وَلِلْمُطَلَّقٰتِ مَتَاعٌ ۢبِالْمَعْرُوْفِۗ حَقًّا عَلَى الْمُتَّقِيْنَ ٢٤١
- walil'muṭallaqāti
- وَلِلْمُطَلَّقَٰتِ
- और तलाक़ याफ़्ता औरतों को
- matāʿun
- مَتَٰعٌۢ
- फ़ायदा पहुँचाना है
- bil-maʿrūfi
- بِٱلْمَعْرُوفِۖ
- भले तरीक़े से
- ḥaqqan
- حَقًّا
- हक़ है
- ʿalā
- عَلَى
- मुत्तक़ी लोगों पर
- l-mutaqīna
- ٱلْمُتَّقِينَ
- मुत्तक़ी लोगों पर
और तलाक़ पाई हुई स्त्रियों को सामान्य नियम के अनुसार (इद्दत की अवधि में) ख़र्च भी मिलना चाहिए। यह डर रखनेवालो पर एक हक़ है ([२] अल बकराह: 241)Tafseer (तफ़सीर )
كَذٰلِكَ يُبَيِّنُ اللّٰهُ لَكُمْ اٰيٰتِهٖ لَعَلَّكُمْ تَعْقِلُوْنَ ࣖ ٢٤٢
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- yubayyinu
- يُبَيِّنُ
- वाज़ेह करता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- āyātihi
- ءَايَٰتِهِۦ
- अपनी आयात को
- laʿallakum
- لَعَلَّكُمْ
- ताकि तुम
- taʿqilūna
- تَعْقِلُونَ
- तुम अक़्ल से काम लो
इस प्रकार अल्लाह तुम्हारे लिए अपनी आयतें खोलकर बयान करता है, ताकि तुम समझ से काम लो ([२] अल बकराह: 242)Tafseer (तफ़सीर )
۞ اَلَمْ تَرَ اِلَى الَّذِيْنَ خَرَجُوْا مِنْ دِيَارِهِمْ وَهُمْ اُلُوْفٌ حَذَرَ الْمَوْتِۖ فَقَالَ لَهُمُ اللّٰهُ مُوْتُوْا ۗ ثُمَّ اَحْيَاهُمْ ۗ اِنَّ اللّٰهَ لَذُوْ فَضْلٍ عَلَى النَّاسِ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا يَشْكُرُوْنَ ٢٤٣
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- tara
- تَرَ
- आपने देखा
- ilā
- إِلَى
- तरफ़
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनके जो
- kharajū
- خَرَجُوا۟
- निकल गए
- min
- مِن
- अपने घरों से
- diyārihim
- دِيَٰرِهِمْ
- अपने घरों से
- wahum
- وَهُمْ
- और वो
- ulūfun
- أُلُوفٌ
- हज़ारों थे
- ḥadhara
- حَذَرَ
- बचने के लिए
- l-mawti
- ٱلْمَوْتِ
- मौत से
- faqāla
- فَقَالَ
- तो कहा
- lahumu
- لَهُمُ
- उन्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- mūtū
- مُوتُوا۟
- मर जाओ
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- aḥyāhum
- أَحْيَٰهُمْۚ
- उसने ज़िन्दा किया उन्हें
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ladhū
- لَذُو
- यक़ीनन फ़ज़ल वाला है
- faḍlin
- فَضْلٍ
- यक़ीनन फ़ज़ल वाला है
- ʿalā
- عَلَى
- लोगों पर
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- लोगों पर
- walākinna
- وَلَٰكِنَّ
- और लेकिन
- akthara
- أَكْثَرَ
- अक्सर
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- लोग
- lā
- لَا
- नहीं वो शुक्र करते
- yashkurūna
- يَشْكُرُونَ
- नहीं वो शुक्र करते
क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा जो हज़ारों की संख्या में होने पर भी मृत्यु के भय से अपने घर-बार छोड़कर निकले थे? तो अल्लाह ने उनसे कहा, 'मृत्यु प्राय हो जाओ तुम।' फिर उसने उन्हें जीवन प्रदान किया। अल्लाह तो लोगों के लिए उदार अनुग्राही है, किन्तु अधिकतर लोग कृतज्ञता नहीं दिखलाते ([२] अल बकराह: 243)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَاتِلُوْا فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ وَاعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ سَمِيْعٌ عَلِيْمٌ ٢٤٤
