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सूरा अल बकराह - Page: 29

Al-Baqarah

(गाय)

२८१

وَاتَّقُوْا يَوْمًا تُرْجَعُوْنَ فِيْهِ اِلَى اللّٰهِ ۗثُمَّ تُوَفّٰى كُلُّ نَفْسٍ مَّا كَسَبَتْ وَهُمْ لَا يُظْلَمُوْنَ ࣖ ٢٨١

wa-ittaqū
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
yawman
يَوْمًا
उस दिन से
tur'jaʿūna
تُرْجَعُونَ
तुम लौटाए जाओगे
fīhi
فِيهِ
जिस में
ilā
إِلَى
तरफ़ अल्लाह के
l-lahi
ٱللَّهِۖ
तरफ़ अल्लाह के
thumma
ثُمَّ
फिर
tuwaffā
تُوَفَّىٰ
पूरा पूरा दिया जाएगा
kullu
كُلُّ
हर
nafsin
نَفْسٍ
नफ़्स को
مَّا
जो
kasabat
كَسَبَتْ
उसने कमाया
wahum
وَهُمْ
और वो
لَا
ज़ुल्म ना किए जाऐंगे
yuẓ'lamūna
يُظْلَمُونَ
ज़ुल्म ना किए जाऐंगे
और उस दिन का डर रखो जबकि तुम अल्लाह की ओर लौटोगे, फिर प्रत्येक व्यक्ति को जो कुछ उसने कमाया पूरा-पूरा मिल जाएगा और उनके साथ कदापि कोई अन्याय न होगा ([२] अल बकराह: 281)
Tafseer (तफ़सीर )
२८२

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِذَا تَدَايَنْتُمْ بِدَيْنٍ اِلٰٓى اَجَلٍ مُّسَمًّى فَاكْتُبُوْهُۗ وَلْيَكْتُبْ بَّيْنَكُمْ كَاتِبٌۢ بِالْعَدْلِۖ وَلَا يَأْبَ كَاتِبٌ اَنْ يَّكْتُبَ كَمَا عَلَّمَهُ اللّٰهُ فَلْيَكْتُبْۚ وَلْيُمْلِلِ الَّذِيْ عَلَيْهِ الْحَقُّ وَلْيَتَّقِ اللّٰهَ رَبَّهٗ وَلَا يَبْخَسْ مِنْهُ شَيْـًٔاۗ فَاِنْ كَانَ الَّذِيْ عَلَيْهِ الْحَقُّ سَفِيْهًا اَوْ ضَعِيْفًا اَوْ لَا يَسْتَطِيْعُ اَنْ يُّمِلَّ هُوَ فَلْيُمْلِلْ وَلِيُّهٗ بِالْعَدْلِۗ وَاسْتَشْهِدُوْا شَهِيْدَيْنِ مِنْ رِّجَالِكُمْۚ فَاِنْ لَّمْ يَكُوْنَا رَجُلَيْنِ فَرَجُلٌ وَّامْرَاَتٰنِ مِمَّنْ تَرْضَوْنَ مِنَ الشُّهَدَۤاءِ اَنْ تَضِلَّ اِحْدٰىهُمَا فَتُذَكِّرَ اِحْدٰىهُمَا الْاُخْرٰىۗ وَلَا يَأْبَ الشُّهَدَۤاءُ اِذَا مَا دُعُوْا ۗ وَلَا تَسْـَٔمُوْٓا اَنْ تَكْتُبُوْهُ صَغِيْرًا اَوْ كَبِيْرًا اِلٰٓى اَجَلِهٖۗ ذٰلِكُمْ اَقْسَطُ عِنْدَ اللّٰهِ وَاَقْوَمُ لِلشَّهَادَةِ وَاَدْنٰىٓ اَلَّا تَرْتَابُوْٓا اِلَّآ اَنْ تَكُوْنَ تِجَارَةً حَاضِرَةً تُدِيْرُوْنَهَا بَيْنَكُمْ فَلَيْسَ عَلَيْكُمْ جُنَاحٌ اَلَّا تَكْتُبُوْهَاۗ وَاَشْهِدُوْٓا اِذَا تَبَايَعْتُمْ ۖ وَلَا يُضَاۤرَّ كَاتِبٌ وَّلَا شَهِيْدٌ ەۗ وَاِنْ تَفْعَلُوْا فَاِنَّهٗ فُسُوْقٌۢ بِكُمْ ۗ وَاتَّقُوا اللّٰهَ ۗ وَيُعَلِّمُكُمُ اللّٰهُ ۗ وَاللّٰهُ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيْمٌ ٢٨٢

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوٓا۟
ईमान लाए हो
idhā
إِذَا
जब
tadāyantum
تَدَايَنتُم
तुम बाहम लेन-देन करो
bidaynin
بِدَيْنٍ
क़र्ज़ का
ilā
إِلَىٰٓ
एक मुक़र्ररह वक़्त तक
ajalin
أَجَلٍ
एक मुक़र्ररह वक़्त तक
musamman
مُّسَمًّى
एक मुक़र्ररह वक़्त तक
fa-uk'tubūhu
فَٱكْتُبُوهُۚ
तो लिख लो उसे
walyaktub
وَلْيَكْتُب
और चाहिए कि लिखे
baynakum
بَّيْنَكُمْ
दर्मियान तुम्हारे
kātibun
كَاتِبٌۢ
एक लिखने वाला
bil-ʿadli
بِٱلْعَدْلِۚ
साथ अदल के
walā
وَلَا
और ना
yaba
يَأْبَ
इन्कार करे
kātibun
كَاتِبٌ
लिखने वाला
an
أَن
कि
yaktuba
يَكْتُبَ
वो लिखे
kamā
كَمَا
जैसा कि
ʿallamahu
عَلَّمَهُ
सिखाया उसे
l-lahu
ٱللَّهُۚ
अल्लाह ने
falyaktub
فَلْيَكْتُبْ
पस चाहिए कि वो लिखे
walyum'lili
وَلْيُمْلِلِ
और चाहिए कि इमला कराए
alladhī
ٱلَّذِى
वो शख़्स
ʿalayhi
عَلَيْهِ
जिस पर
l-ḥaqu
ٱلْحَقُّ
हक़ है
walyattaqi
وَلْيَتَّقِ
और चाहिए कि वो डरे
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
rabbahu
رَبَّهُۥ
जो रब है उसका
walā
وَلَا
और ना
yabkhas
يَبْخَسْ
वो कमी करे
min'hu
مِنْهُ
उसमें से
shayan
شَيْـًٔاۚ
किसी चीज़ की
fa-in
فَإِن
फिर अगर
kāna
كَانَ
हो
alladhī
ٱلَّذِى
वो शख़्स
ʿalayhi
عَلَيْهِ
जिस पर
l-ḥaqu
ٱلْحَقُّ
हक़ है
safīhan
سَفِيهًا
नादान
aw
أَوْ
या
ḍaʿīfan
ضَعِيفًا
कमज़ोर
aw
أَوْ
या
لَا
नहीं वो इस्तिताअत रखता
yastaṭīʿu
يَسْتَطِيعُ
नहीं वो इस्तिताअत रखता
an
أَن
कि
yumilla
يُمِلَّ
इमला कराए
huwa
هُوَ
वो
falyum'lil
فَلْيُمْلِلْ
पस चाहिए कि इमला कराए
waliyyuhu
وَلِيُّهُۥ
सरपरस्त उसका
bil-ʿadli
بِٱلْعَدْلِۚ
साथ अदल के
wa-is'tashhidū
وَٱسْتَشْهِدُوا۟
और गवाह बना लो
shahīdayni
شَهِيدَيْنِ
दो गवाह
min
مِن
अपने मर्दों में से
rijālikum
رِّجَالِكُمْۖ
अपने मर्दों में से
fa-in
فَإِن
फिर अगर
lam
لَّمْ
ना
yakūnā
يَكُونَا
हों वो दोनों
rajulayni
رَجُلَيْنِ
दो मर्द
farajulun
فَرَجُلٌ
तो एक मर्द
wa-im'ra-atāni
وَٱمْرَأَتَانِ
और दो औरतें
mimman
مِمَّن
उनमें से जिन्हें
tarḍawna
تَرْضَوْنَ
तुम पसंद करते हो
mina
مِنَ
गवाहों में से
l-shuhadāi
ٱلشُّهَدَآءِ
गवाहों में से
an
أَن
कि
taḍilla
تَضِلَّ
भूल जाए
iḥ'dāhumā
إِحْدَىٰهُمَا
उन दोनों में से एक
fatudhakkira
فَتُذَكِّرَ
तो याद दिहानी करा दे
iḥ'dāhumā
إِحْدَىٰهُمَا
उन दोनों में से एक
l-ukh'rā
ٱلْأُخْرَىٰۚ
दूसरी को
walā
وَلَا
और ना
yaba
يَأْبَ
इन्कार करें
l-shuhadāu
ٱلشُّهَدَآءُ
गवाह
idhā
إِذَا
जब भी
مَا
जब भी
duʿū
دُعُوا۟ۚ
वो बुलाए जाऐं
walā
وَلَا
और ना
tasamū
تَسْـَٔمُوٓا۟
तुम उकताहट महसूस करो
an
أَن
कि
taktubūhu
تَكْتُبُوهُ
तुम लिख लो उसे
ṣaghīran
صَغِيرًا
छोटा हो
aw
أَوْ
या
kabīran
كَبِيرًا
बड़ा हो
ilā
إِلَىٰٓ
उसके मुक़र्रर वक़्त तक
ajalihi
أَجَلِهِۦۚ
उसके मुक़र्रर वक़्त तक
dhālikum
ذَٰلِكُمْ
ये
aqsaṭu
أَقْسَطُ
ज़्यादा इन्साफ़ वाला है
ʿinda
عِندَ
नज़दीक
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
wa-aqwamu
وَأَقْوَمُ
और ज़्यादा दुरुस्त है
lilshahādati
لِلشَّهَٰدَةِ
गवाही के लिए
