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सूरा अल-अम्बिया - Page: 3

Al-Anbya

(इस्लामी पैग़म्बर|नबी)

२१

اَمِ اتَّخَذُوْٓا اٰلِهَةً مِّنَ الْاَرْضِ هُمْ يُنْشِرُوْنَ ٢١

ami
أَمِ
क्या
ittakhadhū
ٱتَّخَذُوٓا۟
उन्होंने बना लिए हैं
ālihatan
ءَالِهَةً
कुछ इलाह
mina
مِّنَ
ज़मीन से
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन से
hum
هُمْ
कि वो
yunshirūna
يُنشِرُونَ
वो ज़िन्दा करेंगे
(क्या उन्होंने आकाश से कुछ पूज्य बना लिए है)... या उन्होंने धरती से ऐसे इष्ट -पूज्य बना लिए है, जो पुनर्जीवित करते हों? ([२१] अल-अम्बिया: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

لَوْ كَانَ فِيْهِمَآ اٰلِهَةٌ اِلَّا اللّٰهُ لَفَسَدَتَاۚ فَسُبْحٰنَ اللّٰهِ رَبِّ الْعَرْشِ عَمَّا يَصِفُوْنَ ٢٢

law
لَوْ
अगर
kāna
كَانَ
होते
fīhimā
فِيهِمَآ
उन दोनों में
ālihatun
ءَالِهَةٌ
कुछ इलाह
illā
إِلَّا
सिवाए
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह के
lafasadatā
لَفَسَدَتَاۚ
अलबत्ता वो दोनों बिगड़ जाते
fasub'ḥāna
فَسُبْحَٰنَ
पस पाक है
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह
rabbi
رَبِّ
जो रब है
l-ʿarshi
ٱلْعَرْشِ
अर्श का
ʿammā
عَمَّا
उससे जो
yaṣifūna
يَصِفُونَ
वो बयान करते हैं
यदि इन दोनों (आकाश और धरती) में अल्लाह के सिवा दूसरे इष्ट-पूज्य भी होते तो दोनों की व्यवस्था बिगड़ जाती। अतः महान और उच्च है अल्लाह, राजासन का स्वामी, उन बातों से जो ये बयान करते है ([२१] अल-अम्बिया: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

لَا يُسْـَٔلُ عَمَّا يَفْعَلُ وَهُمْ يُسْـَٔلُوْنَ ٢٣

لَا
नहीं वो पूछा जाता
yus'alu
يُسْـَٔلُ
नहीं वो पूछा जाता
ʿammā
عَمَّا
उसके बारे में जो
yafʿalu
يَفْعَلُ
वो करता है
wahum
وَهُمْ
और वो
yus'alūna
يُسْـَٔلُونَ
वो पूछे जाऐंगे
जो कुछ वह करता है उससे उसकी कोई पूछ नहीं हो सकती, किन्तु इनसे पूछ होगी ([२१] अल-अम्बिया: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

اَمِ اتَّخَذُوْا مِنْ دُوْنِهٖٓ اٰلِهَةً ۗقُلْ هَاتُوْا بُرْهَانَكُمْۚ هٰذَا ذِكْرُ مَنْ مَّعِيَ وَذِكْرُ مَنْ قَبْلِيْۗ بَلْ اَكْثَرُهُمْ لَا يَعْلَمُوْنَۙ الْحَقَّ فَهُمْ مُّعْرِضُوْنَ ٢٤

