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सूरा अल-अम्बिया - Page: 11

Al-Anbya

(इस्लामी पैग़म्बर|नबी)

१०१

اِنَّ الَّذِيْنَ سَبَقَتْ لَهُمْ مِّنَّا الْحُسْنٰىٓۙ اُولٰۤىِٕكَ عَنْهَا مُبْعَدُوْنَ ۙ ١٠١

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग
sabaqat
سَبَقَتْ
पहले तय हो गई
lahum
لَهُم
उनके लिए
minnā
مِّنَّا
हमारी तरफ़ से
l-ḥus'nā
ٱلْحُسْنَىٰٓ
भलाई
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
ʿanhā
عَنْهَا
उससे
mub'ʿadūna
مُبْعَدُونَ
दूर रखे जाने वाले
रहे वे लोग जिनके लिए पहले ही हमारी ओर से अच्छे इनाम का वादा हो चुका है, वे उससे दूर रहेंगे ([२१] अल-अम्बिया: 101)
Tafseer (तफ़सीर )
१०२

لَا يَسْمَعُوْنَ حَسِيْسَهَاۚ وَهُمْ فِيْ مَا اشْتَهَتْ اَنْفُسُهُمْ خٰلِدُوْنَ ۚ ١٠٢

لَا
नहीं वो सुनेंगे
yasmaʿūna
يَسْمَعُونَ
नहीं वो सुनेंगे
ḥasīsahā
حَسِيسَهَاۖ
उसकी आहट को
wahum
وَهُمْ
और वो
فِى
उसमें जो
مَا
उसमें जो
ish'tahat
ٱشْتَهَتْ
ख़्वाहिश करेंगे
anfusuhum
أَنفُسُهُمْ
नफ़्स उनके
khālidūna
خَٰلِدُونَ
हमेशा रहने वाले हैं
वे उसकी आहट भी नहीं सुनेंगे और अपनी मनचाही चीज़ों के मध्य सदैव रहेंगे ([२१] अल-अम्बिया: 102)
Tafseer (तफ़सीर )
१०३

لَا يَحْزُنُهُمُ الْفَزَعُ الْاَكْبَرُ وَتَتَلَقّٰىهُمُ الْمَلٰۤىِٕكَةُۗ هٰذَا يَوْمُكُمُ الَّذِيْ كُنْتُمْ تُوْعَدُوْنَ ١٠٣

لَا
ना ग़मगीन करेगी उन्हें
yaḥzunuhumu
يَحْزُنُهُمُ
ना ग़मगीन करेगी उन्हें
l-fazaʿu
ٱلْفَزَعُ
घबराहट
l-akbaru
ٱلْأَكْبَرُ
बड़ी
watatalaqqāhumu
وَتَتَلَقَّىٰهُمُ
और इस्तक़बाल करेंगे उनका
l-malāikatu
ٱلْمَلَٰٓئِكَةُ
फ़रिश्ते
hādhā
هَٰذَا
ये है
yawmukumu
يَوْمُكُمُ
दिन तुम्हारा
alladhī
ٱلَّذِى
वो जो
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
tūʿadūna
تُوعَدُونَ
तुम वादा दिए जाते
वह सबसे बड़ी घबराहट उन्हें ग़म में न डालेगी। फ़रिश्ते उनका स्वागत करेगें, 'यह तुम्हारा वही दिन है, जिसका तुमसे वादा किया जाता रहा है।' ([२१] अल-अम्बिया: 103)
Tafseer (तफ़सीर )
१०४

يَوْمَ نَطْوِى السَّمَاۤءَ كَطَيِّ السِّجِلِّ لِلْكُتُبِۗ كَمَا بَدَأْنَآ اَوَّلَ خَلْقٍ نُّعِيْدُهٗۗ وَعْدًا عَلَيْنَاۗ اِنَّا كُنَّا فٰعِلِيْنَ ١٠٤

yawma
يَوْمَ
जिस दिन
naṭwī
نَطْوِى
हम लपेट देंगे
l-samāa
ٱلسَّمَآءَ
आसमान को
kaṭayyi
كَطَىِّ
मानिन्द लपेटना
l-sijili
ٱلسِّجِلِّ
तूमार के (औराक़ को )
lil'kutubi
لِلْكُتُبِۚ
किताबों के लिए
kamā
كَمَا
जैसा कि
badanā
بَدَأْنَآ
इब्तिदा की हमने
awwala
أَوَّلَ
पहली
khalqin
خَلْقٍ
पैदाइश की
nuʿīduhu
نُّعِيدُهُۥۚ
हम एआदा करेंगे उसका
waʿdan
وَعْدًا
वादा है
ʿalaynā
عَلَيْنَآۚ
हमारे ज़िम्मे
innā
إِنَّا
बेशक हम
kunnā
كُنَّا
हैं हम
fāʿilīna
فَٰعِلِينَ
करने वाले
जिस दिन हम आकाश को लपेट लेंगे, जैसे पंजी में पन्ने लपेटे जाते हैं, जिस प्रकाऱ पहले हमने सृष्टि का आरम्भ किया था उसी प्रकार हम उसकी पुनरावृत्ति करेंगे। यह हमारे ज़िम्मे एक वादा है। निश्चय ही हमें यह करना है ([२१] अल-अम्बिया: 104)
Tafseer (तफ़सीर )
१०५

وَلَقَدْ كَتَبْنَا فِى الزَّبُوْرِ مِنْۢ بَعْدِ الذِّكْرِ اَنَّ الْاَرْضَ يَرِثُهَا عِبَادِيَ الصّٰلِحُوْنَ ١٠٥

