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सूरा अत-तहा - Page: 2

Taha

(ता हा)

११

فَلَمَّآ اَتٰىهَا نُوْدِيَ يٰمُوْسٰٓى ۙ ١١

falammā
فَلَمَّآ
फिर जब
atāhā
أَتَىٰهَا
वो आया उसके पास
nūdiya
نُودِىَ
पुकारा गया
yāmūsā
يَٰمُوسَىٰٓ
ऐ मूसा
फिर जब वह वहाँ पहुँचा तो पुकारा गया, 'ऐ मूसा! ([२०] अत-तहा: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

اِنِّيْٓ اَنَا۠ رَبُّكَ فَاخْلَعْ نَعْلَيْكَۚ اِنَّكَ بِالْوَادِ الْمُقَدَّسِ طُوًى ۗ ١٢

innī
إِنِّىٓ
बेशक मैं
anā
أَنَا۠
मैं ही
rabbuka
رَبُّكَ
रब हूँ तुम्हारा
fa-ikh'laʿ
فَٱخْلَعْ
पस उतार दो
naʿlayka
نَعْلَيْكَۖ
अपने दोनों जूते
innaka
إِنَّكَ
बेशक तुम
bil-wādi
بِٱلْوَادِ
वादी में हो
l-muqadasi
ٱلْمُقَدَّسِ
मुक़द्दस
ṭuwan
طُوًى
तुवा की
मैं ही तेरा रब हूँ। अपने जूते उतार दे। तू पवित्र घाटी 'तुवा' में है ([२०] अत-तहा: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

وَاَنَا اخْتَرْتُكَ فَاسْتَمِعْ لِمَا يُوْحٰى ١٣

wa-anā
وَأَنَا
और मैं
ikh'tartuka
ٱخْتَرْتُكَ
चुन लिया मैंने तुझे
fa-is'tamiʿ
فَٱسْتَمِعْ
पस ग़ौर से सुनो
limā
لِمَا
उसे जो
yūḥā
يُوحَىٰٓ
वही की जाती है
मैंने तुझे चुन लिया है। अतः सुन, जो कुछ प्रकाशना की जाती है ([२०] अत-तहा: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

اِنَّنِيْٓ اَنَا اللّٰهُ لَآ اِلٰهَ اِلَّآ اَنَا۠ فَاعْبُدْنِيْۙ وَاَقِمِ الصَّلٰوةَ لِذِكْرِيْ ١٤

innanī
إِنَّنِىٓ
बेशक मैं
anā
أَنَا
मैं ही
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह हूँ
لَآ
नहीं
ilāha
إِلَٰهَ
कोई इलाह (बरहक़)
illā
إِلَّآ
मगर
anā
أَنَا۠
मैं ही
fa-uʿ'bud'nī
فَٱعْبُدْنِى
पस इबादत करो मेरी
wa-aqimi
وَأَقِمِ
और क़ायम करो
l-ṣalata
ٱلصَّلَوٰةَ
नमाज़
lidhik'rī
لِذِكْرِىٓ
मेरी याद के लिए
निस्संदेह मैं ही अल्लाह हूँ। मेरे सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं। अतः तू मेरी बन्दगी कर और मेरी याद के लिए नमाज़ क़ायम कर ([२०] अत-तहा: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

اِنَّ السَّاعَةَ اٰتِيَةٌ اَكَادُ اُخْفِيْهَا لِتُجْزٰى كُلُّ نَفْسٍۢ بِمَا تَسْعٰى ١٥

inna
إِنَّ
बेशक
l-sāʿata
ٱلسَّاعَةَ
क़यामत
ātiyatun
ءَاتِيَةٌ
आने वाली है
akādu
أَكَادُ
क़रीब है कि मैं
ukh'fīhā
أُخْفِيهَا
मैं ख़ुफ़िया रखूँगा उसे
lituj'zā
لِتُجْزَىٰ
ताकि बदला दिया जाए
kullu
كُلُّ
हर नफ़्स
nafsin
نَفْسٍۭ
हर नफ़्स
bimā
بِمَا
उसका जो
tasʿā
تَسْعَىٰ
उसने कोशिश की
निश्चय ही वह (क़ियामत की) घड़ी आनेवाली है - शीघ्र ही उसे लाऊँगा, उसे छिपाए रखता हूँ - ताकि प्रत्येक व्यक्ति जो प्रयास वह करता है, उसका बदला पाए ([२०] अत-तहा: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

