وَعَلَّمَ اٰدَمَ الْاَسْمَاۤءَ كُلَّهَا ثُمَّ عَرَضَهُمْ عَلَى الْمَلٰۤىِٕكَةِ فَقَالَ اَنْۢبِـُٔوْنِيْ بِاَسْمَاۤءِ هٰٓؤُلَاۤءِ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِيْنَ ٣١
- waʿallama
- وَعَلَّمَ
- और उसने सिखा दिए
- ādama
- ءَادَمَ
- आदम को
- l-asmāa
- ٱلْأَسْمَآءَ
- नाम
- kullahā
- كُلَّهَا
- सब उनके
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- ʿaraḍahum
- عَرَضَهُمْ
- उसने पेश किया उन्हें
- ʿalā
- عَلَى
- फ़रिश्तों पर
- l-malāikati
- ٱلْمَلَٰٓئِكَةِ
- फ़रिश्तों पर
- faqāla
- فَقَالَ
- फिर फ़रमाया
- anbiūnī
- أَنۢبِـُٔونِى
- ख़बर दो मुझे
- bi-asmāi
- بِأَسْمَآءِ
- नामों की
- hāulāi
- هَٰٓؤُلَآءِ
- उन सब के
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- ṣādiqīna
- صَٰدِقِينَ
- सच्चे
उसने (अल्लाह ने) आदम को सारे नाम सिखाए, फिर उन्हें फ़रिश्तों के सामने पेश किया और कहा, 'अगर तुम सच्चे हो तो मुझे इनके नाम बताओ।' ([२] अल बकराह: 31)Tafseer (तफ़सीर )
قَالُوْا سُبْحٰنَكَ لَا عِلْمَ لَنَآ اِلَّا مَا عَلَّمْتَنَا ۗاِنَّكَ اَنْتَ الْعَلِيْمُ الْحَكِيْمُ ٣٢
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- sub'ḥānaka
- سُبْحَٰنَكَ
- पाक है तू
- lā
- لَا
- नहीं
- ʿil'ma
- عِلْمَ
- कोई इल्म
- lanā
- لَنَآ
- हमारे लिए
- illā
- إِلَّا
- मगर
- mā
- مَا
- जो
- ʿallamtanā
- عَلَّمْتَنَآۖ
- सिखाया तूने हमें
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक तू
- anta
- أَنتَ
- तू ही है
- l-ʿalīmu
- ٱلْعَلِيمُ
- बहुत इल्म वाला
- l-ḥakīmu
- ٱلْحَكِيمُ
- बहुत हिकमत वाला
वे बोले, 'पाक और महिमावान है तू! तूने जो कुछ हमें बताया उसके सिवा हमें कोई ज्ञान नहीं। निस्संदेह तू सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है।' ([२] अल बकराह: 32)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ يٰٓاٰدَمُ اَنْۢبِئْهُمْ بِاَسْمَاۤىِٕهِمْ ۚ فَلَمَّآ اَنْۢبَاَهُمْ بِاَسْمَاۤىِٕهِمْۙ قَالَ اَلَمْ اَقُلْ لَّكُمْ اِنِّيْٓ اَعْلَمُ غَيْبَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۙ وَاَعْلَمُ مَا تُبْدُوْنَ وَمَا كُنْتُمْ تَكْتُمُوْنَ ٣٣
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- yāādamu
- يَٰٓـَٔادَمُ
- ऐ आदम
- anbi'hum
- أَنۢبِئْهُم
- ख़बर दो उन्हें
- bi-asmāihim
- بِأَسْمَآئِهِمْۖ
- उनके नामों की
- falammā
- فَلَمَّآ
- फिर जब
- anba-ahum
- أَنۢبَأَهُم
- उसने ख़बर दी उन्हें
- bi-asmāihim
- بِأَسْمَآئِهِمْ
- उनके नामों की
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- aqul
- أَقُل
- मैंने कहा था
- lakum
