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सूरा अल बकराह - Page: 8

Al-Baqarah

(गाय)

७१

قَالَ اِنَّهٗ يَقُوْلُ اِنَّهَا بَقَرَةٌ لَّا ذَلُوْلٌ تُثِيْرُ الْاَرْضَ وَلَا تَسْقِى الْحَرْثَۚ مُسَلَّمَةٌ لَّاشِيَةَ فِيْهَا ۗ قَالُوا الْـٰٔنَ جِئْتَ بِالْحَقِّ فَذَبَحُوْهَا وَمَا كَادُوْا يَفْعَلُوْنَ ࣖ ٧١

qāla
قَالَ
कहा
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
yaqūlu
يَقُولُ
वो फ़रमाता है
innahā
إِنَّهَا
बेशक वो
baqaratun
بَقَرَةٌ
ऐसी गाय हो
لَّا
ना
dhalūlun
ذَلُولٌ
जोती हुई हो
tuthīru
تُثِيرُ
कि वो हल चलाती हो
l-arḍa
ٱلْأَرْضَ
ज़मीन में
walā
وَلَا
और ना
tasqī
تَسْقِى
वो सैराब करती हो
l-ḥartha
ٱلْحَرْثَ
खेती को
musallamatun
مُسَلَّمَةٌ
सही सलामत हो
لَّا
ना हो
shiyata
شِيَةَ
कोई दाग़
fīhā
فِيهَاۚ
उसमें
qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
l-āna
ٱلْـَٰٔنَ
अब
ji'ta
جِئْتَ
लाया है तू
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّۚ
हक़ को
fadhabaḥūhā
فَذَبَحُوهَا
फिर उन्होंने ज़िबाह किया उसे
wamā
وَمَا
और ना
kādū
كَادُوا۟
वो क़रीब थे कि
yafʿalūna
يَفْعَلُونَ
वो करते
उसने कहा, ' वह कहता हैं कि वह ऐसा गाय है जो सधाई हुई नहीं है कि भूमि जोतती हो, और न वह खेत को पानी देती है, ठीक-ठाक है, उसमें किसी दूसरे रंग की मिलावट नहीं है।' बोले, 'अब तुमने ठीक बात बताई है।' फिर उन्होंने उसे ज़ब्ह किया, जबकि वे करना नहीं चाहते थे ([२] अल बकराह: 71)
Tafseer (तफ़सीर )
७२

وَاِذْ قَتَلْتُمْ نَفْسًا فَادّٰرَءْتُمْ فِيْهَا ۗ وَاللّٰهُ مُخْرِجٌ مَّا كُنْتُمْ تَكْتُمُوْنَ ۚ ٧٢

wa-idh
وَإِذْ
और जब
qataltum
قَتَلْتُمْ
क़त्ल किया तुमने
nafsan
نَفْسًا
एक नफ़्स को
fa-iddāratum
فَٱدَّٰرَْٰٔتُمْ
फिर एक दूसरे पर डालने लगे तुम
fīhā
فِيهَاۖ
उस (के बारे) में
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
mukh'rijun
مُخْرِجٌ
निकालने वाला था
مَّا
जो
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
taktumūna
تَكْتُمُونَ
तुम छुपाते
और याद करो जब तुमने एक व्यक्ति की हत्या कर दी, फिर उस सिलसिले में तुमने टाल-मटोल से काम लिया - जबकि जिसको तुम छिपा रहे थे, अल्लाह उसे खोल देनेवाला था ([२] अल बकराह: 72)
Tafseer (तफ़सीर )
७३

فَقُلْنَا اضْرِبُوْهُ بِبَعْضِهَاۗ كَذٰلِكَ يُحْيِ اللّٰهُ الْمَوْتٰى وَيُرِيْكُمْ اٰيٰتِهٖ لَعَلَّكُمْ تَعْقِلُوْنَ ٧٣

faqul'nā
فَقُلْنَا
पस कहा हमने
iḍ'ribūhu
ٱضْرِبُوهُ
मारो उसे
bibaʿḍihā
بِبَعْضِهَاۚ
साथ उसके बाज़ हिस्से के
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
yuḥ'yī
يُحْىِ
ज़िन्दा करेगा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
l-mawtā
ٱلْمَوْتَىٰ
मुर्दों को
wayurīkum
وَيُرِيكُمْ
और वो दिखाता है तुम्हें
āyātihi
ءَايَٰتِهِۦ
अपनी निशानियाँ
laʿallakum
لَعَلَّكُمْ
ताकि तुम
taʿqilūna
تَعْقِلُونَ
तुम अक़्ल से काम लो
तो हमने कहा, 'उसे उसके एक हिस्से से मारो।' इस प्रकार अल्लाह मुर्दों को जीवित करता है और तुम्हें अपनी निशानियाँ दिखाता है, ताकि तुम समझो ([२] अल बकराह: 73)
Tafseer (तफ़सीर )
७४