wa-adnā
وَأَدْنَىٰٓ
और ज़्यादा क़रीब है
allā
أَلَّا
कि ना
tartābū
تَرْتَابُوٓا۟ۖ
तुम शक में पड़ो
illā
إِلَّآ
मगर
an
أَن
ये कि
takūna
تَكُونَ
हो
tijāratan
تِجَٰرَةً
तिजारत
ḥāḍiratan
حَاضِرَةً
हाज़िर
tudīrūnahā
تُدِيرُونَهَا
तुम लेन-देन करते हो जिसका
baynakum
بَيْنَكُمْ
आपस में
falaysa
فَلَيْسَ
तो नहीं है
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
junāḥun
جُنَاحٌ
कोई गुनाह
allā
أَلَّا
कि ना
taktubūhā
تَكْتُبُوهَاۗ
तुम लिखो उसे
wa-ashhidū
وَأَشْهِدُوٓا۟
और गवाह बना लो
idhā
إِذَا
जब
tabāyaʿtum
تَبَايَعْتُمْۚ
बाहम ख़रीदो फ़रोख़्त करो तुम
walā
وَلَا
और ना
yuḍārra
يُضَآرَّ
नुक़सान पहुँचाए / पहुँचाया जाए
kātibun
كَاتِبٌ
कातिब
walā
وَلَا
और ना
shahīdun
شَهِيدٌۚ
गवाह
wa-in
وَإِن
और अगर
tafʿalū
تَفْعَلُوا۟
तुम (ऐसा) करोगे
fa-innahu
فَإِنَّهُۥ
तो बेशक वो
fusūqun
فُسُوقٌۢ
नाफ़रमानी है
bikum
بِكُمْۗ
तुम्हारी
wa-ittaqū
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
l-laha
ٱللَّهَۖ
अल्लाह से
wayuʿallimukumu
وَيُعَلِّمُكُمُ
और सिखाता है तुम्हें
l-lahu
ٱللَّهُۗ
अल्लाह
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
bikulli
بِكُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ को
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
ऐ ईमान लानेवालो! जब किसी निश्चित अवधि के लिए आपस में ऋण का लेन-देन करो तो उसे लिख लिया करो और चाहिए कि कोई लिखनेवाला तुम्हारे बीच न्यायपूर्वक (दस्तावेज़) लिख दे। और लिखनेवाला लिखने से इनकार न करे; जिस प्रकार अल्लाह ने उसे सिखाया है, उसी प्रकार वह दूसरों के लिए लिखने के काम आए और बोलकर वह लिखाए जिसके ज़िम्मे हक़ की अदायगी हो। और उसे अल्लाह का, जो उसका रब है, डर रखना चाहिए और उसमें कोई कमी न करनी चाहिए। फिर यदि वह व्यक्ति जिसके ज़िम्मे हक़ की अदायगी हो, कम समझ या कमज़ोर हो या वह बोलकर न लिखा सकता हो तो उसके संरक्षक को चाहिए कि न्यायपूर्वक बोलकर लिखा दे। और अपने पुरुषों में से दो गवाहो को गवाह बना लो और यदि दो पुरुष न हों तो एक पुरुष और दो स्त्रियाँ, जिन्हें तुम गवाह के लिए पसन्द करो, गवाह हो जाएँ (दो स्त्रियाँ इसलिए रखी गई है) ताकि यदि एक भूल जाए तो दूसरी उसे याद दिला दे। और गवाहों को जब बुलाया जाए तो आने से इनकार न करें। मामला चाहे छोटा हो या बड़ा एक निर्धारित अवधि तक के लिए है, तो उसे लिखने में सुस्ती से काम न लो। यह अल्लाह की स्पष्ट से अधिक न्यायसंगत बात है और इससे गवाही भी अधिक ठीक रहती है। और इससे अधि क संभावना है कि तुम किसी संदेह में नहीं पड़ोगे। हाँ, यदि कोई सौदा नक़द हो, जिसका लेन-देन तुम आपस में कर रहे हो, तो तुम्हारे उसके न लिखने में तुम्हारे लिए कोई दोष नहीं। और जब आपम में क्रय-विक्रय का मामला करो तो उस समय भी गवाह कर लिया करो, और न किसी लिखनेवाले को हानि पहुँचाए जाए और न किसी गवाह को। और यदि ऐसा करोगे तो यह तुम्हारे लिए अवज्ञा की बात होगी। और अल्लाह का डर रखो। अल्लाह तुम्हें शिक्षा दे रहा है। और अल्लाह हर चीज़ को जानता है ([२] अल बकराह: 282)
Tafseer (तफ़सीर )
२८३

