اِنَّ الَّذِيْنَ سَبَقَتْ لَهُمْ مِّنَّا الْحُسْنٰىٓۙ اُولٰۤىِٕكَ عَنْهَا مُبْعَدُوْنَ ۙ ١٠١
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग
- sabaqat
- سَبَقَتْ
- पहले तय हो गई
- lahum
- لَهُم
- उनके लिए
- minnā
- مِّنَّا
- हमारी तरफ़ से
- l-ḥus'nā
- ٱلْحُسْنَىٰٓ
- भलाई
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- ʿanhā
- عَنْهَا
- उससे
- mub'ʿadūna
- مُبْعَدُونَ
- दूर रखे जाने वाले
रहे वे लोग जिनके लिए पहले ही हमारी ओर से अच्छे इनाम का वादा हो चुका है, वे उससे दूर रहेंगे ([२१] अल-अम्बिया: 101)Tafseer (तफ़सीर )
لَا يَسْمَعُوْنَ حَسِيْسَهَاۚ وَهُمْ فِيْ مَا اشْتَهَتْ اَنْفُسُهُمْ خٰلِدُوْنَ ۚ ١٠٢
- lā
- لَا
- नहीं वो सुनेंगे
- yasmaʿūna
- يَسْمَعُونَ
- नहीं वो सुनेंगे
- ḥasīsahā
- حَسِيسَهَاۖ
- उसकी आहट को
- wahum
- وَهُمْ
- और वो
- fī
- فِى
- उसमें जो
- mā
- مَا
- उसमें जो
- ish'tahat
- ٱشْتَهَتْ
- ख़्वाहिश करेंगे
- anfusuhum
- أَنفُسُهُمْ
- नफ़्स उनके
- khālidūna
- خَٰلِدُونَ
- हमेशा रहने वाले हैं
वे उसकी आहट भी नहीं सुनेंगे और अपनी मनचाही चीज़ों के मध्य सदैव रहेंगे ([२१] अल-अम्बिया: 102)Tafseer (तफ़सीर )
لَا يَحْزُنُهُمُ الْفَزَعُ الْاَكْبَرُ وَتَتَلَقّٰىهُمُ الْمَلٰۤىِٕكَةُۗ هٰذَا يَوْمُكُمُ الَّذِيْ كُنْتُمْ تُوْعَدُوْنَ ١٠٣
- lā
- لَا
- ना ग़मगीन करेगी उन्हें
- yaḥzunuhumu
- يَحْزُنُهُمُ
- ना ग़मगीन करेगी उन्हें
- l-fazaʿu
- ٱلْفَزَعُ
- घबराहट
- l-akbaru
- ٱلْأَكْبَرُ
- बड़ी
- watatalaqqāhumu
- وَتَتَلَقَّىٰهُمُ
- और इस्तक़बाल करेंगे उनका
- l-malāikatu
- ٱلْمَلَٰٓئِكَةُ
- फ़रिश्ते
- hādhā
- هَٰذَا
- ये है
- yawmukumu
- يَوْمُكُمُ
- दिन तुम्हारा
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जो
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- tūʿadūna
- تُوعَدُونَ
- तुम वादा दिए जाते
वह सबसे बड़ी घबराहट उन्हें ग़म में न डालेगी। फ़रिश्ते उनका स्वागत करेगें, 'यह तुम्हारा वही दिन है, जिसका तुमसे वादा किया जाता रहा है।' ([२१] अल-अम्बिया: 103)Tafseer (तफ़सीर )
يَوْمَ نَطْوِى السَّمَاۤءَ كَطَيِّ السِّجِلِّ لِلْكُتُبِۗ كَمَا بَدَأْنَآ اَوَّلَ خَلْقٍ نُّعِيْدُهٗۗ وَعْدًا عَلَيْنَاۗ اِنَّا كُنَّا فٰعِلِيْنَ ١٠٤
- yawma
- يَوْمَ
- जिस दिन
- naṭwī
- نَطْوِى
- हम लपेट देंगे
- l-samāa
- ٱلسَّمَآءَ
- आसमान को
- kaṭayyi
- كَطَىِّ
- मानिन्द लपेटना
- l-sijili
- ٱلسِّجِلِّ
- तूमार के (औराक़ को )
- lil'kutubi
- لِلْكُتُبِۚ
- किताबों के लिए
- kamā
- كَمَا
- जैसा कि
- badanā
- بَدَأْنَآ
- इब्तिदा की हमने
- awwala
- أَوَّلَ
- पहली
- khalqin
- خَلْقٍ
- पैदाइश की
- nuʿīduhu
- نُّعِيدُهُۥۚ
- हम एआदा करेंगे उसका
- waʿdan
- وَعْدًا
- वादा है
- ʿalaynā
- عَلَيْنَآۚ
- हमारे ज़िम्मे
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- kunnā
- كُنَّا
- हैं हम
- fāʿilīna
- فَٰعِلِينَ
- करने वाले
जिस दिन हम आकाश को लपेट लेंगे, जैसे पंजी में पन्ने लपेटे जाते हैं, जिस प्रकाऱ पहले हमने सृष्टि का आरम्भ किया था उसी प्रकार हम उसकी पुनरावृत्ति करेंगे। यह हमारे ज़िम्मे एक वादा है। निश्चय ही हमें यह करना है ([२१] अल-अम्बिया: 104)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ كَتَبْنَا فِى الزَّبُوْرِ مِنْۢ بَعْدِ الذِّكْرِ اَنَّ الْاَرْضَ يَرِثُهَا عِبَادِيَ الصّٰلِحُوْنَ ١٠٥
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- katabnā
- كَتَبْنَا
- लिख दिया हमने
- fī
- فِى
- ज़बूर में
- l-zabūri
- ٱلزَّبُورِ
- ज़बूर में
- min
- مِنۢ
- बाद ज़िक्र के
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद ज़िक्र के
