وَاِذَا طَلَّقْتُمُ النِّسَاۤءَ فَبَلَغْنَ اَجَلَهُنَّ فَاَمْسِكُوْهُنَّ بِمَعْرُوْفٍ اَوْ سَرِّحُوْهُنَّ بِمَعْرُوْفٍۗ وَلَا تُمْسِكُوْهُنَّ ضِرَارًا لِّتَعْتَدُوْا ۚ وَمَنْ يَّفْعَلْ ذٰلِكَ فَقَدْ ظَلَمَ نَفْسَهٗ ۗ وَلَا تَتَّخِذُوْٓا اٰيٰتِ اللّٰهِ هُزُوًا وَّاذْكُرُوْا نِعْمَتَ اللّٰهِ عَلَيْكُمْ وَمَآ اَنْزَلَ عَلَيْكُمْ مِّنَ الْكِتٰبِ وَالْحِكْمَةِ يَعِظُكُمْ بِهٖ ۗوَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيْمٌ ࣖ ٢٣١
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- ṭallaqtumu
- طَلَّقْتُمُ
- तुम तलाक़ दे दो
- l-nisāa
- ٱلنِّسَآءَ
- औरतों को
- fabalaghna
- فَبَلَغْنَ
- फिर वो पहुँचें
- ajalahunna
- أَجَلَهُنَّ
- अपनी मुद्दत को
- fa-amsikūhunna
- فَأَمْسِكُوهُنَّ
- तो रोक लो उन्हें
- bimaʿrūfin
- بِمَعْرُوفٍ
- साथ भले तरीक़े के
- aw
- أَوْ
- या
- sarriḥūhunna
- سَرِّحُوهُنَّ
- रुख़्सत कर दो उन्हें
- bimaʿrūfin
- بِمَعْرُوفٍۚ
- साथ भले तरीक़े के
- walā
- وَلَا
- और ना
- tum'sikūhunna
- تُمْسِكُوهُنَّ
- तुम रोके रखो उन्हें
- ḍirāran
- ضِرَارًا
- तकलीफ़ देने के लिए
- litaʿtadū
- لِّتَعْتَدُوا۟ۚ
- ताकि तुम ज़्यादती करो
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yafʿal
- يَفْعَلْ
- करेगा
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ऐसा
- faqad
- فَقَدْ
- तो तहक़ीक
- ẓalama
- ظَلَمَ
- उसने ज़ुल्म किया
- nafsahu
- نَفْسَهُۥۚ
- अपने नफ़्स पर
- walā
- وَلَا
- और ना
- tattakhidhū
- تَتَّخِذُوٓا۟
- तुम बनाओ
- āyāti
- ءَايَٰتِ
- अल्लाह की आयात को
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की आयात को
- huzuwan
- هُزُوًاۚ
- मज़ाक़
- wa-udh'kurū
- وَٱذْكُرُوا۟
- और याद करो
- niʿ'mata
- نِعْمَتَ
- नेअमत
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- जो तुम पर है
- wamā
- وَمَآ
- और जो
- anzala
- أَنزَلَ
- उसने नाज़िल किया
- ʿalaykum
- عَلَيْكُم
- तुम पर
- mina
- مِّنَ
- किताब से
- l-kitābi
- ٱلْكِتَٰبِ
- किताब से
- wal-ḥik'mati
- وَٱلْحِكْمَةِ
- और हिकमत से
- yaʿiẓukum
- يَعِظُكُم
- वो नसीहत करता है तुम्हें
- bihi
- بِهِۦۚ
- साथ उसके
- wa-ittaqū
- وَٱتَّقُوا۟
- और डरो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- wa-iʿ'lamū
- وَٱعْلَمُوٓا۟
- और जान लो
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- bikulli
- بِكُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ को
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब जानने वाला है
