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सूरा अल बकराह - Page: 27

Al-Baqarah

(गाय)

२६१

مَثَلُ الَّذِيْنَ يُنْفِقُوْنَ اَمْوَالَهُمْ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ كَمَثَلِ حَبَّةٍ اَنْۢبَتَتْ سَبْعَ سَنَابِلَ فِيْ كُلِّ سُنْۢبُلَةٍ مِّائَةُ حَبَّةٍ ۗ وَاللّٰهُ يُضٰعِفُ لِمَنْ يَّشَاۤءُ ۗوَاللّٰهُ وَاسِعٌ عَلِيْمٌ ٢٦١

mathalu
مَّثَلُ
मिसाल
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनकी जो
yunfiqūna
يُنفِقُونَ
ख़र्च करते हैं
amwālahum
أَمْوَٰلَهُمْ
अपने मालों को
فِى
अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते में
kamathali
كَمَثَلِ
मानिन्द मिसाल
ḥabbatin
حَبَّةٍ
एक दाने के है
anbatat
أَنۢبَتَتْ
उसने उगाईं
sabʿa
سَبْعَ
सात
sanābila
سَنَابِلَ
बालियाँ
فِى
हर बाली में
kulli
كُلِّ
हर बाली में
sunbulatin
سُنۢبُلَةٍ
हर बाली में
mi-atu
مِّا۟ئَةُ
सौ
ḥabbatin
حَبَّةٍۗ
दाने
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yuḍāʿifu
يُضَٰعِفُ
बढ़ाता है
liman
لِمَن
जिसके लिए
yashāu
يَشَآءُۗ
वो चाहता है
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
wāsiʿun
وَٰسِعٌ
वुसअत वाला है
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
जो लोग अपने माल अल्लाह के मार्ग में ख़र्च करते है, उनकी उपमा ऐसी है, जैसे एक दाना हो, जिससे सात बालें निकलें और प्रत्येक बाल में सौ दाने हो। अल्लाह जिसे चाहता है बढ़ोतरी प्रदान करता है। अल्लाह बड़ी समाईवाला, जाननेवाला है ([२] अल बकराह: 261)
Tafseer (तफ़सीर )
२६२

اَلَّذِيْنَ يُنْفِقُوْنَ اَمْوَالَهُمْ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ثُمَّ لَا يُتْبِعُوْنَ مَآ اَنْفَقُوْا مَنًّا وَّلَآ اَذًىۙ لَّهُمْ اَجْرُهُمْ عِنْدَ رَبِّهِمْۚ وَلَا خَوْفٌ عَلَيْهِمْ وَلَا هُمْ يَحْزَنُوْنَ ٢٦٢

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
yunfiqūna
يُنفِقُونَ
ख़र्च करते हैं
amwālahum
أَمْوَٰلَهُمْ
अपने मालों को
فِى
अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते में
thumma
ثُمَّ
फिर
لَا
नहीं वो पीछे लाते
yut'biʿūna
يُتْبِعُونَ
नहीं वो पीछे लाते
مَآ
उसके जो
anfaqū
أَنفَقُوا۟
उन्होंने ख़र्च किया
mannan
مَنًّا
एहसान को
walā
وَلَآ
और ना
adhan
أَذًىۙ
अज़ियत को
lahum
لَّهُمْ
उनके लिए है
ajruhum
أَجْرُهُمْ
अजर उनका
ʿinda
عِندَ
पास
rabbihim
رَبِّهِمْ
उनके रब के
walā
وَلَا
और ना
khawfun
خَوْفٌ
कोई ख़ौफ़ होगा
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
walā
وَلَا
और ना
hum
هُمْ
वो
yaḥzanūna
يَحْزَنُونَ
वो ग़मगीन होंगे
जो लोग अपने माल अल्लाह के मार्ग में ख़र्च करते है, फिर ख़र्च करके उसका न एहसान जताते है और न दिल दुखाते है, उनका बदला उनके अपने रब के पास है। और न तो उनके लिए कोई भय होगा और न वे दुखी होंगे ([२] अल बकराह: 262)
Tafseer (तफ़सीर )
२६३

