كُلُوْا مِنْ طَيِّبٰتِ مَا رَزَقْنٰكُمْۙ وَلَا تَطْغَوْا فِيْهِ فَيَحِلَّ عَلَيْكُمْ غَضَبِيْۚ وَمَنْ يَّحْلِلْ عَلَيْهِ غَضَبِيْ فَقَدْ هَوٰى ٨١
- kulū
- كُلُوا۟
- खाओ
- min
- مِن
- पाकीज़ा चीज़ों में से
- ṭayyibāti
- طَيِّبَٰتِ
- पाकीज़ा चीज़ों में से
- mā
- مَا
- जो
- razaqnākum
- رَزَقْنَٰكُمْ
- रिज़्क़ दिया हमने तुम्हें
- walā
- وَلَا
- और ना
- taṭghaw
- تَطْغَوْا۟
- तुम सरकशी करो
- fīhi
- فِيهِ
- इसमें
- fayaḥilla
- فَيَحِلَّ
- वरना उतरेगा
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- ghaḍabī
- غَضَبِىۖ
- ग़ज़ब मेरा
- waman
- وَمَن
- और वो जो
- yaḥlil
- يَحْلِلْ
- उतरे
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- जिस पर
- ghaḍabī
- غَضَبِى
- ग़ज़ब मेरा
- faqad
- فَقَدْ
- तो तहक़ीक़
- hawā
- هَوَىٰ
- वो हलाक हो गया
'खाओ, जो कुछ पाक अच्छी चीज़े हमने तुम्हें प्रदान की है, किन्तु इसमें हद से आगे न बढ़ो कि तुमपर मेरा प्रकोप टूट पड़े और जिस किसी पर मेरा प्रकोप टूटा, वह तो गिरकर ही रहा ([२०] अत-तहा: 81)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنِّي لَغَفَّارٌ لِّمَنْ تَابَ وَاٰمَنَ وَعَمِلَ صَالِحًا ثُمَّ اهْتَدٰى ٨٢
- wa-innī
- وَإِنِّى
- और बेशक मैं
- laghaffārun
- لَغَفَّارٌ
- अलबत्ता बहुत बख़्शने वाला हूँ
- liman
- لِّمَن
- उसे जिसने
- tāba
- تَابَ
- तौबा की
- waāmana
- وَءَامَنَ
- और वो ईमान लाया
- waʿamila
- وَعَمِلَ
- और उसने अमल किए
- ṣāliḥan
- صَٰلِحًا
- नेक
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- ih'tadā
- ٱهْتَدَىٰ
- वो हिदायत पर रहा
और जो तौबा कर ले और ईमान लाए और अच्छा कर्म करे, फिर सीधे मार्ग पर चलता रहे, उसके लिए निश्चय ही मैं अत्यन्त क्षमाशील हूँ।' - ([२०] अत-तहा: 82)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَمَآ اَعْجَلَكَ عَنْ قَوْمِكَ يٰمُوْسٰى ٨٣
- wamā
- وَمَآ
- और क्या चीज़
- aʿjalaka
- أَعْجَلَكَ
- जल्दी ले आई तुझे
- ʿan
- عَن
- तेरी क़ौम से
- qawmika
- قَوْمِكَ
- तेरी क़ौम से
- yāmūsā
- يَٰمُوسَىٰ
- ऐ मूसा
'और अपनी क़ौम को छोड़कर तुझे शीघ्र आने पर किस चीज़ ने उभारा, ऐ मूसा?' ([२०] अत-तहा: 83)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ هُمْ اُولَاۤءِ عَلٰٓى اَثَرِيْ وَعَجِلْتُ اِلَيْكَ رَبِّ لِتَرْضٰى ٨٤
- qāla
- قَالَ
- कहा
- hum
- هُمْ
- वो
- ulāi
- أُو۟لَآءِ
- सब लोग
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- मेरे नक़्शे क़दम पर हैं
- atharī
- أَثَرِى
- मेरे नक़्शे क़दम पर हैं
- waʿajil'tu
- وَعَجِلْتُ
- और जल्दी की मैंने
- ilayka
- إِلَيْكَ
- तरफ़ तेरे
- rabbi
- رَبِّ
- ऐ मेरे रब
- litarḍā
- لِتَرْضَىٰ
- ताकि तू राज़ी हो जाए
उसने कहा, 'वे मेरे पीछे ही और मैं जल्दी बढ़कर आया तेरी ओर, ऐ रब! ताकि तू राज़ी हो जाए।' ([२०] अत-तहा: 84)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ فَاِنَّا قَدْ فَتَنَّا قَوْمَكَ مِنْۢ بَعْدِكَ وَاَضَلَّهُمُ السَّامِرِيُّ ٨٥
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- fa-innā
- فَإِنَّا
- पस बेशक हमने