और यदि जब तुम स्त्रियों को तलाक़ दे दो और वे अपनी निश्चित अवधि (इद्दत) को पहुँच जाएँ, जो सामान्य नियम के अनुसार उन्हें रोक लो या सामान्य नियम के अनुसार उन्हें विदा कर दो। और तुम उन्हें नुक़सान पहुँचाने के ध्येय से न रोको कि ज़्यादती करो। और जो ऐसा करेगा, तो उसने स्वयं अपने ही ऊपर ज़ुल्म किया। और अल्लाह की आयतों को परिहास का विषय न बनाओ, और अल्लाह की कृपा जो तुम पर हुई है उसे याद रखो और उस किताब और तत्वदर्शिता (हिकमत) को याद रखो जो उसने तुम पर उतारी है, जिसके द्वारा वह तुम्हें नसीहत करता है। और अल्लाह का डर रखो और भली-भाँति जान लो कि अल्लाह हर चीज को जाननेवाला है ([२] अल बकराह: 231)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذَا طَلَّقْتُمُ النِّسَاۤءَ فَبَلَغْنَ اَجَلَهُنَّ فَلَا تَعْضُلُوْهُنَّ اَنْ يَّنْكِحْنَ اَزْوَاجَهُنَّ اِذَا تَرَاضَوْا بَيْنَهُمْ بِالْمَعْرُوْفِ ۗ ذٰلِكَ يُوْعَظُ بِهٖ مَنْ كَانَ مِنْكُمْ يُؤْمِنُ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ ۗ ذٰلِكُمْ اَزْكٰى لَكُمْ وَاَطْهَرُ ۗ وَاللّٰهُ يَعْلَمُ وَاَنْتُمْ لَا تَعْلَمُوْنَ ٢٣٢
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- ṭallaqtumu
- طَلَّقْتُمُ
- तलाक़ दे दो तुम
- l-nisāa
- ٱلنِّسَآءَ
- औरतों को
- fabalaghna
- فَبَلَغْنَ
- फिर वो पहुँचें
- ajalahunna
- أَجَلَهُنَّ
- अपनी मुद्दत को
- falā
- فَلَا
- तो ना
- taʿḍulūhunna
- تَعْضُلُوهُنَّ
- तुम रोको उन्हें
- an
- أَن
- कि
- yankiḥ'na
- يَنكِحْنَ
- वो निकाह कर लें
- azwājahunna
- أَزْوَٰجَهُنَّ
- अपने शौहरों से
- idhā
- إِذَا
- जब
- tarāḍaw
- تَرَٰضَوْا۟
- वो बाहम रज़ामंद हो जाऐं
- baynahum
- بَيْنَهُم
- आपस में
- bil-maʿrūfi
- بِٱلْمَعْرُوفِۗ
- भले तरीक़े से
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये (बात)
- yūʿaẓu
- يُوعَظُ
- नसीहत की जाती है
- bihi
- بِهِۦ
- साथ इसके
- man
- مَن
- उसको जो
- kāna
- كَانَ
- हो
- minkum
- مِنكُمْ
- तुम में से
- yu'minu
- يُؤْمِنُ
- ईमान रखता
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- wal-yawmi
- وَٱلْيَوْمِ
- और आख़िरी दिन पर
- l-ākhiri
- ٱلْءَاخِرِۗ
- और आख़िरी दिन पर
- dhālikum
- ذَٰلِكُمْ
- ये (बात)
- azkā
- أَزْكَىٰ
- ज़्यादा पाकीज़ा है
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- wa-aṭharu
- وَأَطْهَرُۗ
- और ज़्यादा पाक है
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- जानता है
- wa-antum
- وَأَنتُمْ
- और तुम
- lā
- لَا
- नहीं तुम जानते
- taʿlamūna
- تَعْلَمُونَ
- नहीं तुम जानते
और जब तुम स्त्रियों को तलाक़ दे दो और वे अपनी निर्धारित अवधि (इद्दत) को पहुँच जाएँ, तो उन्हें अपने होनेवाले दूसरे पतियों से विवाह करने से न रोको, जबकि वे सामान्य नियम के अनुसार परस्पर रज़ामन्दी से मामला तय करें। यह नसीहत तुममें से उसको की जा रही है जो अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखता है। यही तुम्हारे लिए ज़्यादा बरकतवाला और सुथरा तरीक़ा है। और अल्लाह जानता है, तुम नहीं जानते ([२] अल बकराह: 232)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَالْوَالِدٰتُ يُرْضِعْنَ اَوْلَادَهُنَّ حَوْلَيْنِ كَامِلَيْنِ لِمَنْ اَرَادَ اَنْ يُّتِمَّ الرَّضَاعَةَ ۗ وَعَلَى الْمَوْلُوْدِ لَهٗ رِزْقُهُنَّ وَكِسْوَتُهُنَّ بِالْمَعْرُوْفِۗ لَا تُكَلَّفُ نَفْسٌ اِلَّا وُسْعَهَا ۚ لَا تُضَاۤرَّ وَالِدَةٌ ۢبِوَلَدِهَا وَلَا مَوْلُوْدٌ لَّهٗ بِوَلَدِهٖ وَعَلَى الْوَارِثِ مِثْلُ ذٰلِكَ ۚ فَاِنْ اَرَادَا فِصَالًا عَنْ تَرَاضٍ مِّنْهُمَا وَتَشَاوُرٍ فَلَا جُنَاحَ عَلَيْهِمَا ۗوَاِنْ اَرَدْتُّمْ اَنْ تَسْتَرْضِعُوْٓا اَوْلَادَكُمْ فَلَا جُنَاحَ عَلَيْكُمْ اِذَا سَلَّمْتُمْ مَّآ اٰتَيْتُمْ بِالْمَعْرُوْفِۗ وَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِيْرٌ ٢٣٣
- wal-wālidātu
- وَٱلْوَٰلِدَٰتُ
- और माँऐं
- yur'ḍiʿ'na
- يُرْضِعْنَ
- दूध पिलाऐं
- awlādahunna
- أَوْلَٰدَهُنَّ
- अपनी औलाद को
- ḥawlayni
- حَوْلَيْنِ
- दो साल
- kāmilayni
- كَامِلَيْنِۖ
- मुकम्मल
- liman
- لِمَنْ
- उसके लिए जो
- arāda
- أَرَادَ
- इरादा करे
- an
- أَن
- कि
- yutimma
- يُتِمَّ
- वो पूरा करे
- l-raḍāʿata
- ٱلرَّضَاعَةَۚ
- रज़ाअत की मुद्दत
- waʿalā
- وَعَلَى
- और ऊपर
- l-mawlūdi
- ٱلْمَوْلُودِ
- उस (वालिद) के बच्चा है जिसका
- lahu
- لَهُۥ
- उस (वालिद) के बच्चा है जिसका
- riz'quhunna
- رِزْقُهُنَّ
- ख़ुराक है उन औरतों की
- wakis'watuhunna
- وَكِسْوَتُهُنَّ
- और लिबास है उन औरतों का
- bil-maʿrūfi
- بِٱلْمَعْرُوفِۚ
- भले तरीक़े से
- lā
- لَا
- ना तकलीफ़ दिया जाए
- tukallafu
- تُكَلَّفُ
- ना तकलीफ़ दिया जाए
- nafsun
- نَفْسٌ
- कोई नफ़्स
- illā
- إِلَّا
- मगर
- wus'ʿahā
- وُسْعَهَاۚ
- उसकी वुसअत के मुताबिक़
- lā
- لَا
- ना नुक़सान पहुँचाया जाए
- tuḍārra
- تُضَآرَّ
- ना नुक़सान पहुँचाया जाए
- wālidatun
- وَٰلِدَةٌۢ
- वालिदा को
- biwaladihā
- بِوَلَدِهَا
- उसके बच्चे की वजह से
- walā
- وَلَا
- और ना
- mawlūdun
- مَوْلُودٌ
- वालिद को
- lahu
- لَّهُۥ
- वालिद को
- biwaladihi
- بِوَلَدِهِۦۚ
- उसके बच्चे की वजह से
- waʿalā
- وَعَلَى
- और ऊपर
- l-wārithi
- ٱلْوَارِثِ
- वारिस के है
- mith'lu
- مِثْلُ
- मिसल
- dhālika
- ذَٰلِكَۗ
- उसी के
- fa-in
- فَإِنْ
- फिर अगर
- arādā
- أَرَادَا
- वो दोनों इरादा कर लें
- fiṣālan
- فِصَالًا
- दूध छुड़ाने का
- ʿan
- عَن
- बाहम रज़ामंदी से
- tarāḍin
- تَرَاضٍ
- बाहम रज़ामंदी से
- min'humā
- مِّنْهُمَا
- उन दोनों की
- watashāwurin
- وَتَشَاوُرٍ
- और बाहम मशवरे से
- falā
- فَلَا
- तो नहीं
- junāḥa
- جُنَاحَ
- कोई गुनाह
- ʿalayhimā
- عَلَيْهِمَاۗ
- उन दोनों पर
- wa-in
- وَإِنْ
- और अगर
- aradttum
- أَرَدتُّمْ
- इरादा करो तुम
- an
- أَن
- कि
- tastarḍiʿū
- تَسْتَرْضِعُوٓا۟
- तुम दूध पिलवाओ
- awlādakum
- أَوْلَٰدَكُمْ
- अपनी औलाद को
- falā
- فَلَا
- तो नहीं
- junāḥa
- جُنَاحَ
- कोई गुनाह
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- idhā
- إِذَا
- जब
- sallamtum
