فَهَزَمُوْهُمْ بِاِذْنِ اللّٰهِ ۗوَقَتَلَ دَاوٗدُ جَالُوْتَ وَاٰتٰىهُ اللّٰهُ الْمُلْكَ وَالْحِكْمَةَ وَعَلَّمَهٗ مِمَّا يَشَاۤءُ ۗ وَلَوْلَا دَفْعُ اللّٰهِ النَّاسَ بَعْضَهُمْ بِبَعْضٍ لَّفَسَدَتِ الْاَرْضُ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ ذُوْ فَضْلٍ عَلَى الْعٰلَمِيْنَ ٢٥١
- fahazamūhum
- فَهَزَمُوهُم
- तो उन्होंने शिकस्त दे दी उन्हें
- bi-idh'ni
- بِإِذْنِ
- अल्लाह के इज़्न से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के इज़्न से
- waqatala
- وَقَتَلَ
- और क़त्ल कर दिया
- dāwūdu
- دَاوُۥدُ
- दाऊद ने
- jālūta
- جَالُوتَ
- जालूत को
- waātāhu
- وَءَاتَىٰهُ
- और अता की उसे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- l-mul'ka
- ٱلْمُلْكَ
- बादशाहत
- wal-ḥik'mata
- وَٱلْحِكْمَةَ
- और हिकमत
- waʿallamahu
- وَعَلَّمَهُۥ
- और उसने सिखाया उसे
- mimmā
- مِمَّا
- उसमें से जो
- yashāu
- يَشَآءُۗ
- उसने चाहा
- walawlā
- وَلَوْلَا
- और अगर ना होता
- dafʿu
- دَفْعُ
- हटा देना
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- l-nāsa
- ٱلنَّاسَ
- लोगों को
- baʿḍahum
- بَعْضَهُم
- उनके बाज़ को
- bibaʿḍin
- بِبَعْضٍ
- साथ बाज़ के
- lafasadati
- لَّفَسَدَتِ
- अलबत्ता फ़साद फैल जाता
- l-arḍu
- ٱلْأَرْضُ
- ज़मीन में
- walākinna
- وَلَٰكِنَّ
- और लेकिन
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- dhū
- ذُو
- फज़ल वाला है
- faḍlin
- فَضْلٍ
- फज़ल वाला है
- ʿalā
- عَلَى
- तमाम जहान वालों पर
- l-ʿālamīna
- ٱلْعَٰلَمِينَ
- तमाम जहान वालों पर
अन्ततः अल्लाह की अनुज्ञा से उन्होंने उनको पराजित कर दिया और दाऊद ने जालूत को क़त्ल कर दिया, और अल्लाह ने उसे राज्य और तत्वदर्शिता (हिकमत) प्रदान की, जो कुछ वह (दाऊद) चाहे, उससे उसको अवगत कराया। और यदि अल्लाह मनुष्यों के एक गिरोह को दूसरे गिरोह के द्वारा हटाता न रहता तो धरती की व्यवस्था बिगड़ जाती, किन्तु अल्लाह संसारवालों के लिए उदार अनुग्राही है ([२] अल बकराह: 251)Tafseer (तफ़सीर )
تِلْكَ اٰيٰتُ اللّٰهِ نَتْلُوْهَا عَلَيْكَ بِالْحَقِّ ۗ وَاِنَّكَ لَمِنَ الْمُرْسَلِيْنَ ۔ ٢٥٢
- til'ka
- تِلْكَ
- ये
- āyātu
- ءَايَٰتُ
- आयात हैं
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- natlūhā
- نَتْلُوهَا
- हम पढ़ते हैं उन्हें
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- आप पर
- bil-ḥaqi
- بِٱلْحَقِّۚ
- साथ हक़ के
- wa-innaka
- وَإِنَّكَ
- और बेशक आप
- lamina
- لَمِنَ
- अलबत्ता रसूलों में से हैं
- l-mur'salīna
- ٱلْمُرْسَلِينَ
- अलबत्ता रसूलों में से हैं
ये अल्लाह की सच्ची आयतें है जो हम तुम्हें (सोद्देश्य) सुना रहे है और निश्चय ही तुम उन लोगों में से हो, जो रसूस बनाकर भेजे गए है ([२] अल बकराह: 252)Tafseer (तफ़सीर )
