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सूरा अल बकराह - Page: 28

Al-Baqarah

(गाय)

२७१

اِنْ تُبْدُوا الصَّدَقٰتِ فَنِعِمَّا هِيَۚ وَاِنْ تُخْفُوْهَا وَتُؤْتُوْهَا الْفُقَرَاۤءَ فَهُوَ خَيْرٌ لَّكُمْ ۗ وَيُكَفِّرُ عَنْكُمْ مِّنْ سَيِّاٰتِكُمْ ۗ وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِيْرٌ ٢٧١

in
إِن
अगर
tub'dū
تُبْدُوا۟
तुम ज़ाहिर करो
l-ṣadaqāti
ٱلصَّدَقَٰتِ
सदक़ात
faniʿimmā
فَنِعِمَّا
तो क्या ही अच्छा है
hiya
هِىَۖ
वो
wa-in
وَإِن
और अगर
tukh'fūhā
تُخْفُوهَا
तुम छुपाओ उन्हें
watu'tūhā
وَتُؤْتُوهَا
और तुम दो उन्हें
l-fuqarāa
ٱلْفُقَرَآءَ
फुक़रा को
fahuwa
فَهُوَ
तो वो
khayrun
خَيْرٌ
बेहतर है
lakum
لَّكُمْۚ
तुम्हारे लिए
wayukaffiru
وَيُكَفِّرُ
और वो दूर कर देगा
ʿankum
عَنكُم
तुम से
min
مِّن
तुम्हारी बुराईयों को
sayyiātikum
سَيِّـَٔاتِكُمْۗ
तुम्हारी बुराईयों को
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
bimā
بِمَا
उससे जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
khabīrun
خَبِيرٌ
ख़ूब बाख़बर है
यदि तुम खुले रूप मे सदक़े दो तो यह भी अच्छा है और यदि उनको छिपाकर मुहताजों को दो तो यह तुम्हारे लिए अधिक अच्छा है। और यह तुम्हारे कितने ही गुनाहों को मिटा देगा। और अल्लाह को उसकी पूरी ख़बर है, जो कुछ तुम करते हो ([२] अल बकराह: 271)
Tafseer (तफ़सीर )
२७२

۞ لَيْسَ عَلَيْكَ هُدٰىهُمْ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ يَهْدِيْ مَنْ يَّشَاۤءُ ۗوَمَا تُنْفِقُوْا مِنْ خَيْرٍ فَلِاَنْفُسِكُمْ ۗوَمَا تُنْفِقُوْنَ اِلَّا ابْتِغَاۤءَ وَجْهِ اللّٰهِ ۗوَمَا تُنْفِقُوْا مِنْ خَيْرٍ يُّوَفَّ اِلَيْكُمْ وَاَنْتُمْ لَا تُظْلَمُوْنَ ٢٧٢

laysa
لَّيْسَ
नहीं है
ʿalayka
عَلَيْكَ
आप पर
hudāhum
هُدَىٰهُمْ
हिदायत देना उन्हें
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yahdī
يَهْدِى
हिदायत देता है
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُۗ
वो चाहता है
wamā
وَمَا
और जो
tunfiqū
تُنفِقُوا۟
तुम ख़र्च करोगे
min
مِنْ
माल में से
khayrin
خَيْرٍ
माल में से
fali-anfusikum
فَلِأَنفُسِكُمْۚ
तो तुम्हारे नफ़्सों के लिए है
wamā
وَمَا
और नहीं
tunfiqūna
تُنفِقُونَ
तुम ख़र्च करते
illā
إِلَّا
मगर
ib'tighāa
ٱبْتِغَآءَ
चाहने के लिए
wajhi
وَجْهِ
चेहरा
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह का
wamā
وَمَا
और जो
tunfiqū
تُنفِقُوا۟
तुम ख़र्च करोगे
min
مِنْ
माल में से
khayrin
خَيْرٍ
माल में से
yuwaffa
يُوَفَّ
वो पूरा दे दिया जाएगा
ilaykum
إِلَيْكُمْ
तुम्हें
wa-antum
وَأَنتُمْ
और तुम
لَا
ना तुम ज़ुल्म किए जाओगे
tuẓ'lamūna
تُظْلَمُونَ
ना तुम ज़ुल्म किए जाओगे
उन्हें मार्ग पर ला देने का दायित्व तुम पर नहीं है, बल्कि अल्लाह ही जिसे चाहता है मार्ग दिखाता है। और जो कुछ भी माल तुम ख़र्च करोगे, वह तुम्हारे अपने ही भले के लिए होगा और तुम अल्लाह के (बताए हुए) उद्देश्य के अतिरिक्त किसी और उद्देश्य से ख़र्च न करो। और जो माल भी तुम्हें तुम ख़र्च करोगे, वह पूरा-पूरा तुम्हें चुका दिया जाएगा और तुम्हारा हक़ न मारा जाएगा ([२] अल बकराह: 272)
Tafseer (तफ़सीर )
२७३

