بَلٰى مَنْ كَسَبَ سَيِّئَةً وَّاَحَاطَتْ بِهٖ خَطِيْۤـَٔتُهٗ فَاُولٰۤىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِ ۚ هُمْ فِيْهَا خٰلِدُوْنَ ٨١
- balā
- بَلَىٰ
- हाँ (क्यों नहीं)
- man
- مَن
- जिसने
- kasaba
- كَسَبَ
- कमाई
- sayyi-atan
- سَيِّئَةً
- कोई बुराई
- wa-aḥāṭat
- وَأَحَٰطَتْ
- और घेर लिया
- bihi
- بِهِۦ
- उसको
- khaṭīatuhu
- خَطِيٓـَٔتُهُۥ
- उसकी ख़ता ने
- fa-ulāika
- فَأُو۟لَٰٓئِكَ
- तो यही लोग हैं
- aṣḥābu
- أَصْحَٰبُ
- साथी
- l-nāri
- ٱلنَّارِۖ
- आग के
- hum
- هُمْ
- वो
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- khālidūna
- خَٰلِدُونَ
- हमेशा रहने वाले हैं
क्यों नहीं; जिसने भी कोई बदी कमाई और उसकी खताकारी ने उसे अपने घरे में ले लिया, तो ऐसे ही लोग आग (जहन्नम) में पड़नेवाले है; वे उसी में सदैव रहेंगे ([२] अल बकराह: 81)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ اُولٰۤىِٕكَ اَصْحٰبُ الْجَنَّةِ ۚ هُمْ فِيْهَا خٰلِدُوْنَ ࣖ ٨٢
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- waʿamilū
- وَعَمِلُوا۟
- और उन्होंने अमल किए
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِ
- नेक
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- aṣḥābu
- أَصْحَٰبُ
- साथी
- l-janati
- ٱلْجَنَّةِۖ
- जन्नत के
- hum
- هُمْ
- वो
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- khālidūna
- خَٰلِدُونَ
- हमेशा रहने वाले हैं
रहे वे लोग जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, वही जन्नतवाले हैं, वे सदैव उसी में रहेंगे।' ([२] अल बकराह: 82)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذْ اَخَذْنَا مِيْثَاقَ بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ لَا تَعْبُدُوْنَ اِلَّا اللّٰهَ وَبِالْوَالِدَيْنِ اِحْسَانًا وَّذِى الْقُرْبٰى وَالْيَتٰمٰى وَالْمَسٰكِيْنِ وَقُوْلُوْا لِلنَّاسِ حُسْنًا وَّاَقِيْمُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتُوا الزَّكٰوةَۗ ثُمَّ تَوَلَّيْتُمْ اِلَّا قَلِيْلًا مِّنْكُمْ وَاَنْتُمْ مُّعْرِضُوْنَ ٨٣
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- akhadhnā
- أَخَذْنَا
- लिया हमने
- mīthāqa
- مِيثَٰقَ
- पुख़्ता अहद
- banī
- بَنِىٓ
- बनी इस्राईल से
- is'rāīla
- إِسْرَٰٓءِيلَ
- बनी इस्राईल से
- lā
- لَا
- ना तुम इबादत करोगे
- taʿbudūna
- تَعْبُدُونَ
- ना तुम इबादत करोगे
- illā
- إِلَّا
- मगर
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- wabil-wālidayni
- وَبِٱلْوَٰلِدَيْنِ
- और साथ वालिदैन के
- iḥ'sānan
- إِحْسَانًا
- एहसान करना
- wadhī
- وَذِى
- और रिश्तेदारों
- l-qur'bā
- ٱلْقُرْبَىٰ
