قَالَ فَمَا بَالُ الْقُرُوْنِ الْاُوْلٰى ٥١
- qāla
- قَالَ
- कहा
- famā
- فَمَا
- पस क्या
- bālu
- بَالُ
- हाल है
- l-qurūni
- ٱلْقُرُونِ
- क़ौमों का
- l-ūlā
- ٱلْأُولَىٰ
- पहली
उसने कहा, 'अच्छा तो उन नस्लों का क्या हाल है, जो पहले थी?' ([२०] अत-तहा: 51)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ عِلْمُهَا عِنْدَ رَبِّيْ فِيْ كِتٰبٍۚ لَا يَضِلُّ رَبِّيْ وَلَا يَنْسَىۖ ٥٢
- qāla
- قَالَ
- कहा
- ʿil'muhā
- عِلْمُهَا
- इल्म उनका
- ʿinda
- عِندَ
- पास है
- rabbī
- رَبِّى
- मेरे रब के
- fī
- فِى
- एक किताब में
- kitābin
- كِتَٰبٍۖ
- एक किताब में
- lā
- لَّا
- नहीं भटकता
- yaḍillu
- يَضِلُّ
- नहीं भटकता
- rabbī
- رَبِّى
- मेरा रब
- walā
- وَلَا
- और ना
- yansā
- يَنسَى
- वो भूलता है
कहा, 'उसका ज्ञान मेरे रब के पास एक किताब में सुरक्षित है। मेरा रब न चूकता है और न भूलता है।' ([२०] अत-तहा: 52)Tafseer (तफ़सीर )
الَّذِيْ جَعَلَ لَكُمُ الْاَرْضَ مَهْدًا وَّسَلَكَ لَكُمْ فِيْهَا سُبُلًا وَّاَنْزَلَ مِنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءًۗ فَاَخْرَجْنَا بِهٖٓ اَزْوَاجًا مِّنْ نَّبَاتٍ شَتّٰى ٥٣
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जिसने
- jaʿala
- جَعَلَ
- बनाया
- lakumu
- لَكُمُ
- तुम्हारे लिए
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- ज़मीन को
- mahdan
- مَهْدًا
- बिछौना
- wasalaka
- وَسَلَكَ
- और उसने जारी किया
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- subulan
- سُبُلًا
- रास्तों को
- wa-anzala
- وَأَنزَلَ
- और उसने उतारा
- mina
- مِنَ
- आसमान से
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- आसमान से
- māan
- مَآءً
- पानी
- fa-akhrajnā
- فَأَخْرَجْنَا
- फिर निकालीं हमने
- bihi
- بِهِۦٓ
- साथ उसके
- azwājan
- أَزْوَٰجًا
- कई अक़साम
- min
- مِّن
- पोधौं में से
- nabātin
- نَّبَاتٍ
- पोधौं में से
- shattā
- شَتَّىٰ
- मुख़्तलिफ़
'वही है जिसने तुम्हारे लिए धरती को पालना (बिछौना) बनाया और उसने तुम्हारे लिए रास्ते निकाले और आकाश से पानी उतारा। फिर हमने उसके द्वारा विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे निकाले ([२०] अत-तहा: 53)Tafseer (तफ़सीर )
كُلُوْا وَارْعَوْا اَنْعَامَكُمْ ۗاِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّاُولِى النُّهٰى ࣖ ٥٤
- kulū
- كُلُوا۟
- खाओ
- wa-ir'ʿaw
- وَٱرْعَوْا۟
- और चराओ
- anʿāmakum
- أَنْعَٰمَكُمْۗ
- अपने मवेशियों को
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- fī
- فِى
- इसमें
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- इसमें
- laāyātin
- لَءَايَٰتٍ
- अलबत्ता निशानियाँ हैं
- li-ulī
- لِّأُو۟لِى
- अक़्ल वालों के लिए
- l-nuhā
- ٱلنُّهَىٰ
- अक़्ल वालों के लिए
खाओ और अपने चौपायों को भी चराओ! निस्संदेह इसमें बुद्धिमानों के लिए बहुत-सी निशानियाँ है ([२०] अत-तहा: 54)Tafseer (तफ़सीर )
۞ مِنْهَا خَلَقْنٰكُمْ وَفِيْهَا نُعِيْدُكُمْ وَمِنْهَا نُخْرِجُكُمْ تَارَةً اُخْرٰى ٥٥
- min'hā
- مِنْهَا
- इसी से
- khalaqnākum
- خَلَقْنَٰكُمْ
- पैदा किया हमने तुम्हें
- wafīhā
- وَفِيهَا
- और इसी में
- nuʿīdukum
- نُعِيدُكُمْ
- हम लौटाऐंगे तुम्हें
- wamin'hā
- وَمِنْهَا
- और इसी में से
- nukh'rijukum
- نُخْرِجُكُمْ