۞ وَاِنْ كُنْتُمْ عَلٰى سَفَرٍ وَّلَمْ تَجِدُوْا كَاتِبًا فَرِهٰنٌ مَّقْبُوْضَةٌ ۗفَاِنْ اَمِنَ بَعْضُكُمْ بَعْضًا فَلْيُؤَدِّ الَّذِى اؤْتُمِنَ اَمَانَتَهٗ وَلْيَتَّقِ اللّٰهَ رَبَّهٗ ۗ وَلَا تَكْتُمُوا الشَّهَادَةَۗ وَمَنْ يَّكْتُمْهَا فَاِنَّهٗٓ اٰثِمٌ قَلْبُهٗ ۗ وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ عَلِيْمٌ ࣖ ٢٨٣

wa-in
وَإِن
और अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
ʿalā
عَلَىٰ
सफ़र पर
safarin
سَفَرٍ
सफ़र पर
walam
وَلَمْ
और ना
tajidū
تَجِدُوا۟
तुम पाओ
kātiban
كَاتِبًا
कोई कातिब
farihānun
فَرِهَٰنٌ
तो रहन रखना है
maqbūḍatun
مَّقْبُوضَةٌۖ
क़ब्ज़ा में दी हुई (चीज़)
fa-in
فَإِنْ
फिर अगर
amina
أَمِنَ
ऐतबार करे
baʿḍukum
بَعْضُكُم
बाज़ तुम्हारा
baʿḍan
بَعْضًا
बाज़ पर
falyu-addi
فَلْيُؤَدِّ
तो चाहिए कि अदा करे
alladhī
ٱلَّذِى
वो जो
u'tumina
ٱؤْتُمِنَ
अमीन बनाया गया
amānatahu
أَمَٰنَتَهُۥ
उसकी अमानत को
walyattaqi
وَلْيَتَّقِ
और चाहिए कि वो डरे
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
rabbahu
رَبَّهُۥۗ
जो रब है उसका
walā
وَلَا
और ना
taktumū
تَكْتُمُوا۟
तुम छुपाओ
l-shahādata
ٱلشَّهَٰدَةَۚ
गवाही को
waman
وَمَن
और जो कोई
yaktum'hā
يَكْتُمْهَا
छुपाएगा उसे
fa-innahu
فَإِنَّهُۥٓ
तो बेशक वो
āthimun
ءَاثِمٌ
गुनाहगार है
qalbuhu
قَلْبُهُۥۗ
दिल उसका
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
bimā
بِمَا
उसे जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
और यदि तुम किसी सफ़र में हो और किसी लिखनेवाले को न पा सको, तो गिरवी रखकर मामला करो। फिर यदि तुममें से एक-दूसरे पर भरोसा के, तो जिस पर भरोसा किया है उसे चाहिए कि वह यह सच कर दिखाए कि वह विश्वासपात्र है और अल्लाह का, जो उसका रब है, डर रखे। और गवाही को न छिपाओ। जो उसे छिपाता है तो निश्चय ही उसका दिल गुनाहगार है, और तुम जो कुछ करते हो अल्लाह उसे भली-भाँति जानता है ([२] अल बकराह: 283)
Tafseer (तफ़सीर )
२८४

