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सूरा अल बकराह - Page: 24

Al-Baqarah

(गाय)

२३१

وَاِذَا طَلَّقْتُمُ النِّسَاۤءَ فَبَلَغْنَ اَجَلَهُنَّ فَاَمْسِكُوْهُنَّ بِمَعْرُوْفٍ اَوْ سَرِّحُوْهُنَّ بِمَعْرُوْفٍۗ وَلَا تُمْسِكُوْهُنَّ ضِرَارًا لِّتَعْتَدُوْا ۚ وَمَنْ يَّفْعَلْ ذٰلِكَ فَقَدْ ظَلَمَ نَفْسَهٗ ۗ وَلَا تَتَّخِذُوْٓا اٰيٰتِ اللّٰهِ هُزُوًا وَّاذْكُرُوْا نِعْمَتَ اللّٰهِ عَلَيْكُمْ وَمَآ اَنْزَلَ عَلَيْكُمْ مِّنَ الْكِتٰبِ وَالْحِكْمَةِ يَعِظُكُمْ بِهٖ ۗوَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيْمٌ ࣖ ٢٣١

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
ṭallaqtumu
طَلَّقْتُمُ
तुम तलाक़ दे दो
l-nisāa
ٱلنِّسَآءَ
औरतों को
fabalaghna
فَبَلَغْنَ
फिर वो पहुँचें
ajalahunna
أَجَلَهُنَّ
अपनी मुद्दत को
fa-amsikūhunna
فَأَمْسِكُوهُنَّ
तो रोक लो उन्हें
bimaʿrūfin
بِمَعْرُوفٍ
साथ भले तरीक़े के
aw
أَوْ
या
sarriḥūhunna
سَرِّحُوهُنَّ
रुख़्सत कर दो उन्हें
bimaʿrūfin
بِمَعْرُوفٍۚ
साथ भले तरीक़े के
walā
وَلَا
और ना
tum'sikūhunna
تُمْسِكُوهُنَّ
तुम रोके रखो उन्हें
ḍirāran
ضِرَارًا
तकलीफ़ देने के लिए
litaʿtadū
لِّتَعْتَدُوا۟ۚ
ताकि तुम ज़्यादती करो
waman
وَمَن
और जो कोई
yafʿal
يَفْعَلْ
करेगा
dhālika
ذَٰلِكَ
ऐसा
faqad
فَقَدْ
तो तहक़ीक
ẓalama
ظَلَمَ
उसने ज़ुल्म किया
nafsahu
نَفْسَهُۥۚ
अपने नफ़्स पर
walā
وَلَا
और ना
tattakhidhū
تَتَّخِذُوٓا۟
तुम बनाओ
āyāti
ءَايَٰتِ
अल्लाह की आयात को
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की आयात को
huzuwan
هُزُوًاۚ
मज़ाक़
wa-udh'kurū
وَٱذْكُرُوا۟
और याद करो
niʿ'mata
نِعْمَتَ
नेअमत
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
जो तुम पर है
wamā
وَمَآ
और जो
anzala
أَنزَلَ
उसने नाज़िल किया
ʿalaykum
عَلَيْكُم
तुम पर
mina
مِّنَ
किताब से
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
किताब से
wal-ḥik'mati
وَٱلْحِكْمَةِ
और हिकमत से
yaʿiẓukum
يَعِظُكُم
वो नसीहत करता है तुम्हें
bihi
بِهِۦۚ
साथ उसके
wa-ittaqū
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
wa-iʿ'lamū
وَٱعْلَمُوٓا۟
और जान लो
anna
أَنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
bikulli
بِكُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ को
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
और यदि जब तुम स्त्रियों को तलाक़ दे दो और वे अपनी निश्चित अवधि (इद्दत) को पहुँच जाएँ, जो सामान्य नियम के अनुसार उन्हें रोक लो या सामान्य नियम के अनुसार उन्हें विदा कर दो। और तुम उन्हें नुक़सान पहुँचाने के ध्येय से न रोको कि ज़्यादती करो। और जो ऐसा करेगा, तो उसने स्वयं अपने ही ऊपर ज़ुल्म किया। और अल्लाह की आयतों को परिहास का विषय न बनाओ, और अल्लाह की कृपा जो तुम पर हुई है उसे याद रखो और उस किताब और तत्वदर्शिता (हिकमत) को याद रखो जो उसने तुम पर उतारी है, जिसके द्वारा वह तुम्हें नसीहत करता है। और अल्लाह का डर रखो और भली-भाँति जान लो कि अल्लाह हर चीज को जाननेवाला है ([२] अल बकराह: 231)
Tafseer (तफ़सीर )
२३२