تِلْكَ الرُّسُلُ فَضَّلْنَا بَعْضَهُمْ عَلٰى بَعْضٍۘ مِنْهُمْ مَّنْ كَلَّمَ اللّٰهُ وَرَفَعَ بَعْضَهُمْ دَرَجٰتٍۗ وَاٰتَيْنَا عِيْسَى ابْنَ مَرْيَمَ الْبَيِّنٰتِ وَاَيَّدْنٰهُ بِرُوْحِ الْقُدُسِۗ وَلَوْ شَاۤءَ اللّٰهُ مَا اقْتَتَلَ الَّذِيْنَ مِنْۢ بَعْدِهِمْ مِّنْۢ بَعْدِ مَا جَاۤءَتْهُمُ الْبَيِّنٰتُ وَلٰكِنِ اخْتَلَفُوْا فَمِنْهُمْ مَّنْ اٰمَنَ وَمِنْهُمْ مَّنْ كَفَرَ ۗوَلَوْ شَاۤءَ اللّٰهُ مَا اقْتَتَلُوْاۗ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ يَفْعَلُ مَا يُرِيْدُ ࣖ ٢٥٣
- til'ka
- تِلْكَ
- ये
- l-rusulu
- ٱلرُّسُلُ
- रसूल
- faḍḍalnā
- فَضَّلْنَا
- फ़ज़ीलत दी हमने
- baʿḍahum
- بَعْضَهُمْ
- उनके बाज़ को
- ʿalā
- عَلَىٰ
- बाज़ पर
- baʿḍin
- بَعْضٍۘ
- बाज़ पर
- min'hum
- مِّنْهُم
- उनमें से बाज़ (वो हैं)
- man
- مَّن
- जिनसे
- kallama
- كَلَّمَ
- कलाम किया
- l-lahu
- ٱللَّهُۖ
- अल्लाह ने
- warafaʿa
- وَرَفَعَ
- और उसने बुलन्द किया
- baʿḍahum
- بَعْضَهُمْ
- उनमें से बाज़ को
- darajātin
- دَرَجَٰتٍۚ
- दरजात में
- waātaynā
- وَءَاتَيْنَا
- और दीं हमने
- ʿīsā
- عِيسَى
- ईसा
- ib'na
- ٱبْنَ
- इब्ने मरियम को
- maryama
- مَرْيَمَ
- इब्ने मरियम को
- l-bayināti
- ٱلْبَيِّنَٰتِ
- वाज़ेह निशानियाँ
- wa-ayyadnāhu
- وَأَيَّدْنَٰهُ
- और क़ुव्वत दी हमने उसे
- birūḥi
- بِرُوحِ
- साथ रूहुल क़ुदुस के
- l-qudusi
- ٱلْقُدُسِۗ
- साथ रूहुल क़ुदुस के
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- shāa
- شَآءَ
- चाहता
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- mā
- مَا
- ना
- iq'tatala
- ٱقْتَتَلَ
- बाहम लड़ते
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- min
- مِنۢ
- थे उनके बाद
- baʿdihim
- بَعْدِهِم
- थे उनके बाद
- min
- مِّنۢ
- बाद
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद
- mā
- مَا
- उसके जो
- jāathumu
- جَآءَتْهُمُ
- आ गईं उनके पास
- l-bayinātu
- ٱلْبَيِّنَٰتُ
- वाज़ेह निशानियाँ
- walākini
- وَلَٰكِنِ
- और लेकिन
- ikh'talafū
- ٱخْتَلَفُوا۟
- उन्होंने इख़्तिलाफ़ किया
- famin'hum
- فَمِنْهُم
- फिर उनमें से कोई है
- man
- مَّنْ
- जो
- āmana
- ءَامَنَ
- ईमान लाया
- wamin'hum
- وَمِنْهُم
- और उनमें से कोई है
- man
- مَّن
- जिसने
- kafara
- كَفَرَۚ
- कुफ़्र किया
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- shāa
- شَآءَ
- चाहता
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- mā
- مَا
- ना
- iq'tatalū
- ٱقْتَتَلُوا۟
- वो बाहम लड़ते
- walākinna
- وَلَٰكِنَّ
- और लेकिन
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yafʿalu
- يَفْعَلُ
- करता है
- mā
- مَا
- जो
- yurīdu
- يُرِيدُ
- वो चाहता है
ये रसूल ऐसे हुए है कि इनमें हमने कुछ को कुछ पर श्रेष्ठता प्रदान की। इनमें कुछ से तो अल्लाह ने बातचीत की और इनमें से कुछ को दर्जों की स्पष्ट से उच्चता प्रदान की। और मरयम के बेटे ईसा को हमने खुली निशानियाँ दी और पवित्र आत्मा से उसकी सहायता की। और यदि अल्लाह चाहता तो वे लोग, जो उनके पश्चात हुए, खुली निशानियाँ पा लेने के बाद परस्पर न लड़ते। किन्तु वे विभेद में पड़ गए तो उनमें से कोई तो ईमान लाया और उनमें से किसी ने इनकार की नीति अपनाई। और यदि अल्लाह चाहता तो वे परस्पर न लड़ते, परन्तु अल्लाह जो चाहता है, करता है ([२] अल बकराह: 253)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اَنْفِقُوْا مِمَّا رَزَقْنٰكُمْ مِّنْ قَبْلِ اَنْ يَّأْتِيَ يَوْمٌ لَّا بَيْعٌ فِيْهِ وَلَا خُلَّةٌ وَّلَا شَفَاعَةٌ ۗوَالْكٰفِرُوْنَ هُمُ الظّٰلِمُوْنَ ٢٥٤