ثُمَّ قَسَتْ قُلُوْبُكُمْ مِّنْۢ بَعْدِ ذٰلِكَ فَهِيَ كَالْحِجَارَةِ اَوْ اَشَدُّ قَسْوَةً ۗ وَاِنَّ مِنَ الْحِجَارَةِ لَمَا يَتَفَجَّرُ مِنْهُ الْاَنْهٰرُ ۗ وَاِنَّ مِنْهَا لَمَا يَشَّقَّقُ فَيَخْرُجُ مِنْهُ الْمَاۤءُ ۗوَاِنَّ مِنْهَا لَمَا يَهْبِطُ مِنْ خَشْيَةِ اللّٰهِ ۗوَمَا اللّٰهُ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعْمَلُوْنَ ٧٤

thumma
ثُمَّ
फिर
qasat
قَسَتْ
सख़्त हो गए
qulūbukum
قُلُوبُكُم
दिल तुम्हारे
min
مِّنۢ
बाद
baʿdi
بَعْدِ
बाद
dhālika
ذَٰلِكَ
इसके
fahiya
فَهِىَ
तो वो
kal-ḥijārati
كَٱلْحِجَارَةِ
पत्थरों की तरह हैं
aw
أَوْ
या
ashaddu
أَشَدُّ
ज़्यादा शदीद
qaswatan
قَسْوَةًۚ
सख़्ती में
wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
mina
مِنَ
बाज़ पत्थर
l-ḥijārati
ٱلْحِجَارَةِ
बाज़ पत्थर
lamā
لَمَا
अलबत्ता वो हैं जो
yatafajjaru
يَتَفَجَّرُ
फूट पड़ती हैं
min'hu
مِنْهُ
उनसे
l-anhāru
ٱلْأَنْهَٰرُۚ
नहरें
wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
min'hā
مِنْهَا
कुछ उनमें से
lamā
لَمَا
अलबत्ता वो हैं जो
yashaqqaqu
يَشَّقَّقُ
फट जाते हैं
fayakhruju
فَيَخْرُجُ
फिर निकल आता है
min'hu
مِنْهُ
उनसे
l-māu
ٱلْمَآءُۚ
पानी
wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
min'hā
مِنْهَا
कुछ उनमें से
lamā
لَمَا
अलबत्ता वो हैं जो
yahbiṭu
يَهْبِطُ
गिर पड़ते हैं
min
مِنْ
ख़ौफ़ से
khashyati
خَشْيَةِ
ख़ौफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِۗ
अल्लाह के
wamā
وَمَا
और नहीं
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
bighāfilin
بِغَٰفِلٍ
ग़ाफ़िल
ʿammā
عَمَّا
उससे जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
फिर इसके पश्चात भी तुम्हारे दिल कठोर हो गए, तो वे पत्थरों की तरह हो गए बल्कि उनसे भी अधिक कठोर; क्योंकि कुछ पत्थर ऐसे भी होते है जिनसे नहरें फूट निकलती है, और कुछ ऐसे भी होते है कि फट जाते है तो उनमें से पानी निकलने लगता है, और उनमें से कुछ ऐसे भी होते है जो अल्लाह के भय से गिर जाते है। और अल्लाह, जो कुछ तुम कर रहे हो, उससे बेखबर नहीं है ([२] अल बकराह: 74)
Tafseer (तफ़सीर )
७५

۞ اَفَتَطْمَعُوْنَ اَنْ يُّؤْمِنُوْا لَكُمْ وَقَدْ كَانَ فَرِيْقٌ مِّنْهُمْ يَسْمَعُوْنَ كَلَامَ اللّٰهِ ثُمَّ يُحَرِّفُوْنَهٗ مِنْۢ بَعْدِ مَا عَقَلُوْهُ وَهُمْ يَعْلَمُوْنَ ٧٥