لِلّٰهِ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِ ۗ وَاِنْ تُبْدُوْا مَا فِيْٓ اَنْفُسِكُمْ اَوْ تُخْفُوْهُ يُحَاسِبْكُمْ بِهِ اللّٰهُ ۗ فَيَغْفِرُ لِمَنْ يَّشَاۤءُ وَيُعَذِّبُ مَنْ يَّشَاۤءُ ۗ وَاللّٰهُ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ٢٨٤

lillahi
لِّلَّهِ
अल्लाह ही के लिए है
مَا
जो
فِى
आसमानों में है
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में है
wamā
وَمَا
और जो
فِى
ज़मीन में है
l-arḍi
ٱلْأَرْضِۗ
ज़मीन में है
wa-in
وَإِن
और अगर
tub'dū
تُبْدُوا۟
तुम ज़ाहिर करोगे
مَا
जो
فِىٓ
तुम्हारे नफ़्सों में है
anfusikum
أَنفُسِكُمْ
तुम्हारे नफ़्सों में है
aw
أَوْ
या
tukh'fūhu
تُخْفُوهُ
तुम छुपाओगे उसे
yuḥāsib'kum
يُحَاسِبْكُم
मुहासबा करेगा तुम्हारा
bihi
بِهِ
साथ उसके
l-lahu
ٱللَّهُۖ
अल्लाह
fayaghfiru
فَيَغْفِرُ
फिर वो बख़्श देगा
liman
لِمَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहेगा
wayuʿadhibu
وَيُعَذِّبُ
और वो अज़ाब देगा
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُۗ
वो चाहेगा
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
qadīrun
قَدِيرٌ
बहुत क़ुदरत रखने वाला है
अल्लाह ही का है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। और जो कुछ तुम्हारे मन है, यदि तुम उसे व्यक्त करो या छिपाओं, अल्लाह तुमसे उसका हिसाब लेगा। फिर वह जिसे चाहे क्षमा कर दे और जिसे चाहे यातना दे। अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है ([२] अल बकराह: 284)
Tafseer (तफ़सीर )
२८५

