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सूरा अल बकराह - Page: 23

Al-Baqarah

(गाय)

२२१

وَلَا تَنْكِحُوا الْمُشْرِكٰتِ حَتّٰى يُؤْمِنَّ ۗ وَلَاَمَةٌ مُّؤْمِنَةٌ خَيْرٌ مِّنْ مُّشْرِكَةٍ وَّلَوْ اَعْجَبَتْكُمْ ۚ وَلَا تُنْكِحُوا الْمُشْرِكِيْنَ حَتّٰى يُؤْمِنُوْا ۗ وَلَعَبْدٌ مُّؤْمِنٌ خَيْرٌ مِّنْ مُّشْرِكٍ وَّلَوْ اَعْجَبَكُمْ ۗ اُولٰۤىِٕكَ يَدْعُوْنَ اِلَى النَّارِ ۖ وَاللّٰهُ يَدْعُوْٓا اِلَى الْجَنَّةِ وَالْمَغْفِرَةِ بِاِذْنِهٖۚ وَيُبَيِّنُ اٰيٰتِهٖ لِلنَّاسِ لَعَلَّهُمْ يَتَذَكَّرُوْنَ ࣖ ٢٢١

walā
وَلَا
और ना
tankiḥū
تَنكِحُوا۟
तुम निकाह करो
l-mush'rikāti
ٱلْمُشْرِكَٰتِ
मुशरिका औरतों से
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
yu'minna
يُؤْمِنَّۚ
वो ईमान ले आऐं
wala-amatun
وَلَأَمَةٌ
और अलबत्ता लौंडी
mu'minatun
مُّؤْمِنَةٌ
मोमिना
khayrun
خَيْرٌ
बेहतर है
min
مِّن
मुशरिका औरत से
mush'rikatin
مُّشْرِكَةٍ
मुशरिका औरत से
walaw
وَلَوْ
और अगरचे
aʿjabatkum
أَعْجَبَتْكُمْۗ
वो अच्छी लगे तुम्हें
walā
وَلَا
और ना
tunkiḥū
تُنكِحُوا۟
तुम निकाह करके दो
l-mush'rikīna
ٱلْمُشْرِكِينَ
मुशरिक मर्दों को
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
yu'minū
يُؤْمِنُوا۟ۚ
वो ईमान ले आऐं
walaʿabdun
وَلَعَبْدٌ
और अलबत्ता ग़ुलाम
mu'minun
مُّؤْمِنٌ
मोमिन
khayrun
خَيْرٌ
बेहतर है
min
مِّن
मुशरिक मर्द से
mush'rikin
مُّشْرِكٍ
मुशरिक मर्द से
walaw
وَلَوْ
और अगरचे
aʿjabakum
أَعْجَبَكُمْۗ
वो अच्छा लगे तुम्हें
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
yadʿūna
يَدْعُونَ
जो बुलाते हैं
ilā
إِلَى
तरफ़ आग के
l-nāri
ٱلنَّارِۖ
तरफ़ आग के
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yadʿū
يَدْعُوٓا۟
बुलाता है
ilā
إِلَى
तरफ़ जन्नत के
l-janati
ٱلْجَنَّةِ
तरफ़ जन्नत के
wal-maghfirati
وَٱلْمَغْفِرَةِ
और बख़्शिश के
bi-idh'nihi
بِإِذْنِهِۦۖ
अपने इज़्न से
wayubayyinu
وَيُبَيِّنُ
और वो वाज़ेह करता है
āyātihi
ءَايَٰتِهِۦ
आयात अपनी
lilnnāsi
لِلنَّاسِ
लोगों के लिए
laʿallahum
لَعَلَّهُمْ
ताकि वो
yatadhakkarūna
يَتَذَكَّرُونَ
वो नसीहत पकड़ें
और मुशरिक (बहुदेववादी) स्त्रियों से विवाह न करो जब तक कि वे ईमान न लाएँ। एक ईमानदारी बांदी (दासी), मुशरिक स्त्री से कहीं उत्तम है; चाहे वह तुम्हें कितनी ही अच्छी क्यों न लगे। और न (ईमानवाली स्त्रियाँ) मुशरिक पुरुषों से विवाह करो, जब तक कि वे ईमान न लाएँ। एक ईमानवाला गुलाम आज़ाद मुशरिक से कहीं उत्तम है, चाहे वह तुम्हें कितना ही अच्छा क्यों न लगे। ऐसे लोग आग (जहन्नम) की ओर बुलाते है और अल्लाह अपनी अनुज्ञा से जन्नत और क्षमा की ओर बुलाता है। और वह अपनी आयतें लोगों के सामने खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि वे चेतें ([२] अल बकराह: 221)
Tafseer (तफ़सीर )
२२२

