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सूरा अत-तहा - Page: 4

Taha

(ता हा)

३१

اشْدُدْ بِهٖٓ اَزْرِيْ ۙ ٣١

ush'dud
ٱشْدُدْ
मज़बूत कर दे
bihi
بِهِۦٓ
साथ इसके
azrī
أَزْرِى
क़ुव्वत/कमर मेरी
उसके द्वारा मेरी कमर मज़बूत कर ([२०] अत-तहा: 31)
Tafseer (तफ़सीर )
३२

وَاَشْرِكْهُ فِيْٓ اَمْرِيْ ۙ ٣٢

wa-ashrik'hu
وَأَشْرِكْهُ
और शरीक कर दे इसे
فِىٓ
मेरे काम में
amrī
أَمْرِى
मेरे काम में
और उसे मेरे काम में शरीक कर दें, ([२०] अत-तहा: 32)
Tafseer (तफ़सीर )
३३

كَيْ نُسَبِّحَكَ كَثِيْرًا ۙ ٣٣

kay
كَىْ
ताकि
nusabbiḥaka
نُسَبِّحَكَ
हम तस्बीह करें तेरी
kathīran
كَثِيرًا
कसरत से
कि हम अधिक से अधिक तेरी तसबीह करें ([२०] अत-तहा: 33)
Tafseer (तफ़सीर )
३४

وَّنَذْكُرَكَ كَثِيْرًا ۗ ٣٤

wanadhkuraka
وَنَذْكُرَكَ
और हम याद करें तुझे
kathīran
كَثِيرًا
कसरत से
और तुझे ख़ूब याद करें ([२०] अत-तहा: 34)
Tafseer (तफ़सीर )
३५

اِنَّكَ كُنْتَ بِنَا بَصِيْرًا ٣٥

innaka
إِنَّكَ
बेशक तू
kunta
كُنتَ
तू ही है
binā
بِنَا
हमें
baṣīran
بَصِيرًا
ख़ूब देखने वाला
निश्चय ही तू हमें खूब देख रहा है।' ([२०] अत-तहा: 35)
Tafseer (तफ़सीर )
३६

قَالَ قَدْ اُوْتِيْتَ سُؤْلَكَ يٰمُوْسٰى ٣٦

qāla
قَالَ
फ़रमाया
qad
قَدْ
तहक़ीक़
ūtīta
أُوتِيتَ
तू दे दिया गया
su'laka
سُؤْلَكَ
सवाल अपना
yāmūsā
يَٰمُوسَىٰ
ऐ मूसा
कहा, 'दिया गया तुझे जो तूने माँगा, ऐ मूसा! ([२०] अत-तहा: 36)
Tafseer (तफ़सीर )
३७

وَلَقَدْ مَنَنَّا عَلَيْكَ مَرَّةً اُخْرٰىٓ ۙ ٣٧

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
manannā
مَنَنَّا
एहसान किया था हमने
ʿalayka
عَلَيْكَ
तुझ पर
marratan
مَرَّةً
एक बार
ukh'rā
أُخْرَىٰٓ
और भी
हम तो तुझपर एक बार और भी उपकार कर चुके है ([२०] अत-तहा: 37)
Tafseer (तफ़सीर )
३८

اِذْ اَوْحَيْنَآ اِلٰٓى اُمِّكَ مَا يُوْحٰىٓ ۙ ٣٨

idh
إِذْ
जब
awḥaynā
أَوْحَيْنَآ
वही (इल्हाम) की हमने
ilā
إِلَىٰٓ
तरफ़ तेरी माँ के
ummika
أُمِّكَ
तरफ़ तेरी माँ के
مَا
जो
yūḥā
يُوحَىٰٓ
वही (इल्हाम) की जाती है
जब हमने तेरी माँ के दिल में यह बात डाली थी, जो अब प्रकाशना की जा रही है, ([२०] अत-तहा: 38)
Tafseer (तफ़सीर )
३९

اَنِ اقْذِفِيْهِ فِى التَّابُوْتِ فَاقْذِفِيْهِ فِى الْيَمِّ فَلْيُلْقِهِ الْيَمُّ بِالسَّاحِلِ يَأْخُذْهُ عَدُوٌّ لِّيْ وَعَدُوٌّ لَّهٗ ۗوَاَلْقَيْتُ عَلَيْكَ مَحَبَّةً مِّنِّيْ ەۚ وَلِتُصْنَعَ عَلٰى عَيْنِيْ ۘ ٣٩