۞ قَوْلٌ مَّعْرُوْفٌ وَّمَغْفِرَةٌ خَيْرٌ مِّنْ صَدَقَةٍ يَّتْبَعُهَآ اَذًى ۗ وَاللّٰهُ غَنِيٌّ حَلِيْمٌ ٢٦٣

qawlun
قَوْلٌ
बात
maʿrūfun
مَّعْرُوفٌ
अच्छी (कहना)
wamaghfiratun
وَمَغْفِرَةٌ
और माफ़ करना
khayrun
خَيْرٌ
बेहतर है
min
مِّن
उस सदक़े से
ṣadaqatin
صَدَقَةٍ
उस सदक़े से
yatbaʿuhā
يَتْبَعُهَآ
पीछे आए जिसके
adhan
أَذًىۗ
कोई अज़ियत
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ghaniyyun
غَنِىٌّ
बड़ा बेनियाज़ है
ḥalīmun
حَلِيمٌ
बहुत बुर्दबार है
एक भली बात कहनी और क्षमा से काम लेना उस सदक़े से अच्छा है, जिसके पीछे दुख हो। और अल्लाह अत्यन्कृत निस्पृह (बेनियाज़), सहनशील है ([२] अल बकराह: 263)
Tafseer (तफ़सीर )
२६४

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تُبْطِلُوْا صَدَقٰتِكُمْ بِالْمَنِّ وَالْاَذٰىۙ كَالَّذِيْ يُنْفِقُ مَالَهٗ رِئَاۤءَ النَّاسِ وَلَا يُؤْمِنُ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِۗ فَمَثَلُهٗ كَمَثَلِ صَفْوَانٍ عَلَيْهِ تُرَابٌ فَاَصَابَهٗ وَابِلٌ فَتَرَكَهٗ صَلْدًا ۗ لَا يَقْدِرُوْنَ عَلٰى شَيْءٍ مِّمَّا كَسَبُوْا ۗ وَاللّٰهُ لَا يَهْدِى الْقَوْمَ الْكٰفِرِيْنَ ٢٦٤

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
لَا
ना तुम ज़ाया करो
tub'ṭilū
تُبْطِلُوا۟
ना तुम ज़ाया करो
ṣadaqātikum
صَدَقَٰتِكُم
अपने सदक़ात को
bil-mani
بِٱلْمَنِّ
साथ एहसान
wal-adhā
وَٱلْأَذَىٰ
और अज़ियत के
ka-alladhī
كَٱلَّذِى
उसकी तरह जो
yunfiqu
يُنفِقُ
ख़र्च करता है
mālahu
مَالَهُۥ
माल अपना
riāa
رِئَآءَ
दिखाने के लिए
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोगों को
walā
وَلَا
और नहीं
yu'minu
يُؤْمِنُ
वो ईमान लाता
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
wal-yawmi
وَٱلْيَوْمِ
और आख़िरी दिन पर
l-ākhiri
ٱلْءَاخِرِۖ
और आख़िरी दिन पर
famathaluhu
فَمَثَلُهُۥ
तो मिसाल उसकी
kamathali
كَمَثَلِ
मानिन्द मिसाल
ṣafwānin
صَفْوَانٍ
चिकने पत्थर के है
ʿalayhi
عَلَيْهِ
जिस पर
turābun
تُرَابٌ
मिट्टी हो
fa-aṣābahu
فَأَصَابَهُۥ
तो पहुँचे उसे
wābilun
وَابِلٌ
तेज़ बारिश
fatarakahu
فَتَرَكَهُۥ
तो वो छोड़ दे उसे
ṣaldan
صَلْدًاۖ
साफ़ चट्टान
لَّا
नहीं वो क़ुदरत रखते होंगे
yaqdirūna
يَقْدِرُونَ
नहीं वो क़ुदरत रखते होंगे
ʿalā
عَلَىٰ
किसी चीज़ पर
shayin
شَىْءٍ
किसी चीज़ पर
mimmā
مِّمَّا
उसमें से जो
kasabū
كَسَبُوا۟ۗ
उन्होंने कमाई की
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
لَا
नहीं वो हिदायत देता
yahdī
يَهْدِى
नहीं वो हिदायत देता
l-qawma
ٱلْقَوْمَ
उन लोगों को
l-kāfirīna
ٱلْكَٰفِرِينَ
जो काफ़िर हैं
ऐ ईमानवालो! अपने सदक़ो को एहसान जताकर और दुख देकर उस व्यक्ति की तरह नष्ट न करो जो लोगों को दिखाने के लिए अपना माल ख़र्च करता है और अल्लाह और अंतिम दिन पर ईमान नहीं रखता। तो उसकी हालत उस चट्टान जैसी है जिसपर कुछ मिट्टी पड़ी हुई थी, फिर उस पर ज़ोर की वर्षा हुई और उसे साफ़ चट्टान की दशा में छोड़ गई। ऐसे लोग अपनी कमाई कुछ भी प्राप्त नहीं करते। और अल्लाह इनकार की नीति अपनानेवालों को मार्ग नहीं दिखाता ([२] अल बकराह: 264)
Tafseer (तफ़सीर )
२६५