- waqātilū
- وَقَٰتِلُوا۟
- और जंग करो
- fī
- فِى
- अल्लाह के रास्ते में
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के रास्ते में
- wa-iʿ'lamū
- وَٱعْلَمُوٓا۟
- और जान लो
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- samīʿun
- سَمِيعٌ
- ख़ूब सुनने वाला है
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब जानने वाला है
और अल्लाह के मार्ग में युद्ध करो और जान लो कि अल्लाह सब कुछ सुननेवाला, जाननेवाले है ([२] अल बकराह: 244)Tafseer (तफ़सीर )
مَنْ ذَا الَّذِيْ يُقْرِضُ اللّٰهَ قَرْضًا حَسَنًا فَيُضٰعِفَهٗ لَهٗٓ اَضْعَافًا كَثِيْرَةً ۗوَاللّٰهُ يَقْبِضُ وَيَبْصُۣطُۖ وَاِلَيْهِ تُرْجَعُوْنَ ٢٤٥
- man
- مَّن
- कौन है
- dhā
- ذَا
- वो जो
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जो
- yuq'riḍu
- يُقْرِضُ
- क़र्ज़ दे
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह को
- qarḍan
- قَرْضًا
- क़र्ज़
- ḥasanan
- حَسَنًا
- अच्छा
- fayuḍāʿifahu
- فَيُضَٰعِفَهُۥ
- तो वो बढ़ा दे उसे
- lahu
- لَهُۥٓ
- उसके लिए
- aḍʿāfan
- أَضْعَافًا
- कई गुना
- kathīratan
- كَثِيرَةًۚ
- ज़्यादा
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- yaqbiḍu
- يَقْبِضُ
- तंगी करता है
- wayabṣuṭu
- وَيَبْصُۜطُ
- और वो कुशादगी करता है
- wa-ilayhi
- وَإِلَيْهِ
- और तरफ़ उसी के
- tur'jaʿūna
- تُرْجَعُونَ
- तुम लौटाए जाओगे
कौन है जो अल्लाह को अच्छा ऋण दे कि अल्लाह उसे उसके लिए कई गुना बढ़ा दे? और अल्लाह ही तंगी भी देता है और कुशादगी भी प्रदान करता है, और उसी की ओर तुम्हें लौटना है ([२] अल बकराह: 245)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَمْ تَرَ اِلَى الْمَلَاِ مِنْۢ بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ مِنْۢ بَعْدِ مُوْسٰىۘ اِذْ قَالُوْا لِنَبِيٍّ لَّهُمُ ابْعَثْ لَنَا مَلِكًا نُّقَاتِلْ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ۗ قَالَ هَلْ عَسَيْتُمْ اِنْ كُتِبَ عَلَيْكُمُ الْقِتَالُ اَلَّا تُقَاتِلُوْا ۗ قَالُوْا وَمَا لَنَآ اَلَّا نُقَاتِلَ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ وَقَدْاُخْرِجْنَا مِنْ دِيَارِنَا وَاَبْنَاۤىِٕنَا ۗ فَلَمَّا كُتِبَ عَلَيْهِمُ الْقِتَالُ تَوَلَّوْا اِلَّا قَلِيْلًا مِّنْهُمْ ۗوَاللّٰهُ عَلِيْمٌ ۢبِالظّٰلِمِيْنَ ٢٤٦
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- tara
- تَرَ
- आपने देखा
- ilā
- إِلَى
- तरफ़
- l-mala-i
- ٱلْمَلَإِ
- सरदारों के
- min
- مِنۢ
- बनी इस्राईल में से
- banī
- بَنِىٓ
- बनी इस्राईल में से
- is'rāīla
- إِسْرَٰٓءِيلَ
- बनी इस्राईल में से
- min
- مِنۢ
- बाद
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद
- mūsā
- مُوسَىٰٓ
- मूसा के
- idh
- إِذْ
- जब
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- linabiyyin
- لِنَبِىٍّ
- नबी के लिए