- سَلَّمْتُم
- सुपुर्द कर दो तुम
- mā
- مَّآ
- जो
- ātaytum
- ءَاتَيْتُم
- देना था तुमने
- bil-maʿrūfi
- بِٱلْمَعْرُوفِۗ
- मारूफ़ तरीक़े से
- wa-ittaqū
- وَٱتَّقُوا۟
- और डरो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- wa-iʿ'lamū
- وَٱعْلَمُوٓا۟
- और जान लो
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- bimā
- بِمَا
- उसे जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम करते हो
- baṣīrun
- بَصِيرٌ
- ख़ूब देखने वाला है
और जो कोई पूरी अवधि तक (बच्चे को) दूध पिलवाना चाहे, तो माएँ अपने बच्चों को पूरे दो वर्ष तक दूध पिलाएँ। और वह जिसका बच्चा है, सामान्य नियम के अनुसार उनके खाने और उनके कपड़े का ज़िम्मेदार है। किसी पर बस उसकी अपनी समाई भर ही ज़िम्मेदारी है, न तो कोई माँ अपने बच्चे के कारण (बच्चे के बाप को) नुक़सान पहुँचाए और न बाप अपने बच्चे के कारण (बच्चे की माँ को) नुक़सान पहुँचाए। और इसी प्रकार की ज़िम्मेदारी उसके वारिस पर भी आती है। फिर यदि दोनों पारस्परिक स्वेच्छा और परामर्श से दूध छुड़ाना चाहें तो उनपर कोई गुनाह नहीं। और यदि तुम अपनी संतान को किसी अन्य स्त्री से दूध पिलवाना चाहो तो इसमें भी तुम पर कोई गुनाह नहीं, जबकि तुमने जो कुछ बदले में देने का वादा किया हो, सामान्य नियम के अनुसार उसे चुका दो। और अल्लाह का डर रखो और भली-भाँति जान लो कि जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उसे देख रहा है ([२] अल बकराह: 233)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ يُتَوَفَّوْنَ مِنْكُمْ وَيَذَرُوْنَ اَزْوَاجًا يَّتَرَبَّصْنَ بِاَنْفُسِهِنَّ اَرْبَعَةَ اَشْهُرٍ وَّعَشْرًا ۚ فاِذَا بَلَغْنَ اَجَلَهُنَّ فَلَا جُنَاحَ عَلَيْكُمْ فِيْمَا فَعَلْنَ فِيْٓ اَنْفُسِهِنَّ بِالْمَعْرُوْفِۗ وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِيْرٌ ٢٣٤
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जो
- yutawaffawna
- يُتَوَفَّوْنَ
- फ़ौत कर लिए जाते हैं
- minkum
- مِنكُمْ
- तुम में से
- wayadharūna
- وَيَذَرُونَ
- और वो छोड़ जाते हैं
- azwājan
- أَزْوَٰجًا
- बीवियाँ
- yatarabbaṣna
- يَتَرَبَّصْنَ
- वो इन्तिज़ार में रखें
- bi-anfusihinna
- بِأَنفُسِهِنَّ
- अपने आपको
- arbaʿata
- أَرْبَعَةَ
- चार
- ashhurin
- أَشْهُرٍ
- महीने
- waʿashran
- وَعَشْرًاۖ
- और दस (दिन)
- fa-idhā
- فَإِذَا
- फिर जब
- balaghna
- بَلَغْنَ
- वो पहुँचें
- ajalahunna
- أَجَلَهُنَّ
- अपनी इद्दत को
- falā
- فَلَا
- तो नहीं
- junāḥa
- جُنَاحَ
- कोई गुनाह
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- fīmā
- فِيمَا
- उस में जो
- faʿalna
- فَعَلْنَ
- वो करें
- fī
- فِىٓ
- अपने नफ़्सों के बारे में
- anfusihinna
- أَنفُسِهِنَّ
- अपने नफ़्सों के बारे में
- bil-maʿrūfi
- بِٱلْمَعْرُوفِۗ
- मारूफ़ तरीक़े से
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- bimā
