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सूरा अत-तहा - Page: 13

Taha

(ता हा)

१२१

فَاَكَلَا مِنْهَا فَبَدَتْ لَهُمَا سَوْاٰتُهُمَا وَطَفِقَا يَخْصِفٰنِ عَلَيْهِمَا مِنْ وَّرَقِ الْجَنَّةِۚ وَعَصٰٓى اٰدَمُ رَبَّهٗ فَغَوٰى ۖ ١٢١

fa-akalā
فَأَكَلَا
तो दोनों ने खा लिया
min'hā
مِنْهَا
उसमें से
fabadat
فَبَدَتْ
तो ज़ाहिर हो गईं
lahumā
لَهُمَا
उन दोनों के लिए
sawātuhumā
سَوْءَٰتُهُمَا
शर्मगाहें उन दोनों की
waṭafiqā
وَطَفِقَا
और वो दोनों चिपकाने लगे
yakhṣifāni
يَخْصِفَانِ
और वो दोनों चिपकाने लगे
ʿalayhimā
عَلَيْهِمَا
अपने ऊपर
min
مِن
पत्तों से
waraqi
وَرَقِ
पत्तों से
l-janati
ٱلْجَنَّةِۚ
जन्नत के
waʿaṣā
وَعَصَىٰٓ
और नाफ़रमानी की
ādamu
ءَادَمُ
आदम ने
rabbahu
رَبَّهُۥ
अपने रब की
faghawā
فَغَوَىٰ
तो वो भटक गया
अन्ततः उन दोनों ने उसमें से खा लिया, जिसके परिणामस्वरूप उनकी छिपाने की चीज़े उनके आगे खुल गई और वे दोनों अपने ऊपर जन्नत के पत्ते जोड-जोड़कर रखने लगे। और आदम ने अपने रब की अवज्ञा की, तो वह मार्ग से भटक गया ([२०] अत-तहा: 121)
Tafseer (तफ़सीर )
१२२

ثُمَّ اجْتَبٰىهُ رَبُّهٗ فَتَابَ عَلَيْهِ وَهَدٰى ١٢٢

thumma
ثُمَّ
फिर
ij'tabāhu
ٱجْتَبَٰهُ
चुन लिया उसे
rabbuhu
رَبُّهُۥ
उसके रब ने
fatāba
فَتَابَ
पस वो मेहरबान हुआ
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर
wahadā
وَهَدَىٰ
और उसने हिदायत बख़्शी
इसके पश्चात उसके रब ने उसे चुन लिया और दोबारा उसकी ओर ध्यान दिया और उसका मार्गदर्शन किया ([२०] अत-तहा: 122)
Tafseer (तफ़सीर )
१२३

قَالَ اهْبِطَا مِنْهَا جَمِيعًاۢ بَعْضُكُمْ لِبَعْضٍ عَدُوٌّ ۚفَاِمَّا يَأْتِيَنَّكُمْ مِّنِّيْ هُدًى ەۙ فَمَنِ اتَّبَعَ هُدٰيَ فَلَا يَضِلُّ وَلَا يَشْقٰى ١٢٣

qāla
قَالَ
फ़रमाया
ih'biṭā
ٱهْبِطَا
दोनों उतर जाओ
min'hā
مِنْهَا
इससे
jamīʿan
جَمِيعًۢاۖ
इकट्ठे
baʿḍukum
بَعْضُكُمْ
बाज़ तुम्हारे
libaʿḍin
لِبَعْضٍ
बाज़ के
ʿaduwwun
عَدُوٌّۖ
दुश्मन हैं
fa-immā
فَإِمَّا
फिर अगर
yatiyannakum
يَأْتِيَنَّكُم
आ जाए तुम्हारे पास
minnī
مِّنِّى
मेरी तरफ़ से
hudan
هُدًى
हिदायत
famani
فَمَنِ
तो जिसने
ittabaʿa
ٱتَّبَعَ
पैरवी की
hudāya
هُدَاىَ
मेरी हिदायत की
falā
فَلَا
तो ना
yaḍillu
يَضِلُّ
वो भटकेगा
walā
وَلَا
और ना
yashqā
يَشْقَىٰ
वो मुसीबत में पड़ेगा
कहा, 'तुम दोनों के दोनों यहाँ से उतरो! तुम्हारे कुछ लोग कुछ के शत्रु होंगे। फिर यदि मेरी ओर से तुम्हें मार्गदर्शन पहुँचे, तो जिस किसी ने मेरे मार्गदर्शन का अनुपालन किया, वह न तो पथभ्रष्ट होगा और न तकलीफ़ में पड़ेगा ([२०] अत-तहा: 123)
Tafseer (तफ़सीर )
१२४