وَاِذَا طَلَّقْتُمُ النِّسَاۤءَ فَبَلَغْنَ اَجَلَهُنَّ فَلَا تَعْضُلُوْهُنَّ اَنْ يَّنْكِحْنَ اَزْوَاجَهُنَّ اِذَا تَرَاضَوْا بَيْنَهُمْ بِالْمَعْرُوْفِ ۗ ذٰلِكَ يُوْعَظُ بِهٖ مَنْ كَانَ مِنْكُمْ يُؤْمِنُ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ ۗ ذٰلِكُمْ اَزْكٰى لَكُمْ وَاَطْهَرُ ۗ وَاللّٰهُ يَعْلَمُ وَاَنْتُمْ لَا تَعْلَمُوْنَ ٢٣٢

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
ṭallaqtumu
طَلَّقْتُمُ
तलाक़ दे दो तुम
l-nisāa
ٱلنِّسَآءَ
औरतों को
fabalaghna
فَبَلَغْنَ
फिर वो पहुँचें
ajalahunna
أَجَلَهُنَّ
अपनी मुद्दत को
falā
فَلَا
तो ना
taʿḍulūhunna
تَعْضُلُوهُنَّ
तुम रोको उन्हें
an
أَن
कि
yankiḥ'na
يَنكِحْنَ
वो निकाह कर लें
azwājahunna
أَزْوَٰجَهُنَّ
अपने शौहरों से
idhā
إِذَا
जब
tarāḍaw
تَرَٰضَوْا۟
वो बाहम रज़ामंद हो जाऐं
baynahum
بَيْنَهُم
आपस में
bil-maʿrūfi
بِٱلْمَعْرُوفِۗ
भले तरीक़े से
dhālika
ذَٰلِكَ
ये (बात)
yūʿaẓu
يُوعَظُ
नसीहत की जाती है
bihi
بِهِۦ
साथ इसके
man
مَن
उसको जो
kāna
كَانَ
हो
minkum
مِنكُمْ
तुम में से
yu'minu
يُؤْمِنُ
ईमान रखता
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
wal-yawmi
وَٱلْيَوْمِ
और आख़िरी दिन पर
l-ākhiri
ٱلْءَاخِرِۗ
और आख़िरी दिन पर
dhālikum
ذَٰلِكُمْ
ये (बात)
azkā
أَزْكَىٰ
ज़्यादा पाकीज़ा है
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
wa-aṭharu
وَأَطْهَرُۗ
और ज़्यादा पाक है
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yaʿlamu
يَعْلَمُ
जानता है
wa-antum
وَأَنتُمْ
और तुम
لَا
नहीं तुम जानते
taʿlamūna
تَعْلَمُونَ
नहीं तुम जानते
और जब तुम स्त्रियों को तलाक़ दे दो और वे अपनी निर्धारित अवधि (इद्दत) को पहुँच जाएँ, तो उन्हें अपने होनेवाले दूसरे पतियों से विवाह करने से न रोको, जबकि वे सामान्य नियम के अनुसार परस्पर रज़ामन्दी से मामला तय करें। यह नसीहत तुममें से उसको की जा रही है जो अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखता है। यही तुम्हारे लिए ज़्यादा बरकतवाला और सुथरा तरीक़ा है। और अल्लाह जानता है, तुम नहीं जानते ([२] अल बकराह: 232)
Tafseer (तफ़सीर )
२३३

