اشْدُدْ بِهٖٓ اَزْرِيْ ۙ ٣١
- ush'dud
- ٱشْدُدْ
- मज़बूत कर दे
- bihi
- بِهِۦٓ
- साथ इसके
- azrī
- أَزْرِى
- क़ुव्वत/कमर मेरी
उसके द्वारा मेरी कमर मज़बूत कर ([२०] अत-तहा: 31)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَشْرِكْهُ فِيْٓ اَمْرِيْ ۙ ٣٢
- wa-ashrik'hu
- وَأَشْرِكْهُ
- और शरीक कर दे इसे
- fī
- فِىٓ
- मेरे काम में
- amrī
- أَمْرِى
- मेरे काम में
और उसे मेरे काम में शरीक कर दें, ([२०] अत-तहा: 32)Tafseer (तफ़सीर )
كَيْ نُسَبِّحَكَ كَثِيْرًا ۙ ٣٣
- kay
- كَىْ
- ताकि
- nusabbiḥaka
- نُسَبِّحَكَ
- हम तस्बीह करें तेरी
- kathīran
- كَثِيرًا
- कसरत से
कि हम अधिक से अधिक तेरी तसबीह करें ([२०] अत-तहा: 33)Tafseer (तफ़सीर )
وَّنَذْكُرَكَ كَثِيْرًا ۗ ٣٤
- wanadhkuraka
- وَنَذْكُرَكَ
- और हम याद करें तुझे
- kathīran
- كَثِيرًا
- कसरत से
और तुझे ख़ूब याद करें ([२०] अत-तहा: 34)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّكَ كُنْتَ بِنَا بَصِيْرًا ٣٥
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक तू
- kunta
- كُنتَ
- तू ही है
- binā
- بِنَا
- हमें
- baṣīran
- بَصِيرًا
- ख़ूब देखने वाला
निश्चय ही तू हमें खूब देख रहा है।' ([२०] अत-तहा: 35)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ قَدْ اُوْتِيْتَ سُؤْلَكَ يٰمُوْسٰى ٣٦
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- ūtīta
- أُوتِيتَ
- तू दे दिया गया
- su'laka
- سُؤْلَكَ
- सवाल अपना
- yāmūsā
- يَٰمُوسَىٰ
- ऐ मूसा
कहा, 'दिया गया तुझे जो तूने माँगा, ऐ मूसा! ([२०] अत-तहा: 36)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ مَنَنَّا عَلَيْكَ مَرَّةً اُخْرٰىٓ ۙ ٣٧
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- manannā
- مَنَنَّا
- एहसान किया था हमने
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- तुझ पर
- marratan
- مَرَّةً
- एक बार
- ukh'rā
- أُخْرَىٰٓ
- और भी
हम तो तुझपर एक बार और भी उपकार कर चुके है ([२०] अत-तहा: 37)Tafseer (तफ़सीर )
اِذْ اَوْحَيْنَآ اِلٰٓى اُمِّكَ مَا يُوْحٰىٓ ۙ ٣٨
- idh
- إِذْ
- जब
- awḥaynā
- أَوْحَيْنَآ
- वही (इल्हाम) की हमने
- ilā
- إِلَىٰٓ
- तरफ़ तेरी माँ के
- ummika
- أُمِّكَ
- तरफ़ तेरी माँ के
- mā
- مَا
- जो
- yūḥā
- يُوحَىٰٓ
- वही (इल्हाम) की जाती है
जब हमने तेरी माँ के दिल में यह बात डाली थी, जो अब प्रकाशना की जा रही है, ([२०] अत-तहा: 38)Tafseer (तफ़सीर )
اَنِ اقْذِفِيْهِ فِى التَّابُوْتِ فَاقْذِفِيْهِ فِى الْيَمِّ فَلْيُلْقِهِ الْيَمُّ بِالسَّاحِلِ يَأْخُذْهُ عَدُوٌّ لِّيْ وَعَدُوٌّ لَّهٗ ۗوَاَلْقَيْتُ عَلَيْكَ مَحَبَّةً مِّنِّيْ ەۚ وَلِتُصْنَعَ عَلٰى عَيْنِيْ ۘ ٣٩
- ani
- أَنِ
- कि
- iq'dhifīhi
- ٱقْذِفِيهِ
- डाल दे इसे
- fī
- فِى
- ताबूत में
- l-tābūti
- ٱلتَّابُوتِ
- ताबूत में
- fa-iq'dhifīhi
- فَٱقْذِفِيهِ
- फिर डाल दे उसे
- fī
- فِى
- दरिया में
- l-yami
- ٱلْيَمِّ
- दरिया में
- falyul'qihi
- فَلْيُلْقِهِ
- फिर ज़रूर डाल देगा उसे
- l-yamu
- ٱلْيَمُّ
- दरिया
