قَالَ اٰمَنْتُمْ لَهٗ قَبْلَ اَنْ اٰذَنَ لَكُمْۗ اِنَّهٗ لَكَبِيْرُكُمُ الَّذِيْ عَلَّمَكُمُ السِّحْرَۚ فَلَاُقَطِّعَنَّ اَيْدِيَكُمْ وَاَرْجُلَكُمْ مِّنْ خِلَافٍ وَّلَاُصَلِّبَنَّكُمْ فِيْ جُذُوْعِ النَّخْلِۖ وَلَتَعْلَمُنَّ اَيُّنَآ اَشَدُّ عَذَابًا وَّاَبْقٰى ٧١
- qāla
- قَالَ
- कहा (फ़िरऔन) ने
- āmantum
- ءَامَنتُمْ
- ईमान ले आए तुम
- lahu
- لَهُۥ
- इस पर
- qabla
- قَبْلَ
- इससे पहले
- an
- أَنْ
- कि
- ādhana
- ءَاذَنَ
- मैं इजाज़त दूँ
- lakum
- لَكُمْۖ
- तुम्हें
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- lakabīrukumu
- لَكَبِيرُكُمُ
- अलबत्ता
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जिसने
- ʿallamakumu
- عَلَّمَكُمُ
- सिखाया तुम्हें
- l-siḥ'ra
- ٱلسِّحْرَۖ
- जादू
- fala-uqaṭṭiʿanna
- فَلَأُقَطِّعَنَّ
- तो अलबत्ता मैं ज़रूर काट डालूँगा
- aydiyakum
- أَيْدِيَكُمْ
- तुम्हारे हाथों को
- wa-arjulakum
- وَأَرْجُلَكُم
- और तुम्हारे पाँवों को
- min
- مِّنْ
- मुख़ालिफ़ (सिम्त) से
- khilāfin
- خِلَٰفٍ
- मुख़ालिफ़ (सिम्त) से
- wala-uṣallibannakum
- وَلَأُصَلِّبَنَّكُمْ
- और अलबत्ता मैं ज़रूर सूली चढ़ाऊँगा तुम्हें
- fī
- فِى
- तनों पर
- judhūʿi
- جُذُوعِ
- तनों पर
- l-nakhli
- ٱلنَّخْلِ
- खजूर के दरख़्त के
- walataʿlamunna
- وَلَتَعْلَمُنَّ
- और अलबत्ता तुम ज़रूर जान लोगे
- ayyunā
- أَيُّنَآ
- कौन सा हम में से
- ashaddu
- أَشَدُّ
- ज़्यादा सख़्त है
- ʿadhāban
- عَذَابًا
- सज़ा देने में
- wa-abqā
- وَأَبْقَىٰ
- और ज़्यादा बाक़ी रहने वाला
उसने कहा, 'तुमने मान लिया उसको, इससे पहले कि मैं तुम्हें इसकी अनुज्ञा देता? निश्चय ही यह तुम सबका प्रमुख है, जिसने जादू सिखाया है। अच्छा, अब मैं तुम्हारा हाथ और पाँव विपरीत दिशाओं से कटवा दूँगा और खंजूर के तनों पर तुम्हें सूली दे दूँगा। तब तुम्हें अवश्य ही मालूम हो जाएगा कि हममें से किसकी यातना अधिक कठोर और स्थायी है!' ([२०] अत-तहा: 71)Tafseer (तफ़सीर )
قَالُوْا لَنْ نُّؤْثِرَكَ عَلٰى مَا جَاۤءَنَا مِنَ الْبَيِّنٰتِ وَالَّذِيْ فَطَرَنَا فَاقْضِ مَآ اَنْتَ قَاضٍۗ اِنَّمَا تَقْضِيْ هٰذِهِ الْحَيٰوةَ الدُّنْيَا ۗ ٧٢
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- lan
- لَن
- हरगिज़ नहीं
- nu'thiraka
- نُّؤْثِرَكَ
- हम तरजीह देंगे तुझे
- ʿalā
- عَلَىٰ
- उस पर जो
- mā
- مَا
- उस पर जो
- jāanā
- جَآءَنَا
- आ गया हमारे पास
- mina
- مِنَ
- खुली निशानियों में से
- l-bayināti
- ٱلْبَيِّنَٰتِ
