Skip to content

सूरा अल बकराह - Page: 9

Al-Baqarah

(गाय)

८१

بَلٰى مَنْ كَسَبَ سَيِّئَةً وَّاَحَاطَتْ بِهٖ خَطِيْۤـَٔتُهٗ فَاُولٰۤىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِ ۚ هُمْ فِيْهَا خٰلِدُوْنَ ٨١

balā
بَلَىٰ
हाँ (क्यों नहीं)
man
مَن
जिसने
kasaba
كَسَبَ
कमाई
sayyi-atan
سَيِّئَةً
कोई बुराई
wa-aḥāṭat
وَأَحَٰطَتْ
और घेर लिया
bihi
بِهِۦ
उसको
khaṭīatuhu
خَطِيٓـَٔتُهُۥ
उसकी ख़ता ने
fa-ulāika
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
तो यही लोग हैं
aṣḥābu
أَصْحَٰبُ
साथी
l-nāri
ٱلنَّارِۖ
आग के
hum
هُمْ
वो
fīhā
فِيهَا
उसमें
khālidūna
خَٰلِدُونَ
हमेशा रहने वाले हैं
क्यों नहीं; जिसने भी कोई बदी कमाई और उसकी खताकारी ने उसे अपने घरे में ले लिया, तो ऐसे ही लोग आग (जहन्नम) में पड़नेवाले है; वे उसी में सदैव रहेंगे ([२] अल बकराह: 81)
Tafseer (तफ़सीर )
८२

وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ اُولٰۤىِٕكَ اَصْحٰبُ الْجَنَّةِ ۚ هُمْ فِيْهَا خٰلِدُوْنَ ࣖ ٨٢

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
waʿamilū
وَعَمِلُوا۟
और उन्होंने अमल किए
l-ṣāliḥāti
ٱلصَّٰلِحَٰتِ
नेक
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
aṣḥābu
أَصْحَٰبُ
साथी
l-janati
ٱلْجَنَّةِۖ
जन्नत के
hum
هُمْ
वो
fīhā
فِيهَا
उसमें
khālidūna
خَٰلِدُونَ
हमेशा रहने वाले हैं
रहे वे लोग जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, वही जन्नतवाले हैं, वे सदैव उसी में रहेंगे।' ([२] अल बकराह: 82)
Tafseer (तफ़सीर )
८३

وَاِذْ اَخَذْنَا مِيْثَاقَ بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ لَا تَعْبُدُوْنَ اِلَّا اللّٰهَ وَبِالْوَالِدَيْنِ اِحْسَانًا وَّذِى الْقُرْبٰى وَالْيَتٰمٰى وَالْمَسٰكِيْنِ وَقُوْلُوْا لِلنَّاسِ حُسْنًا وَّاَقِيْمُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتُوا الزَّكٰوةَۗ ثُمَّ تَوَلَّيْتُمْ اِلَّا قَلِيْلًا مِّنْكُمْ وَاَنْتُمْ مُّعْرِضُوْنَ ٨٣