وَمَثَلُ الَّذِيْنَ يُنْفِقُوْنَ اَمْوَالَهُمُ ابْتِغَاۤءَ مَرْضَاتِ اللّٰهِ وَتَثْبِيْتًا مِّنْ اَنْفُسِهِمْ كَمَثَلِ جَنَّةٍۢ بِرَبْوَةٍ اَصَابَهَا وَابِلٌ فَاٰتَتْ اُكُلَهَا ضِعْفَيْنِۚ فَاِنْ لَّمْ يُصِبْهَا وَابِلٌ فَطَلٌّ ۗوَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِيْرٌ ٢٦٥

wamathalu
وَمَثَلُ
और मिसाल
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनकी जो
yunfiqūna
يُنفِقُونَ
ख़र्च करते है
amwālahumu
أَمْوَٰلَهُمُ
अपने माल
ib'tighāa
ٱبْتِغَآءَ
चाहने के लिए
marḍāti
مَرْضَاتِ
रज़ामन्दी
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
watathbītan
وَتَثْبِيتًا
और पुख़्तगी के लिए
min
مِّنْ
अपने नफ़्सों की
anfusihim
أَنفُسِهِمْ
अपने नफ़्सों की
kamathali
كَمَثَلِ
मानिन्द मिसाल
jannatin
جَنَّةٍۭ
एक बाग़ के है
birabwatin
بِرَبْوَةٍ
ऊँची जगह पर
aṣābahā
أَصَابَهَا
पहुँचे उसे
wābilun
وَابِلٌ
तेज़ बारिश
faātat
فَـَٔاتَتْ
तो वो दे
ukulahā
أُكُلَهَا
फल अपना
ḍiʿ'fayni
ضِعْفَيْنِ
दोगुना
fa-in
فَإِن
फिर अगर
lam
لَّمْ
ना
yuṣib'hā
يُصِبْهَا
पहुँचे उसे
wābilun
وَابِلٌ
तेज़ बारिश
faṭallun
فَطَلٌّۗ
तो फुहार (ही काफ़ी है)
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
bimā
بِمَا
उसे जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
baṣīrun
بَصِيرٌ
ख़ूब देखने वाला है
और जो लोग अपने माल अल्लाह की प्रसन्नता के संसाधनों की तलब में और अपने दिलों को जमाव प्रदान करने के कारण ख़र्च करते है उनकी हालत उस बाग़़ की तरह है जो किसी अच्छी और उर्वर भूमि पर हो। उस पर घोर वर्षा हुई तो उसमें दुगुने फल आए। फिर यदि घोर वर्षा उस पर नहीं हुई, तो फुहार ही पर्याप्त होगी। तुम जो कुछ भी करते हो अल्लाह उसे देख रहा है ([२] अल बकराह: 265)
Tafseer (तफ़सीर )
२६६

اَيَوَدُّ اَحَدُكُمْ اَنْ تَكُوْنَ لَهٗ جَنَّةٌ مِّنْ نَّخِيْلٍ وَّاَعْنَابٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُۙ لَهٗ فِيْهَا مِنْ كُلِّ الثَّمَرٰتِۙ وَاَصَابَهُ الْكِبَرُ وَلَهٗ ذُرِّيَّةٌ ضُعَفَاۤءُۚ فَاَصَابَهَآ اِعْصَارٌ فِيْهِ نَارٌ فَاحْتَرَقَتْ ۗ كَذٰلِكَ يُبَيِّنُ اللّٰهُ لَكُمُ الْاٰيٰتِ لَعَلَّكُمْ تَتَفَكَّرُوْنَ ࣖ ٢٦٦