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوٓا۟
- ईमान लाए हो
- anfiqū
- أَنفِقُوا۟
- ख़र्च करो
- mimmā
- مِمَّا
- उसमें से जो
- razaqnākum
- رَزَقْنَٰكُم
- रिज़्क़ दिया हमने तुम्हें
- min
- مِّن
- इससे पहले
- qabli
- قَبْلِ
- इससे पहले
- an
- أَن
- कि
- yatiya
- يَأْتِىَ
- आ जाए
- yawmun
- يَوْمٌ
- वो दिन
- lā
- لَّا
- नहीं
- bayʿun
- بَيْعٌ
- कोई ख़रीद व फ़रोख़्त
- fīhi
- فِيهِ
- उसमें
- walā
- وَلَا
- और ना
- khullatun
- خُلَّةٌ
- कोई दोस्ती
- walā
- وَلَا
- और ना
- shafāʿatun
- شَفَٰعَةٌۗ
- कोई सिफ़ारिश
- wal-kāfirūna
- وَٱلْكَٰفِرُونَ
- और जो काफ़िर हैं
- humu
- هُمُ
- वो ही
- l-ẓālimūna
- ٱلظَّٰلِمُونَ
- ज़ालिम हैं
ऐ ईमान लानेवालो! हमने जो कुछ तुम्हें प्रदान किया है उसमें से ख़र्च करो, इससे पहले कि वह दिन आ जाए जिसमें न कोई क्रय-विक्रय होगा और न कोई मित्रता होगी और न कोई सिफ़ारिश। ज़ालिम वही है, जिन्होंने इनकार की नीति अपनाई है ([२] अल बकराह: 254)Tafseer (तफ़सीर )
اَللّٰهُ لَآ اِلٰهَ اِلَّا هُوَۚ اَلْحَيُّ الْقَيُّوْمُ ەۚ لَا تَأْخُذُهٗ سِنَةٌ وَّلَا نَوْمٌۗ لَهٗ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِۗ مَنْ ذَا الَّذِيْ يَشْفَعُ عِنْدَهٗٓ اِلَّا بِاِذْنِهٖۗ يَعْلَمُ مَا بَيْنَ اَيْدِيْهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْۚ وَلَا يُحِيْطُوْنَ بِشَيْءٍ مِّنْ عِلْمِهٖٓ اِلَّا بِمَا شَاۤءَۚ وَسِعَ كُرْسِيُّهُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَۚ وَلَا يَـُٔوْدُهٗ حِفْظُهُمَاۚ وَهُوَ الْعَلِيُّ الْعَظِيْمُ ٢٥٥
- al-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- lā
- لَآ
- नहीं
- ilāha
- إِلَٰهَ
- कोई इलाह (बरहक़)
- illā
- إِلَّا
- मगर
- huwa
- هُوَ
- वो ही
- l-ḥayu
- ٱلْحَىُّ
- ज़िन्दा है
- l-qayūmu
- ٱلْقَيُّومُۚ
- क़ायम रखने वाला है
- lā
- لَا
- नहीं पकड़ती उसे
- takhudhuhu
- تَأْخُذُهُۥ
- नहीं पकड़ती उसे
- sinatun
- سِنَةٌ
- ऊँघ
- walā
- وَلَا
- और ना
- nawmun
- نَوْمٌۚ
- नीन्द
- lahu
- لَّهُۥ
- उसी के लिए है
- mā
- مَا
- जो कुछ
- fī
- فِى
- आसमानों में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- fī
- فِى
- ज़मीन में है
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِۗ
- ज़मीन में है
- man
- مَن
- कौन है
- dhā
- ذَا
- वो जो
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जो
- yashfaʿu
- يَشْفَعُ
- सिफ़ारिश करे
- ʿindahu
- عِندَهُۥٓ
- उसके पास
- illā
- إِلَّا
- मगर
- bi-idh'nihi
- بِإِذْنِهِۦۚ
- उसके इज़्न से
