Skip to content

सूरा अत-तहा - Page: 6

Taha

(ता हा)

५१

قَالَ فَمَا بَالُ الْقُرُوْنِ الْاُوْلٰى ٥١

qāla
قَالَ
कहा
famā
فَمَا
पस क्या
bālu
بَالُ
हाल है
l-qurūni
ٱلْقُرُونِ
क़ौमों का
l-ūlā
ٱلْأُولَىٰ
पहली
उसने कहा, 'अच्छा तो उन नस्लों का क्या हाल है, जो पहले थी?' ([२०] अत-तहा: 51)
Tafseer (तफ़सीर )
५२

قَالَ عِلْمُهَا عِنْدَ رَبِّيْ فِيْ كِتٰبٍۚ لَا يَضِلُّ رَبِّيْ وَلَا يَنْسَىۖ ٥٢

qāla
قَالَ
कहा
ʿil'muhā
عِلْمُهَا
इल्म उनका
ʿinda
عِندَ
पास है
rabbī
رَبِّى
मेरे रब के
فِى
एक किताब में
kitābin
كِتَٰبٍۖ
एक किताब में
لَّا
नहीं भटकता
yaḍillu
يَضِلُّ
नहीं भटकता
rabbī
رَبِّى
मेरा रब
walā
وَلَا
और ना
yansā
يَنسَى
वो भूलता है
कहा, 'उसका ज्ञान मेरे रब के पास एक किताब में सुरक्षित है। मेरा रब न चूकता है और न भूलता है।' ([२०] अत-तहा: 52)
Tafseer (तफ़सीर )
५३

الَّذِيْ جَعَلَ لَكُمُ الْاَرْضَ مَهْدًا وَّسَلَكَ لَكُمْ فِيْهَا سُبُلًا وَّاَنْزَلَ مِنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءًۗ فَاَخْرَجْنَا بِهٖٓ اَزْوَاجًا مِّنْ نَّبَاتٍ شَتّٰى ٥٣

alladhī
ٱلَّذِى
वो जिसने
jaʿala
جَعَلَ
बनाया
lakumu
لَكُمُ
तुम्हारे लिए
l-arḍa
ٱلْأَرْضَ
ज़मीन को
mahdan
مَهْدًا
बिछौना
wasalaka
وَسَلَكَ
और उसने जारी किया
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
fīhā
فِيهَا
उसमें
subulan
سُبُلًا
रास्तों को
wa-anzala
وَأَنزَلَ
और उसने उतारा
mina
مِنَ
आसमान से
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान से
māan
مَآءً
पानी
fa-akhrajnā
فَأَخْرَجْنَا
फिर निकालीं हमने
bihi
بِهِۦٓ
साथ उसके
azwājan
أَزْوَٰجًا
कई अक़साम
min
مِّن
पोधौं में से
nabātin
نَّبَاتٍ
पोधौं में से
shattā
شَتَّىٰ
मुख़्तलिफ़
'वही है जिसने तुम्हारे लिए धरती को पालना (बिछौना) बनाया और उसने तुम्हारे लिए रास्ते निकाले और आकाश से पानी उतारा। फिर हमने उसके द्वारा विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे निकाले ([२०] अत-तहा: 53)
Tafseer (तफ़सीर )
५४

كُلُوْا وَارْعَوْا اَنْعَامَكُمْ ۗاِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّاُولِى النُّهٰى ࣖ ٥٤

kulū
كُلُوا۟
खाओ
wa-ir'ʿaw
وَٱرْعَوْا۟
और चराओ
anʿāmakum
أَنْعَٰمَكُمْۗ
अपने मवेशियों को
inna
إِنَّ
बेशक
فِى
इसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
इसमें
laāyātin
لَءَايَٰتٍ
अलबत्ता निशानियाँ हैं
li-ulī
لِّأُو۟لِى
अक़्ल वालों के लिए
l-nuhā
ٱلنُّهَىٰ
अक़्ल वालों के लिए
खाओ और अपने चौपायों को भी चराओ! निस्संदेह इसमें बुद्धिमानों के लिए बहुत-सी निशानियाँ है ([२०] अत-तहा: 54)
Tafseer (तफ़सीर )
५५

۞ مِنْهَا خَلَقْنٰكُمْ وَفِيْهَا نُعِيْدُكُمْ وَمِنْهَا نُخْرِجُكُمْ تَارَةً اُخْرٰى ٥٥

min'hā
مِنْهَا
इसी से
khalaqnākum
خَلَقْنَٰكُمْ
पैदा किया हमने तुम्हें
wafīhā
وَفِيهَا
और इसी में
nuʿīdukum
نُعِيدُكُمْ
हम लौटाऐंगे तुम्हें
wamin'hā
وَمِنْهَا
और इसी में से
nukh'rijukum
نُخْرِجُكُمْ
हम निकालेंगे तुम्हें
tāratan
تَارَةً
दूसरी मर्तबा
ukh'rā
أُخْرَىٰ
दूसरी मर्तबा
उसी से हमने तुम्हें पैदा किया और उसी में हम तुम्हें लौटाते है और उसी से तुम्हें दूसरी बार निकालेंगे।' ([२०] अत-तहा: 55)
Tafseer (तफ़सीर )
५६