لِلْفُقَرَاۤءِ الَّذِيْنَ اُحْصِرُوْا فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ لَا يَسْتَطِيْعُوْنَ ضَرْبًا فِى الْاَرْضِۖ يَحْسَبُهُمُ الْجَاهِلُ اَغْنِيَاۤءَ مِنَ التَّعَفُّفِۚ تَعْرِفُهُمْ بِسِيْمٰهُمْۚ لَا يَسْـَٔلُوْنَ النَّاسَ اِلْحَافًا ۗوَمَا تُنْفِقُوْا مِنْ خَيْرٍ فَاِنَّ اللّٰهَ بِهٖ عَلِيْمٌ ࣖ ٢٧٣

lil'fuqarāi
لِلْفُقَرَآءِ
फ़ुक़रा के लिए हैं (सदक़ात)
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
uḥ'ṣirū
أُحْصِرُوا۟
घेर लिए गए
فِى
अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते में
لَا
नहीं वो इस्तिताअत रखते
yastaṭīʿūna
يَسْتَطِيعُونَ
नहीं वो इस्तिताअत रखते
ḍarban
ضَرْبًا
चलने फिरने की
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
yaḥsabuhumu
يَحْسَبُهُمُ
समझता है उन्हें
l-jāhilu
ٱلْجَاهِلُ
जाहिल/ना समझ
aghniyāa
أَغْنِيَآءَ
मालदार
mina
مِنَ
बचने की वजह से (सवाल से)
l-taʿafufi
ٱلتَّعَفُّفِ
बचने की वजह से (सवाल से)
taʿrifuhum
تَعْرِفُهُم
तुम पहचान लोगे उन्हें
bisīmāhum
بِسِيمَٰهُمْ
उनके चेहरे की अलामत से
لَا
नहीं वो माँगते
yasalūna
يَسْـَٔلُونَ
नहीं वो माँगते
l-nāsa
ٱلنَّاسَ
लोगों से
il'ḥāfan
إِلْحَافًاۗ
लिपट कर
wamā
وَمَا
और जो
tunfiqū
تُنفِقُوا۟
तुम ख़र्च करोगे
min
مِنْ
माल में से
khayrin
خَيْرٍ
माल में से
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
bihi
بِهِۦ
उसे
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
यह उन मुहताजों के लिए है जो अल्लाह के मार्ग में घिर गए कि धरती में (जीविकोपार्जन के लिए) कोई दौड़-धूप नहीं कर सकते। उनके स्वाभिमान के कारण अपरिचित व्यक्ति उन्हें धनवान समझता है। तुम उन्हें उनके लक्षणो से पहचान सकते हो। वे लिपटकर लोगों से नहीं माँगते। जो माल भी तुम ख़र्च करोगे, वह अल्लाह को ज्ञात होगा ([२] अल बकराह: 273)
Tafseer (तफ़सीर )
२७४

اَلَّذِيْنَ يُنْفِقُوْنَ اَمْوَالَهُمْ بِالَّيْلِ وَالنَّهَارِ سِرًّا وَّعَلَانِيَةً فَلَهُمْ اَجْرُهُمْ عِنْدَ رَبِّهِمْۚ وَلَا خَوْفٌ عَلَيْهِمْ وَلَا هُمْ يَحْزَنُوْنَ ٢٧٤