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- वो जानता है
- mā
- مَا
- जो
- bayna
- بَيْنَ
- दर्मियान है
- aydīhim
- أَيْدِيهِمْ
- उनके हाथों के
- wamā
- وَمَا
- और जो
- khalfahum
- خَلْفَهُمْۖ
- उनके पीछे है
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yuḥīṭūna
- يُحِيطُونَ
- वो इहाता कर सकते
- bishayin
- بِشَىْءٍ
- किसी चीज़ का
- min
- مِّنْ
- उसके इल्म में से
- ʿil'mihi
- عِلْمِهِۦٓ
- उसके इल्म में से
- illā
- إِلَّا
- मगर
- bimā
- بِمَا
- जो
- shāa
- شَآءَۚ
- वो चाहे
- wasiʿa
- وَسِعَ
- घेर रखा है
- kur'siyyuhu
- كُرْسِيُّهُ
- उसकी कुर्सी ने
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍa
- وَٱلْأَرْضَۖ
- और ज़मीन को
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yaūduhu
- يَـُٔودُهُۥ
- थकाती उसे
- ḥif'ẓuhumā
- حِفْظُهُمَاۚ
- हिफ़ाज़त उन दोनों की
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- l-ʿaliyu
- ٱلْعَلِىُّ
- बुलन्दतर है
- l-ʿaẓīmu
- ٱلْعَظِيمُ
- बहुत बड़ा है
अल्लाह कि जिसके सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं, वह जीवन्त-सत्ता है, सबको सँभालने और क़ायम रखनेवाला है। उसे न ऊँघ लगती है और न निद्रा। उसी का है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। कौन है जो उसके यहाँ उसकी अनुमति के बिना सिफ़ारिश कर सके? वह जानता है जो कुछ उनके आगे है और जो कुछ उनके पीछे है। और वे उसके ज्ञान में से किसी चीज़ पर हावी नहीं हो सकते, सिवाय उसके जो उसने चाहा। उसकी कुर्सी (प्रभुता) आकाशों और धरती को व्याप्त है और उनकी सुरक्षा उसके लिए तनिक भी भारी नहीं और वह उच्च, महान है ([२] अल बकराह: 255)Tafseer (तफ़सीर )
لَآ اِكْرَاهَ فِى الدِّيْنِۗ قَدْ تَّبَيَّنَ الرُّشْدُ مِنَ الْغَيِّ ۚ فَمَنْ يَّكْفُرْ بِالطَّاغُوْتِ وَيُؤْمِنْۢ بِاللّٰهِ فَقَدِ اسْتَمْسَكَ بِالْعُرْوَةِ الْوُثْقٰى لَا انْفِصَامَ لَهَا ۗوَاللّٰهُ سَمِيْعٌ عَلِيْمٌ ٢٥٦
- lā
- لَآ
- नहीं कोई जबर/ज़बरदस्ती
- ik'rāha
- إِكْرَاهَ
- नहीं कोई जबर/ज़बरदस्ती
- fī
- فِى
- दीन में
- l-dīni
- ٱلدِّينِۖ
- दीन में
- qad
- قَد
- तहक़ीक़
- tabayyana
- تَّبَيَّنَ
- वाज़ेह हो गई है
- l-rush'du
- ٱلرُّشْدُ
- हिदायत
- mina
- مِنَ
- गुमराही से
- l-ghayi
- ٱلْغَىِّۚ
- गुमराही से
- faman
- فَمَن
- तो जो कोई
- yakfur
- يَكْفُرْ
- कुफ़्र करेगा
- bil-ṭāghūti
- بِٱلطَّٰغُوتِ
- ताग़ूत का
- wayu'min
- وَيُؤْمِنۢ
- और वो ईमान लाएगा
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- faqadi
- فَقَدِ
- पस तहक़ीक़
- is'tamsaka
- ٱسْتَمْسَكَ
- उसने थाम लिया
- bil-ʿur'wati
- بِٱلْعُرْوَةِ
- कड़ा
- l-wuth'qā
- ٱلْوُثْقَىٰ
- मज़बूत
- lā
- لَا
- नहीं है कोई टूटना
- infiṣāma
- ٱنفِصَامَ
- नहीं है कोई टूटना
- lahā
- لَهَاۗ
- उसके लिए
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- samīʿun
- سَمِيعٌ
- ख़ूब सुनने वाला है
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब जानने वाला है
