا لَكُمْ مِّنْ شَعَاۤىِٕرِ اللّٰهِ لَكُمْ فِيْهَا خَيْرٌۖ فَاذْكُرُوا اسْمَ اللّٰهِ عَلَيْهَا صَوَاۤفَّۚ فَاِذَا وَجَبَتْ جُنُوْبُهَا فَكُلُوْا مِنْهَا وَاَطْعِمُوا الْقَانِعَ وَالْمُعْتَرَّۗ كَذٰلِكَ سَخَّرْنٰهَا لَكُمْ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ٣٦
- wal-bud'na
- وَٱلْبُدْنَ
- और क़ुरबानी के ऊँट
- jaʿalnāhā
- جَعَلْنَٰهَا
- बनाया हमने उन्हें
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- min
- مِّن
- निशानियों में से
- shaʿāiri
- شَعَٰٓئِرِ
- निशानियों में से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- fīhā
- فِيهَا
- उनमें
- khayrun
- خَيْرٌۖ
- भलाई है
- fa-udh'kurū
- فَٱذْكُرُوا۟
- पस ज़िक्र करो
- is'ma
- ٱسْمَ
- नाम
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- ʿalayhā
- عَلَيْهَا
- उन पर
- ṣawāffa
- صَوَآفَّۖ
- सफ़ बस्ता खड़ा कर के
- fa-idhā
- فَإِذَا
- फिर जब
- wajabat
- وَجَبَتْ
- गिर पड़ें
- junūbuhā
- جُنُوبُهَا
- पहलू उनके
- fakulū
- فَكُلُوا۟
- पस खाओ
- min'hā
- مِنْهَا
- उनमें से
- wa-aṭʿimū
- وَأَطْعِمُوا۟
- और खिलाओ
- l-qāniʿa
- ٱلْقَانِعَ
- क़नाअत करने वाले
- wal-muʿ'tara
- وَٱلْمُعْتَرَّۚ
- और सवाल करने वाले को
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- sakharnāhā
- سَخَّرْنَٰهَا
- मुसख़्ख़र किया हमने उन्हें
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- laʿallakum
- لَعَلَّكُمْ
- ताकि तुम
- tashkurūna
- تَشْكُرُونَ
- तुम शुक्र करो
(क़ुरबानी के) ऊँटों को हमने तुम्हारे लिए अल्लाह की निशानियों में से बनाया है। तुम्हारे लिए उनमें भलाई है। अतः खड़ा करके उनपर अल्लाह का नाम लो। फिर जब उनके पहलू भूमि से आ लगें तो उनमें से स्वयं भी खाओ औऱ संतोष से बैठनेवालों को भी खिलाओ और माँगनेवालों को भी। ऐसी ही करो। हमने उनको तुम्हारे लिए वशीभूत कर दिया है, ताकि तुम कृतज्ञता दिखाओ ([२२] अल-हज: 36)Tafseer (तफ़सीर )
لَنْ يَّنَالَ اللّٰهَ لُحُوْمُهَا وَلَا دِمَاۤؤُهَا وَلٰكِنْ يَّنَالُهُ التَّقْوٰى مِنْكُمْۗ كَذٰلِكَ سَخَّرَهَا لَكُمْ لِتُكَبِّرُوا اللّٰهَ عَلٰى مَا هَدٰىكُمْ ۗ وَبَشِّرِ الْمُحْسِنِيْنَ ٣٧
- lan
- لَن
- हरगिज़ नहीं
- yanāla
- يَنَالَ
- पहुँचते
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह को
- luḥūmuhā
- لُحُومُهَا
- गोश्त उनके
- walā
- وَلَا
- और ना
- dimāuhā
- دِمَآؤُهَا
- ख़ून उनके
- walākin
- وَلَٰكِن
- और लेकिन
- yanāluhu
- يَنَالُهُ
- पहुँचता है उसे
- l-taqwā
- ٱلتَّقْوَىٰ
- तक़्वा
- minkum
- مِنكُمْۚ
- तुम्हारा
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- sakharahā
- سَخَّرَهَا
- उसने मुसख़्ख़र किया उन्हें
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- litukabbirū
- لِتُكَبِّرُوا۟
- ताकि तुम बड़ाई बयान करो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- ʿalā
- عَلَىٰ
- उस पर
- mā
- مَا
- जो
- hadākum
- هَدَىٰكُمْۗ
- उसने हिदायत दी तुम्हें
- wabashiri
- وَبَشِّرِ
- और ख़ुशख़बरी दे दीजिए
- l-muḥ'sinīna
- ٱلْمُحْسِنِينَ
- नेकी करने वालों को
न उनके माँस अल्लाह को पहुँचते है और न उनके रक्त। किन्तु उसे तुम्हारा तक़वा (धर्मपरायणता) पहुँचता है। इस प्रकार उसने उन्हें तुम्हारे लिए वशीभूत किया है, ताकि तुम अल्लाह की बड़ाई बयान करो, इसपर कि उसने तुम्हारा मार्गदर्शन किया और सुकर्मियों को शुभ सूचना दे दो ([२२] अल-हज: 37)Tafseer (तफ़सीर )
۞ اِنَّ اللّٰهَ يُدَافِعُ عَنِ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْاۗ اِنَّ اللّٰهَ لَا يُحِبُّ كُلَّ خَوَّانٍ كَفُوْرٍ ࣖ ٣٨
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yudāfiʿu
- يُدَٰفِعُ
- दफ़ा करता है
- ʿani