وَمَنْ اَعْرَضَ عَنْ ذِكْرِيْ فَاِنَّ لَهٗ مَعِيْشَةً ضَنْكًا وَّنَحْشُرُهٗ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ اَعْمٰى ١٢٤

waman
وَمَنْ
और जिसने
aʿraḍa
أَعْرَضَ
ऐराज़ किया
ʿan
عَن
मेरे ज़िक्र से
dhik'rī
ذِكْرِى
मेरे ज़िक्र से
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
maʿīshatan
مَعِيشَةً
मईशत/गुज़रान
ḍankan
ضَنكًا
तंग
wanaḥshuruhu
وَنَحْشُرُهُۥ
और हम उठाऐंगे उसे
yawma
يَوْمَ
दिन
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِ
क़यामत के
aʿmā
أَعْمَىٰ
अँधा
और जिस किसी ने मेरी स्मृति से मुँह मोडा़ तो उसका जीवन संकीर्ण होगा और क़ियामत के दिन हम उसे अंधा उठाएँगे।' ([२०] अत-तहा: 124)
Tafseer (तफ़सीर )
१२५

قَالَ رَبِّ لِمَ حَشَرْتَنِيْٓ اَعْمٰى وَقَدْ كُنْتُ بَصِيْرًا ١٢٥

qāla
قَالَ
वो कहेगा
rabbi
رَبِّ
ऐ मेरे रब
lima
لِمَ
क्यों
ḥashartanī
حَشَرْتَنِىٓ
उठाया तूने मुझे
aʿmā
أَعْمَىٰ
अँधा
waqad
وَقَدْ
हालाँकि तहक़ीक़
kuntu
كُنتُ
था मैं
baṣīran
بَصِيرًا
देखने वाला
वह कहेगा, 'ऐ मेरे रब! तूने मुझे अंधा क्यों उठाया, जबकि मैं आँखोंवाला था?' ([२०] अत-तहा: 125)
Tafseer (तफ़सीर )
१२६

قَالَ كَذٰلِكَ اَتَتْكَ اٰيٰتُنَا فَنَسِيْتَهَاۚ وَكَذٰلِكَ الْيَوْمَ تُنْسٰى ١٢٦

qāla
قَالَ
वो फ़रमाएगा
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
atatka
أَتَتْكَ
आई थीं तेरे पास
āyātunā
ءَايَٰتُنَا
आयात हमारी
fanasītahā
فَنَسِيتَهَاۖ
पस भूल गया तू उन्हें
wakadhālika
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
l-yawma
ٱلْيَوْمَ
आ जाए तुम्हारे पास
tunsā
تُنسَىٰ
तू भुलाया जाएगा
वह कहेगा, 'इसी प्रकार (तू संसार में अंधा रहा था) । तेरे पास मेरी आयतें आई थी, तो तूने उन्हें भूला दिया था। उसी प्रकार आज तुझे भुलाया जा रहा है।' ([२०] अत-तहा: 126)
Tafseer (तफ़सीर )
१२७

وَكَذٰلِكَ نَجْزِيْ مَنْ اَسْرَفَ وَلَمْ يُؤْمِنْۢ بِاٰيٰتِ رَبِّهٖۗ وَلَعَذَابُ الْاٰخِرَةِ اَشَدُّ وَاَبْقٰى ١٢٧

wakadhālika
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
najzī
نَجْزِى
हम बदला देते हैं
man
مَنْ
उसको जो
asrafa
أَسْرَفَ
हद से गुज़र जाए
walam
وَلَمْ
और ना
yu'min
يُؤْمِنۢ
वो ईमान लाए
biāyāti
بِـَٔايَٰتِ
आयात पर
rabbihi
رَبِّهِۦۚ
अपने रब की
walaʿadhābu
وَلَعَذَابُ
और अलबत्ता अज़ाब
l-ākhirati
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत का
ashaddu
أَشَدُّ
ज़्यादा शदीद है
wa-abqā
وَأَبْقَىٰٓ
और ज़्यादा बाक़ी रहने वाला
इसी प्रकार हम उसे बदला देते है जो मर्यादा का उल्लंघन करे और अपने रब की आयतों पर ईमान न लाए। और आख़िरत की यातना तो अत्यन्त कठोर और अधिक स्थायी है ([२०] अत-तहा: 127)
Tafseer (तफ़सीर )
१२८