wa-idh
وَإِذْ
और जब
akhadhnā
أَخَذْنَا
लिया हमने
mīthāqa
مِيثَٰقَ
पुख़्ता अहद
banī
بَنِىٓ
बनी इस्राईल से
is'rāīla
إِسْرَٰٓءِيلَ
बनी इस्राईल से
لَا
ना तुम इबादत करोगे
taʿbudūna
تَعْبُدُونَ
ना तुम इबादत करोगे
illā
إِلَّا
मगर
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
wabil-wālidayni
وَبِٱلْوَٰلِدَيْنِ
और साथ वालिदैन के
iḥ'sānan
إِحْسَانًا
एहसान करना
wadhī
وَذِى
और रिश्तेदारों
l-qur'bā
ٱلْقُرْبَىٰ
और रिश्तेदारों
wal-yatāmā
وَٱلْيَتَٰمَىٰ
और यतीमों
wal-masākīni
وَٱلْمَسَٰكِينِ
और मिस्कीनों के
waqūlū
وَقُولُوا۟
और कहो
lilnnāsi
لِلنَّاسِ
लोगों से
ḥus'nan
حُسْنًا
अच्छी (बात)
wa-aqīmū
وَأَقِيمُوا۟
और क़ायम करो
l-ṣalata
ٱلصَّلَوٰةَ
नमाज़
waātū
وَءَاتُوا۟
और अदा करो
l-zakata
ٱلزَّكَوٰةَ
ज़कात
thumma
ثُمَّ
फिर
tawallaytum
تَوَلَّيْتُمْ
मुँह मोड़ लिया तुमने
illā
إِلَّا
सिवाय
qalīlan
قَلِيلًا
क़लील तादाद के
minkum
مِّنكُمْ
तुम में से
wa-antum
وَأَنتُم
और तुम
muʿ'riḍūna
مُّعْرِضُونَ
ऐराज़ करने वाले हो
और याद करो जब इसराईल की सन्तान से हमने वचन लिया, 'अल्लाह के अतिरिक्त किसी की बन्दगी न करोगे; और माँ-बाप के साथ और नातेदारों के साथ और अनाथों और मुहताजों के साथ अच्छा व्यवहार करोगे; और यह कि लोगों से भली बात कहो और नमाज़ क़ायम करो और ज़कात दो।' तो तुम फिर गए, बस तुममें से बचे थोड़े ही, और तुम उपेक्षा की नीति ही अपनाए रहे ([२] अल बकराह: 83)
Tafseer (तफ़सीर )
८४

وَاِذْ اَخَذْنَا مِيْثَاقَكُمْ لَا تَسْفِكُوْنَ دِمَاۤءَكُمْ وَلَا تُخْرِجُوْنَ اَنْفُسَكُمْ مِّنْ دِيَارِكُمْ ۖ ثُمَّ اَقْرَرْتُمْ وَاَنْتُمْ تَشْهَدُوْنَ ٨٤

wa-idh
وَإِذْ
और जब
akhadhnā
أَخَذْنَا
लिया हमने
mīthāqakum
مِيثَٰقَكُمْ
पुख़्ता अहद तुम से
لَا
ना तुम बहाओगे
tasfikūna
تَسْفِكُونَ
ना तुम बहाओगे
dimāakum
دِمَآءَكُمْ
ख़ून अपने
walā
وَلَا
और ना
tukh'rijūna
تُخْرِجُونَ
तुम निकालोगे
anfusakum
أَنفُسَكُم
अपने नफ़्सों को
min
مِّن
अपने घरों से
diyārikum
دِيَٰرِكُمْ
अपने घरों से
thumma
ثُمَّ
फिर
aqrartum
أَقْرَرْتُمْ
इक़रार किया तुमने
wa-antum
وَأَنتُمْ
और तुम
tashhadūna
تَشْهَدُونَ
तुम गवाही देते हो
और याद करो जब तुमसे वचन लिया, 'अपने ख़ून न बहाओगे और न अपने लोगों को अपनी बस्तियों से निकालोगे।' फिर तुमने इक़रार किया और तुम स्वयं इसके गवाह हो ([२] अल बकराह: 84)
Tafseer (तफ़सीर )
८५

ثُمَّ اَنْتُمْ هٰٓؤُلَاۤءِ تَقْتُلُوْنَ اَنْفُسَكُمْ وَتُخْرِجُوْنَ فَرِيْقًا مِّنْكُمْ مِّنْ دِيَارِهِمْۖ تَظٰهَرُوْنَ عَلَيْهِمْ بِالْاِثْمِ وَالْعُدْوَانِۗ وَاِنْ يَّأْتُوْكُمْ اُسٰرٰى تُفٰدُوْهُمْ وَهُوَ مُحَرَّمٌ عَلَيْكُمْ اِخْرَاجُهُمْ ۗ اَفَتُؤْمِنُوْنَ بِبَعْضِ الْكِتٰبِ وَتَكْفُرُوْنَ بِبَعْضٍۚ فَمَا جَزَاۤءُ مَنْ يَّفْعَلُ ذٰلِكَ مِنْكُمْ اِلَّا خِزْيٌ فِى الْحَيٰوةِ الدُّنْيَا ۚوَيَوْمَ الْقِيٰمَةِ يُرَدُّوْنَ اِلٰٓى اَشَدِّ الْعَذَابِۗ وَمَا اللّٰهُ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعْمَلُوْنَ ٨٥

