خٰلِدِيْنَ فِيْهِ ۗوَسَاۤءَ لَهُمْ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ حِمْلًاۙ ١٠١
- khālidīna
- خَٰلِدِينَ
- हमेशा रहने वाले हैं
- fīhi
- فِيهِۖ
- उसमें
- wasāa
- وَسَآءَ
- और बहुत बुरा है
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- yawma
- يَوْمَ
- दिन
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِ
- क़यामत के
- ḥim'lan
- حِمْلًا
- बोझ उठाना
ऐसे दिन सदैव इसी वबाल में पड़े रहेंगे और क़ियामत के दिन उनके हक़ में यह बहुत ही बुरा बोझ सिद्ध होगा ([२०] अत-तहा: 101)Tafseer (तफ़सीर )
يَّوْمَ يُنْفَخُ فِى الصُّوْرِ وَنَحْشُرُ الْمُجْرِمِيْنَ يَوْمَىِٕذٍ زُرْقًا ۖ ١٠٢
- yawma
- يَوْمَ
- जिस दिन
- yunfakhu
- يُنفَخُ
- फूँका जाएगा
- fī
- فِى
- सूर में
- l-ṣūri
- ٱلصُّورِۚ
- सूर में
- wanaḥshuru
- وَنَحْشُرُ
- और हम इकट्ठा करेंगे
- l-muj'rimīna
- ٱلْمُجْرِمِينَ
- मुजरिमों को
- yawma-idhin
- يَوْمَئِذٍ
- उस दिन
- zur'qan
- زُرْقًا
- नीली आँखों वाले
जिस दिन सूर फूँका जाएगा और हम अपराधियों को उस दिन इस दशा में इकट्ठा करेंगे कि उनकी आँखे नीली पड़ गई होंगी ([२०] अत-तहा: 102)Tafseer (तफ़सीर )
يَّتَخَافَتُوْنَ بَيْنَهُمْ اِنْ لَّبِثْتُمْ اِلَّا عَشْرًا ١٠٣
- yatakhāfatūna
- يَتَخَٰفَتُونَ
- वो सरगोशियाँ करेंगे
- baynahum
- بَيْنَهُمْ
- आपस में
- in
- إِن
- नहीं
- labith'tum
- لَّبِثْتُمْ
- ठहरे तुम
- illā
- إِلَّا
- मगर
- ʿashran
- عَشْرًا
- दस (दिन)
वे आपस में चुपके-चुपके कहेंगे कि 'तुम बस दस ही दिन ठहरे हो।' ([२०] अत-तहा: 103)Tafseer (तफ़सीर )
نَحْنُ اَعْلَمُ بِمَا يَقُوْلُوْنَ اِذْ يَقُوْلُ اَمْثَلُهُمْ طَرِيْقَةً اِنْ لَّبِثْتُمْ اِلَّا يَوْمًا ࣖ ١٠٤
- naḥnu
- نَّحْنُ
- हम
- aʿlamu
- أَعْلَمُ
- ज़्यादा जानते हैं
- bimā
- بِمَا
- उसे जो
- yaqūlūna
- يَقُولُونَ
- वो कहेंगे
- idh
- إِذْ
- जब
- yaqūlu
- يَقُولُ
- कहेगा
- amthaluhum
- أَمْثَلُهُمْ
- सबसे मिसाली उनका
- ṭarīqatan
- طَرِيقَةً
- तरीक़ा/रविश में
- in
- إِن
- नहीं
- labith'tum
- لَّبِثْتُمْ
- ठहरे हम
- illā
- إِلَّا
- मगर
- yawman
- يَوْمًا
- एक दिन
हम भली-भाँति जानते है जो कुछ वे कहेंगे, जबकि उनका सबसे अच्छी सम्मतिवाला कहेगा, 'तुम तो बस एक ही दिन ठहरे हो।' ([२०] अत-तहा: 104)Tafseer (तफ़सीर )
وَيَسْـَٔلُوْنَكَ عَنِ الْجِبَالِ فَقُلْ يَنْسِفُهَا رَبِّيْ نَسْفًا ۙ ١٠٥
- wayasalūnaka
- وَيَسْـَٔلُونَكَ
- और वो सवाल करते हैं आपसे
- ʿani
- عَنِ
- पहाड़ों के बारे में
- l-jibāli
- ٱلْجِبَالِ
- पहाड़ों के बारे में
- faqul
- فَقُلْ
- तो कह दीजिए
- yansifuhā
- يَنسِفُهَا
- बिखेर देगा उन्हें
- rabbī
- رَبِّى
- मेरा रब
- nasfan
- نَسْفًا
- बिखेर देना
वे तुमसे पर्वतों के विषय में पूछते है। कह दो, 'मेरा रब उन्हें छूल की तरह उड़ा देगा, ([२०] अत-तहा: 105)Tafseer (तफ़सीर )
فَيَذَرُهَا قَاعًا صَفْصَفًا ۙ ١٠٦
- fayadharuhā
