وَلَا تَنْكِحُوا الْمُشْرِكٰتِ حَتّٰى يُؤْمِنَّ ۗ وَلَاَمَةٌ مُّؤْمِنَةٌ خَيْرٌ مِّنْ مُّشْرِكَةٍ وَّلَوْ اَعْجَبَتْكُمْ ۚ وَلَا تُنْكِحُوا الْمُشْرِكِيْنَ حَتّٰى يُؤْمِنُوْا ۗ وَلَعَبْدٌ مُّؤْمِنٌ خَيْرٌ مِّنْ مُّشْرِكٍ وَّلَوْ اَعْجَبَكُمْ ۗ اُولٰۤىِٕكَ يَدْعُوْنَ اِلَى النَّارِ ۖ وَاللّٰهُ يَدْعُوْٓا اِلَى الْجَنَّةِ وَالْمَغْفِرَةِ بِاِذْنِهٖۚ وَيُبَيِّنُ اٰيٰتِهٖ لِلنَّاسِ لَعَلَّهُمْ يَتَذَكَّرُوْنَ ࣖ ٢٢١
- walā
- وَلَا
- और ना
- tankiḥū
- تَنكِحُوا۟
- तुम निकाह करो
- l-mush'rikāti
- ٱلْمُشْرِكَٰتِ
- मुशरिका औरतों से
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yu'minna
- يُؤْمِنَّۚ
- वो ईमान ले आऐं
- wala-amatun
- وَلَأَمَةٌ
- और अलबत्ता लौंडी
- mu'minatun
- مُّؤْمِنَةٌ
- मोमिना
- khayrun
- خَيْرٌ
- बेहतर है
- min
- مِّن
- मुशरिका औरत से
- mush'rikatin
- مُّشْرِكَةٍ
- मुशरिका औरत से
- walaw
- وَلَوْ
- और अगरचे
- aʿjabatkum
- أَعْجَبَتْكُمْۗ
- वो अच्छी लगे तुम्हें
- walā
- وَلَا
- और ना
- tunkiḥū
- تُنكِحُوا۟
- तुम निकाह करके दो
- l-mush'rikīna
- ٱلْمُشْرِكِينَ
- मुशरिक मर्दों को
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yu'minū
- يُؤْمِنُوا۟ۚ
- वो ईमान ले आऐं
- walaʿabdun
- وَلَعَبْدٌ
- और अलबत्ता ग़ुलाम
- mu'minun
- مُّؤْمِنٌ
- मोमिन
- khayrun
- خَيْرٌ
- बेहतर है
- min
- مِّن
- मुशरिक मर्द से
- mush'rikin
- مُّشْرِكٍ
- मुशरिक मर्द से
- walaw
- وَلَوْ
- और अगरचे
- aʿjabakum
- أَعْجَبَكُمْۗ
- वो अच्छा लगे तुम्हें
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- yadʿūna
- يَدْعُونَ
- जो बुलाते हैं
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ आग के
- l-nāri
- ٱلنَّارِۖ
- तरफ़ आग के
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- yadʿū
- يَدْعُوٓا۟
- बुलाता है
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ जन्नत के
- l-janati
- ٱلْجَنَّةِ
- तरफ़ जन्नत के
- wal-maghfirati
- وَٱلْمَغْفِرَةِ
- और बख़्शिश के
- bi-idh'nihi
- بِإِذْنِهِۦۖ
- अपने इज़्न से
- wayubayyinu
- وَيُبَيِّنُ
- और वो वाज़ेह करता है
- āyātihi
- ءَايَٰتِهِۦ
- आयात अपनी
- lilnnāsi
- لِلنَّاسِ
- लोगों के लिए
- laʿallahum
- لَعَلَّهُمْ
- ताकि वो
- yatadhakkarūna
- يَتَذَكَّرُونَ
- वो नसीहत पकड़ें