- لَّكُمْ
- तुम से
- innī
- إِنِّىٓ
- बेशक मैं
- aʿlamu
- أَعْلَمُ
- मैं जानता हूँ
- ghayba
- غَيْبَ
- ग़ैब
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन का
- wa-aʿlamu
- وَأَعْلَمُ
- और मैं जानता हूँ
- mā
- مَا
- जो कुछ
- tub'dūna
- تُبْدُونَ
- तुम ज़ाहिर करते हो
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- taktumūna
- تَكْتُمُونَ
- तुम छुपाते
उसने कहा, 'ऐ आदम! उन्हें उन लोगों के नाम बताओ।' फिर जब उसने उन्हें उनके नाम बता दिए तो (अल्लाह ने) कहा, 'क्या मैंने तुमसे कहा न था कि मैं आकाशों और धरती की छिपी बातों को जानता हूँ और मैं जानता हूँ जो कुछ तुम ज़ाहिर करते हो और जो कुछ छिपाते हो।' ([२] अल बकराह: 33)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذْ قُلْنَا لِلْمَلٰۤىِٕكَةِ اسْجُدُوْا لِاٰدَمَ فَسَجَدُوْٓا اِلَّآ اِبْلِيْسَۗ اَبٰى وَاسْتَكْبَرَۖ وَكَانَ مِنَ الْكٰفِرِيْنَ ٣٤
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- qul'nā
- قُلْنَا
- कहा हमने
- lil'malāikati
- لِلْمَلَٰٓئِكَةِ
- फ़रिश्तों से
- us'judū
- ٱسْجُدُوا۟
- सजदा करो
- liādama
- لِءَادَمَ
- आदम को
- fasajadū
- فَسَجَدُوٓا۟
- तो उन्होंने सजदा किया
- illā
- إِلَّآ
- सिवाय
- ib'līsa
- إِبْلِيسَ
- इब्लीस के
- abā
- أَبَىٰ
- उसने इन्कार किया
- wa-is'takbara
- وَٱسْتَكْبَرَ
- और तकब्बुर किया
- wakāna
- وَكَانَ
- और वो हो गया
- mina
- مِنَ
- काफ़िरों में से
- l-kāfirīna
- ٱلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों में से
और याद करो जब हमने फ़रिश्तों से कहा कि 'आदम को सजदा करो' तो, उन्होंने सजदा किया सिवाय इबलील के; उसने इनकार कर दिया और लगा बड़ा बनने और काफ़िर हो रहा ([२] अल बकराह: 34)Tafseer (तफ़सीर )
وَقُلْنَا يٰٓاٰدَمُ اسْكُنْ اَنْتَ وَزَوْجُكَ الْجَنَّةَ وَكُلَا مِنْهَا رَغَدًا حَيْثُ شِئْتُمَاۖ وَلَا تَقْرَبَا هٰذِهِ الشَّجَرَةَ فَتَكُوْنَا مِنَ الظّٰلِمِيْنَ ٣٥
- waqul'nā
- وَقُلْنَا
- और कहा हमने
- yāādamu
- يَٰٓـَٔادَمُ
- ऐ आदम
- us'kun
- ٱسْكُنْ
- रहो
- anta
- أَنتَ
- तुम
- wazawjuka
- وَزَوْجُكَ
- और बीवी तुम्हारी
- l-janata
- ٱلْجَنَّةَ
- जन्नत में
- wakulā
- وَكُلَا
- और तुम दोनों खाओ
- min'hā
- مِنْهَا
- इससे
- raghadan
- رَغَدًا
- फ़राग़त से
- ḥaythu
- حَيْثُ
- जहाँ से
- shi'tumā
- شِئْتُمَا
- तुम दोनों चाहो
- walā
- وَلَا
- और ना
- taqrabā
- تَقْرَبَا
- तुम दोनों क़रीब जाना
- hādhihi
- هَٰذِهِ
- उस
- l-shajarata
- ٱلشَّجَرَةَ
- दरख़्त के
- fatakūnā
- فَتَكُونَا
- वरना तुम दोनों हो जाओगे
- mina
- مِنَ
- ज़ालिमों में से