- lahumu
- لَّهُمُ
- अपने
- ib'ʿath
- ٱبْعَثْ
- मुक़र्रर कर
- lanā
- لَنَا
- हमारे लिए
- malikan
- مَلِكًا
- एक बादशाह
- nuqātil
- نُّقَٰتِلْ
- हम लड़ें
- fī
- فِى
- अल्लाह के रास्ते में
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते में
- l-lahi
- ٱللَّهِۖ
- अल्लाह के रास्ते में
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- hal
- هَلْ
- क्या
- ʿasaytum
- عَسَيْتُمْ
- उम्मीद है तुमसे
- in
- إِن
- अगर
- kutiba
- كُتِبَ
- लिख दिया जाए
- ʿalaykumu
- عَلَيْكُمُ
- तुम पर
- l-qitālu
- ٱلْقِتَالُ
- जंग करना
- allā
- أَلَّا
- कि ना
- tuqātilū
- تُقَٰتِلُوا۟ۖ
- तुम लड़ो
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- wamā
- وَمَا
- और क्या है
- lanā
- لَنَآ
- हमें
- allā
- أَلَّا
- कि ना
- nuqātila
- نُقَٰتِلَ
- हम लड़ें
- fī
- فِى
- अल्लाह के रास्ते में
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के रास्ते में
- waqad
- وَقَدْ
- हालाँकि तहक़ीक़
- ukh'rij'nā
- أُخْرِجْنَا
- निकाले गए हम
- min
- مِن
- अपने घरों से
- diyārinā
- دِيَٰرِنَا
- अपने घरों से
- wa-abnāinā
- وَأَبْنَآئِنَاۖ
- और अपने बेटों से
- falammā
- فَلَمَّا
- फिर जब
- kutiba
- كُتِبَ
- लिख दिया गया
- ʿalayhimu
- عَلَيْهِمُ
- उन पर
- l-qitālu
- ٱلْقِتَالُ
- लड़ना
- tawallaw
- تَوَلَّوْا۟
- तो वो फिर गए
- illā
- إِلَّا
- मगर
- qalīlan
- قَلِيلًا
- थोड़े से
- min'hum
- مِّنْهُمْۗ
- उनमें से
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ʿalīmun
- عَلِيمٌۢ
- ख़ूब जानने वाला है
- bil-ẓālimīna
- بِٱلظَّٰلِمِينَ
- ज़ालिमों को
क्या तुमने मूसा के पश्चात इसराईल की सन्तान के सरदारों को नहीं देखा, जब उन्होंने अपने एक नबी से कहा, 'हमारे लिए एक सम्राट नियुक्त कर दो ताकि हम अल्लाह के मार्ग में युद्ध करें?' उसने कहा, 'यदि तुम्हें लड़ाई का आदेश दिया जाए तो क्या तुम्हारे बारे में यह सम्भावना नहीं है कि तुम न लड़ो?' वे कहने लगे, 'हम अल्लाह के मार्ग में क्यों न लड़े, जबकि हम अपने घरों से निकाल दिए गए है और अपने बाल-बच्चों से भी अलग कर दिए गए है?' - फिर जब उनपर युद्ध अनिवार्य कर दिया गया तो उनमें से थोड़े लोगों के सिवा सब फिर गए। और अल्लाह ज़ालिमों को भली-भाँति जानता है। - ([२] अल बकराह: 246)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَ لَهُمْ نَبِيُّهُمْ اِنَّ اللّٰهَ قَدْ بَعَثَ لَكُمْ طَالُوْتَ مَلِكًا ۗ قَالُوْٓا اَنّٰى يَكُوْنُ لَهُ الْمُلْكُ عَلَيْنَا وَنَحْنُ اَحَقُّ بِالْمُلْكِ مِنْهُ وَلَمْ يُؤْتَ سَعَةً مِّنَ الْمَالِۗ قَالَ اِنَّ اللّٰهَ اصْطَفٰىهُ عَلَيْكُمْ وَزَادَهٗ بَسْطَةً فِى الْعِلْمِ وَالْجِسْمِ ۗ وَاللّٰهُ يُؤْتِيْ مُلْكَهٗ مَنْ يَّشَاۤءُ ۗ وَاللّٰهُ وَاسِعٌ عَلِيْمٌ ٢٤٧
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- lahum
- لَهُمْ
- उन्हें
- nabiyyuhum
- نَبِيُّهُمْ
- उनके नबी ने
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह ने
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- baʿatha