और मुशरिक (बहुदेववादी) स्त्रियों से विवाह न करो जब तक कि वे ईमान न लाएँ। एक ईमानदारी बांदी (दासी), मुशरिक स्त्री से कहीं उत्तम है; चाहे वह तुम्हें कितनी ही अच्छी क्यों न लगे। और न (ईमानवाली स्त्रियाँ) मुशरिक पुरुषों से विवाह करो, जब तक कि वे ईमान न लाएँ। एक ईमानवाला गुलाम आज़ाद मुशरिक से कहीं उत्तम है, चाहे वह तुम्हें कितना ही अच्छा क्यों न लगे। ऐसे लोग आग (जहन्नम) की ओर बुलाते है और अल्लाह अपनी अनुज्ञा से जन्नत और क्षमा की ओर बुलाता है। और वह अपनी आयतें लोगों के सामने खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि वे चेतें ([२] अल बकराह: 221)Tafseer (तफ़सीर )
وَيَسْـَٔلُوْنَكَ عَنِ الْمَحِيْضِ ۗ قُلْ هُوَ اَذًىۙ فَاعْتَزِلُوا النِّسَاۤءَ فِى الْمَحِيْضِۙ وَلَا تَقْرَبُوْهُنَّ حَتّٰى يَطْهُرْنَ ۚ فَاِذَا تَطَهَّرْنَ فَأْتُوْهُنَّ مِنْ حَيْثُ اَمَرَكُمُ اللّٰهُ ۗ اِنَّ اللّٰهَ يُحِبُّ التَّوَّابِيْنَ وَيُحِبُّ الْمُتَطَهِّرِيْنَ ٢٢٢
- wayasalūnaka
- وَيَسْـَٔلُونَكَ
- और वो सवाल करते हैं आपसे
- ʿani
- عَنِ
- हैज़ के बारे में
- l-maḥīḍi
- ٱلْمَحِيضِۖ
- हैज़ के बारे में
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- huwa
- هُوَ
- वो
- adhan
- أَذًى
- अज़ियत है
- fa-iʿ'tazilū
- فَٱعْتَزِلُوا۟
- तो अलग रहो
- l-nisāa
- ٱلنِّسَآءَ
- औरतों से
- fī
- فِى
- हैज़ में
- l-maḥīḍi
- ٱلْمَحِيضِۖ
- हैज़ में
- walā
- وَلَا
- और ना
- taqrabūhunna
- تَقْرَبُوهُنَّ
- तुम क़रीब जाओ उनके
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yaṭhur'na
- يَطْهُرْنَۖ
- वो पाक हो जाऐं
- fa-idhā
- فَإِذَا
- फिर जब
- taṭahharna
- تَطَهَّرْنَ
- वो अच्छी तरह पाक हो जाऐं
- fatūhunna
- فَأْتُوهُنَّ
- तो आओ उनके पास
- min
- مِنْ
- जहाँ से
- ḥaythu
- حَيْثُ
- जहाँ से
- amarakumu
- أَمَرَكُمُ
- हुक्म दिया तुम्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُۚ
- अल्लाह ने
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yuḥibbu
- يُحِبُّ
- मोहब्बत रखता है
- l-tawābīna
- ٱلتَّوَّٰبِينَ
- बहुत तौबा करने वालों से
- wayuḥibbu
- وَيُحِبُّ
- और मोहब्बत रखता है
- l-mutaṭahirīna
- ٱلْمُتَطَهِّرِينَ
- पाक साफ़ रहने वालों से
और वे तुमसे मासिक-धर्म के विषय में पूछते है। कहो, 'वह एक तकलीफ़ और गन्दगी की चीज़ है। अतः मासिक-धर्म के दिनों में स्त्रियों से अलग रहो और उनके पास न जाओ, जबतक कि वे पाक-साफ़ न हो जाएँ। फिर जब वे भली-भाँति पाक-साफ़ हो जाए, तो जिस प्रकार अल्लाह ने तुम्हें बताया है, उनके पास आओ। निस्संदेह अल्लाह बहुत तौबा करनेवालों को पसन्द करता है और वह उन्हें पसन्द करता है जो स्वच्छता को पसन्द करते है ([२] अल बकराह: 222)Tafseer (तफ़सीर )
نِسَاۤؤُكُمْ حَرْثٌ لَّكُمْ ۖ فَأْتُوْا حَرْثَكُمْ اَنّٰى شِئْتُمْ ۖ وَقَدِّمُوْا لِاَنْفُسِكُمْ ۗ وَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاعْلَمُوْٓا اَنَّكُمْ مُّلٰقُوْهُ ۗ وَبَشِّرِ الْمُؤْمِنِيْنَ ٢٢٣