ami
أَمِ
या
ittakhadhū
ٱتَّخَذُوا۟
उन्होंने बना लिए
min
مِن
उसके सिवा
dūnihi
دُونِهِۦٓ
उसके सिवा
ālihatan
ءَالِهَةًۖ
कुछ इलाह
qul
قُلْ
कह दीजिए
hātū
هَاتُوا۟
लाओ
bur'hānakum
بُرْهَٰنَكُمْۖ
दलील अपनी
hādhā
هَٰذَا
ये
dhik'ru
ذِكْرُ
ज़िक्र है
man
مَن
उनका जो
maʿiya
مَّعِىَ
मेरे साथ हैं
wadhik'ru
وَذِكْرُ
और ज़िक्र है
man
مَن
उनका भी( जो)
qablī
قَبْلِىۗ
मुझसे पहले थे
bal
بَلْ
बल्कि
aktharuhum
أَكْثَرُهُمْ
अकसर उनके
لَا
नही वो जानते
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
नही वो जानते
l-ḥaqa
ٱلْحَقَّۖ
हक़ को
fahum
فَهُم
तो वो
muʿ'riḍūna
مُّعْرِضُونَ
ऐराज़ करने वाले हैं
(क्या ये अल्लाह के हक़ को नहीं पहचानते) या उसे छोड़कर इन्होंने दूसरे इष्ट-पूज्य बना लिए है (जिसके लिए इनके पास कुछ प्रमाण है)? कह दो, 'लाओ, अपना प्रमाण! यह अनुस्मृति है उनकी जो मेरे साथ है और अनुस्मृति है उनकी जो मुझसे पहले हुए है, किन्तु बात यह है कि इनमें अधिकतर सत्य को जानते नहीं, इसलिए कतरा रहे है ([२१] अल-अम्बिया: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

وَمَآ اَرْسَلْنَا مِنْ قَبْلِكَ مِنْ رَّسُوْلٍ اِلَّا نُوْحِيْٓ اِلَيْهِ اَنَّهٗ لَآ اِلٰهَ اِلَّآ اَنَا۠ فَاعْبُدُوْنِ ٢٥

wamā
وَمَآ
और नहीं
arsalnā
أَرْسَلْنَا
भेजा हमने
min
مِن
आपसे पहले
qablika
قَبْلِكَ
आपसे पहले
min
مِن
कोई रसूल
rasūlin
رَّسُولٍ
कोई रसूल
illā
إِلَّا
मगर
nūḥī
نُوحِىٓ
हमने वही की
ilayhi
إِلَيْهِ
तरफ़ उसके
annahu
أَنَّهُۥ
कि बैशक वो
لَآ
नहीं
ilāha
إِلَٰهَ
कोई इलाह (बरहक़)
illā
إِلَّآ
मगर
anā
أَنَا۠
मैं ही
fa-uʿ'budūni
فَٱعْبُدُونِ
पस इबादत करो मेरी
हमने तुमसे पहले जो रसूल भी भेजा, उसकी ओर यही प्रकाशना की कि ' 'मेरे सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं। अतः तुम मेरी ही बन्दगी करो।' ([२१] अल-अम्बिया: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

وَقَالُوا اتَّخَذَ الرَّحْمٰنُ وَلَدًا سُبْحٰنَهٗ ۗبَلْ عِبَادٌ مُّكْرَمُوْنَ ۙ ٢٦

waqālū
وَقَالُوا۟
और उन्होंने कहा
ittakhadha
ٱتَّخَذَ
बना ली है
l-raḥmānu
ٱلرَّحْمَٰنُ
रहमान ने
waladan
وَلَدًاۗ
औलाद
sub'ḥānahu
سُبْحَٰنَهُۥۚ
पाक है वो
bal
بَلْ
बल्कि
ʿibādun
عِبَادٌ
वो बन्दे हैं
muk'ramūna
مُّكْرَمُونَ
जो इज़्ज़त दिए गए हैं
और वे कहते है कि 'रहमान सन्तान रखता है।' महान हो वह! बल्कि वे तो प्रतिष्ठित बन्दे हैं ([२१] अल-अम्बिया: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

لَا يَسْبِقُوْنَهٗ بِالْقَوْلِ وَهُمْ بِاَمْرِهٖ يَعْمَلُوْنَ ٢٧

لَا
नहीं वो आगे बढ़ते उससे
yasbiqūnahu
يَسْبِقُونَهُۥ
नहीं वो आगे बढ़ते उससे
bil-qawli
بِٱلْقَوْلِ
बात में
wahum
وَهُم
और वो
bi-amrihi
بِأَمْرِهِۦ
उसके हुक्म पर ही
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते हैं
उससे आगे बढ़कर नहीं बोलते और उनके आदेश का पालन करते है ([२१] अल-अम्बिया: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