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
katabnā
كَتَبْنَا
लिख दिया हमने
فِى
ज़बूर में
l-zabūri
ٱلزَّبُورِ
ज़बूर में
min
مِنۢ
बाद ज़िक्र के
baʿdi
بَعْدِ
बाद ज़िक्र के
l-dhik'ri
ٱلذِّكْرِ
बाद ज़िक्र के
anna
أَنَّ
कि बेशक
l-arḍa
ٱلْأَرْضَ
ज़मीन
yarithuhā
يَرِثُهَا
वारिस होंगे उसके
ʿibādiya
عِبَادِىَ
मेरे बन्दे
l-ṣāliḥūna
ٱلصَّٰلِحُونَ
जो नेक हैं
और हम ज़बूर में याददिहानी के पश्चात लिए चुके है कि 'धरती के वारिस मेरे अच्छे बन्दें होंगे।' ([२१] अल-अम्बिया: 105)
Tafseer (तफ़सीर )
१०६

اِنَّ فِيْ هٰذَا لَبَلٰغًا لِّقَوْمٍ عٰبِدِيْنَ ۗ ١٠٦

inna
إِنَّ
बेशक
فِى
उसमें
hādhā
هَٰذَا
उसमें
labalāghan
لَبَلَٰغًا
अलबत्ता एक बड़ी ख़बर है
liqawmin
لِّقَوْمٍ
उस क़ौम के लिए
ʿābidīna
عَٰبِدِينَ
जो इबादत गुज़ार है
इसमें बन्दगी करनेवालों लोगों के लिए एक संदेश है ([२१] अल-अम्बिया: 106)
Tafseer (तफ़सीर )
१०७

وَمَآ اَرْسَلْنٰكَ اِلَّا رَحْمَةً لِّلْعٰلَمِيْنَ ١٠٧

wamā
وَمَآ
और नहीं
arsalnāka
أَرْسَلْنَٰكَ
भेजा हमने आपको
illā
إِلَّا
मगर
raḥmatan
رَحْمَةً
रहमत बना कर
lil'ʿālamīna
لِّلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहान वालों के लिए
हमने तुम्हें सारे संसार के लिए बस एक सर्वथा दयालुता बनाकर भेजा है ([२१] अल-अम्बिया: 107)
Tafseer (तफ़सीर )
१०८

قُلْ اِنَّمَا يُوْحٰٓى اِلَيَّ اَنَّمَآ اِلٰهُكُمْ اِلٰهٌ وَّاحِدٌۚ فَهَلْ اَنْتُمْ مُّسْلِمُوْنَ ١٠٨

qul
قُلْ
कह दीजिए
innamā
إِنَّمَا
कि बेशक
yūḥā
يُوحَىٰٓ
वही की जाती है
ilayya
إِلَىَّ
मेरी तरफ़
annamā
أَنَّمَآ
बेशक
ilāhukum
إِلَٰهُكُمْ
इलाह तुम्हारा
ilāhun
إِلَٰهٌ
इलाह है
wāḥidun
وَٰحِدٌۖ
एक ही
fahal
فَهَلْ
तो क्या
antum
أَنتُم
तुम
mus'limūna
مُّسْلِمُونَ
फ़रमांबरदार हो
कहो, 'मेरे पास को बस यह प्रकाशना की जाती है कि तुम्हारा पूज्य-प्रभु अकेला पूज्य-प्रभु है। फिर क्या तुम आज्ञाकारी होते हो?' ([२१] अल-अम्बिया: 108)
Tafseer (तफ़सीर )
१०९

فَاِنْ تَوَلَّوْا فَقُلْ اٰذَنْتُكُمْ عَلٰى سَوَاۤءٍۗ وَاِنْ اَدْرِيْٓ اَقَرِيْبٌ اَمْ بَعِيْدٌ مَّا تُوْعَدُوْنَ ١٠٩

fa-in
فَإِن
फिर अगर
tawallaw
تَوَلَّوْا۟
वो मुँह मोड़ लें
faqul
فَقُلْ
तो कह दीजिए
ādhantukum
ءَاذَنتُكُمْ
ख़बरदार कर दिया मैं ने तुम्हें
ʿalā
عَلَىٰ
यक्साँ तौर पर
sawāin
سَوَآءٍۖ
यक्साँ तौर पर
wa-in
وَإِنْ
और नहीं
adrī
أَدْرِىٓ
मैं जानता
aqarībun
أَقَرِيبٌ
क्या क़रीब है
am
أَم
या
baʿīdun
بَعِيدٌ
दूर है
مَّا
जो
tūʿadūna
تُوعَدُونَ
तुम वादा दिए जाते हो
फिर यदि वे मुँह फेरें तो कह दो, 'मैंने तुम्हें सामान्य रूप से सावधान कर दिया है। अब मैं यह नहीं जानता कि जिसका तुमसे वादा किया जा रहा है वह निकट है या दूर।' ([२१] अल-अम्बिया: 109)
Tafseer (तफ़सीर )
११०

اِنَّهٗ يَعْلَمُ الْجَهْرَ مِنَ الْقَوْلِ وَيَعْلَمُ مَا تَكْتُمُوْنَ ١١٠

innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
yaʿlamu
يَعْلَمُ
वो जानता है
l-jahra
ٱلْجَهْرَ
ज़ाहिर को
mina
مِنَ
बात में से
l-qawli
ٱلْقَوْلِ
बात में से
wayaʿlamu
وَيَعْلَمُ
और वो जानता है
مَا
उस को जो
taktumūna
تَكْتُمُونَ
तुम छुपाते हो
निश्चय ही वह ऊँची आवाज़ में कही हुई बात को जानता है और उसे भी जानता है जो तुम छिपाते हो ([२१] अल-अम्बिया: 110)
Tafseer (तफ़सीर )