- nisāukum
- نِسَآؤُكُمْ
- औरतें तुम्हारी
- ḥarthun
- حَرْثٌ
- खेती हैं
- lakum
- لَّكُمْ
- तुम्हारे लिए
- fatū
- فَأْتُوا۟
- तो आओ
- ḥarthakum
- حَرْثَكُمْ
- अपनी खेती में
- annā
- أَنَّىٰ
- जिस तरह
- shi'tum
- شِئْتُمْۖ
- चाहो तुम
- waqaddimū
- وَقَدِّمُوا۟
- और आगे भेजो
- li-anfusikum
- لِأَنفُسِكُمْۚ
- अपने नफ़्सों के लिए
- wa-ittaqū
- وَٱتَّقُوا۟
- और डरो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- wa-iʿ'lamū
- وَٱعْلَمُوٓا۟
- और जान लो
- annakum
- أَنَّكُم
- बेशक तुम
- mulāqūhu
- مُّلَٰقُوهُۗ
- मुलाक़ात करने वाले हो उससे
- wabashiri
- وَبَشِّرِ
- और ख़ुशख़बरी दे दीजिए
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- ईमान लाने वालों को
तुम्हारी स्त्रियों तुम्हारी खेती है। अतः जिस प्रकार चाहो तुम अपनी खेती में आओ और अपने लिए आगे भेजो; और अल्लाह से डरते रहो; भली-भाँति जान ले कि तुम्हें उससे मिलना है; और ईमान लानेवालों को शुभ-सूचना दे दो ([२] अल बकराह: 223)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا تَجْعَلُوا اللّٰهَ عُرْضَةً لِّاَيْمَانِكُمْ اَنْ تَبَرُّوْا وَتَتَّقُوْا وَتُصْلِحُوْا بَيْنَ النَّاسِۗ وَاللّٰهُ سَمِيْعٌ عَلِيْمٌ ٢٢٤
- walā
- وَلَا
- और ना
- tajʿalū
- تَجْعَلُوا۟
- तुम बनाओ
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह को
- ʿur'ḍatan
- عُرْضَةً
- आड़
- li-aymānikum
- لِّأَيْمَٰنِكُمْ
- अपनी क़समों के लिए
- an
- أَن
- कि
- tabarrū
- تَبَرُّوا۟
- तुम नेकी करोगे (ना)
- watattaqū
- وَتَتَّقُوا۟
- और (ना) तुम तक़वा करोगे
- watuṣ'liḥū
- وَتُصْلِحُوا۟
- और (ना) तुम सुलाह कराओगे
- bayna
- بَيْنَ
- दर्मियान
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِۗ
- लोगों के
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- samīʿun
- سَمِيعٌ
- ख़ूब सुनने वाला है
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब जानने वाला है
अपने नेक और धर्मपरायण होने और लोगों के मध्य सुधारक होने के सिलसिले में अपनी क़समों के द्वारा अल्लाह को आड़ और निशाना न बनाओ कि इन कामों को छोड़ दो। अल्लाह सब कुछ सुनता, जानता है ([२] अल बकराह: 224)Tafseer (तफ़सीर )
لَا يُؤَاخِذُكُمُ اللّٰهُ بِاللَّغْوِ فِيْٓ اَيْمَانِكُمْ وَلٰكِنْ يُّؤَاخِذُكُمْ بِمَا كَسَبَتْ قُلُوْبُكُمْ ۗ وَاللّٰهُ غَفُوْرٌ حَلِيْمٌ ٢٢٥
- lā
- لَّا
- नहीं मुआख़्ज़ा करेगा तुम्हारा
- yuākhidhukumu
- يُؤَاخِذُكُمُ
- नहीं मुआख़्ज़ा करेगा तुम्हारा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- bil-laghwi
- بِٱللَّغْوِ