- بَعَثَ
- मुक़र्रर कर दिया है
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- ṭālūta
- طَالُوتَ
- तालूत को
- malikan
- مَلِكًاۚ
- बादशाह
- qālū
- قَالُوٓا۟
- उन्होंने कहा
- annā
- أَنَّىٰ
- कैसे
- yakūnu
- يَكُونُ
- हो सकती है
- lahu
- لَهُ
- उसके लिए
- l-mul'ku
- ٱلْمُلْكُ
- बादशाहत
- ʿalaynā
- عَلَيْنَا
- हम पर
- wanaḥnu
- وَنَحْنُ
- हालाँकि हम
- aḥaqqu
- أَحَقُّ
- ज़्यादा हक़दार हैं
- bil-mul'ki
- بِٱلْمُلْكِ
- बादशाहत के
- min'hu
- مِنْهُ
- उससे
- walam
- وَلَمْ
- और नहीं
- yu'ta
- يُؤْتَ
- वो दिया गया
- saʿatan
- سَعَةً
- वुसअत
- mina
- مِّنَ
- माल से
- l-māli
- ٱلْمَالِۚ
- माल से
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह ने
- iṣ'ṭafāhu
- ٱصْطَفَىٰهُ
- चुन लिया है उसे
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- wazādahu
- وَزَادَهُۥ
- और उसने ज़्यादा दी है उसे
- basṭatan
- بَسْطَةً
- वुसअत
- fī
- فِى
- इल्म में
- l-ʿil'mi
- ٱلْعِلْمِ
- इल्म में
- wal-jis'mi
- وَٱلْجِسْمِۖ
- और जिस्म में
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- yu'tī
- يُؤْتِى
- देता है
- mul'kahu
- مُلْكَهُۥ
- बादशाहत अपनी
- man
- مَن
- जिसे
- yashāu
- يَشَآءُۚ
- वो चाहता है
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- wāsiʿun
- وَٰسِعٌ
- वुसअत वाला है
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब जानने वाला है
उनसे नबी ने उनसे कहा, 'अल्लाह ने तुम्हारे लिए तालूत को सम्राट नियुक्त किया है।' बोले, 'उसकी बादशाही हम पर कैसे हो सकती है, जबबकि हम उसके मुक़ाबले में बादशाही के ज़्यादा हक़दार है और जबकि उस माल की कुशादगी भी प्राप्त नहीं है?' उसने कहा, 'अल्लाह ने तुम्हारे मुक़ाबले में उसको ही चुना है और उसे ज्ञान में और शारीरिक क्षमता में ज़्यादा कुशादगी प्रदान की है। अल्लाह जिसको चाहे अपना राज्य प्रदान करे। और अल्लाह बड़ी समाईवाला, सर्वज्ञ है।' ([२] अल बकराह: 247)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَ لَهُمْ نَبِيُّهُمْ اِنَّ اٰيَةَ مُلْكِهٖٓ اَنْ يَّأْتِيَكُمُ التَّابُوْتُ فِيْهِ سَكِيْنَةٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ وَبَقِيَّةٌ مِّمَّا تَرَكَ اٰلُ مُوْسٰى وَاٰلُ هٰرُوْنَ تَحْمِلُهُ الْمَلٰۤىِٕكَةُ ۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيَةً لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِيْنَ ࣖ ٢٤٨
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- lahum
- لَهُمْ
- उन्हें
- nabiyyuhum
- نَبِيُّهُمْ
- उनके नबी ने
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- āyata
- ءَايَةَ
- निशानी
- mul'kihi
- مُلْكِهِۦٓ
- उसकी बादशाहत की
- an
- أَن
- कि
- yatiyakumu
- يَأْتِيَكُمُ
- आ जाएगा तुम्हारे पास
- l-tābūtu
- ٱلتَّابُوتُ
- ताबूत / सन्दूक़
- fīhi
- فِيهِ
- जिसमें
- sakīnatun
- سَكِينَةٌ
- तसकीन है
- min
- مِّن
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- rabbikum
- رَّبِّكُمْ