- और रिश्तेदारों
- wal-yatāmā
- وَٱلْيَتَٰمَىٰ
- और यतीमों
- wal-masākīni
- وَٱلْمَسَٰكِينِ
- और मिस्कीनों के
- waqūlū
- وَقُولُوا۟
- और कहो
- lilnnāsi
- لِلنَّاسِ
- लोगों से
- ḥus'nan
- حُسْنًا
- अच्छी (बात)
- wa-aqīmū
- وَأَقِيمُوا۟
- और क़ायम करो
- l-ṣalata
- ٱلصَّلَوٰةَ
- नमाज़
- waātū
- وَءَاتُوا۟
- और अदा करो
- l-zakata
- ٱلزَّكَوٰةَ
- ज़कात
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- tawallaytum
- تَوَلَّيْتُمْ
- मुँह मोड़ लिया तुमने
- illā
- إِلَّا
- सिवाय
- qalīlan
- قَلِيلًا
- क़लील तादाद के
- minkum
- مِّنكُمْ
- तुम में से
- wa-antum
- وَأَنتُم
- और तुम
- muʿ'riḍūna
- مُّعْرِضُونَ
- ऐराज़ करने वाले हो
और याद करो जब इसराईल की सन्तान से हमने वचन लिया, 'अल्लाह के अतिरिक्त किसी की बन्दगी न करोगे; और माँ-बाप के साथ और नातेदारों के साथ और अनाथों और मुहताजों के साथ अच्छा व्यवहार करोगे; और यह कि लोगों से भली बात कहो और नमाज़ क़ायम करो और ज़कात दो।' तो तुम फिर गए, बस तुममें से बचे थोड़े ही, और तुम उपेक्षा की नीति ही अपनाए रहे ([२] अल बकराह: 83)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذْ اَخَذْنَا مِيْثَاقَكُمْ لَا تَسْفِكُوْنَ دِمَاۤءَكُمْ وَلَا تُخْرِجُوْنَ اَنْفُسَكُمْ مِّنْ دِيَارِكُمْ ۖ ثُمَّ اَقْرَرْتُمْ وَاَنْتُمْ تَشْهَدُوْنَ ٨٤
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- akhadhnā
- أَخَذْنَا
- लिया हमने
- mīthāqakum
- مِيثَٰقَكُمْ
- पुख़्ता अहद तुम से
- lā
- لَا
- ना तुम बहाओगे
- tasfikūna
- تَسْفِكُونَ
- ना तुम बहाओगे
- dimāakum
- دِمَآءَكُمْ
- ख़ून अपने
- walā
- وَلَا
- और ना
- tukh'rijūna
- تُخْرِجُونَ
- तुम निकालोगे
- anfusakum
- أَنفُسَكُم
- अपने नफ़्सों को
- min
- مِّن
- अपने घरों से
- diyārikum
- دِيَٰرِكُمْ
- अपने घरों से
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- aqrartum
- أَقْرَرْتُمْ
- इक़रार किया तुमने
- wa-antum
- وَأَنتُمْ
- और तुम
- tashhadūna
- تَشْهَدُونَ
- तुम गवाही देते हो
और याद करो जब तुमसे वचन लिया, 'अपने ख़ून न बहाओगे और न अपने लोगों को अपनी बस्तियों से निकालोगे।' फिर तुमने इक़रार किया और तुम स्वयं इसके गवाह हो ([२] अल बकराह: 84)Tafseer (तफ़सीर )
ثُمَّ اَنْتُمْ هٰٓؤُلَاۤءِ تَقْتُلُوْنَ اَنْفُسَكُمْ وَتُخْرِجُوْنَ فَرِيْقًا مِّنْكُمْ مِّنْ دِيَارِهِمْۖ تَظٰهَرُوْنَ عَلَيْهِمْ بِالْاِثْمِ وَالْعُدْوَانِۗ وَاِنْ يَّأْتُوْكُمْ اُسٰرٰى تُفٰدُوْهُمْ وَهُوَ مُحَرَّمٌ عَلَيْكُمْ اِخْرَاجُهُمْ ۗ اَفَتُؤْمِنُوْنَ بِبَعْضِ الْكِتٰبِ وَتَكْفُرُوْنَ بِبَعْضٍۚ فَمَا جَزَاۤءُ مَنْ يَّفْعَلُ ذٰلِكَ مِنْكُمْ اِلَّا خِزْيٌ فِى الْحَيٰوةِ الدُّنْيَا ۚوَيَوْمَ الْقِيٰمَةِ يُرَدُّوْنَ اِلٰٓى اَشَدِّ الْعَذَابِۗ وَمَا اللّٰهُ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعْمَلُوْنَ ٨٥