- साथ लग़्व के
- fī
- فِىٓ
- तुम्हारी क़समों के
- aymānikum
- أَيْمَٰنِكُمْ
- तुम्हारी क़समों के
- walākin
- وَلَٰكِن
- और लेकिन
- yuākhidhukum
- يُؤَاخِذُكُم
- वो मुआख़्ज़ा करेगा तुम्हारा
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- kasabat
- كَسَبَتْ
- कमाया
- qulūbukum
- قُلُوبُكُمْۗ
- तुम्हारे दिलों ने
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ghafūrun
- غَفُورٌ
- बहुत बख़्शने वाला है
- ḥalīmun
- حَلِيمٌ
- बहुत हिल्म वाला है
अल्लाह तुम्हें तुम्हारी ऐसी कसमों पर नहीं पकड़ेगा जो यूँ ही मुँह से निकल गई हो, लेकिन उन क़समों पर वह तुम्हें अवश्य पकड़ेगा जो तुम्हारे दिल के इरादे का नतीजा हों। अल्लाह बहुत क्षमा करनेवाला, सहनशील है ([२] अल बकराह: 225)Tafseer (तफ़सीर )
لِلَّذِيْنَ يُؤْلُوْنَ مِنْ نِّسَاۤىِٕهِمْ تَرَبُّصُ اَرْبَعَةِ اَشْهُرٍۚ فَاِنْ فَاۤءُوْ فَاِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ٢٢٦
- lilladhīna
- لِّلَّذِينَ
- उन लोगों के लिए जो
- yu'lūna
- يُؤْلُونَ
- इला करते हैं
- min
- مِن
- अपनी औरतों से
- nisāihim
- نِّسَآئِهِمْ
- अपनी औरतों से
- tarabbuṣu
- تَرَبُّصُ
- इन्तिज़ार करना है
- arbaʿati
- أَرْبَعَةِ
- चार
- ashhurin
- أَشْهُرٍۖ
- महीने
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- fāū
- فَآءُو
- वो रुजु कर लें
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ghafūrun
- غَفُورٌ
- बहुत बख़्शने वाला है
- raḥīmun
- رَّحِيمٌ
- निहायत रहम करने वाला है
जो लोग अपनी स्त्रियों से अलग रहने की क़सम खा बैठें, उनके लिए चार महीने की प्रतिक्षा है। फिर यदि वे पलट आएँ, तो अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है ([२] अल बकराह: 226)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنْ عَزَمُوا الطَّلَاقَ فَاِنَّ اللّٰهَ سَمِيْعٌ عَلِيْمٌ ٢٢٧
- wa-in
- وَإِنْ
- और अगर
- ʿazamū
- عَزَمُوا۟
- वो अज़म कर लें
- l-ṭalāqa
- ٱلطَّلَٰقَ
- तलाक़ का
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- samīʿun
- سَمِيعٌ
- ख़ूब सुनने वाला है
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब जानने वाला है
और यदि वे तलाक़ ही की ठान लें, तो अल्लाह भी सुननेवाला भली-भाँति जाननेवाला है ([२] अल बकराह: 227)Tafseer (तफ़सीर )
وَالْمُطَلَّقٰتُ يَتَرَبَّصْنَ بِاَنْفُسِهِنَّ ثَلٰثَةَ قُرُوْۤءٍۗ وَلَا يَحِلُّ لَهُنَّ اَنْ يَّكْتُمْنَ مَا خَلَقَ اللّٰهُ فِيْٓ اَرْحَامِهِنَّ اِنْ كُنَّ يُؤْمِنَّ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِۗ وَبُعُوْلَتُهُنَّ اَحَقُّ بِرَدِّهِنَّ فِيْ ذٰلِكَ اِنْ اَرَادُوْٓا اِصْلَاحًا ۗوَلَهُنَّ مِثْلُ الَّذِيْ عَلَيْهِنَّ بِالْمَعْرُوْفِۖ وَلِلرِّجَالِ عَلَيْهِنَّ دَرَجَةٌ ۗ وَاللّٰهُ عَزِيْزٌ حَكِيْمٌ ࣖ ٢٢٨
