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सूरा अत-तहा - Page: 8

Taha

(ता हा)

७१

قَالَ اٰمَنْتُمْ لَهٗ قَبْلَ اَنْ اٰذَنَ لَكُمْۗ اِنَّهٗ لَكَبِيْرُكُمُ الَّذِيْ عَلَّمَكُمُ السِّحْرَۚ فَلَاُقَطِّعَنَّ اَيْدِيَكُمْ وَاَرْجُلَكُمْ مِّنْ خِلَافٍ وَّلَاُصَلِّبَنَّكُمْ فِيْ جُذُوْعِ النَّخْلِۖ وَلَتَعْلَمُنَّ اَيُّنَآ اَشَدُّ عَذَابًا وَّاَبْقٰى ٧١

qāla
قَالَ
कहा (फ़िरऔन) ने
āmantum
ءَامَنتُمْ
ईमान ले आए तुम
lahu
لَهُۥ
इस पर
qabla
قَبْلَ
इससे पहले
an
أَنْ
कि
ādhana
ءَاذَنَ
मैं इजाज़त दूँ
lakum
لَكُمْۖ
तुम्हें
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
lakabīrukumu
لَكَبِيرُكُمُ
अलबत्ता
alladhī
ٱلَّذِى
जिसने
ʿallamakumu
عَلَّمَكُمُ
सिखाया तुम्हें
l-siḥ'ra
ٱلسِّحْرَۖ
जादू
fala-uqaṭṭiʿanna
فَلَأُقَطِّعَنَّ
तो अलबत्ता मैं ज़रूर काट डालूँगा
aydiyakum
أَيْدِيَكُمْ
तुम्हारे हाथों को
wa-arjulakum
وَأَرْجُلَكُم
और तुम्हारे पाँवों को
min
مِّنْ
मुख़ालिफ़ (सिम्त) से
khilāfin
خِلَٰفٍ
मुख़ालिफ़ (सिम्त) से
wala-uṣallibannakum
وَلَأُصَلِّبَنَّكُمْ
और अलबत्ता मैं ज़रूर सूली चढ़ाऊँगा तुम्हें
فِى
तनों पर
judhūʿi
جُذُوعِ
तनों पर
l-nakhli
ٱلنَّخْلِ
खजूर के दरख़्त के
walataʿlamunna
وَلَتَعْلَمُنَّ
और अलबत्ता तुम ज़रूर जान लोगे
ayyunā
أَيُّنَآ
कौन सा हम में से
ashaddu
أَشَدُّ
ज़्यादा सख़्त है
ʿadhāban
عَذَابًا
सज़ा देने में
wa-abqā
وَأَبْقَىٰ
और ज़्यादा बाक़ी रहने वाला
उसने कहा, 'तुमने मान लिया उसको, इससे पहले कि मैं तुम्हें इसकी अनुज्ञा देता? निश्चय ही यह तुम सबका प्रमुख है, जिसने जादू सिखाया है। अच्छा, अब मैं तुम्हारा हाथ और पाँव विपरीत दिशाओं से कटवा दूँगा और खंजूर के तनों पर तुम्हें सूली दे दूँगा। तब तुम्हें अवश्य ही मालूम हो जाएगा कि हममें से किसकी यातना अधिक कठोर और स्थायी है!' ([२०] अत-तहा: 71)
Tafseer (तफ़सीर )
७२

قَالُوْا لَنْ نُّؤْثِرَكَ عَلٰى مَا جَاۤءَنَا مِنَ الْبَيِّنٰتِ وَالَّذِيْ فَطَرَنَا فَاقْضِ مَآ اَنْتَ قَاضٍۗ اِنَّمَا تَقْضِيْ هٰذِهِ الْحَيٰوةَ الدُّنْيَا ۗ ٧٢

qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
lan
لَن
हरगिज़ नहीं
nu'thiraka
نُّؤْثِرَكَ
हम तरजीह देंगे तुझे
ʿalā
عَلَىٰ
उस पर जो
مَا
उस पर जो
jāanā
جَآءَنَا
आ गया हमारे पास
mina
مِنَ
खुली निशानियों में से
l-bayināti
ٱلْبَيِّنَٰتِ
खुली निशानियों में से
wa-alladhī
وَٱلَّذِى
और उस पर जिसने
faṭaranā
فَطَرَنَاۖ
पैदा किया हमें
fa-iq'ḍi
فَٱقْضِ
पस तू फ़ैसला कर दे
مَآ
जो
anta
أَنتَ
तू
qāḍin
قَاضٍۖ
फ़ैसला करने वाला है
innamā
إِنَّمَا
बेशक
taqḍī
تَقْضِى
तू फ़ैसला कर सकता है
hādhihi
هَٰذِهِ
इसी
l-ḥayata
ٱلْحَيَوٰةَ
दुनिया की ज़िन्दगी का
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَآ
दुनिया की ज़िन्दगी का
उन्होंने कहा, 'जो स्पष्ट निशानियाँ हमारे सामने आ चुकी है उनके मुक़ाबले में सौगंध है उस सत्ता की, जिसने हमें पैदा किया है, हम कदापि तुझे प्राथमिकता नहीं दे सकते। तो जो कुछ तू फ़ैसला करनेवाला है, कर ले। तू बस इसी सांसारिक जीवन का फ़ैसला कर सकता है ([२०] अत-तहा: 72)
Tafseer (तफ़सीर )
७३

