Skip to content

सूरा अल बकराह - Page: 25

Al-Baqarah

(गाय)

२४१

وَلِلْمُطَلَّقٰتِ مَتَاعٌ ۢبِالْمَعْرُوْفِۗ حَقًّا عَلَى الْمُتَّقِيْنَ ٢٤١

walil'muṭallaqāti
وَلِلْمُطَلَّقَٰتِ
और तलाक़ याफ़्ता औरतों को
matāʿun
مَتَٰعٌۢ
फ़ायदा पहुँचाना है
bil-maʿrūfi
بِٱلْمَعْرُوفِۖ
भले तरीक़े से
ḥaqqan
حَقًّا
हक़ है
ʿalā
عَلَى
मुत्तक़ी लोगों पर
l-mutaqīna
ٱلْمُتَّقِينَ
मुत्तक़ी लोगों पर
और तलाक़ पाई हुई स्त्रियों को सामान्य नियम के अनुसार (इद्दत की अवधि में) ख़र्च भी मिलना चाहिए। यह डर रखनेवालो पर एक हक़ है ([२] अल बकराह: 241)
Tafseer (तफ़सीर )
२४२

كَذٰلِكَ يُبَيِّنُ اللّٰهُ لَكُمْ اٰيٰتِهٖ لَعَلَّكُمْ تَعْقِلُوْنَ ࣖ ٢٤٢

kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
yubayyinu
يُبَيِّنُ
वाज़ेह करता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
āyātihi
ءَايَٰتِهِۦ
अपनी आयात को
laʿallakum
لَعَلَّكُمْ
ताकि तुम
taʿqilūna
تَعْقِلُونَ
तुम अक़्ल से काम लो
इस प्रकार अल्लाह तुम्हारे लिए अपनी आयतें खोलकर बयान करता है, ताकि तुम समझ से काम लो ([२] अल बकराह: 242)
Tafseer (तफ़सीर )
२४३

۞ اَلَمْ تَرَ اِلَى الَّذِيْنَ خَرَجُوْا مِنْ دِيَارِهِمْ وَهُمْ اُلُوْفٌ حَذَرَ الْمَوْتِۖ فَقَالَ لَهُمُ اللّٰهُ مُوْتُوْا ۗ ثُمَّ اَحْيَاهُمْ ۗ اِنَّ اللّٰهَ لَذُوْ فَضْلٍ عَلَى النَّاسِ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا يَشْكُرُوْنَ ٢٤٣

alam
أَلَمْ
क्या नहीं
tara
تَرَ
आपने देखा
ilā
إِلَى
तरफ़
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनके जो
kharajū
خَرَجُوا۟
निकल गए
min
مِن
अपने घरों से
diyārihim
دِيَٰرِهِمْ
अपने घरों से
wahum
وَهُمْ
और वो
ulūfun
أُلُوفٌ
हज़ारों थे
ḥadhara
حَذَرَ
बचने के लिए
l-mawti
ٱلْمَوْتِ
मौत से
faqāla
فَقَالَ
तो कहा
lahumu
لَهُمُ
उन्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
mūtū
مُوتُوا۟
मर जाओ
thumma
ثُمَّ
फिर
aḥyāhum
أَحْيَٰهُمْۚ
उसने ज़िन्दा किया उन्हें
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ladhū
لَذُو
यक़ीनन फ़ज़ल वाला है
faḍlin
فَضْلٍ
यक़ीनन फ़ज़ल वाला है
ʿalā
عَلَى
लोगों पर
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोगों पर
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
akthara
أَكْثَرَ
अक्सर
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोग
لَا
नहीं वो शुक्र करते
yashkurūna
يَشْكُرُونَ
नहीं वो शुक्र करते
क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा जो हज़ारों की संख्या में होने पर भी मृत्यु के भय से अपने घर-बार छोड़कर निकले थे? तो अल्लाह ने उनसे कहा, 'मृत्यु प्राय हो जाओ तुम।' फिर उसने उन्हें जीवन प्रदान किया। अल्लाह तो लोगों के लिए उदार अनुग्राही है, किन्तु अधिकतर लोग कृतज्ञता नहीं दिखलाते ([२] अल बकराह: 243)
Tafseer (तफ़सीर )
२४४