اَفَلَمْ يَهْدِ لَهُمْ كَمْ اَهْلَكْنَا قَبْلَهُمْ مِّنَ الْقُرُوْنِ يَمْشُوْنَ فِيْ مَسٰكِنِهِمْۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّاُولِى النُّهٰى ࣖ ١٢٨

afalam
أَفَلَمْ
क्या फिर नहीं
yahdi
يَهْدِ
रहनुमाई की
lahum
لَهُمْ
उनकी
kam
كَمْ
कि कितनी ही
ahlaknā
أَهْلَكْنَا
हलाक कीं हमने
qablahum
قَبْلَهُم
उनसे पहले
mina
مِّنَ
बस्तियाँ
l-qurūni
ٱلْقُرُونِ
बस्तियाँ
yamshūna
يَمْشُونَ
वो चलते फिरते हैं
فِى
उनके घरों में
masākinihim
مَسَٰكِنِهِمْۗ
उनके घरों में
inna
إِنَّ
यक़ीनन
فِى
इसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
इसमें
laāyātin
لَءَايَٰتٍ
अलबत्ता निशानियाँ हैं
li-ulī
لِّأُو۟لِى
अक़्ल वालों के लिए
l-nuhā
ٱلنُّهَىٰ
अक़्ल वालों के लिए
फिर क्या उनको इससे भी मार्ग न मिला कि हम उनसे पहले कितनी ही नस्लों को विनष्ट कर चुके है, जिनकी बस्तियों में वे चलते-फिरते है? निस्संदेह बुद्धिमानों के लिए इसमें बहुत-सी निशानियाँ है ([२०] अत-तहा: 128)
Tafseer (तफ़सीर )
१२९

وَلَوْلَا كَلِمَةٌ سَبَقَتْ مِنْ رَّبِّكَ لَكَانَ لِزَامًا وَّاَجَلٌ مُّسَمًّى ۗ ١٢٩

walawlā
وَلَوْلَا
और अगर ना होती
kalimatun
كَلِمَةٌ
एक बात
sabaqat
سَبَقَتْ
जो गुज़र चुकी
min
مِن
आप के रब की तरफ़ से
rabbika
رَّبِّكَ
आप के रब की तरफ़ से
lakāna
لَكَانَ
अलबत्ता हो जाता
lizāman
لِزَامًا
लाज़िम (अज़ाब)
wa-ajalun
وَأَجَلٌ
और वक़्त (अगर ना होता)
musamman
مُّسَمًّى
मुकर्रर
यदि तेरे रब की ओर से पहले ही एक बात निश्चित न हो गई होती और एक अवधि नियत न की जा चुकी होती, तो अवश्य ही उन्हें यातना आ पकड़ती ([२०] अत-तहा: 129)
Tafseer (तफ़सीर )
१३०

فَاصْبِرْ عَلٰى مَا يَقُوْلُوْنَ وَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ قَبْلَ طُلُوْعِ الشَّمْسِ وَقَبْلَ غُرُوْبِهَا ۚوَمِنْ اٰنَاۤئِ الَّيْلِ فَسَبِّحْ وَاَطْرَافَ النَّهَارِ لَعَلَّكَ تَرْضٰى ١٣٠

fa-iṣ'bir
فَٱصْبِرْ
पस सब्र कीजिए
ʿalā
عَلَىٰ
उस पर जो
مَا
उस पर जो
yaqūlūna
يَقُولُونَ
वो कहते हैं
wasabbiḥ
وَسَبِّحْ
और तस्बीह कीजिए
biḥamdi
بِحَمْدِ
साथ हम्द के
rabbika
رَبِّكَ
अपने रब की
qabla
قَبْلَ
पहले
ṭulūʿi
طُلُوعِ
सूरज तुलूअ होने से
l-shamsi
ٱلشَّمْسِ
सूरज तुलूअ होने से
waqabla
وَقَبْلَ
और पहले
ghurūbihā
غُرُوبِهَاۖ
उसके ग़ुरुब होने से
wamin
وَمِنْ
और कुछ
ānāi
ءَانَآئِ
घड़ियाँ
al-layli
ٱلَّيْلِ
रात की
fasabbiḥ
فَسَبِّحْ
पस तस्बीह कीजिए
wa-aṭrāfa
وَأَطْرَافَ
और किनारों पर
l-nahāri
ٱلنَّهَارِ
दिन के
laʿallaka
لَعَلَّكَ
ताकि आप
tarḍā
تَرْضَىٰ
आप राज़ी हो जाऐं
अतः जो कुछ वे कहते है उसपर धैर्य से काम लो और अपने रब का गुणगान करो, सूर्योदय से पहले और उसके डूबने से पहले, और रात की घड़ियों में भी तसबीह करो, और दिन के किनारों पर भी, ताकि तुम राज़ी हो जाओ ([२०] अत-तहा: 130)
Tafseer (तफ़सीर )