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- fatannā
- فَتَنَّا
- आज़माइश में डाला हमने
- qawmaka
- قَوْمَكَ
- तेरी क़ौम को
- min
- مِنۢ
- तेरे बाद
- baʿdika
- بَعْدِكَ
- तेरे बाद
- wa-aḍallahumu
- وَأَضَلَّهُمُ
- और भटका दिया उन्हें
- l-sāmiriyu
- ٱلسَّامِرِىُّ
- सामरी ने
कहा, 'अच्छा, तो हमने तेरे पीछे तेरी क़ौम के लोगों को आज़माइश में डाल दिया है। और सामरी ने उन्हें पथभ्रष्ट कर डाला।' ([२०] अत-तहा: 85)Tafseer (तफ़सीर )
فَرَجَعَ مُوْسٰٓى اِلٰى قَوْمِهٖ غَضْبَانَ اَسِفًا ەۚ قَالَ يٰقَوْمِ اَلَمْ يَعِدْكُمْ رَبُّكُمْ وَعْدًا حَسَنًا ەۗ اَفَطَالَ عَلَيْكُمُ الْعَهْدُ اَمْ اَرَدْتُّمْ اَنْ يَّحِلَّ عَلَيْكُمْ غَضَبٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ فَاَخْلَفْتُمْ مَّوْعِدِيْ ٨٦
- farajaʿa
- فَرَجَعَ
- पस पलटा
- mūsā
- مُوسَىٰٓ
- मूसा
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ अपनी कौम के
- qawmihi
- قَوْمِهِۦ
- तरफ़ अपनी कौम के
- ghaḍbāna
- غَضْبَٰنَ
- सख़्त ग़ज़बनाक
- asifan
- أَسِفًاۚ
- ग़मगीन होकर
- qāla
- قَالَ
- कहा
- yāqawmi
- يَٰقَوْمِ
- ऐ मेरी क़ौम
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- yaʿid'kum
- يَعِدْكُمْ
- वादा किया था तुमसे
- rabbukum
- رَبُّكُمْ
- तुम्हारे रब ने
- waʿdan
- وَعْدًا
- वादा
- ḥasanan
- حَسَنًاۚ
- अच्छा
- afaṭāla
- أَفَطَالَ
- क्या फिर तवील हो गई
- ʿalaykumu
- عَلَيْكُمُ
- तुम पर
- l-ʿahdu
- ٱلْعَهْدُ
- वो मुद्दत
- am
- أَمْ
- या
- aradttum
- أَرَدتُّمْ
- चाहा तुमने
- an
- أَن
- कि
- yaḥilla
- يَحِلَّ
- उतरे
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- ghaḍabun
- غَضَبٌ
- ग़ज़ब
- min
- مِّن
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- rabbikum
- رَّبِّكُمْ
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- fa-akhlaftum
- فَأَخْلَفْتُم
- तो ख़िलाफ़ किया तुमने
- mawʿidī
- مَّوْعِدِى
- मेरे वादे के
तब मूसा अत्यन्त क्रोध और खेद में डूबा हुआ अपनी क़ौम के लोगों की ओर पलटा। कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगों! क्या तुमसे तुम्हारे रब ने अच्छा वादा नहीं किया था? क्या तुमपर लम्बी मुद्दत गुज़र गई या तुमने यही चाहा कि तुमपर तुम्हारे रब का प्रकोप ही टूटे कि तुमने मेरे वादे के विरुद्ध आचरण किया?' ([२०] अत-तहा: 86)Tafseer (तफ़सीर )
قَالُوْا مَآ اَخْلَفْنَا مَوْعِدَكَ بِمَلْكِنَا وَلٰكِنَّا حُمِّلْنَآ اَوْزَارًا مِّنْ زِيْنَةِ الْقَوْمِ فَقَذَفْنٰهَا فَكَذٰلِكَ اَلْقَى السَّامِرِيُّ ۙ ٨٧
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- mā
- مَآ
- नहीं
- akhlafnā
- أَخْلَفْنَا
- ख़िलाफ़ किया हमने
- mawʿidaka
- مَوْعِدَكَ
- तेरे वादे के
- bimalkinā
- بِمَلْكِنَا
- अपने इख़्तियार से
- walākinnā
- وَلَٰكِنَّا
- बल्कि हम
- ḥummil'nā
- حُمِّلْنَآ
- उठवाए गए हम
- awzāran
- أَوْزَارًا
- बोझ
- min
- مِّن
- ज़ेवर में से
- zīnati
- زِينَةِ
- ज़ेवर में से
- l-qawmi
- ٱلْقَوْمِ
- लोगों के
- faqadhafnāhā
- فَقَذَفْنَٰهَا
- तो फेंक दिया हमने उन्हें
- fakadhālika
- فَكَذَٰلِكَ
- फिर इसी तरह
- alqā
- أَلْقَى