- wal-muṭalaqātu
- وَٱلْمُطَلَّقَٰتُ
- और जो तलाक़ याफ़्ता औरतें हैं
- yatarabbaṣna
- يَتَرَبَّصْنَ
- वो इन्तिज़ार में रखें
- bi-anfusihinna
- بِأَنفُسِهِنَّ
- अपने आपको
- thalāthata
- ثَلَٰثَةَ
- तीन
- qurūin
- قُرُوٓءٍۚ
- हैज़ / तोहर
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yaḥillu
- يَحِلُّ
- हलाल
- lahunna
- لَهُنَّ
- उनके लिए
- an
- أَن
- कि
- yaktum'na
- يَكْتُمْنَ
- वो छुपाऐं
- mā
- مَا
- जो
- khalaqa
- خَلَقَ
- पैदा किया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- fī
- فِىٓ
- उनके रहमों में
- arḥāmihinna
- أَرْحَامِهِنَّ
- उनके रहमों में
- in
- إِن
- अगर
- kunna
- كُنَّ
- हैं वो
- yu'minna
- يُؤْمِنَّ
- वो ईमान रखतीं
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- wal-yawmi
- وَٱلْيَوْمِ
- और आख़िरी दिन पर
- l-ākhiri
- ٱلْءَاخِرِۚ
- और आख़िरी दिन पर
- wabuʿūlatuhunna
- وَبُعُولَتُهُنَّ
- और शौहर उनके
- aḥaqqu
- أَحَقُّ
- ज़्यादा हक़दार हैं
- biraddihinna
- بِرَدِّهِنَّ
- उनको लौटाने के
- fī
- فِى
- उसमें
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- उसमें
- in
- إِنْ
- अगर
- arādū
- أَرَادُوٓا۟
- वो इरादा करें
- iṣ'lāḥan
- إِصْلَٰحًاۚ
- इस्लाह का
- walahunna
- وَلَهُنَّ
- और उनके लिए है
- mith'lu
- مِثْلُ
- मानिन्द
- alladhī
- ٱلَّذِى
- उसके जो
- ʿalayhinna
- عَلَيْهِنَّ
- उनके ज़िम्मा है
- bil-maʿrūfi
- بِٱلْمَعْرُوفِۚ
- साथ मारूफ़ तरीक़े के
- walilrrijāli
- وَلِلرِّجَالِ
- और मर्दों के लिए
- ʿalayhinna
- عَلَيْهِنَّ
- उन (औरतों) पर
- darajatun
- دَرَجَةٌۗ
- एक दर्जा है
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ʿazīzun
- عَزِيزٌ
- बहुत ज़बरदस्त है
- ḥakīmun
- حَكِيمٌ
- बहुत हिकमत वाला है
और तलाक़ पाई हुई स्त्रियाँ तीन हैज़ (मासिक-धर्म) गुज़रने तक अपने-आप को रोके रखे, और यदि वे अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखती है तो उनके लिए यह वैध न होगा कि अल्लाह ने उनके गर्भाशयों में जो कुछ पैदा किया हो उसे छिपाएँ। इस बीच उनके पति, यदि सम्बन्धों को ठीक कर लेने का इरादा रखते हों, तो वे उन्हें लौटा लेने के ज़्यादा हक़दार है। और उन पत्नियों के भी सामान्य नियम के अनुसार वैसे ही अधिकार हैं, जैसी उन पर ज़िम्मेदारियाँ डाली गई है। और पतियों को उनपर एक दर्जा प्राप्त है। अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है ([२] अल बकराह: 228)Tafseer (तफ़सीर )