وَقَاتِلُوْا فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ وَاعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ سَمِيْعٌ عَلِيْمٌ ٢٤٤

waqātilū
وَقَٰتِلُوا۟
और जंग करो
فِى
अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते में
wa-iʿ'lamū
وَٱعْلَمُوٓا۟
और जान लो
anna
أَنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
samīʿun
سَمِيعٌ
ख़ूब सुनने वाला है
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
और अल्लाह के मार्ग में युद्ध करो और जान लो कि अल्लाह सब कुछ सुननेवाला, जाननेवाले है ([२] अल बकराह: 244)
Tafseer (तफ़सीर )
२४५

مَنْ ذَا الَّذِيْ يُقْرِضُ اللّٰهَ قَرْضًا حَسَنًا فَيُضٰعِفَهٗ لَهٗٓ اَضْعَافًا كَثِيْرَةً ۗوَاللّٰهُ يَقْبِضُ وَيَبْصُۣطُۖ وَاِلَيْهِ تُرْجَعُوْنَ ٢٤٥

man
مَّن
कौन है
dhā
ذَا
वो जो
alladhī
ٱلَّذِى
वो जो
yuq'riḍu
يُقْرِضُ
क़र्ज़ दे
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह को
qarḍan
قَرْضًا
क़र्ज़
ḥasanan
حَسَنًا
अच्छा
fayuḍāʿifahu
فَيُضَٰعِفَهُۥ
तो वो बढ़ा दे उसे
lahu
لَهُۥٓ
उसके लिए
aḍʿāfan
أَضْعَافًا
कई गुना
kathīratan
كَثِيرَةًۚ
ज़्यादा
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yaqbiḍu
يَقْبِضُ
तंगी करता है
wayabṣuṭu
وَيَبْصُۜطُ
और वो कुशादगी करता है
wa-ilayhi
وَإِلَيْهِ
और तरफ़ उसी के
tur'jaʿūna
تُرْجَعُونَ
तुम लौटाए जाओगे
कौन है जो अल्लाह को अच्छा ऋण दे कि अल्लाह उसे उसके लिए कई गुना बढ़ा दे? और अल्लाह ही तंगी भी देता है और कुशादगी भी प्रदान करता है, और उसी की ओर तुम्हें लौटना है ([२] अल बकराह: 245)
Tafseer (तफ़सीर )
२४६

اَلَمْ تَرَ اِلَى الْمَلَاِ مِنْۢ بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ مِنْۢ بَعْدِ مُوْسٰىۘ اِذْ قَالُوْا لِنَبِيٍّ لَّهُمُ ابْعَثْ لَنَا مَلِكًا نُّقَاتِلْ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ۗ قَالَ هَلْ عَسَيْتُمْ اِنْ كُتِبَ عَلَيْكُمُ الْقِتَالُ اَلَّا تُقَاتِلُوْا ۗ قَالُوْا وَمَا لَنَآ اَلَّا نُقَاتِلَ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ وَقَدْاُخْرِجْنَا مِنْ دِيَارِنَا وَاَبْنَاۤىِٕنَا ۗ فَلَمَّا كُتِبَ عَلَيْهِمُ الْقِتَالُ تَوَلَّوْا اِلَّا قَلِيْلًا مِّنْهُمْ ۗوَاللّٰهُ عَلِيْمٌ ۢبِالظّٰلِمِيْنَ ٢٤٦