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- antum
- أَنتُمْ
- तुम
- hāulāi
- هَٰٓؤُلَآءِ
- वो ही लोग हो
- taqtulūna
- تَقْتُلُونَ
- तुम क़त्ल कर डालते हो
- anfusakum
- أَنفُسَكُمْ
- अपने नफ़्सों को
- watukh'rijūna
- وَتُخْرِجُونَ
- और तुम निकाल देते हो
- farīqan
- فَرِيقًا
- एक गिरोह को
- minkum
- مِّنكُم
- अपनों में से
- min
- مِّن
- उनके घरों से
- diyārihim
- دِيَٰرِهِمْ
- उनके घरों से
- taẓāharūna
- تَظَٰهَرُونَ
- तुम चढ़ाई करते हो
- ʿalayhim
- عَلَيْهِم
- उन पर
- bil-ith'mi
- بِٱلْإِثْمِ
- साथ गुनाह
- wal-ʿud'wāni
- وَٱلْعُدْوَٰنِ
- और ज़्यादती के
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yatūkum
- يَأْتُوكُمْ
- वो आऐं तुम्हारे पास
- usārā
- أُسَٰرَىٰ
- क़ैदी बनकर
- tufādūhum
- تُفَٰدُوهُمْ
- तुम फ़िदया दे कर छुड़ाते हो उन्हें
- wahuwa
- وَهُوَ
- हालाँकि वो
- muḥarramun
- مُحَرَّمٌ
- हराम किया गया था
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- ikh'rājuhum
- إِخْرَاجُهُمْۚ
- निकालना उनका
- afatu'minūna
- أَفَتُؤْمِنُونَ
- क्या फिर तुम ईमान लाते हो
- bibaʿḍi
- بِبَعْضِ
- बाज़ (हिस्से) पर
- l-kitābi
- ٱلْكِتَٰبِ
- किताब के
- watakfurūna
- وَتَكْفُرُونَ
- और तुम कुफ़्र करते हो
- bibaʿḍin
- بِبَعْضٍۚ
- साथ बाज़ के
- famā
- فَمَا
- तो नहीं
- jazāu
- جَزَآءُ
- बदला
- man
- مَن
- उसका जो
- yafʿalu
- يَفْعَلُ
- करता है
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- minkum
- مِنكُمْ
- तुम में से
- illā
- إِلَّا
- मगर
- khiz'yun
- خِزْىٌ
- रुस्वाई
- fī
- فِى
- ज़िन्दगी में
- l-ḥayati
- ٱلْحَيَوٰةِ
- ज़िन्दगी में
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَاۖ
- दुनिया की
- wayawma
- وَيَوْمَ
- और दिन
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِ
- क़यामत के
- yuraddūna
- يُرَدُّونَ
- वो लौटाए जाऐंगे
- ilā
- إِلَىٰٓ
- तरफ़
- ashaddi
- أَشَدِّ
- शदीद तरीन
- l-ʿadhābi
- ٱلْعَذَابِۗ
- अज़ाब के
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- bighāfilin
- بِغَٰفِلٍ
- ग़ाफ़िल
- ʿammā
- عَمَّا
- उससे जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते हो
