وَمِنَ النَّاسِ مَنْ يَّعْبُدُ اللّٰهَ عَلٰى حَرْفٍۚ فَاِنْ اَصَابَهٗ خَيْرُ ِۨاطْمَـَٔنَّ بِهٖۚ وَاِنْ اَصَابَتْهُ فِتْنَةُ ِۨانْقَلَبَ عَلٰى وَجْهِهٖۗ خَسِرَ الدُّنْيَا وَالْاٰخِرَةَۗ ذٰلِكَ هُوَ الْخُسْرَانُ الْمُبِيْنُ ١١
- wamina
- وَمِنَ
- और लोगों में से कोई है
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- और लोगों में से कोई है
- man
- مَن
- जो
- yaʿbudu
- يَعْبُدُ
- इबादत करता है
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- ʿalā
- عَلَىٰ
- किनारे पर
- ḥarfin
- حَرْفٍۖ
- किनारे पर
- fa-in
- فَإِنْ
- फिर अगर
- aṣābahu
- أَصَابَهُۥ
- पहुँचे उसे
- khayrun
- خَيْرٌ
- भलाई
- iṭ'ma-anna
- ٱطْمَأَنَّ
- वो मुत्मइन हो जाता है
- bihi
- بِهِۦۖ
- उस पर
- wa-in
- وَإِنْ
- और अगर
- aṣābathu
- أَصَابَتْهُ
- पहुँचे उसे
- fit'natun
- فِتْنَةٌ
- आज़माइश
- inqalaba
- ٱنقَلَبَ
- वो पलट जाता है
- ʿalā
- عَلَىٰ
- अपने चेहरे पर
- wajhihi
- وَجْهِهِۦ
- अपने चेहरे पर
- khasira
- خَسِرَ
- उसने नुक़्सान उठाया
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया
- wal-ākhirata
- وَٱلْءَاخِرَةَۚ
- और आख़िरत का
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये है
- huwa
- هُوَ
- वो
- l-khus'rānu
- ٱلْخُسْرَانُ
- ख़सारा/नुक़्सान
- l-mubīnu
- ٱلْمُبِينُ
- खुला
और लोगों में कोई ऐसा है, जो एक किनारे पर रहकर अल्लाह की बन्दगी करता है। यदि उसे लाभ पहुँचा तो उससे सन्तुष्ट हो गया और यदि उसे कोई आज़माइश पेश आ गई तो औंधा होकर पलट गया। दुनिया भी खोई और आख़िरत भी। यही है खुला घाटा ([२२] अल-हज: 11)Tafseer (तफ़सीर )
يَدْعُوْا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَا لَا يَضُرُّهٗ وَمَا لَا يَنْفَعُهٗۗ ذٰلِكَ هُوَ الضَّلٰلُ الْبَعِيْدُ ۚ ١٢
- yadʿū
- يَدْعُوا۟
- वो पुकारता है
- min
- مِن
- सिवाए
- dūni
- دُونِ
- सिवाए
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- mā
- مَا
- उसे जो
- lā
- لَا
- नहीं नुक़्सान देता उसे
- yaḍurruhu
- يَضُرُّهُۥ
- नहीं नुक़्सान देता उसे
- wamā
- وَمَا
- और जो
- lā
- لَا
- नहीं फ़ायदा देता उसे
- yanfaʿuhu
- يَنفَعُهُۥۚ
- नहीं फ़ायदा देता उसे
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- यही है
- huwa
- هُوَ
- वो
- l-ḍalālu
- ٱلضَّلَٰلُ
- गुमराही
- l-baʿīdu
- ٱلْبَعِيدُ
- दूर की
वह अल्लाह को छोड़कर उसे पुकारता है, जो न उसे हानि पहुँचा सके और न उसे लाभ पहुँचा सके। यही हैं परले दर्जे की गुमराही ([२२] अल-हज: 12)Tafseer (तफ़सीर )
يَدْعُوْا لَمَنْ ضَرُّهٗٓ اَقْرَبُ مِنْ نَّفْعِهٖۗ لَبِئْسَ الْمَوْلٰى وَلَبِئْسَ الْعَشِيْرُ ١٣
- yadʿū
- يَدْعُوا۟
- वो पुकारता है
- laman
- لَمَن
- यक़ीनन उसे
- ḍarruhu
- ضَرُّهُۥٓ
- नुक़्सान जिसका
- aqrabu
- أَقْرَبُ
- क़रीब तर है
- min
- مِن
- उसके नफ़े से
- nafʿihi
- نَّفْعِهِۦۚ
- उसके नफ़े से
- labi'sa
- لَبِئْسَ
- अलबत्ता कितना बुरा है
- l-mawlā
- ٱلْمَوْلَىٰ
- दोस्त