- डाल दिया
- l-sāmiriyu
- ٱلسَّامِرِىُّ
- सामरी ने
उन्होंने कहा, 'हमने आपसे किए हुए वादे के विरुद्ध अपने अधिकार से कुछ नहीं किया, बल्कि लोगों के ज़ेवरों के बोझ हम उठाए हुए थे, फिर हमने उनको (आग में) फेंक दिया, सामरी ने इसी तरह प्रेरित किया था।' ([२०] अत-तहा: 87)Tafseer (तफ़सीर )
فَاَخْرَجَ لَهُمْ عِجْلًا جَسَدًا لَّهٗ خُوَارٌ فَقَالُوْا هٰذَآ اِلٰهُكُمْ وَاِلٰهُ مُوْسٰى ەۙ فَنَسِيَ ۗ ٨٨
- fa-akhraja
- فَأَخْرَجَ
- फिर उसने निकाला
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- ʿij'lan
- عِجْلًا
- एक बछड़ा
- jasadan
- جَسَدًا
- मुजस्सम
- lahu
- لَّهُۥ
- जिसकी थी
- khuwārun
- خُوَارٌ
- गाय की आवाज़
- faqālū
- فَقَالُوا۟
- तो उन्होंने कहा
- hādhā
- هَٰذَآ
- यही
- ilāhukum
- إِلَٰهُكُمْ
- इलाह है तुम्हारा
- wa-ilāhu
- وَإِلَٰهُ
- और इलाह
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा का
- fanasiya
- فَنَسِىَ
- पस वो भूल गया
और उसने उनके लिए एक बछड़ा ढालकर निकाला, एक धड़ जिसकी आवाज़ बैल की थी। फिर उन्होंने कहा, 'यही तुम्हारा इष्ट-पूज्य है और मूसा का भी इष्ट -पूज्य है, किन्तु वह भूल गया है।' ([२०] अत-तहा: 88)Tafseer (तफ़सीर )
اَفَلَا يَرَوْنَ اَلَّا يَرْجِعُ اِلَيْهِمْ قَوْلًا ەۙ وَّلَا يَمْلِكُ لَهُمْ ضَرًّا وَّلَا نَفْعًا ࣖ ٨٩
- afalā
- أَفَلَا
- क्या फिर नहीं
- yarawna
- يَرَوْنَ
- वो देखते
- allā
- أَلَّا
- कि बेशक नहीं
- yarjiʿu
- يَرْجِعُ
- वो लौटाता
- ilayhim
- إِلَيْهِمْ
- तरफ़ उनके
- qawlan
- قَوْلًا
- बात को
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yamliku
- يَمْلِكُ
- वो इख़्तियार रखता
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- ḍarran
- ضَرًّا
- किसी नुक़सान का
- walā
- وَلَا
- और ना
- nafʿan
- نَفْعًا
- किसी नफ़ा का
क्या वे देखते न थे कि न वह किसी बात का उत्तर देता है और न उसे उनकी हानि का कुछ अधिकार प्राप्त है और न लाभ का? ([२०] अत-तहा: 89)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ قَالَ لَهُمْ هٰرُوْنُ مِنْ قَبْلُ يٰقَوْمِ اِنَّمَا فُتِنْتُمْ بِهٖۚ وَاِنَّ رَبَّكُمُ الرَّحْمٰنُ فَاتَّبِعُوْنِيْ وَاَطِيْعُوْٓا اَمْرِيْ ٩٠
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- qāla
- قَالَ
- कहा
- lahum
- لَهُمْ
- उन्हें
- hārūnu
- هَٰرُونُ
- हारून ने
- min
- مِن
- इससे पहले
- qablu
- قَبْلُ
- इससे पहले
- yāqawmi
- يَٰقَوْمِ
- ऐ मेरी क़ौम
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- futintum
- فُتِنتُم
- आज़माइश में डाले गए तुम
- bihi
- بِهِۦۖ
- इसके ज़रिए
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- rabbakumu
- رَبَّكُمُ
- रब तुम्हारा
- l-raḥmānu
- ٱلرَّحْمَٰنُ
- रहमान है
- fa-ittabiʿūnī
- فَٱتَّبِعُونِى
- पस पैरवी करो मेरी
- wa-aṭīʿū
- وَأَطِيعُوٓا۟
- और इताअत करो
- amrī
- أَمْرِى
- मेरे हुक्म की
और हारून इससे पहले उनसे कह भी चुका था कि 'मेरी क़ौम के लोगों! तुम इसके कारण बस फ़ितने में पड़ गए हो। तुम्हारा रब तो रहमान है। अतः तुम मेरा अनुसरण करो और मेरी बात मानो।' ([२०] अत-तहा: 90)Tafseer (तफ़सीर )