وَيَسْـَٔلُوْنَكَ عَنِ الْمَحِيْضِ ۗ قُلْ هُوَ اَذًىۙ فَاعْتَزِلُوا النِّسَاۤءَ فِى الْمَحِيْضِۙ وَلَا تَقْرَبُوْهُنَّ حَتّٰى يَطْهُرْنَ ۚ فَاِذَا تَطَهَّرْنَ فَأْتُوْهُنَّ مِنْ حَيْثُ اَمَرَكُمُ اللّٰهُ ۗ اِنَّ اللّٰهَ يُحِبُّ التَّوَّابِيْنَ وَيُحِبُّ الْمُتَطَهِّرِيْنَ ٢٢٢

wayasalūnaka
وَيَسْـَٔلُونَكَ
और वो सवाल करते हैं आपसे
ʿani
عَنِ
हैज़ के बारे में
l-maḥīḍi
ٱلْمَحِيضِۖ
हैज़ के बारे में
qul
قُلْ
कह दीजिए
huwa
هُوَ
वो
adhan
أَذًى
अज़ियत है
fa-iʿ'tazilū
فَٱعْتَزِلُوا۟
तो अलग रहो
l-nisāa
ٱلنِّسَآءَ
औरतों से
فِى
हैज़ में
l-maḥīḍi
ٱلْمَحِيضِۖ
हैज़ में
walā
وَلَا
और ना
taqrabūhunna
تَقْرَبُوهُنَّ
तुम क़रीब जाओ उनके
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
yaṭhur'na
يَطْهُرْنَۖ
वो पाक हो जाऐं
fa-idhā
فَإِذَا
फिर जब
taṭahharna
تَطَهَّرْنَ
वो अच्छी तरह पाक हो जाऐं
fatūhunna
فَأْتُوهُنَّ
तो आओ उनके पास
min
مِنْ
जहाँ से
ḥaythu
حَيْثُ
जहाँ से
amarakumu
أَمَرَكُمُ
हुक्म दिया तुम्हें
l-lahu
ٱللَّهُۚ
अल्लाह ने
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yuḥibbu
يُحِبُّ
मोहब्बत रखता है
l-tawābīna
ٱلتَّوَّٰبِينَ
बहुत तौबा करने वालों से
wayuḥibbu
وَيُحِبُّ
और मोहब्बत रखता है
l-mutaṭahirīna
ٱلْمُتَطَهِّرِينَ
पाक साफ़ रहने वालों से
और वे तुमसे मासिक-धर्म के विषय में पूछते है। कहो, 'वह एक तकलीफ़ और गन्दगी की चीज़ है। अतः मासिक-धर्म के दिनों में स्त्रियों से अलग रहो और उनके पास न जाओ, जबतक कि वे पाक-साफ़ न हो जाएँ। फिर जब वे भली-भाँति पाक-साफ़ हो जाए, तो जिस प्रकार अल्लाह ने तुम्हें बताया है, उनके पास आओ। निस्संदेह अल्लाह बहुत तौबा करनेवालों को पसन्द करता है और वह उन्हें पसन्द करता है जो स्वच्छता को पसन्द करते है ([२] अल बकराह: 222)
Tafseer (तफ़सीर )
२२३

نِسَاۤؤُكُمْ حَرْثٌ لَّكُمْ ۖ فَأْتُوْا حَرْثَكُمْ اَنّٰى شِئْتُمْ ۖ وَقَدِّمُوْا لِاَنْفُسِكُمْ ۗ وَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاعْلَمُوْٓا اَنَّكُمْ مُّلٰقُوْهُ ۗ وَبَشِّرِ الْمُؤْمِنِيْنَ ٢٢٣

