فَاَكَلَا مِنْهَا فَبَدَتْ لَهُمَا سَوْاٰتُهُمَا وَطَفِقَا يَخْصِفٰنِ عَلَيْهِمَا مِنْ وَّرَقِ الْجَنَّةِۚ وَعَصٰٓى اٰدَمُ رَبَّهٗ فَغَوٰى ۖ ١٢١
- fa-akalā
- فَأَكَلَا
- तो दोनों ने खा लिया
- min'hā
- مِنْهَا
- उसमें से
- fabadat
- فَبَدَتْ
- तो ज़ाहिर हो गईं
- lahumā
- لَهُمَا
- उन दोनों के लिए
- sawātuhumā
- سَوْءَٰتُهُمَا
- शर्मगाहें उन दोनों की
- waṭafiqā
- وَطَفِقَا
- और वो दोनों चिपकाने लगे
- yakhṣifāni
- يَخْصِفَانِ
- और वो दोनों चिपकाने लगे
- ʿalayhimā
- عَلَيْهِمَا
- अपने ऊपर
- min
- مِن
- पत्तों से
- waraqi
- وَرَقِ
- पत्तों से
- l-janati
- ٱلْجَنَّةِۚ
- जन्नत के
- waʿaṣā
- وَعَصَىٰٓ
- और नाफ़रमानी की
- ādamu
- ءَادَمُ
- आदम ने
- rabbahu
- رَبَّهُۥ
- अपने रब की
- faghawā
- فَغَوَىٰ
- तो वो भटक गया
अन्ततः उन दोनों ने उसमें से खा लिया, जिसके परिणामस्वरूप उनकी छिपाने की चीज़े उनके आगे खुल गई और वे दोनों अपने ऊपर जन्नत के पत्ते जोड-जोड़कर रखने लगे। और आदम ने अपने रब की अवज्ञा की, तो वह मार्ग से भटक गया ([२०] अत-तहा: 121)Tafseer (तफ़सीर )
ثُمَّ اجْتَبٰىهُ رَبُّهٗ فَتَابَ عَلَيْهِ وَهَدٰى ١٢٢
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- ij'tabāhu
- ٱجْتَبَٰهُ
- चुन लिया उसे
- rabbuhu
- رَبُّهُۥ
- उसके रब ने
- fatāba
- فَتَابَ
- पस वो मेहरबान हुआ
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- wahadā
- وَهَدَىٰ
- और उसने हिदायत बख़्शी
इसके पश्चात उसके रब ने उसे चुन लिया और दोबारा उसकी ओर ध्यान दिया और उसका मार्गदर्शन किया ([२०] अत-तहा: 122)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ اهْبِطَا مِنْهَا جَمِيعًاۢ بَعْضُكُمْ لِبَعْضٍ عَدُوٌّ ۚفَاِمَّا يَأْتِيَنَّكُمْ مِّنِّيْ هُدًى ەۙ فَمَنِ اتَّبَعَ هُدٰيَ فَلَا يَضِلُّ وَلَا يَشْقٰى ١٢٣
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- ih'biṭā
- ٱهْبِطَا
- दोनों उतर जाओ
- min'hā
- مِنْهَا
- इससे
- jamīʿan
- جَمِيعًۢاۖ
- इकट्ठे
- baʿḍukum
- بَعْضُكُمْ
- बाज़ तुम्हारे
- libaʿḍin
- لِبَعْضٍ
- बाज़ के
- ʿaduwwun
- عَدُوٌّۖ
- दुश्मन हैं
- fa-immā
- فَإِمَّا
- फिर अगर
- yatiyannakum
- يَأْتِيَنَّكُم
- आ जाए तुम्हारे पास
- minnī
- مِّنِّى
- मेरी तरफ़ से
- hudan
- هُدًى
- हिदायत
- famani
- فَمَنِ
- तो जिसने
- ittabaʿa
- ٱتَّبَعَ
- पैरवी की
- hudāya
- هُدَاىَ
- मेरी हिदायत की
- falā
- فَلَا
- तो ना
- yaḍillu
- يَضِلُّ
- वो भटकेगा
- walā
- وَلَا
- और ना
- yashqā
- يَشْقَىٰ
- वो मुसीबत में पड़ेगा
कहा, 'तुम दोनों के दोनों यहाँ से उतरो! तुम्हारे कुछ लोग कुछ के शत्रु होंगे। फिर यदि मेरी ओर से तुम्हें मार्गदर्शन पहुँचे, तो जिस किसी ने मेरे मार्गदर्शन का अनुपालन किया, वह न तो पथभ्रष्ट होगा और न तकलीफ़ में पड़ेगा ([२०] अत-तहा: 123)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَنْ اَعْرَضَ عَنْ ذِكْرِيْ فَاِنَّ لَهٗ مَعِيْشَةً ضَنْكًا وَّنَحْشُرُهٗ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ اَعْمٰى ١٢٤
