وَجَعَلْنَا فِى الْاَرْضِ رَوَاسِيَ اَنْ تَمِيْدَ بِهِمْۖ وَجَعَلْنَا فِيْهَا فِجَاجًا سُبُلًا لَّعَلَّهُمْ يَهْتَدُوْنَ ٣١
- wajaʿalnā
- وَجَعَلْنَا
- और बनाया हमने
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- rawāsiya
- رَوَٰسِىَ
- पहाड़ों को
- an
- أَن
- कि
- tamīda
- تَمِيدَ
- वो ढुलक (ना) जाए
- bihim
- بِهِمْ
- साथ उनके
- wajaʿalnā
- وَجَعَلْنَا
- और बनाए हमने
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- fijājan
- فِجَاجًا
- कुशादा
- subulan
- سُبُلًا
- रास्ते
- laʿallahum
- لَّعَلَّهُمْ
- ताकि वो
- yahtadūna
- يَهْتَدُونَ
- वो राह पा जाऐं
और हमने धरती में अटल पहाड़ रख दिए, ताकि कहीं ऐसा न हो कि वह उन्हें लेकर ढुलक जाए और हमने उसमें ऐसे दर्रे बनाए कि रास्तों का काम देते है, ताकि वे मार्ग पाएँ ([२१] अल-अम्बिया: 31)Tafseer (तफ़सीर )
وَجَعَلْنَا السَّمَاۤءَ سَقْفًا مَّحْفُوْظًاۚ وَهُمْ عَنْ اٰيٰتِهَا مُعْرِضُوْنَ ٣٢
- wajaʿalnā
- وَجَعَلْنَا
- और बनाया हमने
- l-samāa
- ٱلسَّمَآءَ
- आसमान को
- saqfan
- سَقْفًا
- छत
- maḥfūẓan
- مَّحْفُوظًاۖ
- महफ़ूज़
- wahum
- وَهُمْ
- और वो
- ʿan
- عَنْ
- उसकी निशानियों से
- āyātihā
- ءَايَٰتِهَا
- उसकी निशानियों से
- muʿ'riḍūna
- مُعْرِضُونَ
- मूँह मोड़ने वाले हैं
और हमने आकाश को एक सुरक्षित छत बनाया, किन्तु वे है कि उसकी निशानियों से कतरा जाते है ([२१] अल-अम्बिया: 32)Tafseer (तफ़सीर )
وَهُوَ الَّذِيْ خَلَقَ الَّيْلَ وَالنَّهَارَ وَالشَّمْسَ وَالْقَمَرَۗ كُلٌّ فِيْ فَلَكٍ يَّسْبَحُوْنَ ٣٣
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जिसने
- khalaqa
- خَلَقَ
- बनाया
- al-layla
- ٱلَّيْلَ
- रात
- wal-nahāra
- وَٱلنَّهَارَ
- और दिन को
- wal-shamsa
- وَٱلشَّمْسَ
- और सूरज
- wal-qamara
- وَٱلْقَمَرَۖ
- और चाँद को
- kullun
- كُلٌّ
- सब के सब
- fī
- فِى
- मदार में (अपने)
- falakin
- فَلَكٍ
- मदार में (अपने)
- yasbaḥūna
- يَسْبَحُونَ
- वो तैरते हैं
वही है जिसने रात और दिन बनाए और सूर्य और चन्द्र भी। प्रत्येक अपने-अपने कक्ष में तैर रहा है ([२१] अल-अम्बिया: 33)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا جَعَلْنَا لِبَشَرٍ مِّنْ قَبْلِكَ الْخُلْدَۗ اَفَا۟ىِٕنْ مِّتَّ فَهُمُ الْخٰلِدُوْنَ ٣٤
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- jaʿalnā
- جَعَلْنَا
- बनाई हमने
- libasharin
- لِبَشَرٍ
- किसी इन्सान के लिए
- min
- مِّن
- आपसे पहले
- qablika
- قَبْلِكَ
- आपसे पहले
- l-khul'da
- ٱلْخُلْدَۖ
- हमेशगी
- afa-in
- أَفَإِي۟ن
- क्या फिर अगर
- mitta
- مِّتَّ
