१३१
وَلَا تَمُدَّنَّ عَيْنَيْكَ اِلٰى مَا مَتَّعْنَا بِهٖٓ اَزْوَاجًا مِّنْهُمْ زَهْرَةَ الْحَيٰوةِ الدُّنْيَا ەۙ لِنَفْتِنَهُمْ فِيْهِ ۗوَرِزْقُ رَبِّكَ خَيْرٌ وَّاَبْقٰى ١٣١
- walā
- وَلَا
- और ना
- tamuddanna
- تَمُدَّنَّ
- हरगिज़ आप दराज़ करें
- ʿaynayka
- عَيْنَيْكَ
- अपनी दोनों आँखें
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ उसके जो
- mā
- مَا
- तरफ़ उसके जो
- mattaʿnā
- مَتَّعْنَا
- फ़ायदा दिया हमने
- bihi
- بِهِۦٓ
- साथ इसके
- azwājan
- أَزْوَٰجًا
- मुख़्तलिफ़ लोगों को
- min'hum
- مِّنْهُمْ
- उनमें से
- zahrata
- زَهْرَةَ
- रौनक़ के लिए
- l-ḥayati
- ٱلْحَيَوٰةِ
- दुनिया की ज़िन्दगी की
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया की ज़िन्दगी की
- linaftinahum
- لِنَفْتِنَهُمْ
- ताकि हम आज़माऐं उन्हें
- fīhi
- فِيهِۚ
- उसमें
- wariz'qu
- وَرِزْقُ
- और रिज़्क़
- rabbika
- رَبِّكَ
- आपके रब का
- khayrun
- خَيْرٌ
- बेहतर है
- wa-abqā
- وَأَبْقَىٰ
- और ज़्यादा बाक़ी रहने वाला
और उसकी ओर आँख उठाकर न देखो, जो कुछ हमने उनमें से विभिन्न लोगों को उपभोग के लिए दे रखा है, ताकि हम उसके द्वारा उन्हें आज़माएँ। वह तो बस सांसारिक जीवन की शोभा है। तुम्हारे रब की रोज़ी उत्तम भी है और स्थायी भी ([२०] अत-तहा: 131)Tafseer (तफ़सीर )
१३२
وَأْمُرْ اَهْلَكَ بِالصَّلٰوةِ وَاصْطَبِرْ عَلَيْهَاۗ لَا نَسْـَٔلُكَ رِزْقًاۗ نَحْنُ نَرْزُقُكَۗ وَالْعَاقِبَةُ لِلتَّقْوٰى ١٣٢
- wamur
- وَأْمُرْ
- और हुक्म दीजिए
- ahlaka
- أَهْلَكَ
- अपने घर वालों को
- bil-ṣalati
- بِٱلصَّلَوٰةِ
- नमाज़ का
- wa-iṣ'ṭabir
- وَٱصْطَبِرْ
- और क़ायम रहिए
- ʿalayhā
- عَلَيْهَاۖ
- इस पर
- lā
- لَا
- नहीं हम सवाल करते आपसे
- nasaluka
- نَسْـَٔلُكَ
- नहीं हम सवाल करते आपसे
- riz'qan
- رِزْقًاۖ
- किसी रिज़्क़ का
- naḥnu
- نَّحْنُ
- हम
- narzuquka
- نَرْزُقُكَۗ
- हम रिज़्क़ देते है आप को
- wal-ʿāqibatu
- وَٱلْعَٰقِبَةُ
- और (अच्छा) अंजाम
- lilttaqwā
- لِلتَّقْوَىٰ
- तक़वा वालों के लिए है
और अपने लोगों को नमाज़ का आदेश करो और स्वयं भी उसपर जमे रहो। हम तुमसे कोई रोज़ी नहीं माँगते। रोज़ी हम ही तुम्हें देते है, और अच्छा परिणाम तो धर्मपरायणता ही के लिए निश्चित है ([२०] अत-तहा: 132)Tafseer (तफ़सीर )
१३३
وَقَالُوْا لَوْلَا يَأْتِيْنَا بِاٰيَةٍ مِّنْ رَّبِّهٖۗ اَوَلَمْ تَأْتِهِمْ بَيِّنَةُ مَا فِى الصُّحُفِ الْاُولٰى ١٣٣
- waqālū
- وَقَالُوا۟
- और वो कहते हैं
- lawlā
- لَوْلَا
- क्यों नहीं
- yatīnā
- يَأْتِينَا
- वो लाता हमारे पास
- biāyatin
- بِـَٔايَةٍ
- कोई निशानी
- min
- مِّن
- अपने रब की तरफ़ से