nisāukum
نِسَآؤُكُمْ
औरतें तुम्हारी
ḥarthun
حَرْثٌ
खेती हैं
lakum
لَّكُمْ
तुम्हारे लिए
fatū
فَأْتُوا۟
तो आओ
ḥarthakum
حَرْثَكُمْ
अपनी खेती में
annā
أَنَّىٰ
जिस तरह
shi'tum
شِئْتُمْۖ
चाहो तुम
waqaddimū
وَقَدِّمُوا۟
और आगे भेजो
li-anfusikum
لِأَنفُسِكُمْۚ
अपने नफ़्सों के लिए
wa-ittaqū
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
wa-iʿ'lamū
وَٱعْلَمُوٓا۟
और जान लो
annakum
أَنَّكُم
बेशक तुम
mulāqūhu
مُّلَٰقُوهُۗ
मुलाक़ात करने वाले हो उससे
wabashiri
وَبَشِّرِ
और ख़ुशख़बरी दे दीजिए
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
ईमान लाने वालों को
तुम्हारी स्त्रियों तुम्हारी खेती है। अतः जिस प्रकार चाहो तुम अपनी खेती में आओ और अपने लिए आगे भेजो; और अल्लाह से डरते रहो; भली-भाँति जान ले कि तुम्हें उससे मिलना है; और ईमान लानेवालों को शुभ-सूचना दे दो ([२] अल बकराह: 223)
Tafseer (तफ़सीर )
२२४

وَلَا تَجْعَلُوا اللّٰهَ عُرْضَةً لِّاَيْمَانِكُمْ اَنْ تَبَرُّوْا وَتَتَّقُوْا وَتُصْلِحُوْا بَيْنَ النَّاسِۗ وَاللّٰهُ سَمِيْعٌ عَلِيْمٌ ٢٢٤

walā
وَلَا
और ना
tajʿalū
تَجْعَلُوا۟
तुम बनाओ
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह को
ʿur'ḍatan
عُرْضَةً
आड़
li-aymānikum
لِّأَيْمَٰنِكُمْ
अपनी क़समों के लिए
an
أَن
कि
tabarrū
تَبَرُّوا۟
तुम नेकी करोगे (ना)
watattaqū
وَتَتَّقُوا۟
और (ना) तुम तक़वा करोगे
watuṣ'liḥū
وَتُصْلِحُوا۟
और (ना) तुम सुलाह कराओगे
bayna
بَيْنَ
दर्मियान
l-nāsi
ٱلنَّاسِۗ
लोगों के
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
samīʿun
سَمِيعٌ
ख़ूब सुनने वाला है
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
अपने नेक और धर्मपरायण होने और लोगों के मध्य सुधारक होने के सिलसिले में अपनी क़समों के द्वारा अल्लाह को आड़ और निशाना न बनाओ कि इन कामों को छोड़ दो। अल्लाह सब कुछ सुनता, जानता है ([२] अल बकराह: 224)
Tafseer (तफ़सीर )
२२५

لَا يُؤَاخِذُكُمُ اللّٰهُ بِاللَّغْوِ فِيْٓ اَيْمَانِكُمْ وَلٰكِنْ يُّؤَاخِذُكُمْ بِمَا كَسَبَتْ قُلُوْبُكُمْ ۗ وَاللّٰهُ غَفُوْرٌ حَلِيْمٌ ٢٢٥

لَّا
नहीं मुआख़्ज़ा करेगा तुम्हारा
yuākhidhukumu
يُؤَاخِذُكُمُ
नहीं मुआख़्ज़ा करेगा तुम्हारा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
bil-laghwi
بِٱللَّغْوِ
साथ लग़्व के
فِىٓ
तुम्हारी क़समों के
aymānikum
أَيْمَٰنِكُمْ
तुम्हारी क़समों के
walākin
وَلَٰكِن
और लेकिन
yuākhidhukum
يُؤَاخِذُكُم
वो मुआख़्ज़ा करेगा तुम्हारा
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
kasabat
كَسَبَتْ
कमाया
qulūbukum
قُلُوبُكُمْۗ
तुम्हारे दिलों ने
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
ḥalīmun
حَلِيمٌ
बहुत हिल्म वाला है
अल्लाह तुम्हें तुम्हारी ऐसी कसमों पर नहीं पकड़ेगा जो यूँ ही मुँह से निकल गई हो, लेकिन उन क़समों पर वह तुम्हें अवश्य पकड़ेगा जो तुम्हारे दिल के इरादे का नतीजा हों। अल्लाह बहुत क्षमा करनेवाला, सहनशील है ([२] अल बकराह: 225)
Tafseer (तफ़सीर )
२२६