- waman
- وَمَنْ
- और जिसने
- aʿraḍa
- أَعْرَضَ
- ऐराज़ किया
- ʿan
- عَن
- मेरे ज़िक्र से
- dhik'rī
- ذِكْرِى
- मेरे ज़िक्र से
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- maʿīshatan
- مَعِيشَةً
- मईशत/गुज़रान
- ḍankan
- ضَنكًا
- तंग
- wanaḥshuruhu
- وَنَحْشُرُهُۥ
- और हम उठाऐंगे उसे
- yawma
- يَوْمَ
- दिन
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِ
- क़यामत के
- aʿmā
- أَعْمَىٰ
- अँधा
और जिस किसी ने मेरी स्मृति से मुँह मोडा़ तो उसका जीवन संकीर्ण होगा और क़ियामत के दिन हम उसे अंधा उठाएँगे।' ([२०] अत-तहा: 124)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ رَبِّ لِمَ حَشَرْتَنِيْٓ اَعْمٰى وَقَدْ كُنْتُ بَصِيْرًا ١٢٥
- qāla
- قَالَ
- वो कहेगा
- rabbi
- رَبِّ
- ऐ मेरे रब
- lima
- لِمَ
- क्यों
- ḥashartanī
- حَشَرْتَنِىٓ
- उठाया तूने मुझे
- aʿmā
- أَعْمَىٰ
- अँधा
- waqad
- وَقَدْ
- हालाँकि तहक़ीक़
- kuntu
- كُنتُ
- था मैं
- baṣīran
- بَصِيرًا
- देखने वाला
वह कहेगा, 'ऐ मेरे रब! तूने मुझे अंधा क्यों उठाया, जबकि मैं आँखोंवाला था?' ([२०] अत-तहा: 125)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ كَذٰلِكَ اَتَتْكَ اٰيٰتُنَا فَنَسِيْتَهَاۚ وَكَذٰلِكَ الْيَوْمَ تُنْسٰى ١٢٦
- qāla
- قَالَ
- वो फ़रमाएगा
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- atatka
- أَتَتْكَ
- आई थीं तेरे पास
- āyātunā
- ءَايَٰتُنَا
- आयात हमारी
- fanasītahā
- فَنَسِيتَهَاۖ
- पस भूल गया तू उन्हें
- wakadhālika
- وَكَذَٰلِكَ
- और इसी तरह
- l-yawma
- ٱلْيَوْمَ
- आ जाए तुम्हारे पास
- tunsā
- تُنسَىٰ
- तू भुलाया जाएगा
वह कहेगा, 'इसी प्रकार (तू संसार में अंधा रहा था) । तेरे पास मेरी आयतें आई थी, तो तूने उन्हें भूला दिया था। उसी प्रकार आज तुझे भुलाया जा रहा है।' ([२०] अत-तहा: 126)Tafseer (तफ़सीर )
وَكَذٰلِكَ نَجْزِيْ مَنْ اَسْرَفَ وَلَمْ يُؤْمِنْۢ بِاٰيٰتِ رَبِّهٖۗ وَلَعَذَابُ الْاٰخِرَةِ اَشَدُّ وَاَبْقٰى ١٢٧
- wakadhālika
- وَكَذَٰلِكَ
- और इसी तरह
- najzī
- نَجْزِى
- हम बदला देते हैं
- man
- مَنْ
- उसको जो
- asrafa
- أَسْرَفَ
- हद से गुज़र जाए
- walam
- وَلَمْ
- और ना
- yu'min
- يُؤْمِنۢ
- वो ईमान लाए
- biāyāti
- بِـَٔايَٰتِ
- आयात पर
- rabbihi
- رَبِّهِۦۚ
- अपने रब की
- walaʿadhābu
- وَلَعَذَابُ
- और अलबत्ता अज़ाब
- l-ākhirati
- ٱلْءَاخِرَةِ
- आख़िरत का
- ashaddu
- أَشَدُّ
- ज़्यादा शदीद है
- wa-abqā
- وَأَبْقَىٰٓ
- और ज़्यादा बाक़ी रहने वाला
इसी प्रकार हम उसे बदला देते है जो मर्यादा का उल्लंघन करे और अपने रब की आयतों पर ईमान न लाए। और आख़िरत की यातना तो अत्यन्त कठोर और अधिक स्थायी है ([२०] अत-तहा: 127)Tafseer (तफ़सीर )
اَفَلَمْ يَهْدِ لَهُمْ كَمْ اَهْلَكْنَا قَبْلَهُمْ مِّنَ الْقُرُوْنِ يَمْشُوْنَ فِيْ مَسٰكِنِهِمْۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّاُولِى النُّهٰى ࣖ ١٢٨