اَلطَّلَاقُ مَرَّتٰنِ ۖ فَاِمْسَاكٌۢ بِمَعْرُوْفٍ اَوْ تَسْرِيْحٌۢ بِاِحْسَانٍ ۗ وَلَا يَحِلُّ لَكُمْ اَنْ تَأْخُذُوْا مِمَّآ اٰتَيْتُمُوْهُنَّ شَيْـًٔا اِلَّآ اَنْ يَّخَافَآ اَلَّا يُقِيْمَا حُدُوْدَ اللّٰهِ ۗ فَاِنْ خِفْتُمْ اَلَّا يُقِيْمَا حُدُوْدَ اللّٰهِ ۙ فَلَا جُنَاحَ عَلَيْهِمَا فِيْمَا افْتَدَتْ بِهٖ ۗ تِلْكَ حُدُوْدُ اللّٰهِ فَلَا تَعْتَدُوْهَا ۚوَمَنْ يَّتَعَدَّ حُدُوْدَ اللّٰهِ فَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الظّٰلِمُوْنَ ٢٢٩
- al-ṭalāqu
- ٱلطَّلَٰقُ
- तलाक़
- marratāni
- مَرَّتَانِۖ
- दो बार है
- fa-im'sākun
- فَإِمْسَاكٌۢ
- फिर रोक लेना है
- bimaʿrūfin
- بِمَعْرُوفٍ
- साथ भले तरीक़े के
- aw
- أَوْ
- या
- tasrīḥun
- تَسْرِيحٌۢ
- रुख़्सत कर देना है
- bi-iḥ'sānin
- بِإِحْسَٰنٍۗ
- साथ एहसान के
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yaḥillu
- يَحِلُّ
- हलाल हो सकता
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- an
- أَن
- कि
- takhudhū
- تَأْخُذُوا۟
- तुम ले लो
- mimmā
- مِمَّآ
- उसमें से जो
- ātaytumūhunna
- ءَاتَيْتُمُوهُنَّ
- दे दिया है तुमने उन्हें
- shayan
- شَيْـًٔا
- कुछ भी
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَن
- ये कि
- yakhāfā
- يَخَافَآ
- वो दोनों डरें
- allā
- أَلَّا
- कि ना
- yuqīmā
- يُقِيمَا
- वो दोनों क़ायम रख सकेंगे
- ḥudūda
- حُدُودَ
- हुदूद को
- l-lahi
- ٱللَّهِۖ
- अल्लाह की
- fa-in
- فَإِنْ
- फिर अगर
- khif'tum
- خِفْتُمْ
- ख़ौफ़ खाओ तुम
- allā
- أَلَّا
- कि ना
- yuqīmā
- يُقِيمَا
- वो दोनों क़ायम रख सकेंगे
- ḥudūda
- حُدُودَ
- हुदूद को
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- falā
- فَلَا
- तो नहीं
- junāḥa
- جُنَاحَ
- कोई गुनाह
- ʿalayhimā
- عَلَيْهِمَا
- उन दोनो पर
- fīmā
- فِيمَا
- उस (चीज़) में जो
- if'tadat
- ٱفْتَدَتْ
- वो औरत फ़िदया दे दे
- bihi
- بِهِۦۗ
- साथ उस (माल) के
- til'ka
- تِلْكَ
- ये
- ḥudūdu
- حُدُودُ
- हुदूद हैं
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- falā
- فَلَا
- तो ना
- taʿtadūhā
- تَعْتَدُوهَاۚ
- तुम तजावुज़ करना उनसे
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yataʿadda
- يَتَعَدَّ
- तजावुज़ करेगा
- ḥudūda
- حُدُودَ
- हुदूद से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- fa-ulāika
- فَأُو۟لَٰٓئِكَ
- तो यही लोग हैं
- humu
- هُمُ
- वो
- l-ẓālimūna
- ٱلظَّٰلِمُونَ
- जो ज़ालिम हैं