फिर तुम वही हो कि अपने लोगों की हत्या करते हो और अपने ही एक गिरोह के लोगों को उनकी बस्तियों से निकालते हो; तुम गुनाह और ज़्यादती के साथ उनके विरुद्ध एक-दूसरे के पृष्ठपोषक बन जाते हो; और यदि वे बन्दी बनकर तुम्हारे पास आते है, तो उनकी रिहाई के लिए फिद्ए (अर्थदंड) का लेन-देन करते हो जबकि उनको उनके घरों से निकालना ही तुम पर हराम था, तो क्या तुम किताब के एक हिस्से को मानते हो और एक को नहीं मानते? फिर तुममें जो ऐसा करें उसका बदला इसके सिवा और क्या हो सकता है कि सांसारिक जीवन में अपमान हो? और क़यामत के दिन ऐसे लोगों को कठोर से कठोर यातना की ओर फेर दिया जाएगा। अल्लाह उससे बेखबर नहीं है जो कुछ तुम कर रहे हो ([२] अल बकराह: 85)Tafseer (तफ़सीर )
اُولٰۤىِٕكَ الَّذِيْنَ اشْتَرَوُا الْحَيٰوةَ الدُّنْيَا بِالْاٰخِرَةِ ۖ فَلَا يُخَفَّفُ عَنْهُمُ الْعَذَابُ وَلَا هُمْ يُنْصَرُوْنَ ࣖ ٨٦
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही वो लोग हैं
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- जिन्होंने
- ish'tarawū
- ٱشْتَرَوُا۟
- ख़रीद ली
- l-ḥayata
- ٱلْحَيَوٰةَ
- ज़िन्दगी
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया की
- bil-ākhirati
- بِٱلْءَاخِرَةِۖ
- बदले आख़िरत के
- falā
- فَلَا
- तो ना
- yukhaffafu
- يُخَفَّفُ
- हल्का किया जाएगा
- ʿanhumu
- عَنْهُمُ
- उनसे
- l-ʿadhābu
- ٱلْعَذَابُ
- अज़ाब
- walā
- وَلَا
- और ना
- hum
- هُمْ
- वो
- yunṣarūna
- يُنصَرُونَ
- वो मदद किए जाऐंगे
यही वे लोग है जो आख़िरात के बदले सांसारिक जीवन के ख़रीदार हुए, तो न उनकी यातना हल्की की जाएगी और न उन्हें कोई सहायता पहुँच सकेगी ([२] अल बकराह: 86)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ اٰتَيْنَا مُوْسَى الْكِتٰبَ وَقَفَّيْنَا مِنْۢ بَعْدِهٖ بِالرُّسُلِ ۖ وَاٰتَيْنَا عِيْسَى ابْنَ مَرْيَمَ الْبَيِّنٰتِ وَاَيَّدْنٰهُ بِرُوْحِ الْقُدُسِۗ اَفَكُلَّمَا جَاۤءَكُمْ رَسُوْلٌۢ بِمَا لَا تَهْوٰىٓ اَنْفُسُكُمُ اسْتَكْبَرْتُمْ ۚ فَفَرِيْقًا كَذَّبْتُمْ وَفَرِيْقًا تَقْتُلُوْنَ ٨٧
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- ātaynā
- ءَاتَيْنَا
- दी हमने
- mūsā
- مُوسَى
- मूसा को
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब
- waqaffaynā
- وَقَفَّيْنَا
- और पै दर पै भेजे हमने
- min
- مِنۢ
- बाद उसके
- baʿdihi
- بَعْدِهِۦ
- बाद उसके
- bil-rusuli
- بِٱلرُّسُلِۖ
- कई रसूल
- waātaynā
- وَءَاتَيْنَا
- और दीं हमने
- ʿīsā
- عِيسَى
- ईसा इब्ने मरियम को
- ib'na
- ٱبْنَ
- ईसा इब्ने मरियम को
- maryama
- مَرْيَمَ
- ईसा इब्ने मरियम को
- l-bayināti
- ٱلْبَيِّنَٰتِ
- वाज़ेह निशानियाँ
- wa-ayyadnāhu
- وَأَيَّدْنَٰهُ
- और क़ुव्वत दी हमने उसे
- birūḥi
- بِرُوحِ
- साथ रुहुल क़ुदुस के
- l-qudusi
- ٱلْقُدُسِۗ
- साथ रुहुल क़ुदुस के
- afakullamā
- أَفَكُلَّمَا
- क्या फिर जब भी
- jāakum
- جَآءَكُمْ
- आया तुम्हारे पास
- rasūlun
- رَسُولٌۢ
- कोई रसूल
- bimā
- بِمَا
- साथ उसके जो
- lā
- لَا
