وَمِنْهُمْ مَّنْ يَّقُوْلُ رَبَّنَآ اٰتِنَا فِى الدُّنْيَا حَسَنَةً وَّفِى الْاٰخِرَةِ حَسَنَةً وَّقِنَا عَذَابَ النَّارِ ٢٠١
- wamin'hum
- وَمِنْهُم
- और उनमें से कोई है
- man
- مَّن
- जो
- yaqūlu
- يَقُولُ
- कहता है
- rabbanā
- رَبَّنَآ
- ऐ हमारे रब
- ātinā
- ءَاتِنَا
- दे हमें
- fī
- فِى
- दुनिया में
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया में
- ḥasanatan
- حَسَنَةً
- भलाई
- wafī
- وَفِى
- और आख़िरत में
- l-ākhirati
- ٱلْءَاخِرَةِ
- और आख़िरत में
- ḥasanatan
- حَسَنَةً
- भलाई
- waqinā
- وَقِنَا
- और बचा हमें
- ʿadhāba
- عَذَابَ
- अज़ाब से
- l-nāri
- ٱلنَّارِ
- आग के
और उनमें कोई ऐसा है जो कहता है, 'हमारे रब! हमें प्रदान कर दुनिया में भी अच्छी दशा और आख़िरत में भी अच्छा दशा, और हमें आग (जहन्नम) की यातना से बचा ले।' ([२] अल बकराह: 201)Tafseer (तफ़सीर )
اُولٰۤىِٕكَ لَهُمْ نَصِيْبٌ مِّمَّا كَسَبُوْا ۗ وَاللّٰهُ سَرِيْعُ الْحِسَابِ ٢٠٢
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- lahum
- لَهُمْ
- जिनके लिए
- naṣībun
- نَصِيبٌ
- एक हिस्सा है
- mimmā
- مِّمَّا
- उससे जो
- kasabū
- كَسَبُوا۟ۚ
- उन्होंने कमाया
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- sarīʿu
- سَرِيعُ
- जल्द लेने वाला है
- l-ḥisābi
- ٱلْحِسَابِ
- हिसाब
ऐसे ही लोग है कि उन्होंने जो कुछ कमाया है उसकी जिन्स का हिस्सा उनके लिए नियत है। और अल्लाह जल्द ही हिसाब चुकानेवाला है ([२] अल बकराह: 202)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَاذْكُرُوا اللّٰهَ فِيْٓ اَيَّامٍ مَّعْدُوْدٰتٍ ۗ فَمَنْ تَعَجَّلَ فِيْ يَوْمَيْنِ فَلَآ اِثْمَ عَلَيْهِ ۚوَمَنْ تَاَخَّرَ فَلَآ اِثْمَ عَلَيْهِۙ لِمَنِ اتَّقٰىۗ وَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاعْلَمُوْٓا اَنَّكُمْ اِلَيْهِ تُحْشَرُوْنَ ٢٠٣
- wa-udh'kurū
- وَٱذْكُرُوا۟
- और याद करो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह को
- fī
- فِىٓ
- दिनों में
- ayyāmin
- أَيَّامٍ
- दिनों में
- maʿdūdātin
- مَّعْدُودَٰتٍۚ
- गिने-चुने
- faman
- فَمَن
- तो जो कोई
- taʿajjala
- تَعَجَّلَ
- जल्दी करे
- fī
- فِى
- दो दिनों में
- yawmayni
- يَوْمَيْنِ
- दो दिनों में
- falā
- فَلَآ
- तो नहीं
- ith'ma
- إِثْمَ
- कोई गुनाह
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- ta-akhara
- تَأَخَّرَ
- ताख़ीर करे
- falā
- فَلَآ
- तो नहीं
- ith'ma
- إِثْمَ
- कोई गुनाह
- ʿalayhi
- عَلَيْهِۚ
- उस पर
- limani
- لِمَنِ
- उसके लिए जो
- ittaqā
- ٱتَّقَىٰۗ
- तक़वा करे
- wa-ittaqū
- وَٱتَّقُوا۟
- और डरो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- wa-iʿ'lamū
- وَٱعْلَمُوٓا۟
- और जान लो
- annakum
- أَنَّكُمْ
- बेशक तुम
- ilayhi
- إِلَيْهِ
- तरफ़ उसी के
- tuḥ'sharūna
- تُحْشَرُونَ
- तुम इकट्ठे किए जाओगे
और अल्लाह की याद में गिनती के ये कुछ दिन व्यतीत करो। फिर जो कोई जल्दी करके दो ही दिन में कूच करे तो इसमें उसपर कोई गुनाह नहीं। और जो ठहरा रहे तो इसमें भी उसपर कोई गुनाह नहीं। यह उसके लिेए है जो अल्लाह का डर रखे। और अल्लाह का डर रखो और जान रखो कि उसी के पास तुम इकट्ठा होगे ([२] अल बकराह: 203)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنَ النَّاسِ مَنْ يُّعْجِبُكَ قَوْلُهٗ فِى الْحَيٰوةِ الدُّنْيَا وَيُشْهِدُ اللّٰهَ عَلٰى مَا فِيْ قَلْبِهٖ ۙ وَهُوَ اَلَدُّ الْخِصَامِ ٢٠٤