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- ज़ालिमों में से
और हमने कहा, 'ऐ आदम! तुम और तुम्हारी पत्नी जन्नत में रहो और वहाँ जी भर बेरोक-टोक जहाँ से तुम दोनों का जी चाहे खाओ, लेकिन इस वृक्ष के पास न जाना, अन्यथा तुम ज़ालिम ठहरोगे।' ([२] अल बकराह: 35)Tafseer (तफ़सीर )
فَاَزَلَّهُمَا الشَّيْطٰنُ عَنْهَا فَاَخْرَجَهُمَا مِمَّا كَانَا فِيْهِ ۖ وَقُلْنَا اهْبِطُوْا بَعْضُكُمْ لِبَعْضٍ عَدُوٌّ ۚ وَلَكُمْ فِى الْاَرْضِ مُسْتَقَرٌّ وَّمَتَاعٌ اِلٰى حِيْنٍ ٣٦
- fa-azallahumā
- فَأَزَلَّهُمَا
- फिर फुसला दिया उन दोनों को
- l-shayṭānu
- ٱلشَّيْطَٰنُ
- शैतान ने
- ʿanhā
- عَنْهَا
- उससे
- fa-akhrajahumā
- فَأَخْرَجَهُمَا
- फिर उसने निकलवा दिया उन दोनों को
- mimmā
- مِمَّا
- उससे जो
- kānā
- كَانَا
- वो दोनों थे
- fīhi
- فِيهِۖ
- जिसमें
- waqul'nā
- وَقُلْنَا
- और कहा हमने
- ih'biṭū
- ٱهْبِطُوا۟
- उतर जाओ
- baʿḍukum
- بَعْضُكُمْ
- बाज़ तुम्हारे
- libaʿḍin
- لِبَعْضٍ
- बाज़ के
- ʿaduwwun
- عَدُوٌّۖ
- दुश्मन हैं
- walakum
- وَلَكُمْ
- और तुम्हारे लिए
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- mus'taqarrun
- مُسْتَقَرٌّ
- जाए क़रार है
- wamatāʿun
- وَمَتَٰعٌ
- और फ़ायदा उठाना है
- ilā
- إِلَىٰ
- एक वक़्त तक
- ḥīnin
- حِينٍ
- एक वक़्त तक
अन्ततः शैतान ने उन्हें वहाँ से फिसला दिया, फिर उन दोनों को वहाँ से निकलवाकर छोड़ा, जहाँ वे थे। हमने कहा कि 'उतरो, तुम एक-दूसरे के शत्रु होगे और तुम्हें एक समय तक धरती में ठहरना और बिसलना है।' ([२] अल बकराह: 36)Tafseer (तफ़सीर )
فَتَلَقّٰٓى اٰدَمُ مِنْ رَّبِّهٖ كَلِمٰتٍ فَتَابَ عَلَيْهِ ۗ اِنَّهٗ هُوَ التَّوَّابُ الرَّحِيْمُ ٣٧
- fatalaqqā
- فَتَلَقَّىٰٓ
- पस सीख लिए
- ādamu
- ءَادَمُ
- आदम ने
- min
- مِن
- अपने रब से
- rabbihi
- رَّبِّهِۦ
- अपने रब से
- kalimātin
- كَلِمَٰتٍ
- चंद कलिमात
- fatāba
- فَتَابَ
- फिर वो मेहरबान हुआ
- ʿalayhi
- عَلَيْهِۚ
- उस पर
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- l-tawābu
- ٱلتَّوَّابُ
- बहुत तौबा क़ुबूल करने वाला
- l-raḥīmu
- ٱلرَّحِيمُ
- निहायत रहम करने वाला
फिर आदम ने अपने रब से कुछ शब्द पा लिए, तो अल्लाह ने उसकी तौबा क़बूल कर ली; निस्संदेह वही तौबा क़बूल करने वाला, अत्यन्त दयावान है ([२] अल बकराह: 37)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْنَا اهْبِطُوْا مِنْهَا جَمِيْعًا ۚ فَاِمَّا يَأْتِيَنَّكُمْ مِّنِّيْ هُدًى فَمَنْ تَبِعَ هُدَايَ فَلَا خَوْفٌ عَلَيْهِمْ وَلَا هُمْ يَحْزَنُوْنَ ٣٨
- qul'nā
- قُلْنَا
- कहा हमने
- ih'biṭū
- ٱهْبِطُوا۟
- उतर जाओ
- min'hā
- مِنْهَا