اٰمَنَ الرَّسُوْلُ بِمَآ اُنْزِلَ اِلَيْهِ مِنْ رَّبِّهٖ وَالْمُؤْمِنُوْنَۗ كُلٌّ اٰمَنَ بِاللّٰهِ وَمَلٰۤىِٕكَتِهٖ وَكُتُبِهٖ وَرُسُلِهٖۗ لَا نُفَرِّقُ بَيْنَ اَحَدٍ مِّنْ رُّسُلِهٖ ۗ وَقَالُوْا سَمِعْنَا وَاَطَعْنَا غُفْرَانَكَ رَبَّنَا وَاِلَيْكَ الْمَصِيْرُ ٢٨٥

āmana
ءَامَنَ
ईमान लाया
l-rasūlu
ٱلرَّسُولُ
रसूल
bimā
بِمَآ
उस पर जो
unzila
أُنزِلَ
नाज़िल किया गया
ilayhi
إِلَيْهِ
तरफ़ उसके
min
مِن
उसके रब की तरफ़ से
rabbihi
رَّبِّهِۦ
उसके रब की तरफ़ से
wal-mu'minūna
وَٱلْمُؤْمِنُونَۚ
और सारे मोमिन (भी)
kullun
كُلٌّ
हर एक
āmana
ءَامَنَ
ईमान लाया
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
wamalāikatihi
وَمَلَٰٓئِكَتِهِۦ
और उसके फ़रिश्तों पर
wakutubihi
وَكُتُبِهِۦ
और उसकी किताबों पर
warusulihi
وَرُسُلِهِۦ
और उसके रसूलों पर
لَا
नहीं हम फ़र्क़ करते
nufarriqu
نُفَرِّقُ
नहीं हम फ़र्क़ करते
bayna
بَيْنَ
दर्मियान
aḥadin
أَحَدٍ
किसी एक के
min
مِّن
उसके रसूलों में से
rusulihi
رُّسُلِهِۦۚ
उसके रसूलों में से
waqālū
وَقَالُوا۟
और उन्होंने कहा
samiʿ'nā
سَمِعْنَا
सुना हमने
wa-aṭaʿnā
وَأَطَعْنَاۖ
और इताअत की हमने
ghuf'rānaka
غُفْرَانَكَ
तेरी मग़फ़िरत (चाहते हैं)
rabbanā
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
wa-ilayka
وَإِلَيْكَ
और तेरी ही तरफ़
l-maṣīru
ٱلْمَصِيرُ
पलटना है
रसूल उसपर, जो कुछ उसके रब की ओर से उसकी ओर उतरा, ईमान लाया और ईमानवाले भी, प्रत्येक, अल्लाह पर, उसके फ़रिश्तों पर, उसकी किताबों पर और उसके रसूलों पर ईमान लाया। (और उनका कहना यह है,) 'हम उसके रसूलों में से किसी को दूसरे रसूलों से अलग नहीं करते।' और उनका कहना है, 'हमने सुना और आज्ञाकारी हुए। हमारे रब! हम तेरी क्षमा के इच्छुक है और तेरी ही ओर लौटना है।' ([२] अल बकराह: 285)
Tafseer (तफ़सीर )
२८६

لَا يُكَلِّفُ اللّٰهُ نَفْسًا اِلَّا وُسْعَهَا ۗ لَهَا مَا كَسَبَتْ وَعَلَيْهَا مَا اكْتَسَبَتْ ۗ رَبَّنَا لَا تُؤَاخِذْنَآ اِنْ نَّسِيْنَآ اَوْ اَخْطَأْنَا ۚ رَبَّنَا وَلَا تَحْمِلْ عَلَيْنَآ اِصْرًا كَمَا حَمَلْتَهٗ عَلَى الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِنَا ۚ رَبَّنَا وَلَا تُحَمِّلْنَا مَا لَا طَاقَةَ لَنَا بِهٖۚ وَاعْفُ عَنَّاۗ وَاغْفِرْ لَنَاۗ وَارْحَمْنَا ۗ اَنْتَ مَوْلٰىنَا فَانْصُرْنَا عَلَى الْقَوْمِ الْكٰفِرِيْنَ ࣖ ٢٨٦