- walabi'sa
- وَلَبِئْسَ
- और अलबत्ता कितना बुरा है
- l-ʿashīru
- ٱلْعَشِيرُ
- साथी
वह उसको पुकारता है जिससे पहुँचनेवाली हानि उससे अपेक्षित लाभ की अपेक्षा अधिक निकट है। बहुत ही बुरा संरक्षक है वह और बहुत ही बुरा साथी! ([२२] अल-हज: 13)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ اللّٰهَ يُدْخِلُ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ جَنّٰتٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُۗ اِنَّ اللّٰهَ يَفْعَلُ مَا يُرِيْدُ ١٤
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yud'khilu
- يُدْخِلُ
- वो दाख़िल करेगा
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन्हें जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- waʿamilū
- وَعَمِلُوا۟
- और उन्होंने अमल किए
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِ
- नेक
- jannātin
- جَنَّٰتٍ
- बाग़ात में
- tajrī
- تَجْرِى
- बहती हैं
- min
- مِن
- उनके नीचे से
- taḥtihā
- تَحْتِهَا
- उनके नीचे से
- l-anhāru
- ٱلْأَنْهَٰرُۚ
- नहरें
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yafʿalu
- يَفْعَلُ
- करता है
- mā
- مَا
- जो
- yurīdu
- يُرِيدُ
- वो चाहता है
निश्चय ही अल्लाह उन लोगों को, जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, ऐसे बाग़ों में दाखिल करेगा, जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी। निस्संदेह अल्लाह जो चाहे करे ([२२] अल-हज: 14)Tafseer (तफ़सीर )
مَنْ كَانَ يَظُنُّ اَنْ لَّنْ يَّنْصُرَهُ اللّٰهُ فِى الدُّنْيَا وَالْاٰخِرَةِ فَلْيَمْدُدْ بِسَبَبٍ اِلَى السَّمَاۤءِ ثُمَّ لْيَقْطَعْ فَلْيَنْظُرْ هَلْ يُذْهِبَنَّ كَيْدُهٗ مَا يَغِيْظُ ١٥
- man
- مَن
- जो कोई
- kāna
- كَانَ
- है
- yaẓunnu
- يَظُنُّ
- समझता
- an
- أَن
- ये कि
- lan
- لَّن
- हरगिज़ नहीं
- yanṣurahu
- يَنصُرَهُ
- मदद करेगा उसकी
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- fī
- فِى
- दुनिया में
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया में
- wal-ākhirati
- وَٱلْءَاخِرَةِ
- और आख़िरत में
- falyamdud
- فَلْيَمْدُدْ
- पस चाहिए कि वो दराज़ कर ले
- bisababin
- بِسَبَبٍ
- एक रस्सी
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ आसमान के
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- तरफ़ आसमान के
- thumma
- ثُمَّ
- फिर चाहिए कि वो काट डाले
- l'yaqṭaʿ
- لْيَقْطَعْ
- फिर चाहिए कि वो काट डाले
- falyanẓur
- فَلْيَنظُرْ
- फिर चाहिए कि वो देखे
- hal
- هَلْ
- क्या
- yudh'hibanna
- يُذْهِبَنَّ
- वाक़ई ले जाती है
- kayduhu
- كَيْدُهُۥ
- तदबीर उसकी
- mā
- مَا
- उस (चीज़) को
- yaghīẓu
- يَغِيظُ
- जो ग़ुस्सा दिलाती है
जो कोई यह समझता है कि अल्लाह दुनिया औऱ आख़िरत में उसकी (रसूल की) कदापि कोई सहायता न करेगा तो उसे चाहिए कि वह आकाश की ओर एक रस्सी ताने, फिर (अल्लाह की सहायता के सिलसिले को) काट दे। फिर देख ले कि क्या उसका उपाय उस चीज़ को दूर कर सकता है जो उसे क्रोध में डाले हुए है ([२२] अल-हज: 15)Tafseer (तफ़सीर )