- afalam
- أَفَلَمْ
- क्या फिर नहीं
- yahdi
- يَهْدِ
- रहनुमाई की
- lahum
- لَهُمْ
- उनकी
- kam
- كَمْ
- कि कितनी ही
- ahlaknā
- أَهْلَكْنَا
- हलाक कीं हमने
- qablahum
- قَبْلَهُم
- उनसे पहले
- mina
- مِّنَ
- बस्तियाँ
- l-qurūni
- ٱلْقُرُونِ
- बस्तियाँ
- yamshūna
- يَمْشُونَ
- वो चलते फिरते हैं
- fī
- فِى
- उनके घरों में
- masākinihim
- مَسَٰكِنِهِمْۗ
- उनके घरों में
- inna
- إِنَّ
- यक़ीनन
- fī
- فِى
- इसमें
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- इसमें
- laāyātin
- لَءَايَٰتٍ
- अलबत्ता निशानियाँ हैं
- li-ulī
- لِّأُو۟لِى
- अक़्ल वालों के लिए
- l-nuhā
- ٱلنُّهَىٰ
- अक़्ल वालों के लिए
फिर क्या उनको इससे भी मार्ग न मिला कि हम उनसे पहले कितनी ही नस्लों को विनष्ट कर चुके है, जिनकी बस्तियों में वे चलते-फिरते है? निस्संदेह बुद्धिमानों के लिए इसमें बहुत-सी निशानियाँ है ([२०] अत-तहा: 128)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَوْلَا كَلِمَةٌ سَبَقَتْ مِنْ رَّبِّكَ لَكَانَ لِزَامًا وَّاَجَلٌ مُّسَمًّى ۗ ١٢٩
- walawlā
- وَلَوْلَا
- और अगर ना होती
- kalimatun
- كَلِمَةٌ
- एक बात
- sabaqat
- سَبَقَتْ
- जो गुज़र चुकी
- min
- مِن
- आप के रब की तरफ़ से
- rabbika
- رَّبِّكَ
- आप के रब की तरफ़ से
- lakāna
- لَكَانَ
- अलबत्ता हो जाता
- lizāman
- لِزَامًا
- लाज़िम (अज़ाब)
- wa-ajalun
- وَأَجَلٌ
- और वक़्त (अगर ना होता)
- musamman
- مُّسَمًّى
- मुकर्रर
यदि तेरे रब की ओर से पहले ही एक बात निश्चित न हो गई होती और एक अवधि नियत न की जा चुकी होती, तो अवश्य ही उन्हें यातना आ पकड़ती ([२०] अत-तहा: 129)Tafseer (तफ़सीर )
فَاصْبِرْ عَلٰى مَا يَقُوْلُوْنَ وَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ قَبْلَ طُلُوْعِ الشَّمْسِ وَقَبْلَ غُرُوْبِهَا ۚوَمِنْ اٰنَاۤئِ الَّيْلِ فَسَبِّحْ وَاَطْرَافَ النَّهَارِ لَعَلَّكَ تَرْضٰى ١٣٠
- fa-iṣ'bir
- فَٱصْبِرْ
- पस सब्र कीजिए
- ʿalā
- عَلَىٰ
- उस पर जो
- mā
- مَا
- उस पर जो
- yaqūlūna
- يَقُولُونَ
- वो कहते हैं
- wasabbiḥ
- وَسَبِّحْ
- और तस्बीह कीजिए
- biḥamdi
- بِحَمْدِ
- साथ हम्द के
- rabbika
- رَبِّكَ
- अपने रब की
- qabla
- قَبْلَ
- पहले
- ṭulūʿi
- طُلُوعِ
- सूरज तुलूअ होने से
- l-shamsi
- ٱلشَّمْسِ
- सूरज तुलूअ होने से
- waqabla
- وَقَبْلَ
- और पहले
- ghurūbihā
- غُرُوبِهَاۖ
- उसके ग़ुरुब होने से
- wamin
- وَمِنْ
- और कुछ
- ānāi
- ءَانَآئِ
- घड़ियाँ
- al-layli
- ٱلَّيْلِ
- रात की
- fasabbiḥ
- فَسَبِّحْ
- पस तस्बीह कीजिए
- wa-aṭrāfa
- وَأَطْرَافَ
- और किनारों पर
- l-nahāri
- ٱلنَّهَارِ
- दिन के
- laʿallaka
- لَعَلَّكَ
- ताकि आप
- tarḍā
- تَرْضَىٰ
- आप राज़ी हो जाऐं
अतः जो कुछ वे कहते है उसपर धैर्य से काम लो और अपने रब का गुणगान करो, सूर्योदय से पहले और उसके डूबने से पहले, और रात की घड़ियों में भी तसबीह करो, और दिन के किनारों पर भी, ताकि तुम राज़ी हो जाओ ([२०] अत-तहा: 130)Tafseer (तफ़सीर )