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सूरा अत-तहा - Page: 9

Taha

(ता हा)

८१

كُلُوْا مِنْ طَيِّبٰتِ مَا رَزَقْنٰكُمْۙ وَلَا تَطْغَوْا فِيْهِ فَيَحِلَّ عَلَيْكُمْ غَضَبِيْۚ وَمَنْ يَّحْلِلْ عَلَيْهِ غَضَبِيْ فَقَدْ هَوٰى ٨١

kulū
كُلُوا۟
खाओ
min
مِن
पाकीज़ा चीज़ों में से
ṭayyibāti
طَيِّبَٰتِ
पाकीज़ा चीज़ों में से
مَا
जो
razaqnākum
رَزَقْنَٰكُمْ
रिज़्क़ दिया हमने तुम्हें
walā
وَلَا
और ना
taṭghaw
تَطْغَوْا۟
तुम सरकशी करो
fīhi
فِيهِ
इसमें
fayaḥilla
فَيَحِلَّ
वरना उतरेगा
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
ghaḍabī
غَضَبِىۖ
ग़ज़ब मेरा
waman
وَمَن
और वो जो
yaḥlil
يَحْلِلْ
उतरे
ʿalayhi
عَلَيْهِ
जिस पर
ghaḍabī
غَضَبِى
ग़ज़ब मेरा
faqad
فَقَدْ
तो तहक़ीक़
hawā
هَوَىٰ
वो हलाक हो गया
'खाओ, जो कुछ पाक अच्छी चीज़े हमने तुम्हें प्रदान की है, किन्तु इसमें हद से आगे न बढ़ो कि तुमपर मेरा प्रकोप टूट पड़े और जिस किसी पर मेरा प्रकोप टूटा, वह तो गिरकर ही रहा ([२०] अत-तहा: 81)
Tafseer (तफ़सीर )
८२

وَاِنِّي لَغَفَّارٌ لِّمَنْ تَابَ وَاٰمَنَ وَعَمِلَ صَالِحًا ثُمَّ اهْتَدٰى ٨٢

wa-innī
وَإِنِّى
और बेशक मैं
laghaffārun
لَغَفَّارٌ
अलबत्ता बहुत बख़्शने वाला हूँ
liman
لِّمَن
उसे जिसने
tāba
تَابَ
तौबा की
waāmana
وَءَامَنَ
और वो ईमान लाया
waʿamila
وَعَمِلَ
और उसने अमल किए
ṣāliḥan
صَٰلِحًا
नेक
thumma
ثُمَّ
फिर
ih'tadā
ٱهْتَدَىٰ
वो हिदायत पर रहा
और जो तौबा कर ले और ईमान लाए और अच्छा कर्म करे, फिर सीधे मार्ग पर चलता रहे, उसके लिए निश्चय ही मैं अत्यन्त क्षमाशील हूँ।' - ([२०] अत-तहा: 82)
Tafseer (तफ़सीर )
८३

۞ وَمَآ اَعْجَلَكَ عَنْ قَوْمِكَ يٰمُوْسٰى ٨٣

wamā
وَمَآ
और क्या चीज़
aʿjalaka
أَعْجَلَكَ
जल्दी ले आई तुझे
ʿan
عَن
तेरी क़ौम से
qawmika
قَوْمِكَ
तेरी क़ौम से
yāmūsā
يَٰمُوسَىٰ
ऐ मूसा
'और अपनी क़ौम को छोड़कर तुझे शीघ्र आने पर किस चीज़ ने उभारा, ऐ मूसा?' ([२०] अत-तहा: 83)
Tafseer (तफ़सीर )
८४

قَالَ هُمْ اُولَاۤءِ عَلٰٓى اَثَرِيْ وَعَجِلْتُ اِلَيْكَ رَبِّ لِتَرْضٰى ٨٤

qāla
قَالَ
कहा
hum
هُمْ
वो
ulāi
أُو۟لَآءِ
सब लोग
ʿalā
عَلَىٰٓ
मेरे नक़्शे क़दम पर हैं
atharī
أَثَرِى
मेरे नक़्शे क़दम पर हैं
waʿajil'tu
وَعَجِلْتُ
और जल्दी की मैंने
ilayka
إِلَيْكَ
तरफ़ तेरे
rabbi
رَبِّ
ऐ मेरे रब
litarḍā
لِتَرْضَىٰ
ताकि तू राज़ी हो जाए
उसने कहा, 'वे मेरे पीछे ही और मैं जल्दी बढ़कर आया तेरी ओर, ऐ रब! ताकि तू राज़ी हो जाए।' ([२०] अत-तहा: 84)
Tafseer (तफ़सीर )
८५