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- wabaqiyyatun
- وَبَقِيَّةٌ
- और बाक़ी माँदा
- mimmā
- مِّمَّا
- उसमें से जो
- taraka
- تَرَكَ
- छोड़ गए
- ālu
- ءَالُ
- आले मूसा
- mūsā
- مُوسَىٰ
- आले मूसा
- waālu
- وَءَالُ
- और आले हारून
- hārūna
- هَٰرُونَ
- और आले हारून
- taḥmiluhu
- تَحْمِلُهُ
- उठाए हुए होंगे उसे
- l-malāikatu
- ٱلْمَلَٰٓئِكَةُۚ
- फ़रिश्ते
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- fī
- فِى
- उसमें
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- उसमें
- laāyatan
- لَءَايَةً
- अलबत्ता एक निशानी है
- lakum
- لَّكُمْ
- तुम्हारे लिए
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُم
- हो तुम
- mu'minīna
- مُّؤْمِنِينَ
- ईमान लाने वाले
उनके नबी ने उनसे कहा, 'उसकी बादशाही की निशानी यह है कि वह संदूक तुम्हारे पर आ जाएगा, जिसमें तुम्हारे रह की ओर से सकीनत (प्रशान्ति) और मूसा के लोगों और हारून के लोगों की छोड़ी हुई यादगारें हैं, जिसको फ़रिश्ते उठाए हुए होंगे। यदि तुम ईमानवाले हो तो, निस्संदेह इसमें तुम्हारे लिए बड़ी निशानी है।' ([२] अल बकराह: 248)Tafseer (तफ़सीर )
فَلَمَّا فَصَلَ طَالُوْتُ بِالْجُنُوْدِ قَالَ اِنَّ اللّٰهَ مُبْتَلِيْكُمْ بِنَهَرٍۚ فَمَنْ شَرِبَ مِنْهُ فَلَيْسَ مِنِّيْۚ وَمَنْ لَّمْ يَطْعَمْهُ فَاِنَّهٗ مِنِّيْٓ اِلَّا مَنِ اغْتَرَفَ غُرْفَةً ۢبِيَدِهٖ ۚ فَشَرِبُوْا مِنْهُ اِلَّا قَلِيْلًا مِّنْهُمْ ۗ فَلَمَّا جَاوَزَهٗ هُوَ وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا مَعَهٗۙ قَالُوْا لَا طَاقَةَ لَنَا الْيَوْمَ بِجَالُوْتَ وَجُنُوْدِهٖ ۗ قَالَ الَّذِيْنَ يَظُنُّوْنَ اَنَّهُمْ مُّلٰقُوا اللّٰهِ ۙ كَمْ مِّنْ فِئَةٍ قَلِيْلَةٍ غَلَبَتْ فِئَةً كَثِيْرَةً ۢبِاِذْنِ اللّٰهِ ۗ وَاللّٰهُ مَعَ الصّٰبِرِيْنَ ٢٤٩
- falammā
- فَلَمَّا
- पस जब
- faṣala
- فَصَلَ
- जुदा हुआ
- ṭālūtu
- طَالُوتُ
- तालूत
- bil-junūdi
- بِٱلْجُنُودِ
- साथ लश्करों के
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- mub'talīkum
- مُبْتَلِيكُم
- आज़माने वाला है तुम्हें
- binaharin
- بِنَهَرٍ
- एक नहर से
- faman
- فَمَن
- तो जिसने
- shariba
- شَرِبَ
- पिया
- min'hu
- مِنْهُ
- उससे
- falaysa
- فَلَيْسَ
- तो नहीं वो
- minnī
- مِنِّى
- मुझसे
- waman
- وَمَن
- और जिसने
- lam
- لَّمْ
- ना
- yaṭʿamhu
- يَطْعَمْهُ
- चखा उसे
- fa-innahu
- فَإِنَّهُۥ
- तो बेशक वो
- minnī
- مِنِّىٓ
- मुझसे है
- illā
- إِلَّا
- मगर
- mani
- مَنِ
- जो
- igh'tarafa
- ٱغْتَرَفَ
- चुल्लु भर ले
- ghur'fatan
- غُرْفَةًۢ
- एक चुल्लु
- biyadihi
- بِيَدِهِۦۚ
- अपने हाथ से
- fasharibū
- فَشَرِبُوا۟
- तो उन्होंने पी लिया
- min'hu
- مِنْهُ
- उससे
- illā
- إِلَّا
- मगर
- qalīlan
- قَلِيلًا
- बहुत थोड़े
- min'hum
- مِّنْهُمْۚ
- उनमें से
- falammā
- فَلَمَّا
- फिर जब
- jāwazahu
- جَاوَزَهُۥ
- उसने पार किया उसे
- huwa
- هُوَ
- उसने
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और उन्होंने जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए थे