- عَنِ
- उन लोगों की तरफ़ से जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों की तरफ़ से जो
- āmanū
- ءَامَنُوٓا۟ۗ
- ईमान लाए
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं वो पसन्द करता
- yuḥibbu
- يُحِبُّ
- नहीं वो पसन्द करता
- kulla
- كُلَّ
- हर
- khawwānin
- خَوَّانٍ
- बहुत ख़ियानत करने वाले
- kafūrin
- كَفُورٍ
- बहुत नाशुक्रे को
निश्चय ही अल्लाह उन लोगों की ओर से प्रतिरक्षा करता है, जो ईमान लाए। निस्संदेह अल्लाह किसी विश्वासघाती, अकृतज्ञ को पसन्द नहीं करता ([२२] अल-हज: 38)Tafseer (तफ़सीर )
اُذِنَ لِلَّذِيْنَ يُقَاتَلُوْنَ بِاَنَّهُمْ ظُلِمُوْاۗ وَاِنَّ اللّٰهَ عَلٰى نَصْرِهِمْ لَقَدِيْرٌ ۙ ٣٩
- udhina
- أُذِنَ
- इजाज़त दे दी गई (जंग की)
- lilladhīna
- لِلَّذِينَ
- उनको जो
- yuqātalūna
- يُقَٰتَلُونَ
- जंग किए जाते हैं
- bi-annahum
- بِأَنَّهُمْ
- क्योंकि वो
- ẓulimū
- ظُلِمُوا۟ۚ
- ज़ुल्म किए गए हैं
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ʿalā
- عَلَىٰ
- उनकी मदद पर
- naṣrihim
- نَصْرِهِمْ
- उनकी मदद पर
- laqadīrun
- لَقَدِيرٌ
- अलबत्ता ख़ूब क़ुदरत रखने वाला है
अनुमति दी गई उन लोगों को जिनके विरुद्ध युद्ध किया जा रहा है, क्योंकि उनपर ज़ुल्म किया गया - और निश्चय ही अल्लाह उनकी सहायता की पूरी सामर्थ्य रखता है। - ([२२] अल-हज: 39)Tafseer (तफ़सीर )
ۨالَّذِيْنَ اُخْرِجُوْا مِنْ دِيَارِهِمْ بِغَيْرِ حَقٍّ اِلَّآ اَنْ يَّقُوْلُوْا رَبُّنَا اللّٰهُ ۗوَلَوْلَا دَفْعُ اللّٰهِ النَّاسَ بَعْضَهُمْ بِبَعْضٍ لَّهُدِّمَتْ صَوَامِعُ وَبِيَعٌ وَّصَلَوٰتٌ وَّمَسٰجِدُ يُذْكَرُ فِيْهَا اسْمُ اللّٰهِ كَثِيْرًاۗ وَلَيَنْصُرَنَّ اللّٰهُ مَنْ يَّنْصُرُهٗۗ اِنَّ اللّٰهَ لَقَوِيٌّ عَزِيْزٌ ٤٠
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- ukh'rijū
- أُخْرِجُوا۟
- निकाले गए
- min
- مِن
- अपने घरों से
- diyārihim
- دِيَٰرِهِم
- अपने घरों से
- bighayri
- بِغَيْرِ
- बग़ैर
- ḥaqqin
- حَقٍّ
- हक़ के
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَن
- ये कि
- yaqūlū
- يَقُولُوا۟
- वो कहते हैं
- rabbunā
- رَبُّنَا
- रब हमारा
- l-lahu
- ٱللَّهُۗ
- अल्लाह है
- walawlā
- وَلَوْلَا
- और अगर ना होता
- dafʿu
- دَفْعُ
- दूर करना
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- l-nāsa
- ٱلنَّاسَ
- लोगों को
- baʿḍahum
- بَعْضَهُم
- उनके बाज़ को
- bibaʿḍin
- بِبَعْضٍ
- साथ बाज़ के
- lahuddimat
- لَّهُدِّمَتْ
- अलबत्ता मुनहदिम कर दी जातीं
- ṣawāmiʿu
- صَوَٰمِعُ
- ख़ानक़ाहें
- wabiyaʿun
- وَبِيَعٌ
- और गिरजे
- waṣalawātun
- وَصَلَوَٰتٌ
- और इबादत ख़ाने
- wamasājidu
- وَمَسَٰجِدُ
- और मस्जिदें
- yudh'karu
- يُذْكَرُ
- ज़िक्र किया जाता है
- fīhā
- فِيهَا
- जिन में
- us'mu
- ٱسْمُ
- नाम
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- kathīran
- كَثِيرًاۗ
- बहुत /बकसरत
- walayanṣuranna
- وَلَيَنصُرَنَّ
- और अलबत्ता ज़रूर मदद करेगा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- man
- مَن
- उसकी जो
- yanṣuruhu
- يَنصُرُهُۥٓۗ
- मदद करता है उसकी
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- laqawiyyun
- لَقَوِىٌّ
- अलबत्ता बहुत क़ुव्वत वाला है
- ʿazīzun
- عَزِيزٌ
- बहुत ज़बरदस्त है
ये वे लोग है जो अपने घरों से नाहक़ निकाले गए, केवल इसलिए कि वे कहते है कि 'हमारा रब अल्लाह है।' यदि अल्लाह लोगों को एक-दूसरे के द्वारा हटाता न रहता तो मठ और गिरजा और यहूदी प्रार्थना भवन और मस्जिदें, जिनमें अल्लाह का अधिक नाम लिया जाता है, सब ढा दी जातीं। अल्लाह अवश्य उसकी सहायता करेगा, जो उसकी सहायता करेगा - निश्चय ही अल्लाह बड़ा बलवान, प्रभुत्वशाली है ([२२] अल-हज: 40)Tafseer (तफ़सीर )