وَكَذٰلِكَ اَنْزَلْنٰهُ اٰيٰتٍۢ بَيِّنٰتٍۙ وَّاَنَّ اللّٰهَ يَهْدِيْ مَنْ يُّرِيْدُ ١٦
- wakadhālika
- وَكَذَٰلِكَ
- और इसी तरह
- anzalnāhu
- أَنزَلْنَٰهُ
- नाज़िल किया हमने इसे
- āyātin
- ءَايَٰتٍۭ
- आयात
- bayyinātin
- بَيِّنَٰتٍ
- वाज़ेह (की शक्ल में)
- wa-anna
- وَأَنَّ
- और बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yahdī
- يَهْدِى
- वो हिदायत देता है
- man
- مَن
- जिसे
- yurīdu
- يُرِيدُ
- वो चाहता है
इसी प्रकार हमने इस (क़ुरआन) को स्पष्ट आयतों के रूप में अवतरित किया। और बात यह है कि अल्लाह जिसे चाहता है मार्ग दिखाता है ([२२] अल-हज: 16)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَالَّذِيْنَ هَادُوْا وَالصَّابِـِٕيْنَ وَالنَّصٰرٰى وَالْمَجُوْسَ وَالَّذِيْنَ اَشْرَكُوْٓا ۖاِنَّ اللّٰهَ يَفْصِلُ بَيْنَهُمْ يَوْمَ الْقِيٰمَةِۗ اِنَّ اللّٰهَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ شَهِيْدٌ ١٧
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जो
- hādū
- هَادُوا۟
- यहूदी बन गए
- wal-ṣābiīna
- وَٱلصَّٰبِـِٔينَ
- और साबी
- wal-naṣārā
- وَٱلنَّصَٰرَىٰ
- और नसारा
- wal-majūsa
- وَٱلْمَجُوسَ
- और मजूसी
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्होंने
- ashrakū
- أَشْرَكُوٓا۟
- शिर्क किया
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yafṣilu
- يَفْصِلُ
- फ़ैसला करेगा
- baynahum
- بَيْنَهُمْ
- दर्मियान उनके
- yawma
- يَوْمَ
- दिन
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِۚ
- क़यामत के
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- shahīdun
- شَهِيدٌ
- ख़ूब गवाह है
जो लोग ईमान लाए और जो यहूदी हुए और साबिई और ईसाई और मजूस और जिन लोगों ने शिर्क किया - इस सबके बीच अल्लाह क़ियामत के दिन फ़ैसला कर देगा। निस्संदेह अल्लाह की दृष्टि में हर चीज़ है ([२२] अल-हज: 17)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَمْ تَرَ اَنَّ اللّٰهَ يَسْجُدُ لَهٗ مَنْ فِى السَّمٰوٰتِ وَمَنْ فِى الْاَرْضِ وَالشَّمْسُ وَالْقَمَرُ وَالنُّجُوْمُ وَالْجِبَالُ وَالشَّجَرُ وَالدَّوَاۤبُّ وَكَثِيْرٌ مِّنَ النَّاسِۗ وَكَثِيْرٌ حَقَّ عَلَيْهِ الْعَذَابُۗ وَمَنْ يُّهِنِ اللّٰهُ فَمَا لَهٗ مِنْ مُّكْرِمٍۗ اِنَّ اللّٰهَ يَفْعَلُ مَا يَشَاۤءُ ۩ۗ ١٨
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- tara
- تَرَ
- आपने देखा
- anna
- أَنَّ
- कि बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह को
- yasjudu
- يَسْجُدُ
- सजदा करता है
- lahu
- لَهُۥ
- उसी को
- man
- مَن
- जो
- fī
- فِى
- आसमानों में है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में है
- waman
- وَمَن
- और जो
- fī
- فِى
- ज़मीन में है
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में है
- wal-shamsu
- وَٱلشَّمْسُ
- और सूरज
- wal-qamaru