- wamina
- وَمِنَ
- और लोगों में से कोई है
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- और लोगों में से कोई है
- man
- مَن
- जो
- yuʿ'jibuka
- يُعْجِبُكَ
- ख़ुश करती है आपको
- qawluhu
- قَوْلُهُۥ
- बात उसकी
- fī
- فِى
- ज़िन्दगी में
- l-ḥayati
- ٱلْحَيَوٰةِ
- ज़िन्दगी में
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया की
- wayush'hidu
- وَيُشْهِدُ
- और वो गवाह बनाता है
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह को
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- mā
- مَا
- उसके जो
- fī
- فِى
- उसके दिल में है
- qalbihi
- قَلْبِهِۦ
- उसके दिल में है
- wahuwa
- وَهُوَ
- हालाँकि वो
- aladdu
- أَلَدُّ
- सख़्त झगड़ालू है
- l-khiṣāmi
- ٱلْخِصَامِ
- झगड़ा करने में
लोगों में कोई तो ऐसा है कि इस सांसारिक जीवन के विषय में उसकी बाते तुम्हें बहुत भाती है, उस (खोट) के बावजूद जो उसके दिल में होती है, वह अल्लाह को गवाह ठहराता है और झगड़े में वह बड़ा हठी है ([२] अल बकराह: 204)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذَا تَوَلّٰى سَعٰى فِى الْاَرْضِ لِيُفْسِدَ فِيْهَا وَيُهْلِكَ الْحَرْثَ وَالنَّسْلَ ۗ وَ اللّٰهُ لَا يُحِبُّ الْفَسَادَ ٢٠٥
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- tawallā
- تَوَلَّىٰ
- वो मुँह मोड़ता है
- saʿā
- سَعَىٰ
- वो कोशिश करता है
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- liyuf'sida
- لِيُفْسِدَ
- ताकि वो फ़साद करे
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- wayuh'lika
- وَيُهْلِكَ
- और वो हलाक करे
- l-ḥartha
- ٱلْحَرْثَ
- खेती
- wal-nasla
- وَٱلنَّسْلَۗ
- और नस्ल को
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं वो पसंद करता
- yuḥibbu
- يُحِبُّ
- नहीं वो पसंद करता
- l-fasāda
- ٱلْفَسَادَ
- फ़साद को
और जब वह लौटता है, तो धरती में इसलिए दौड़-धूप करता है कि इसमें बिगाड़ पैदा करे और खेती और नस्ल को तबाह करे, जबकि अल्लाह बिगाड़ को पसन्द नहीं करता ([२] अल बकराह: 205)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذَا قِيْلَ لَهُ اتَّقِ اللّٰهَ اَخَذَتْهُ الْعِزَّةُ بِالْاِثْمِ فَحَسْبُهٗ جَهَنَّمُ ۗ وَلَبِئْسَ الْمِهَادُ ٢٠٦
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- qīla
- قِيلَ
- कहा जाता है
- lahu
- لَهُ
- उसे
- ittaqi
- ٱتَّقِ
- डरो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- akhadhathu
- أَخَذَتْهُ
- आमादा करती है उसे
- l-ʿizatu
- ٱلْعِزَّةُ
- इज़्ज़त
- bil-ith'mi
- بِٱلْإِثْمِۚ
- गुनाह पर
- faḥasbuhu
- فَحَسْبُهُۥ
- तो काफ़ी है उसे
- jahannamu
- جَهَنَّمُۚ
- जहन्नम
- walabi'sa
- وَلَبِئْسَ
- और अलबत्ता कितना बुरा है
- l-mihādu
- ٱلْمِهَادُ
- ठिकाना
और जब उससे कहा जाता है, 'अल्लाह से डर', तो अहंकार उसे और गुनाह पर जमा देता है। अतः उसके लिए तो जहन्नम ही काफ़ी है, और वह बहुत-ही बुरी शय्या है! ([२] अल बकराह: 206)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنَ النَّاسِ مَنْ يَّشْرِيْ نَفْسَهُ ابْتِغَاۤءَ مَرْضَاتِ اللّٰهِ ۗوَاللّٰهُ رَءُوْفٌۢ بِالْعِبَادِ ٢٠٧
- wamina
- وَمِنَ
- और लोगों में से कोई है
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- और लोगों में से कोई है
- man
- مَن
- जो
- yashrī
- يَشْرِى
- बेचता है
- nafsahu
- نَفْسَهُ
- अपने नफ़्स को
- ib'tighāa
- ٱبْتِغَآءَ