فَلَا يَصُدَّنَّكَ عَنْهَا مَنْ لَّا يُؤْمِنُ بِهَا وَاتَّبَعَ هَوٰىهُ فَتَرْدٰى ١٦

falā
فَلَا
पस ना
yaṣuddannaka
يَصُدَّنَّكَ
हरगिज़ रोके तुझे
ʿanhā
عَنْهَا
उससे
man
مَن
वो जो
لَّا
नहीं वो ईमान रखता
yu'minu
يُؤْمِنُ
नहीं वो ईमान रखता
bihā
بِهَا
उस पर
wa-ittabaʿa
وَٱتَّبَعَ
और वो पैरवी करता है
hawāhu
هَوَىٰهُ
अपनी ख़्वाहिशे नफ़्स की
fatardā
فَتَرْدَىٰ
वरना तू हलाक हो जाएगा
अतः जो कोई उसपर ईमान नहीं लाता और अपनी वासना के पीछे पड़ा है, वह तुझे उससे रोक न दे, अन्यथा तू विनष्ट हो जाएगा ([२०] अत-तहा: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

وَمَا تِلْكَ بِيَمِيْنِكَ يٰمُوْسٰى ١٧

wamā
وَمَا
और क्या है
til'ka
تِلْكَ
ये
biyamīnika
بِيَمِينِكَ
तेरे दाऐं हाथ में
yāmūsā
يَٰمُوسَىٰ
ऐ मूसा
और ऐ मूसा! यह तेरे दाहिने हाथ में क्या है?' ([२०] अत-तहा: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

قَالَ هِيَ عَصَايَۚ اَتَوَكَّؤُا عَلَيْهَا وَاَهُشُّ بِهَا عَلٰى غَنَمِيْ وَلِيَ فِيْهَا مَاٰرِبُ اُخْرٰى ١٨

qāla
قَالَ
कहा
hiya
هِىَ
ये
ʿaṣāya
عَصَاىَ
मेरी लाठी/असा है
atawakka-u
أَتَوَكَّؤُا۟
मैं सहारा लेता हूँ
ʿalayhā
عَلَيْهَا
इस पर
wa-ahushu
وَأَهُشُّ
और मैं पत्ते झाड़ता हूँ
bihā
بِهَا
साथ इसके
ʿalā
عَلَىٰ
अपनी बकरियों पर
ghanamī
غَنَمِى
अपनी बकरियों पर
waliya
وَلِىَ
और मेरे लिए
fīhā
فِيهَا
इसमें
maāribu
مَـَٔارِبُ
फ़ायदे हैं
ukh'rā
أُخْرَىٰ
कुछ दूसरे
उसने कहा, 'यह मेरी लाठी है। मैं इसपर टेक लगाता हूँ और इससे अपनी बकरियों के लिए पत्ते झाड़ता हूँ और इससे मेरी दूसरी ज़रूरतें भी पूरी होती है।' ([२०] अत-तहा: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

قَالَ اَلْقِهَا يٰمُوْسٰى ١٩

qāla
قَالَ
फ़रमाया
alqihā
أَلْقِهَا
डाल दो इसे
yāmūsā
يَٰمُوسَىٰ
ऐ मूसा
कहा, 'डाल दे उसे, ऐ मूसा!' ([२०] अत-तहा: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

فَاَلْقٰىهَا فَاِذَا هِيَ حَيَّةٌ تَسْعٰى ٢٠

fa-alqāhā
فَأَلْقَىٰهَا
तो उसने डाल दिया उसे
fa-idhā
فَإِذَا
तो अचानक
hiya
هِىَ
वो
ḥayyatun
حَيَّةٌ
साँप था
tasʿā
تَسْعَىٰ
दौड़ता हुआ
अतः उसने डाल दिया। सहसा क्या देखते है कि वह एक साँप है, जो दौड़ रहा है ([२०] अत-तहा: 20)
Tafseer (तफ़सीर )