afataṭmaʿūna
أَفَتَطْمَعُونَ
क्या फिर तुम तमा रखते हो
an
أَن
कि
yu'minū
يُؤْمِنُوا۟
वो ईमान लाऐंगे
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
waqad
وَقَدْ
हालाँकि तहक़ीक़
kāna
كَانَ
है
farīqun
فَرِيقٌ
एक गिरोह (के लोग)
min'hum
مِّنْهُمْ
उनमें से
yasmaʿūna
يَسْمَعُونَ
वो सुनते हैं
kalāma
كَلَٰمَ
कलाम
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
thumma
ثُمَّ
फिर
yuḥarrifūnahu
يُحَرِّفُونَهُۥ
वो तहरीफ़ कर डालते हैं उसमें
min
مِنۢ
बाद उसके
baʿdi
بَعْدِ
बाद उसके
مَا
जो
ʿaqalūhu
عَقَلُوهُ
उन्होंने समझ लिया उसे
wahum
وَهُمْ
जबकि वो
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
वो इल्म रखते हैं
तो क्या तुम इस लालच में हो कि वे तुम्हारी बात मान लेंगे, जबकि उनमें से कुछ लोग अल्लाह का कलाम सुनते रहे हैं, फिर उसे भली-भाँति समझ लेने के पश्चात जान-बूझकर उसमें परिवर्तन करते रहे? ([२] अल बकराह: 75)
Tafseer (तफ़सीर )
७६

وَاِذَا لَقُوا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا قَالُوْٓا اٰمَنَّاۚ وَاِذَا خَلَا بَعْضُهُمْ اِلٰى بَعْضٍ قَالُوْٓا اَتُحَدِّثُوْنَهُمْ بِمَا فَتَحَ اللّٰهُ عَلَيْكُمْ لِيُحَاۤجُّوْكُمْ بِهٖ عِنْدَ رَبِّكُمْ ۗ اَفَلَا تَعْقِلُوْنَ ٧٦

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
laqū
لَقُوا۟
वो मुलाक़ात करते हैं
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनसे जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
qālū
قَالُوٓا۟
वो कहते हैं
āmannā
ءَامَنَّا
ईमान लाए हम
wa-idhā
وَإِذَا
और जब
khalā
خَلَا
अलेहदा होते हैं
baʿḍuhum
بَعْضُهُمْ
बाज़ उनके
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ बाज़ के
baʿḍin
بَعْضٍ
तरफ़ बाज़ के
qālū
قَالُوٓا۟
वो कहते हैं
atuḥaddithūnahum
أَتُحَدِّثُونَهُم
क्या तुम बातें बताते हो उन्हें
bimā
بِمَا
जो
fataḥa
فَتَحَ
खोल दीं हैं
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
liyuḥājjūkum
لِيُحَآجُّوكُم
ताकि वो झगड़ा करें तुमसे
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
ʿinda
عِندَ
पास
rabbikum
رَبِّكُمْۚ
तुम्हारे रब के
afalā
أَفَلَا
क्या फिर नहीं
taʿqilūna
تَعْقِلُونَ
तुम अक़्ल से काम लेते
और जब वे ईमान लानेवाले से मिलते है तो कहते हैं, 'हम भी ईमान रखते हैं', और जब आपस में एक-दूसरे से एकान्त में मिलते है तो कहते है, 'क्या तुम उन्हें वे बातें, जो अल्लाह ने तुम पर खोली, बता देते हो कि वे उनके द्वारा तुम्हारे रब के यहाँ हुज्जत में तुम्हारा मुक़ाबिला करें? तो क्या तुम समझते नहीं!' ([२] अल बकराह: 76)
Tafseer (तफ़सीर )
७७

اَوَلَا يَعْلَمُوْنَ اَنَّ اللّٰهَ يَعْلَمُ مَا يُسِرُّوْنَ وَمَا يُعْلِنُوْنَ ٧٧

awalā
أَوَلَا
क्या भला नहीं
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
वो इल्म रखते
anna
أَنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yaʿlamu
يَعْلَمُ
जानता है
مَا
जो
yusirrūna
يُسِرُّونَ
वो छुपाते हैं
wamā
وَمَا
और जो
yuʿ'linūna
يُعْلِنُونَ
वो ज़ाहिर करते हैं
क्या वे जानते नहीं कि अल्लाह वह सब कुछ जानता है, जो कुछ वे छिपाते और जो कुछ ज़ाहिर करते हैं? ([२] अल बकराह: 77)
Tafseer (तफ़सीर )
७८

وَمِنْهُمْ اُمِّيُّوْنَ لَا يَعْلَمُوْنَ الْكِتٰبَ اِلَّآ اَمَانِيَّ وَاِنْ هُمْ اِلَّا يَظُنُّوْنَ ٧٨

wamin'hum
وَمِنْهُمْ
और उनमें से कुछ
ummiyyūna
أُمِّيُّونَ
अनपढ़ हैं
لَا
नहीं वो इल्म रखते
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
नहीं वो इल्म रखते
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब का
illā
إِلَّآ
सिवाय
amāniyya
أَمَانِىَّ
तमन्नाओं के
wa-in
وَإِنْ
और नहीं
hum
هُمْ
वो
illā
إِلَّا
मगर
yaẓunnūna
يَظُنُّونَ
वो गुमान करते
और उनमें सामान्य बेपढ़े भी हैं जिन्हें किताब का ज्ञान नहीं है, बस कुछ कामनाओं एवं आशाओं को धर्म जानते हैं, और वे तो बस अटकल से काम लेते हैं ([२] अल बकराह: 78)
Tafseer (तफ़सीर )
७९