۞ وَالْوَالِدٰتُ يُرْضِعْنَ اَوْلَادَهُنَّ حَوْلَيْنِ كَامِلَيْنِ لِمَنْ اَرَادَ اَنْ يُّتِمَّ الرَّضَاعَةَ ۗ وَعَلَى الْمَوْلُوْدِ لَهٗ رِزْقُهُنَّ وَكِسْوَتُهُنَّ بِالْمَعْرُوْفِۗ لَا تُكَلَّفُ نَفْسٌ اِلَّا وُسْعَهَا ۚ لَا تُضَاۤرَّ وَالِدَةٌ ۢبِوَلَدِهَا وَلَا مَوْلُوْدٌ لَّهٗ بِوَلَدِهٖ وَعَلَى الْوَارِثِ مِثْلُ ذٰلِكَ ۚ فَاِنْ اَرَادَا فِصَالًا عَنْ تَرَاضٍ مِّنْهُمَا وَتَشَاوُرٍ فَلَا جُنَاحَ عَلَيْهِمَا ۗوَاِنْ اَرَدْتُّمْ اَنْ تَسْتَرْضِعُوْٓا اَوْلَادَكُمْ فَلَا جُنَاحَ عَلَيْكُمْ اِذَا سَلَّمْتُمْ مَّآ اٰتَيْتُمْ بِالْمَعْرُوْفِۗ وَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِيْرٌ ٢٣٣

wal-wālidātu
وَٱلْوَٰلِدَٰتُ
और माँऐं
yur'ḍiʿ'na
يُرْضِعْنَ
दूध पिलाऐं
awlādahunna
أَوْلَٰدَهُنَّ
अपनी औलाद को
ḥawlayni
حَوْلَيْنِ
दो साल
kāmilayni
كَامِلَيْنِۖ
मुकम्मल
liman
لِمَنْ
उसके लिए जो
arāda
أَرَادَ
इरादा करे
an
أَن
कि
yutimma
يُتِمَّ
वो पूरा करे
l-raḍāʿata
ٱلرَّضَاعَةَۚ
रज़ाअत की मुद्दत
waʿalā
وَعَلَى
और ऊपर
l-mawlūdi
ٱلْمَوْلُودِ
उस (वालिद) के बच्चा है जिसका
lahu
لَهُۥ
उस (वालिद) के बच्चा है जिसका
riz'quhunna
رِزْقُهُنَّ
ख़ुराक है उन औरतों की
wakis'watuhunna
وَكِسْوَتُهُنَّ
और लिबास है उन औरतों का
bil-maʿrūfi
بِٱلْمَعْرُوفِۚ
भले तरीक़े से
لَا
ना तकलीफ़ दिया जाए
tukallafu
تُكَلَّفُ
ना तकलीफ़ दिया जाए
nafsun
نَفْسٌ
कोई नफ़्स
illā
إِلَّا
मगर
wus'ʿahā
وُسْعَهَاۚ
उसकी वुसअत के मुताबिक़
لَا
ना नुक़सान पहुँचाया जाए
tuḍārra
تُضَآرَّ
ना नुक़सान पहुँचाया जाए
wālidatun
وَٰلِدَةٌۢ
वालिदा को
biwaladihā
بِوَلَدِهَا
उसके बच्चे की वजह से
walā
وَلَا
और ना
mawlūdun
مَوْلُودٌ
वालिद को
lahu
لَّهُۥ
वालिद को
biwaladihi
بِوَلَدِهِۦۚ
उसके बच्चे की वजह से
waʿalā
وَعَلَى
और ऊपर
l-wārithi
ٱلْوَارِثِ
वारिस के है
mith'lu
مِثْلُ
मिसल
dhālika
ذَٰلِكَۗ
उसी के
fa-in
فَإِنْ
फिर अगर
arādā
أَرَادَا
वो दोनों इरादा कर लें
fiṣālan
فِصَالًا
दूध छुड़ाने का
ʿan
عَن
बाहम रज़ामंदी से
tarāḍin
تَرَاضٍ
बाहम रज़ामंदी से
min'humā
مِّنْهُمَا
उन दोनों की
watashāwurin
وَتَشَاوُرٍ
और बाहम मशवरे से
falā
فَلَا
तो नहीं
junāḥa
جُنَاحَ
कोई गुनाह
ʿalayhimā
عَلَيْهِمَاۗ
उन दोनों पर
wa-in
وَإِنْ
और अगर
aradttum
أَرَدتُّمْ
इरादा करो तुम
an
أَن
कि
tastarḍiʿū
تَسْتَرْضِعُوٓا۟
तुम दूध पिलवाओ
awlādakum
أَوْلَٰدَكُمْ
अपनी औलाद को
falā
فَلَا
तो नहीं
junāḥa
جُنَاحَ
कोई गुनाह
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
idhā
إِذَا
जब
sallamtum
سَلَّمْتُم
सुपुर्द कर दो तुम
مَّآ
जो
ātaytum
ءَاتَيْتُم
देना था तुमने
bil-maʿrūfi
بِٱلْمَعْرُوفِۗ
मारूफ़ तरीक़े से
wa-ittaqū
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
wa-iʿ'lamū
وَٱعْلَمُوٓا۟
और जान लो
anna
أَنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
bimā
بِمَا
उसे जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम करते हो
baṣīrun
بَصِيرٌ
ख़ूब देखने वाला है
और जो कोई पूरी अवधि तक (बच्चे को) दूध पिलवाना चाहे, तो माएँ अपने बच्चों को पूरे दो वर्ष तक दूध पिलाएँ। और वह जिसका बच्चा है, सामान्य नियम के अनुसार उनके खाने और उनके कपड़े का ज़िम्मेदार है। किसी पर बस उसकी अपनी समाई भर ही ज़िम्मेदारी है, न तो कोई माँ अपने बच्चे के कारण (बच्चे के बाप को) नुक़सान पहुँचाए और न बाप अपने बच्चे के कारण (बच्चे की माँ को) नुक़सान पहुँचाए। और इसी प्रकार की ज़िम्मेदारी उसके वारिस पर भी आती है। फिर यदि दोनों पारस्परिक स्वेच्छा और परामर्श से दूध छुड़ाना चाहें तो उनपर कोई गुनाह नहीं। और यदि तुम अपनी संतान को किसी अन्य स्त्री से दूध पिलवाना चाहो तो इसमें भी तुम पर कोई गुनाह नहीं, जबकि तुमने जो कुछ बदले में देने का वादा किया हो, सामान्य नियम के अनुसार उसे चुका दो। और अल्लाह का डर रखो और भली-भाँति जान लो कि जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उसे देख रहा है ([२] अल बकराह: 233)
Tafseer (तफ़सीर )
२३४