thumma
ثُمَّ
फिर
antum
أَنتُمْ
तुम
hāulāi
هَٰٓؤُلَآءِ
वो ही लोग हो
taqtulūna
تَقْتُلُونَ
तुम क़त्ल कर डालते हो
anfusakum
أَنفُسَكُمْ
अपने नफ़्सों को
watukh'rijūna
وَتُخْرِجُونَ
और तुम निकाल देते हो
farīqan
فَرِيقًا
एक गिरोह को
minkum
مِّنكُم
अपनों में से
min
مِّن
उनके घरों से
diyārihim
دِيَٰرِهِمْ
उनके घरों से
taẓāharūna
تَظَٰهَرُونَ
तुम चढ़ाई करते हो
ʿalayhim
عَلَيْهِم
उन पर
bil-ith'mi
بِٱلْإِثْمِ
साथ गुनाह
wal-ʿud'wāni
وَٱلْعُدْوَٰنِ
और ज़्यादती के
wa-in
وَإِن
और अगर
yatūkum
يَأْتُوكُمْ
वो आऐं तुम्हारे पास
usārā
أُسَٰرَىٰ
क़ैदी बनकर
tufādūhum
تُفَٰدُوهُمْ
तुम फ़िदया दे कर छुड़ाते हो उन्हें
wahuwa
وَهُوَ
हालाँकि वो
muḥarramun
مُحَرَّمٌ
हराम किया गया था
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
ikh'rājuhum
إِخْرَاجُهُمْۚ
निकालना उनका
afatu'minūna
أَفَتُؤْمِنُونَ
क्या फिर तुम ईमान लाते हो
bibaʿḍi
بِبَعْضِ
बाज़ (हिस्से) पर
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
किताब के
watakfurūna
وَتَكْفُرُونَ
और तुम कुफ़्र करते हो
bibaʿḍin
بِبَعْضٍۚ
साथ बाज़ के
famā
فَمَا
तो नहीं
jazāu
جَزَآءُ
बदला
man
مَن
उसका जो
yafʿalu
يَفْعَلُ
करता है
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
minkum
مِنكُمْ
तुम में से
illā
إِلَّا
मगर
khiz'yun
خِزْىٌ
रुस्वाई
فِى
ज़िन्दगी में
l-ḥayati
ٱلْحَيَوٰةِ
ज़िन्दगी में
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَاۖ
दुनिया की
wayawma
وَيَوْمَ
और दिन
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِ
क़यामत के
yuraddūna
يُرَدُّونَ
वो लौटाए जाऐंगे
ilā
إِلَىٰٓ
तरफ़
ashaddi
أَشَدِّ
शदीद तरीन
l-ʿadhābi
ٱلْعَذَابِۗ
अज़ाब के
wamā
وَمَا
और नहीं
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
bighāfilin
بِغَٰفِلٍ
ग़ाफ़िल
ʿammā
عَمَّا
उससे जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
फिर तुम वही हो कि अपने लोगों की हत्या करते हो और अपने ही एक गिरोह के लोगों को उनकी बस्तियों से निकालते हो; तुम गुनाह और ज़्यादती के साथ उनके विरुद्ध एक-दूसरे के पृष्ठपोषक बन जाते हो; और यदि वे बन्दी बनकर तुम्हारे पास आते है, तो उनकी रिहाई के लिए फिद्ए (अर्थदंड) का लेन-देन करते हो जबकि उनको उनके घरों से निकालना ही तुम पर हराम था, तो क्या तुम किताब के एक हिस्से को मानते हो और एक को नहीं मानते? फिर तुममें जो ऐसा करें उसका बदला इसके सिवा और क्या हो सकता है कि सांसारिक जीवन में अपमान हो? और क़यामत के दिन ऐसे लोगों को कठोर से कठोर यातना की ओर फेर दिया जाएगा। अल्लाह उससे बेखबर नहीं है जो कुछ तुम कर रहे हो ([२] अल बकराह: 85)
Tafseer (तफ़सीर )
८६