اِنَّآ اٰمَنَّا بِرَبِّنَا لِيَغْفِرَ لَنَا خَطٰيٰنَا وَمَآ اَكْرَهْتَنَا عَلَيْهِ مِنَ السِّحْرِۗ وَاللّٰهُ خَيْرٌ وَّاَبْقٰى ٧٣

innā
إِنَّآ
बेशक हम
āmannā
ءَامَنَّا
ईमान लाए हम
birabbinā
بِرَبِّنَا
अपने रब पर
liyaghfira
لِيَغْفِرَ
ताकि वो बख़्श दे
lanā
لَنَا
हमारे लिए
khaṭāyānā
خَطَٰيَٰنَا
ख़ताऐं हमारी
wamā
وَمَآ
और उसे जो
akrahtanā
أَكْرَهْتَنَا
मजबूर किया हमें तूने
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर
mina
مِنَ
जादू की वजह से
l-siḥ'ri
ٱلسِّحْرِۗ
जादू की वजह से
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
khayrun
خَيْرٌ
बेहतर है
wa-abqā
وَأَبْقَىٰٓ
और बाक़ी रहने वाला है
हम तो अपने रब पर ईमान ले आए, ताकि वह हमारी खताओं को माफ़ कर दे औऱ इस जादू को भी जिसपर तूने हमें बाध्य किया। अल्लाह की उत्तम और शेष रहनेवाला है।' - ([२०] अत-तहा: 73)
Tafseer (तफ़सीर )
७४

اِنَّهٗ مَنْ يَّأْتِ رَبَّهٗ مُجْرِمًا فَاِنَّ لَهٗ جَهَنَّمَ ۗ لَا يَمُوْتُ فِيْهَا وَلَا يَحْيٰى ٧٤

innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
man
مَن
जो
yati
يَأْتِ
आएगा
rabbahu
رَبَّهُۥ
अपने रब के पास
muj'riman
مُجْرِمًا
मुजरिम होकर
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
jahannama
جَهَنَّمَ
जहन्नम है
لَا
ना वो मरेगा
yamūtu
يَمُوتُ
ना वो मरेगा
fīhā
فِيهَا
उसमें
walā
وَلَا
और ना
yaḥyā
يَحْيَىٰ
वो ज़िन्दा रहेगा
सत्य यह है कि जो कोई अपने रब के पास अपराधी बनकर आया उसके लिए जहन्नम है, जिसमें वह न मरेगा और न जिएगा ([२०] अत-तहा: 74)
Tafseer (तफ़सीर )
७५

وَمَنْ يَّأْتِهٖ مُؤْمِنًا قَدْ عَمِلَ الصّٰلِحٰتِ فَاُولٰۤىِٕكَ لَهُمُ الدَّرَجٰتُ الْعُلٰى ۙ ٧٥

waman
وَمَن
और जो
yatihi
يَأْتِهِۦ
आएगा उसके पास
mu'minan
مُؤْمِنًا
मोमिन होकर
qad
قَدْ
तहक़ीक़
ʿamila
عَمِلَ
उसने अमल किए
l-ṣāliḥāti
ٱلصَّٰلِحَٰتِ
नेक
fa-ulāika
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
तो यही लोग हैं
lahumu
لَهُمُ
उनके लिए
l-darajātu
ٱلدَّرَجَٰتُ
दर्जे हैं
l-ʿulā
ٱلْعُلَىٰ
बुलँद
और जो कोई उसके पास मोमिन होकर आया, जिसने अच्छे कर्म किए होंगे, तो ऐसे लोगों के लिए तो ऊँचे दर्जें है ([२०] अत-तहा: 75)
Tafseer (तफ़सीर )
७६

جَنّٰتُ عَدْنٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِيْنَ فِيْهَا ۗوَذٰلِكَ جَزٰۤؤُا مَنْ تَزَكّٰى ࣖ ٧٦

jannātu
جَنَّٰتُ
बाग़ात
ʿadnin
عَدْنٍ
हमेशगी के
tajrī
تَجْرِى
बहती हैं
min
مِن
उनके नीचे से
taḥtihā
تَحْتِهَا
उनके नीचे से
l-anhāru
ٱلْأَنْهَٰرُ
नहरें
khālidīna
خَٰلِدِينَ
हमेशा रहने वाले हैं
fīhā
فِيهَاۚ
उनमें
wadhālika
وَذَٰلِكَ
और ये
jazāu
جَزَآءُ
बदला है
man
مَن
उसका जो
tazakkā
تَزَكَّىٰ
पाकीज़गी इख़्तियार करे
अदन के बाग़ है, जिनके नीचें नहरें बहती होंगी। उनमें वे सदैव रहेंगे। यह बदला है उसका जिसने स्वयं को विकसित किया-- ([२०] अत-तहा: 76)
Tafseer (तफ़सीर )
७७