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
yunfiqūna
يُنفِقُونَ
ख़र्च करते हैं
amwālahum
أَمْوَٰلَهُم
अपने मालों को
bi-al-layli
بِٱلَّيْلِ
रात
wal-nahāri
وَٱلنَّهَارِ
और दिन
sirran
سِرًّا
छुपा कर
waʿalāniyatan
وَعَلَانِيَةً
और ऐलानिया तौर पर
falahum
فَلَهُمْ
तो उनके लिए है
ajruhum
أَجْرُهُمْ
अजर उनका
ʿinda
عِندَ
पास
rabbihim
رَبِّهِمْ
उनके रब के
walā
وَلَا
और ना
khawfun
خَوْفٌ
कोई ख़ौफ़ होगा
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
walā
وَلَا
और ना
hum
هُمْ
वो
yaḥzanūna
يَحْزَنُونَ
वो ग़मगीन होंगे
जो लोग अपने माल रात-दिन छिपे और खुले ख़र्च करें, उनका बदला तो उनके रब के पास है, और न उन्हें कोई भय है और न वे शोकाकुल होंगे ([२] अल बकराह: 274)
Tafseer (तफ़सीर )
२७५

اَلَّذِيْنَ يَأْكُلُوْنَ الرِّبٰوا لَا يَقُوْمُوْنَ اِلَّا كَمَا يَقُوْمُ الَّذِيْ يَتَخَبَّطُهُ الشَّيْطٰنُ مِنَ الْمَسِّۗ ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ قَالُوْٓا اِنَّمَا الْبَيْعُ مِثْلُ الرِّبٰواۘ وَاَحَلَّ اللّٰهُ الْبَيْعَ وَحَرَّمَ الرِّبٰواۗ فَمَنْ جَاۤءَهٗ مَوْعِظَةٌ مِّنْ رَّبِّهٖ فَانْتَهٰى فَلَهٗ مَا سَلَفَۗ وَاَمْرُهٗٓ اِلَى اللّٰهِ ۗ وَمَنْ عَادَ فَاُولٰۤىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِ ۚ هُمْ فِيْهَا خٰلِدُوْنَ ٢٧٥

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
yakulūna
يَأْكُلُونَ
खाते हैं
l-riba
ٱلرِّبَوٰا۟
सूद
لَا
नहीं वो खड़े होंगे
yaqūmūna
يَقُومُونَ
नहीं वो खड़े होंगे
illā
إِلَّا
मगर
kamā
كَمَا
जैसा कि
yaqūmu
يَقُومُ
खड़ा होता है
alladhī
ٱلَّذِى
वो जो
yatakhabbaṭuhu
يَتَخَبَّطُهُ
ख़ब्ती बना दिया हो उसे
l-shayṭānu
ٱلشَّيْطَٰنُ
शैतान ने
mina
مِنَ
छू कर
l-masi
ٱلْمَسِّۚ
छू कर
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
bi-annahum
بِأَنَّهُمْ
बवजह उसके कि वो
qālū
قَالُوٓا۟
वो कहते हैं
innamā
إِنَّمَا
बेशक
l-bayʿu
ٱلْبَيْعُ
तिजारत
mith'lu
مِثْلُ
मानिन्द है
l-riba
ٱلرِّبَوٰا۟ۗ
सूद के
wa-aḥalla
وَأَحَلَّ
हालाँकि हलाल किया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
l-bayʿa
ٱلْبَيْعَ
तिजारत को
waḥarrama
وَحَرَّمَ
और उसने हराम किया
l-riba
ٱلرِّبَوٰا۟ۚ
सूद को
faman
فَمَن
तो जो कोई
jāahu
جَآءَهُۥ
आ जाए उसके पास
mawʿiẓatun
مَوْعِظَةٌ
कोई नसीहत
min
مِّن
उसके रब की तरफ़ से
rabbihi
رَّبِّهِۦ
उसके रब की तरफ़ से
fa-intahā
فَٱنتَهَىٰ
फिर वो बाज़ आ जाए
falahu
فَلَهُۥ
तो उसके लिए है
مَا
जो
salafa
سَلَفَ
पहले हो चुका
wa-amruhu
وَأَمْرُهُۥٓ
और मामला उसका है
ilā
إِلَى
तरफ़ अल्लाह के
l-lahi
ٱللَّهِۖ
तरफ़ अल्लाह के
waman
وَمَنْ
और जो कोई
ʿāda
عَادَ
लौट आए
fa-ulāika
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
तो यही लोग
aṣḥābu
أَصْحَٰبُ
साथी
l-nāri
ٱلنَّارِۖ
आग के
hum
هُمْ
वो
fīhā
فِيهَا
उसमें
khālidūna
خَٰلِدُونَ
हमेशा रहने वाले हैं
और लोग ब्याज खाते है, वे बस इस प्रकार उठते है जिस प्रकार वह क्यक्ति उठता है जिसे शैतान ने छूकर बावला कर दिया हो और यह इसलिए कि उनका कहना है, 'व्यापार भी तो ब्याज के सदृश है,' जबकि अल्लाह ने व्यापार को वैध और ब्याज को अवैध ठहराया है। अतः जिसको उसके रब की ओर से नसीहत पहुँची और वह बाज़ आ गया, तो जो कुछ पहले ले चुका वह उसी का रहा और मामला उसका अल्लाह के हवाले है। और जिसने फिर यही कर्म किया तो ऐसे ही लोग आग (जहन्नम) में पड़नेवाले है। उसमें वे सदैव रहेंगे ([२] अल बकराह: 275)
Tafseer (तफ़सीर )
२७६