- नहीं चाहते थे
- tahwā
- تَهْوَىٰٓ
- नहीं चाहते थे
- anfusukumu
- أَنفُسُكُمُ
- नफ़्स तुम्हारे
- is'takbartum
- ٱسْتَكْبَرْتُمْ
- तकब्बुर किया तुमने
- fafarīqan
- فَفَرِيقًا
- तो एक गिरोह को
- kadhabtum
- كَذَّبْتُمْ
- झुठलाया तुमने
- wafarīqan
- وَفَرِيقًا
- और एक गिरोह को
- taqtulūna
- تَقْتُلُونَ
- तुम क़त्ल करते रहे
और हमने मूसा को किताब दी थी, और उसके पश्चात आगे-पीछे निरन्तर रसूल भेजते रहे; और मरयम के बेटे ईसा को खुली-खुली निशानियाँ प्रदान की और पवित्र-आत्मा के द्वारा उसे शक्ति प्रदान की; तो यही तो हुआ कि जब भी कोई रसूल तुम्हारे पास वह कुछ लेकर आया जो तुम्हारे जी को पसन्द न था, तो तुम अकड़ बैठे, तो एक गिरोह को तो तुमने झुठलाया और एक गिरोह को क़त्ल करते हो? ([२] अल बकराह: 87)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالُوْا قُلُوْبُنَا غُلْفٌ ۗ بَلْ لَّعَنَهُمُ اللّٰهُ بِكُفْرِهِمْ فَقَلِيْلًا مَّا يُؤْمِنُوْنَ ٨٨
- waqālū
- وَقَالُوا۟
- और उन्होंने कहा
- qulūbunā
- قُلُوبُنَا
- दिल हमारे
- ghul'fun
- غُلْفٌۢۚ
- ग़िलाफ़ हैं
- bal
- بَل
- बल्कि (नहीं)
- laʿanahumu
- لَّعَنَهُمُ
- लानत की उन पर
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- bikuf'rihim
- بِكُفْرِهِمْ
- बवजह उनके कुफ़्र के
- faqalīlan
- فَقَلِيلًا
- पस कितना कम
- mā
- مَّا
- पस कितना कम
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- वो ईमान लाते हैं
वे कहते हैं, 'हमारे दिलों पर तो प्राकृतिक आवरण चढ़े है' नहीं, बल्कि उनके इनकार के कारण अल्लाह ने उनपर लानत की है; अतः वे ईमान थोड़े ही लाएँगे ([२] अल बकराह: 88)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَمَّا جَاۤءَهُمْ كِتٰبٌ مِّنْ عِنْدِ اللّٰهِ مُصَدِّقٌ لِّمَا مَعَهُمْۙ وَكَانُوْا مِنْ قَبْلُ يَسْتَفْتِحُوْنَ عَلَى الَّذِيْنَ كَفَرُوْاۚ فَلَمَّا جَاۤءَهُمْ مَّا عَرَفُوْا كَفَرُوْا بِهٖ ۖ فَلَعْنَةُ اللّٰهِ عَلَى الْكٰفِرِيْنَ ٨٩
- walammā
- وَلَمَّا
- और जब
- jāahum
- جَآءَهُمْ
- आ गई उनके पास
- kitābun
- كِتَٰبٌ
- एक किताब
- min
- مِّنْ
- पास से
- ʿindi
- عِندِ
- पास से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- muṣaddiqun
- مُصَدِّقٌ
- तसदीक़ करने वाली
- limā
- لِّمَا
- उसकी जो
- maʿahum
- مَعَهُمْ
- पास है उनके
- wakānū
- وَكَانُوا۟
- हालाँकि थे वो
- min
- مِن
- इससे क़ब्ल
- qablu
- قَبْلُ
- इससे क़ब्ल
- yastaftiḥūna
- يَسْتَفْتِحُونَ
- वो फ़तह माँगते
- ʿalā
- عَلَى
- उन पर जिन्होंने
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन पर जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- falammā
- فَلَمَّا
- तो जब
- jāahum
- جَآءَهُم