ani
أَنِ
कि
iq'dhifīhi
ٱقْذِفِيهِ
डाल दे इसे
فِى
ताबूत में
l-tābūti
ٱلتَّابُوتِ
ताबूत में
fa-iq'dhifīhi
فَٱقْذِفِيهِ
फिर डाल दे उसे
فِى
दरिया में
l-yami
ٱلْيَمِّ
दरिया में
falyul'qihi
فَلْيُلْقِهِ
फिर ज़रूर डाल देगा उसे
l-yamu
ٱلْيَمُّ
दरिया
bil-sāḥili
بِٱلسَّاحِلِ
साहिल पर
yakhudh'hu
يَأْخُذْهُ
पकड़ लेगा उसे
ʿaduwwun
عَدُوٌّ
दुश्मन
لِّى
मेरा
waʿaduwwun
وَعَدُوٌّ
और दुश्मन
lahu
لَّهُۥۚ
उसका
wa-alqaytu
وَأَلْقَيْتُ
और डाल दी मैंने
ʿalayka
عَلَيْكَ
तुझ पर
maḥabbatan
مَحَبَّةً
मोहब्बत
minnī
مِّنِّى
अपनी तरफ़ से
walituṣ'naʿa
وَلِتُصْنَعَ
और ताकि तू परवरिश किया जाए
ʿalā
عَلَىٰ
मेरी आँखों के सामने
ʿaynī
عَيْنِىٓ
मेरी आँखों के सामने
कि उसको सन्दूक में रख दे; फिर उसे दरिया में डाल दे; फिर दरिया उसे तट पर डाल दे कि उसे मेरा शत्रु और उसका शत्रु उठा ले। मैंने अपनी ओर से तुझपर अपना प्रेम डाला। (ताकि तू सुरक्षित रहे) और ताकि मेरी आँख के सामने तेरा पालन-पोषण हो ([२०] अत-तहा: 39)
Tafseer (तफ़सीर )
४०

اِذْ تَمْشِيْٓ اُخْتُكَ فَتَقُوْلُ هَلْ اَدُلُّكُمْ عَلٰى مَنْ يَّكْفُلُهٗ ۗفَرَجَعْنٰكَ اِلٰٓى اُمِّكَ كَيْ تَقَرَّ عَيْنُهَا وَلَا تَحْزَنَ ەۗ وَقَتَلْتَ نَفْسًا فَنَجَّيْنٰكَ مِنَ الْغَمِّ وَفَتَنّٰكَ فُتُوْنًا ەۗ فَلَبِثْتَ سِنِيْنَ فِيْٓ اَهْلِ مَدْيَنَ ەۙ ثُمَّ جِئْتَ عَلٰى قَدَرٍ يّٰمُوْسٰى ٤٠

idh
إِذْ
जब
tamshī
تَمْشِىٓ
चलती थी
ukh'tuka
أُخْتُكَ
बहन तेरी
fataqūlu
فَتَقُولُ
फिर वो कहती थी
hal
هَلْ
क्या
adullukum
أَدُلُّكُمْ
मैं रहनुमाई करुँ तुम्हारी
ʿalā
عَلَىٰ
उस पर जो
man
مَن
उस पर जो
yakfuluhu
يَكْفُلُهُۥۖ
किफ़ालत करेगा इसकी
farajaʿnāka
فَرَجَعْنَٰكَ
तो लौटा दिया हमने तुझे
ilā
إِلَىٰٓ
तरफ़ तेरी माँ के
ummika
أُمِّكَ
तरफ़ तेरी माँ के
kay
كَىْ
ताकि ठन्डी हो
taqarra
تَقَرَّ
ताकि ठन्डी हो
ʿaynuhā
عَيْنُهَا
आँख उसकी
walā
وَلَا
और ना
taḥzana
تَحْزَنَۚ
वो ग़म करे
waqatalta
وَقَتَلْتَ
और क़त्ल किया था तूने
nafsan
نَفْسًا
एक जान को
fanajjaynāka
فَنَجَّيْنَٰكَ
तो निजात दी हमने तुझे
mina
مِنَ
ग़म से
l-ghami
ٱلْغَمِّ
ग़म से
wafatannāka
وَفَتَنَّٰكَ
और आज़माया था हमने तुझे
futūnan
فُتُونًاۚ
ख़ूब आज़माना
falabith'ta
فَلَبِثْتَ
फिर ठहरा रहा तू
sinīna
سِنِينَ
कई साल
فِىٓ
अहले मदयन में
ahli
أَهْلِ
अहले मदयन में
madyana
مَدْيَنَ
अहले मदयन में
thumma
ثُمَّ
फिर
ji'ta
جِئْتَ
आ गया तू
ʿalā
عَلَىٰ
मुकर्रर अंदाज़े पर
qadarin
قَدَرٍ
मुकर्रर अंदाज़े पर
yāmūsā
يَٰمُوسَىٰ
ऐ मूसा
याद कर जबकि तेरी बहन जाती और कहती थी, क्या मैं तुम्हें उसका पता बता दूँ जो इसका पालन-पोषण अपने ज़िम्मे ले ले? इस प्रकार हमने फिर तुझे तेरी माँ के पास पहुँचा दिया, ताकि उसकी आँख ठंड़ी हो और वह शोकाकुल न हो। और हमने तुझे भली-भाँति परखा। फिर तू कई वर्ष मदयन के लोगों में ठहरा रहा। फिर ऐ मूसा! तू ख़ास समय पर आ गया है ([२०] अत-तहा: 40)
Tafseer (तफ़सीर )