قَالَ فَاِنَّا قَدْ فَتَنَّا قَوْمَكَ مِنْۢ بَعْدِكَ وَاَضَلَّهُمُ السَّامِرِيُّ ٨٥

qāla
قَالَ
फ़रमाया
fa-innā
فَإِنَّا
पस बेशक हमने
qad
قَدْ
तहक़ीक़
fatannā
فَتَنَّا
आज़माइश में डाला हमने
qawmaka
قَوْمَكَ
तेरी क़ौम को
min
مِنۢ
तेरे बाद
baʿdika
بَعْدِكَ
तेरे बाद
wa-aḍallahumu
وَأَضَلَّهُمُ
और भटका दिया उन्हें
l-sāmiriyu
ٱلسَّامِرِىُّ
सामरी ने
कहा, 'अच्छा, तो हमने तेरे पीछे तेरी क़ौम के लोगों को आज़माइश में डाल दिया है। और सामरी ने उन्हें पथभ्रष्ट कर डाला।' ([२०] अत-तहा: 85)
Tafseer (तफ़सीर )
८६

فَرَجَعَ مُوْسٰٓى اِلٰى قَوْمِهٖ غَضْبَانَ اَسِفًا ەۚ قَالَ يٰقَوْمِ اَلَمْ يَعِدْكُمْ رَبُّكُمْ وَعْدًا حَسَنًا ەۗ اَفَطَالَ عَلَيْكُمُ الْعَهْدُ اَمْ اَرَدْتُّمْ اَنْ يَّحِلَّ عَلَيْكُمْ غَضَبٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ فَاَخْلَفْتُمْ مَّوْعِدِيْ ٨٦

farajaʿa
فَرَجَعَ
पस पलटा
mūsā
مُوسَىٰٓ
मूसा
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ अपनी कौम के
qawmihi
قَوْمِهِۦ
तरफ़ अपनी कौम के
ghaḍbāna
غَضْبَٰنَ
सख़्त ग़ज़बनाक
asifan
أَسِفًاۚ
ग़मगीन होकर
qāla
قَالَ
कहा
yāqawmi
يَٰقَوْمِ
ऐ मेरी क़ौम
alam
أَلَمْ
क्या नहीं
yaʿid'kum
يَعِدْكُمْ
वादा किया था तुमसे
rabbukum
رَبُّكُمْ
तुम्हारे रब ने
waʿdan
وَعْدًا
वादा
ḥasanan
حَسَنًاۚ
अच्छा
afaṭāla
أَفَطَالَ
क्या फिर तवील हो गई
ʿalaykumu
عَلَيْكُمُ
तुम पर
l-ʿahdu
ٱلْعَهْدُ
वो मुद्दत
am
أَمْ
या
aradttum
أَرَدتُّمْ
चाहा तुमने
an
أَن
कि
yaḥilla
يَحِلَّ
उतरे
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
ghaḍabun
غَضَبٌ
ग़ज़ब
min
مِّن
तुम्हारे रब की तरफ़ से
rabbikum
رَّبِّكُمْ
तुम्हारे रब की तरफ़ से
fa-akhlaftum
فَأَخْلَفْتُم
तो ख़िलाफ़ किया तुमने
mawʿidī
مَّوْعِدِى
मेरे वादे के
तब मूसा अत्यन्त क्रोध और खेद में डूबा हुआ अपनी क़ौम के लोगों की ओर पलटा। कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगों! क्या तुमसे तुम्हारे रब ने अच्छा वादा नहीं किया था? क्या तुमपर लम्बी मुद्दत गुज़र गई या तुमने यही चाहा कि तुमपर तुम्हारे रब का प्रकोप ही टूटे कि तुमने मेरे वादे के विरुद्ध आचरण किया?' ([२०] अत-तहा: 86)
Tafseer (तफ़सीर )
८७

قَالُوْا مَآ اَخْلَفْنَا مَوْعِدَكَ بِمَلْكِنَا وَلٰكِنَّا حُمِّلْنَآ اَوْزَارًا مِّنْ زِيْنَةِ الْقَوْمِ فَقَذَفْنٰهَا فَكَذٰلِكَ اَلْقَى السَّامِرِيُّ ۙ ٨٧

qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
مَآ
नहीं
akhlafnā
أَخْلَفْنَا
ख़िलाफ़ किया हमने
mawʿidaka
مَوْعِدَكَ
तेरे वादे के
bimalkinā
بِمَلْكِنَا
अपने इख़्तियार से
walākinnā
وَلَٰكِنَّا
बल्कि हम
ḥummil'nā
حُمِّلْنَآ
उठवाए गए हम
awzāran
أَوْزَارًا
बोझ
min
مِّن
ज़ेवर में से
zīnati
زِينَةِ
ज़ेवर में से
l-qawmi
ٱلْقَوْمِ
लोगों के
faqadhafnāhā
فَقَذَفْنَٰهَا
तो फेंक दिया हमने उन्हें
fakadhālika
فَكَذَٰلِكَ
फिर इसी तरह
alqā
أَلْقَى
डाल दिया
l-sāmiriyu
ٱلسَّامِرِىُّ
सामरी ने
उन्होंने कहा, 'हमने आपसे किए हुए वादे के विरुद्ध अपने अधिकार से कुछ नहीं किया, बल्कि लोगों के ज़ेवरों के बोझ हम उठाए हुए थे, फिर हमने उनको (आग में) फेंक दिया, सामरी ने इसी तरह प्रेरित किया था।' ([२०] अत-तहा: 87)
Tafseer (तफ़सीर )
८८