لِلَّذِيْنَ يُؤْلُوْنَ مِنْ نِّسَاۤىِٕهِمْ تَرَبُّصُ اَرْبَعَةِ اَشْهُرٍۚ فَاِنْ فَاۤءُوْ فَاِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ٢٢٦

lilladhīna
لِّلَّذِينَ
उन लोगों के लिए जो
yu'lūna
يُؤْلُونَ
इला करते हैं
min
مِن
अपनी औरतों से
nisāihim
نِّسَآئِهِمْ
अपनी औरतों से
tarabbuṣu
تَرَبُّصُ
इन्तिज़ार करना है
arbaʿati
أَرْبَعَةِ
चार
ashhurin
أَشْهُرٍۖ
महीने
fa-in
فَإِن
फिर अगर
fāū
فَآءُو
वो रुजु कर लें
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
जो लोग अपनी स्त्रियों से अलग रहने की क़सम खा बैठें, उनके लिए चार महीने की प्रतिक्षा है। फिर यदि वे पलट आएँ, तो अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है ([२] अल बकराह: 226)
Tafseer (तफ़सीर )
२२७

وَاِنْ عَزَمُوا الطَّلَاقَ فَاِنَّ اللّٰهَ سَمِيْعٌ عَلِيْمٌ ٢٢٧

wa-in
وَإِنْ
और अगर
ʿazamū
عَزَمُوا۟
वो अज़म कर लें
l-ṭalāqa
ٱلطَّلَٰقَ
तलाक़ का
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
samīʿun
سَمِيعٌ
ख़ूब सुनने वाला है
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
और यदि वे तलाक़ ही की ठान लें, तो अल्लाह भी सुननेवाला भली-भाँति जाननेवाला है ([२] अल बकराह: 227)
Tafseer (तफ़सीर )
२२८

وَالْمُطَلَّقٰتُ يَتَرَبَّصْنَ بِاَنْفُسِهِنَّ ثَلٰثَةَ قُرُوْۤءٍۗ وَلَا يَحِلُّ لَهُنَّ اَنْ يَّكْتُمْنَ مَا خَلَقَ اللّٰهُ فِيْٓ اَرْحَامِهِنَّ اِنْ كُنَّ يُؤْمِنَّ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِۗ وَبُعُوْلَتُهُنَّ اَحَقُّ بِرَدِّهِنَّ فِيْ ذٰلِكَ اِنْ اَرَادُوْٓا اِصْلَاحًا ۗوَلَهُنَّ مِثْلُ الَّذِيْ عَلَيْهِنَّ بِالْمَعْرُوْفِۖ وَلِلرِّجَالِ عَلَيْهِنَّ دَرَجَةٌ ۗ وَاللّٰهُ عَزِيْزٌ حَكِيْمٌ ࣖ ٢٢٨

wal-muṭalaqātu
وَٱلْمُطَلَّقَٰتُ
और जो तलाक़ याफ़्ता औरतें हैं
yatarabbaṣna
يَتَرَبَّصْنَ
वो इन्तिज़ार में रखें
bi-anfusihinna
بِأَنفُسِهِنَّ
अपने आपको
thalāthata
ثَلَٰثَةَ
तीन
qurūin
قُرُوٓءٍۚ
हैज़ / तोहर
walā
وَلَا
और नहीं
yaḥillu
يَحِلُّ
हलाल
lahunna
لَهُنَّ
उनके लिए
an
أَن
कि
yaktum'na
يَكْتُمْنَ
वो छुपाऐं
مَا
जो
khalaqa
خَلَقَ
पैदा किया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
فِىٓ
उनके रहमों में
arḥāmihinna
أَرْحَامِهِنَّ
उनके रहमों में
in
إِن
अगर
kunna
كُنَّ
हैं वो
yu'minna
يُؤْمِنَّ
वो ईमान रखतीं
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
wal-yawmi
وَٱلْيَوْمِ
और आख़िरी दिन पर
l-ākhiri
ٱلْءَاخِرِۚ
और आख़िरी दिन पर
wabuʿūlatuhunna
وَبُعُولَتُهُنَّ
और शौहर उनके
aḥaqqu
أَحَقُّ
ज़्यादा हक़दार हैं
biraddihinna
بِرَدِّهِنَّ
उनको लौटाने के
فِى
उसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
उसमें
in
إِنْ
अगर
arādū
أَرَادُوٓا۟
वो इरादा करें
iṣ'lāḥan
إِصْلَٰحًاۚ
इस्लाह का
walahunna
وَلَهُنَّ
और उनके लिए है
mith'lu
مِثْلُ
मानिन्द
alladhī
ٱلَّذِى
उसके जो
ʿalayhinna
عَلَيْهِنَّ
उनके ज़िम्मा है
bil-maʿrūfi
بِٱلْمَعْرُوفِۚ
साथ मारूफ़ तरीक़े के
walilrrijāli
وَلِلرِّجَالِ
और मर्दों के लिए
ʿalayhinna
عَلَيْهِنَّ
उन (औरतों) पर
darajatun
دَرَجَةٌۗ
एक दर्जा है
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ʿazīzun
عَزِيزٌ
बहुत ज़बरदस्त है
ḥakīmun
حَكِيمٌ
बहुत हिकमत वाला है
और तलाक़ पाई हुई स्त्रियाँ तीन हैज़ (मासिक-धर्म) गुज़रने तक अपने-आप को रोके रखे, और यदि वे अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखती है तो उनके लिए यह वैध न होगा कि अल्लाह ने उनके गर्भाशयों में जो कुछ पैदा किया हो उसे छिपाएँ। इस बीच उनके पति, यदि सम्बन्धों को ठीक कर लेने का इरादा रखते हों, तो वे उन्हें लौटा लेने के ज़्यादा हक़दार है। और उन पत्नियों के भी सामान्य नियम के अनुसार वैसे ही अधिकार हैं, जैसी उन पर ज़िम्मेदारियाँ डाली गई है। और पतियों को उनपर एक दर्जा प्राप्त है। अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है ([२] अल बकराह: 228)
Tafseer (तफ़सीर )
२२९