- आप फ़ौत होगए
- fahumu
- فَهُمُ
- तो वो
- l-khālidūna
- ٱلْخَٰلِدُونَ
- हमेशा रहने वाले
हमने तुमसे पहले भी किसी आदमी के लिए अमरता नहीं रखी। फिर क्या यदि तुम मर गए तो वे सदैव रहनेवाले है? ([२१] अल-अम्बिया: 34)Tafseer (तफ़सीर )
كُلُّ نَفْسٍ ذَاۤىِٕقَةُ الْمَوْتِۗ وَنَبْلُوْكُمْ بِالشَّرِّ وَالْخَيْرِ فِتْنَةً ۗوَاِلَيْنَا تُرْجَعُوْنَ ٣٥
- kullu
- كُلُّ
- हर नफ़्स
- nafsin
- نَفْسٍ
- हर नफ़्स
- dhāiqatu
- ذَآئِقَةُ
- चखने वाला है
- l-mawti
- ٱلْمَوْتِۗ
- मौत को
- wanablūkum
- وَنَبْلُوكُم
- और हम मुब्तिला करते हैं तुम्हें
- bil-shari
- بِٱلشَّرِّ
- साथ बुराई
- wal-khayri
- وَٱلْخَيْرِ
- और भलाई के
- fit'natan
- فِتْنَةًۖ
- आज़माने के लिए
- wa-ilaynā
- وَإِلَيْنَا
- और हमारी ही तरफ़
- tur'jaʿūna
- تُرْجَعُونَ
- तुम लौटाए जाओगे
हर जीव को मौत का मज़ा चखना है और हम अच्छी और बुरी परिस्थितियों में डालकर तुम सबकी परीक्षा करते है। अन्ततः तुम्हें हमारी ही ओर पलटकर आना है ([२१] अल-अम्बिया: 35)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذَا رَاٰكَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْٓا اِنْ يَّتَّخِذُوْنَكَ اِلَّا هُزُوًاۗ اَهٰذَا الَّذِيْ يَذْكُرُ اٰلِهَتَكُمْۚ وَهُمْ بِذِكْرِ الرَّحْمٰنِ هُمْ كٰفِرُوْنَ ٣٦
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- raāka
- رَءَاكَ
- देखते हैं आपको
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوٓا۟
- कुफ़्र किया
- in
- إِن
- नहीं
- yattakhidhūnaka
- يَتَّخِذُونَكَ
- वो बनाते आपका
- illā
- إِلَّا
- मगर
- huzuwan
- هُزُوًا
- मज़ाक़
- ahādhā
- أَهَٰذَا
- क्या ये है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जो
- yadhkuru
- يَذْكُرُ
- ज़िक्र करता है
- ālihatakum
- ءَالِهَتَكُمْ
- तुम्हारे इलाहों का
- wahum
- وَهُم
- हालाँकि वो
- bidhik'ri
- بِذِكْرِ
- ज़िक्र से
- l-raḥmāni
- ٱلرَّحْمَٰنِ
- रहमान के
- hum
- هُمْ
- वो
- kāfirūna
- كَٰفِرُونَ
- इन्कारी हैं
जिन लोगों ने इनकार किया वे जब तुम्हें देखते है तो तुम्हारा उपहास ही करते है। (कहते है,) 'क्या यही वह व्यक्ति है, जो तुम्हारे इष्ट -पूज्यों की बुराई के साथ चर्चा करता है?' और उनका अपना हाल यह है कि वे रहमान के ज़िक्र (स्मरण) से इनकार करते हैं ([२१] अल-अम्बिया: 36)Tafseer (तफ़सीर )
خُلِقَ الْاِنْسَانُ مِنْ عَجَلٍۗ سَاُورِيْكُمْ اٰيٰتِيْ فَلَا تَسْتَعْجِلُوْنِ ٣٧
- khuliqa
- خُلِقَ
- पैदा किया गया
- l-insānu
- ٱلْإِنسَٰنُ
- इन्सान
- min
- مِنْ
- उजलत (के ख़मीर) से
- ʿajalin
- عَجَلٍۚ
- उजलत (के ख़मीर) से
