وَالَّتِيْٓ اَحْصَنَتْ فَرْجَهَا فَنَفَخْنَا فِيْهَا مِنْ رُّوْحِنَا وَجَعَلْنٰهَا وَابْنَهَآ اٰيَةً لِّلْعٰلَمِيْنَ ٩١
- wa-allatī
- وَٱلَّتِىٓ
- और उस औरत को
- aḥṣanat
- أَحْصَنَتْ
- जिसने हिफ़ाज़त की
- farjahā
- فَرْجَهَا
- अपनी शर्मगाह की
- fanafakhnā
- فَنَفَخْنَا
- तो फूँक दिया हमने
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- min
- مِن
- अपनी रूह से
- rūḥinā
- رُّوحِنَا
- अपनी रूह से
- wajaʿalnāhā
- وَجَعَلْنَٰهَا
- और बनाया हमने उसे
- wa-ib'nahā
- وَٱبْنَهَآ
- और उसके बेटे को
- āyatan
- ءَايَةً
- एक निशानी
- lil'ʿālamīna
- لِّلْعَٰلَمِينَ
- तमाम जहान वालों के लिए
और वह नारी जिसने अपने सतीत्व की रक्षा की थी, हमने उसके भीतर अपनी रूह फूँकी और उसे और उसके बेटे को सारे संसार के लिए एक निशानी बना दिया ([२१] अल-अम्बिया: 91)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ هٰذِهٖٓ اُمَّتُكُمْ اُمَّةً وَّاحِدَةًۖ وَّاَنَا۠ رَبُّكُمْ فَاعْبُدُوْنِ ٩٢
- inna
- إِنَّ
- यक़ीनन
- hādhihi
- هَٰذِهِۦٓ
- ये
- ummatukum
- أُمَّتُكُمْ
- उम्मत है तुम्हारी
- ummatan
- أُمَّةً
- उम्मत
- wāḥidatan
- وَٰحِدَةً
- एक ही
- wa-anā
- وَأَنَا۠
- और मैं
- rabbukum
- رَبُّكُمْ
- रब हूँ तुम्हारा
- fa-uʿ'budūni
- فَٱعْبُدُونِ
- पस इबादत करो मेरी
'निश्चय ही यह तुम्हारा समुदाय एक ही समुदाय है और मैं तुम्हारा रब हूँ। अतः तुम मेरी बन्दगी करो।' ([२१] अल-अम्बिया: 92)Tafseer (तफ़सीर )
وَتَقَطَّعُوْٓا اَمْرَهُمْ بَيْنَهُمْۗ كُلٌّ اِلَيْنَا رَاجِعُوْنَ ࣖ ٩٣
- wataqaṭṭaʿū
- وَتَقَطَّعُوٓا۟
- और उन्होंने टुकड़े-टुकड़े कर डाला
- amrahum
- أَمْرَهُم
- अपने काम (दीन ) को
- baynahum
- بَيْنَهُمْۖ
- आपस में
- kullun
- كُلٌّ
- सब के सब
- ilaynā
- إِلَيْنَا
- तरफ़ हमारे
- rājiʿūna
- رَٰجِعُونَ
- लौटने वाले हैं
किन्तु उन्होंने आपस में अपने मामलों को टुकड़े-टुकड़े कर डाला। - प्रत्येक को हमारी ओर पलटना है। - ([२१] अल-अम्बिया: 93)Tafseer (तफ़सीर )
فَمَنْ يَّعْمَلْ مِنَ الصّٰلِحٰتِ وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَلَا كُفْرَانَ لِسَعْيِهٖۚ وَاِنَّا لَهٗ كَاتِبُوْنَ ٩٤
- faman
- فَمَن
- तो जो कोई
- yaʿmal
- يَعْمَلْ
- अमल करेगा
- mina
- مِنَ
- नेकियों में से
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِ
- नेकियों में से
- wahuwa
- وَهُوَ
- जबकि वो
- mu'minun
- مُؤْمِنٌ
- मोमिन हो
- falā
- فَلَا
- तो नहीं
- kuf'rāna
- كُفْرَانَ
- कोई नाक़दरी
- lisaʿyihi
- لِسَعْيِهِۦ
- उसकी कोशिश की
- wa-innā
- وَإِنَّا
- और बेशक हम
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- kātibūna
- كَٰتِبُونَ
- लिखने वाले हैं
फिर जो अच्छे कर्म करेगा, शर्त या कि वह मोमिन हो, तो उसके प्रयास की उपेक्षा न होगी। हम तो उसके लिए उसे लिख रहे है ([२१] अल-अम्बिया: 94)Tafseer (तफ़सीर )
وَحَرَامٌ عَلٰى قَرْيَةٍ اَهْلَكْنٰهَآ اَنَّهُمْ لَا يَرْجِعُوْنَ ٩٥
- waḥarāmun
- وَحَرَٰمٌ
- और लाज़िम है
- ʿalā
- عَلَىٰ
- बस्ती (वालों ) पर
- qaryatin
- قَرْيَةٍ
- बस्ती (वालों ) पर
- ahlaknāhā
- أَهْلَكْنَٰهَآ
- हलाक कर दिया हमने जिसे
- annahum
- أَنَّهُمْ
- कि बेशक वो
- lā
- لَا
- नहीं वो लौटेंगे
- yarjiʿūna
- يَرْجِعُونَ
- नहीं वो लौटेंगे
और किसी बस्ती के लिए असम्भव है जिसे हमने विनष्ट कर दिया कि उसके लोग (क़ियामत के दिन दंड पाने हेतु) न लौटें ([२१] अल-अम्बिया: 95)Tafseer (तफ़सीर )
حَتّٰىٓ اِذَا فُتِحَتْ يَأْجُوْجُ وَمَأْجُوْجُ وَهُمْ مِّنْ كُلِّ حَدَبٍ يَّنْسِلُوْنَ ٩٦