- بِمَا
- उसकी जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम करते हो
- khabīrun
- خَبِيرٌ
- ख़ूब ख़बर रखने वाला है
और तुममें से जो लोग मर जाएँ और अपने पीछे पत्नियों छोड़ जाएँ, तो वे पत्नियों अपने-आपको चार महीने और दस दिन तक रोके रखें। फिर जब वे अपनी निर्धारित अवधि (इद्दत) को पहुँच जाएँ, तो सामान्य नियम के अनुसार वे अपने लिए जो कुछ करें, उसमें तुमपर कोई गुनाह नहीं। जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उसकी ख़बर रखता है ([२] अल बकराह: 234)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا جُنَاحَ عَلَيْكُمْ فِيْمَا عَرَّضْتُمْ بِهٖ مِنْ خِطْبَةِ النِّسَاۤءِ اَوْ اَكْنَنْتُمْ فِيْٓ اَنْفُسِكُمْ ۗ عَلِمَ اللّٰهُ اَنَّكُمْ سَتَذْكُرُوْنَهُنَّ وَلٰكِنْ لَّا تُوَاعِدُوْهُنَّ سِرًّا اِلَّآ اَنْ تَقُوْلُوْا قَوْلًا مَّعْرُوْفًا ەۗ وَلَا تَعْزِمُوْا عُقْدَةَ النِّكَاحِ حَتّٰى يَبْلُغَ الْكِتٰبُ اَجَلَهٗ ۗوَاعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ يَعْلَمُ مَا فِيْٓ اَنْفُسِكُمْ فَاحْذَرُوْهُ ۚوَاعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ حَلِيْمٌ ࣖ ٢٣٥
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- junāḥa
- جُنَاحَ
- कोई गुनाह
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- fīmā
- فِيمَا
- उस में जो
- ʿarraḍtum
- عَرَّضْتُم
- इशारा करो तुम
- bihi
- بِهِۦ
- साथ उसके
- min
- مِنْ
- पैग़ामे निकाह से
- khiṭ'bati
- خِطْبَةِ
- पैग़ामे निकाह से
- l-nisāi
- ٱلنِّسَآءِ
- औरतों के
- aw
- أَوْ
- या
- aknantum
- أَكْنَنتُمْ
- छुपाए रखो तुम
- fī
- فِىٓ
- अपने नफ़्सों में
- anfusikum
- أَنفُسِكُمْۚ
- अपने नफ़्सों में
- ʿalima
- عَلِمَ
- जानता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- annakum
- أَنَّكُمْ
- कि बेशक तुम
- satadhkurūnahunna
- سَتَذْكُرُونَهُنَّ
- ज़रूर तुम ज़िक्र करोगे उनका
- walākin
- وَلَٰكِن
- और लेकिन
- lā
- لَّا
- ना तुम वादा लो उनसे
- tuwāʿidūhunna
- تُوَاعِدُوهُنَّ
- ना तुम वादा लो उनसे
- sirran
- سِرًّا
- छुप कर
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَن
- ये कि
- taqūlū
- تَقُولُوا۟
- तुम कहो
- qawlan
- قَوْلًا
- बात
- maʿrūfan
- مَّعْرُوفًاۚ
- भली
- walā
- وَلَا
- और ना
- taʿzimū
- تَعْزِمُوا۟
- तुम अज़म करो
- ʿuq'data
- عُقْدَةَ
- अक़द का
- l-nikāḥi
- ٱلنِّكَاحِ
- निकाह के
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yablugha
- يَبْلُغَ
- पहुँच जाए
- l-kitābu
- ٱلْكِتَٰبُ
- मुक़र्रर मियाद
- ajalahu
- أَجَلَهُۥۚ
- अपनी मुद्दत को
- wa-iʿ'lamū
- وَٱعْلَمُوٓا۟
- और जान लो
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- जानता है
- mā
- مَا
- उसे जो
- fī
- فِىٓ
- तुम्हारे नफ़्सों में है
- anfusikum
- أَنفُسِكُمْ
- तुम्हारे नफ़्सों में है