اُولٰۤىِٕكَ الَّذِيْنَ اشْتَرَوُا الْحَيٰوةَ الدُّنْيَا بِالْاٰخِرَةِ ۖ فَلَا يُخَفَّفُ عَنْهُمُ الْعَذَابُ وَلَا هُمْ يُنْصَرُوْنَ ࣖ ٨٦

ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही वो लोग हैं
alladhīna
ٱلَّذِينَ
जिन्होंने
ish'tarawū
ٱشْتَرَوُا۟
ख़रीद ली
l-ḥayata
ٱلْحَيَوٰةَ
ज़िन्दगी
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
bil-ākhirati
بِٱلْءَاخِرَةِۖ
बदले आख़िरत के
falā
فَلَا
तो ना
yukhaffafu
يُخَفَّفُ
हल्का किया जाएगा
ʿanhumu
عَنْهُمُ
उनसे
l-ʿadhābu
ٱلْعَذَابُ
अज़ाब
walā
وَلَا
और ना
hum
هُمْ
वो
yunṣarūna
يُنصَرُونَ
वो मदद किए जाऐंगे
यही वे लोग है जो आख़िरात के बदले सांसारिक जीवन के ख़रीदार हुए, तो न उनकी यातना हल्की की जाएगी और न उन्हें कोई सहायता पहुँच सकेगी ([२] अल बकराह: 86)
Tafseer (तफ़सीर )
८७

وَلَقَدْ اٰتَيْنَا مُوْسَى الْكِتٰبَ وَقَفَّيْنَا مِنْۢ بَعْدِهٖ بِالرُّسُلِ ۖ وَاٰتَيْنَا عِيْسَى ابْنَ مَرْيَمَ الْبَيِّنٰتِ وَاَيَّدْنٰهُ بِرُوْحِ الْقُدُسِۗ اَفَكُلَّمَا جَاۤءَكُمْ رَسُوْلٌۢ بِمَا لَا تَهْوٰىٓ اَنْفُسُكُمُ اسْتَكْبَرْتُمْ ۚ فَفَرِيْقًا كَذَّبْتُمْ وَفَرِيْقًا تَقْتُلُوْنَ ٨٧