- हम निकालेंगे तुम्हें
- tāratan
- تَارَةً
- दूसरी मर्तबा
- ukh'rā
- أُخْرَىٰ
- दूसरी मर्तबा
उसी से हमने तुम्हें पैदा किया और उसी में हम तुम्हें लौटाते है और उसी से तुम्हें दूसरी बार निकालेंगे।' ([२०] अत-तहा: 55)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ اَرَيْنٰهُ اٰيٰتِنَا كُلَّهَا فَكَذَّبَ وَاَبٰى ٥٦
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- araynāhu
- أَرَيْنَٰهُ
- दिखाईं हमने उसे
- āyātinā
- ءَايَٰتِنَا
- निशानियाँ अपनी
- kullahā
- كُلَّهَا
- सारी की सारी
- fakadhaba
- فَكَذَّبَ
- तो उसे झुठला दिया
- wa-abā
- وَأَبَىٰ
- और इन्कार किया
और हमने फ़िरऔन को अपनी सब निशानियाँ दिखाई, किन्तु उसने झुठलाया और इनकार किया।- ([२०] अत-तहा: 56)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ اَجِئْتَنَا لِتُخْرِجَنَا مِنْ اَرْضِنَا بِسِحْرِكَ يٰمُوْسٰى ٥٧
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- aji'tanā
- أَجِئْتَنَا
- क्या आया है तू हमारे पास
- litukh'rijanā
- لِتُخْرِجَنَا
- ताकि तू निकाले हमें
- min
- مِنْ
- हमारी ज़मीन से
- arḍinā
- أَرْضِنَا
- हमारी ज़मीन से
- bisiḥ'rika
- بِسِحْرِكَ
- साथ अपने जादू के
- yāmūsā
- يَٰمُوسَىٰ
- ऐ मूसा
उसने कहा, 'ऐ मूसा! क्या तू हमारे पास इसलिए आया है कि अपने जादू से हमको हमारे अपने भूभाग से निकाल दे? ([२०] अत-तहा: 57)Tafseer (तफ़सीर )
فَلَنَأْتِيَنَّكَ بِسِحْرٍ مِّثْلِهٖ فَاجْعَلْ بَيْنَنَا وَبَيْنَكَ مَوْعِدًا لَّا نُخْلِفُهٗ نَحْنُ وَلَآ اَنْتَ مَكَانًا سُوًى ٥٨
- falanatiyannaka
- فَلَنَأْتِيَنَّكَ
- पस अलबत्ता हम ज़रूर लाऐंगे तेरे पास
- bisiḥ'rin
- بِسِحْرٍ
- जादू
- mith'lihi
- مِّثْلِهِۦ
- ऐसा ही
- fa-ij'ʿal
- فَٱجْعَلْ
- पस मुक़र्रर कर
- baynanā
- بَيْنَنَا
- दर्मियान हमारे
- wabaynaka
- وَبَيْنَكَ
- और दर्मियान अपने
- mawʿidan
- مَوْعِدًا
- वादे का वक़्त
- lā
- لَّا
- नहीं हम ख़िलाफ़ करेंगे उससे
- nukh'lifuhu
- نُخْلِفُهُۥ
- नहीं हम ख़िलाफ़ करेंगे उससे
- naḥnu
- نَحْنُ
- हम
- walā
- وَلَآ
- और ना
- anta
- أَنتَ
- तुम
- makānan
- مَكَانًا
- एक जगह हो
- suwan
- سُوًى
- हमवार
अच्छा, हम भी तेरे पास ऐसा ही जादू लाते है। अब हमारे और अपने बीच एक निश्चित स्थान ठहरा ले, कोई बीच की जगह, न हम इसके विरुद्ध जाएँ और न तू।' ([२०] अत-तहा: 58)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ مَوْعِدُكُمْ يَوْمُ الزِّيْنَةِ وَاَنْ يُّحْشَرَ النَّاسُ ضُحًى ٥٩
- qāla
- قَالَ
- कहा
- mawʿidukum
- مَوْعِدُكُمْ
- वादे का वक़्त तुम्हारा
- yawmu
- يَوْمُ
- दिन है
- l-zīnati
- ٱلزِّينَةِ
- ज़ीनत (जशन) का
- wa-an
- وَأَن
- और ये कि
- yuḥ'shara
- يُحْشَرَ
- इकट्ठे किए जाऐंगे
- l-nāsu
- ٱلنَّاسُ
- लोग
- ḍuḥan
- ضُحًى
- चाश्त के वक़्त
कहा, 'उत्सव का दिन तुम्हारे वादे का है और यह कि लोग दिन चढ़े इकट्ठे हो जाएँ।' ([२०] अत-तहा: 59)Tafseer (तफ़सीर )
فَتَوَلّٰى فِرْعَوْنُ فَجَمَعَ كَيْدَهٗ ثُمَّ اَتٰى ٦٠
- fatawallā
- فَتَوَلَّىٰ
- तो पलटा
- fir'ʿawnu
- فِرْعَوْنُ
- फ़िरऔन
- fajamaʿa
- فَجَمَعَ
- फिर उसने जमा की
- kaydahu
- كَيْدَهُۥ
- चाल अपनी
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- atā
- أَتَىٰ
- आ गया
तब फ़िरऔन ने पलटकर अपने सारे हथकंडे जुटाए। और आ गया ([२०] अत-तहा: 60)Tafseer (तफ़सीर )