- चाहने के लिए
- marḍāti
- مَرْضَاتِ
- रज़ा
- l-lahi
- ٱللَّهِۗ
- अल्लाह की
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- raūfun
- رَءُوفٌۢ
- बहुत शफ़ीक़ है
- bil-ʿibādi
- بِٱلْعِبَادِ
- बन्दों पर
और लोगों में वह भी है जो अल्लाह की प्रसन्नता के संसाधन की चाह में अपनी जान खता देता है। अल्लाह भी अपने ऐसे बन्दों के प्रति अत्यन्त करुणाशील है ([२] अल बकराह: 207)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوا ادْخُلُوْا فِى السِّلْمِ كَاۤفَّةً ۖوَّلَا تَتَّبِعُوْا خُطُوٰتِ الشَّيْطٰنِۗ اِنَّهٗ لَكُمْ عَدُوٌّ مُّبِيْنٌ ٢٠٨
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- ud'khulū
- ٱدْخُلُوا۟
- दाख़िल हो जाओ
- fī
- فِى
- इस्लाम में
- l-sil'mi
- ٱلسِّلْمِ
- इस्लाम में
- kāffatan
- كَآفَّةً
- पूरे के पूरे
- walā
- وَلَا
- और ना
- tattabiʿū
- تَتَّبِعُوا۟
- तुम पैरवी करो
- khuṭuwāti
- خُطُوَٰتِ
- क़दमों की
- l-shayṭāni
- ٱلشَّيْطَٰنِۚ
- शैतान के
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारा
- ʿaduwwun
- عَدُوٌّ
- दुश्मन है
- mubīnun
- مُّبِينٌ
- खुल्लम-खुल्ला
ऐ ईमान लानेवालो! तुम सब इस्लाम में दाख़िल हो जाओ और शैतान के पदचिन्ह पर न चलो। वह तो तुम्हारा खुला हुआ शत्रु है ([२] अल बकराह: 208)Tafseer (तफ़सीर )
فَاِنْ زَلَلْتُمْ مِّنْۢ بَعْدِ مَا جَاۤءَتْكُمُ الْبَيِّنٰتُ فَاعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ عَزِيْزٌ حَكِيْمٌ ٢٠٩
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- zalaltum
- زَلَلْتُم
- फिसल जाओ तुम
- min
- مِّنۢ
- बाद इसके
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद इसके
- mā
- مَا
- जो
- jāatkumu
- جَآءَتْكُمُ
- आ गईं तुम्हारे पास
- l-bayinātu
- ٱلْبَيِّنَٰتُ
- वाज़ेह निशानियाँ
- fa-iʿ'lamū
- فَٱعْلَمُوٓا۟
- तो जान लो
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ʿazīzun
- عَزِيزٌ
- बहुत ज़बरदस्त है
- ḥakīmun
- حَكِيمٌ
- ख़ूब हिकमत वाला है
फिर यदि तुम उन स्पष्टा दलीलों के पश्चात भी, जो तुम्हारे पास आ चुकी है, फिसल गए, तो भली-भाँति जान रखो कि अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है ([२] अल बकराह: 209)Tafseer (तफ़सीर )
هَلْ يَنْظُرُوْنَ اِلَّآ اَنْ يَّأْتِيَهُمُ اللّٰهُ فِيْ ظُلَلٍ مِّنَ الْغَمَامِ وَالْمَلٰۤىِٕكَةُ وَقُضِيَ الْاَمْرُ ۗ وَاِلَى اللّٰهِ تُرْجَعُ الْاُمُوْرُ ࣖ ٢١٠
- hal
- هَلْ
- नहीं
- yanẓurūna
- يَنظُرُونَ
- वो इन्तिज़ार कर रहे
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَن
- ये कि
- yatiyahumu
- يَأْتِيَهُمُ
- आ जाए उनके पास
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- fī
- فِى
- सायबानों में
- ẓulalin
- ظُلَلٍ
- सायबानों में
- mina
- مِّنَ
- बादलों के
- l-ghamāmi
- ٱلْغَمَامِ
- बादलों के
- wal-malāikatu
- وَٱلْمَلَٰٓئِكَةُ
- और फ़रिश्ते
- waquḍiya
- وَقُضِىَ
- और पूरा कर दिया जाए
- l-amru
- ٱلْأَمْرُۚ
- काम
- wa-ilā
- وَإِلَى
- और तरफ़
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह ही के
- tur'jaʿu
- تُرْجَعُ
- लौटाए जाते है
- l-umūru
- ٱلْأُمُورُ
- सब काम
क्या वे (इसराईल की सन्तान) बस इसकी प्रतीक्षा कर रहे है कि अल्लाह स्वयं ही बादलों की छायों में उनके सामने आ जाए और फ़रिश्ते भी, हालाँकि बात तय कर दी गई है? मामले तो अल्लाह ही की ओर लौटते है ([२] अल बकराह: 210)Tafseer (तफ़सीर )