धर्म के विषय में कोई ज़बरदस्ती नहीं। सही बात नासमझी की बात से अलग होकर स्पष्ट हो गई है। तो अब जो कोई बढ़े हुए सरकश को ठुकरा दे और अल्लाह पर ईमान लाए, उसने ऐसा मज़बूत सहारा थाम लिया जो कभी टूटनेवाला नहीं। अल्लाह सब कुछ सुनने, जाननेवाला है ([२] अल बकराह: 256)Tafseer (तफ़सीर )
اَللّٰهُ وَلِيُّ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا يُخْرِجُهُمْ مِّنَ الظُّلُمٰتِ اِلَى النُّوْرِۗ وَالَّذِيْنَ كَفَرُوْٓا اَوْلِيَاۤؤُهُمُ الطَّاغُوْتُ يُخْرِجُوْنَهُمْ مِّنَ النُّوْرِ اِلَى الظُّلُمٰتِۗ اُولٰۤىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِۚ هُمْ فِيْهَا خٰلِدُوْنَ ࣖ ٢٥٧
- al-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- waliyyu
- وَلِىُّ
- दोस्त है
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनका जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- yukh'rijuhum
- يُخْرِجُهُم
- वो निकालता है उन्हें
- mina
- مِّنَ
- अँधेरों से
- l-ẓulumāti
- ٱلظُّلُمَٰتِ
- अँधेरों से
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ नूर के
- l-nūri
- ٱلنُّورِۖ
- तरफ़ नूर के
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوٓا۟
- कुफ़्र किया
- awliyāuhumu
- أَوْلِيَآؤُهُمُ
- दोस्त उनके
- l-ṭāghūtu
- ٱلطَّٰغُوتُ
- ताग़ूत हैं
- yukh'rijūnahum
- يُخْرِجُونَهُم
- वो निकालते है उन्हें
- mina
- مِّنَ
- नूर से
- l-nūri
- ٱلنُّورِ
- नूर से
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ अँधेरों के
- l-ẓulumāti
- ٱلظُّلُمَٰتِۗ
- तरफ़ अँधेरों के
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- aṣḥābu
- أَصْحَٰبُ
- साथी
- l-nāri
- ٱلنَّارِۖ
- आग के
- hum
- هُمْ
- वो
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- khālidūna
- خَٰلِدُونَ
- हमेशा रहने वाले हैं
जो लोग ईमान लाते है, अल्लाह उनका रक्षक और सहायक है। वह उन्हें अँधेरों से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाता है। रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया तो उनके संरक्षक बढ़े हुए सरकश है। वे उन्हें प्रकाश से निकालकर अँधेरों की ओर ले जाते है। वही आग (जहन्नम) में पड़नेवाले है। वे उसी में सदैव रहेंगे ([२] अल बकराह: 257)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَمْ تَرَ اِلَى الَّذِيْ حَاۤجَّ اِبْرٰهٖمَ فِيْ رَبِّهٖٓ اَنْ اٰتٰىهُ اللّٰهُ الْمُلْكَ ۘ اِذْ قَالَ اِبْرٰهٖمُ رَبِّيَ الَّذِيْ يُحْيٖ وَيُمِيْتُۙ قَالَ اَنَا۠ اُحْيٖ وَاُمِيْتُ ۗ قَالَ اِبْرٰهٖمُ فَاِنَّ اللّٰهَ يَأْتِيْ بِالشَّمْسِ مِنَ الْمَشْرِقِ فَأْتِ بِهَا مِنَ الْمَغْرِبِ فَبُهِتَ الَّذِيْ كَفَرَ ۗوَاللّٰهُ لَا يَهْدِى الْقَوْمَ الظّٰلِمِيْنَۚ ٢٥٨
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- tara
- تَرَ
- आपने देखा
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ उसके जिसने
- alladhī
- ٱلَّذِى
- तरफ़ उसके जिसने
- ḥājja