- खुली निशानियों में से
- wa-alladhī
- وَٱلَّذِى
- और उस पर जिसने
- faṭaranā
- فَطَرَنَاۖ
- पैदा किया हमें
- fa-iq'ḍi
- فَٱقْضِ
- पस तू फ़ैसला कर दे
- mā
- مَآ
- जो
- anta
- أَنتَ
- तू
- qāḍin
- قَاضٍۖ
- फ़ैसला करने वाला है
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- taqḍī
- تَقْضِى
- तू फ़ैसला कर सकता है
- hādhihi
- هَٰذِهِ
- इसी
- l-ḥayata
- ٱلْحَيَوٰةَ
- दुनिया की ज़िन्दगी का
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَآ
- दुनिया की ज़िन्दगी का
उन्होंने कहा, 'जो स्पष्ट निशानियाँ हमारे सामने आ चुकी है उनके मुक़ाबले में सौगंध है उस सत्ता की, जिसने हमें पैदा किया है, हम कदापि तुझे प्राथमिकता नहीं दे सकते। तो जो कुछ तू फ़ैसला करनेवाला है, कर ले। तू बस इसी सांसारिक जीवन का फ़ैसला कर सकता है ([२०] अत-तहा: 72)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّآ اٰمَنَّا بِرَبِّنَا لِيَغْفِرَ لَنَا خَطٰيٰنَا وَمَآ اَكْرَهْتَنَا عَلَيْهِ مِنَ السِّحْرِۗ وَاللّٰهُ خَيْرٌ وَّاَبْقٰى ٧٣
- innā
- إِنَّآ
- बेशक हम
- āmannā
- ءَامَنَّا
- ईमान लाए हम
- birabbinā
- بِرَبِّنَا
- अपने रब पर
- liyaghfira
- لِيَغْفِرَ
- ताकि वो बख़्श दे
- lanā
- لَنَا
- हमारे लिए
- khaṭāyānā
- خَطَٰيَٰنَا
- ख़ताऐं हमारी
- wamā
- وَمَآ
- और उसे जो
- akrahtanā
- أَكْرَهْتَنَا
- मजबूर किया हमें तूने
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- mina
- مِنَ
- जादू की वजह से
- l-siḥ'ri
- ٱلسِّحْرِۗ
- जादू की वजह से
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- khayrun
- خَيْرٌ
- बेहतर है
- wa-abqā
- وَأَبْقَىٰٓ
- और बाक़ी रहने वाला है
हम तो अपने रब पर ईमान ले आए, ताकि वह हमारी खताओं को माफ़ कर दे औऱ इस जादू को भी जिसपर तूने हमें बाध्य किया। अल्लाह की उत्तम और शेष रहनेवाला है।' - ([२०] अत-तहा: 73)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّهٗ مَنْ يَّأْتِ رَبَّهٗ مُجْرِمًا فَاِنَّ لَهٗ جَهَنَّمَ ۗ لَا يَمُوْتُ فِيْهَا وَلَا يَحْيٰى ٧٤
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- man
- مَن
- जो
- yati
- يَأْتِ
- आएगा
- rabbahu
- رَبَّهُۥ
- अपने रब के पास
- muj'riman
- مُجْرِمًا
- मुजरिम होकर
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- jahannama
- جَهَنَّمَ
- जहन्नम है
- lā
- لَا
- ना वो मरेगा
- yamūtu
- يَمُوتُ
- ना वो मरेगा
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- walā
- وَلَا
- और ना
- yaḥyā
- يَحْيَىٰ
