११
فَلَمَّآ اَتٰىهَا نُوْدِيَ يٰمُوْسٰٓى ۙ ١١
- falammā
- فَلَمَّآ
- फिर जब
- atāhā
- أَتَىٰهَا
- वो आया उसके पास
- nūdiya
- نُودِىَ
- पुकारा गया
- yāmūsā
- يَٰمُوسَىٰٓ
- ऐ मूसा
फिर जब वह वहाँ पहुँचा तो पुकारा गया, 'ऐ मूसा! ([२०] अत-तहा: 11)Tafseer (तफ़सीर )
१२
اِنِّيْٓ اَنَا۠ رَبُّكَ فَاخْلَعْ نَعْلَيْكَۚ اِنَّكَ بِالْوَادِ الْمُقَدَّسِ طُوًى ۗ ١٢
- innī
- إِنِّىٓ
- बेशक मैं
- anā
- أَنَا۠
- मैं ही
- rabbuka
- رَبُّكَ
- रब हूँ तुम्हारा
- fa-ikh'laʿ
- فَٱخْلَعْ
- पस उतार दो
- naʿlayka
- نَعْلَيْكَۖ
- अपने दोनों जूते
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक तुम
- bil-wādi
- بِٱلْوَادِ
- वादी में हो
- l-muqadasi
- ٱلْمُقَدَّسِ
- मुक़द्दस
- ṭuwan
- طُوًى
- तुवा की
मैं ही तेरा रब हूँ। अपने जूते उतार दे। तू पवित्र घाटी 'तुवा' में है ([२०] अत-तहा: 12)Tafseer (तफ़सीर )
१३
وَاَنَا اخْتَرْتُكَ فَاسْتَمِعْ لِمَا يُوْحٰى ١٣
- wa-anā
- وَأَنَا
- और मैं
- ikh'tartuka
- ٱخْتَرْتُكَ
- चुन लिया मैंने तुझे
- fa-is'tamiʿ
- فَٱسْتَمِعْ
- पस ग़ौर से सुनो
- limā
- لِمَا
- उसे जो
- yūḥā
- يُوحَىٰٓ
- वही की जाती है
मैंने तुझे चुन लिया है। अतः सुन, जो कुछ प्रकाशना की जाती है ([२०] अत-तहा: 13)Tafseer (तफ़सीर )
१४
اِنَّنِيْٓ اَنَا اللّٰهُ لَآ اِلٰهَ اِلَّآ اَنَا۠ فَاعْبُدْنِيْۙ وَاَقِمِ الصَّلٰوةَ لِذِكْرِيْ ١٤
- innanī
- إِنَّنِىٓ
- बेशक मैं
- anā
- أَنَا
- मैं ही
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह हूँ
- lā
- لَآ
- नहीं
- ilāha
- إِلَٰهَ
- कोई इलाह (बरहक़)
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- anā
- أَنَا۠
- मैं ही
- fa-uʿ'bud'nī
- فَٱعْبُدْنِى
- पस इबादत करो मेरी
- wa-aqimi
- وَأَقِمِ
- और क़ायम करो
- l-ṣalata
- ٱلصَّلَوٰةَ
- नमाज़
- lidhik'rī
- لِذِكْرِىٓ
- मेरी याद के लिए
निस्संदेह मैं ही अल्लाह हूँ। मेरे सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं। अतः तू मेरी बन्दगी कर और मेरी याद के लिए नमाज़ क़ायम कर ([२०] अत-तहा: 14)Tafseer (तफ़सीर )
१५
اِنَّ السَّاعَةَ اٰتِيَةٌ اَكَادُ اُخْفِيْهَا لِتُجْزٰى كُلُّ نَفْسٍۢ بِمَا تَسْعٰى ١٥
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-sāʿata
- ٱلسَّاعَةَ
- क़यामत
- ātiyatun
- ءَاتِيَةٌ
- आने वाली है
- akādu
- أَكَادُ
- क़रीब है कि मैं
- ukh'fīhā
- أُخْفِيهَا
- मैं ख़ुफ़िया रखूँगा उसे
- lituj'zā
- لِتُجْزَىٰ
- ताकि बदला दिया जाए
- kullu
- كُلُّ
- हर नफ़्स
- nafsin
- نَفْسٍۭ
- हर नफ़्स
- bimā
- بِمَا
- उसका जो
- tasʿā
- تَسْعَىٰ
- उसने कोशिश की