- इससे
- jamīʿan
- جَمِيعًاۖ
- सब के सब
- fa-immā
- فَإِمَّا
- फिर अगर
- yatiyannakum
- يَأْتِيَنَّكُم
- आए तुम्हारे पास
- minnī
- مِّنِّى
- मेरी तरफ़ से
- hudan
- هُدًى
- कोई हिदायत
- faman
- فَمَن
- तो जिसने
- tabiʿa
- تَبِعَ
- पैरवी की
- hudāya
- هُدَاىَ
- मेरी हिदायत की
- falā
- فَلَا
- तो ना
- khawfun
- خَوْفٌ
- कोई ख़ौफ़ होगा
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- walā
- وَلَا
- और ना
- hum
- هُمْ
- वो
- yaḥzanūna
- يَحْزَنُونَ
- वो ग़मगीन होंगे
हमने कहा, 'तुम सब यहाँ से उतरो, फिर यदि तुम्हारे पास मेरी ओर से कोई मार्गदर्शन पहुँचे तो जिस किसी ने मेरे मार्गदर्शन का अनुसरण किया, तो ऐसे लोगों को न तो कोई भय होगा और न वे शोकाकुल होंगे।' ([२] अल बकराह: 38)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَكَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَآ اُولٰۤىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِ ۚ هُمْ فِيْهَا خٰلِدُوْنَ ࣖ ٣٩
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- wakadhabū
- وَكَذَّبُوا۟
- और झुठलाया
- biāyātinā
- بِـَٔايَٰتِنَآ
- हमारी आयात को
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- aṣḥābu
- أَصْحَٰبُ
- साथी
- l-nāri
- ٱلنَّارِۖ
- आग के
- hum
- هُمْ
- वो
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- khālidūna
- خَٰلِدُونَ
- हमेशा रहने वाले हैं
और जिन लोगों ने इनकार किया और हमारी आयतों को झुठलाया, वहीं आग में पड़नेवाले हैं, वे उसमें सदैव रहेंगे ([२] अल बकराह: 39)Tafseer (तफ़सीर )
يٰبَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ اذْكُرُوْا نِعْمَتِيَ الَّتِيْٓ اَنْعَمْتُ عَلَيْكُمْ وَاَوْفُوْا بِعَهْدِيْٓ اُوْفِ بِعَهْدِكُمْۚ وَاِيَّايَ فَارْهَبُوْنِ ٤٠
- yābanī
- يَٰبَنِىٓ
- ऐ बनी इस्राईल
- is'rāīla
- إِسْرَٰٓءِيلَ
- ऐ बनी इस्राईल
- udh'kurū
- ٱذْكُرُوا۟
- याद करो
- niʿ'matiya
- نِعْمَتِىَ
- मेरी नेअमत को
- allatī
- ٱلَّتِىٓ
- वो जो
- anʿamtu
- أَنْعَمْتُ
- इनाम की मैंने
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- wa-awfū
- وَأَوْفُوا۟
- और पूरा करो
- biʿahdī
- بِعَهْدِىٓ
- मेरे अहद को
- ūfi
- أُوفِ
- मैं पूरा करुँगा
- biʿahdikum
- بِعَهْدِكُمْ
- तुम्हारे अहद को
- wa-iyyāya
- وَإِيَّٰىَ
- और सिर्फ़ मुझ ही से
- fa-ir'habūni
- فَٱرْهَبُونِ
- पस डरो मुझ से
ऐ इसराईल का सन्तान! याद करो मेरे उस अनुग्रह को जो मैंने तुमपर किया था। और मेरी प्रतिज्ञा को पूरा करो, मैं तुमसे की हुई प्रतिज्ञा को पूरा करूँगा और हाँ मुझी से डरो ([२] अल बकराह: 40)Tafseer (तफ़सीर )