- ḥattā
- حَتَّىٰٓ
- यहाँ तक कि
- idhā
- إِذَا
- जब
- futiḥat
- فُتِحَتْ
- खोले जाऐंगे
- yajūju
- يَأْجُوجُ
- याजूज
- wamajūju
- وَمَأْجُوجُ
- और माजूज
- wahum
- وَهُم
- और वो
- min
- مِّن
- हर बुलन्दी से
- kulli
- كُلِّ
- हर बुलन्दी से
- ḥadabin
- حَدَبٍ
- हर बुलन्दी से
- yansilūna
- يَنسِلُونَ
- वो तेज़ चल पड़ेंगे
यहाँ तक कि वह समय आ जाए जब याजूज और माजूज खोल दिए जाएँगे। और वे हर ऊँची जगह से निकल पड़ेंगे ([२१] अल-अम्बिया: 96)Tafseer (तफ़सीर )
وَاقْتَرَبَ الْوَعْدُ الْحَقُّ فَاِذَا هِيَ شَاخِصَةٌ اَبْصَارُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْاۗ يٰوَيْلَنَا قَدْ كُنَّا فِيْ غَفْلَةٍ مِّنْ هٰذَا بَلْ كُنَّا ظٰلِمِيْنَ ٩٧
- wa-iq'taraba
- وَٱقْتَرَبَ
- और क़रीब आ जाएगा
- l-waʿdu
- ٱلْوَعْدُ
- वादा
- l-ḥaqu
- ٱلْحَقُّ
- सच्चा
- fa-idhā
- فَإِذَا
- तो अचानक
- hiya
- هِىَ
- वो
- shākhiṣatun
- شَٰخِصَةٌ
- खली की खुली रह जाऐंगी
- abṣāru
- أَبْصَٰرُ
- आँखें
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनकी जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- yāwaylanā
- يَٰوَيْلَنَا
- हाय अफ़सोस हम पर
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- kunnā
- كُنَّا
- थे हम
- fī
- فِى
- ग़फ़्लत में
- ghaflatin
- غَفْلَةٍ
- ग़फ़्लत में
- min
- مِّنْ
- इससे
- hādhā
- هَٰذَا
- इससे
- bal
- بَلْ
- बल्कि
- kunnā
- كُنَّا
- थे हम ही
- ẓālimīna
- ظَٰلِمِينَ
- ज़ालिम
और सच्चा वादा निकट आ लगेगा, तो क्या देखेंगे कि उन लोगों की आँखें फटी की फटी रह गई हैं, जिन्होंने इनकार किया था, 'हाय, हमारा दुर्भाग्य! हम इसकी ओर से असावधान रहे, बल्कि हम ही अत्याचारी थे।' ([२१] अल-अम्बिया: 97)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّكُمْ وَمَا تَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ حَصَبُ جَهَنَّمَۗ اَنْتُمْ لَهَا وَارِدُوْنَ ٩٨
- innakum
- إِنَّكُمْ
- बेशक तुम
- wamā
- وَمَا
- और जिनकी
- taʿbudūna
- تَعْبُدُونَ
- तुम इबादत करते हो
- min
- مِن
- सिवाए
- dūni
- دُونِ
- सिवाए
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- ḥaṣabu
- حَصَبُ
- ईंधन होंगे
- jahannama
- جَهَنَّمَ
- जहन्नम का
- antum
- أَنتُمْ
- तुम
- lahā
- لَهَا
- उसी पर
- wāridūna
- وَٰرِدُونَ
- वारिद/दाख़िल होने वाले हो
'निश्चय ही तुम और वह कुछ जिनको तुम अल्लाह को छोड़कर पूजते हो सब जहन्नम के ईधन हो। तुम उसके घाट उतरोगे।' ([२१] अल-अम्बिया: 98)Tafseer (तफ़सीर )
لَوْ كَانَ هٰٓؤُلَاۤءِ اٰلِهَةً مَّا وَرَدُوْهَاۗ وَكُلٌّ فِيْهَا خٰلِدُوْنَ ٩٩
- law
- لَوْ
- अगर
- kāna
- كَانَ
- होते
- hāulāi
- هَٰٓؤُلَآءِ
- ये
- ālihatan
- ءَالِهَةً
- इलाह
- mā
- مَّا
- ना
- waradūhā
- وَرَدُوهَاۖ
- वो वारिद होते उसमें
- wakullun
- وَكُلٌّ
- और सब के सब
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- khālidūna
- خَٰلِدُونَ
- हमेशा रहने वाले हैं
यदि वे पूज्य होते, तो उसमें न उतरते। और वे सब उसमें सदैव रहेंगे भी ([२१] अल-अम्बिया: 99)Tafseer (तफ़सीर )
لَهُمْ فِيْهَا زَفِيْرٌ وَّهُمْ فِيْهَا لَا يَسْمَعُوْنَ ١٠٠
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- zafīrun
- زَفِيرٌ
- चिल्लाना होगा
- wahum
- وَهُمْ
- और वो
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- lā
- لَا
- ना वो सुनेंगे
- yasmaʿūna
- يَسْمَعُونَ
- ना वो सुनेंगे
उनके लिए वहाँ शोर गुल होगा और वे वहाँ कुछ भी नहीं सुन सकेंगे ([२१] अल-अम्बिया: 100)Tafseer (तफ़सीर )