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
ātaynā
ءَاتَيْنَا
दी हमने
mūsā
مُوسَى
मूसा को
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
waqaffaynā
وَقَفَّيْنَا
और पै दर पै भेजे हमने
min
مِنۢ
बाद उसके
baʿdihi
بَعْدِهِۦ
बाद उसके
bil-rusuli
بِٱلرُّسُلِۖ
कई रसूल
waātaynā
وَءَاتَيْنَا
और दीं हमने
ʿīsā
عِيسَى
ईसा इब्ने मरियम को
ib'na
ٱبْنَ
ईसा इब्ने मरियम को
maryama
مَرْيَمَ
ईसा इब्ने मरियम को
l-bayināti
ٱلْبَيِّنَٰتِ
वाज़ेह निशानियाँ
wa-ayyadnāhu
وَأَيَّدْنَٰهُ
और क़ुव्वत दी हमने उसे
birūḥi
بِرُوحِ
साथ रुहुल क़ुदुस के
l-qudusi
ٱلْقُدُسِۗ
साथ रुहुल क़ुदुस के
afakullamā
أَفَكُلَّمَا
क्या फिर जब भी
jāakum
جَآءَكُمْ
आया तुम्हारे पास
rasūlun
رَسُولٌۢ
कोई रसूल
bimā
بِمَا
साथ उसके जो
لَا
नहीं चाहते थे
tahwā
تَهْوَىٰٓ
नहीं चाहते थे
anfusukumu
أَنفُسُكُمُ
नफ़्स तुम्हारे
is'takbartum
ٱسْتَكْبَرْتُمْ
तकब्बुर किया तुमने
fafarīqan
فَفَرِيقًا
तो एक गिरोह को
kadhabtum
كَذَّبْتُمْ
झुठलाया तुमने
wafarīqan
وَفَرِيقًا
और एक गिरोह को
taqtulūna
تَقْتُلُونَ
तुम क़त्ल करते रहे
और हमने मूसा को किताब दी थी, और उसके पश्चात आगे-पीछे निरन्तर रसूल भेजते रहे; और मरयम के बेटे ईसा को खुली-खुली निशानियाँ प्रदान की और पवित्र-आत्मा के द्वारा उसे शक्ति प्रदान की; तो यही तो हुआ कि जब भी कोई रसूल तुम्हारे पास वह कुछ लेकर आया जो तुम्हारे जी को पसन्द न था, तो तुम अकड़ बैठे, तो एक गिरोह को तो तुमने झुठलाया और एक गिरोह को क़त्ल करते हो? ([२] अल बकराह: 87)
Tafseer (तफ़सीर )
८८

وَقَالُوْا قُلُوْبُنَا غُلْفٌ ۗ بَلْ لَّعَنَهُمُ اللّٰهُ بِكُفْرِهِمْ فَقَلِيْلًا مَّا يُؤْمِنُوْنَ ٨٨

waqālū
وَقَالُوا۟
और उन्होंने कहा
qulūbunā
قُلُوبُنَا
दिल हमारे
ghul'fun
غُلْفٌۢۚ
ग़िलाफ़ हैं
bal
بَل
बल्कि (नहीं)
laʿanahumu
لَّعَنَهُمُ
लानत की उन पर
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
bikuf'rihim
بِكُفْرِهِمْ
बवजह उनके कुफ़्र के
faqalīlan
فَقَلِيلًا
पस कितना कम
مَّا
पस कितना कम
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
वो ईमान लाते हैं
वे कहते हैं, 'हमारे दिलों पर तो प्राकृतिक आवरण चढ़े है' नहीं, बल्कि उनके इनकार के कारण अल्लाह ने उनपर लानत की है; अतः वे ईमान थोड़े ही लाएँगे ([२] अल बकराह: 88)
Tafseer (तफ़सीर )
८९

وَلَمَّا جَاۤءَهُمْ كِتٰبٌ مِّنْ عِنْدِ اللّٰهِ مُصَدِّقٌ لِّمَا مَعَهُمْۙ وَكَانُوْا مِنْ قَبْلُ يَسْتَفْتِحُوْنَ عَلَى الَّذِيْنَ كَفَرُوْاۚ فَلَمَّا جَاۤءَهُمْ مَّا عَرَفُوْا كَفَرُوْا بِهٖ ۖ فَلَعْنَةُ اللّٰهِ عَلَى الْكٰفِرِيْنَ ٨٩