لَا
नहीं तकलीफ़ देता
yukallifu
يُكَلِّفُ
नहीं तकलीफ़ देता
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
nafsan
نَفْسًا
किसी नफ़्स को
illā
إِلَّا
मगर
wus'ʿahā
وُسْعَهَاۚ
उसकी वुसअत भर
lahā
لَهَا
उसी के लिए है
مَا
जो
kasabat
كَسَبَتْ
उसने (नेकी) कमाई
waʿalayhā
وَعَلَيْهَا
और उसके ज़िम्मा है
مَا
जो
ik'tasabat
ٱكْتَسَبَتْۗ
उसने (बुराई) कमाई
rabbanā
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
لَا
ना तू मुआख़ज़ा करना हमारा
tuākhidh'nā
تُؤَاخِذْنَآ
ना तू मुआख़ज़ा करना हमारा
in
إِن
अगर
nasīnā
نَّسِينَآ
भूल जाऐं हम
aw
أَوْ
या
akhṭanā
أَخْطَأْنَاۚ
ख़ता करें हम
rabbanā
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
walā
وَلَا
और ना
taḥmil
تَحْمِلْ
तू डाल
ʿalaynā
عَلَيْنَآ
हम पर
iṣ'ran
إِصْرًا
ऐसा बोझ
kamā
كَمَا
जैसा कि
ḥamaltahu
حَمَلْتَهُۥ
डाला तूने उसे
ʿalā
عَلَى
उन पर जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन पर जो
min
مِن
हमसे पहले थे
qablinā
قَبْلِنَاۚ
हमसे पहले थे
rabbanā
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
walā
وَلَا
और ना
tuḥammil'nā
تُحَمِّلْنَا
तू उठवा हमसे
مَا
वो जो
لَا
नहीं ताक़त
ṭāqata
طَاقَةَ
नहीं ताक़त
lanā
لَنَا
हमारे लिए
bihi
بِهِۦۖ
जिसकी
wa-uʿ'fu
وَٱعْفُ
और दरगुज़र फ़रमा
ʿannā
عَنَّا
हमसे
wa-igh'fir
وَٱغْفِرْ
और बख़्श दे
lanā
لَنَا
हमें
wa-ir'ḥamnā
وَٱرْحَمْنَآۚ
और रहम फ़रमा हम पर
anta
أَنتَ
तू
mawlānā
مَوْلَىٰنَا
मौला है हमारा
fa-unṣur'nā
فَٱنصُرْنَا
पस मदद फ़रमा हमारी
ʿalā
عَلَى
उन लोगों पर
l-qawmi
ٱلْقَوْمِ
उन लोगों पर
l-kāfirīna
ٱلْكَٰفِرِينَ
जो काफ़िर हैं
अल्लाह किसी जीव पर बस उसकी सामर्थ्य और समाई के अनुसार ही दायित्व का भार डालता है। उसका है जो उसने कमाया और उसी पर उसका वबाल (आपदा) भी है जो उसने किया। 'हमारे रब! यदि हम भूलें या चूक जाएँ तो हमें न पकड़ना। हमारे रब! और हम पर ऐसा बोझ न डाल जैसा तूने हमसे पहले के लोगों पर डाला था। हमारे रब! और हमसे वह बोझ न उठवा, जिसकी हमें शक्ति नहीं। और हमें क्षमा कर और हमें ढाँक ले, और हमपर दया कर। तू ही हमारा संरक्षक है, अतएव इनकार करनेवालों के मुक़ाबले में हमारी सहायता कर।' ([२] अल बकराह: 286)
Tafseer (तफ़सीर )