alam
أَلَمْ
क्या नहीं
tara
تَرَ
आपने देखा
ilā
إِلَى
तरफ़
l-mala-i
ٱلْمَلَإِ
सरदारों के
min
مِنۢ
बनी इस्राईल में से
banī
بَنِىٓ
बनी इस्राईल में से
is'rāīla
إِسْرَٰٓءِيلَ
बनी इस्राईल में से
min
مِنۢ
बाद
baʿdi
بَعْدِ
बाद
mūsā
مُوسَىٰٓ
मूसा के
idh
إِذْ
जब
qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
linabiyyin
لِنَبِىٍّ
नबी के लिए
lahumu
لَّهُمُ
अपने
ib'ʿath
ٱبْعَثْ
मुक़र्रर कर
lanā
لَنَا
हमारे लिए
malikan
مَلِكًا
एक बादशाह
nuqātil
نُّقَٰتِلْ
हम लड़ें
فِى
अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِۖ
अल्लाह के रास्ते में
qāla
قَالَ
उसने कहा
hal
هَلْ
क्या
ʿasaytum
عَسَيْتُمْ
उम्मीद है तुमसे
in
إِن
अगर
kutiba
كُتِبَ
लिख दिया जाए
ʿalaykumu
عَلَيْكُمُ
तुम पर
l-qitālu
ٱلْقِتَالُ
जंग करना
allā
أَلَّا
कि ना
tuqātilū
تُقَٰتِلُوا۟ۖ
तुम लड़ो
qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
wamā
وَمَا
और क्या है
lanā
لَنَآ
हमें
allā
أَلَّا
कि ना
nuqātila
نُقَٰتِلَ
हम लड़ें
فِى
अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते में
waqad
وَقَدْ
हालाँकि तहक़ीक़
ukh'rij'nā
أُخْرِجْنَا
निकाले गए हम
min
مِن
अपने घरों से
diyārinā
دِيَٰرِنَا
अपने घरों से
wa-abnāinā
وَأَبْنَآئِنَاۖ
और अपने बेटों से
falammā
فَلَمَّا
फिर जब
kutiba
كُتِبَ
लिख दिया गया
ʿalayhimu
عَلَيْهِمُ
उन पर
l-qitālu
ٱلْقِتَالُ
लड़ना
tawallaw
تَوَلَّوْا۟
तो वो फिर गए
illā
إِلَّا
मगर
qalīlan
قَلِيلًا
थोड़े से
min'hum
مِّنْهُمْۗ
उनमें से
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ʿalīmun
عَلِيمٌۢ
ख़ूब जानने वाला है
bil-ẓālimīna
بِٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों को
क्या तुमने मूसा के पश्चात इसराईल की सन्तान के सरदारों को नहीं देखा, जब उन्होंने अपने एक नबी से कहा, 'हमारे लिए एक सम्राट नियुक्त कर दो ताकि हम अल्लाह के मार्ग में युद्ध करें?' उसने कहा, 'यदि तुम्हें लड़ाई का आदेश दिया जाए तो क्या तुम्हारे बारे में यह सम्भावना नहीं है कि तुम न लड़ो?' वे कहने लगे, 'हम अल्लाह के मार्ग में क्यों न लड़े, जबकि हम अपने घरों से निकाल दिए गए है और अपने बाल-बच्चों से भी अलग कर दिए गए है?' - फिर जब उनपर युद्ध अनिवार्य कर दिया गया तो उनमें से थोड़े लोगों के सिवा सब फिर गए। और अल्लाह ज़ालिमों को भली-भाँति जानता है। - ([२] अल बकराह: 246)
Tafseer (तफ़सीर )
२४७

وَقَالَ لَهُمْ نَبِيُّهُمْ اِنَّ اللّٰهَ قَدْ بَعَثَ لَكُمْ طَالُوْتَ مَلِكًا ۗ قَالُوْٓا اَنّٰى يَكُوْنُ لَهُ الْمُلْكُ عَلَيْنَا وَنَحْنُ اَحَقُّ بِالْمُلْكِ مِنْهُ وَلَمْ يُؤْتَ سَعَةً مِّنَ الْمَالِۗ قَالَ اِنَّ اللّٰهَ اصْطَفٰىهُ عَلَيْكُمْ وَزَادَهٗ بَسْطَةً فِى الْعِلْمِ وَالْجِسْمِ ۗ وَاللّٰهُ يُؤْتِيْ مُلْكَهٗ مَنْ يَّشَاۤءُ ۗ وَاللّٰهُ وَاسِعٌ عَلِيْمٌ ٢٤٧