- rabbihi
- رَّبِّهِۦٓۚ
- अपने रब की तरफ़ से
- awalam
- أَوَلَمْ
- क्या भला नहीं
- tatihim
- تَأْتِهِم
- आई उनके पास
- bayyinatu
- بَيِّنَةُ
- वाज़ेह दलील
- mā
- مَا
- जो
- fī
- فِى
- सहीफ़ों में है
- l-ṣuḥufi
- ٱلصُّحُفِ
- सहीफ़ों में है
- l-ūlā
- ٱلْأُولَىٰ
- पहले
और वे कहते है कि 'यह अपने रब की ओर से हमारे पास कोई निशानी क्यों नहीं लाता?' क्या उनके पास उसका स्पष्ट प्रमाण नहीं आ गया, जो कुछ कि पहले की पुस्तकों में उल्लिखित है? ([२०] अत-तहा: 133)Tafseer (तफ़सीर )
१३४
وَلَوْ اَنَّآ اَهْلَكْنٰهُمْ بِعَذَابٍ مِّنْ قَبْلِهٖ لَقَالُوْا رَبَّنَا لَوْلَآ اَرْسَلْتَ اِلَيْنَا رَسُوْلًا فَنَتَّبِعَ اٰيٰتِكَ مِنْ قَبْلِ اَنْ نَّذِلَّ وَنَخْزٰى ١٣٤
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- annā
- أَنَّآ
- बेशक हम
- ahlaknāhum
- أَهْلَكْنَٰهُم
- हलाक कर देते हम उन्हें
- biʿadhābin
- بِعَذَابٍ
- साथ किसी अज़ाब के
- min
- مِّن
- इससे पहले
- qablihi
- قَبْلِهِۦ
- इससे पहले
- laqālū
- لَقَالُوا۟
- अलबत्ता वो कहते
- rabbanā
- رَبَّنَا
- ऐ हमारे रब
- lawlā
- لَوْلَآ
- क्यों ना
- arsalta
- أَرْسَلْتَ
- भेजा तूने
- ilaynā
- إِلَيْنَا
- तरफ़ हमारे
- rasūlan
- رَسُولًا
- कोई रसूल
- fanattabiʿa
- فَنَتَّبِعَ
- तो हम पैरवी करते
- āyātika
- ءَايَٰتِكَ
- तेरी आयात की
- min
- مِن
- इससे पहले
- qabli
- قَبْلِ
- इससे पहले
- an
- أَن
- कि
- nadhilla
- نَّذِلَّ
- हम ज़लील होते
- wanakhzā
- وَنَخْزَىٰ
- और हम रुस्वा होते
यदि हम उसके पहले इन्हें किसी यातना से विनष्ट कर देते तो ये कहते कि 'ऐ हमारे रब, तूने हमारे पास कोई रसूल क्यों न भेजा कि इससे पहले कि हम अपमानित और रुसवा होते, तेरी आयतों का अनुपालन करने लगते?' ([२०] अत-तहा: 134)Tafseer (तफ़सीर )
१३५
قُلْ كُلٌّ مُّتَرَبِّصٌ فَتَرَبَّصُوْاۚ فَسَتَعْلَمُوْنَ مَنْ اَصْحٰبُ الصِّرَاطِ السَّوِيِّ وَمَنِ اهْتَدٰى ࣖ ۔ ١٣٥
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- kullun
- كُلٌّ
- सबके सब
- mutarabbiṣun
- مُّتَرَبِّصٌ
- इन्तिज़ार करने वाले हैं
- fatarabbaṣū
- فَتَرَبَّصُوا۟ۖ
- तो तुम भी इन्तिज़ार करो
- fasataʿlamūna
- فَسَتَعْلَمُونَ
- पस अनक़रीब तुम जान लोगे
- man
- مَنْ
- कौन
- aṣḥābu
- أَصْحَٰبُ
- साथी हैं
- l-ṣirāṭi
- ٱلصِّرَٰطِ
- रास्ते
- l-sawiyi
- ٱلسَّوِىِّ
- सीधे के
- wamani
- وَمَنِ
- और किसने
- ih'tadā
- ٱهْتَدَىٰ
- हिदायत पाई
कह दो, 'हर एक प्रतीक्षा में है। अतः अब तुम भी प्रतीक्षा करो। शीघ्र ही तुम जान लोगे कि कौन सीधे मार्गवाला है और किनको मार्गदर्शन प्राप्त है।' ([२०] अत-तहा: 135)Tafseer (तफ़सीर )