فَوَيْلٌ لِّلَّذِيْنَ يَكْتُبُوْنَ الْكِتٰبَ بِاَيْدِيْهِمْ ثُمَّ يَقُوْلُوْنَ هٰذَا مِنْ عِنْدِ اللّٰهِ لِيَشْتَرُوْا بِهٖ ثَمَنًا قَلِيْلًا ۗفَوَيْلٌ لَّهُمْ مِّمَّا كَتَبَتْ اَيْدِيْهِمْ وَوَيْلٌ لَّهُمْ مِّمَّا يَكْسِبُوْنَ ٧٩

fawaylun
فَوَيْلٌ
पस हलाकत है
lilladhīna
لِّلَّذِينَ
उनके लिए जो
yaktubūna
يَكْتُبُونَ
वो लिखते हैं
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब को
bi-aydīhim
بِأَيْدِيهِمْ
अपने हाथों से
thumma
ثُمَّ
फिर
yaqūlūna
يَقُولُونَ
वो कहते हैं
hādhā
هَٰذَا
ये
min
مِنْ
पास से है
ʿindi
عِندِ
पास से है
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
liyashtarū
لِيَشْتَرُوا۟
ताकि वो ले लें
bihi
بِهِۦ
बदले उसके
thamanan
ثَمَنًا
क़ीमत
qalīlan
قَلِيلًاۖ
थोड़ी
fawaylun
فَوَيْلٌ
पस हलाकत है
lahum
لَّهُم
उनके लिए
mimmā
مِّمَّا
बवजह उसके जो
katabat
كَتَبَتْ
लिखा
aydīhim
أَيْدِيهِمْ
उनके हाथों ने
wawaylun
وَوَيْلٌ
और हलाकत है
lahum
لَّهُم
उनके लिए
mimmā
مِّمَّا
बवजह उसके जो
yaksibūna
يَكْسِبُونَ
वो कमाते हैं
तो विनाश और तबाही है उन लोगों के लिए जो अपने हाथों से किताब लिखते हैं फिर कहते हैं, 'यह अल्लाह की ओर से है', ताकि उसके द्वारा थोड़ा मूल्य प्राप्त कर लें। तो तबाही है उनके हाथों ने लिखा और तबाही है उनके लिए उसके कारण जो वे कमा रहे हैं ([२] अल बकराह: 79)
Tafseer (तफ़सीर )
८०

وَقَالُوْا لَنْ تَمَسَّنَا النَّارُ اِلَّآ اَيَّامًا مَّعْدُوْدَةً ۗ قُلْ اَتَّخَذْتُمْ عِنْدَ اللّٰهِ عَهْدًا فَلَنْ يُّخْلِفَ اللّٰهُ عَهْدَهٗٓ اَمْ تَقُوْلُوْنَ عَلَى اللّٰهِ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ ٨٠

waqālū
وَقَالُوا۟
और उन्होंने कहा
lan
لَن
हरगिज़ नहीं
tamassanā
تَمَسَّنَا
छुएगी हमें
l-nāru
ٱلنَّارُ
आग
illā
إِلَّآ
मगर
ayyāman
أَيَّامًا
दिन
maʿdūdatan
مَّعْدُودَةًۚ
गिने चुने
qul
قُلْ
कह दीजिए
attakhadhtum
أَتَّخَذْتُمْ
क्या ले रखा है तुमने
ʿinda
عِندَ
पास
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
ʿahdan
عَهْدًا
कोई अहद
falan
فَلَن
तो हरगिज़ नहीं
yukh'lifa
يُخْلِفَ
ख़िलाफ़ करेगा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿahdahu
عَهْدَهُۥٓۖ
अपने अहद के
am
أَمْ
या
taqūlūna
تَقُولُونَ
तुम कहते हो
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
مَا
जो
لَا
नहीं तुम इल्म रखते
taʿlamūna
تَعْلَمُونَ
नहीं तुम इल्म रखते
वे कहते है, 'जहन्नम की आग हमें नहीं छू सकती, हाँ, कुछ गिने-चुने दिनों की बात और है।' कहो, 'क्या तुमने अल्लाह से कोई वचन ले रखा है? फिर तो अल्लाह कदापि अपने वचन के विरुद्ध नहीं जा सकता? या तुम अल्लाह के ज़िम्मे डालकर ऐसी बात कहते हो जिसका तुम्हें ज्ञान नहीं? ([२] अल बकराह: 80)
Tafseer (तफ़सीर )