१
२
مَآ اَنْزَلْنَا عَلَيْكَ الْقُرْاٰنَ لِتَشْقٰٓى ۙ ٢
- mā
- مَآ
- नहीं
- anzalnā
- أَنزَلْنَا
- नाज़िल किया हमने
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- आप पर
- l-qur'āna
- ٱلْقُرْءَانَ
- क़ुरआन
- litashqā
- لِتَشْقَىٰٓ
- कि आप मुसीबत में पड़ जाऐं
हमने तुमपर यह क़ुरआन इसलिए नहीं उतारा कि तुम मशक़्क़त में पड़ जाओ ([२०] अत-तहा: 2)Tafseer (तफ़सीर )
३
اِلَّا تَذْكِرَةً لِّمَنْ يَّخْشٰى ۙ ٣
- illā
- إِلَّا
- मगर
- tadhkiratan
- تَذْكِرَةً
- एक नसीहत
- liman
- لِّمَن
- उसके लिए जो
- yakhshā
- يَخْشَىٰ
- डरता हो
यह तो बस एक अनुस्मृति है, उसके लिए जो डरे, ([२०] अत-तहा: 3)Tafseer (तफ़सीर )
४
تَنْزِيْلًا مِّمَّنْ خَلَقَ الْاَرْضَ وَالسَّمٰوٰتِ الْعُلٰى ۗ ٤
- tanzīlan
- تَنزِيلًا
- नाज़िल करदा है
- mimman
- مِّمَّنْ
- उसकी तरफ़ से जिसने
- khalaqa
- خَلَقَ
- पैदा किया
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- ज़मीन
- wal-samāwāti
- وَٱلسَّمَٰوَٰتِ
- और आसमानों को
- l-ʿulā
- ٱلْعُلَى
- जो बुलन्द हैं
भली-भाँति अवतरित हुआ है उस सत्ता की ओर से, जिसने पैदा किया है धरती और उच्च आकाशों को ([२०] अत-तहा: 4)Tafseer (तफ़सीर )
५
اَلرَّحْمٰنُ عَلَى الْعَرْشِ اسْتَوٰى ٥
- al-raḥmānu
- ٱلرَّحْمَٰنُ
- वो रहमान है
- ʿalā
- عَلَى
- जो अर्श पर
- l-ʿarshi
- ٱلْعَرْشِ
- जो अर्श पर
- is'tawā
- ٱسْتَوَىٰ
- बुलन्द हुआ
वह रहमान है, जो राजासन पर विराजमान हुआ ([२०] अत-तहा: 5)Tafseer (तफ़सीर )
६
لَهٗ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا وَمَا تَحْتَ الثَّرٰى ٦
- lahu
- لَهُۥ
- उसी के लिए है
- mā
- مَا
- जो
- fī
- فِى
- आसमानों में है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में है
- wamā
- وَمَا
- और जो
- fī
- فِى
- ज़मीन में है
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में है
- wamā
- وَمَا
- और जो
- baynahumā
- بَيْنَهُمَا
- दर्मियान है इन दोनों के
- wamā
- وَمَا
- और जो
- taḥta
- تَحْتَ
- नीचे है
- l-tharā
- ٱلثَّرَىٰ
- गीली मिट्टी के
उसी का है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है और जो कुछ इन दोनों के मध्य है और जो कुछ आर्द्र मिट्टी के नीचे है ([२०] अत-तहा: 6)Tafseer (तफ़सीर )
७
وَاِنْ تَجْهَرْ بِالْقَوْلِ فَاِنَّهٗ يَعْلَمُ السِّرَّ وَاَخْفٰى ٧
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- tajhar
- تَجْهَرْ
- आप बुलन्द आवाज़ से करें
- bil-qawli
- بِٱلْقَوْلِ
- बात को
- fa-innahu
- فَإِنَّهُۥ
- तो बेशक वो
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- वो जानता है
- l-sira
- ٱلسِّرَّ
- पोशीदा को
- wa-akhfā
- وَأَخْفَى
- और ज़्यादा ख़ुफ़िया को
तुम चाहे बात पुकार कर कहो (या चुपके से), वह तो छिपी हुई और अत्यन्त गुप्त बात को भी जानता है ([२०] अत-तहा: 7)Tafseer (तफ़सीर )
८
اَللّٰهُ لَآ اِلٰهَ اِلَّا هُوَۗ لَهُ الْاَسْمَاۤءُ الْحُسْنٰى ٨
- al-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- lā
- لَآ
- नहीं
- ilāha
- إِلَٰهَ
- कोई इलाह (बरहक़)
- illā
- إِلَّا
- मगर
- huwa
- هُوَۖ
- वो ही
- lahu
- لَهُ
- उसी के लिए हैं
- l-asmāu
- ٱلْأَسْمَآءُ
- नाम
- l-ḥus'nā
- ٱلْحُسْنَىٰ
- बहुत अच्छे
अल्लाह, कि उसके सिवा कोई पूज्य-प्रभू नहीं। उसके नाम बहुत ही अच्छे हैं। ([२०] अत-तहा: 8)Tafseer (तफ़सीर )
९
وَهَلْ اَتٰىكَ حَدِيْثُ مُوْسٰى ۘ ٩
- wahal
- وَهَلْ
- और क्या
- atāka
- أَتَىٰكَ
- आई आपके पास
- ḥadīthu
- حَدِيثُ
- ख़बर
- mūsā
- مُوسَىٰٓ
- मूसा की
क्या तुम्हें मूसा की भी ख़बर पहुँची? ([२०] अत-तहा: 9)Tafseer (तफ़सीर )
१०
اِذْ رَاٰ نَارًا فَقَالَ لِاَهْلِهِ امْكُثُوْٓا اِنِّيْ اٰنَسْتُ نَارًا لَّعَلِّيْٓ اٰتِيْكُمْ مِّنْهَا بِقَبَسٍ اَوْ اَجِدُ عَلَى النَّارِ هُدًى ١٠
- idh
- إِذْ
- जब
- raā
- رَءَا
- उसने देखी
- nāran
- نَارًا
- आग
- faqāla
- فَقَالَ
- पस कहा
- li-ahlihi
- لِأَهْلِهِ
- अपने घर वालों से
- um'kuthū
- ٱمْكُثُوٓا۟
- ठहरो
- innī
- إِنِّىٓ
- बेशक मैं
- ānastu
- ءَانَسْتُ
- देखी है मैंने
- nāran
- نَارًا
- एक आग
- laʿallī
- لَّعَلِّىٓ
- शायद कि मैं
- ātīkum
- ءَاتِيكُم
- मैं ले आऊँ तुम्हारे पास
- min'hā
- مِّنْهَا
- उसमें से
- biqabasin
- بِقَبَسٍ
- शोला/अंगारा
- aw
- أَوْ
- या
- ajidu
- أَجِدُ
- मैं पाऊँ
- ʿalā
- عَلَى
- उस आग पर
- l-nāri
- ٱلنَّارِ
- उस आग पर
- hudan
- هُدًى
- रहनुमाई
जबकि उसने एक आग देखी तो उसने अपने घरवालों से कहा, 'ठहरो! मैंने एक आग देखी है। शायद कि तुम्हारे लिए उसमें से कोई अंगारा ले आऊँ या उस आग पर मैं मार्ग का पता पा लूँ।' ([२०] अत-तहा: 10)Tafseer (तफ़सीर )