waqāla
وَقَالَ
और कहा
lahum
لَهُمْ
उन्हें
nabiyyuhum
نَبِيُّهُمْ
उनके नबी ने
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह ने
qad
قَدْ
तहक़ीक़
baʿatha
بَعَثَ
मुक़र्रर कर दिया है
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
ṭālūta
طَالُوتَ
तालूत को
malikan
مَلِكًاۚ
बादशाह
qālū
قَالُوٓا۟
उन्होंने कहा
annā
أَنَّىٰ
कैसे
yakūnu
يَكُونُ
हो सकती है
lahu
لَهُ
उसके लिए
l-mul'ku
ٱلْمُلْكُ
बादशाहत
ʿalaynā
عَلَيْنَا
हम पर
wanaḥnu
وَنَحْنُ
हालाँकि हम
aḥaqqu
أَحَقُّ
ज़्यादा हक़दार हैं
bil-mul'ki
بِٱلْمُلْكِ
बादशाहत के
min'hu
مِنْهُ
उससे
walam
وَلَمْ
और नहीं
yu'ta
يُؤْتَ
वो दिया गया
saʿatan
سَعَةً
वुसअत
mina
مِّنَ
माल से
l-māli
ٱلْمَالِۚ
माल से
qāla
قَالَ
उसने कहा
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह ने
iṣ'ṭafāhu
ٱصْطَفَىٰهُ
चुन लिया है उसे
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
wazādahu
وَزَادَهُۥ
और उसने ज़्यादा दी है उसे
basṭatan
بَسْطَةً
वुसअत
فِى
इल्म में
l-ʿil'mi
ٱلْعِلْمِ
इल्म में
wal-jis'mi
وَٱلْجِسْمِۖ
और जिस्म में
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yu'tī
يُؤْتِى
देता है
mul'kahu
مُلْكَهُۥ
बादशाहत अपनी
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُۚ
वो चाहता है
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
wāsiʿun
وَٰسِعٌ
वुसअत वाला है
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
उनसे नबी ने उनसे कहा, 'अल्लाह ने तुम्हारे लिए तालूत को सम्राट नियुक्त किया है।' बोले, 'उसकी बादशाही हम पर कैसे हो सकती है, जबबकि हम उसके मुक़ाबले में बादशाही के ज़्यादा हक़दार है और जबकि उस माल की कुशादगी भी प्राप्त नहीं है?' उसने कहा, 'अल्लाह ने तुम्हारे मुक़ाबले में उसको ही चुना है और उसे ज्ञान में और शारीरिक क्षमता में ज़्यादा कुशादगी प्रदान की है। अल्लाह जिसको चाहे अपना राज्य प्रदान करे। और अल्लाह बड़ी समाईवाला, सर्वज्ञ है।' ([२] अल बकराह: 247)
Tafseer (तफ़सीर )
२४८

وَقَالَ لَهُمْ نَبِيُّهُمْ اِنَّ اٰيَةَ مُلْكِهٖٓ اَنْ يَّأْتِيَكُمُ التَّابُوْتُ فِيْهِ سَكِيْنَةٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ وَبَقِيَّةٌ مِّمَّا تَرَكَ اٰلُ مُوْسٰى وَاٰلُ هٰرُوْنَ تَحْمِلُهُ الْمَلٰۤىِٕكَةُ ۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيَةً لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِيْنَ ࣖ ٢٤٨

waqāla
وَقَالَ
और कहा
lahum
لَهُمْ
उन्हें
nabiyyuhum
نَبِيُّهُمْ
उनके नबी ने
inna
إِنَّ
बेशक
āyata
ءَايَةَ
निशानी
mul'kihi
مُلْكِهِۦٓ
उसकी बादशाहत की
an
أَن
कि
yatiyakumu
يَأْتِيَكُمُ
आ जाएगा तुम्हारे पास
l-tābūtu
ٱلتَّابُوتُ
ताबूत / सन्दूक़
fīhi
فِيهِ
जिसमें
sakīnatun
سَكِينَةٌ
तसकीन है
min
مِّن
तुम्हारे रब की तरफ़ से
rabbikum
رَّبِّكُمْ
तुम्हारे रब की तरफ़ से
wabaqiyyatun
وَبَقِيَّةٌ
और बाक़ी माँदा
mimmā
مِّمَّا
उसमें से जो
taraka
تَرَكَ
छोड़ गए
ālu
ءَالُ
आले मूसा
mūsā
مُوسَىٰ
आले मूसा
waālu
وَءَالُ
और आले हारून
hārūna
هَٰرُونَ
और आले हारून
taḥmiluhu
تَحْمِلُهُ
उठाए हुए होंगे उसे
l-malāikatu
ٱلْمَلَٰٓئِكَةُۚ
फ़रिश्ते
inna
إِنَّ
बेशक
فِى
उसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
उसमें
laāyatan
لَءَايَةً
अलबत्ता एक निशानी है
lakum
لَّكُمْ
तुम्हारे लिए
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُم
हो तुम
mu'minīna
مُّؤْمِنِينَ
ईमान लाने वाले
उनके नबी ने उनसे कहा, 'उसकी बादशाही की निशानी यह है कि वह संदूक तुम्हारे पर आ जाएगा, जिसमें तुम्हारे रह की ओर से सकीनत (प्रशान्ति) और मूसा के लोगों और हारून के लोगों की छोड़ी हुई यादगारें हैं, जिसको फ़रिश्ते उठाए हुए होंगे। यदि तुम ईमानवाले हो तो, निस्संदेह इसमें तुम्हारे लिए बड़ी निशानी है।' ([२] अल बकराह: 248)
Tafseer (तफ़सीर )
२४९