وَالَّذِيْنَ يُتَوَفَّوْنَ مِنْكُمْ وَيَذَرُوْنَ اَزْوَاجًا يَّتَرَبَّصْنَ بِاَنْفُسِهِنَّ اَرْبَعَةَ اَشْهُرٍ وَّعَشْرًا ۚ فاِذَا بَلَغْنَ اَجَلَهُنَّ فَلَا جُنَاحَ عَلَيْكُمْ فِيْمَا فَعَلْنَ فِيْٓ اَنْفُسِهِنَّ بِالْمَعْرُوْفِۗ وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِيْرٌ ٢٣٤

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
yutawaffawna
يُتَوَفَّوْنَ
फ़ौत कर लिए जाते हैं
minkum
مِنكُمْ
तुम में से
wayadharūna
وَيَذَرُونَ
और वो छोड़ जाते हैं
azwājan
أَزْوَٰجًا
बीवियाँ
yatarabbaṣna
يَتَرَبَّصْنَ
वो इन्तिज़ार में रखें
bi-anfusihinna
بِأَنفُسِهِنَّ
अपने आपको
arbaʿata
أَرْبَعَةَ
चार
ashhurin
أَشْهُرٍ
महीने
waʿashran
وَعَشْرًاۖ
और दस (दिन)
fa-idhā
فَإِذَا
फिर जब
balaghna
بَلَغْنَ
वो पहुँचें
ajalahunna
أَجَلَهُنَّ
अपनी इद्दत को
falā
فَلَا
तो नहीं
junāḥa
جُنَاحَ
कोई गुनाह
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
fīmā
فِيمَا
उस में जो
faʿalna
فَعَلْنَ
वो करें
فِىٓ
अपने नफ़्सों के बारे में
anfusihinna
أَنفُسِهِنَّ
अपने नफ़्सों के बारे में
bil-maʿrūfi
بِٱلْمَعْرُوفِۗ
मारूफ़ तरीक़े से
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
bimā
بِمَا
उसकी जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम करते हो
khabīrun
خَبِيرٌ
ख़ूब ख़बर रखने वाला है
और तुममें से जो लोग मर जाएँ और अपने पीछे पत्नियों छोड़ जाएँ, तो वे पत्नियों अपने-आपको चार महीने और दस दिन तक रोके रखें। फिर जब वे अपनी निर्धारित अवधि (इद्दत) को पहुँच जाएँ, तो सामान्य नियम के अनुसार वे अपने लिए जो कुछ करें, उसमें तुमपर कोई गुनाह नहीं। जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उसकी ख़बर रखता है ([२] अल बकराह: 234)
Tafseer (तफ़सीर )
२३५