يَعْلَمُ مَا بَيْنَ اَيْدِيْهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ وَلَا يَشْفَعُوْنَۙ اِلَّا لِمَنِ ارْتَضٰى وَهُمْ مِّنْ خَشْيَتِهٖ مُشْفِقُوْنَ ٢٨

yaʿlamu
يَعْلَمُ
वो जानता है
مَا
जो कुछ
bayna
بَيْنَ
उनके आगे है
aydīhim
أَيْدِيهِمْ
उनके आगे है
wamā
وَمَا
और जो कुछ
khalfahum
خَلْفَهُمْ
उनके पीछे है
walā
وَلَا
और नहीं
yashfaʿūna
يَشْفَعُونَ
वो शफ़ाअत करेंगे
illā
إِلَّا
मगर
limani
لِمَنِ
जिसके लिए
ir'taḍā
ٱرْتَضَىٰ
वो राज़ी होजाए
wahum
وَهُم
और वो
min
مِّنْ
उसकी ख़शियत से
khashyatihi
خَشْيَتِهِۦ
उसकी ख़शियत से
mush'fiqūna
مُشْفِقُونَ
डरने वाले हैं
वह जानता है जो कुछ उनके आगे है और जो कुछ उनके पीछे है, और वे किसी की सिफ़ारिश नहीं करते सिवाय उसके जिसके लिए अल्लाह पसन्द करे। और वे उसके भय से डरते रहते है ([२१] अल-अम्बिया: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

۞ وَمَنْ يَّقُلْ مِنْهُمْ اِنِّيْٓ اِلٰهٌ مِّنْ دُوْنِهٖ فَذٰلِكَ نَجْزِيْهِ جَهَنَّمَۗ كَذٰلِكَ نَجْزِى الظّٰلِمِيْنَ ࣖ ٢٩

waman
وَمَن
और जो कोई
yaqul
يَقُلْ
कहे
min'hum
مِنْهُمْ
उनमें से
innī
إِنِّىٓ
बेशक मैं
ilāhun
إِلَٰهٌ
इलाह हूँ
min
مِّن
उसके सिवा
dūnihi
دُونِهِۦ
उसके सिवा
fadhālika
فَذَٰلِكَ
तो एसी सूरत में
najzīhi
نَجْزِيهِ
हम बदले में देंगे उसे
jahannama
جَهَنَّمَۚ
जहन्नम
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
najzī
نَجْزِى
हम बदला देते हैं
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों को
और जो उनमें से यह कहे कि 'उनके सिवा मैं भी एक इष्ट -पूज्य हूँ।' तो हम उसे बदले में जहन्नम देंगे। ज़ालिमों को हम ऐसा ही बदला दिया करते है ([२१] अल-अम्बिया: 29)
Tafseer (तफ़सीर )
३०

اَوَلَمْ يَرَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْٓا اَنَّ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ كَانَتَا رَتْقًا فَفَتَقْنٰهُمَاۗ وَجَعَلْنَا مِنَ الْمَاۤءِ كُلَّ شَيْءٍ حَيٍّۗ اَفَلَا يُؤْمِنُوْنَ ٣٠

awalam
أَوَلَمْ
क्या भला नहीं
yara
يَرَ
देखा
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوٓا۟
कुफ़्र किया
anna
أَنَّ
कि बेशक
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमान
wal-arḍa
وَٱلْأَرْضَ
और ज़मीन
kānatā
كَانَتَا
थे वो दोनों
ratqan
رَتْقًا
मिले हुए
fafataqnāhumā
فَفَتَقْنَٰهُمَاۖ
तो जुदा-जुदा कर दिया हमने उन दोनों को
wajaʿalnā
وَجَعَلْنَا
और बनाई हमने
mina
مِنَ
पानी से
l-māi
ٱلْمَآءِ
पानी से
kulla
كُلَّ
हर चीज़
shayin
شَىْءٍ
हर चीज़
ḥayyin
حَىٍّۖ
ज़िन्दा
afalā
أَفَلَا
क्या फिर नहीं
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
वो ईमान लाते
क्या उन लोगों ने जिन्होंने इनकार किया, देखा नहीं कि ये आकाश और धरती बन्द थे। फिर हमने उन्हें खोल दिया। और हमने पानी से हर जीवित चीज़ बनाई, तो क्या वे मानते नहीं? ([२१] अल-अम्बिया: 30)
Tafseer (तफ़सीर )