فَلَمَّا فَصَلَ طَالُوْتُ بِالْجُنُوْدِ قَالَ اِنَّ اللّٰهَ مُبْتَلِيْكُمْ بِنَهَرٍۚ فَمَنْ شَرِبَ مِنْهُ فَلَيْسَ مِنِّيْۚ وَمَنْ لَّمْ يَطْعَمْهُ فَاِنَّهٗ مِنِّيْٓ اِلَّا مَنِ اغْتَرَفَ غُرْفَةً ۢبِيَدِهٖ ۚ فَشَرِبُوْا مِنْهُ اِلَّا قَلِيْلًا مِّنْهُمْ ۗ فَلَمَّا جَاوَزَهٗ هُوَ وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا مَعَهٗۙ قَالُوْا لَا طَاقَةَ لَنَا الْيَوْمَ بِجَالُوْتَ وَجُنُوْدِهٖ ۗ قَالَ الَّذِيْنَ يَظُنُّوْنَ اَنَّهُمْ مُّلٰقُوا اللّٰهِ ۙ كَمْ مِّنْ فِئَةٍ قَلِيْلَةٍ غَلَبَتْ فِئَةً كَثِيْرَةً ۢبِاِذْنِ اللّٰهِ ۗ وَاللّٰهُ مَعَ الصّٰبِرِيْنَ ٢٤٩