- वो ज़िन्दा रहेगा
सत्य यह है कि जो कोई अपने रब के पास अपराधी बनकर आया उसके लिए जहन्नम है, जिसमें वह न मरेगा और न जिएगा ([२०] अत-तहा: 74)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَنْ يَّأْتِهٖ مُؤْمِنًا قَدْ عَمِلَ الصّٰلِحٰتِ فَاُولٰۤىِٕكَ لَهُمُ الدَّرَجٰتُ الْعُلٰى ۙ ٧٥
- waman
- وَمَن
- और जो
- yatihi
- يَأْتِهِۦ
- आएगा उसके पास
- mu'minan
- مُؤْمِنًا
- मोमिन होकर
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- ʿamila
- عَمِلَ
- उसने अमल किए
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِ
- नेक
- fa-ulāika
- فَأُو۟لَٰٓئِكَ
- तो यही लोग हैं
- lahumu
- لَهُمُ
- उनके लिए
- l-darajātu
- ٱلدَّرَجَٰتُ
- दर्जे हैं
- l-ʿulā
- ٱلْعُلَىٰ
- बुलँद
और जो कोई उसके पास मोमिन होकर आया, जिसने अच्छे कर्म किए होंगे, तो ऐसे लोगों के लिए तो ऊँचे दर्जें है ([२०] अत-तहा: 75)Tafseer (तफ़सीर )
جَنّٰتُ عَدْنٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِيْنَ فِيْهَا ۗوَذٰلِكَ جَزٰۤؤُا مَنْ تَزَكّٰى ࣖ ٧٦
- jannātu
- جَنَّٰتُ
- बाग़ात
- ʿadnin
- عَدْنٍ
- हमेशगी के
- tajrī
- تَجْرِى
- बहती हैं
- min
- مِن
- उनके नीचे से
- taḥtihā
- تَحْتِهَا
- उनके नीचे से
- l-anhāru
- ٱلْأَنْهَٰرُ
- नहरें
- khālidīna
- خَٰلِدِينَ
- हमेशा रहने वाले हैं
- fīhā
- فِيهَاۚ
- उनमें
- wadhālika
- وَذَٰلِكَ
- और ये
- jazāu
- جَزَآءُ
- बदला है
- man
- مَن
- उसका जो
- tazakkā
- تَزَكَّىٰ
- पाकीज़गी इख़्तियार करे
अदन के बाग़ है, जिनके नीचें नहरें बहती होंगी। उनमें वे सदैव रहेंगे। यह बदला है उसका जिसने स्वयं को विकसित किया-- ([२०] अत-तहा: 76)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ اَوْحَيْنَآ اِلٰى مُوْسٰٓى اَنْ اَسْرِ بِعِبَادِيْ فَاضْرِبْ لَهُمْ طَرِيْقًا فِى الْبَحْرِ يَبَسًاۙ لَّا تَخٰفُ دَرَكًا وَّلَا تَخْشٰى ٧٧
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- awḥaynā
- أَوْحَيْنَآ
- वही की हमने
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ मूसा के
- mūsā
- مُوسَىٰٓ
- तरफ़ मूसा के
- an
- أَنْ
- कि
- asri
- أَسْرِ
- ले चलो रात को
- biʿibādī
- بِعِبَادِى
- मेरे बन्दों को
- fa-iḍ'rib
- فَٱضْرِبْ
- पस बना लो
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- ṭarīqan
- طَرِيقًا
- एक रास्ता
- fī
- فِى
- समुन्दर में
- l-baḥri
- ٱلْبَحْرِ
- समुन्दर में
- yabasan
- يَبَسًا
- ख़ुश्क
- lā
- لَّا
- ना तुझे ख़ौफ़ होगा
- takhāfu