وَلَا جُنَاحَ عَلَيْكُمْ فِيْمَا عَرَّضْتُمْ بِهٖ مِنْ خِطْبَةِ النِّسَاۤءِ اَوْ اَكْنَنْتُمْ فِيْٓ اَنْفُسِكُمْ ۗ عَلِمَ اللّٰهُ اَنَّكُمْ سَتَذْكُرُوْنَهُنَّ وَلٰكِنْ لَّا تُوَاعِدُوْهُنَّ سِرًّا اِلَّآ اَنْ تَقُوْلُوْا قَوْلًا مَّعْرُوْفًا ەۗ وَلَا تَعْزِمُوْا عُقْدَةَ النِّكَاحِ حَتّٰى يَبْلُغَ الْكِتٰبُ اَجَلَهٗ ۗوَاعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ يَعْلَمُ مَا فِيْٓ اَنْفُسِكُمْ فَاحْذَرُوْهُ ۚوَاعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ حَلِيْمٌ ࣖ ٢٣٥

walā
وَلَا
और नहीं
junāḥa
جُنَاحَ
कोई गुनाह
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
fīmā
فِيمَا
उस में जो
ʿarraḍtum
عَرَّضْتُم
इशारा करो तुम
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
min
مِنْ
पैग़ामे निकाह से
khiṭ'bati
خِطْبَةِ
पैग़ामे निकाह से
l-nisāi
ٱلنِّسَآءِ
औरतों के
aw
أَوْ
या
aknantum
أَكْنَنتُمْ
छुपाए रखो तुम
فِىٓ
अपने नफ़्सों में
anfusikum
أَنفُسِكُمْۚ
अपने नफ़्सों में
ʿalima
عَلِمَ
जानता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
annakum
أَنَّكُمْ
कि बेशक तुम
satadhkurūnahunna
سَتَذْكُرُونَهُنَّ
ज़रूर तुम ज़िक्र करोगे उनका
walākin
وَلَٰكِن
और लेकिन
لَّا
ना तुम वादा लो उनसे
tuwāʿidūhunna
تُوَاعِدُوهُنَّ
ना तुम वादा लो उनसे
sirran
سِرًّا
छुप कर
illā
إِلَّآ
मगर
an
أَن
ये कि
taqūlū
تَقُولُوا۟
तुम कहो
qawlan
قَوْلًا
बात
maʿrūfan
مَّعْرُوفًاۚ
भली
walā
وَلَا
और ना
taʿzimū
تَعْزِمُوا۟
तुम अज़म करो
ʿuq'data
عُقْدَةَ
अक़द का
l-nikāḥi
ٱلنِّكَاحِ
निकाह के
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
yablugha
يَبْلُغَ
पहुँच जाए
l-kitābu
ٱلْكِتَٰبُ
मुक़र्रर मियाद
ajalahu
أَجَلَهُۥۚ
अपनी मुद्दत को
wa-iʿ'lamū
وَٱعْلَمُوٓا۟
और जान लो
anna
أَنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yaʿlamu
يَعْلَمُ
जानता है
مَا
उसे जो
فِىٓ
तुम्हारे नफ़्सों में है
anfusikum
أَنفُسِكُمْ
तुम्हारे नफ़्सों में है
fa-iḥ'dharūhu
فَٱحْذَرُوهُۚ
पस डरो उससे
wa-iʿ'lamū
وَٱعْلَمُوٓا۟
और जान लो
anna
أَنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
ḥalīmun
حَلِيمٌ
बहुत बुर्दबार है
और इसमें भी तुम पर कोई गुनाह नहीं जो तुम उन औरतों को विवाह के सन्देश सांकेतिक रूप से दो या अपने मन में छिपाए रखो। अल्लाह जानता है कि तुम उन्हें याद करोगे, परन्तु छिपकर उन्हें वचन न देना, सिवाय इसके कि सामान्य नियम के अनुसार कोई बात कह दो। और जब तक निर्धारित अवधि (इद्दत) पूरी न हो जाए, विवाह का नाता जोड़ने का निश्चय न करो। जान रखो कि अल्लाह तुम्हारे मन की बात भी जानता है। अतः उससे सावधान रहो और अल्लाह अत्यन्त क्षमा करनेवाला, सहनशील है ([२] अल बकराह: 235)
Tafseer (तफ़सीर )
२३६