اَلطَّلَاقُ مَرَّتٰنِ ۖ فَاِمْسَاكٌۢ بِمَعْرُوْفٍ اَوْ تَسْرِيْحٌۢ بِاِحْسَانٍ ۗ وَلَا يَحِلُّ لَكُمْ اَنْ تَأْخُذُوْا مِمَّآ اٰتَيْتُمُوْهُنَّ شَيْـًٔا اِلَّآ اَنْ يَّخَافَآ اَلَّا يُقِيْمَا حُدُوْدَ اللّٰهِ ۗ فَاِنْ خِفْتُمْ اَلَّا يُقِيْمَا حُدُوْدَ اللّٰهِ ۙ فَلَا جُنَاحَ عَلَيْهِمَا فِيْمَا افْتَدَتْ بِهٖ ۗ تِلْكَ حُدُوْدُ اللّٰهِ فَلَا تَعْتَدُوْهَا ۚوَمَنْ يَّتَعَدَّ حُدُوْدَ اللّٰهِ فَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الظّٰلِمُوْنَ ٢٢٩

al-ṭalāqu
ٱلطَّلَٰقُ
तलाक़
marratāni
مَرَّتَانِۖ
दो बार है
fa-im'sākun
فَإِمْسَاكٌۢ
फिर रोक लेना है
bimaʿrūfin
بِمَعْرُوفٍ
साथ भले तरीक़े के
aw
أَوْ
या
tasrīḥun
تَسْرِيحٌۢ
रुख़्सत कर देना है
bi-iḥ'sānin
بِإِحْسَٰنٍۗ
साथ एहसान के
walā
وَلَا
और नहीं
yaḥillu
يَحِلُّ
हलाल हो सकता
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
an
أَن
कि
takhudhū
تَأْخُذُوا۟
तुम ले लो
mimmā
مِمَّآ
उसमें से जो
ātaytumūhunna
ءَاتَيْتُمُوهُنَّ
दे दिया है तुमने उन्हें
shayan
شَيْـًٔا
कुछ भी
illā
إِلَّآ
मगर
an
أَن
ये कि
yakhāfā
يَخَافَآ
वो दोनों डरें
allā
أَلَّا
कि ना
yuqīmā
يُقِيمَا
वो दोनों क़ायम रख सकेंगे
ḥudūda
حُدُودَ
हुदूद को
l-lahi
ٱللَّهِۖ
अल्लाह की
fa-in
فَإِنْ
फिर अगर
khif'tum
خِفْتُمْ
ख़ौफ़ खाओ तुम
allā
أَلَّا
कि ना
yuqīmā
يُقِيمَا
वो दोनों क़ायम रख सकेंगे
ḥudūda
حُدُودَ
हुदूद को
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
falā
فَلَا
तो नहीं
junāḥa
جُنَاحَ
कोई गुनाह
ʿalayhimā
عَلَيْهِمَا
उन दोनो पर
fīmā
فِيمَا
उस (चीज़) में जो
if'tadat
ٱفْتَدَتْ
वो औरत फ़िदया दे दे
bihi
بِهِۦۗ
साथ उस (माल) के
til'ka
تِلْكَ
ये
ḥudūdu
حُدُودُ
हुदूद हैं
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
falā
فَلَا
तो ना
taʿtadūhā
تَعْتَدُوهَاۚ
तुम तजावुज़ करना उनसे
waman
وَمَن
और जो कोई
yataʿadda
يَتَعَدَّ
तजावुज़ करेगा
ḥudūda
حُدُودَ
हुदूद से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
fa-ulāika
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
तो यही लोग हैं
humu
هُمُ
वो
l-ẓālimūna
ٱلظَّٰلِمُونَ
जो ज़ालिम हैं
तलाक़ दो बार है। फिर सामान्य नियम के अनुसार (स्त्री को) रोक लिया जाए या भले तरीक़े से विदा कर दिया जाए। और तुम्हारे लिए वैध नहीं है कि जो कुछ तुम उन्हें दे चुके हो, उसमें से कुछ ले लो, सिवाय इस स्थिति के कि दोनों को डर हो कि अल्लाह की (निर्धारित) सीमाओं पर क़ायम न रह सकेंगे तो यदि तुमको यह डर हो कि वे अल्लाह की सीमाओ पर क़ायम न रहेंगे तो स्त्री जो कुछ देकर छुटकारा प्राप्त करना चाहे उसमें उन दोनो के लिए कोई गुनाह नहीं। ये अल्लाह की सीमाएँ है। अतः इनका उल्लंघन न करो। और जो कोई अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन करे तो ऐसे लोग अत्याचारी है ([२] अल बकराह: 229)
Tafseer (तफ़सीर )
२३०