- fa-iḥ'dharūhu
- فَٱحْذَرُوهُۚ
- पस डरो उससे
- wa-iʿ'lamū
- وَٱعْلَمُوٓا۟
- और जान लो
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ghafūrun
- غَفُورٌ
- बहुत बख़्शने वाला है
- ḥalīmun
- حَلِيمٌ
- बहुत बुर्दबार है
और इसमें भी तुम पर कोई गुनाह नहीं जो तुम उन औरतों को विवाह के सन्देश सांकेतिक रूप से दो या अपने मन में छिपाए रखो। अल्लाह जानता है कि तुम उन्हें याद करोगे, परन्तु छिपकर उन्हें वचन न देना, सिवाय इसके कि सामान्य नियम के अनुसार कोई बात कह दो। और जब तक निर्धारित अवधि (इद्दत) पूरी न हो जाए, विवाह का नाता जोड़ने का निश्चय न करो। जान रखो कि अल्लाह तुम्हारे मन की बात भी जानता है। अतः उससे सावधान रहो और अल्लाह अत्यन्त क्षमा करनेवाला, सहनशील है ([२] अल बकराह: 235)Tafseer (तफ़सीर )
لَا جُنَاحَ عَلَيْكُمْ اِنْ طَلَّقْتُمُ النِّسَاۤءَ مَا لَمْ تَمَسُّوْهُنَّ اَوْ تَفْرِضُوْا لَهُنَّ فَرِيْضَةً ۖ وَّمَتِّعُوْهُنَّ عَلَى الْمُوْسِعِ قَدَرُهٗ وَعَلَى الْمُقْتِرِ قَدَرُهٗ ۚ مَتَاعًا ۢبِالْمَعْرُوْفِۚ حَقًّا عَلَى الْمُحْسِنِيْنَ ٢٣٦
- lā
- لَّا
- नहीं कोई गुनाह
- junāḥa
- جُنَاحَ
- नहीं कोई गुनाह
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- in
- إِن
- अगर
- ṭallaqtumu
- طَلَّقْتُمُ
- तलाक़ दे दो तुम
- l-nisāa
- ٱلنِّسَآءَ
- औरतों को
- mā
- مَا
- जब कि
- lam
- لَمْ
- ना
- tamassūhunna
- تَمَسُّوهُنَّ
- तुमने छुआ हो उन्हें
- aw
- أَوْ
- या
- tafriḍū
- تَفْرِضُوا۟
- तुमने मुक़र्रर किया
- lahunna
- لَهُنَّ
- उनके लिए
- farīḍatan
- فَرِيضَةًۚ
- कोई महर
- wamattiʿūhunna
- وَمَتِّعُوهُنَّ
- और माल व मता दो उन्हें
- ʿalā
- عَلَى
- ऊपर वुसअत वाले के
- l-mūsiʿi
- ٱلْمُوسِعِ
- ऊपर वुसअत वाले के
- qadaruhu
- قَدَرُهُۥ
- उसकी वुसअत के मुताबिक़
- waʿalā
- وَعَلَى
- और ऊपर
- l-muq'tiri
- ٱلْمُقْتِرِ
- तंगदस्त के
- qadaruhu
- قَدَرُهُۥ
- उसकी वुसअत के मुताबिक़
- matāʿan
- مَتَٰعًۢا
- फ़ायदा पहुँचाना है
- bil-maʿrūfi
- بِٱلْمَعْرُوفِۖ
- भले तरीक़े से
- ḥaqqan
- حَقًّا
- हक़ है
- ʿalā
- عَلَى
- ऊपर
- l-muḥ'sinīna
- ٱلْمُحْسِنِينَ
- नेकी करने वालों के
यदि तुम स्त्रियों को इस स्थिति मे तलाक़ दे दो कि यह नौबत पेश न आई हो कि तुमने उन्हें हाथ लगाया हो और उनका कुछ हक़ (मह्रन) निश्चित किया हो, तो तुमपर कोई भार नहीं। हाँ, सामान्य नियम के अनुसार उन्हें कुछ ख़र्च दो - समाई रखनेवाले पर उसकी अपनी हैसियत के अनुसार और तंगदस्त पर उसकी अपनी हैसियत के अनुसार अनिवार्य है - यह अच्छे लोगों पर एक हक़ है ([२] अल बकराह: 236)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنْ طَلَّقْتُمُوْهُنَّ مِنْ قَبْلِ اَنْ تَمَسُّوْهُنَّ وَقَدْ فَرَضْتُمْ لَهُنَّ فَرِيْضَةً فَنِصْفُ مَا فَرَضْتُمْ اِلَّآ اَنْ يَّعْفُوْنَ اَوْ يَعْفُوَا الَّذِيْ بِيَدِهٖ عُقْدَةُ النِّكَاحِ ۗ وَاَنْ تَعْفُوْٓا اَقْرَبُ لِلتَّقْوٰىۗ وَلَا تَنْسَوُا الْفَضْلَ بَيْنَكُمْ ۗ اِنَّ اللّٰهَ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِيْرٌ ٢٣٧