- حَآجَّ
- झगड़ा किया
- ib'rāhīma
- إِبْرَٰهِۦمَ
- इब्राहीम से
- fī
- فِى
- उसके रब के बारे में
- rabbihi
- رَبِّهِۦٓ
- उसके रब के बारे में
- an
- أَنْ
- कि
- ātāhu
- ءَاتَىٰهُ
- अता की उसे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- l-mul'ka
- ٱلْمُلْكَ
- बादशाहत
- idh
- إِذْ
- जब
- qāla
- قَالَ
- कहा
- ib'rāhīmu
- إِبْرَٰهِۦمُ
- इब्राहीम ने
- rabbiya
- رَبِّىَ
- मेरा रब
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो है जो
- yuḥ'yī
- يُحْىِۦ
- ज़िन्दा करता है
- wayumītu
- وَيُمِيتُ
- और वो मौत देता है
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- anā
- أَنَا۠
- मैं
- uḥ'yī
- أُحْىِۦ
- मैं ज़िन्दा करता हूँ
- wa-umītu
- وَأُمِيتُۖ
- और मैं मौत देता हूँ
- qāla
- قَالَ
- कहा
- ib'rāhīmu
- إِبْرَٰهِۦمُ
- इब्राहीम ने
- fa-inna
- فَإِنَّ
- पस बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yatī
- يَأْتِى
- लाता है
- bil-shamsi
- بِٱلشَّمْسِ
- सूरज को
- mina
- مِنَ
- मशरिक़ से
- l-mashriqi
- ٱلْمَشْرِقِ
- मशरिक़ से
- fati
- فَأْتِ
- पस तुम ले आओ
- bihā
- بِهَا
- उसे
- mina
- مِنَ
- मग़रिब से
- l-maghribi
- ٱلْمَغْرِبِ
- मग़रिब से
- fabuhita
- فَبُهِتَ
- पस मबहूत रह गया
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जिसने
- kafara
- كَفَرَۗ
- कुफ़्र किया था
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं वो हिदायत देता
- yahdī
- يَهْدِى
- नहीं वो हिदायत देता
- l-qawma
- ٱلْقَوْمَ
- उन लोगों को
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- जो ज़ालिम हैं
क्या तुमने उनको नहीं देखा, जिसने इबराहीम से उसके 'रब' के सिलसिले में झगड़ा किया था, इस कारण कि अल्लाह ने उसको राज्य दे रखा था? जब इबराहीम ने कहा, 'मेरा 'रब' वह है जो जिलाता और मारता है।' उसने कहा, 'मैं भी तो जिलाता और मारता हूँ।' इबराहीम ने कहा, 'अच्छा तो अल्लाह सूर्य को पूरब से लाता है, तो तू उसे पश्चिम से ले आ।' इसपर वह अधर्मी चकित रह गया। अल्लाह ज़ालिम लोगों को सीधा मार्ग नहीं दिखाता ([२] अल बकराह: 258)Tafseer (तफ़सीर )
اَوْ كَالَّذِيْ مَرَّ عَلٰى قَرْيَةٍ وَّهِيَ خَاوِيَةٌ عَلٰى عُرُوْشِهَاۚ قَالَ اَنّٰى يُحْيٖ هٰذِهِ اللّٰهُ بَعْدَ مَوْتِهَا ۚ فَاَمَاتَهُ اللّٰهُ مِائَةَ عَامٍ ثُمَّ بَعَثَهٗ ۗ قَالَ كَمْ لَبِثْتَ ۗ قَالَ لَبِثْتُ يَوْمًا اَوْ بَعْضَ يَوْمٍۗ قَالَ بَلْ لَّبِثْتَ مِائَةَ عَامٍ فَانْظُرْ اِلٰى طَعَامِكَ وَشَرَابِكَ لَمْ يَتَسَنَّهْ ۚ وَانْظُرْ اِلٰى حِمَارِكَۗ وَلِنَجْعَلَكَ اٰيَةً لِّلنَّاسِ وَانْظُرْ اِلَى الْعِظَامِ كَيْفَ نُنْشِزُهَا ثُمَّ نَكْسُوْهَا لَحْمًا ۗ فَلَمَّا تَبَيَّنَ لَهٗ ۙ قَالَ اَعْلَمُ اَنَّ اللّٰهَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ٢٥٩
- aw
- أَوْ
- या
- ka-alladhī
- كَٱلَّذِى
- मानिन्द उसके जो
- marra
- مَرَّ
- गुज़रा
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- qaryatin
- قَرْيَةٍ
- एक बस्ती के
