१११
وَاِنْ اَدْرِيْ لَعَلَّهٗ فِتْنَةٌ لَّكُمْ وَمَتَاعٌ اِلٰى حِيْنٍ ١١١
- wa-in
- وَإِنْ
- और नहीं
- adrī
- أَدْرِى
- मैं जानता
- laʿallahu
- لَعَلَّهُۥ
- शायद कि वो
- fit'natun
- فِتْنَةٌ
- फ़ितना हो
- lakum
- لَّكُمْ
- तुम्हारे लिए
- wamatāʿun
- وَمَتَٰعٌ
- और फ़ायदा उठाना
- ilā
- إِلَىٰ
- एक मुद्दत तक
- ḥīnin
- حِينٍ
- एक मुद्दत तक
मुझे नहीं मालूम कि कदाचित यह तुम्हारे लिए एक परीक्षा हो और एक नियत समय तक के लिए जीवन-सुख ([२१] अल-अम्बिया: 111)Tafseer (तफ़सीर )
११२
قَالَ رَبِّ احْكُمْ بِالْحَقِّۗ وَرَبُّنَا الرَّحْمٰنُ الْمُسْتَعَانُ عَلٰى مَا تَصِفُوْنَ ࣖ ١١٢
- qāla
- قَٰلَ
- कहा
- rabbi
- رَبِّ
- ऐ मेरे रब
- uḥ'kum
- ٱحْكُم
- फ़ैसला कर दे
- bil-ḥaqi
- بِٱلْحَقِّۗ
- साथ हक़ के
- warabbunā
- وَرَبُّنَا
- और रब तुम्हारा
- l-raḥmānu
- ٱلرَّحْمَٰنُ
- रहमान है
- l-mus'taʿānu
- ٱلْمُسْتَعَانُ
- जिससे मदद तलब की जाती है
- ʿalā
- عَلَىٰ
- उस पर
- mā
- مَا
- जो
- taṣifūna
- تَصِفُونَ
- तुम बयान करते हो
उसने कहा, 'ऐ मेरे रब, सत्य का फ़ैसला कर दे! और हमारा रब रहमान है। उसी से सहायता की प्रार्थना है, उन बातों के मुक़ाबले में जो तुम लोग बयान करते हो।' ([२१] अल-अम्बिया: 112)Tafseer (तफ़सीर )