तलाक़ दो बार है। फिर सामान्य नियम के अनुसार (स्त्री को) रोक लिया जाए या भले तरीक़े से विदा कर दिया जाए। और तुम्हारे लिए वैध नहीं है कि जो कुछ तुम उन्हें दे चुके हो, उसमें से कुछ ले लो, सिवाय इस स्थिति के कि दोनों को डर हो कि अल्लाह की (निर्धारित) सीमाओं पर क़ायम न रह सकेंगे तो यदि तुमको यह डर हो कि वे अल्लाह की सीमाओ पर क़ायम न रहेंगे तो स्त्री जो कुछ देकर छुटकारा प्राप्त करना चाहे उसमें उन दोनो के लिए कोई गुनाह नहीं। ये अल्लाह की सीमाएँ है। अतः इनका उल्लंघन न करो। और जो कोई अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन करे तो ऐसे लोग अत्याचारी है ([२] अल बकराह: 229)Tafseer (तफ़सीर )
فَاِنْ طَلَّقَهَا فَلَا تَحِلُّ لَهٗ مِنْۢ بَعْدُ حَتّٰى تَنْكِحَ زَوْجًا غَيْرَهٗ ۗ فَاِنْ طَلَّقَهَا فَلَا جُنَاحَ عَلَيْهِمَآ اَنْ يَّتَرَاجَعَآ اِنْ ظَنَّآ اَنْ يُّقِيْمَا حُدُوْدَ اللّٰهِ ۗ وَتِلْكَ حُدُوْدُ اللّٰهِ يُبَيِّنُهَا لِقَوْمٍ يَّعْلَمُوْنَ ٢٣٠
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- ṭallaqahā
- طَلَّقَهَا
- वो तलाक़ दे दे उसे
- falā
- فَلَا
- तो नहीं
- taḥillu
- تَحِلُّ
- वो हलाल हो सकती
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- min
- مِنۢ
- बाद इसके
- baʿdu
- بَعْدُ
- बाद इसके
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- tankiḥa
- تَنكِحَ
- वो निकाह कर ले
- zawjan
- زَوْجًا
- शौहर से
- ghayrahu
- غَيْرَهُۥۗ
- उसके अलावा
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- ṭallaqahā
- طَلَّقَهَا
- वो तलाक़ दे दे उसे
- falā
- فَلَا
- तो नहीं
- junāḥa
- جُنَاحَ
- कोई गुनाह
- ʿalayhimā
- عَلَيْهِمَآ
- उन दोनों पर
- an
- أَن
- ये कि
- yatarājaʿā
- يَتَرَاجَعَآ
- वो बाहम रुजू कर लें
- in
- إِن
- अगर
- ẓannā
- ظَنَّآ
- वो दोनों समझें
- an
- أَن
- कि
- yuqīmā
- يُقِيمَا
- वो दोनों क़ायम रखेंगे
- ḥudūda
- حُدُودَ
- हुदूद को
- l-lahi
- ٱللَّهِۗ
- अल्लाह की
- watil'ka
- وَتِلْكَ
- और ये
- ḥudūdu
- حُدُودُ
- हुदूद हैं
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- yubayyinuhā
- يُبَيِّنُهَا
- वो वाज़ेह करता है उन्हें
- liqawmin
- لِقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- जो इल्म रखते हैं
(दो तलाक़ो के पश्चात) फिर यदि वह उसे तलाक़ दे दे, तो इसके पश्चात वह उसके लिए वैध न होगी, जबतक कि वह उसके अतिरिक्त किसी दूसरे पति से निकाह न कर ले। अतः यदि वह उसे तलाक़ दे दे तो फिर उन दोनों के लिए एक-दूसरे को पलट आने में कोई गुनाह न होगा, यदि वे समझते हो कि अल्लाह की सीमाओं पर क़ायम रह सकते है। और ये अल्लाह कि निर्धारित की हुई सीमाएँ है, जिन्हें वह उन लोगों के लिए बयान कर रहा है जो जानना चाहते हो ([२] अल बकराह: 230)Tafseer (तफ़सीर )