وَلَقَدْ اَوْحَيْنَآ اِلٰى مُوْسٰٓى اَنْ اَسْرِ بِعِبَادِيْ فَاضْرِبْ لَهُمْ طَرِيْقًا فِى الْبَحْرِ يَبَسًاۙ لَّا تَخٰفُ دَرَكًا وَّلَا تَخْشٰى ٧٧

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
awḥaynā
أَوْحَيْنَآ
वही की हमने
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ मूसा के
mūsā
مُوسَىٰٓ
तरफ़ मूसा के
an
أَنْ
कि
asri
أَسْرِ
ले चलो रात को
biʿibādī
بِعِبَادِى
मेरे बन्दों को
fa-iḍ'rib
فَٱضْرِبْ
पस बना लो
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
ṭarīqan
طَرِيقًا
एक रास्ता
فِى
समुन्दर में
l-baḥri
ٱلْبَحْرِ
समुन्दर में
yabasan
يَبَسًا
ख़ुश्क
لَّا
ना तुझे ख़ौफ़ होगा
takhāfu
تَخَٰفُ
ना तुझे ख़ौफ़ होगा
darakan
دَرَكًا
पा लेने का
walā
وَلَا
और ना
takhshā
تَخْشَىٰ
तू डरेगा
और हमने मूसा की ओर प्रकाशना की, 'रातों रात मेरे बन्दों को लेकर निकल पड़, और उनके लिए दरिया में सूखा मार्ग निकाल ले। न तो तुझे पीछा किए जाने औऱ न पकड़े जाने का भय हो और न किसी अन्य चीज़ से तुझे डर लगे।' ([२०] अत-तहा: 77)
Tafseer (तफ़सीर )
७८

فَاَتْبَعَهُمْ فِرْعَوْنُ بِجُنُوْدِهٖ فَغَشِيَهُمْ مِّنَ الْيَمِّ مَا غَشِيَهُمْ ۗ ٧٨

fa-atbaʿahum
فَأَتْبَعَهُمْ
तो पीछा किया उनका
fir'ʿawnu
فِرْعَوْنُ
फ़िरऔन ने
bijunūdihi
بِجُنُودِهِۦ
साथ अपने लश्करों के
faghashiyahum
فَغَشِيَهُم
तो ढाँप लिया उन्हें
mina
مِّنَ
समुन्दर से
l-yami
ٱلْيَمِّ
समुन्दर से
مَا
जिसने
ghashiyahum
غَشِيَهُمْ
ढाँप लिया उन्हें
फ़िरऔन ने अपनी सेना के साथ उनका पीछा किया। अन्ततः पानी उनपर छा गया, जैसाकि उसे उनपर छा जाना था ([२०] अत-तहा: 78)
Tafseer (तफ़सीर )
७९

وَاَضَلَّ فِرْعَوْنُ قَوْمَهٗ وَمَا هَدٰى ٧٩

wa-aḍalla
وَأَضَلَّ
और भटका दिया
fir'ʿawnu
فِرْعَوْنُ
फ़िरऔन ने
qawmahu
قَوْمَهُۥ
अपनी क़ौम को
wamā
وَمَا
और ना
hadā
هَدَىٰ
रहनुमाई की
फ़िरऔन ने अपनी क़ौम को पथभ्रष्ट किया और मार्ग न दिखाया ([२०] अत-तहा: 79)
Tafseer (तफ़सीर )
८०

يٰبَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ قَدْ اَنْجَيْنٰكُمْ مِّنْ عَدُوِّكُمْ وَوٰعَدْنٰكُمْ جَانِبَ الطُّوْرِ الْاَيْمَنَ وَنَزَّلْنَا عَلَيْكُمُ الْمَنَّ وَالسَّلْوٰى ٨٠

yābanī
يَٰبَنِىٓ
ऐ बनी इस्राईल
is'rāīla
إِسْرَٰٓءِيلَ
ऐ बनी इस्राईल
qad
قَدْ
तहक़ीक़
anjaynākum
أَنجَيْنَٰكُم
निजात दी हमने तुम्हें
min
مِّنْ
तुम्हारे दुश्मन से
ʿaduwwikum
عَدُوِّكُمْ
तुम्हारे दुश्मन से
wawāʿadnākum
وَوَٰعَدْنَٰكُمْ
और वादा किया हमने तुमसे
jāniba
جَانِبَ
तूर की दाईं जानिब का
l-ṭūri
ٱلطُّورِ
तूर की दाईं जानिब का
l-aymana
ٱلْأَيْمَنَ
तूर की दाईं जानिब का
wanazzalnā
وَنَزَّلْنَا
और उतारा हमने
ʿalaykumu
عَلَيْكُمُ
तुम पर
l-mana
ٱلْمَنَّ
मन्न
wal-salwā
وَٱلسَّلْوَىٰ
और सलवा
ऐ ईसराईल की सन्तान! हमने तुम्हें तुम्हारे शत्रु से छुटकारा दिया और तुमसे तूर के दाहिने छोर का वादा किया और तुमपर मग्न और सलवा उतारा, ([२०] अत-तहा: 80)
Tafseer (तफ़सीर )