- وَٱلْقَمَرُ
- और चाँद
- wal-nujūmu
- وَٱلنُّجُومُ
- और सितारे
- wal-jibālu
- وَٱلْجِبَالُ
- और पहाड़
- wal-shajaru
- وَٱلشَّجَرُ
- और दरख़्त
- wal-dawābu
- وَٱلدَّوَآبُّ
- और चौपाए
- wakathīrun
- وَكَثِيرٌ
- और बहुत से
- mina
- مِّنَ
- लोगों में से
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِۖ
- लोगों में से
- wakathīrun
- وَكَثِيرٌ
- और बहुत से
- ḥaqqa
- حَقَّ
- साबित हो चुका
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उन पर
- l-ʿadhābu
- ٱلْعَذَابُۗ
- अज़ाब
- waman
- وَمَن
- और जिसे
- yuhini
- يُهِنِ
- रुस्वा कर दे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- famā
- فَمَا
- तो नहीं
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- min
- مِن
- कोई इज़्ज़त देने वाला
- muk'rimin
- مُّكْرِمٍۚ
- कोई इज़्ज़त देने वाला
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yafʿalu
- يَفْعَلُ
- वो करता है
- mā
- مَا
- जो
- yashāu
- يَشَآءُ۩
- वो चाहता है
क्या तुमनें देखा नहीं कि अल्लाह ही को सजदा करते है वे सब जो आकाशों में है और जो धरती में है, और सूर्य, चन्द्रमा, तारे पहाड़, वृक्ष, जानवर और बहुत-से मनुष्य? और बहुत-से ऐसे है जिनपर यातना का औचित्य सिद्ध हो चुका है, और जिसे अल्लाह अपमानित करे उस सम्मानित करनेवाला कोई नहीं। निस्संदेह अल्लाह जो चाहे करता है ([२२] अल-हज: 18)Tafseer (तफ़सीर )
۞ هٰذَانِ خَصْمٰنِ اخْتَصَمُوْا فِيْ رَبِّهِمْ فَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا قُطِّعَتْ لَهُمْ ثِيَابٌ مِّنْ نَّارٍۗ يُصَبُّ مِنْ فَوْقِ رُءُوْسِهِمُ الْحَمِيْمُ ۚ ١٩
- hādhāni
- هَٰذَانِ
- ये दो
- khaṣmāni
- خَصْمَانِ
- झगड़ने वाले हैं
- ikh'taṣamū
- ٱخْتَصَمُوا۟
- जिन्होंने झगड़ा किया
- fī
- فِى
- अपने रब के बारे में
- rabbihim
- رَبِّهِمْۖ
- अपने रब के बारे में
- fa-alladhīna
- فَٱلَّذِينَ
- तो वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- quṭṭiʿat
- قُطِّعَتْ
- काटे जा चुके हैं
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- thiyābun
- ثِيَابٌ
- कपड़े
- min
- مِّن
- आग से
- nārin
- نَّارٍ
- आग से
- yuṣabbu
- يُصَبُّ
- डाला जाएगा
- min
- مِن
- ऊपर से
- fawqi
- فَوْقِ
- ऊपर से
- ruūsihimu
- رُءُوسِهِمُ
- उनके सिरों के
- l-ḥamīmu
- ٱلْحَمِيمُ
- खौलता पानी
ये दो विवादी हैं, जो अपने रब के विषय में आपस में झगड़े। अतः जिन लोगों ने कुफ्र किया उनके लिए आग के वस्त्र काटे जा चुके है। उनके सिरों पर खौलता हुआ पानी डाला जाएगा ([२२] अल-हज: 19)Tafseer (तफ़सीर )
يُصْهَرُ بِهٖ مَا فِيْ بُطُوْنِهِمْ وَالْجُلُوْدُ ۗ ٢٠
- yuṣ'haru
- يُصْهَرُ
- पिघला दिया जाएगा
- bihi
- بِهِۦ
- साथ उसके
- mā
- مَا
- जो कुछ
- fī
- فِى
- उनके पेटों में है
- buṭūnihim
- بُطُونِهِمْ
- उनके पेटों में है
- wal-julūdu
- وَٱلْجُلُودُ
- और खालें भी
इससे जो कुछ उनके पेटों में है, वह पिघल जाएगा और खालें भी ([२२] अल-हज: 20)Tafseer (तफ़सीर )