لَا جُنَاحَ عَلَيْكُمْ اِنْ طَلَّقْتُمُ النِّسَاۤءَ مَا لَمْ تَمَسُّوْهُنَّ اَوْ تَفْرِضُوْا لَهُنَّ فَرِيْضَةً ۖ وَّمَتِّعُوْهُنَّ عَلَى الْمُوْسِعِ قَدَرُهٗ وَعَلَى الْمُقْتِرِ قَدَرُهٗ ۚ مَتَاعًا ۢبِالْمَعْرُوْفِۚ حَقًّا عَلَى الْمُحْسِنِيْنَ ٢٣٦

لَّا
नहीं कोई गुनाह
junāḥa
جُنَاحَ
नहीं कोई गुनाह
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
in
إِن
अगर
ṭallaqtumu
طَلَّقْتُمُ
तलाक़ दे दो तुम
l-nisāa
ٱلنِّسَآءَ
औरतों को
مَا
जब कि
lam
لَمْ
ना
tamassūhunna
تَمَسُّوهُنَّ
तुमने छुआ हो उन्हें
aw
أَوْ
या
tafriḍū
تَفْرِضُوا۟
तुमने मुक़र्रर किया
lahunna
لَهُنَّ
उनके लिए
farīḍatan
فَرِيضَةًۚ
कोई महर
wamattiʿūhunna
وَمَتِّعُوهُنَّ
और माल व मता दो उन्हें
ʿalā
عَلَى
ऊपर वुसअत वाले के
l-mūsiʿi
ٱلْمُوسِعِ
ऊपर वुसअत वाले के
qadaruhu
قَدَرُهُۥ
उसकी वुसअत के मुताबिक़
waʿalā
وَعَلَى
और ऊपर
l-muq'tiri
ٱلْمُقْتِرِ
तंगदस्त के
qadaruhu
قَدَرُهُۥ
उसकी वुसअत के मुताबिक़
matāʿan
مَتَٰعًۢا
फ़ायदा पहुँचाना है
bil-maʿrūfi
بِٱلْمَعْرُوفِۖ
भले तरीक़े से
ḥaqqan
حَقًّا
हक़ है
ʿalā
عَلَى
ऊपर
l-muḥ'sinīna
ٱلْمُحْسِنِينَ
नेकी करने वालों के
यदि तुम स्त्रियों को इस स्थिति मे तलाक़ दे दो कि यह नौबत पेश न आई हो कि तुमने उन्हें हाथ लगाया हो और उनका कुछ हक़ (मह्रन) निश्चित किया हो, तो तुमपर कोई भार नहीं। हाँ, सामान्य नियम के अनुसार उन्हें कुछ ख़र्च दो - समाई रखनेवाले पर उसकी अपनी हैसियत के अनुसार और तंगदस्त पर उसकी अपनी हैसियत के अनुसार अनिवार्य है - यह अच्छे लोगों पर एक हक़ है ([२] अल बकराह: 236)
Tafseer (तफ़सीर )
२३७