- wahiya
- وَهِىَ
- और वो
- khāwiyatun
- خَاوِيَةٌ
- गिरी हुई थी
- ʿalā
- عَلَىٰ
- अपनी छतों पर
- ʿurūshihā
- عُرُوشِهَا
- अपनी छतों पर
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- annā
- أَنَّىٰ
- किस तरह
- yuḥ'yī
- يُحْىِۦ
- ज़िन्दा करेगा
- hādhihi
- هَٰذِهِ
- इसको
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद
- mawtihā
- مَوْتِهَاۖ
- इसकी मौत के
- fa-amātahu
- فَأَمَاتَهُ
- तो मौत दे दी उसे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- mi-ata
- مِا۟ئَةَ
- सौ
- ʿāmin
- عَامٍ
- साल
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- baʿathahu
- بَعَثَهُۥۖ
- उसने उठाया उसे
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- kam
- كَمْ
- कितना (अरसा)
- labith'ta
- لَبِثْتَۖ
- ठहरे रहे तुम
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- labith'tu
- لَبِثْتُ
- ठहरा रहा मैं
- yawman
- يَوْمًا
- एक दिन
- aw
- أَوْ
- या
- baʿḍa
- بَعْضَ
- कुछ हिस्सा
- yawmin
- يَوْمٍۖ
- दिन का
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- bal
- بَل
- बल्कि
- labith'ta
- لَّبِثْتَ
- ठहरे रहे तुम
- mi-ata
- مِا۟ئَةَ
- सौ
- ʿāmin
- عَامٍ
- साल
- fa-unẓur
- فَٱنظُرْ
- पस देखो
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़
- ṭaʿāmika
- طَعَامِكَ
- अपने खाने के
- washarābika
- وَشَرَابِكَ
- और अपने पीने के
- lam
- لَمْ
- नहीं
- yatasannah
- يَتَسَنَّهْۖ
- बासी हुआ वो
- wa-unẓur
- وَٱنظُرْ
- और देखो
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़
- ḥimārika
- حِمَارِكَ
- अपने गधे के
- walinajʿalaka
- وَلِنَجْعَلَكَ
- और ताकि हम बना दें तुम्हें
- āyatan
- ءَايَةً
- एक निशानी
- lilnnāsi
- لِّلنَّاسِۖ
- लोगों के लिए
- wa-unẓur
- وَٱنظُرْ
- और देखो
- ilā
- إِلَى
- तरफ़
- l-ʿiẓāmi
- ٱلْعِظَامِ
- हड्डियों के
- kayfa
- كَيْفَ
- किस तरह
- nunshizuhā
- نُنشِزُهَا
- हम उठा कर जोड़ते हैं उन्हें
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- naksūhā
- نَكْسُوهَا
- हम पहनाते हैं उन्हें
- laḥman
- لَحْمًاۚ
- गोश्त
- falammā
- فَلَمَّا
- फिर जब
- tabayyana
- تَبَيَّنَ
- वाज़ेह हो गया
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- aʿlamu
- أَعْلَمُ
- मैं जानता हूँ
- anna
- أَنَّ
- कि बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- qadīrun
- قَدِيرٌ
- बहुत क़ादिर है
या उस जैसे (व्यक्ति) को नहीं देखा, जिसका एक ऐसी बस्ती पर से गुज़र हुआ, जो अपनी छतों के बल गिरी हुई थी। उसने कहा, 'अल्लाह इसके विनष्ट हो जाने के पश्चात इसे किस प्रकार जीवन प्रदान करेगा?' तो अल्लाह ने उसे सौ वर्ष की मृत्यु दे दी, फिर उसे उठा खड़ा किया। कहा, 'तू कितनी अवधि तक इस अवस्था नें रहा।' उसने कहा, 'मैं एक या दिन का कुछ हिस्सा रहा।' कहा, 'नहीं, बल्कि तू सौ वर्ष रहा है। अब अपने खाने और पीने की चीज़ों को देख ले, उन पर समय का कोई प्रभाव नहीं, और