- sa-urīkum
- سَأُو۟رِيكُمْ
- अनक़रीब मैं दिखाऊँगा तुम्हें
- āyātī
- ءَايَٰتِى
- अपनी निशानियाँ
- falā
- فَلَا
- पस ना
- tastaʿjilūni
- تَسْتَعْجِلُونِ
- तुम जल्दी माँगो मुझसे
मनुष्य उतावला पैदा किया गया है। मैं तुम्हें शीघ्र ही अपनी निशानियाँ दिखाए देता हूँ। अतः तुम मुझसे जल्दी मत मचाओ ([२१] अल-अम्बिया: 37)Tafseer (तफ़सीर )
وَيَقُوْلُوْنَ مَتٰى هٰذَا الْوَعْدُ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِيْنَ ٣٨
- wayaqūlūna
- وَيَقُولُونَ
- और वो कहते हैं
- matā
- مَتَىٰ
- कब है
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- l-waʿdu
- ٱلْوَعْدُ
- वादा
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- ṣādiqīna
- صَٰدِقِينَ
- सच्चे
वे कहते है कि 'यह वादा कब पूरा होगा, यदि तुम सच्चे हो?' ([२१] अल-अम्बिया: 38)Tafseer (तफ़सीर )
لَوْ يَعْلَمُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا حِيْنَ لَا يَكُفُّوْنَ عَنْ وُّجُوْهِهِمُ النَّارَ وَلَا عَنْ ظُهُوْرِهِمْ وَلَا هُمْ يُنْصَرُوْنَ ٣٩
- law
- لَوْ
- अगर
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- जानलें
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- ḥīna
- حِينَ
- जिस वक़्त
- lā
- لَا
- ना वो रोक सकेंगे
- yakuffūna
- يَكُفُّونَ
- ना वो रोक सकेंगे
- ʿan
- عَن
- अपने चहरों से
- wujūhihimu
- وُجُوهِهِمُ
- अपने चहरों से
- l-nāra
- ٱلنَّارَ
- आग को
- walā
- وَلَا
- और ना
- ʿan
- عَن
- अपनी पुश्तों से
- ẓuhūrihim
- ظُهُورِهِمْ
- अपनी पुश्तों से
- walā
- وَلَا
- और ना
- hum
- هُمْ
- वो
- yunṣarūna
- يُنصَرُونَ
- वो मदद किए जाऐंगे
अगर इनकार करनेवालें उस समय को जानते, जबकि वे न तो अपने चहरों की ओर आग को रोक सकेंगे और न अपनी पीठों की ओर से और न उन्हें कोई सहायता ही पहुँच सकेगी तो (यातना की जल्दी न मचाते) ([२१] अल-अम्बिया: 39)Tafseer (तफ़सीर )
بَلْ تَأْتِيْهِمْ بَغْتَةً فَتَبْهَتُهُمْ فَلَا يَسْتَطِيْعُوْنَ رَدَّهَا وَلَا هُمْ يُنْظَرُوْنَ ٤٠
- bal
- بَلْ
- बल्कि
- tatīhim
- تَأْتِيهِم
- वो आ जाएगी उनके पास
- baghtatan
- بَغْتَةً
- अचानक
- fatabhatuhum
- فَتَبْهَتُهُمْ
- तो वो मबहूत/हैरान कर देगी उन्हें
- falā
- فَلَا
- तो ना
- yastaṭīʿūna
- يَسْتَطِيعُونَ
- वो इस्तिताअत रखते होंगे
- raddahā
- رَدَّهَا
- उसको रद करने की
- walā
- وَلَا
- और ना
- hum
- هُمْ
- वो
- yunẓarūna
- يُنظَرُونَ
- वो मोहलत दिए जाऐंगे
बल्कि वह अचानक उनपर आएगी और उन्हें स्तब्ध कर देगी। फिर न उसे वे फेर सकेंगे और न उन्हें मुहलत ही मिलेगी ([२१] अल-अम्बिया: 40)Tafseer (तफ़सीर )