- आ गया उनके पास
- mā
- مَّا
- जो
- ʿarafū
- عَرَفُوا۟
- उन्होंने पहचान लिया
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- उन्होंने कुफ़्र किया
- bihi
- بِهِۦۚ
- साथ उसके
- falaʿnatu
- فَلَعْنَةُ
- तो लानत है
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- ʿalā
- عَلَى
- काफ़िरों पर
- l-kāfirīna
- ٱلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों पर
और जब उनके पास एक किताब अल्लाह की ओर से आई है जो उसकी पुष्टि करती है जो उनके पास मौजूद है - और इससे पहले तो वे न माननेवाले लोगों पर विजय पाने के इच्छुक रहे है - फिर जब वह चीज़ उनके पास आ गई जिसे वे पहचान भी गए हैं, तो उसका इनकार कर बैठे; तो अल्लाह की फिटकार इनकार करने वालों पर! ([२] अल बकराह: 89)Tafseer (तफ़सीर )
بِئْسَمَا اشْتَرَوْا بِهٖٓ اَنْفُسَهُمْ اَنْ يَّكْفُرُوْا بِمَآ اَنْزَلَ اللّٰهُ بَغْيًا اَنْ يُّنَزِّلَ اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖ عَلٰى مَنْ يَّشَاۤءُ مِنْ عِبَادِهٖ ۚ فَبَاۤءُوْ بِغَضَبٍ عَلٰى غَضَبٍۗ وَلِلْكٰفِرِيْنَ عَذَابٌ مُّهِيْنٌ ٩٠
- bi'samā
- بِئْسَمَا
- कितना बुरा है जो
- ish'taraw
- ٱشْتَرَوْا۟
- बेच डाला उन्होंने
- bihi
- بِهِۦٓ
- बदले उसके
- anfusahum
- أَنفُسَهُمْ
- अपने नफ़्सों को
- an
- أَن
- कि
- yakfurū
- يَكْفُرُوا۟
- उन्होंने कुफ़्र किया
- bimā
- بِمَآ
- साथ उसके जो
- anzala
- أَنزَلَ
- नाज़िल किया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- baghyan
- بَغْيًا
- ज़िद की वजह से
- an
- أَن
- कि
- yunazzila
- يُنَزِّلَ
- नाज़िल करता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- min
- مِن
- अपने फ़ज़ल से
- faḍlihi
- فَضْلِهِۦ
- अपने फ़ज़ल से
- ʿalā
- عَلَىٰ
- जिस पर
- man
- مَن
- जिस पर
- yashāu
- يَشَآءُ
- वो चाहता है
- min
- مِنْ
- अपने बन्दों में से
- ʿibādihi
- عِبَادِهِۦۖ
- अपने बन्दों में से
- fabāū
- فَبَآءُو
- तो वो लौटे
- bighaḍabin
- بِغَضَبٍ
- साथ ग़ज़ब के
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ग़ज़ब पर
- ghaḍabin
- غَضَبٍۚ
- ग़ज़ब पर
- walil'kāfirīna
- وَلِلْكَٰفِرِينَ
- और काफ़िरों के लिए
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब है
- muhīnun
- مُّهِينٌ
- रुस्वाकुन/अहानत आमेज़
क्या ही बुरी चीज़ है जिसके बदले उन्होंने अपनी जानों का सौदा किया, अर्थात जो कुछ अल्लाह ने उतारा है उसे सरकशी और इस अप्रियता के कारण नहीं मानते कि अल्लाह अपना फ़ज़्ल (कृपा) अपने बन्दों में से जिसपर चाहता है क्यों उतारता है, अतः वे प्रकोप पर प्रकोप के अधिकारी हो गए है। और ऐसे इनकार करनेवालों के लिए अपमानजनक यातना है ([२] अल बकराह: 90)Tafseer (तफ़सीर )