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- ṭallaqtumūhunna
- طَلَّقْتُمُوهُنَّ
- तलाक़ दे दो तुम
- min
- مِن
- इससे पहले
- qabli
- قَبْلِ
- इससे पहले
- an
- أَن
- कि
- tamassūhunna
- تَمَسُّوهُنَّ
- तुमने छुआ उन्हें
- waqad
- وَقَدْ
- और तहक़ीक़
- faraḍtum
- فَرَضْتُمْ
- मुक़र्रर कर दिया था तुमने
- lahunna
- لَهُنَّ
- उनके लिए
- farīḍatan
- فَرِيضَةً
- कोई महर
- faniṣ'fu
- فَنِصْفُ
- तो आधा है
- mā
- مَا
- उसका जो
- faraḍtum
- فَرَضْتُمْ
- मुक़र्रर कर चुके तुम (महर)
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَن
- ये कि
- yaʿfūna
- يَعْفُونَ
- वो (औरतें) माफ़ कर दें
- aw
- أَوْ
- या
- yaʿfuwā
- يَعْفُوَا۟
- माफ़ कर दे
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो शख़्स
- biyadihi
- بِيَدِهِۦ
- जिसके हाथ में है
- ʿuq'datu
- عُقْدَةُ
- गिरह
- l-nikāḥi
- ٱلنِّكَاحِۚ
- निकाह की
- wa-an
- وَأَن
- और ये कि
- taʿfū
- تَعْفُوٓا۟
- तुम माफ़ कर दो
- aqrabu
- أَقْرَبُ
- ज़्यादा क़रीब है
- lilttaqwā
- لِلتَّقْوَىٰۚ
- तक़वा के
- walā
- وَلَا
- और ना
- tansawū
- تَنسَوُا۟
- तुम भूलो
- l-faḍla
- ٱلْفَضْلَ
- एहसान को
- baynakum
- بَيْنَكُمْۚ
- आपस में
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- bimā
- بِمَا
- उसे जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते हो
- baṣīrun
- بَصِيرٌ
- ख़ूब देखने वाला है
और यदि तुम उन्हें हाथ लगाने से पहले तलाक़ दे दो, किन्तु उसका मह्र- निश्चित कर चुके हो, तो जो मह्रह तुमने निश्चित किया है उसका आधा अदा करना होगा, यह और बात है कि वे स्वयं छोड़ दे या पुरुष जिसके हाथ में विवाह का सूत्र है, वह नर्मी से काम ले (और मह्र पूरा अदा कर दे) । और यह कि तुम नर्मी से काम लो तो यह परहेज़गारी से ज़्यादा क़रीब है और तुम एक-दूसरे को हक़ से बढ़कर देना न भूलो। निश्चय ही अल्लाह उसे देख रहा है, जो तुम करते हो ([२] अल बकराह: 237)Tafseer (तफ़सीर )
حَافِظُوْا عَلَى الصَّلَوٰتِ وَالصَّلٰوةِ الْوُسْطٰى وَقُوْمُوْا لِلّٰهِ قٰنِتِيْنَ ٢٣٨
- ḥāfiẓū
- حَٰفِظُوا۟
- हिफ़ाज़त करो
- ʿalā
- عَلَى
- सब नमाज़ों की
- l-ṣalawāti
- ٱلصَّلَوَٰتِ
- सब नमाज़ों की
- wal-ṣalati
- وَٱلصَّلَوٰةِ
- और नमाज़
- l-wus'ṭā
- ٱلْوُسْطَىٰ
- दर्मियानी की
- waqūmū
- وَقُومُوا۟
- और खड़े हो जाओ
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए
- qānitīna
- قَٰنِتِينَ
- फ़रमाबरदार बन कर
सदैव नमाज़ो की और अच्छी नमाज़ों की पाबन्दी करो, और अल्लाह के आगे पूरे विनीत और शान्तभाव से खड़े हुआ करो ([२] अल बकराह: 238)Tafseer (तफ़सीर )
فَاِنْ خِفْتُمْ فَرِجَالًا اَوْ رُكْبَانًا ۚ فَاِذَآ اَمِنْتُمْ فَاذْكُرُوا اللّٰهَ كَمَا عَلَّمَكُمْ مَّا لَمْ تَكُوْنُوْا تَعْلَمُوْنَ ٢٣٩