وَاِنْ طَلَّقْتُمُوْهُنَّ مِنْ قَبْلِ اَنْ تَمَسُّوْهُنَّ وَقَدْ فَرَضْتُمْ لَهُنَّ فَرِيْضَةً فَنِصْفُ مَا فَرَضْتُمْ اِلَّآ اَنْ يَّعْفُوْنَ اَوْ يَعْفُوَا الَّذِيْ بِيَدِهٖ عُقْدَةُ النِّكَاحِ ۗ وَاَنْ تَعْفُوْٓا اَقْرَبُ لِلتَّقْوٰىۗ وَلَا تَنْسَوُا الْفَضْلَ بَيْنَكُمْ ۗ اِنَّ اللّٰهَ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِيْرٌ ٢٣٧

wa-in
وَإِن
और अगर
ṭallaqtumūhunna
طَلَّقْتُمُوهُنَّ
तलाक़ दे दो तुम
min
مِن
इससे पहले
qabli
قَبْلِ
इससे पहले
an
أَن
कि
tamassūhunna
تَمَسُّوهُنَّ
तुमने छुआ उन्हें
waqad
وَقَدْ
और तहक़ीक़
faraḍtum
فَرَضْتُمْ
मुक़र्रर कर दिया था तुमने
lahunna
لَهُنَّ
उनके लिए
farīḍatan
فَرِيضَةً
कोई महर
faniṣ'fu
فَنِصْفُ
तो आधा है
مَا
उसका जो
faraḍtum
فَرَضْتُمْ
मुक़र्रर कर चुके तुम (महर)
illā
إِلَّآ
मगर
an
أَن
ये कि
yaʿfūna
يَعْفُونَ
वो (औरतें) माफ़ कर दें
aw
أَوْ
या
yaʿfuwā
يَعْفُوَا۟
माफ़ कर दे
alladhī
ٱلَّذِى
वो शख़्स
biyadihi
بِيَدِهِۦ
जिसके हाथ में है
ʿuq'datu
عُقْدَةُ
गिरह
l-nikāḥi
ٱلنِّكَاحِۚ
निकाह की
wa-an
وَأَن
और ये कि
taʿfū
تَعْفُوٓا۟
तुम माफ़ कर दो
aqrabu
أَقْرَبُ
ज़्यादा क़रीब है
lilttaqwā
لِلتَّقْوَىٰۚ
तक़वा के
walā
وَلَا
और ना
tansawū
تَنسَوُا۟
तुम भूलो
l-faḍla
ٱلْفَضْلَ
एहसान को
baynakum
بَيْنَكُمْۚ
आपस में
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
bimā
بِمَا
उसे जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
baṣīrun
بَصِيرٌ
ख़ूब देखने वाला है
और यदि तुम उन्हें हाथ लगाने से पहले तलाक़ दे दो, किन्तु उसका मह्र- निश्चित कर चुके हो, तो जो मह्रह तुमने निश्चित किया है उसका आधा अदा करना होगा, यह और बात है कि वे स्वयं छोड़ दे या पुरुष जिसके हाथ में विवाह का सूत्र है, वह नर्मी से काम ले (और मह्र पूरा अदा कर दे) । और यह कि तुम नर्मी से काम लो तो यह परहेज़गारी से ज़्यादा क़रीब है और तुम एक-दूसरे को हक़ से बढ़कर देना न भूलो। निश्चय ही अल्लाह उसे देख रहा है, जो तुम करते हो ([२] अल बकराह: 237)
Tafseer (तफ़सीर )
२३८

حَافِظُوْا عَلَى الصَّلَوٰتِ وَالصَّلٰوةِ الْوُسْطٰى وَقُوْمُوْا لِلّٰهِ قٰنِتِيْنَ ٢٣٨

ḥāfiẓū
حَٰفِظُوا۟
हिफ़ाज़त करो
ʿalā
عَلَى
सब नमाज़ों की
l-ṣalawāti
ٱلصَّلَوَٰتِ
सब नमाज़ों की
wal-ṣalati
وَٱلصَّلَوٰةِ
और नमाज़
l-wus'ṭā
ٱلْوُسْطَىٰ
दर्मियानी की
waqūmū
وَقُومُوا۟
और खड़े हो जाओ
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
qānitīna
قَٰنِتِينَ
फ़रमाबरदार बन कर
सदैव नमाज़ो की और अच्छी नमाज़ों की पाबन्दी करो, और अल्लाह के आगे पूरे विनीत और शान्तभाव से खड़े हुआ करो ([२] अल बकराह: 238)
Tafseer (तफ़सीर )
२३९