- maʿahu
- مَعَهُۥ
- साथ उसके
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- lā
- لَا
- नहीं कोई ताक़त
- ṭāqata
- طَاقَةَ
- नहीं कोई ताक़त
- lanā
- لَنَا
- हमारे लिए
- l-yawma
- ٱلْيَوْمَ
- आज
- bijālūta
- بِجَالُوتَ
- साथ जालूत
- wajunūdihi
- وَجُنُودِهِۦۚ
- और उसके लश्करों के
- qāla
- قَالَ
- कहा
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन्होंने जो
- yaẓunnūna
- يَظُنُّونَ
- यक़ीन रखते थे
- annahum
- أَنَّهُم
- कि बेशक वो
- mulāqū
- مُّلَٰقُوا۟
- मुलाक़ात करने वाले हैं
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह से
- kam
- كَم
- कितनी ही
- min
- مِّن
- जमाअतें
- fi-atin
- فِئَةٍ
- जमाअतें
- qalīlatin
- قَلِيلَةٍ
- कम (तादाद) की
- ghalabat
- غَلَبَتْ
- ग़ालिब आ जाती है
- fi-atan
- فِئَةً
- जमाअतों पर
- kathīratan
- كَثِيرَةًۢ
- कसीर (तादाद) की
- bi-idh'ni
- بِإِذْنِ
- अल्लाह के इज़्न से
- l-lahi
- ٱللَّهِۗ
- अल्लाह के इज़्न से
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- maʿa
- مَعَ
- साथ है
- l-ṣābirīna
- ٱلصَّٰبِرِينَ
- सब्र करने वालों के
फिर तब तालूत सेनाएँ लेकर चला तो उनने कहा, 'अल्लाह निश्चित रूप से एक नदी द्वारा तुम्हारी परीक्षा लेनेवाला है। तो जिसने उसका पानी पी लिया, वह मुझमें से नहीं है और जिसने उसको नहीं चखा, वही मुझमें से है। यह और बात है कि कोई अपने हाथ से एक चुल्लू भर ले ले।' फिर उनमें से थोड़े लोगों के सिवा सभी ने उसका पानी पी लिया, फिर जब तालूत और ईमानवाले जो उसके साथ थे नदी पार कर गए तो कहने लगे, 'आज हममें जालूत और उसकी सेनाओं का मुक़ाबला करने की शक्ति नहीं हैं।' इस पर लोगों ने, जो समझते थे कि उन्हें अल्लाह से मिलना है, कहा, 'कितनी ही बार एक छोटी-सी टुकड़ी ने अल्लाह की अनुज्ञा से एक बड़े गिरोह पर विजय पाई है। अल्लाह तो जमनेवालो के साथ है।' ([२] अल बकराह: 249)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَمَّا بَرَزُوْا لِجَالُوْتَ وَجُنُوْدِهٖ قَالُوْا رَبَّنَآ اَفْرِغْ عَلَيْنَا صَبْرًا وَّثَبِّتْ اَقْدَامَنَا وَانْصُرْنَا عَلَى الْقَوْمِ الْكٰفِرِيْنَ ۗ ٢٥٠
- walammā
- وَلَمَّا
- और जब
- barazū
- بَرَزُوا۟
- वो सामने हुए
- lijālūta
- لِجَالُوتَ
- जालूत के
- wajunūdihi
- وَجُنُودِهِۦ
- और उसके लश्करों के
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- rabbanā
- رَبَّنَآ
- ऐ हमारे रब
- afrigh
- أَفْرِغْ
- डाल दे
- ʿalaynā
- عَلَيْنَا
- हम पर
- ṣabran
- صَبْرًا
- सब्र
- wathabbit
- وَثَبِّتْ
- और जमा दे
- aqdāmanā
- أَقْدَامَنَا
- हमारे क़दमों को
- wa-unṣur'nā
- وَٱنصُرْنَا
- और मदद कर हमारी
- ʿalā
- عَلَى
- उस क़ौम पर
- l-qawmi
- ٱلْقَوْمِ
- उस क़ौम पर
- l-kāfirīna
- ٱلْكَٰفِرِينَ
- जो काफ़िर है
और जब वे जालूत और उसकी सेनाओं के मुक़ाबले पर आए तो कहा, 'ऐ हमारे रब! हमपर धैर्य उडेल दे और हमारे क़दम जमा दे और इनकार करनेवाले लोगों पर हमें विजय प्रदान कर।' ([२] अल बकराह: 250)Tafseer (तफ़सीर )