يَمْحَقُ اللّٰهُ الرِّبٰوا وَيُرْبِى الصَّدَقٰتِ ۗ وَاللّٰهُ لَا يُحِبُّ كُلَّ كَفَّارٍ اَثِيْمٍ ٢٧٦

yamḥaqu
يَمْحَقُ
मिटाता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
l-riba
ٱلرِّبَوٰا۟
सूद को
wayur'bī
وَيُرْبِى
और वो बढ़ाता है
l-ṣadaqāti
ٱلصَّدَقَٰتِۗ
सदक़ात को
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
لَا
नहीं वो पसंद करता
yuḥibbu
يُحِبُّ
नहीं वो पसंद करता
kulla
كُلَّ
हर
kaffārin
كَفَّارٍ
सख़्त नाशुक्रे
athīmin
أَثِيمٍ
बहुत गुनाह गार को
अल्लाह ब्याज को घटाता और मिटाता है और सदक़ों को बढ़ाता है। और अल्लाह किसी अकृतज्ञ, हक़ मारनेवाले को पसन्द नहीं करता ([२] अल बकराह: 276)
Tafseer (तफ़सीर )
२७७

اِنَّ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتَوُا الزَّكٰوةَ لَهُمْ اَجْرُهُمْ عِنْدَ رَبِّهِمْۚ وَلَا خَوْفٌ عَلَيْهِمْ وَلَا هُمْ يَحْزَنُوْنَ ٢٧٧

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
waʿamilū
وَعَمِلُوا۟
और उन्होंने अमल किए
l-ṣāliḥāti
ٱلصَّٰلِحَٰتِ
नेक
wa-aqāmū
وَأَقَامُوا۟
और उन्होंने क़ायम की
l-ṣalata
ٱلصَّلَوٰةَ
नमाज़
waātawū
وَءَاتَوُا۟
और उन्होंने अदा की
l-zakata
ٱلزَّكَوٰةَ
ज़कात
lahum
لَهُمْ
उनके लिए है
ajruhum
أَجْرُهُمْ
अजर उनका
ʿinda
عِندَ
पास
rabbihim
رَبِّهِمْ
उनके रब के
walā
وَلَا
और ना
khawfun
خَوْفٌ
कोई ख़ौफ़ होगा
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
walā
وَلَا
और ना
hum
هُمْ
वो
yaḥzanūna
يَحْزَنُونَ
वो ग़मगीन होंगे
निस्संदेह जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए और नमाज़ क़ायम की्य और ज़कात दी, उनके लिए उनका बदला उनके रब के पास है, और उन्हें न कोई भय हो और न वे शोकाकुल होंगे ([२] अल बकराह: 277)
Tafseer (तफ़सीर )
२७८