ayawaddu
أَيَوَدُّ
क्या चाहता है
aḥadukum
أَحَدُكُمْ
कोई एक तुम में से
an
أَن
कि
takūna
تَكُونَ
हो
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
jannatun
جَنَّةٌ
एक बाग़
min
مِّن
खजूरों का
nakhīlin
نَّخِيلٍ
खजूरों का
wa-aʿnābin
وَأَعْنَابٍ
और अँगूरों का
tajrī
تَجْرِى
बहती हों
min
مِن
उसके नीचे से
taḥtihā
تَحْتِهَا
उसके नीचे से
l-anhāru
ٱلْأَنْهَٰرُ
नहरें
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
fīhā
فِيهَا
उस में
min
مِن
हर तरह के
kulli
كُلِّ
हर तरह के
l-thamarāti
ٱلثَّمَرَٰتِ
फल हों
wa-aṣābahu
وَأَصَابَهُ
और पहुँचे उसे
l-kibaru
ٱلْكِبَرُ
बुढ़ापा
walahu
وَلَهُۥ
और उसकी
dhurriyyatun
ذُرِّيَّةٌ
औलाद हो
ḍuʿafāu
ضُعَفَآءُ
कमज़ोर (छोटी)
fa-aṣābahā
فَأَصَابَهَآ
फिर पहुँचे उसे
iʿ'ṣārun
إِعْصَارٌ
एक बगोला
fīhi
فِيهِ
जिसमें
nārun
نَارٌ
आग हो
fa-iḥ'taraqat
فَٱحْتَرَقَتْۗ
पस वो जल जाए
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
yubayyinu
يُبَيِّنُ
वाज़ेह करता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
lakumu
لَكُمُ
तुम्हारे लिए
l-āyāti
ٱلْءَايَٰتِ
निशानियाँ
laʿallakum
لَعَلَّكُمْ
ताकि तुम
tatafakkarūna
تَتَفَكَّرُونَ
तुम ग़ौरो फ़िक्र करो
क्या तुममें से कोई यह चाहेगा कि उसके पास ख़जूरों और अंगूरों का एक बाग़ हो, जिसके नीचे नहरें बह रही हो, वहाँ उसे हर प्रकार के फल प्राप्त हो और उसका बुढ़ापा आ गया हो और उसके बच्चे अभी कमज़ोर ही हों कि उस बाग़ पर एक आग भरा बगूला आ गया, और वह जलकर रह गया? इस प्रकार अल्लाह तुम्हारे सामने आयतें खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि सोच-विचार करो ([२] अल बकराह: 266)
Tafseer (तफ़सीर )
२६७

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اَنْفِقُوْا مِنْ طَيِّبٰتِ مَا كَسَبْتُمْ وَمِمَّآ اَخْرَجْنَا لَكُمْ مِّنَ الْاَرْضِ ۗ وَلَا تَيَمَّمُوا الْخَبِيْثَ مِنْهُ تُنْفِقُوْنَ وَلَسْتُمْ بِاٰخِذِيْهِ اِلَّآ اَنْ تُغْمِضُوْا فِيْهِ ۗ وَاعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ غَنِيٌّ حَمِيْدٌ ٢٦٧

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوٓا۟
ईमान लाए हो
anfiqū
أَنفِقُوا۟
ख़र्च करो
min
مِن
पाकीज़ा चीज़ों में से
ṭayyibāti
طَيِّبَٰتِ
पाकीज़ा चीज़ों में से
مَا
जो
kasabtum
كَسَبْتُمْ
कमाईं तुमने
wamimmā
وَمِمَّآ
और उसमें से जो
akhrajnā
أَخْرَجْنَا
निकाला हमने
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
mina
مِّنَ
ज़मीन से
l-arḍi
ٱلْأَرْضِۖ
ज़मीन से
walā
وَلَا
और ना
tayammamū
تَيَمَّمُوا۟
तुम इरादा करो
l-khabītha
ٱلْخَبِيثَ
नापाक का
min'hu
مِنْهُ
उसमें से जो
tunfiqūna
تُنفِقُونَ
तुम ख़र्च करते हो
walastum
وَلَسْتُم
हालाँकि नहीं तुम
biākhidhīhi
بِـَٔاخِذِيهِ
लेने वाले उसे
illā
إِلَّآ
मगर
an
أَن
ये कि
tugh'miḍū
تُغْمِضُوا۟
तुम चश्म पोशी कर जाओ
fīhi
فِيهِۚ
उसमें
wa-iʿ'lamū
وَٱعْلَمُوٓا۟
और जान लो
anna
أَنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ghaniyyun
غَنِىٌّ
बहुत बेनियाज़ है
ḥamīdun
حَمِيدٌ
बहुत तारीफ़ वाला है
ऐ ईमान लानेवालो! अपनी कमाई को पाक और अच्छी चीज़ों में से ख़र्च करो और उन चीज़ों में से भी जो हमने धरती से तुम्हारे लिए निकाली है। और देने के लिए उसके ख़राब हिस्से (के देने) का इरादा न करो, जबकि तुम स्वयं उसे कभी न लोगे। यह और बात है कि उसको लेने में देखी-अनदेखी कर जाओ। और जान लो कि अल्लाह निस्पृह, प्रशंसनीय है ([२] अल बकराह: 267)
Tafseer (तफ़सीर )
२६८