- تَخَٰفُ
- ना तुझे ख़ौफ़ होगा
- darakan
- دَرَكًا
- पा लेने का
- walā
- وَلَا
- और ना
- takhshā
- تَخْشَىٰ
- तू डरेगा
और हमने मूसा की ओर प्रकाशना की, 'रातों रात मेरे बन्दों को लेकर निकल पड़, और उनके लिए दरिया में सूखा मार्ग निकाल ले। न तो तुझे पीछा किए जाने औऱ न पकड़े जाने का भय हो और न किसी अन्य चीज़ से तुझे डर लगे।' ([२०] अत-तहा: 77)Tafseer (तफ़सीर )
فَاَتْبَعَهُمْ فِرْعَوْنُ بِجُنُوْدِهٖ فَغَشِيَهُمْ مِّنَ الْيَمِّ مَا غَشِيَهُمْ ۗ ٧٨
- fa-atbaʿahum
- فَأَتْبَعَهُمْ
- तो पीछा किया उनका
- fir'ʿawnu
- فِرْعَوْنُ
- फ़िरऔन ने
- bijunūdihi
- بِجُنُودِهِۦ
- साथ अपने लश्करों के
- faghashiyahum
- فَغَشِيَهُم
- तो ढाँप लिया उन्हें
- mina
- مِّنَ
- समुन्दर से
- l-yami
- ٱلْيَمِّ
- समुन्दर से
- mā
- مَا
- जिसने
- ghashiyahum
- غَشِيَهُمْ
- ढाँप लिया उन्हें
फ़िरऔन ने अपनी सेना के साथ उनका पीछा किया। अन्ततः पानी उनपर छा गया, जैसाकि उसे उनपर छा जाना था ([२०] अत-तहा: 78)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَضَلَّ فِرْعَوْنُ قَوْمَهٗ وَمَا هَدٰى ٧٩
- wa-aḍalla
- وَأَضَلَّ
- और भटका दिया
- fir'ʿawnu
- فِرْعَوْنُ
- फ़िरऔन ने
- qawmahu
- قَوْمَهُۥ
- अपनी क़ौम को
- wamā
- وَمَا
- और ना
- hadā
- هَدَىٰ
- रहनुमाई की
फ़िरऔन ने अपनी क़ौम को पथभ्रष्ट किया और मार्ग न दिखाया ([२०] अत-तहा: 79)Tafseer (तफ़सीर )
يٰبَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ قَدْ اَنْجَيْنٰكُمْ مِّنْ عَدُوِّكُمْ وَوٰعَدْنٰكُمْ جَانِبَ الطُّوْرِ الْاَيْمَنَ وَنَزَّلْنَا عَلَيْكُمُ الْمَنَّ وَالسَّلْوٰى ٨٠
- yābanī
- يَٰبَنِىٓ
- ऐ बनी इस्राईल
- is'rāīla
- إِسْرَٰٓءِيلَ
- ऐ बनी इस्राईल
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- anjaynākum
- أَنجَيْنَٰكُم
- निजात दी हमने तुम्हें
- min
- مِّنْ
- तुम्हारे दुश्मन से
- ʿaduwwikum
- عَدُوِّكُمْ
- तुम्हारे दुश्मन से
- wawāʿadnākum
- وَوَٰعَدْنَٰكُمْ
- और वादा किया हमने तुमसे
- jāniba
- جَانِبَ
- तूर की दाईं जानिब का
- l-ṭūri
- ٱلطُّورِ
- तूर की दाईं जानिब का
- l-aymana
- ٱلْأَيْمَنَ
- तूर की दाईं जानिब का
- wanazzalnā
- وَنَزَّلْنَا
- और उतारा हमने
- ʿalaykumu
- عَلَيْكُمُ
- तुम पर
- l-mana
- ٱلْمَنَّ
- मन्न
- wal-salwā
- وَٱلسَّلْوَىٰ
- और सलवा
ऐ ईसराईल की सन्तान! हमने तुम्हें तुम्हारे शत्रु से छुटकारा दिया और तुमसे तूर के दाहिने छोर का वादा किया और तुमपर मग्न और सलवा उतारा, ([२०] अत-तहा: 80)Tafseer (तफ़सीर )