- l-dhik'ri
- ٱلذِّكْرِ
- बाद ज़िक्र के
- anna
- أَنَّ
- कि बेशक
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- ज़मीन
- yarithuhā
- يَرِثُهَا
- वारिस होंगे उसके
- ʿibādiya
- عِبَادِىَ
- मेरे बन्दे
- l-ṣāliḥūna
- ٱلصَّٰلِحُونَ
- जो नेक हैं
और हम ज़बूर में याददिहानी के पश्चात लिए चुके है कि 'धरती के वारिस मेरे अच्छे बन्दें होंगे।' ([२१] अल-अम्बिया: 105)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ فِيْ هٰذَا لَبَلٰغًا لِّقَوْمٍ عٰبِدِيْنَ ۗ ١٠٦
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- fī
- فِى
- उसमें
- hādhā
- هَٰذَا
- उसमें
- labalāghan
- لَبَلَٰغًا
- अलबत्ता एक बड़ी ख़बर है
- liqawmin
- لِّقَوْمٍ
- उस क़ौम के लिए
- ʿābidīna
- عَٰبِدِينَ
- जो इबादत गुज़ार है
इसमें बन्दगी करनेवालों लोगों के लिए एक संदेश है ([२१] अल-अम्बिया: 106)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَآ اَرْسَلْنٰكَ اِلَّا رَحْمَةً لِّلْعٰلَمِيْنَ ١٠٧
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- arsalnāka
- أَرْسَلْنَٰكَ
- भेजा हमने आपको
- illā
- إِلَّا
- मगर
- raḥmatan
- رَحْمَةً
- रहमत बना कर
- lil'ʿālamīna
- لِّلْعَٰلَمِينَ
- तमाम जहान वालों के लिए
हमने तुम्हें सारे संसार के लिए बस एक सर्वथा दयालुता बनाकर भेजा है ([२१] अल-अम्बिया: 107)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ اِنَّمَا يُوْحٰٓى اِلَيَّ اَنَّمَآ اِلٰهُكُمْ اِلٰهٌ وَّاحِدٌۚ فَهَلْ اَنْتُمْ مُّسْلِمُوْنَ ١٠٨
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- innamā
- إِنَّمَا
- कि बेशक
- yūḥā
- يُوحَىٰٓ
- वही की जाती है
- ilayya
- إِلَىَّ
- मेरी तरफ़
- annamā
- أَنَّمَآ
- बेशक
- ilāhukum
- إِلَٰهُكُمْ
- इलाह तुम्हारा
- ilāhun
- إِلَٰهٌ
- इलाह है
- wāḥidun
- وَٰحِدٌۖ
- एक ही
- fahal
- فَهَلْ
- तो क्या
- antum
- أَنتُم
- तुम
- mus'limūna
- مُّسْلِمُونَ
- फ़रमांबरदार हो
कहो, 'मेरे पास को बस यह प्रकाशना की जाती है कि तुम्हारा पूज्य-प्रभु अकेला पूज्य-प्रभु है। फिर क्या तुम आज्ञाकारी होते हो?' ([२१] अल-अम्बिया: 108)Tafseer (तफ़सीर )
فَاِنْ تَوَلَّوْا فَقُلْ اٰذَنْتُكُمْ عَلٰى سَوَاۤءٍۗ وَاِنْ اَدْرِيْٓ اَقَرِيْبٌ اَمْ بَعِيْدٌ مَّا تُوْعَدُوْنَ ١٠٩
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- tawallaw
- تَوَلَّوْا۟
- वो मुँह मोड़ लें
- faqul
- فَقُلْ
- तो कह दीजिए
- ādhantukum
- ءَاذَنتُكُمْ
- ख़बरदार कर दिया मैं ने तुम्हें
- ʿalā
- عَلَىٰ
- यक्साँ तौर पर
- sawāin
- سَوَآءٍۖ
- यक्साँ तौर पर
- wa-in
- وَإِنْ
- और नहीं
- adrī
- أَدْرِىٓ
- मैं जानता
- aqarībun
- أَقَرِيبٌ
- क्या क़रीब है
- am
- أَم
- या
- baʿīdun
- بَعِيدٌ
- दूर है
- mā
- مَّا
- जो
- tūʿadūna
- تُوعَدُونَ
- तुम वादा दिए जाते हो
फिर यदि वे मुँह फेरें तो कह दो, 'मैंने तुम्हें सामान्य रूप से सावधान कर दिया है। अब मैं यह नहीं जानता कि जिसका तुमसे वादा किया जा रहा है वह निकट है या दूर।' ([२१] अल-अम्बिया: 109)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّهٗ يَعْلَمُ الْجَهْرَ مِنَ الْقَوْلِ وَيَعْلَمُ مَا تَكْتُمُوْنَ ١١٠
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- वो जानता है
- l-jahra
- ٱلْجَهْرَ
- ज़ाहिर को
- mina
- مِنَ
- बात में से
- l-qawli
- ٱلْقَوْلِ
- बात में से
- wayaʿlamu
- وَيَعْلَمُ
- और वो जानता है
- mā
- مَا
- उस को जो
- taktumūna
- تَكْتُمُونَ
- तुम छुपाते हो
निश्चय ही वह ऊँची आवाज़ में कही हुई बात को जानता है और उसे भी जानता है जो तुम छिपाते हो ([२१] अल-अम्बिया: 110)Tafseer (तफ़सीर )