فَاِنْ خِفْتُمْ فَرِجَالًا اَوْ رُكْبَانًا ۚ فَاِذَآ اَمِنْتُمْ فَاذْكُرُوا اللّٰهَ كَمَا عَلَّمَكُمْ مَّا لَمْ تَكُوْنُوْا تَعْلَمُوْنَ ٢٣٩

fa-in
فَإِنْ
फिर अगर
khif'tum
خِفْتُمْ
ख़ौफ़ हो तुम्हें
farijālan
فَرِجَالًا
तो पैदल (पढ़ लो)
aw
أَوْ
या
ruk'bānan
رُكْبَانًاۖ
सवार होकर
fa-idhā
فَإِذَآ
फिर जब
amintum
أَمِنتُمْ
अमन में आ जाओ तुम
fa-udh'kurū
فَٱذْكُرُوا۟
तो याद करो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह को
kamā
كَمَا
जैसा कि
ʿallamakum
عَلَّمَكُم
उसने सिखाया तुम्हें
مَّا
जो
lam
لَمْ
नहीं
takūnū
تَكُونُوا۟
थे तुम
taʿlamūna
تَعْلَمُونَ
तुम जानते
फिर यदि तुम्हें (शत्रु आदि का) भय हो, तो पैदल या सवार जिस तरह सम्भव हो नमाज़ पढ़ लो। फिर जब निश्चिन्त हो तो अल्लाह को उस प्रकार याद करो जैसाकि उसने तुम्हें सिखाया है, जिसे तुम नहीं जानते थे ([२] अल बकराह: 239)
Tafseer (तफ़सीर )
२४०

وَالَّذِيْنَ يُتَوَفَّوْنَ مِنْكُمْ وَيَذَرُوْنَ اَزْوَاجًاۖ وَّصِيَّةً لِّاَزْوَاجِهِمْ مَّتَاعًا اِلَى الْحَوْلِ غَيْرَ اِخْرَاجٍ ۚ فَاِنْ خَرَجْنَ فَلَا جُنَاحَ عَلَيْكُمْ فِيْ مَا فَعَلْنَ فِيْٓ اَنْفُسِهِنَّ مِنْ مَّعْرُوْفٍۗ وَاللّٰهُ عَزِيْزٌ حَكِيْمٌ ٢٤٠

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो लोग जो
yutawaffawna
يُتَوَفَّوْنَ
फ़ौत कर लिए जाते हैं
minkum
مِنكُمْ
तुम में से
wayadharūna
وَيَذَرُونَ
और वो छोड़ जाते हैं
azwājan
أَزْوَٰجًا
बीवियाँ
waṣiyyatan
وَصِيَّةً
वसीयत (करें)
li-azwājihim
لِّأَزْوَٰجِهِم
अपनी बीवियों के लिए
matāʿan
مَّتَٰعًا
फ़ायदा पहुँचाने की
ilā
إِلَى
एक साल तक
l-ḥawli
ٱلْحَوْلِ
एक साल तक
ghayra
غَيْرَ
बग़ैर
ikh'rājin
إِخْرَاجٍۚ
निकालने के
fa-in
فَإِنْ
फिर अगर
kharajna
خَرَجْنَ
वो निकल जाऐं
falā
فَلَا
तो नहीं
junāḥa
جُنَاحَ
कोई गुनाह
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
فِى
उस मामले में जो
مَا
उस मामले में जो
faʿalna
فَعَلْنَ
वो करें
فِىٓ
अपने नफ़्सों के बारे में
anfusihinna
أَنفُسِهِنَّ
अपने नफ़्सों के बारे में
min
مِن
भले तरीक़े से
maʿrūfin
مَّعْرُوفٍۗ
भले तरीक़े से
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ʿazīzun
عَزِيزٌ
बहुत ज़बरदस्त है
ḥakīmun
حَكِيمٌ
ख़ूब हिकमत वाला है
और तुममें से जिन लोगों की मृत्यु हो जाए और अपने पीछे पत्नियों छोड़ जाए, अर्थात अपनी पत्नियों के हक़ में यह वसीयत छोड़ जाए कि घर से निकाले बिना एक वर्ष तक उन्हें ख़र्च दिया जाए, तो यदि वे निकल जाएँ तो अपने लिए सामान्य नियम के अनुसार वे जो कुछ भी करें उसमें तुम्हारे लिए कोई दोष नहीं। अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है ([२] अल बकराह: 240)
Tafseer (तफ़सीर )