- فَيَذَرُهَا
- पस वो छोड़ देगा उस (ज़मीन) को
- qāʿan
- قَاعًا
- मैदान
- ṣafṣafan
- صَفْصَفًا
- चटियल बनाकर
और धरती को एक समतल चटियल मैदान बनाकर छोड़ेगा ([२०] अत-तहा: 106)Tafseer (तफ़सीर )
لَّا تَرٰى فِيْهَا عِوَجًا وَّلَآ اَمْتًا ۗ ١٠٧
- lā
- لَّا
- ना तुम देखोगे
- tarā
- تَرَىٰ
- ना तुम देखोगे
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- ʿiwajan
- عِوَجًا
- कोई टेढ़ापन
- walā
- وَلَآ
- और ना
- amtan
- أَمْتًا
- कोई टीला
तुम उसमें न कोई सिलवट देखोगे और न ऊँच-नीच।' ([२०] अत-तहा: 107)Tafseer (तफ़सीर )
يَوْمَىِٕذٍ يَّتَّبِعُوْنَ الدَّاعِيَ لَا عِوَجَ لَهٗ ۚوَخَشَعَتِ الْاَصْوَاتُ لِلرَّحْمٰنِ فَلَا تَسْمَعُ اِلَّا هَمْسًا ١٠٨
- yawma-idhin
- يَوْمَئِذٍ
- जिस दिन
- yattabiʿūna
- يَتَّبِعُونَ
- वो पैरवी करेंगे
- l-dāʿiya
- ٱلدَّاعِىَ
- पुकारने वाले की
- lā
- لَا
- नहीं कोई कजी
- ʿiwaja
- عِوَجَ
- नहीं कोई कजी
- lahu
- لَهُۥۖ
- जिसके लिए
- wakhashaʿati
- وَخَشَعَتِ
- और दब जाऐंगी
- l-aṣwātu
- ٱلْأَصْوَاتُ
- आवाज़ें
- lilrraḥmāni
- لِلرَّحْمَٰنِ
- रहमान के लिए
- falā
- فَلَا
- तो ना
- tasmaʿu
- تَسْمَعُ
- तुम सुनोगे
- illā
- إِلَّا
- सिवाय
- hamsan
- هَمْسًا
- आहट के
उस दिन वे पुकारनेवाले के पीछे चल पड़ेंगे और उसके सामने कोई अकड़ न दिखाई जा सकेगी। आवाज़े रहमान के सामने दब जाएँगी। एक हल्की मन्द आवाज़ के अतिरिक्त तुम कुछ न सुनोगे ([२०] अत-तहा: 108)Tafseer (तफ़सीर )
يَوْمَىِٕذٍ لَّا تَنْفَعُ الشَّفَاعَةُ اِلَّا مَنْ اَذِنَ لَهُ الرَّحْمٰنُ وَرَضِيَ لَهٗ قَوْلًا ١٠٩
- yawma-idhin
- يَوْمَئِذٍ
- उस दिन
- lā
- لَّا
- ना फ़ायदा देगी
- tanfaʿu
- تَنفَعُ
- ना फ़ायदा देगी
- l-shafāʿatu
- ٱلشَّفَٰعَةُ
- शफ़ाअत
- illā
- إِلَّا
- मगर
- man
- مَنْ
- उसकी
- adhina
- أَذِنَ
- इजाज़त दे
- lahu
- لَهُ
- जिसे
- l-raḥmānu
- ٱلرَّحْمَٰنُ
- रहमान
- waraḍiya
- وَرَضِىَ
- और वो पसंद करे
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- qawlan
- قَوْلًا
- बात को
उस दिन सिफ़ारिश काम न आएगी। यह और बात है कि किसी के लिए रहमान अनुज्ञा दे और उसके लिए बात करने को पसन्द करे ([२०] अत-तहा: 109)Tafseer (तफ़सीर )
يَعْلَمُ مَا بَيْنَ اَيْدِيْهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ وَلَا يُحِيْطُوْنَ بِهٖ عِلْمًا ١١٠
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- वो जानता है
- mā
- مَا
- जो
- bayna
- بَيْنَ
- उनके आगे है
- aydīhim
- أَيْدِيهِمْ
- उनके आगे है
- wamā
- وَمَا
- और जो
- khalfahum
- خَلْفَهُمْ
- उनके पीछे है
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yuḥīṭūna
- يُحِيطُونَ
- वो अहाता कर सकते
- bihi
- بِهِۦ
- उसके
- ʿil'man
- عِلْمًا
- इल्म का
वह जानता है जो कुछ उनके आगे है और जो कुछ उनके पीछे है, किन्तु वे अपने ज्ञान से उसपर हावी नहीं हो सकते ([२०] अत-तहा: 110)Tafseer (तफ़सीर )