walammā
وَلَمَّا
और जब
jāahum
جَآءَهُمْ
आ गई उनके पास
kitābun
كِتَٰبٌ
एक किताब
min
مِّنْ
पास से
ʿindi
عِندِ
पास से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
muṣaddiqun
مُصَدِّقٌ
तसदीक़ करने वाली
limā
لِّمَا
उसकी जो
maʿahum
مَعَهُمْ
पास है उनके
wakānū
وَكَانُوا۟
हालाँकि थे वो
min
مِن
इससे क़ब्ल
qablu
قَبْلُ
इससे क़ब्ल
yastaftiḥūna
يَسْتَفْتِحُونَ
वो फ़तह माँगते
ʿalā
عَلَى
उन पर जिन्होंने
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन पर जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
falammā
فَلَمَّا
तो जब
jāahum
جَآءَهُم
आ गया उनके पास
مَّا
जो
ʿarafū
عَرَفُوا۟
उन्होंने पहचान लिया
kafarū
كَفَرُوا۟
उन्होंने कुफ़्र किया
bihi
بِهِۦۚ
साथ उसके
falaʿnatu
فَلَعْنَةُ
तो लानत है
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
ʿalā
عَلَى
काफ़िरों पर
l-kāfirīna
ٱلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों पर
और जब उनके पास एक किताब अल्लाह की ओर से आई है जो उसकी पुष्टि करती है जो उनके पास मौजूद है - और इससे पहले तो वे न माननेवाले लोगों पर विजय पाने के इच्छुक रहे है - फिर जब वह चीज़ उनके पास आ गई जिसे वे पहचान भी गए हैं, तो उसका इनकार कर बैठे; तो अल्लाह की फिटकार इनकार करने वालों पर! ([२] अल बकराह: 89)
Tafseer (तफ़सीर )
९०

بِئْسَمَا اشْتَرَوْا بِهٖٓ اَنْفُسَهُمْ اَنْ يَّكْفُرُوْا بِمَآ اَنْزَلَ اللّٰهُ بَغْيًا اَنْ يُّنَزِّلَ اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖ عَلٰى مَنْ يَّشَاۤءُ مِنْ عِبَادِهٖ ۚ فَبَاۤءُوْ بِغَضَبٍ عَلٰى غَضَبٍۗ وَلِلْكٰفِرِيْنَ عَذَابٌ مُّهِيْنٌ ٩٠

bi'samā
بِئْسَمَا
कितना बुरा है जो
ish'taraw
ٱشْتَرَوْا۟
बेच डाला उन्होंने
bihi
بِهِۦٓ
बदले उसके
anfusahum
أَنفُسَهُمْ
अपने नफ़्सों को
an
أَن
कि
yakfurū
يَكْفُرُوا۟
उन्होंने कुफ़्र किया
bimā
بِمَآ
साथ उसके जो
anzala
أَنزَلَ
नाज़िल किया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
baghyan
بَغْيًا
ज़िद की वजह से
an
أَن
कि
yunazzila
يُنَزِّلَ
नाज़िल करता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
min
مِن
अपने फ़ज़ल से
faḍlihi
فَضْلِهِۦ
अपने फ़ज़ल से
ʿalā
عَلَىٰ
जिस पर
man
مَن
जिस पर
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता है
min
مِنْ
अपने बन्दों में से
ʿibādihi
عِبَادِهِۦۖ
अपने बन्दों में से
fabāū
فَبَآءُو
तो वो लौटे
bighaḍabin
بِغَضَبٍ
साथ ग़ज़ब के
ʿalā
عَلَىٰ
ग़ज़ब पर
ghaḍabin
غَضَبٍۚ
ग़ज़ब पर
walil'kāfirīna
وَلِلْكَٰفِرِينَ
और काफ़िरों के लिए
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
muhīnun
مُّهِينٌ
रुस्वाकुन/अहानत आमेज़
क्या ही बुरी चीज़ है जिसके बदले उन्होंने अपनी जानों का सौदा किया, अर्थात जो कुछ अल्लाह ने उतारा है उसे सरकशी और इस अप्रियता के कारण नहीं मानते कि अल्लाह अपना फ़ज़्ल (कृपा) अपने बन्दों में से जिसपर चाहता है क्यों उतारता है, अतः वे प्रकोप पर प्रकोप के अधिकारी हो गए है। और ऐसे इनकार करनेवालों के लिए अपमानजनक यातना है ([२] अल बकराह: 90)
Tafseer (तफ़सीर )