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सूरा अल-अम्बिया - Page: 12

Al-Anbya

(इस्लामी पैग़म्बर|नबी)

१११

وَاِنْ اَدْرِيْ لَعَلَّهٗ فِتْنَةٌ لَّكُمْ وَمَتَاعٌ اِلٰى حِيْنٍ ١١١

wa-in
وَإِنْ
और नहीं
adrī
أَدْرِى
मैं जानता
laʿallahu
لَعَلَّهُۥ
शायद कि वो
fit'natun
فِتْنَةٌ
फ़ितना हो
lakum
لَّكُمْ
तुम्हारे लिए
wamatāʿun
وَمَتَٰعٌ
और फ़ायदा उठाना
ilā
إِلَىٰ
एक मुद्दत तक
ḥīnin
حِينٍ
एक मुद्दत तक
मुझे नहीं मालूम कि कदाचित यह तुम्हारे लिए एक परीक्षा हो और एक नियत समय तक के लिए जीवन-सुख ([२१] अल-अम्बिया: 111)
Tafseer (तफ़सीर )
११२

قَالَ رَبِّ احْكُمْ بِالْحَقِّۗ وَرَبُّنَا الرَّحْمٰنُ الْمُسْتَعَانُ عَلٰى مَا تَصِفُوْنَ ࣖ ١١٢

qāla
قَٰلَ
कहा
rabbi
رَبِّ
ऐ मेरे रब
uḥ'kum
ٱحْكُم
फ़ैसला कर दे
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّۗ
साथ हक़ के
warabbunā
وَرَبُّنَا
और रब तुम्हारा
l-raḥmānu
ٱلرَّحْمَٰنُ
रहमान है
l-mus'taʿānu
ٱلْمُسْتَعَانُ
जिससे मदद तलब की जाती है
ʿalā
عَلَىٰ
उस पर
مَا
जो
taṣifūna
تَصِفُونَ
तुम बयान करते हो
उसने कहा, 'ऐ मेरे रब, सत्य का फ़ैसला कर दे! और हमारा रब रहमान है। उसी से सहायता की प्रार्थना है, उन बातों के मुक़ाबले में जो तुम लोग बयान करते हो।' ([२१] अल-अम्बिया: 112)
Tafseer (तफ़सीर )