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوا اتَّقُوا اللّٰهَ وَذَرُوْا مَا بَقِيَ مِنَ الرِّبٰوٓا اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِيْنَ ٢٧٨

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
ittaqū
ٱتَّقُوا۟
डरो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
wadharū
وَذَرُوا۟
और छोड़ दो
مَا
जो
baqiya
بَقِىَ
बाक़ी रह गया हो
mina
مِنَ
सूद में से
l-riba
ٱلرِّبَوٰٓا۟
सूद में से
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُم
हो तुम
mu'minīna
مُّؤْمِنِينَ
ईमान लाने वाले
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह का डर रखो और जो कुछ ब्याज बाक़ी रह गया है उसे छोड़ दो, यदि तुम ईमानवाले हो ([२] अल बकराह: 278)
Tafseer (तफ़सीर )
२७९

فَاِنْ لَّمْ تَفْعَلُوْا فَأْذَنُوْا بِحَرْبٍ مِّنَ اللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖۚ وَاِنْ تُبْتُمْ فَلَكُمْ رُءُوْسُ اَمْوَالِكُمْۚ لَا تَظْلِمُوْنَ وَلَا تُظْلَمُوْنَ ٢٧٩

fa-in
فَإِن
फिर अगर
lam
لَّمْ
ना
tafʿalū
تَفْعَلُوا۟
तुम करो
fadhanū
فَأْذَنُوا۟
तो ऐलान सुन लो
biḥarbin
بِحَرْبٍ
जंग का
mina
مِّنَ
अल्लाह से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह से
warasūlihi
وَرَسُولِهِۦۖ
और उसके रसूल से
wa-in
وَإِن
और अगर
tub'tum
تُبْتُمْ
तौबा कर लो तुम
falakum
فَلَكُمْ
तो तुम्हारे लिए है
ruūsu
رُءُوسُ
असल
amwālikum
أَمْوَٰلِكُمْ
तुम्हारे मालों का
لَا
ना तुम ज़ुल्म करोगे
taẓlimūna
تَظْلِمُونَ
ना तुम ज़ुल्म करोगे
walā
وَلَا
और ना
tuẓ'lamūna
تُظْلَمُونَ
तुम ज़ुल्म किए जाओगे
फिर यदि तुमने ऐसा न किया तो अल्लाह और उसके रसूल से युद्ध के लिए ख़बरदार हो जाओ। और यदि तौबा कर लो तो अपना मूलधन लेने का तुम्हें अधिकार है। न तुम अन्याय करो और न तुम्हारे साथ अन्याय किया जाए ([२] अल बकराह: 279)
Tafseer (तफ़सीर )
२८०

وَاِنْ كَانَ ذُوْ عُسْرَةٍ فَنَظِرَةٌ اِلٰى مَيْسَرَةٍ ۗ وَاَنْ تَصَدَّقُوْا خَيْرٌ لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ٢٨٠

wa-in
وَإِن
और अगर
kāna
كَانَ
है वो
dhū
ذُو
तंगदस्त
ʿus'ratin
عُسْرَةٍ
तंगदस्त
fanaẓiratun
فَنَظِرَةٌ
तो मोहलत देना है
ilā
إِلَىٰ
आसानी तक
maysaratin
مَيْسَرَةٍۚ
आसानी तक
wa-an
وَأَن
और ये कि
taṣaddaqū
تَصَدَّقُوا۟
तुम सदक़ा कर दो
khayrun
خَيْرٌ
बेहतर है
lakum
لَّكُمْۖ
तुम्हारे लिए
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
taʿlamūna
تَعْلَمُونَ
तुम जानते
और यदि कोई तंगी में हो तो हाथ खुलने तक मुहलत देनी होगी; और सदक़ा कर दो (अर्थात मूलधन भी न लो) तो यह तुम्हारे लिए अधिक उत्तम है, यदि तुम जान सको ([२] अल बकराह: 280)
Tafseer (तफ़सीर )