اَلشَّيْطٰنُ يَعِدُكُمُ الْفَقْرَ وَيَأْمُرُكُمْ بِالْفَحْشَاۤءِ ۚ وَاللّٰهُ يَعِدُكُمْ مَّغْفِرَةً مِّنْهُ وَفَضْلًا ۗ وَاللّٰهُ وَاسِعٌ عَلِيْمٌ ۖ ٢٦٨

al-shayṭānu
ٱلشَّيْطَٰنُ
शैतान
yaʿidukumu
يَعِدُكُمُ
डराता है तुम्हें
l-faqra
ٱلْفَقْرَ
फ़क़्र से
wayamurukum
وَيَأْمُرُكُم
और वो हुक्म देता है तुम्हें
bil-faḥshāi
بِٱلْفَحْشَآءِۖ
बेहयाई का
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yaʿidukum
يَعِدُكُم
वादा करता है तुमसे
maghfiratan
مَّغْفِرَةً
बख़्शिश का
min'hu
مِّنْهُ
अपनी तरफ़ से
wafaḍlan
وَفَضْلًاۗ
और फ़ज़ल का
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
wāsiʿun
وَٰسِعٌ
वुसअत वाला है
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
शैतान तुम्हें निर्धनता से डराता है और निर्लज्जता के कामों पर उभारता है, जबकि अल्लाह अपनी क्षमा और उदार कृपा का तुम्हें वचन देता है। अल्लाह बड़ी समाईवाला, सर्वज्ञ है ([२] अल बकराह: 268)
Tafseer (तफ़सीर )
२६९

يُّؤْتِى الْحِكْمَةَ مَنْ يَّشَاۤءُ ۚ وَمَنْ يُّؤْتَ الْحِكْمَةَ فَقَدْ اُوْتِيَ خَيْرًا كَثِيْرًا ۗ وَمَا يَذَّكَّرُ اِلَّآ اُولُوا الْاَلْبَابِ ٢٦٩

yu'tī
يُؤْتِى
वो देता है
l-ḥik'mata
ٱلْحِكْمَةَ
हिकमत को
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُۚ
वो चाहता है
waman
وَمَن
और जो कोई
yu'ta
يُؤْتَ
दिया गया
l-ḥik'mata
ٱلْحِكْمَةَ
हिकमत
faqad
فَقَدْ
तो तहक़ीक़
ūtiya
أُوتِىَ
वो दिया गया
khayran
خَيْرًا
ख़ैर
kathīran
كَثِيرًاۗ
कसीर/बहुत ज़्यादा
wamā
وَمَا
और नहीं
yadhakkaru
يَذَّكَّرُ
नसीहत पकड़ते
illā
إِلَّآ
मगर
ulū
أُو۟لُوا۟
अक़्ल वाले
l-albābi
ٱلْأَلْبَٰبِ
अक़्ल वाले
वह जिसे चाहता है तत्वदर्शिता प्रदान करता है और जिसे तत्वदर्शिता प्राप्त हुई उसे बड़ी दौलत मिल गई। किन्तु चेतते वही है जो बुद्धि और समझवाले है ([२] अल बकराह: 269)
Tafseer (तफ़सीर )
२७०

وَمَآ اَنْفَقْتُمْ مِّنْ نَّفَقَةٍ اَوْ نَذَرْتُمْ مِّنْ نَّذْرٍ فَاِنَّ اللّٰهَ يَعْلَمُهٗ ۗ وَمَا لِلظّٰلِمِيْنَ مِنْ اَنْصَارٍ ٢٧٠

wamā
وَمَآ
और जो
anfaqtum
أَنفَقْتُم
ख़र्च किया तुमने
min
مِّن
कोई ख़र्च
nafaqatin
نَّفَقَةٍ
कोई ख़र्च
aw
أَوْ
या
nadhartum
نَذَرْتُم
नज़र मानी तुमने
min
مِّن
कोई नज़र
nadhrin
نَّذْرٍ
कोई नज़र
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yaʿlamuhu
يَعْلَمُهُۥۗ
जानता है उसे
wamā
وَمَا
और नहीं
lilẓẓālimīna
لِلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों के लिए
min
مِنْ
मददगारों में से कोई
anṣārin
أَنصَارٍ
मददगारों में से कोई
और तुमने जो कुछ भी ख़र्च किया और जो कुछ भी नज़र (मन्नत) की हो, निस्सन्देह अल्लाह उसे भली-भाँति जानता है। और अत्याचारियों का कोई सहायक न होगा ([२] अल बकराह: 270)
Tafseer (तफ़सीर )