فَاِنْ طَلَّقَهَا فَلَا تَحِلُّ لَهٗ مِنْۢ بَعْدُ حَتّٰى تَنْكِحَ زَوْجًا غَيْرَهٗ ۗ فَاِنْ طَلَّقَهَا فَلَا جُنَاحَ عَلَيْهِمَآ اَنْ يَّتَرَاجَعَآ اِنْ ظَنَّآ اَنْ يُّقِيْمَا حُدُوْدَ اللّٰهِ ۗ وَتِلْكَ حُدُوْدُ اللّٰهِ يُبَيِّنُهَا لِقَوْمٍ يَّعْلَمُوْنَ ٢٣٠

fa-in
فَإِن
फिर अगर
ṭallaqahā
طَلَّقَهَا
वो तलाक़ दे दे उसे
falā
فَلَا
तो नहीं
taḥillu
تَحِلُّ
वो हलाल हो सकती
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
min
مِنۢ
बाद इसके
baʿdu
بَعْدُ
बाद इसके
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
tankiḥa
تَنكِحَ
वो निकाह कर ले
zawjan
زَوْجًا
शौहर से
ghayrahu
غَيْرَهُۥۗ
उसके अलावा
fa-in
فَإِن
फिर अगर
ṭallaqahā
طَلَّقَهَا
वो तलाक़ दे दे उसे
falā
فَلَا
तो नहीं
junāḥa
جُنَاحَ
कोई गुनाह
ʿalayhimā
عَلَيْهِمَآ
उन दोनों पर
an
أَن
ये कि
yatarājaʿā
يَتَرَاجَعَآ
वो बाहम रुजू कर लें
in
إِن
अगर
ẓannā
ظَنَّآ
वो दोनों समझें
an
أَن
कि
yuqīmā
يُقِيمَا
वो दोनों क़ायम रखेंगे
ḥudūda
حُدُودَ
हुदूद को
l-lahi
ٱللَّهِۗ
अल्लाह की
watil'ka
وَتِلْكَ
और ये
ḥudūdu
حُدُودُ
हुदूद हैं
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
yubayyinuhā
يُبَيِّنُهَا
वो वाज़ेह करता है उन्हें
liqawmin
لِقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
जो इल्म रखते हैं
(दो तलाक़ो के पश्चात) फिर यदि वह उसे तलाक़ दे दे, तो इसके पश्चात वह उसके लिए वैध न होगी, जबतक कि वह उसके अतिरिक्त किसी दूसरे पति से निकाह न कर ले। अतः यदि वह उसे तलाक़ दे दे तो फिर उन दोनों के लिए एक-दूसरे को पलट आने में कोई गुनाह न होगा, यदि वे समझते हो कि अल्लाह की सीमाओं पर क़ायम रह सकते है। और ये अल्लाह कि निर्धारित की हुई सीमाएँ है, जिन्हें वह उन लोगों के लिए बयान कर रहा है जो जानना चाहते हो ([२] अल बकराह: 230)
Tafseer (तफ़सीर )