فَاَخْرَجَ لَهُمْ عِجْلًا جَسَدًا لَّهٗ خُوَارٌ فَقَالُوْا هٰذَآ اِلٰهُكُمْ وَاِلٰهُ مُوْسٰى ەۙ فَنَسِيَ ۗ ٨٨

fa-akhraja
فَأَخْرَجَ
फिर उसने निकाला
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
ʿij'lan
عِجْلًا
एक बछड़ा
jasadan
جَسَدًا
मुजस्सम
lahu
لَّهُۥ
जिसकी थी
khuwārun
خُوَارٌ
गाय की आवाज़
faqālū
فَقَالُوا۟
तो उन्होंने कहा
hādhā
هَٰذَآ
यही
ilāhukum
إِلَٰهُكُمْ
इलाह है तुम्हारा
wa-ilāhu
وَإِلَٰهُ
और इलाह
mūsā
مُوسَىٰ
मूसा का
fanasiya
فَنَسِىَ
पस वो भूल गया
और उसने उनके लिए एक बछड़ा ढालकर निकाला, एक धड़ जिसकी आवाज़ बैल की थी। फिर उन्होंने कहा, 'यही तुम्हारा इष्ट-पूज्य है और मूसा का भी इष्ट -पूज्य है, किन्तु वह भूल गया है।' ([२०] अत-तहा: 88)
Tafseer (तफ़सीर )
८९

اَفَلَا يَرَوْنَ اَلَّا يَرْجِعُ اِلَيْهِمْ قَوْلًا ەۙ وَّلَا يَمْلِكُ لَهُمْ ضَرًّا وَّلَا نَفْعًا ࣖ ٨٩

afalā
أَفَلَا
क्या फिर नहीं
yarawna
يَرَوْنَ
वो देखते
allā
أَلَّا
कि बेशक नहीं
yarjiʿu
يَرْجِعُ
वो लौटाता
ilayhim
إِلَيْهِمْ
तरफ़ उनके
qawlan
قَوْلًا
बात को
walā
وَلَا
और नहीं
yamliku
يَمْلِكُ
वो इख़्तियार रखता
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
ḍarran
ضَرًّا
किसी नुक़सान का
walā
وَلَا
और ना
nafʿan
نَفْعًا
किसी नफ़ा का
क्या वे देखते न थे कि न वह किसी बात का उत्तर देता है और न उसे उनकी हानि का कुछ अधिकार प्राप्त है और न लाभ का? ([२०] अत-तहा: 89)
Tafseer (तफ़सीर )
९०

وَلَقَدْ قَالَ لَهُمْ هٰرُوْنُ مِنْ قَبْلُ يٰقَوْمِ اِنَّمَا فُتِنْتُمْ بِهٖۚ وَاِنَّ رَبَّكُمُ الرَّحْمٰنُ فَاتَّبِعُوْنِيْ وَاَطِيْعُوْٓا اَمْرِيْ ٩٠

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
qāla
قَالَ
कहा
lahum
لَهُمْ
उन्हें
hārūnu
هَٰرُونُ
हारून ने
min
مِن
इससे पहले
qablu
قَبْلُ
इससे पहले
yāqawmi
يَٰقَوْمِ
ऐ मेरी क़ौम
innamā
إِنَّمَا
बेशक
futintum
فُتِنتُم
आज़माइश में डाले गए तुम
bihi
بِهِۦۖ
इसके ज़रिए
wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
rabbakumu
رَبَّكُمُ
रब तुम्हारा
l-raḥmānu
ٱلرَّحْمَٰنُ
रहमान है
fa-ittabiʿūnī
فَٱتَّبِعُونِى
पस पैरवी करो मेरी
wa-aṭīʿū
وَأَطِيعُوٓا۟
और इताअत करो
amrī
أَمْرِى
मेरे हुक्म की
और हारून इससे पहले उनसे कह भी चुका था कि 'मेरी क़ौम के लोगों! तुम इसके कारण बस फ़ितने में पड़ गए हो। तुम्हारा रब तो रहमान है। अतः तुम मेरा अनुसरण करो और मेरी बात मानो।' ([२०] अत-तहा: 90)
Tafseer (तफ़सीर )