- fa-in
- فَإِنْ
- फिर अगर
- khif'tum
- خِفْتُمْ
- ख़ौफ़ हो तुम्हें
- farijālan
- فَرِجَالًا
- तो पैदल (पढ़ लो)
- aw
- أَوْ
- या
- ruk'bānan
- رُكْبَانًاۖ
- सवार होकर
- fa-idhā
- فَإِذَآ
- फिर जब
- amintum
- أَمِنتُمْ
- अमन में आ जाओ तुम
- fa-udh'kurū
- فَٱذْكُرُوا۟
- तो याद करो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह को
- kamā
- كَمَا
- जैसा कि
- ʿallamakum
- عَلَّمَكُم
- उसने सिखाया तुम्हें
- mā
- مَّا
- जो
- lam
- لَمْ
- नहीं
- takūnū
- تَكُونُوا۟
- थे तुम
- taʿlamūna
- تَعْلَمُونَ
- तुम जानते
फिर यदि तुम्हें (शत्रु आदि का) भय हो, तो पैदल या सवार जिस तरह सम्भव हो नमाज़ पढ़ लो। फिर जब निश्चिन्त हो तो अल्लाह को उस प्रकार याद करो जैसाकि उसने तुम्हें सिखाया है, जिसे तुम नहीं जानते थे ([२] अल बकराह: 239)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ يُتَوَفَّوْنَ مِنْكُمْ وَيَذَرُوْنَ اَزْوَاجًاۖ وَّصِيَّةً لِّاَزْوَاجِهِمْ مَّتَاعًا اِلَى الْحَوْلِ غَيْرَ اِخْرَاجٍ ۚ فَاِنْ خَرَجْنَ فَلَا جُنَاحَ عَلَيْكُمْ فِيْ مَا فَعَلْنَ فِيْٓ اَنْفُسِهِنَّ مِنْ مَّعْرُوْفٍۗ وَاللّٰهُ عَزِيْزٌ حَكِيْمٌ ٢٤٠
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो लोग जो
- yutawaffawna
- يُتَوَفَّوْنَ
- फ़ौत कर लिए जाते हैं
- minkum
- مِنكُمْ
- तुम में से
- wayadharūna
- وَيَذَرُونَ
- और वो छोड़ जाते हैं
- azwājan
- أَزْوَٰجًا
- बीवियाँ
- waṣiyyatan
- وَصِيَّةً
- वसीयत (करें)
- li-azwājihim
- لِّأَزْوَٰجِهِم
- अपनी बीवियों के लिए
- matāʿan
- مَّتَٰعًا
- फ़ायदा पहुँचाने की
- ilā
- إِلَى
- एक साल तक
- l-ḥawli
- ٱلْحَوْلِ
- एक साल तक
- ghayra
- غَيْرَ
- बग़ैर
- ikh'rājin
- إِخْرَاجٍۚ
- निकालने के
- fa-in
- فَإِنْ
- फिर अगर
- kharajna
- خَرَجْنَ
- वो निकल जाऐं
- falā
- فَلَا
- तो नहीं
- junāḥa
- جُنَاحَ
- कोई गुनाह
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- fī
- فِى
- उस मामले में जो
- mā
- مَا
- उस मामले में जो
- faʿalna
- فَعَلْنَ
- वो करें
- fī
- فِىٓ
- अपने नफ़्सों के बारे में
- anfusihinna
- أَنفُسِهِنَّ
- अपने नफ़्सों के बारे में
- min
- مِن
- भले तरीक़े से
- maʿrūfin
- مَّعْرُوفٍۗ
- भले तरीक़े से
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ʿazīzun
- عَزِيزٌ
- बहुत ज़बरदस्त है
- ḥakīmun
- حَكِيمٌ
- ख़ूब हिकमत वाला है
और तुममें से जिन लोगों की मृत्यु हो जाए और अपने पीछे पत्नियों छोड़ जाए, अर्थात अपनी पत्नियों के हक़ में यह वसीयत छोड़ जाए कि घर से निकाले बिना एक वर्ष तक उन्हें ख़र्च दिया जाए, तो यदि वे निकल जाएँ तो अपने लिए सामान्य नियम के अनुसार वे जो कुछ भी करें उसमें तुम्हारे लिए कोई दोष नहीं। अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है ([२] अल बकराह: 240)Tafseer (तफ़सीर )