وَلَقَدْ اَرَيْنٰهُ اٰيٰتِنَا كُلَّهَا فَكَذَّبَ وَاَبٰى ٥٦

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
araynāhu
أَرَيْنَٰهُ
दिखाईं हमने उसे
āyātinā
ءَايَٰتِنَا
निशानियाँ अपनी
kullahā
كُلَّهَا
सारी की सारी
fakadhaba
فَكَذَّبَ
तो उसे झुठला दिया
wa-abā
وَأَبَىٰ
और इन्कार किया
और हमने फ़िरऔन को अपनी सब निशानियाँ दिखाई, किन्तु उसने झुठलाया और इनकार किया।- ([२०] अत-तहा: 56)
Tafseer (तफ़सीर )
५७

قَالَ اَجِئْتَنَا لِتُخْرِجَنَا مِنْ اَرْضِنَا بِسِحْرِكَ يٰمُوْسٰى ٥٧

qāla
قَالَ
उसने कहा
aji'tanā
أَجِئْتَنَا
क्या आया है तू हमारे पास
litukh'rijanā
لِتُخْرِجَنَا
ताकि तू निकाले हमें
min
مِنْ
हमारी ज़मीन से
arḍinā
أَرْضِنَا
हमारी ज़मीन से
bisiḥ'rika
بِسِحْرِكَ
साथ अपने जादू के
yāmūsā
يَٰمُوسَىٰ
ऐ मूसा
उसने कहा, 'ऐ मूसा! क्या तू हमारे पास इसलिए आया है कि अपने जादू से हमको हमारे अपने भूभाग से निकाल दे? ([२०] अत-तहा: 57)
Tafseer (तफ़सीर )
५८

فَلَنَأْتِيَنَّكَ بِسِحْرٍ مِّثْلِهٖ فَاجْعَلْ بَيْنَنَا وَبَيْنَكَ مَوْعِدًا لَّا نُخْلِفُهٗ نَحْنُ وَلَآ اَنْتَ مَكَانًا سُوًى ٥٨

falanatiyannaka
فَلَنَأْتِيَنَّكَ
पस अलबत्ता हम ज़रूर लाऐंगे तेरे पास
bisiḥ'rin
بِسِحْرٍ
जादू
mith'lihi
مِّثْلِهِۦ
ऐसा ही
fa-ij'ʿal
فَٱجْعَلْ
पस मुक़र्रर कर
baynanā
بَيْنَنَا
दर्मियान हमारे
wabaynaka
وَبَيْنَكَ
और दर्मियान अपने
mawʿidan
مَوْعِدًا
वादे का वक़्त
لَّا
नहीं हम ख़िलाफ़ करेंगे उससे
nukh'lifuhu
نُخْلِفُهُۥ
नहीं हम ख़िलाफ़ करेंगे उससे
naḥnu
نَحْنُ
हम
walā
وَلَآ
और ना
anta
أَنتَ
तुम
makānan
مَكَانًا
एक जगह हो
suwan
سُوًى
हमवार
अच्छा, हम भी तेरे पास ऐसा ही जादू लाते है। अब हमारे और अपने बीच एक निश्चित स्थान ठहरा ले, कोई बीच की जगह, न हम इसके विरुद्ध जाएँ और न तू।' ([२०] अत-तहा: 58)
Tafseer (तफ़सीर )
५९

قَالَ مَوْعِدُكُمْ يَوْمُ الزِّيْنَةِ وَاَنْ يُّحْشَرَ النَّاسُ ضُحًى ٥٩

qāla
قَالَ
कहा
mawʿidukum
مَوْعِدُكُمْ
वादे का वक़्त तुम्हारा
yawmu
يَوْمُ
दिन है
l-zīnati
ٱلزِّينَةِ
ज़ीनत (जशन) का
wa-an
وَأَن
और ये कि
yuḥ'shara
يُحْشَرَ
इकट्ठे किए जाऐंगे
l-nāsu
ٱلنَّاسُ
लोग
ḍuḥan
ضُحًى
चाश्त के वक़्त
कहा, 'उत्सव का दिन तुम्हारे वादे का है और यह कि लोग दिन चढ़े इकट्ठे हो जाएँ।' ([२०] अत-तहा: 59)
Tafseer (तफ़सीर )
६०

فَتَوَلّٰى فِرْعَوْنُ فَجَمَعَ كَيْدَهٗ ثُمَّ اَتٰى ٦٠

fatawallā
فَتَوَلَّىٰ
तो पलटा
fir'ʿawnu
فِرْعَوْنُ
फ़िरऔन
fajamaʿa
فَجَمَعَ
फिर उसने जमा की
kaydahu
كَيْدَهُۥ
चाल अपनी
thumma
ثُمَّ
फिर
atā
أَتَىٰ
आ गया
तब फ़िरऔन ने पलटकर अपने सारे हथकंडे जुटाए। और आ गया ([२०] अत-तहा: 60)
Tafseer (तफ़सीर )