falammā
فَلَمَّا
पस जब
faṣala
فَصَلَ
जुदा हुआ
ṭālūtu
طَالُوتُ
तालूत
bil-junūdi
بِٱلْجُنُودِ
साथ लश्करों के
qāla
قَالَ
उसने कहा
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
mub'talīkum
مُبْتَلِيكُم
आज़माने वाला है तुम्हें
binaharin
بِنَهَرٍ
एक नहर से
faman
فَمَن
तो जिसने
shariba
شَرِبَ
पिया
min'hu
مِنْهُ
उससे
falaysa
فَلَيْسَ
तो नहीं वो
minnī
مِنِّى
मुझसे
waman
وَمَن
और जिसने
lam
لَّمْ
ना
yaṭʿamhu
يَطْعَمْهُ
चखा उसे
fa-innahu
فَإِنَّهُۥ
तो बेशक वो
minnī
مِنِّىٓ
मुझसे है
illā
إِلَّا
मगर
mani
مَنِ
जो
igh'tarafa
ٱغْتَرَفَ
चुल्लु भर ले
ghur'fatan
غُرْفَةًۢ
एक चुल्लु
biyadihi
بِيَدِهِۦۚ
अपने हाथ से
fasharibū
فَشَرِبُوا۟
तो उन्होंने पी लिया
min'hu
مِنْهُ
उससे
illā
إِلَّا
मगर
qalīlan
قَلِيلًا
बहुत थोड़े
min'hum
مِّنْهُمْۚ
उनमें से
falammā
فَلَمَّا
फिर जब
jāwazahu
جَاوَزَهُۥ
उसने पार किया उसे
huwa
هُوَ
उसने
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और उन्होंने जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए थे
maʿahu
مَعَهُۥ
साथ उसके
qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
لَا
नहीं कोई ताक़त
ṭāqata
طَاقَةَ
नहीं कोई ताक़त
lanā
لَنَا
हमारे लिए
l-yawma
ٱلْيَوْمَ
आज
bijālūta
بِجَالُوتَ
साथ जालूत
wajunūdihi
وَجُنُودِهِۦۚ
और उसके लश्करों के
qāla
قَالَ
कहा
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन्होंने जो
yaẓunnūna
يَظُنُّونَ
यक़ीन रखते थे
annahum
أَنَّهُم
कि बेशक वो
mulāqū
مُّلَٰقُوا۟
मुलाक़ात करने वाले हैं
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह से
kam
كَم
कितनी ही
min
مِّن
जमाअतें
fi-atin
فِئَةٍ
जमाअतें
qalīlatin
قَلِيلَةٍ
कम (तादाद) की
ghalabat
غَلَبَتْ
ग़ालिब आ जाती है
fi-atan
فِئَةً
जमाअतों पर
kathīratan
كَثِيرَةًۢ
कसीर (तादाद) की
bi-idh'ni
بِإِذْنِ
अल्लाह के इज़्न से
l-lahi
ٱللَّهِۗ
अल्लाह के इज़्न से
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
maʿa
مَعَ
साथ है
l-ṣābirīna
ٱلصَّٰبِرِينَ
सब्र करने वालों के
फिर तब तालूत सेनाएँ लेकर चला तो उनने कहा, 'अल्लाह निश्चित रूप से एक नदी द्वारा तुम्हारी परीक्षा लेनेवाला है। तो जिसने उसका पानी पी लिया, वह मुझमें से नहीं है और जिसने उसको नहीं चखा, वही मुझमें से है। यह और बात है कि कोई अपने हाथ से एक चुल्लू भर ले ले।' फिर उनमें से थोड़े लोगों के सिवा सभी ने उसका पानी पी लिया, फिर जब तालूत और ईमानवाले जो उसके साथ थे नदी पार कर गए तो कहने लगे, 'आज हममें जालूत और उसकी सेनाओं का मुक़ाबला करने की शक्ति नहीं हैं।' इस पर लोगों ने, जो समझते थे कि उन्हें अल्लाह से मिलना है, कहा, 'कितनी ही बार एक छोटी-सी टुकड़ी ने अल्लाह की अनुज्ञा से एक बड़े गिरोह पर विजय पाई है। अल्लाह तो जमनेवालो के साथ है।' ([२] अल बकराह: 249)
Tafseer (तफ़सीर )
२५०

وَلَمَّا بَرَزُوْا لِجَالُوْتَ وَجُنُوْدِهٖ قَالُوْا رَبَّنَآ اَفْرِغْ عَلَيْنَا صَبْرًا وَّثَبِّتْ اَقْدَامَنَا وَانْصُرْنَا عَلَى الْقَوْمِ الْكٰفِرِيْنَ ۗ ٢٥٠

walammā
وَلَمَّا
और जब
barazū
بَرَزُوا۟
वो सामने हुए
lijālūta
لِجَالُوتَ
जालूत के
wajunūdihi
وَجُنُودِهِۦ
और उसके लश्करों के
qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
rabbanā
رَبَّنَآ
ऐ हमारे रब
afrigh
أَفْرِغْ
डाल दे
ʿalaynā
عَلَيْنَا
हम पर
ṣabran
صَبْرًا
सब्र
wathabbit
وَثَبِّتْ
और जमा दे
aqdāmanā
أَقْدَامَنَا
हमारे क़दमों को
wa-unṣur'nā
وَٱنصُرْنَا
और मदद कर हमारी
ʿalā
عَلَى
उस क़ौम पर
l-qawmi
ٱلْقَوْمِ
उस क़ौम पर
l-kāfirīna
ٱلْكَٰفِرِينَ
जो काफ़िर है
और जब वे जालूत और उसकी सेनाओं के मुक़ाबले पर आए तो कहा, 'ऐ हमारे रब! हमपर धैर्य उडेल दे और हमारे क़दम जमा दे और इनकार करनेवाले लोगों पर हमें विजय प्रदान कर।' ([२] अल बकराह: 250)
Tafseer (तफ़सीर )