अपने गधे को भी देख, और यह इसलिए कह रहे है ताकि हम तुझे लोगों के लिए एक निशानी बना दें और हड्डियों को देख कि किस प्रकार हम उन्हें उभारते है, फिर, उनपर माँस चढ़ाते है।' तो जब वास्तविकता उस पर प्रकट हो गई तो वह पुकार उठा, ' मैं जानता हूँ कि अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।' ([२] अल बकराह: 259)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذْ قَالَ اِبْرٰهٖمُ رَبِّ اَرِنِيْ كَيْفَ تُحْيِ الْمَوْتٰىۗ قَالَ اَوَلَمْ تُؤْمِنْ ۗقَالَ بَلٰى وَلٰكِنْ لِّيَطْمَىِٕنَّ قَلْبِيْ ۗقَالَ فَخُذْ اَرْبَعَةً مِّنَ الطَّيْرِفَصُرْهُنَّ اِلَيْكَ ثُمَّ اجْعَلْ عَلٰى كُلِّ جَبَلٍ مِّنْهُنَّ جُزْءًا ثُمَّ ادْعُهُنَّ يَأْتِيْنَكَ سَعْيًا ۗوَاعْلَمْ اَنَّ اللّٰهَ عَزِيْزٌحَكِيْمٌ ࣖ ٢٦٠
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- qāla
- قَالَ
- कहा
- ib'rāhīmu
- إِبْرَٰهِۦمُ
- इब्राहीम ने
- rabbi
- رَبِّ
- ऐ मेरे रब
- arinī
- أَرِنِى
- दिखा मुझे
- kayfa
- كَيْفَ
- किस तरह
- tuḥ'yī
- تُحْىِ
- तू ज़िन्दा करेगा
- l-mawtā
- ٱلْمَوْتَىٰۖ
- मुर्दों को
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- awalam
- أَوَلَمْ
- क्या भला नहीं
- tu'min
- تُؤْمِنۖ
- तुम ईमान रखते
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- balā
- بَلَىٰ
- क्यों नहीं
- walākin
- وَلَٰكِن
- और लेकिन
- liyaṭma-inna
- لِّيَطْمَئِنَّ
- ताकि मुत्मईन हो जाए
- qalbī
- قَلْبِىۖ
- दिल मेरा
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- fakhudh
- فَخُذْ
- पस ले लो
- arbaʿatan
- أَرْبَعَةً
- चार
- mina
- مِّنَ
- परिन्दों में से
- l-ṭayri
- ٱلطَّيْرِ
- परिन्दों में से
- faṣur'hunna
- فَصُرْهُنَّ
- फिर माइल करो उन्हें
- ilayka
- إِلَيْكَ
- तरफ़ अपने
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- ij'ʿal
- ٱجْعَلْ
- रख दो
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- jabalin
- جَبَلٍ
- पहाड़ के
- min'hunna
- مِّنْهُنَّ
- उनमें से
- juz'an
- جُزْءًا
- एक हिस्सा
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- ud'ʿuhunna
- ٱدْعُهُنَّ
- बुलाओ उन्हें
- yatīnaka
- يَأْتِينَكَ
- वो आ जाऐंगे तेरे पास
- saʿyan
- سَعْيًاۚ
- दौड़ते हुए
- wa-iʿ'lam
- وَٱعْلَمْ
- और जान लो
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ʿazīzun
- عَزِيزٌ
- बहुत ज़बरदस्त है
- ḥakīmun
- حَكِيمٌ
- ख़ूब हिकमत वाला है
और याद करो जब इबराहीम ने कहा, 'ऐ मेरे रब! मुझे दिखा दे, तू मुर्दों को कैसे जीवित करेगा?' कहा,' क्या तुझे विश्वास नहीं?' उसने कहा,'क्यों नहीं, किन्तु निवेदन इसलिए है कि मेरा दिल संतुष्ट हो जाए।' कहा, 'अच्छा, तो चार पक्षी ले, फिर उन्हें अपने साथ भली-भाँति हिला-मिला से, फिर उनमें से प्रत्येक को एक-एक पर्वत पर रख दे, फिर उनको पुकार, वे तेरे पास लपककर आएँगे। और जान ले कि अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।' ([२] अल बकराह: 260)Tafseer (तफ़सीर )