निश्चय ही वह (क़ियामत की) घड़ी आनेवाली है - शीघ्र ही उसे लाऊँगा, उसे छिपाए रखता हूँ - ताकि प्रत्येक व्यक्ति जो प्रयास वह करता है, उसका बदला पाए ([२०] अत-तहा: 15)Tafseer (तफ़सीर )
१६
فَلَا يَصُدَّنَّكَ عَنْهَا مَنْ لَّا يُؤْمِنُ بِهَا وَاتَّبَعَ هَوٰىهُ فَتَرْدٰى ١٦
- falā
- فَلَا
- पस ना
- yaṣuddannaka
- يَصُدَّنَّكَ
- हरगिज़ रोके तुझे
- ʿanhā
- عَنْهَا
- उससे
- man
- مَن
- वो जो
- lā
- لَّا
- नहीं वो ईमान रखता
- yu'minu
- يُؤْمِنُ
- नहीं वो ईमान रखता
- bihā
- بِهَا
- उस पर
- wa-ittabaʿa
- وَٱتَّبَعَ
- और वो पैरवी करता है
- hawāhu
- هَوَىٰهُ
- अपनी ख़्वाहिशे नफ़्स की
- fatardā
- فَتَرْدَىٰ
- वरना तू हलाक हो जाएगा
अतः जो कोई उसपर ईमान नहीं लाता और अपनी वासना के पीछे पड़ा है, वह तुझे उससे रोक न दे, अन्यथा तू विनष्ट हो जाएगा ([२०] अत-तहा: 16)Tafseer (तफ़सीर )
१७
وَمَا تِلْكَ بِيَمِيْنِكَ يٰمُوْسٰى ١٧
- wamā
- وَمَا
- और क्या है
- til'ka
- تِلْكَ
- ये
- biyamīnika
- بِيَمِينِكَ
- तेरे दाऐं हाथ में
- yāmūsā
- يَٰمُوسَىٰ
- ऐ मूसा
और ऐ मूसा! यह तेरे दाहिने हाथ में क्या है?' ([२०] अत-तहा: 17)Tafseer (तफ़सीर )
१८
قَالَ هِيَ عَصَايَۚ اَتَوَكَّؤُا عَلَيْهَا وَاَهُشُّ بِهَا عَلٰى غَنَمِيْ وَلِيَ فِيْهَا مَاٰرِبُ اُخْرٰى ١٨
- qāla
- قَالَ
- कहा
- hiya
- هِىَ
- ये
- ʿaṣāya
- عَصَاىَ
- मेरी लाठी/असा है
- atawakka-u
- أَتَوَكَّؤُا۟
- मैं सहारा लेता हूँ
- ʿalayhā
- عَلَيْهَا
- इस पर
- wa-ahushu
- وَأَهُشُّ
- और मैं पत्ते झाड़ता हूँ
- bihā
- بِهَا
- साथ इसके
- ʿalā
- عَلَىٰ
- अपनी बकरियों पर
- ghanamī
- غَنَمِى
- अपनी बकरियों पर
- waliya
- وَلِىَ
- और मेरे लिए
- fīhā
- فِيهَا
- इसमें
- maāribu
- مَـَٔارِبُ
- फ़ायदे हैं
- ukh'rā
- أُخْرَىٰ
- कुछ दूसरे
उसने कहा, 'यह मेरी लाठी है। मैं इसपर टेक लगाता हूँ और इससे अपनी बकरियों के लिए पत्ते झाड़ता हूँ और इससे मेरी दूसरी ज़रूरतें भी पूरी होती है।' ([२०] अत-तहा: 18)Tafseer (तफ़सीर )
१९
قَالَ اَلْقِهَا يٰمُوْسٰى ١٩
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- alqihā
- أَلْقِهَا
- डाल दो इसे
- yāmūsā
- يَٰمُوسَىٰ
- ऐ मूसा
कहा, 'डाल दे उसे, ऐ मूसा!' ([२०] अत-तहा: 19)Tafseer (तफ़सीर )
२०
فَاَلْقٰىهَا فَاِذَا هِيَ حَيَّةٌ تَسْعٰى ٢٠
- fa-alqāhā
- فَأَلْقَىٰهَا
- तो उसने डाल दिया उसे
- fa-idhā
- فَإِذَا
- तो अचानक
- hiya
- هِىَ
- वो
- ḥayyatun
- حَيَّةٌ
- साँप था
- tasʿā
- تَسْعَىٰ
- दौड़ता हुआ
अतः उसने डाल दिया। सहसा क्या देखते है कि वह एक साँप है, जो दौड़ रहा है ([२०] अत-तहा: 20)Tafseer (तफ़सीर )