- bil-sāḥili
- بِٱلسَّاحِلِ
- साहिल पर
- yakhudh'hu
- يَأْخُذْهُ
- पकड़ लेगा उसे
- ʿaduwwun
- عَدُوٌّ
- दुश्मन
- lī
- لِّى
- मेरा
- waʿaduwwun
- وَعَدُوٌّ
- और दुश्मन
- lahu
- لَّهُۥۚ
- उसका
- wa-alqaytu
- وَأَلْقَيْتُ
- और डाल दी मैंने
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- तुझ पर
- maḥabbatan
- مَحَبَّةً
- मोहब्बत
- minnī
- مِّنِّى
- अपनी तरफ़ से
- walituṣ'naʿa
- وَلِتُصْنَعَ
- और ताकि तू परवरिश किया जाए
- ʿalā
- عَلَىٰ
- मेरी आँखों के सामने
- ʿaynī
- عَيْنِىٓ
- मेरी आँखों के सामने
कि उसको सन्दूक में रख दे; फिर उसे दरिया में डाल दे; फिर दरिया उसे तट पर डाल दे कि उसे मेरा शत्रु और उसका शत्रु उठा ले। मैंने अपनी ओर से तुझपर अपना प्रेम डाला। (ताकि तू सुरक्षित रहे) और ताकि मेरी आँख के सामने तेरा पालन-पोषण हो ([२०] अत-तहा: 39)Tafseer (तफ़सीर )
اِذْ تَمْشِيْٓ اُخْتُكَ فَتَقُوْلُ هَلْ اَدُلُّكُمْ عَلٰى مَنْ يَّكْفُلُهٗ ۗفَرَجَعْنٰكَ اِلٰٓى اُمِّكَ كَيْ تَقَرَّ عَيْنُهَا وَلَا تَحْزَنَ ەۗ وَقَتَلْتَ نَفْسًا فَنَجَّيْنٰكَ مِنَ الْغَمِّ وَفَتَنّٰكَ فُتُوْنًا ەۗ فَلَبِثْتَ سِنِيْنَ فِيْٓ اَهْلِ مَدْيَنَ ەۙ ثُمَّ جِئْتَ عَلٰى قَدَرٍ يّٰمُوْسٰى ٤٠
- idh
- إِذْ
- जब
- tamshī
- تَمْشِىٓ
- चलती थी
- ukh'tuka
- أُخْتُكَ
- बहन तेरी
- fataqūlu
- فَتَقُولُ
- फिर वो कहती थी
- hal
- هَلْ
- क्या
- adullukum
- أَدُلُّكُمْ
- मैं रहनुमाई करुँ तुम्हारी
- ʿalā
- عَلَىٰ
- उस पर जो
- man
- مَن
- उस पर जो
- yakfuluhu
- يَكْفُلُهُۥۖ
- किफ़ालत करेगा इसकी
- farajaʿnāka
- فَرَجَعْنَٰكَ
- तो लौटा दिया हमने तुझे
- ilā
- إِلَىٰٓ
- तरफ़ तेरी माँ के
- ummika
- أُمِّكَ
- तरफ़ तेरी माँ के
- kay
- كَىْ
- ताकि ठन्डी हो
- taqarra
- تَقَرَّ
- ताकि ठन्डी हो
- ʿaynuhā
- عَيْنُهَا
- आँख उसकी
- walā
- وَلَا
- और ना
- taḥzana
- تَحْزَنَۚ
- वो ग़म करे
- waqatalta
- وَقَتَلْتَ
- और क़त्ल किया था तूने
- nafsan
- نَفْسًا
- एक जान को
- fanajjaynāka
- فَنَجَّيْنَٰكَ
- तो निजात दी हमने तुझे
- mina
- مِنَ
- ग़म से
- l-ghami
- ٱلْغَمِّ
- ग़म से
- wafatannāka
- وَفَتَنَّٰكَ
- और आज़माया था हमने तुझे
- futūnan
- فُتُونًاۚ
- ख़ूब आज़माना
- falabith'ta
- فَلَبِثْتَ
- फिर ठहरा रहा तू
- sinīna
- سِنِينَ
- कई साल
- fī
- فِىٓ
- अहले मदयन में
- ahli
- أَهْلِ
- अहले मदयन में
- madyana
- مَدْيَنَ
- अहले मदयन में
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- ji'ta
- جِئْتَ
- आ गया तू
- ʿalā
- عَلَىٰ
- मुकर्रर अंदाज़े पर
- qadarin
- قَدَرٍ
- मुकर्रर अंदाज़े पर
- yāmūsā
- يَٰمُوسَىٰ
- ऐ मूसा
याद कर जबकि तेरी बहन जाती और कहती थी, क्या मैं तुम्हें उसका पता बता दूँ जो इसका पालन-पोषण अपने ज़िम्मे ले ले? इस प्रकार हमने फिर तुझे तेरी माँ के पास पहुँचा दिया, ताकि उसकी आँख ठंड़ी हो और वह शोकाकुल न हो। और हमने तुझे भली-भाँति परखा। फिर तू कई वर्ष मदयन के लोगों में ठहरा रहा। फिर ऐ मूसा! तू ख़ास समय पर आ गया है ([२०] अत-तहा: 40)Tafseer (तफ़सीर )